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रिफ्यूजी कैंप - Part 34 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
‘रिफ्यूजी कैंप’ भारत के लोगों की एक अद्भुत यात्रा है, जो अपनी तकलीफों के अंत के लिए चमत्कार की राह देखते हैं, पर यह नहीं समझ पाते कि वे खुद ही वो चमत्कार हैं। जब तक लोग खुद नहीं जगेंगे, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। मुझे पता है, उम्मीद की इस कहानी को लिखने की प्रेणा लेखक को उनकी बेटी से मिली है, जो यह जानना चाहती थी कि क्या वह अपने पुरखों की धरती कश्मीर की घाटी में लौट पाएगी? writer: आशीष कौल Voiceover Artist : ASHUTOSH Author : Ashish Kaul
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मिश्रा ने झट से कहा वहीं तो आप आगे आगे चलिए, हम मानवता के नाते आपके साथ चल पडेंगे । मिश्रा की बात शंकर अभिमन्यु का जवाब देने का मन हुआ और उसने जवाब दे भी दिया । उसने पूछा मानवता कौन से माना था जो पूरे कश्मीरी खत्म कर दिए जा रहे थे तब कहाँ की ये माना था । उन्नीस जनवरी को कहा कि ये मानव था । पिछले छह महीने से कहा कि ये माना था पिछले दस साल से कहा कि ये माना था जब कश्मीर चलना शुरू हुआ था तब दस साल भी छोटा समय उन्नीस सौ छियालीस में कहाँ कि मानवता जब पीओके से पंडितों को बताया गया था । पीओके से आए पंडितों का एक संगठन है जिसका नाम जम्मू कश्मीर पीओके शरणार्थी मोर्चा हूँ जो पिछले तीस चालीस साल से अपने अधिकारों के लिए लड रहा है । आज तक पूरे हिंदुस्तान से एक भी आवाज कश्मीरी पंडित के लिए होती है । रहने दीजिए आप लोग, आप हम कश्मीरियों को समझ नहीं पा रहे हैं तुम्हारी मानवता से तो पुलिस की हैवानियत ज्यादा चलते हैं । फिर भी मिश्रा बेशर्मों की तरह अभिमन्यु से कहने लगा आप अभी गुस्से में इसलिए आप समझ नहीं पा रहे हैं । अब तो हद हो गई थी । अभिमन्यु ने दोनों से कहा मैं खुद को माफ करता हूँ कि मुझे चालीस वर्षों बाद गुस्साया और मैं तुम लोगों को माफ करता हूँ की तुम लोग अभी भी शांत हूँ । तुम लोगों को अभी भी गुस्सा नहीं आया । अब हमें जाने दीजिए । जवाब सुनने अभिमन्यु रुका भी नहीं और बस में जाकर बैठ गया । अवैध प्रताप, आरती और रोशनी अभिमन्यु पर बडा ही गर्व महसूस कर रहे थे । मंत्री ने दूर से ही कहा हम कार्यवाही करेंगे तो मत कहना कि हमने आगा नहीं किया था । अभिमन्यु विरोधी पक्ष का नेता भी बोला था । अरे कैसे कार्यवाही करते हो देखते हैं हम इस बात पर पूरी सरकार नहीं गिरा दी तो देख लेना । मुख्यमंत्री और विरोधी में तू तू मैं मैं शुरू हूँ । दोनों पक्षों के कार्यकर्ता आपस में भिड गए । वहाँ की गर्मागर्मी देखकर मंत्री जी और नेताजी अपनी गाडियों में बैठकर निकल गया । जब कार्यकर्ताओं का एक दूसरे से लडने का जोश खत्म हुआ तब उन्होंने एक दूसरे से पूछा कि हम