Made with in India
आरती ने अभिमन्यु को खाने के लिए कहा पर उसने साफ साफ मना कर दिया । ये कहकर की किसी की खैरात नहीं चाहिए । उसने अपनी माँ को कसम दी थी कि आज से सिर्फ हमारी कमाई का ही खाना बनेगा । इस पर गुस्सा होने के बजाय अभय प्रताप और आरती हस दिए थे क्योंकि अभिमन्यु की सोच बिल्कुल उनसे मिलती थी । आरती राशन जरूर ले आती थी पर उससे उन बच्चों के लिए खाना बनाती थी जिन्होंने अपने माँ और बाप दोनों को उस नरसंहार में खोया था । कुछ बच्चे अपनों से बिछडकर यहाँ पहुंचे ऐसे बच्चे जिनका कोई भी उनके साथ नहीं था । यहाँ आने के बाद के पहले के कुछ दिन जो कुछ समाजसेवी संस्थाओं ने कैंप में लोगों को और कपडों का ख्याल रखा था उतना ही अभय प्रताप पर आरती ने ग्रहण किया था । उसके बाद इस टेंट में उनकी कमाई का ही खाना पका था । ये बात अभिमन्यु नहीं हूँ और इस वक्त जब उसने ऐसा कहा था तब भी अभय प्रताप और आरती ने अपने बेटे को ये नहीं बताया क्योंकि वो दोनों जानते थे कि कुछ बातें समझने की होती है बोल कर बताने की नहीं । वो अभिमन्यु के स्वाभिमान का इस वक्त भरण पोषण कर रहे थे तो उन्होंने उसे खाने का आग्रह नहीं किया । किसी भी माँ बाप को अपना बेटा भूखा सोये इस बात से तकलीफ होती है । पर ये दोनों माँ बाप इस बात से खुश थे कि उनका बेटा अपनी खुद की कमाई खाना चाह रहा था । इस्टेंट में जगह तन है । ये कहकर अभिमन्यु ने ये भी बता दिया कि वह बाहर जाकर सोयेगा कहाँ की उसे स्टैंड के अंदर नींद नहीं आएगी । बात तो सही भी थी । इस छोटे से टेंट में मुश्किल से पांच लोग रह रहे थे । गर्मी का भी मौसम था तो किसी ने कुछ ऐतराज नहीं जताया । पर अब अभय प्रताप इस घटना को अलग नजरिए से देखने लगे । उन्हें लगा कि इसमें स्वाभिमान से ज्यादा अभिमन्यु का अहंकार हैं । अब उन्हें जानना था कि आज दिन भर अभिमन्यु कहाँ कहाँ हो । क्योंकि सुबह जब माने उसे खाना खिलाया था तब उसने कोई शिकायत नहीं । अब दिन भर में ऐसा क्या हो गया? वो खाना उसे खेरात लगने लगा । शायद वो जानना चाह रहे थे कि अभिमन्यु अपनी परिक्रमा के कौनसे पडाव पर पहुंचा है । पर फिर उन्होंने सोचा कि वह खुद जब बताएगा तब बताएगा । टेंथ से बाहर आकर अभिमन्यु ने देखा की रोशनी उसके लगाए गमले को टेंड के दरवाजे में लाइन से लगाकर रख रही थी । अब अभिमन्यु को उन हमलों का राज मालूम हुआ था की कैंप में फैली बदबू को अपने टेंट में आने से रोकने के लिए उस ने इतने सारे फूल खिलाए थे । बदबू जब रोशनी के उन फूलों से होकर टेंट में दाखिल होती तो वह खुशबू बनकर पूरे टेंट में महकती रहती थी । बिल्कुल रोशनी के स्वभाव की तरह सोना नहीं है । कहाँ जा रहे हो जाते हुए अभिमन्यु से रोशनी ने पूछा । नींद ग्राउंड में अभिमन्यु ने हस्कर जवाब दिया और अब यहाँ लेटे लेटे तकरीबन आधा घंटा हुआ था । पर वो नींद उसे मिल नहीं रही थी । इसके बाद की कितनी रातें हैं वो ऐसे ही जाकर गुजारने वाला था । कौन जाने कौन जाने की उसके नसीब में अब नींद कब थी? मुख्तार सम्राट विनोद और जसप्रीत बस यही कुछ नाम अभिमन्यु की जिंदगी में बच्चे थे जो