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रिफ्यूजी कैंप - Part 14 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

रिफ्यूजी कैंप - Part 14 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
‘रिफ्यूजी कैंप’ भारत के लोगों की एक अद्भुत यात्रा है, जो अपनी तकलीफों के अंत के लिए चमत्कार की राह देखते हैं, पर यह नहीं समझ पाते कि वे खुद ही वो चमत्कार हैं। जब तक लोग खुद नहीं जगेंगे, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। मुझे पता है, उम्मीद की इस कहानी को लिखने की प्रेणा लेखक को उनकी बेटी से मिली है, जो यह जानना चाहती थी कि क्या वह अपने पुरखों की धरती कश्मीर की घाटी में लौट पाएगी? writer: आशीष कौल Voiceover Artist : ASHUTOSH Author : Ashish Kaul
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ऑमलेट खाकर सम्राट और सुस्ती पसंद है । उन्हें सोता समझकर अभिमन्यु ने अपने कपडे उतारे और उन्हें धोनी वो बातों में चला गया । सम्राट की नजर से वो बात छिपी नहीं । उसने रस्सी पट्टन रही अपनी लूंगी बातों के दरवाजे पर लटका जाए और आकर चुप चाप पडा रहा हूँ । सम्राट झगडालू था, बिगडैल था, बत्तमीज था और उसमें इंसान के मन की बात जान लेने की अजीब ताकत थी और ऐसे बिगडैल लडके को अभिमन्यु ने पूरी तरह से स्वीकार किया था । इसका सबूत थी वो लूंगी । अभिमन्यु ने जब दरवाजा खोला तो उसके हाथ होलोंगी लगी । जब उसने बातों बंद किया था तब बोलूंगी वहाँ नहीं थी । विनोद इतना सुस्त था कि अगर उसे लुंगी देनी होती तो वह आवाज लगाता हूँ कि भाई लूंगी चाहिए तो उधर रखी है । ले ले पर दरवाजे पर लटकी लूंगी खामोशी से अभिमन्यु को सम्राट की दोस्ती का पैगाम दे रही थीं । अभिमन्यु ने एक नजर भर सम्राट को देखा । सम्राट आंखें बंद करके जाग रहा था । उसे नींद नहीं आ रही थी । अभिमन्यु ने लुंगी अपने कमर पर बांधनी और बिना आवाज किए अपने कपडे सुखाने और टेरिस पर गया । वो कपडे सुखा रहा था कि सम्राट ने टेरिस पर आकर अपना ट्रांजिस्टर चालू किया और एक सिगरेट जलानी । सिगरेट कि सुनते ही अभिमन्यु के मन में मुख्तार की आज चलो । वो जलती सिगरेट को देखता रहा । लेकिन इस बार उसने सम्राट को सिगरेट पीने से रोका नहीं । उसके जीवन में वो अधिकार सिर्फ मुख्तार का था जो उसने कभी किसी और को नहीं दिया । सम्राट ने रेडियो का वॉल्यूम बढा दिया और इसके बाद भी ये हुआ कि रेडियो पर किशोर का गाना आ रहा था । जब जिस वक्त किसी का यार जुदा होता है कुछ पूछो यार हूँ दिल का हाल बुरा होता है दिल पे यादव के जैसे तीर चलते हैं दिए चलते हैं खून खेलती है बडी मुश्किल से मगर दुनिया में दोस्त मिलते हैं यहाँ अनंतनाग में मुख्तार का हाल बेहद बुरा था । जब से अभिमन्यु गया था उसने बिस्तर पकड लिया था । खाना पीना भी तकरीबन छूट ही गया था । मुख्तार ने अभिमन्यु के बिना जीना सीखा ही नहीं था । वो दिन भर उदास बैठा रहता था । दिन में दस बार अभिमन्यु के घर के चक्कर लगता था और जब कुछ भी नहीं कर पाता तो अपनी अम्मी से कहता है कि मुझे जम्मू जाने दो, मुझे उस से मिलना है । मुझे बस देखाना है कि मेरा अभिमन्यु ठीक है या