लडके इस बात कर रहे थे । उनके पास उसका जवाब नहीं था और अभिमानियों का कार्यवाही अब काफी फासला तय कर चुका था । जम्मू से दूर और कश्मीर से इतने नजदीक की । अब वह आतंकियों के रडार पर आ चुके थे । दक्षिण कश्मीर अब तक आतंकियों का गढ बन चुका था । कश्मीर में इन चार छह महीनों में काफी कुछ बदल गया है । बस में बैठे बैठे माजिद अभिमन्यु को बता रहा था । कह रहा था कि अनंतनाग अब अनंतराज नहीं रहा । उन्होंने उसे इस्लामाबाद नाम दिया हुआ है । शंकराचार्य की पहाडी को को ही सुलेमान कहते हैं । अभिमन्यु समझ गया कि हिन्दुओं का इतिहास पूरी तरह से मिटाकर वो लोग एक नया कश्मीर पैदा करना चाहते हैं और अपने को उस की परवाह नहीं । उसने कश्मीरियत पर पूरा विश्वास कर लिया था और उसे गांधी जी के निश्चिम प्रेम के फार्मूले पर विश्वास रखने की भी इच्छा कश्मीर में इतनी शांति प्रस्थापित होगी कि कश्मीर की पुरानी सभ्यता फिर लौटाएगी । पर इस वक्त दक्षिणी कश्मीर स्थित किसी आतंकी कैंप में एक मास्टर मैन दाखिल होगा । जहाँ कुछ घंटे पहले ही गलती से बम फट गया, उसके आने से सब खडे हो हो ना हो तो वो माॅब का सरगना आतंकी कैंप में दाखिल होते ही सुबह आवत को वहां देखकर मास्क । मैंने आधिकारिक स्वर में तुरंत पूछा सुखा वट तो मैं तो दो एक पर फायरिंग ऍम इस वक्त तो तुम यहाँ क्या कर रहा हूँ? सुख आवत ने डरते डरते जवाब दिया जी वो गलती से बम फट गया था । दो तीन की मौत हो गई । बाकी जख्मी हो गए । बस के इलाज में हूँ मास्क । मैंने पूछा जख्मियों को गोली मार दिया ना सुख आवत ने आश्चर्य से कहा । नहीं उन्हें तो अस्पताल ले गया । बेवकूफ ऍन उस पर चिल्लाया जहाँ उन सब को खत्म कर दो, लेकिन कमांडर हो तो जिंदा है अभी सुख आवत ने डरते डरते का मास्टर उस पर फिर चलाया । टूटे हुए बाजों से जिहाद नहीं होती । उनके इलाज में जितना पैसा जाएगा उतने में तो एक नया जिहादी पैदा किया जाएगा । अब अपने ही लोगों को मारने का हुक्म दे रहे हैं । कमांडर सुख आवत ने छुप न रहकर पूछा । कमांडर ने सब में जोश भरते हुए कहा हम जिहादी हैं, हमारा काम जान रहे हैं । जिस बातों को अपने आप से दूर रखो, वहाँ खडे बाकी मास्ट मैन में से कमांडर की बात से असंतुष्ट मास कमेंट भी था । कमांडर ने एक फोटो टेबल पर रखते हुए कहा अपना ध्यान जिस बात से हटाकर जरा जिहाद पर लगा हुआ है । ये देखो । अभिमन्यु कौन? अब प्रताप कॉल का बेटा हमारे कश्मीर के प्लान को डुबोने आ रहा है । ऍन बी ने फोटो को देखा और उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और मुस्कुराते हुए उसने कहा आने तो दो से कश्मीर में अभिमानियों का काफिला कश्मीर की बॉर्डर तक आते आते हैं । सूरज ढल चुका था । ड्राइवर काफी संभालकर गाडी चला रहा हूँ । कश्मीर अब सब के लिए कुछ ही किलोमीटर पर सब ये सोचने में लगे थे कि उनका स्वागत कैसे होगा । उनके घर