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रिफ्यूजी कैंप - Part 30 in Hindi

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‘रिफ्यूजी कैंप’ भारत के लोगों की एक अद्भुत यात्रा है, जो अपनी तकलीफों के अंत के लिए चमत्कार की राह देखते हैं, पर यह नहीं समझ पाते कि वे खुद ही वो चमत्कार हैं। जब तक लोग खुद नहीं जगेंगे, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। मुझे पता है, उम्मीद की इस कहानी को लिखने की प्रेणा लेखक को उनकी बेटी से मिली है, जो यह जानना चाहती थी कि क्या वह अपने पुरखों की धरती कश्मीर की घाटी में लौट पाएगी? writer: आशीष कौल Voiceover Artist : ASHUTOSH Author : Ashish Kaul
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क्या है पापा जिहाद का असली मतलब? अभिमन्यु ने उत्साह से पूछा देखो बेटा, जिन हालातों में इस्लाम पनपा वो हालत थे कि मोहम्मद साहब ने अपने भाई बंधुओं से अलग जाकर अपना एक पाँच बनाया जिसे उन्होंने इस्लाम का । अरबी भाषा में इस्लाम का अर्थ है कुक । मानना या अच्छे शब्दों में कहा जाए तो आत्मसमर्पण करना इस्लाम के प्रचार और प्रसार के लिए बना जिहाद अल अखबर अहिंसात्मक संघर्ष जिसमें गैरमुस्लिम आदमी के सुधार के लिए हर मुमकिन प्रयास करता है और उस को ईमान पर लाना यानी मुसलमान बनाने की कोशिश करता है । नवी को काफी सारे अनुयायी मिले और इस्लाम धर्म मजबूत होता गया । मोहम्मद साहब की ताकत न बढे इसलिए उन्हीं के भाई बंधुओं ने मुसलमान बने लोगों को बरगलाकर वापस इस्लाम से बाहर लाने की कोशिशें शुरू की । तब वजूद में आया जिहाद अल बस कर जिहाद अल असगर का उद्देश्य इस्लाम के संरक्षण के लिए संघर्ष करना होता है । जब इस्लाम के अनुपालन की आजादी न दी जाए, उसमें रुकावट डाली जाएगी, मुसलमानों का शोषण किया जाए, उन पर अत्याचार किया जाए तो उसको रोकने की कोशिश करना और उसके लिए बलिदान देना । जिहाद अल अस्कर इस्लाम ने खुद पहले आक्रमण करने की व्यवस्था को निषिद्ध ठहराया और मुसलमानों को केवल प्रतिरक्षात्मक युद्ध की अनुमति दी है । पवित्र कुरान के इस आदेश के हवाले से ही मैं ये कह रहा हूँ । इतना ही नहीं कोई अगर ईमान नहीं लाता है तो उसे उसका धर्म पालन करने की पूरी छोटी इस्लाम ने दी है । कुरान के अनुसार धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक रक्षा, इस्लामी शासन की स्थायी नीति खुद की रक्षा के लिए अगर युद्ध करना पडे तब उस युद्ध में भी नैतिकता एवं मानवीयता की रक्षा करने के लिए कुरान में कठोर निर्देश दिए गए और केवल उन्हीं लोगों पर हथियार उठाने की अनुमति दी है जो मुसलमानों से लडे और पराजित होने के बाद भी हथियार डालने से इनकार हारे हुए लोगों की जीविका संबंधी सामग्री को नष्ट करने की भी सर्वकाम बना ही करती है । पर किसी जिहाद का अहंकारी सत्ता के नशे में चूर लोगों ने बिल्कुल गलत तरीके से इस्तेमाल करके सच्चे मुसलमान को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोडी । ईमान खुशी से लाने के लिए कहा गया