नहीं । जब से गया है कोई खबर नहीं वादी अभी सुलह ही रही थी । बाहर हालात इतने खराब थे की सेना को शूट एट साइट के ऑर्डर जारी करने पडेंगे । उसकी वजह भी नहीं कि जेकेएलएफ जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट जगमोहन को ऑलमोस्ट किडनैप कर चुके हैं और उनकी किस्मत अच्छी थी कि बच गए । जिहादियों की इतनी हिम्मत देखकर जगमोहन सरकार सख्त हो गई थी और उन्होंने जिहादियों से लोहा लेना शुरू किया था । अब वादी में मुसलमानों के मन में जगमोहन के खिलाफ आक्रोश था क्योंकि जगमोहन ने मुसलमानों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की थी जिसके चलते अब वहाँ मुसलमानों के जनाजे उठ रहे थे । ऐसे हालातों में अपने इकलौते बेटे को शहनाज कैसे जाने देते हो । कर्फ्यू से लोगों का जीवन जैसे थम गया था । अब तो वहाँ मुसलमान दोनों तरफ से मारे जा रहे हैं । जिहादियों को मदद नहीं करते तो उनकी तरफ से और उनकी मदद कर रहे थे । इसलिए हिंदुस्तानी फौज से लोग सिर्फ सांस ले रहे थे इसलिए पुलिस जिंदा कहा जा सकता था । उनके हाथ अब सिर्फ दुआ के लिए उठ रहे थे । दुवाओं का असली असर तो अभिमन्यु पर नजर आ रहा था । आज उसके सिर परीक्षा थी और वो आजादी से उसके नीचे सांस ले रहा था । इस बात से बेखबर की आज आरती फिर एक बार अपने घर से बेघर होने जा रही नहीं । कैंप में आरती शाम से अभी प्रताप की राह देख रही थी । वो आज दिन भर उदास रही । अभिमन्यु उनसे दूर गया था । ये एक वजह तो थी ही पर उन्हें आज खुद पर भी थोडा थोडा कुछ सारा उसे लग रहा था कि वह बिल्कुल ही स्वार्थी माँ है । अपने बेटे को यहाँ से सुरक्षित करके भेज दिया । पर यहाँ और कितने बच्चे हैं जिनके बाप शायद उस नरसंहार में मारे गए विधवायें हैं उन्हें कौन सहायता करेगा । वो दिन भर यही सोचती रही कि अजय प्रताप के आते ही वो इस पर उनसे बात करेगी । देररात अभय प्रताप कैंप पहुंचे उनके चेहरे से ही आरती ने अंदाजा लगा लिया कि उनकी तबियत खराब है । वो बेहद खामोश हो गए । आरती ने उन्हें टेंट में चलने के लिए कहा और उन्होंने मना कर दिया । वो टेंट के बाहर ही एक बडे से पत्थर पर बैठे हैं । पूरा ऍम सोने की कोशिश कर रहा था । आरती भी उनके पास आकर बैठ के अभिमन्यु वहाँ ठीक है ना । उन्होंने पहला सवाल किया अभय प्रताप ने सिर्फ गर्दन हिलाकर वहाँ का काफी देर दोनों खामोश बैठे रहे हैं । आरती को उनसे हजार सवाल पूछने नहीं पर उनकी खामोशी अब आरती को डरा रही थी । चुप न रहकर आरती ने पूछा हुआ क्या है? आपकी उदासी मुझ से सही नहीं जा रही है तो अब हमें शायद कुछ दिन यहीं रहना पडेगा । नहीं हालत अभय प्रताप नहीं । अब प्रताप ने आरती को कॉन्फिडेंस में लेना शुरू किया । कब तक? आरती ने दुखी होते हुए पूछा शायद महीने दो महीने क्यों इतना वक्त क्यों ले रही है सरकार हमें अपने घर भेजने के लिए । आरती ने दर्द में पूछा क्योंकि अब वहाँ अपना कोई घर नहीं रहा । जला दिया गया है । कुछ भी नहीं बचा । उनके इस वाक्य से आरती के मन में दूर दूर तक सन्नाटा छा गया । उसके बाद के हर पल में आरती की आंखों में उनका पूरा घर उतर आया । उस पल दो पल में शायद आरती उसके घर की एक एक कोने