एक हर किसी मुस्कान अपने आप उसके चेहरे पर लाते थे । खास कर सकते हैं जसप्रीत और उसके रिश्ते का और एक मजबूत आया था की दोनों के जीवन में चुनाव नहीं सपनों में अमृतम् अंतर है और हकीकत में खून बंद है । चुनाव आधी हिंदुस्तान में बहती थी । आधी पाकिस्तान में ये कैसा बंटवारा था? अभिमन्यु इन्हीं सारी बातों को सोचे बगैर नहीं रह पाया । फिर उसे जसप्रीत की अमृता प्रीतम याद आई जिसे बंटवारे में लाहौर से हिंदुस्तान आना पडा था । लाहौर इस शब्द से अभिमन्यु को रेडक्लिफ लाइन याद आती है जिससे उसका कश्मीर भी बढ गया था । कभी कश्मीर एक बहुत ही बडा साम्राज्य था और यहाँ की सारी जनता हिंदू थी । जीते जाते कश्मीर को हिंदुस्तान भूल गया था तो उसका इतिहास कैसे किसी को याद रह सकता है । तुर्किस्तान तक फैले इस हम हिन्दू साम्राज्य को उन्नीस सौ सत्तावन के आते आते रेडक्लिफ ने हिंदू मुसलमानों में पांच दिया । उसका परिणाम था लाखों हिंदू मुसलमानों का । अभिमन्यु सोचता रहा कि साल उन्नीस सौ का वो उस समय जब ब्रिटेन से आनंद फाइनल में बुलाए गए रेडक्लिफ से कहा गया था कि भारत के दो टुकडे करने हैं उस रेडक्लिफ से जो न कभी भारत आए थे ना यहाँ की संस्कृति की समझती नहीं लोगों की । अभिमन्यु के इस सवाल का जवाब एक वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर को मिला था । उन्हें रेडक्लिफ से बातचीत का एक मौका मिला था । तब रेडक्लिफ ने आप बीती सुनाते हुए कहा था मुझे दस ग्यारह दिन मिले थे सीमा रेखा खींचने के लिए । उस वक्त मैंने बस एक बार हवाई जहाज के जरिए द्वारा किया । जिलों के नक्से मेरे पास नहीं थे । मैंने देखा लाहौर में हिन्दुओं की संपत्ति ज्यादा है लेकिन मैंने ये भी पाया कि पाकिस्तान के हिस्से में कोई बडा शहर ही नहीं था । मैंने लाहौर को भारत से निकालकर पाकिस्तान को दे दिया । अब इसे सही कहो या कुछ और लेकिन ये मेरी मजबूरी थी । पाकिस्तान के लोग मुझसे नाराज है लेकिन उन्हें खुश होना चाहिए कि मैंने उन्हें लाहौर दे दिया । इंडो अभिमन्यु को हमेशा सोचता था कि हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराने का आदेश देने वाले रूम और रेडक्लिफ को क्या कभी इस बात का मलाल हुआ होगा? क्या वो कभी शांति से सो पाए होंगे? शायद नहीं और अभिमन्यु भी शांति से सो नहीं पा रहा था । अमृतसर में बसे हजारों लोग जो वापस लाहौर देखने के लिए तरस जाते हैं वैसे ही इस वक्त अभिमन्यु अपने घर जाने के लिए तरस रहा था । इस तरह से हुए दिनों का एक ही दुशमंथा इस्लामिक जिहाद जिसने सबकी आंखों कि नींद छीन ली थी, रात गुजर गई पर अभिमन्यु के दिल में अंधेरा ही रहा । सुबह सुबह अभिमन्यु ने पहला सवाल अभी प्रताप से क्या? पापा कश्मीर में ईरान तक पहले सब हिंदू थे । जब अरब तुर्क और मंगोलों यहाँ आए तो उन के डर से काफी हिन्दू लोग मुसलमान बन गए । आज भी कश्मीर में कई लोग मुसलमान होने के बाद भी अपना पंडित नाम ही रख लेते हैं । मोहम्मद जिन्ना, अल्लामा इकबाल और शेख अब्दुल्ला इन सबके दादा जी भी हिंदू कश्मीरी पंडित थे । फिर भी इन लोगों को हिंदुओं से