किन स्थितियों में होंगे । सब अपने ख्यालों में थे की पहली गाडी अचानक से रुक गई हूँ । उसके पीछे पीछे सारी गाडियाँ होती चली । सब अपने ख्यालों में थे की पहली गाडी अचानक से रुक गई । उसके पीछे पीछे सारी गाडियाँ रुकती चली गई । ड्राइवर ने गाडी रोक दी है । ये देखकर अभिमन्यु ड्राइवर के पास जाकर पूछने लगा की गाडी की और होती है । ड्राइवर के चेहरे का रंग जुडा हुआ था । उसने अभिमन्यु को सामने देखने के लिए कहा । अभिमन्यु ने सामने का दृश्य देखा । कश्मीर के बॉर्डर पर ही आतंकियों ने बडे बडे बोर्ड लगा रखे थे जिस पर लिखा था इंडियन डॉॅ कश्मीर हमारा है लेकर रहेंगे आजादी ड्राइवर थोडा डरा हुआ था । अभिमन्यु ने उसके चेहरे का डर देख लिया था । इतनी दूर आकर अभिमन्यु हार नहीं सकता था । अभिमन्यु अंधेरे में ही गाडी से उतरा । उसके पीछे अभय प्रताप, आरती और रोशनी भी उतरे । अभिमन्यु ने आरती और रोशनी को बस में बैठने के लिए कहा और दोनों नहीं मानी । अभय प्रताप सावधान हैं । आरती सिर्फ अपने बेटे को देख रही थी की कुछ भी हो सकता है । वो सोच रही थी कि अगर कुछ होना है तो पहले मुझे हो । मेरा बेटा सही सलामत रहेगा । रोशनी ने अपने आप को तैयार किया था कि कुछ भी हो जाए पर अब कमजोर नहीं पडता है । बनना है तो अभिमन्यु की ताकत बनना है । अभिमन्यु ने एक बार अपने माँ बाप को देखा । वो जिस तरह से उसके पीछे खडे थे उसे हिम्मत मिली । बिना डरे जाकर उसने पहला बोर्ड उखाड उसे बहुत खुशी महसूस हुआ । उसने अंदाजा लगा लिया कि कहीं पर कोई हरकत नहीं । उसने दूसरा बोरखड फिर भी कहीं से कोई आवाज नहीं । गाडी के रुकने से अन्दर दहशत में बैठे लोग समझने की कोशिश कर रहे थे कि बाहर हो क्या रहा है । अभिमानियों ने तीसरा बोर्ड उखाडा नहीं उस पर लिखा था कश्मीर हमारा है । बोर्ड को उसने बार बार पढा कि कश्मीर हमारा है । हर बार उसे खुशी महसूस हो रही है । हो ची लाना चाह रहा था कि कश्मीर हमारा है पर उतने में एक जीप तेज रफ्तार से आकर उसके पास हूँ । अंधेरे में उनके चेहरे देख नहीं रहे थे । जी की लाइट अभिमन्यु की आंखों में पडेगी । आखिर चौंधियां नहीं गाडी में कौन बैठा है । ये अभिमन्यु देख नहीं पा रहा था । अभिमन्यु बाहर अकेला था और जिस तरह से जी उसके पास रुकी थी उस कारण कितनी देर अन्दर दहशत में बैठे लोगों में अचानक से शक्ति आ गई और वह हर हर महादेव का उद्घोष करते हुए बस से उतरकर अभिमानियों की तरफ तेजी से बढने लगे । उस मंत्र में ही इतनी जानती की डर कहीं का कहीं गायब हो गया । अचानक से उन हर हर महादेव की आवाजों में जोर शोरों से वाहेगुरु का खालसा वाहेगुरु की पाते की आवाजें मिक्स होगी । सिक्कों का एक पूरा का पूरा जत्था अपने हथियारों के साथ जीप की तरफ बढने लगा । वो लोग अभिमानियों की सुरक्षा के लिए ही इन बसों में सफर कर रहे थे । जीप में बैठे लोगों को ऐसा