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यहाँ से बाहर लोगों को जा सकते हैं तो आखिर ये कहाँ से उसे क्या हुआ? अब हमें अत्यंत सावधानी से शत्रु के विषय में जानकारी एकत्रित करनी होंगी । प्रमुख सी जो आप जब विमान स्थानांतरण की बात कर रहे हैं वो किस प्रकार संभव है प्रमुख इस पर शोधपूर्ण है परन्तु ये मैं आपको प्रयोगशाला में दिखाऊंगा । अभी एक विचार ये भी हमारे मन में आ रहा है कि क्या हम लोगों को शत्रुओं की खोज में नहीं लग जाना चाहिए? दंडा था प्रमुख चीन इस पर आप चिंतित नहीं हूँ । मैंने सैनिकों, वकुल, प्रचारों को ड्रेस कार्य पर पहले ही नियुक्त कर दिया है । भगवान का आशीर्वाद रहा तो चल रही कुछ सूचना आवश्यकता तो होगी प्रमुख ही नहीं कही जानने के लिए उत्सुक कि शत्रु इस प्रकार के सुरक्षित महल में किस प्रकार प्रवेश ताजा का जब की आप के अनुसार इसकी सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत उन्नत प्रकार की थी प्रमुख देने का निसंदेह इसकी सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत उन्नत ही नहीं बल्कि सर्वोत्तम थी । मैं ही अनबिके हूँ कि किसने और किस प्रकार सुरक्षित कवच को तोड दिया । अब मैं सभी को इस लोग महल की सुरक्षा व्यवस्था के विषय में जानकारी दे रहा हूँ । इस प्रकार की व्यवस्था मेरे अनुसार इस लोक नहीं संभव नहीं है कब होने का सर्वप्रथम व्यवस्था ये थे कि योग पहल भूमि बस था ही नहीं । सभी आश्चर्यचकित होकर एक दूसरे का मुख्य देखने लगे । प्रभु ने कहा अरे ये किस प्रकार संभव है, मैं तो यहाँ कई बार आकर होगा और एक बार तो एक वर्षों से भी अधिक के लिए यहाँ पर रहा है । परन्तु मुझे तो कभी ऐसा प्रदीप नहीं हुआ प्रमुख प्रभु हूँ । मैं प्रश्न करना चाहता हूँ जल्दी अनुमति हो तो हाँ हाँ क्यों नहीं आप क्या जानना चाहते हैं? प्रमुख प्रभु वैसे तो बहुत ही नाम मात्र को ही व्यक्ति है जो यहाँ पर निवास कर रहे हैं या यहाँ पर आए थे । मैं आप दोनों कुमार के अतिरिक्त भोजन गई, स्वच्छ ही शेष है । यदि इसके अतिरिक्त कोई अन्य व्यक्ति शेष हो तो वो अभी दृश्य नहीं है, सम्भवता ना ही हो । मैंने कहा आप कहना क्या चाहते हैं प्रमुख मुझे तो हिसाब से कुछ भी समझ में नहीं आया । क्या आपको समझ आया? प्रभु नहीं परन्तु प्रमुख ने अपनी अभी संपूर्ण चर्चा नहीं की है । अभी उनको ध्यान से सुनी क्यों? आपका क्या विचार है? दंड हर्ज जी प्रभु प्रमुख श्री ने पूरा कहना प्रारम्भ किया । अब जितने व्यक्ति यहाँ पर हैं उन्हीं के अनुभव से कार्य करना होगा । मैं पूछता हूँ कि इन सभी व्यक्तियों ने क्या महल के मुख्यद्वार के अतिरिक्त कभी अन्य मार्गों से अंदर आने की चेष्टा की? सभी ने नकारात्मक उत्तर दिया । सभी का एक ही होता था की अन्य कोई मार्ग था ही नहीं । अब पूरा प्रमुख कहना प्रारम्भ किया मार्ग की बात ही नहीं आप मुख्यमार्गों के अतिरिक्त योग महल में प्रवेश ही नहीं सकते थे क्योंकि मुख्यभूमि वह महल के बीच में चार सौ हाथ का अंतर था । किसी भी साधन से चार सौ हाथ का अंतर पास नहीं किया जा सकता है कब होने का परन्तु मैं तो यहाँ वर्षों तक रहा हूँ । मैंने तो कभी भी नहीं देखा । अंतत था ये अंतर क्यों नहीं प्रतीत हुआ? प्रमुख लेने का प्रभु इसके मुख्य दो कारण है कतम यदि