इतनी नफरत क्या है? अभिमानियों के इस सवाल पर आरती अभिमानियों पर गुस्सा करेंगे तो ये सब सोचने के लिए यहाँ आया है । ये सब सोचने का वक्त नहीं । अभिमन्यु तुझे कॉलेज जाना है, तैयार हो जाएगा । जहाँ जाकर देख ले ये साल बचता है क्या हिन्दू मुसलमानों को बाद में बचा लेंगे? एक माँ कडक कर बोली अभी प्रताप को आरती की इस बात पर हंसी आई हसते हसते । उन्होंने कहा हिंदू मुसलमानों को पहले बचाते हैं साल अपने आप बन जाएंगे । काफी दिनों के बाद अब प्रताप को ऐसे हस्ते देख अभिमन्यु को बहुत अच्छा लगा । रोशनी भी इनकी बातें सुन रही थी । अभिमन्यु उस मूड को अभी खराब नहीं करना चाहता था । आरती ने अभय प्रताप को इस सवाल का जवाब देने का मौका ही नहीं दिया और कहा आज आप स्कूल संभालो, मेरा आज फिर कुछ करने का मन नहीं है । मैं थोडा आराम करेंगे । हाँ आराम करेगी । इस बात से अभिमन्यु खुश था पर अभी प्रताप नहीं वो देख रहे थे की आरती आजकल जल्दी थक जाती है । पर उन्होंने अभिमन्यु से इस बारे में कुछ नहीं कहा । रोशनी तो अभिमन्यु के साथ चली जाना । आरती ने रोशनी से कहा । अभिमन्यु सोचने लगा की रोशनी पर भारतीय जो कल रात इतनी नाराज थी उस नाराजगी का अभी दूर दूर तक नामोनिशान नहीं था । चलो कॉलेज चलना है ना हो खुशी से रोशनी ने अपने मन से पूछा चलना क्या है? लेकर जाना है उसका ये साल बर्बाद ना हूँ । चलना क्या है लेकर जाना है उसका ये साल बर्बाद न हो । आरती ने कहा अभिमन्यु आरती को पहले ही काफी मायूस कर चुका था । अब उसे और परेशान नहीं करना चाहता था । वो तैयार होकर रोशनी के साथ अपना साल बचाने निकल पडा तो रोशनी इस बात से बहुत खुश हो गई । उसे अभिमन्यु के साथ रहने का थोडा मौका मिल रहा हूँ । एक डेढ किलोमीटर का रास्ता था । दोनों पैदल ही निकल पडे । चलते चलते रोशनी ने बातचीत शुरू की तो सुबह सुबह हिन्दू मुसलमान का झगडा शुरू कर दिया । तुमने क्या चल रहा? दिमाग में कुछ नहीं । बस ऐसे ही अभिमन्यु ने उसे टाल दिया । अपने सवालों के जवाब दिए बिना चल जाता है । हमारा रोशनी ने उसे छेडते हुए पूछा । अभिमानियों समझ रहा था की रोशनी उसे पसंद करती है और अभिमन्यु तो सिर्फ जसप्रीत से ही प्यार करता हूँ तो उसने रोशनी की चाहत को बढावा नहीं दिया । थोडी देर दोनों वैसे ही चुप चाप चल दे रहे हैं । रोशनी भी समझ गई कि अभिमन्यु उससे दूर रहने की कोशिश कर रहा है । पर वो अब उसे प्यार किए बिना नहीं रह पा रही थी । पर अब जबकि अभिमन्यु नहीं उसे दूरी के संकेत दे दिए थे, उसने भी तय किया कि जब तक अभिमन्यु नहीं चाहेगा तो अपने प्यार को उससे छुपाकर रखेगी । और अभिमन्यु मन में सोच रहा था कि मुझे रोशनी को जसप्रीत के बारे में सब कुछ बता देना चाहिए । वो जसप्रीत जिसे अब वो कभी भी मिलने वाला नहीं है । दोनों का प्यार मजबूर था । रोशनी और अभिमन्यु दोनों एक दूसरे के साथ अजीब उलझन महसूस करने लगी । पर ऐसा कब तक चलने वाला था । थोडी और दूर चलकर रोशनी ने बातचीत फिर से तो मैं पितामह भीष्म मालूम है भी हूँ । रोशनी ने पूछा था वही ना जो महाभारत सीरियल में आते हैं । अभिमन्यु