कुछ होगा इसकी जरा भी उम्मीद नहीं थी । जो जीप लेकर डराने आए थे वो लोग अपनी तरफ आती हुई उस भीड को देखकर फटाफट जीप से उतरकर अभिमन्यु की तरफ दौड पडे और अभिमन्यु को पुकारते हुए जीप की लाइट में आकर खडे हो । सिक्कों का पूरा जब था उन लोगों पर टूट पडने वाला था कि अभिमन्यु जोर से चिल्लाया हूँ ये अपने लोग हैं । अभिमन्यु को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था । उसे समझ में नहीं आ रहा था कि हाँ यार वो वो वैसा का वैसा खडा ही रहा हूँ । उजाले में उनके चेहरे साफ नजर आएंगे । अभिमन्यु अपने सामने हरजोध सम्राट विनोद और जसप्रीत को देख रहा हूँ । हरजोध ने आगे बढकर अभिमन्यु को कसकर गले लगाते हैं । अभिमानियों की रक्षा में बस से उतरे सारे लोग । अभिमानियों के लिए मारने मरने वाले सिख लोग इन सब लोगों को देखकर हरजोध उत्तेजित होकर बोल पडा, बहुत बडा आदमी बन गया है तो यार कैसे क्या है सब दिल जीत लिया तो उन्हें आज ये कहकर हरजोध फिर एक बार कसकर अभिमन्यु की गले लगा तुम यहाँ कैसे? अभिमन्यु ने पूछा तेरह शुक्रियादा करने पहुंचा था तेरह शुक्रिया करने कहीं भी पहुंच सकता हूँ या रहा हूँ ये जिंदगी तेरी दी हुई है ये कहते हुए हरजोध फिर एक बार अभिमन्यु की गले लगा । पीछे खडे सम्राट और विनोद अपने दोस्त को देख रहे थे । अभिमन्यु ने उन्हें देख कर रहा हूँ । यहाँ के गले लगने के लिए इतना सोचना पडता है क्या? भाई हाँ यार, अब तो सच में सोचना पडेगा । बहुत आगे निकल गया यार सम्राट ने अपना आदर जता दिया । उस की ये बात सुनकर अभिमन्यु को एक पल के लिए वो दिन याद आया जब बॉर्डर ने कहा था कि बरामदे में सो जाओ और सम्राट अभिमन्यु को अपने घर ले गया था । अभिमन्यु खुद बढकर सम्राट के पास किया और सम्राट के गले लगा और गदगद आवाज में कहा ये कहकर फिर एक बार बेघर मत कर यार हूँ । ये सुनते ही सम्राट ने कसकर अभिमन्यु को अपनी बाहों में जकड गया । अभिमन्यु ने विनोद का हाथ पकडकर उसे भी इस मेलन में शामिल किया और वह दूरी पर खडी जसप्रीत को देखता रहा । ना उसने उसे इसमें शामिल किया और न ही खुद होकर उसका अभिवादन किया । बस उसे दूर से ही देखता रहा । कुछ पल के लिए सब हम सा गया था । रोशनी की नजर से वो बात छिपी नहीं रही क्योंकि वो देख रही थी कि जसप्रीत ने एक बाल के लिए भी अभिमन्यु से अपनी नजरें हटाई नहीं । उसकी आंखों ने अभिमन्यु और जिस पीठ के प्यार की सारी दास्तान अपने आप रोशनी को बयान, रोशनी, मूवी और शांति से बस में जाकर बैठ गई, खामोशी को तोडने । अभिमन्यु ने हरजोध से पूछा तो तुम सब लोग यहाँ कैसे कैसे मतलब? हरजोत सम्राट विनोद और जसप्रीत अभिमन्यु को आश्चर्य से देखते रहेंगे । फिर जसप्रीत ने कहा क्या सचमुच में कुछ खबर नहीं? अभिमन्यु को समझ में नहीं आ रहा था कि वाह क्या बात कर रहे हैं । क्या खबर नहीं मुझे । अभिमन्यु ने पूछा हूँ तो