को मानो छू कराई । अभय प्रताप को लगा कि वो शायद होएगी चिल्लाएगी फूट पडेंगे । पर उसने ऐसा कुछ भी नहीं है । कुछ खास जोडे स्वर्ग से धरती पर सकते हैं । एक दूसरे के लिए बने होते हैं । अभी प्रताप और आरती शायद उन में से कितने साल अभय प्रताप के साथ गृहस्ती करने के बाद कुछ जान गई थी कि अजय प्रताप की आंखों में ये जो दुःख उतर आया है वो घर के खाक होने का जरा भी नहीं । वो उसे फिर से बना सकते हैं । ये कुछ और बात है जो मुझे अभी बताना नहीं चाह रहे हैं । भगवान ने औरत को बनाकर सच में कमाल किया है तो छोटी छोटी बातों के लिए रोएगी झगडे गी रूट जाएगी । पर जब पहाड जितनी बडी मुसीबत उन पर टूट पडे तो पता नहीं उनमें उस से लडने की हिम्मत कहाँ से आ जाती है । वही हिम्मत इस वक्त आरती महसूस कर रही थी । उसे मालूम था कि इस वक्त उसके पति को उसके साथ की जरूरत है । वो कमजोर नहीं पढ सकती । घर तो फिर बन जाएगा । पर अगर आपने अपने आपको खो दिया तो मैं कहाँ होंगे आप अब तो ये कैंप भी हमारा घर है पर मैं उसमें अपने पति को सर उठाकर आते देखना चाहती हूँ । आरती ने अपने पति के लिए अपना प्यार जाहिर किया । आरती का वो रूप देख अब प्रताप की खोई हुई हिम्मत फिरसे वापस आ गई । सुबह से परेशान अभय प्रताप के चेहरे पर एक मुस्कुराहट डैडी जो आरती की जानी पहचानी नहीं, उन्हें मुस्कुराता देख वो भी मुस्कुरा दी और दोनों ने एक दूसरे के हाथ ऐसे था में जैसे कि अब हम कभी भी कमजोर नहीं पडेंगे । कितनी देर उन्हें दूर से देखती । रोशनी की आंखों से खुशी के आंसू छलक कर खुशी के आंसू छलक उठे और मुस्कुराते हुए इसने कहा आंटी ने शाम से कुछ नहीं खाया । अगर आप दोनों का रोमांस खत्म हुआ हूँ तो कुछ खा लीजिए । ऍम इस शब्द का ख्याल कि ऐसे हालात में अभिमन्यु की मन में आ नहीं सकता था । पर वो किन परिस्थितियों से होता हुआ यहाँ आया है । इससे बे खबर जसप्रीत आने वाले दिनों में रोमांस शब्द से अभिमन्यु की दुनिया शादाब करने वाली नहीं और मोहब्बत का क्या है? होनी होती है । तो हालात कैसे भी हूँ ही चाहिए । दुनिया का सबसे खूबसूरत जस्पा वहाँ पर जो मुश्किल आदमी भी अपनी एक अलग खूबसूरत दुनिया बना लेता है और जसप्रीत अभिमन्यु को वहाँ ले जाने के लिए खुद पहुंचने वाली ये बात अभिमन्यु भी नहीं जानते । उस दिन सम्राट ने जसप्रीत को सुबह लाइब्रेरी में मिलने का वादा किया था और सम्राट और सुस्ती अभी तक उनके कमरे में लेटे पडे थे । अभिमन्यु कॉलेज जाना चाहता था और सर्दी के दिन थे तो अभिमन्यु के कपडे अभी तक सूखे नहीं थे । स्नान करके फिर से लुंगी लपेट के चुप चाप बैठा था । एक पल के लिए उसके मन में आया भी की गीले कपडे पहनकर चाहूँ क्या फर्क पडता है । पर सर्दी इतनी थी कि गीले कपडे पहनने पर वो बीमार पड सकता था और बीमार पडना वो बर्दाश्त नहीं कर सकता था । कॉलेज, हॉस्टल और मैस की फीस भरने के बाद अभिमन्यु के पास सिर्फ पचास रुपए बचे थे और आगे पूरा महीना बाकि था । ऊपर से हॉस्टल में फीस जमा होने के बावजूद इस घर के भाडे का भी बोझ उस पर आ गया था । साबुन, भ्रष्ट तेल और कम से कम एक अंडरवेयर खरीदना उसके लिए जरूरी था और वो बच्चे हुए पैसे उसके लिए