आप महल से बाहर की तरफ देखते तो महल के किनारे कुछ बाहर की तरफ निकले हुए बनाए गए थे । यदि आप बाहर से महल की तरफ देखते तो ढलान इतनी अधिक थी कि आपको बहुत दूर से ही महल को देखना पडता है । जब कोई भी व्यक्ति दूर वार नीचे से ऊपर की तरफ देखेगा तब उसे ये चार सौ हाथ का अंतर नहीं दिखाई पडेगा । इस प्रकार वह बीच की खाई न तो महल के अंदर और ना ही महल के बाहर के व्यक्ति को देख सकती थी । पूरा महल पूर्ण रूप से हवा में स्थित था । अच्छा प्रभु इससे पूर्ण रूप से सिद्ध हो जाता है कि शत्रु मुख्यमार्ग से ही प्रवेश पा सकता है । मारने का आश्चर्यजनक संपूर्ण महल वायु में स्थिर, फॅमिली का आश्चर्यजनक हूँ । निश्चित आश्चर्यजनक परन्तु ये किस प्रकार संभव है? इतना बडा दो कोस की परिधि से अधिक का बहन, वो भी वायु में स्थित ऐसा कैसे संभव है? प्रमुख ने कहा, प्रभु जब इस महल का निर्माण प्रारंभ हुआ था तब इस महल के केंद्र में एक अत्यंत कठोर मजबूत स्तंभ इसका फिर किया गया था, जो भूमि के अंदर एक सौ हाथ नीचे भूमि से महल के तल तक एक सौ हाथ था । उसके कुल लंबाई सवा छह सौ हाथ के लगभग थी । इसका निर्माण जो रोधम तत्व वल्लभ तत्व को एक विशेष अनुपात में एक विशेष तापमान पर रखने से हुआ था, इसको उसी स्थान पर निर्मित किया गया था क्योंकि इतना विशालकाय स्तंभ बनाने के उपरांत स्थानांतरित करना असंभव होगा । उसी स्थान पर इसको स्थापित कर दिया गया । अब महल की सत्ता पर विशेष पदार्थों को लगाया ये पदार्थ चुंबक एक उन्हों से प्रभावित होने वाले थे । संपूर्ण महल की सत्रह को सामान क्षेत्रफल में बता दिया गया था जिससे इसका द्रव्यमान केंद्र उसी स्थान पर था जहाँ से अस्तम इस सत्ता को छोडकर ऊपर की ओर जा रहा था । तब था हाँ ऍम तो सभी ने देखा था परंतु वह स्तंभ इस प्रकार से निर्मित है ये तो कल पता भी नहीं थी प्रभु ने का परन्तु वो महल हवा में कैसे इस फिर हो गया प्रमुख ने कहा, प्रभु आपने संभावना ध्यान दिया होगा कि उस विशालकाय स्तंभ के सबसे ऊपर एक विशाल अर्धगोलाकार स्थापित था था, स्थापित था और उसका आकार अत्यंत विशाल था । प्रमुख सेनेका वो विशाल अर्धगोलाकार ऍम वक्त तक के गुणों से परिपूर्ण था । उसमें अत्यंत लघु आकार के तो चुंबकीय कडों को स्थापित किया गया था । जब सूर्य पर प्रकाश उस पर गिरता था तो उनका चुंबकीय लक्षण अत्यंत प्रभावशाली तरीके से उत्तेजित हो जाता था । अब जो अच्छा था पर चुंबकत्व गुणों से परिपूर्ण करना थे, वो उससे आकर्षित होने लगते थे जिससे पूरा का पूरा महल सामान्य रूप से भूमि से ऊपर उठ जाता और उठकर वह चार सौ हार ऊपर आ जाता है । दंड था वह प्रमुख बात ये तो मैं स्वतंत्र में भी नहीं सोच सकता था परन्तु एक विचार मन में उथल पुथल मचा रहा है । जब आकर्षण इतना तिव्रता तो पूरा महल उस अर्धगोले आपसे सौहार्द दूर क्यों रखा गया? पिछले तो उस आधा गोलप से चिपक जाना चाहिए ना? साथ ही यह भी अत्यंत आश्चर्यजनक है कि इतना विशाल महल पूरा सवामी इतनी चुंबकत्व शक्ति किस प्रकार संभव है । प्रमुख जी ने कहा दंडधारी जी आपको ये जानकर विस्मय होगा कि पृथ्वी पर पृथ्वी कपडों के कारण जो गुरुत्वाकर्षण बल है उससे बहुत बडा आकर्षण पृथ्वी लोग के बाहर बहुत से ग्रह वार नक्षत्र ऐसे हैं जिनमें पाया जाता है । बहुत से