ने मजाक करते हुए हाँ वही रोशनी नहीं भी मजाक को आगे बढाया उनका क्या? अभिमन्यु ने पूछा । रोशनी बताने लगी की भीष्म से किसी ने एक दिन सवाल किया की आप इतने धर्म पाॅल आई और कौरवों में श्रेष्ठ माने जाने वाले इंसान नहीं । पांडव पर हो रहे अत्याचार भरी सभा में द्रोपदी पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कभी कुछ बोला क्यों नहीं? चुप चाप अन्याय देखते रहे तो इसपर भेज मैंने जवाब दिया था कि आप जिनका अन्य खाते हो उनके जैसे बन जाते हो । उनके आचार विचार उस अन्य में उतर जाते हैं । मैं इतने साल से कौरवों का दिखा रहा था, उनके जैसा ही हो गया । अभिमन्यु ने आश्चर्य से रोशनी को देखा । उसे उसकी सवाल का जवाब मिल गया था कि धर्मांतरित हिंदू हिंदू के खिलाफ क्या है? रोशनी ने उसे इतने साधारण तरीके से बहुत बडी बात समझा दी थी । तभी तो हमारे बडे बुजुर्ग कहते हैं कि आपका स्वभाव आप क्या खाते हैं, कहाँ खाते हैं उससे बनता है कॉलेज का गेट अब सामने दिख रहा था । दोनों अंदर चले गए और ऑफिस में पहुंचे । कोई शरणार्थी कुछ बात करना चाह रहा है ये जानकर वहाँ के क्लर्क नहीं । पहले तो मिलने से मना ही कर दिया और रोशनी ने चपरासी से काफी मिन्नतें करके दो मिनट का वक्त ले ही लिया । अभिमन्यु ने अभी तक सिर्फ सुना था की यहाँ के कॉलेज पढाई के क्रम में कक्षा में और परीक्षा में शरणार्थियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करते हैं पर अब वो खुद ये भुगत रहा था । क्लर्क ने उन्हें बैठने के लिए भी नहीं कहा हूँ क्या काम है और जरा जल्दी बताना लडने बेरुखी से कहा जी ये अभिमन्यु हैं और ये इस कॉलेज से परीक्षा देना चाहते हैं । इतने दिन क्या कर रहे थे । अब आयोजन परीक्षा नजदीक हैं जी मैं पानीपत में पड रहा था । अभिमन्यु ने कहा जी और नहीं रहे थे, काम करने गए थे । रोशनी ने झट से कहा और उसने अभिमन्यु को चुप चाप बैठने का इशारा क्लर्को कुछ गडबड लगा और उसे इन दोनों में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी तो उसने कहा कि अब मुश्किल है सारे एडमिशन हो चुके हैं । फरवरी में ही तब क्यों नहीं आए । अब मुश्किल है रोशनी ने थोडा गिर गिराते हुए कहा सर एडमिशन नहीं चाहिए । सिर्फ साल बर्बाद ना हो इसलिए परीक्षा देनी है उन की नहीं जो मेरा वक्त बर्बाद कर रहे हैं हूँ । रोशनी ने फिर थोडा कहीं नहीं होकर का सर आप जानते ही हैं कि हम किन हालातों में है प्लीज जरा कुछ सोच ऍम रोशनी जिस तरह से गिडगिडाकर एग्जाम की भीख मांग रही थी अभिमन्यु के दिल में बहुत कांटे चुभ रहे थे । अरे हम लोगों ने सोचा तभी तो साल के बीच में दाखिला कराया था । इतनी बडी थी साल बर्बाद होने की तो तभी आती । अब नींद से जाग रहे हो । क्लर्क ऐसे बात कर रहा था जैसे उसने एहसान कर दिया था । साल के बीच एडमिशन देखा अभिमन्यु को उसका बर्ताव अच्छा नहीं लग रहा है । सर ये पढाई में बहुत अच्छा है । बस परीक्षा देने बी जे सकते आपको सिर्फ एक पेपर पर साइन है तो करना है सर प्लीज प्लीज कर दीजिए । क्लर्क एक पल के लिए शांत हो गया । उसने अभिमन्यु को