भी कम पडने वाले थे । ऐसे में बीमारी पर कौन खर्चा करना चाहेंगे? अभिमन्यु कपडे सूखने का इंतजार करता रहा । उसका मन किया कि उठकर चाय बना कर दिए हैं पर वो अपने दोस्तों पर हैं । किसी तरह से भी बोझ नहीं बनना चाह रहा हूँ । अपनी चाय पीने की इच्छा को उसने अपने अंदर दबा दिया और ये सोचने बैठ गया की आने वाले तीन साल इस कैंपस में कैसे निकालने साइंस छूट गया । आठ में क्या कर सकते हैं । सोचते सोचते उसे अपनी राह मिली थी की मैं भी पापा की तरह ही आगे चलकर पत्रकारिता का कोर्स करूंगा और वादी में जले आपा के अखबार को फिर से खडा कर रहा हूँ । इस ख्याल से वो खुश था और इस खुशी को जाहिर किया । किसी के पैरों में बंधी पायलों की आवाज में । इस ख्याल से वो खुश था और खुशी को जाहिर किया । किसी के पैरों में बंधी पायलों की आवाज में वो पायल की आवाज अभिमन्यु को बडा आनंद दे रही है । ये किसकी पायलों की आवाज है ये देखने के लिए अभिमन्यु ने उठकर दरवाजा खोला और दरवाजे पर जसप्रीत । फिर एक बार वो बेहद गुस्से में नहीं कहाँ है वो उसने गुस्से में पूछा होगा । अभिमन्यु लुंगी लपेटे जिस हालत में था लडकी के सामने उसे बेहद शर्म महसूस पर कुछ कर नहीं सकता है । उसके जवाब का इंतजार के बिना जसप्रीत रूम में अंदर चली गई और सो रहे सम्राट को आवाज देकर जागने लगी । जसप्रीत को अपने कमरे में देख सुस्ती एकदम गडबडा गया बाहर जाकर देखने लगा कि उनके कमरे में लडकी को आती किसी ने देखा तो नहीं । उनके घर में लडकी के कदम पहली बार पडे थे जो जरा भी अलाउड नहीं था । सुस्ती को फिक्र थी कि अगर मकान मालिक ने घर खाली करने के लिए कहा तो कहाँ जायेंगे । तब तक सर्दी का बहाना करते अभिमन्यु ने वहाँ पडी एक चादर से अपने आप को ढक लिया और सोये बडे सम्राट के पास जाकर उसे उठाने की कोशिश करने लगा । अभिमन्यु के जागने और जसप्रीत के शोर से सम्राट जाग गया और जसप्रीत को अपने रूम में देख उसे बडा झटका लगा तुम यहाँ क्या कर रही हूँ रोड पर लाख होगी हमको जसप्रीत को बहुत गुस्सा चढाना । उसने गुस्से में कहा अगर तू कॉलेज पहुंचता तो मुझे यहाँ आने की जरूरत ही नहीं पडती है । जसप्रीत सम्राट पर बसने लगे तुझे अपने कॉलेज की जबकि बडी है नहीं । यूनिवर्सिटी कॉलेज कंपटीशन में ये डिबेट फाइनल स्कोर तय करेगा । रणदीप ने जानबूझकर तुझे इस डिबेट में धकेला है । वो जानता था तो एक नंबर का फुकरा इंसान है आईएचएम कॉलेज से डिवेट जीतना मेरे बस की बात नहीं है तो हार जाये और फिर कभी अपने इस कॉलेज में सर उठाकर न चले, ये उसकी चाल थी और मेरी भी तो सोच मेल और फीमेल रिप्रेजेंट की शर्त नहीं होती तो वह डिबेट जीतने के लिए मैं अकेली काफी थी । तेरी फुकरे पंती के चलते मैं क्यों जिंदगी भर से नीचे करके चलूँ । वहाँ रणदीप की दादागिरी के चलते कोई दूसरा पार्टनर मेरे साथ आने के लिए तैयार नहीं है । आगे के शब्द जसप्रीत ने गला फाड के कहीं मेरी मुश्किल समझ रहा है तो अब उठेगा दे मारूं कहते । जसप्रीत ने गुस्से में सम्राट को मारने के लिए वहाँ पडा चिंता उठाया और उसकी तरफ उसके चिमटे से बचने के लिए सम्राट कूटकर पलंग से हटा और कहा कि पागल हुई है लडकी और जसप्रीत का