था, डराकर नहीं और इस्लाम की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने का हुक्म था । शस्त्र उठाकर इस्लाम के नाम पर मासूमों की जान लेने का नहीं जो डरकर इस्लाम को बोल करता है उसकी तो नमाज को भूल ही नहीं होती । काश नवी ये भी लिख जाते कि जो डर आता है उसकी भी नमाज को बोल ना हो । इस्लाम खतरे में ऐसे लोगों की वजह से ही है । जिहाद इनके खिलाफ होनी चाहिए । जो सच्चा मुसलमान है वो खुद होकर कभी हिंसा नहीं करेगा । तुम्हारे मुख्तार ने तुम्हारा घर नहीं चीना तो तुम्हारा घर नहीं चलाया । मेरे बच्चे और माजिद नहीं हमें सुरक्षित यहाँ पहुंचाया है । अभिमन्यु के अंदर अब बहुत कुछ शांत हो गया था । तभी अजय प्रताप ने वो महसूस किया और अपने बच्चे को नए पंख देकर अपनी बाहों से आजाद करना । उसके भगवान ने उसे गीता समझाई थी । वो भी बडे । सहज शब्दों वो दिलों में आग लगाएगा । मैं दिनों की आग बुझाऊंगा उसे अपने काम से काम है । मुझे अपने कम से कम अभिमन्यु के दिल की आप भी बढ चुकी थी । आरती, रोशनी, रोशनी की माँ रोशनी के पिता सब अभयप्रताप जैसी शख्सियत को अपने साथ पाकर बडा गर्व महसूस कर रहे थे । हर किसी के अंदर वहाँ कुछ रोशन हुआ था । आरती को वापस लिटाकर चादर उठाते हुए अभयप्रताप ने कहा अभिमन्यु अभी तुम भी थोडा आराम कर लूँ । ये हुई थी । मैं जरा जम्मू को कराता हूँ । डॉक्टर की फॅमिली कराता हूँ । आरती में शुगर की लक्ष्य है ब्लड टेस्ट जरूरी है । अब पिता आपने कहा रोशनी और अभिमानियों ने चमक कर आरती को देखा हूँ । अभिमन्यु को क्या कहना है, क्या बोलना है कुछ समझ में नहीं है पर उसके अंदर एक आपराधिक भावना पैदा हो गयी । अभी अभी खिला हुआ चेहरा फिर मुझे नहीं लगा । उसका चेहरा देख अभी प्रताप ने कहा कि सिर्फ लक्षण है अभी कुछ हुआ नहीं है तो चिंता मत करो । पर अभिमन्यु के चेहरे पर चिंता तो साफ दिखाई दे रही है । अभिमन्यु को देखकर रोशनी को क्या हुआ? भगवान् जाने उठी और अपनी माँ से कहा की मैं जरा जम्मू होकर आते हैं । उसकी माँ ने कहा ठीक है कोई सवाल जवाब नहीं किया । रोशनी की माँ तो उस घर की सबसे समझदार औरत थी । उसने अपनी जिंदगी के साथ सुलह कर ली थी । दिन भर काम करना, पति का ख्याल रखना, बेटी को चार समझदारी की बातें बताते रहना और सुकून से सो जाना । उसने फिर से समझदारी दिखाई और टेंट में भीड कम करने के लिए वो तरीका को लेकर घूमने निकल गई । अभिमन्यु तो मैं तो चाहिए रोशनी नहीं जाने से पहले अभिमन्यु को पूछा, अभिमन्यु ने ना में गर्दन हिलाई । रोशनी ने अभय प्रताप से कहा आज आप घर पर ही रही है । मैं आपके मेडिकल वाले को बता दूंगी कि आज आप काम पर नहीं होंगे और ऍम भी करके आते हैं । तुम क्यों परेशान हो रही हो? मैं जा रहा हूँ । अब पचास नहीं कहा । रोशनी ने दोनों माँ बेटे की हालत देखी और कहा कि इन दोनों को मुझसे ज्यादा आप की जरूरत है । रोशनी बाहर जाने के लिए निकली, पर एक सेकंड के लिए फिर मुझे और अपने अपाहिज पापा को देखा हूँ । दोनों ने आपको आंखों में क्या बात की । भगवान ही जाएंगे और रोशनी