देखा । अभिमन्यु अच्छे परिवार का नजर आ ही रहा था । रोशनी को लगा कि शायद यह मान जाएगा । उसे क्लर्क से बडी उम्मीद थी पर दूसरे ही पल उस पर पानी फिर गया । क्लर्क ने कहा साइन तो कर सकता हूँ, पर उस टाइम की कुछ कीमत होगी । रोशनी हक्की बक्की होकर देखती नहीं । अभिमन्यु जो अब तक अपने आप कंट्रोल कर रहा था वो मैनेजर को कुछ कहने ही वाला था की रोशनी थी और उसने क्लर्क को थैंक्स कहा कि उन्होंने उनका कीमती वक्त उन्हें दे दिया है । वो अभिमन्यु को तकरीबन वहाँ से खींचते हुए बाहर नहीं । उस बताते हुए अभिमन्यु ने पूछा तुमने मुझे उसे जवाब क्यों नहीं देने दिया? रोशनी ने बडी ही शांति से कहा वो भी हालात का मारा होगा । बेचारा आपने मेहनत की कमाई उसके परिवार वालों को कम पढती हूँ । हमने उसे भ्रष्ट होने का मौका दिया । उसने उठा लिया गलती हम करें और भुगते वो चलो छोडो हमने क्या गलती की रोशनी तो ऐसा कैसे कह सकती हूँ? हाँ अभिमन्यु सरकार ने हमें मौका दिया एडमिशन का । हमने अपने कारणों से उसे खोल दिया । अब उस क्लर्क पर जोर डाल रहे हैं कि वो हमें एडमिशन दे । वो रोल तोडेगा तो उसके पैसे वसूल करेगा ना । अरे पर वो भी तो रूल तोड रहे ना । उसकी सजा कुछ नहीं हम भी वक्त है सबकुछ । अभिमन्यु ने रोशनी पर थोडा गुस्सा जताया उसकी सजा या माफी भगवान तय करेंगे । वो सब का हिसाब रखते हैं तो मत परेशान हो । अब क्या करना है वो सोचता हूँ । रोशनी ने उसे वापस एक बार खींचते हुए कहा अभिमन्यु का मूड ऑफ हो गया । वो बिना बोले रोशनी के साथ चलता रहा । मुंह फुलाए अभिमन्यु को देखकर रोशनी ने कहा तुम है रोकने की और एक वजह थी । मैं बलदेव भाटिया वाला एपिसोड फिर नहीं चाहती थी । यहाँ का इंस्पेक्टर राशिद बट बहुत ही जुल्मी आदमी है । हम कश्मीरियों से उसे बेहद नजर है । हम लोगों को परेशान करने का मौका ही ढूंढता रहता है । उस तक ये बात तुरंत पहुंच जाती । फिर बडी प्रॉब्लम खडी हो जाती है । मैं नहीं करता किसी से । अभिमन्यु ने थोडे गुस्से में कहा । वहीं तो तुम्हारे इसी गुस्से के कारण यहाँ कुछ हो जाता तो आरती जी को जरा भी अच्छा नहीं लगता है और हो सकता था जिनकी परीक्षाएं होने वाली हैं उन पर कुछ असर पडता है । उनका तो सोचो हैं । रोशनी ने बडी ही सहजता के साथ कहा उसकी सहजता, किसी प्रॉब्लम से हस्कर । बाहर आने की अदा और किसी के भी प्रति साफ मान देख अभिमन्यु भी थोडा सहज हो गया और कभी बचपन में आरती की, उसे सुनाई । महाभारत की एक कहानी उसे याद आ गया । अर्जुन और दुर्योधन दोनों ही गुरु द्रोण के शिष्य थे । दोनों ही बडे पराक्रमी थे । किसी में साहस की कमी नहीं थी । गुरु द्रोण ने उनकी जितनी भी परीक्षाएं ली दोनों बराबरी में ही रहे । अब ये तय करना मुश्किल हो गया की दोनों में से सर्वश्रेष्ठ युवराज कौन है ये कैसे तय करें । ड्रोन बडे ही परेशान थे तब उन्होंने अपनी परेशानी विश्व के सामने रखी । भीष्म, दुर्योधन और अर्जुन की नस नस से वाकिफ थे । उन्होंने गुरु द्रोण की समस्या हल्की । उन्होंने अर्जुन से कहा कि पूरी धरती घूम कर एक बुरा आदमी ढूंढ कर रहा हूँ और