सम्राट ने कहा सम्राट ने जीत में से जाकर अभिमन्यु की छत पे होस्टल्स निकालेंगे । उसमें कश्मीर के पेट्रोल पर अभिमन्यु की एक बडी सी फोटो एक नायक की तरह छपी थी । उसके हाथ में शांति का प्रतीक सफेद रंग का परचम था और फोटो के नीचे एक शांति मंत्री लिखा था । होम सहना भवतु सहनौ भुनक्तु सह मीडियम करवा रहे तेजस्विनावधीतमस्तु माँ विदुषा वही ओम शांति शांति शांति जिसका अर्थ था हे प्रभु, आप हम दोनों गुरु और शिष्य की रक्षा करें । हम दोनों का पोषण करेंगे । हम दोनों को शक्ति प्रदान करें । हमारा ज्ञान तेज मई हो और हम किसी से द्वेष न करें, उसके नीचे सारे हिंदुस्तानियों को आह्वान किया था कोई अपने घर लौटने के प्रयास में है । उसे उसके घर तक पहुंचाने का थोडा सा जिम्मा हमारा भी है । इस नवयुवक के हौसले को बढाने के लिए कल सुबह नौ बजे आप सभी लोग अपने घरों से निकलकर कश्मीर की दिशा में केवल दस कदम चलिए और दिखा दीजिए हिंदुस्तान की सरकार को । आप सब उसके साथ चल पडे हैं उसके हक के लिए शांति के लिए आप सब भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं । इस आह्वान के नीचे बडे ही गौरव से हस्ताक्षर थे बलदेव पार्टी बलदेव भाटिया नाम पढकर अभिमन्यु को बहुत खुशी उसने पोस्टर अभयप्रताप के हाथ में नहीं अभयप्रताप जो शायद ही कभी रहे थे । ये पोस्टर देखकर उनकी आंखों से जैसे खुशी के आंसू निकले थे । बलदेव भाटिया को अपनी भूल समझ आएगी और तुरंत ही उसने सुधार भी ली थी । आज अभिमन्यु के साथ उसके माता पिता, गुरु और बंद हूँ सब के सब खडे थे । इसका सीधा मतलब था धर्म । उसके पक्ष में तो भगवान को उसकी सहायता करना अनिवार्य जो भगवान कर भी रहे । जसप्रीत ने आप को बताया कि आज दिन भर में पूरे हिंदुस्तान के फोन काॅल्स बजते रहे तो पूरे हिंदुस्तान के हीरो बन चुके हूँ । लोगों ने तुम्हें हाथों हाथ उठा लिया है । रेडियो में बार बार लोगों को अपनी जगह से ही दस कदम चलने के लिए कहा जा रहा है ताकि कोई आपत्ति की स्थिति ना पैदा हूँ । इसके बावजूद हजारों लोग कश्मीर की तरफ रुख कर रहे हैं जिन्हें सरकार ने जम्मू में ही रोक दिया है । हम जैसे तैसे हजार विन तियां करके आए हैं । पापा को फोन करना पडा जम्मू में जिन गाडियों में तुम्हारे हो ये जम्मू के किसी एडिटर की अपील पर तुम्हारे साथ चल पडी । दिन भर में उसने पूरे हिंदुस्तान में ये खबर फैला दी है । जसप्रीत बहुत खुश होकर ये बात बता रही थी । अभिमन्यु को सब पर बडा फख्र महसूस हो रहा था । हर कोई अपना काम सही ढंग से कर रहा था । जो सच है वो दुनिया तक पहुंचाने का जिम्मा मीडिया ने उठा लिया था । अभिमन्यु को खुद इस बात का अंदाजा नहीं था कि इतना सब कुछ हो रहा है । सम्राट ने कहा हम लोग मुझे ये कहने आए हैं कि कल नौ बजे यहाँ से चलोगे तो पूरा देश तेरे साथ होगा । आज की रात हमें यहाँ काटती हूँ । अभी प्रताप