हल्की सी भावुक होकर उस टाइम से निकली है । अभिमन्यु ने वो बात नोट की पर वह कुछ बोला नहीं । अब प्रताप जानबूझ कर अपने कैंप के काम के लिए बाहर निकल रहे हैं । वो चाहते थे कि आरती और अभिमन्यु की बातचीत और आरती अभी भी अभिमन्यु से बात करना नहीं चाहती थी । पर उनके अंदर अब एक सुकून था । अभिमन्यु की मन से जहर निकल गया था । वो वापस लेट गए और बस कुछ ही पलों में नींद के हवाले हूँ । अब अभिमन्यु को भी सिर्फ उसकी माँ से लेना देना । आज उन्हें इस हालत में लाने के लिए वही जिम्मेदार था । और तो और कल उनसे अभिमन्यु ने छूट भी बोला था । वो अपनी माँ के पास बैठा था । दो घंटे गुजर गए । इन दो घंटों में अभिमन्यु अपनी माँ को ताकत आ रहा है । जब उनकी हल्की नींद खुली वो अपनी माँ के सिर पर हाथ से नहीं मैंने उसका हाथ छोड दिया । अभिमन्यु ने सोचा कि मैं जिस पाने का हकदार हूँ पूरा हक है । माँ को ये सब करना था । वो अंदर से बहुत भावुक हो गया था पर किसी से कुछ कह नहीं पा रहा था । मन ही मन प्रार्थना कर रहा था की ब्लड टेस्ट में कुछ नहीं । ये थकान माँ को मेरे कारण पर भगवान मुझे कोई रास्ता दे दे जिससे मैं वहाँ के चेहरे पर वह मुस्कान फिर से ला सकते हैं । हाँ, बार बार हाथ जी रखने के बावजूद अभिमन्यु उनकी इर्द गिर्द रहा । कभी चादर ठीक करता, कभी उनके बाल ठीक करता हूँ । कभी पूछता कि माँ पानी चाहिए कभी पूछ ताकि नमक वाली चाय बना कर दो । माँ को कुछ हो जाएगा । ये एहसास उसे तड पा रहा था । वो हर मुमकिन कोशिश कर रहा था की माँ एक बार उससे बात करें पर माँ उससे बात ही नहीं करना चाहती थी । अभिमन्यु के बार बार आसपास मंडराने से आरती तंग आ गई और उसने कहा मारी नहीं हूँ, जिंदा हूँ अभी जहाँ तू बार अपनी मनमानी कर लेंगे तेरा मेरा कोई लेना देना नहीं है । इतना कहकर तो सिर पर चादर ओड हो गई । उसी वक्त सारिका टेंट में जाती हूँ । सारिका को देखकर अनाथ होने का एहसास पहली बार अभिमन्यु को हुआ था । वो फिर एक बार इस बच्ची को और खुद को अनाथ नहीं करना चाहता था । अब उसे जो भी करना था आरती के लिए करना था उसे आज हरजोध के फार्म हाउस पर जाने का अफसोस हुआ है । अब अभिमन्यु को ये सोच कर डर लगने लगा कि उसने तो माँ को कहा था कि फॉर्म भर दिया है । अब अगर झूठ पकडा गया तो अच्छा अब वहां बैठ कर आरती का सामना नहीं कर सकता हूँ । अभिमन्यु कदम अपने आप उस पेड की तरफ चलने लगे । उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था की माँ का क्या करूँ । वो पेड के पास जाना चाह रहा था पर उसने देखा की धूप कडी तो कोई टेंट में बैठ नहीं पा रहा । ऍम गिर गिर । पहले पेडों की छांव में लोगों ने अपने डेरे डालेंगें । हर तरफ थी । चबूतरे के पास भी काफी लोग जमा देंगे । आज अभिमन्यु को वहाँ की स्कूल नहीं मिल सकता था क्योंकि हर नजर उसे उम्मीद से देख रही थी । वो उन नजरों से बचना चाह रहा हूँ । वो अपने टैलेंट के सामने धूप में खडा रहा रोशनी कैंप में आती थी । वो बहुत ही खुश थी । अभिमन्यु सोच रहा था की माँ को मेरा छूट मालूम पडा तो