ग्राहक वार नक्षत्र इस प्रकार की आकर्षण क्षमता रखते हैं जिनकी आकर्षण क्षमता पृथ्वी की आकर्षण क्षमता सही, हजारों लाखों गुना ज्यादा है । उन्हें कणों से निर्मित योग बहल की सत्ता है । प्रभु और उन्हीं करों का प्रयोग विशाल अस्तम बताने में किया गया है । अब जब आकर्षण से महल ऊपर उठने लगा तो उसके बीच में एकलौता अवरोध लगा दिया गया जिससे महल और ऊपर ना जा सके । इस प्रकार बहल पूर्ण रूप से वायु में स्थिर हो गया । दंड प्रमुख जी किस प्रकार के कहाँ कहाँ से आए और आप उनको कैसे लाएगा इसकी तो कभी हम लोगों को जानकारी थी ही नहीं । प्रमुख जीने का कहाँ से आए और कैसे आए इसे अभी गोपनीय ही रहने दे । समय आने पर इसको प्रियता से पर्दा हट जाएगा । इस प्रकार अब आप सभी समझ गए होंगे कि शत्रु मुख्यद्वार से ही आया होगा । ये था प्रथम सुरक्षा कवच । अब्दुल के सुरक्षा कवच के बारे में आप सभी को अवगत कराता हूँ । द्वितीय सुरक्षा व्यवस्था तीस सेना सभी के मुख से निकला । चींटी सेना प्रमुख जीने का था । आप सभी ने सही सुना । चीन सेना मैंने तो कभी नहीं देखी । भुज अंदेश्वर ने कहा आप देखने की बात कर रहे हैं, पहले तो कभी सुनी तक नहीं । प्रभु ने कहा मैंने भी कभी नहीं देखी और ना ही सुनी । जब की मैं तो यहाँ वर्षों तक रहा । किस प्रकार की सेना है जो ना कभी देखी गई और ना ही सुनी गई । अत्यंत आश्चर्य के वो हमारी वह हमारे महल की सुरक्षा भी कर रही थी । किस प्रकार संभव है ये प्रभु आपकी अनुकंपा । वहाँ आशीर्वाद से ही सब संभव हुआ है । ये चींटियां इतनी अधिक संख्या में थीं कि इन से बचना किसी प्राणी के लिए संभावना था । अपना इनकी व्यूह रचना बताता हूँ । पूरे महल के चारों तरफ लगभग वृत्ताकार आकार में एक बेलनाकार मार्ग की व्यवस्था थी । बेलनाकार मार्गपर चीटियां दिन रात घूमती रहती थी । कोई भी चीज इधर से निकला कि पलभर में वो लाखो, करोडो, छुट्टियाँ उसपर आच्छादित और वह जीव कहाँ चला गया, पता नहीं डंडधार ने का परन्तु में कभी महल में तो नहीं घुस सिंह उनको महल में तो घोषणा चाहिए था । कुछ संदेश था निश्चित रूप से महल में प्रवेश कर जाना चाहिए था । चीज तो ऐसा जीव है कि उस को कहीं भी आने जाने से कोई रोक नहीं सकता । वो तो हर स्थान पर भूमि के नीचे या ऊपर जा सकती है । प्रमुख जी ने कहा इस की पूर्ण व्यवस्था की गई थी कि वे कदापि महल में प्रवेश न कर सके भी कुछ वृत्ताकार मार्ग पर जो बेलनाकार पद बना हुआ है के अन्दर की तरफ एक चल नहीं थी जिसके अवशेष कभी दिखाई पड जाएंगे । अब तो सब छिन्न भिन्न हो चुका है । मात्र खंड रही बच्चे हैं वो है जिसमें सादा सादा नहीं राजनाति का चलता रहता रहता था । जल के कारण वे कभी में महल में प्रवेश नहीं कर सकती थी । मारने का हाँ वो चल नहीं तो देखती थी जो महल के चारों ओर रहती थी । सम्भवता उसी चल का प्रयोग महल में भी किया जाता था । प्रमुख लेने का जीमा आप अक्सर आशा सत्य कह रही हैं । भुजंगेशाय भरने कहा बहुत ही अच्छी सुरक्षा व्यवस्था दी दंड आधार ने कहा बहुत ही अच्छी, निसंदेह परन्तु भारी दोष मुझे नजर आता है । यदि महल निर्माण के काल पर मैं होता तो इस चीज थी सेना की व्यवस्था पर निश्चित विरोध करता हूँ । प्रमुख मैंने मुस्कुराते । आपने कहा इतना उत्तेजित होने की आवश्यकता