ने आगे बढ जाएगा लोगों की सुरक्षा के लिए ये बात सही भी है । अभी मैं हूँ बाकी तुम्हारी मर्जी । हम आज रात यहां अगर जनमानस का साथ में मिल रहा है तो ये हम पर कृपा ही हुई है । अभिमन्यु ने बुजुर्गों की सलाह को भी मानना सीख लिया था । अभिमन्यु को सब एक सपना सा लग रहा है । आरती अपने बेटे को देखती ही रहेगी । मन में ही उसकी बार बार नजर उतारो । उन्हें लग रहा था अब मौत भी आए तो कोई फर्क नहीं पडता । अभिमन्यु ने उन्हें वैसे देखा । अभी मैंने अपनी माँ की तरफ बढा और उसने सबसे उनका परिचय कर रहा हूँ । ये मेरी माँ है और ये पापा सब ने उन दोनों को नमस्ते । अभय प्रताप से मिलकर तो सब बेहद खुश हूँ । अभिमानियों के ध्यान में आया कि रोशनी कहीं दिख नहीं रही । उसने रोशनी को आवाज की पर बस से रोशनी की । माने अभिमन्यु से कहा कि वो हो गई है थक गए नहीं । अभिमन्यु को कुछ अटपटा लगा । रोशनी ने उससे कुछ कहा भी नहीं पर वो समझ गया कि हर कदम पर उसके साथ चलने वाली रोशनी में फिर एक बार मेरे लिए अपना एक कदम पीछे कर लिया है । उसने जसप्रीत के लिए वो जगह खाली कर दिया । फिर क्या पर ये सारी बातें सोचने का ये वक्त नहीं था । अभी पूरी रात बाकी और कुछ भी हो सकता था । जसप्रीत तुम भी माँ के साथ अंदर बस में बैठा हूँ और पापा आप भी थोडा आराम कर लो । हम सब यहाँ बाहर पहरा देते हैं । अभिमन्यु ने कहा जैसे ही उसने ये कहा तुरंत गाडियों में बैठे सारे नौजवान नीचे होते हैं और तो बच्चों और बूढे लोगों को गाडी में ही बैठने के लिए कहा गया । हर नौजवान ने अपनी पोजिशन संभाल नहीं सबका शास्त्र था उनका अपना समीर जो अब सिर्फ शांति ही चाहता हूँ और उसके लिए अपनी जान भी देने के लिए तैयार था । सिख लोग अपनी तलवारें लेकर आए थे और अभिमन्यु ने सोचा कि आतंकियों की राइफलों के सामने तलवारें क्या कर सकते हैं और दूसरे शिक्षण ख्याल आया कि अब वह कश्मीर की बॉर्डर पर हैं । अपने वतन यहाँ मौत आए तो वह दस गुना बेहतर साबित हो पर फिर भी कहीं ना कहीं उसे बस में बैठे लोगों की जान की परवाह नहीं और उसने थान लिया था कि उसके पास राइफल न सही और वो लडते लडते मारेगा । मासूमों की जान बचाने के लिए चाहे तो बाजू में पढाई पत्थर ही उठाकर फेंक मारेगा पर मारे गाजर ताकि दुश्मन के लिए सब कुछ आसान ना हो । एक और जलियाँवाला बाग हत्याकांड उसे मंजूर वो कोई गांधी नहीं मरने वाला । भले ही मुसलमान हो या हिन्दू । अगर अन्याय उस पार हो रहा है तो मैं लड्डू मैं शांति के लिए लेते हैं । अभिमन्यु का विचार पक्का बसों के अंदर और बसों के बाहर किसी की आंखों में नींद नहीं । अगर पूरे हिंदुस्तान में खबर फैली है तो कश्मीर में भी फैली हूँ । आतंकियों को भी मालूम होगा कि हम आ रहे हैं ना चाहते हुए भी डर नहीं दस तक थी । ऊपर से बाहर घना अंधेरा छाया हुआ । उन्नीस जनवरी को भी मौत इन सब का पीछा कर रही थी