रोशनी उसके पास नहीं है । पर अभिमन्यु को बता ही नहीं रोशनी ने उसके कंधे पकडकर उसे ख्यालों से बाहर लाने की कोशिश की । अभिमन्यु क्या हुआ अभिमन्यु से देगा अभिमन्यु की आंख में आंसू वो खुद से परेशान था । परेशानी में उसने रोशनी से कहा अभी तक कुछ नहीं हुआ । पर क्या क्या हो सकता है । मैं तुम्हें बताता हूँ । मैं माँ का बुरा बेटा साबित हो सकता हूँ । उसने अपने गहने बेचकर मुझे बढाना चाहते हैं मैं वो छोड आया । वो बार बार कहती रही अच्छे से रहो, हमारी चिंता मत करो पर मुझे ही क्या हो जाता है । मालूम नहीं । मैंने उससे झूठ बोलना भी शुरू किया । आज मैं गुनेहगार की तरह पुलिस चौकी में था । अब पुलिस चौकी से आया हूँ तो यहाँ का भाई बन गया हूँ । कल को उन आवारा बच्चों का लीडर कहलाऊंगा, हाथ में सिगरेट आ जाएगी । मैंने जैसे हफ्ता वसूल लूंगा परसों हरजोध की तरह हाथ में चाकू पकडकर अपनी मर्दानगी साबित करूंगा । यहाँ ऐसे ही रहूंगा तो और क्या क्या करूंगा मालूम नहीं ये कहते हुए अभिमन्यु फिर परेशान सा टहलने लगाओ । रोशनी ने उसका हाथ पकडकर अपनी बैंक से पर्ची निकली और अभिमन्यु के हाथ में उसे रखते हुए कहा मेरे पास तुम्हारे लिए एक और जांच । माँ का अच्छा बेटा बनने का मौका । अभिमन्यु ने उसके हाथ की पर्ची देखी और इस बार आश्चर्य और बहुत ही खुशी से चिल्लाकर दोष नी को गले लगाया और पूछा ये कैसे हो गया? रोशनी ने हस्कर जवाब दिया बस हो गया रोशनी के हाथ में अभिमन्यु का एग्जाम टिकट था जो उसका ये साल बर्बाद होने से बचाने वाला था जिससे आरती की तबियत पर अच्छा असर पडता है । उसी शाम अभयप्रताप ने सारे कैंप वालों को इकट्ठा करके वादी के हालात समझा देंगे और कहा उचित समय आने पर सरकार हमें वापस कश्मीर भेज अभी के लिए हम सबके लिए यही ठीक होगा कि हम अपना हौसला बनाए रहेंगे । हालात जल्द ही सुधर जाएंगे । चुप न रहकर एक इंसान ने अगर प्रताप से सवाल किया हूँ, इतने बडे देश की सेना क्या उनका खात्मा नहीं कर सकती हैं? अब पिता आपने कहा वो अगर सामने आकर लडते तो दस मिनट में उनका सफाया हो जाते हैं और वो वहाँ की भोली भाली जनता की आठ में मंदिर भी चलाते हैं और भले ही हम लोग खुल जाए और भारतीय सेना ये नहीं बोल सकती है कि की जंग में किसी जनता ने भारतीय सेना का हर तरह से सात किया था । हमलावर कहाँ कहाँ छिपे हैं, इसकी खबर अपनी जान की जोखिम उठाकर आकर सेना को बताया था की जंग जीतने का श्रेय उन्हें भी जाता है । भारतीय सेना मासूम लोगों पर बार नहीं करते । फिर एक इंसान खडा हुआ और उसने सवाल दागा, जनवरी को आपकी इस जनता ने बडे बडे जुलूस लगाकर हम लोगों के खिलाफ वहां नारेबाजी की थी । वो कहाँ से मासूम हो गए? अभी प्रताप ने कहा बरगलाए हुए लोग हैं वो बाहर से कोई आकर उन्हें धर्म का गलत ज्ञान पढाकर मासूम दिलों में नफरत भर रहा है और आज उसका नतीजा भी वो लोग भुगत रहे हैं न वो यहाँ के रहेंगे न वहाँ । लेकिन जल्द ही वो अपनी गलती सुधार लेंगे इसकी हम उम्मीद कर सकते हैं । अभय प्रताप ने लोगों को विश्वास दिलाया । अब प्रताप का भाषण