दुर्योधन से कहा कि पूरी धरती हूँ और एक अच्छा इंसान ढूंढ कर लूँ । अर्जुन और दुर्योधन दोनों ही अपनी अपनी तलाश में चले गए और कुछ दिनों के बाद लौटे । ऍम पर दोनों ही खाली हाथ । पूरी धरती पर अर्जुन को एक भी बुरा इंसान नहीं मिला और दुर्योधन को एक भी अच्छा इंसान नहीं । इंसान अपने अंदर जो होता है वहीं बाहर देख पाता है । अभिमन्यु को रोशनी बिल्कुल अर्जुन से नजर आ रहे थे । दोनों काफी देर चलते रहेंगे । अभिमन्यु को बार बार जसप्रीत की याद आ रही थी जब वो भी ऐसे ही कनाल के किनारे चला करते थे । गप्पे मारते थे । घंटो एक दूसरे के लिए बेचैन रहते थे । लडते झगडते थे पर अब सब शांत हूँ । अभिमन्यु चुप चाप रोशनी के साथ चलता रहा । रोशनी तो अब उसके सामने कभी भी अपने प्यार का इजहार करने वाली नहीं थी । ये उसका अहम नहीं था । पर वो नहीं चाहती थी कि पहले से ही परेशान अभिमन्यु की जिंदगी को और परेशान किया जाए । वो भी चुप चाप चल रही थी । दोनों ही कैंप लौट रहे थे और अब सच में अभिमन्यु के अंदर वाले अर्जुन की महाभारत शुरू होने वाली है क्योंकि अब वो परीक्षा में बैठ नहीं पा रहा हूँ और ना ही उसके पास कोई नौकरी दी हो । चलते चलते फिर कैंप की तरफ बढ गया । कैंप में दाखिल होते ही फिर उसका मनोबल गिरने लगा । फिर वही बदबू । वहीं कंधे कुछ साफ करें कितना अभिमन्यु कैंप में अपने टैलेंट की तरफ बढी रहा था की फिर उसे वह सिगरेट पीते । जुआ खेलते बच्चे नजर आए । उनकी इस हालत से अभिमन्यु को बडा डर लगता था । उनसे डर लगता था ये कि मैं ऐसा ना बन जाऊँ । उन्हें देख अभिमन्यु के शारीरिक हावभाव बदल जाते थे । उसके सामने हरजोध की जिंदगी आ जाती है । किसी का अस्तित्व खत्म होते देखता था । शायद अभिमन्यु उनमें अपना अच्छा देखने से डरता था । जैसे ही उसने उन लडकों को देखा, उसने तुरंत रोशनी से कहा कि मैं जरा कहीं घूम कर आता हूँ, देर हो जाएगी वहाँ को बता देना । और हाँ वहाँ को अभी कुछ मत बताना । एग्जाम के बारे में मैं आकर बताऊंगा । कहकर अभिमन्यु जम्मू की तरफ चल दिया । एक पल के लिए रोशनी को लगा कि वह से पूछे कि कहाँ जा रहे हो और फिर उसने अपने आप को रोक दिया और ठीक है क्या कर रोशनी भी चली गई । एक पूरा दिन बर्बाद करने की बजाय अभिमन्यु ने अपने कश्मीरी कुल क्योकि रेहडी पर ही काम करना बेहतर समझा । अभिमन्यु को देखते ही रेडी वाला बडा खुश हुआ । अभिमन्यु ने उसका काम अच्छे से किया था । हिसाब भी बराबर रखा था और अभिमन्यु हूँ पढा लिखा था तो ग्राहकों से अच्छे से बात करता हूँ । मुझे तो लगा तुम नहीं आओगे । रेडी वाले ने कहा आना पडेगा । अभिमन्यु ने कहा और अपने काम पर लग गया । रेहडीवाले ने उसे कहा की छोले बनाने आते हैं । सिखा दो सीट लूंगा । अभिमन्यु ने बडा ही प्रमाणिक उत्तर दिया आ जाओ सिखाता हूँ । रेडी वाले ने कहा और ये झूठी प्लेटिड होने का काम उसके लिए दिन में एक लडका आएगा । शाम को तुम धोरिया करना । रेडी वाले ने जवाब दिया । अभिमन्यु को अब छोले बनाना सीख रहा था और मन में चल रहा था की माँ को पता पडा कि एग्जाम का काम नहीं हुआ है तो फिर दुखी