नहीं है । दंड थी क्यों? विरोध करते तो बताई थी डंडाधारी शमा करें मेरा तो वो नहीं है जो आप समझ रहे हैं । परन्तु विरोध के पीछे कारण है क्या नींद आती में चल समाप्त नहीं हो सकता है । ऐसी कौन सी बस को या जीव या प्रकृति की धार वहाँ रहे जो सनातन सभी जीवित वन्यजीव वस्तु या व्यक्ति का जीवनकाल निश्चित है? ये बात आपकी सत्य है कि नदी का जीवनकाल हजारों लाखों वर्ष होता है परन्तु क्या ये संभव नहीं कि वे वर्षा आप समाप्त होने वाले हूँ । प्रमुख जी ने कहा निश्चित हो सकते हैं ये तो कोई भी नहीं जानता कि नदी का जीवनकाल कब समाप्त होने वाला है परन्तु फिर भी जल प्रवाह को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है की इतनी शीघ्रता सही ये नहीं होने वाला है । डंडधार जीने का मात्र अनुमान से आपने तब्बू और वहाँ का जीवन दांव पर लगा दिया । प्रभु बीच में बहुत दंडधारी, नदिया और पहाड जैसी प्रकृति प्रदत्त वस्तुएं जो हमारे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन का आधार इतनी शिक्षा ता से समाप्त नहीं होते । सम्भवता प्रभु ने प्रमुख जी के पक्ष में पूछने का प्रयास किया और ये भी ध्यान रखा के दंड आधार को भी पूरा नहीं लगी । जब कोई व्यक्ति बहुत मनोयोग से कार्य करता है तब उसे भूल भी हो सकती है । भूल व अपराध दो भिन्न मना स्थिति उत्पन्न समान कार्य हो सकते हैं परंतु संपूर्ण चर्चा कार्य के परिणाम पर नहीं होनी चाहिए बल्कि होनी चाहिए मला स्थिति पर अच्छा कार्य के परिणाम से अधिक महत्वपूर्ण है कार्य करने की मन स्थिति । प्रभु जानते थे कि यहाँ तो नहीं कार्य विपरीत हुआ है और नहीं मनाई स्थिति भी पढ रही थी । प्रमुख जी को भी कुछ कहना पडा तैयार अनुचित है । जाती नदी चलते हो जाती हैं तो संभावना स्थिति भयावह हो सकती थी । दंड था हूँ मेरा मत प्रमुख जी का विरोध करना नहीं है । मैं अपनी शैली के लिए क्षमा चाहता प्रमुख सीने का नहीं नहीं डंडधार ही नहीं । अरे इसमें क्षमा की कोई बात नहीं । आप तो सुरक्षा व्यवस्था की चर्चा कर रहे हैं या तंत्र ही महत्वपूर्ण चर्चा है । परन्तु मैं इसके पहले प्रमुख ही अपनी वार्ता फोन करते दंडधारी जीने का मैं आप सभी की बातों से सहमत पर्वत हूँ वरना थियों का जीवनकाल बहुत ही देखा कालिख होता है । परन्तु क्या ये संभव नहीं है की नदिया अपना मार्ग ही बदलने, मेरे विचार से नदियों का मार्ग बदलना तो आपने अवश्य ही सुना । कुछ नहीं दिया तो आपने मुख्यमार्गों को छोडकर कई कई को स्टोर स्थांतरित हो जाती हैं । इस पर आपकी क्या राय है? यदि ऐसा हो जाता तो नदी का जलस्तर उसमें हर में नहीं आ पाता । और फिर आप भी समझ सकते हैं कि आपने अपनी सुरक्षा प्रणाली में कितनी बडी खामी करती हूँ । ये वार्ता लाभ सुनकर सभागार में बैठे सभी पूरा तैयार शांत हो गए क्योंकि उस संभावना को नकारा नहीं जा सकता था बल्कि कुछ लोगों को तो ऐसा लगने लगा था कि यदि ऐसा कभी संभव हुआ तो यह अत्यंत आश्चर्य का विषय कुछ तो ये विचार कर रहे थे कि सम्भवता इसलिए ऐसा नहीं हुआ हूँ कि महाराष्ट्र स्वयं ही योग वाॅ स्कूलों से परिपूर्ण है । हर व्यक्ति बल्कि हर जी आज सूरी वाॅक उन्हों से परिमपोरा है । सभी में दोनों ही प्रकार के दोनों का सामंजस्य होता है । पूर्ण ऍम का किसी जीवन में होना असंभव