पागलपन । अभिमन्यु पर भारी पडा, सम्राट की तरफ फेंका गया । चिंता जाकर अभिमन्यु के सिर पर लगा । उसकी सर से खून बहने लगा । एक पल के लिए सब की सब शांत है और अपनी पायल का शोर करती जसप्रीत अभिमन्यु की तरफ बडी उसने अभिमानियों की सडकों पर अपना हाथ रखकर खून रोक दिया और सुस्ती को गर्म पानी लाने का ऑर्डर दिया । सम्राट दोनों को देखे जा रहा था और सुस्ती पानी गर्म करने लगा । इतना तेज गुस्सा करने वाली जसप्रीत ने जब बेहतर खून देखा तो उसकी आंखों से तब तब आंसू बहने लगे । अभिमन्यु उनसे कहता रहा कि इतनी ज्यादा नहीं लगी है । पर उस वक्त जसप्रीत को वो सुनाई नहीं दे रहा था । वो अपने आप में ही थी । मेरी वजह से किसी इंसान को चोट लग गई । गेट से वह भर गई । आंख से आंसू चल रहे थे । अपने आप को कोसती । रोती जसप्रीत अभिमन्यु से माफी मांगे जा रही थी । फिर उसके अंदर का दुख अब उन आंसुओं के रूप में बहने लगा । वो कहने लगी मुझे यहाँ आना ही नहीं चाहिए था और सम्राट ने बेडागर्क कर रखा है । तुम मेरी कोई बात नहीं समझेंगे । डिपेंड हार गए तो बडी बेज्जती हो जाएगी । अपने कॉलेज की अभिमानियों की नजर उसपर से हट ही नहीं रही थी । रोरोकर उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था और अभिमन्यु को वो बडी सुंदर मालूम पड रही थी । अचानक अभिमन्यु ने कहा मैं तुम्हारे साथ डिबेट लूंगा । मैं तुम्हारे साथ डिबेट में हिस्सा लूंगा । एक पल में जसप्रीत की सारी हरकतें रुक गए । रोना भी थम गया और एक आश्चर्य से उसने अभिमन्यु को देखा हूँ । अभिमानियों की आंखों में गहराई थी जिसमें वो डूबती चली गई । उसे मालूम नहीं था कि ये लडका कौन है? इसकी काबिलियत क्या है? ये डिबेट जीतने लायक है भी या नहीं । पर उसने महसूस किया कि मैं जीतूं या नहीं ये मुझे मालूम नहीं । पर अब मुझे हारने से डर नहीं लगा । अपनी आंखें पहुंचकर उसने गर्म पानी में अपना रुमाल भी हो गया और अभिमन्यु की जख्म साफ करने हुई मैं कर लूंगा । अभिमन्यु ने रुमाल अपने हाथ में लेते हुए गा । अचानक से जसप्रीत को महसूस हुआ कि वह तीन लडकों के रूम में वो फटाफट उठ कर खडी हो गई । सम्राट ने अपने पास पडा बैंडेड अभिमन्यु के जख्म पर लगा दिया । अभिमन्यु को ठीक देखकर जसप्रीत ने कहा मैं आगे कॉलेज चलती हूँ । तुम तैयार हो कर आ जाना । फिर मिलकर तैयारी करते हैं । वो चली गई । उसके जाते ही सम्राट अभिमन्यु पर फूट पडा और कहने लगा जी ओ मेरे यार कितनी बडी मुसीबत से बचा लिया । मुझे कोने में बैठे सुस्ती का रिएक्शन बिल्कुल अलग था तो चीज क्या है? भाई आते ही पहले सीधा फुटबॉल टीम में एंट्री मारी । दूसरे ही दिन लडकी के दिल में अब क्या क्या तबाही मचाने वाला है तू मेरा ख्याल करना हम तेरे सीनियर्स हैं समझाना । सुस्ती ने अभिमन्यु को उसका सीनियर होना जताया । उन दिनों सीनियर से जूनियर्स काफी डरते थे । वो दौड रैगिंग का था और सीनियर्स के लिए फुल ऑन एंटरटेनमेंट का जरिया । वो इसे अपने जन्मजात अधिकार की तरह इस्तेमाल किया करते थे । कोई भी सीनियर्स से नहीं बचता तो बोला अभिमन्यु भी कैसे बचता हूँ । जसप्रीत के जाने के बाद तैयार होकर सम्राट अभिमन्यु और सुस्ती