हो जाएगी । सोचते सोचते वो अपना काम करता रहा । घंटा आधा घंटा बीता नहीं कि वहाँ एक दस साल का छोटा लडका जूठी प्लेटें होने के काम आ गया । चेहरे से वो चीनी लग रहा था और था डाॅन गोरा गोरा छोटी छोटी आंखें और सर के बाल पूरे मुंडे हुए किसी लामा की तरह इतना छोटा सा बच्चा काम में बडा तेज था । उसे देखकर पता नहीं क्यों अभिमन्यु को बडा आराम सा आ गया । अभिमन्यु को लग रहा था कि जाकर उसे गले से लगा लूँ और अभिमन्यु के मन की वो बात उस बच्चे तक अपने आप ही पहुंच गई थी और एक मासूम सी मुस्कुराहट के साथ उस बच्चे ने भी मन ही मन उस आलिंगन को स्वीकार किया था । दोनों ही एक दूसरे की भाषा जरा भी नहीं समझते हैं और बस कुछ ही पलों में भाषा उनकी समस्या नहीं रही । बस वो एक दूसरे को गौर से देखते हैं और समझ जाते हैं कि किसी क्या कहना है । बीच बीच में अपना काम करते करते एक दूसरे को देख मुस्कुराते तो कभी एक दूसरे की मदद करने लगते हैं । बीच बीच में जाकर अभिमानियों से अपने गले से लगा ही लेता था और बदले में वो छोटा सा लडका अभिमन्यु की गाल चुन लेता हूँ । ऐसे करते करते पूरा दिन भी गया हूँ । अभिमन्यु खुश था और उसकी खुशी ज्यादा देर नहीं रही है । उस बच्चे की दादी शाम को उसे लेने आई । बचपन, साठ साल की तिब्बेतन औरत उसने बच्चे के काम के पैसे लिए और बच्चे को लेकर वो आगे चल रहे हैं । उस बच्चे ने जाते जाते अभिमन्यु को मुस्कुराहट के साथ तिब्बेतन भाषा में बाय बाय कहा । अभिमन्यु ने जाते हुए उस बच्चे को हिंदी में पूछा कि क्या कल फिर आओगे वो बच्चा जाते जाते सिर्फ मुस्करा गया । रेडी वाले ने अभिमन्यु को बताया कि ये तिब्बेतन लोग इन का कोई ठिकाना नहीं है । पिछले तीस साल से यहाँ भटक रहे हैं । अभिमन्यु इस बार गहरे पानी में डूब रहा था, क्योंकि तिब्बेतन नरसंहार का तमाशा पूरी दुनिया खामोशी से देखती रही । किसी ने कुछ भी नहीं कहा । तब ना पिछले बत्तीस सालों में दलाई लामा दुनिया भर में अपने और अपने लोगों के लिए न्याय मांगते रहे हैं । पर किसी ने भी राजकीय कारणों से इनकी कभी मदद नहीं की और एक पूरी की पूरी सभ्यता नष्ट हो गयी । वो समृद्ध प्राचीन सभ्यता जो अपने घर में बैठ कर दुनिया की शांति के लिए प्रार्थना करती हूँ, जिन्हें बाहरी दुनिया से कुछ लेना देना नहीं था, जो हमेशा से आपने निर्वाण के यानि मोक्ष के मार्ग पर ही चलेंगे, वो सब नेता साम्राज्यवाद के चलती है, नष्ट कर दी गई थी । उनके कुछ बिखरे हुये अवशेष हिमालय के धर्मशाला नगर में बच्चे थे । अभिमन्यु के अंदर फिर बोतल मुझ का खेल शुरू हो गया । पहले पीओके से अब कश्मीर से कश्मीरी पंडितों की सभ्यता नाम शेष होती उसे दिख रही थी । पहले सिर्फ पाकिस्तान से । अब सारी दुनिया से अभिमन्यु को शिकायत दुनिया में किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो कश्मीरी पंडितों को उनका हक दिला सके । अभिमन्यु को लगा कि कहीं मेरे अंदर दुर्योधन तो नहीं, आप ऐसा है, मुझे कहीं कुछ अच्छा क्यों नहीं दिख रहा है?
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Sound Engineer