और आज नहीं । सबको इंतजार था की अब आखिरकार जो होना है हो जाएगी । अभिमन्यु का सबसे बडा डर था कि कहीं से भारतीय फौज अपने सरकार के आदेश पर हमें ही न पकडकर ले जाएगा । कहीं ऐसे हुआ तो हम सब तो हम सप्ताह उम्र अपने घरों को तरफ से रहेंगे । उस दिन जब अभिमन्यु मेयर से पूछने गया था की हम सब घर कब जाएंगे तब उसने और एक बात कही थी कि ईट पत्थर के ही घर पूरा हिंदुस्तान पडा है । फिर से घर बनाने के लिए यहाँ बना लो क्या दिक्कत है । पर कोई भी ये समझ नहीं पाया था कि किसी की नजर में सिर्फ कुछ दिन के बिखरे थे । पर किसी की नजर में आशियाना था किसी का एक नहीं तो नहीं । लाखों पंडितों को घर से निकाला गया और किसी ने उस तक नहीं की । अभिमन्यु में फिर से लडने की हिम्मत आ गई थी । पूरा में उगते सूरज ने अभिमन्यु का साथ दिया । अभिमन्यु को अब सिर्फ उसका घर चाहिए था और उसका दोस्त खिलखिलाती धूप में जसप्रीत खुशी से बस से होते हैं । अभिमन्यु को एक सुंदर ऍम अभिमन्यु मुस्कुराने ही वाला था कि बस में बैठी रोशनी उसे देखिए । रोशनी की आंखें लाल थी । लग रहा था कि रात भर हुई है । अभिमन्यु जसप्रीत को देख मुस्कुरा नहीं पाए । नजदीक आती । जसप्रीत से उसने कहा तुम है अब यहाँ से वापस जाना चाहिए । जिस भी यहाँ से आगे खतरा है । अभिमन्यु ने जो दूरी बना कर रखी थी वो जसप्रीत से सही नहीं जा रही है । इस माहौल में वो इसके जवाब इस माहौल में वो इसकी जवाब ही नहीं मान सकते । अभिमन्यु के पीछे खडे हरजोध को देखकर जसप्रीत ने कहा हरजोध इसे बता दूँ कि हम सब अभिमन्यु को उसके घर तक छोडने चले हैं । उसके साथ वहाँ बस नहीं जाएंगे । मेरे पास मेरा घर है दिल्ली में आज कल मैं पापा के साथ वही रहती हूँ । तुम्हारे घराने का कोई शौक नहीं । जसप्रीत के भी दिल में हो, जख्म भर चुकी नहीं । ये अभिमन्यु समझ गया और जसप्रीत को नाराज करके वो रोशनी को तो खुश नहीं कर सकता था । एक दूसरा चक्र हूँ इस अभिमन्यु के लिए तैयार हो चुका था । अभय प्रताप ने कहा अभिमन्यु हमें निकलना चाहिए । कश्मीर पहुंचते पहुंचते नौ बजे जाएंगे । सब वापस गाडी में बैठे हैं । काफिला कश्मीर बॉर्डर के अंदर आ चुका था ।

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‘रिफ्यूजी कैंप’ भारत के लोगों की एक अद्भुत यात्रा है, जो अपनी तकलीफों के अंत के लिए चमत्कार की राह देखते हैं, पर यह नहीं समझ पाते कि वे खुद ही वो चमत्कार हैं। जब तक लोग खुद नहीं जगेंगे, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। मुझे पता है, उम्मीद की इस कहानी को लिखने की प्रेणा लेखक को उनकी बेटी से मिली है, जो यह जानना चाहती थी कि क्या वह अपने पुरखों की धरती कश्मीर की घाटी में लौट पाएगी? writer: आशीष कौल Voiceover Artist : ASHUTOSH Author : Ashish Kaul
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