काफी असरदार रहा है । लोगों में थोडे उत्साह का संचार हुआ । आने वाले पंद्रह दिन आरती के लिए उस कैंप के सबसे बेहतर दिन थे । भले ही इन दिनों में उसने अभिमन्यु से बात नहीं की थी लेकिन उसे उसका कश्मीर वाला चिंटू वापस मिल गया था । अभिमन्यु ने अपना पूरा फोकस सिर्फ पढाई पर क्या और साथ ही साथ वो आरती की देखभाल करने लगा । दूसरे ही दिन सब आरती को ब्लड टेस्ट के लिए ले गए । वहाँ से ज्यादा अभिमन्यु डरा हुआ था । उसका डर देखकर रोशनी ने उसका हाथ थामकर उसे विश्वास दिलाया कि डरो मत सब ठीक है । अब अभिमन्यु आरती को किसी भी तरह से परेशान नहीं करना चाहता हूँ । आरती के लिए उसने टेंट में रहना और वो जो पका कर रहे हैं वो बिना टकरार खाना नियम बनाया जाए । सुबह उठ कर पहले दो घंटे पडता फिर माँ के साथ मिलकर उसके स्कूल में उसकी बच्चों को पढाने में मदद । अब तो जहाँ भी जाता हूँ सारिका उसके साथ ही हूँ । उसे कई बार अपनी माँ की याद आती तो अभिमन्यु उसके लिए पूरी तरह से जोकर बन जाते है और उसे हंसाने की कोशिश करूँ । अभिमन्यु को बस एक बात का काम था कि इस लडकी की माँ की कोई भी तस्वीर उसके पास नहीं । पर फिर दूसरे ही क्षण में उसका माँ बाप, भाई, दोस्त सब कुछ बन जाते हैं । टैंकर जब आता हूँ अब अभिमन्यु जाकर पूरे दिन का पानी रोशनी के साथ जाकर बीमार लोगों की सेवा कर । जिन लोगों के नाम भी कभी उसने नहीं लेते हैं । ऐसी काफी बीमारियाँ कैंप में पैदा हो गयी । अभिमन्यु डॉक्टर के पास जा जाकर इन सबकी जानकारी लेता और लोगों को इससे बचने के उपाय समझाता । लोग जब पूछते हैं कि हम सब घर कब जाएंगे तो अब उसके पास जवाब था की हम सब की बीमारी जब ठीक हो जाए तब तुरंत यहाँ से निकलेंगे । आरती को अभिमन्यु हूँ । कपडे धोने नहीं देता था । बदबूदार नाले पर जाकर हमेशा रोशनी और वह अपने पूरे घर के कपडे जाकर छोले । अभिमन्यु कई बार कौन करता है कि जब उसका ध्यान नहीं होता तब रोशनियों से ताकि रहती है रोशनी का उसके प्रति लगाओ । वो काफी बार महसूस कर चुका था पर पहले ही वो एक लडकी को रुला चुका था । दूसरी को बुलाने के ख्याल से भी वो डर जाता था । उस दिन आरती के ब्लड रिपोर्ट लाने नहीं पर आरती ने साफ मना किया की जब तक अभिमन्यु की परीक्षा खत्म नहीं हो जाती है कोई रिपोर्ट नहीं आएगा । ये पंद्रह दिन होगी । आप छपकते गुजर गई ।

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Sound Engineer

‘रिफ्यूजी कैंप’ भारत के लोगों की एक अद्भुत यात्रा है, जो अपनी तकलीफों के अंत के लिए चमत्कार की राह देखते हैं, पर यह नहीं समझ पाते कि वे खुद ही वो चमत्कार हैं। जब तक लोग खुद नहीं जगेंगे, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। मुझे पता है, उम्मीद की इस कहानी को लिखने की प्रेणा लेखक को उनकी बेटी से मिली है, जो यह जानना चाहती थी कि क्या वह अपने पुरखों की धरती कश्मीर की घाटी में लौट पाएगी? writer: आशीष कौल Voiceover Artist : ASHUTOSH Author : Ashish Kaul
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