है । जब कोई जीव अपनी माँ, अपनी सहभागिनी, अपनी संतान अथवा अपने सहयोगियों के साथ प्रेम, करुणा वह दया के भाव को प्रदर्शित करता है तब उस काल में उसके हिरदय में तबियत उन की अधिकता होती है । परन्तु जब वो अपने प्रतिद्वंदियों या शत्रुओं के साथ क्रोध व प्रतिशोध की भावना सही वो चपरोत होता है तब उसके मन में छोटा था, दोनों का मुक्त हो जाता है । ऐसा तो कोई चीज संभावना नहीं होता है जिसने ये को ना अलग अलग काल में आते बचाते ना अच्छा, हर चीज मसूरी वक्त भी गुणों से अर्पित । अब ध्यान से अवलोकन करने पर पता चलता है कि हर जीत में एक ही को ना की अधिकता होती है । वो अधिकता ही उसके जीवन को मुख्य तब प्रभावित करती है ये कोना उसे अपने प्रारब्ध से प्राप्त होते हैं । अब चुकी महाराज ऍम से परिपूर्ण है । अतः इस कारण से ही नदी उनके अ स्थान के समीप से नव स्थापित हो पाई हूँ । ऐसा भी माना जा सकता है । इतने वार्तालाप सुनने के बाद प्रमुख सी अपने आसन सिंह थे और बहुत विनम्र भाव से पहले हूँ । इस संसार में कौन है, कौन ऐसा है जिससे गलती नहीं हो सकती परन्तु गलती करने की भावना तो देखना ही चाहिए । कई बार आप अपनी तरफ से उत्तम कार्य करने का पूरा प्रयास करते हैं परन्तु आप द्वारा किया गया कार्य गलत हो जाता है और ऐसा भी होता है कि आपने आपने गलत मानसिकता के कारण कार्य गलत किया हूँ । दोनों ही परिस्थितियों में कार्य तो गलत ही हो गया परंतु प्रथम स्थिति शाम में है और द्वितीय अक्षम्य प्रभु बीच में ही बोलते हुए प्रमुख जी आप जो कह रहे हैं वह सर्वथा सकते हैं और आपको सदैव हम में ही हैं । आपके अत्यंत उन्नत आविष्कारों, वहाँ उनके विश्लेषणों के कारण ही दोनों कुमार जीवित हैं । आपको कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं है । अब हमें पुराने शत्रु के विषय में विचार करना चाहिए । प्रमुख मैंने कहा क्षमा हूँ आपने महल की सुरक्षा हाँ उस के विषय में जानकारी मांगी थी परन्तु हमारी अभी पूरी बात समाप्त नहीं है । अच्छा मुझे पूरा जानकारी देने थे । इसके मुझे आज क्या थे? महाराज ने अत्यधिक बुद्धिमानीपूर्वक ये निर्णय लिया था क्योंकि जब वो हुआ ही नहीं तो उस पर चर्चा के विषय का औचित्य किया था परंतु में प्रमुख ही की विनम्रता के आगे कुछ नहीं कह सकें भूलेगा । जैसा आप उचित समझे प्रमुख कि आपने मस्ट को नीचे झुकाते मिल गए धन्यवाद हूँ । अभी हमारी सुरक्षा प्रणाली का पूर्ण विवरण समाप्त नहीं हुआ है । आप सभी ने इस बात को ध्यान दिया होगा कि योग महल में रात्रि दिवस बिना अवकाश हवन वाॅर रूप से सतत चलता रहता था । उसकी व्यवस्था मैंने अपने ऊपर ले रखी थी । अपनी समस्त व्यवस्थाओं में मैंने सदैव इस व्यवस्था को प्राथमिकता दी । दण्डक हार चीज प्रमुख मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ । आप मुझसे उम्र में अनुभव इस रिश्ते हैं । मैं अपना कथन मिथ्या मान लेता हूँ । प्रमुख जीने का दंड थे । आप हमारे पुत्र सामान है और मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हमारे साथ अत्यंत सजक वह बुद्धिमान लोग हैं । परन्तु मेरी बात ध्यान से सुने और क्षमा का प्रश्न ही नहीं होता क्योंकि आपने कोई अपराध किया ही नहीं ।
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