कॉलेज पहुंचे । भले ही आधा टम खत्म हुआ हूँ । अभिमन्यु के लिए कॉलेज का पहला ही दिन था । पहले दो लेक्चर तो मिस हो चुके थे । अब तीसरे लेक्चर में एक हैंडसम बंदे को अपनी क्लास रूम में पाकर लडकियाँ फुसफुसाने लगी । सबकी नजरें बार बार अभिमन्यु को देख रही हैं । उसके बारे में ही चर्चा हो रही थी । क्लास के लडकों से भला बात कैसे सही जाता है? क्लास के थोडे दबंग लडकों ने अभिमन्यु को घेर लिया हूँ । नया है हाँ! तो मुझे मालूम नहीं है ना! और नहीं । अब तक तो जसप्रीत ने भी क्लास में एंट्री ले ली थी और वो भी समझ गई कि अभिमन्यु की ट्रैकिंग शुरू है । हल्की फुल्की रैगिंग में एक अपने तरह का मजा होता है । पूरी क्लास अब अभिमन्यु कि रैगिंग का मजा लेने लगे, जिसमें सम्राट सुस्ती और जसप्रीत भी शामिल हो । खडा रह बेंच पर एक ने कहा जल्दी जल्दी सारी क्लास चल रही है । इतने सारे दबाव के कारण अभिमन्यु चुप चाप बेंच पर खडा होगा । चलते हैं अपने सारे सीनियर्स को सलाम होगी । दूसरे ने कहा अभिमन्यु को बडा अजीब लगा । वो ऐसा कुछ करने के लिए तैयार नहीं था । वो वैसे ही खडा रहा और पूरी क्लास उस पर प्रेशर डाल दी । बडों को सलाम करने में शर्म आती है क्या? जसप्रीत उसकी रेटिंग लेते हुए चिल्लाई । सब जोर जोर से हंसने लगे । अभिमन्यु एकदम सहम गया । अब सब स्टूडेंट्स बेंच बजाने लगे और चिल्लाने लगे कि सलाम ठोको सबको सलाम ठोकता । पर अभिमन्यु हूँ । उसके लिए राजी नहीं था और बेंच की आवाजें बढती जा रही है । जसप्रीत सम्राट और विनोद भी इस सब कम मजा ले रहे थे । जसप्रीत उसे हस्कर शायद इशारों में समझाना चाह रही थी कि अब कर भी दो सलाम और मजे ले लो इस लम्हे ये शायद फिर तुम्हारी जिंदगी में नहीं आने वाले । उसे देख अभिमन्यु मन में सोच रहा था कि ये वही लडकी है तो अभी थोडी देर पहले हो रही थी और तभी रणदीप की एंट्री हूँ । उसके साथ कॉलेज के सीनियर लडके, टोनी और हरपाल भी उनके आते ही शोर थोडा कम हो गया पर रैगिंग चालू ही रही है । रणदीप समझ गया कि अभिमन्यु कि रैगिंग चल रही है । रणदीप को देखते ही सम्राट ने अभिमन्यु को नीचे उतरने का इशारा किया । अभिमन्यु नीचे उतर नहीं वाला था कि रणदीप ने कहा खडा है । वैसे ही तो नहीं बहुत सीनियर मालूम पड रहा था । उसने गंदे तरीके से कहा हमें भीतर तेरह मजे लेने चीजें सारी क्लास हंस पडी सिवा सम्राट जसप्रीत और सुस्ती । रणदीप ने गौर किया कि जसप्रीत का चेहरा सिकुडता गया है । रणदीप ने तुरंत अभिमन्यु को कहा । वहीं खडा रहकर एक करोड की उल्टी गिनती का ये करना अभिमन्यु के लिए आसान था । उसने इंग्लिश में उल्टी गिनती करना शुरू किया और रंजीत ने उसे बीच में रोकते हुए कहा कि अंग्रेजी में नहीं । हिंदी में अब अभिमन्यु के लिए बडी मुसीबत हो गई । कश्मीर के स्कूल में हिंदी या उर्दू यह ऑप्शन होता है । कश्मीर में रहते कौन हिंदी भाषा चलता है तो लाजमी था कि अभिमन्यु ने उर्दू भाषा चुनी थी और उसे हिंदी में लिखना पढना रहा था । नहीं हिंदी की गिनती वो फिर सहम सा गया हूँ । रणदीप उस पर दबाव बढाता गया और अभिमन्यु को कोसने लगा । कांग्रेस की औलाद अपनी भाषा तो आती नहीं और यहाँ आकर फुटबॉल टीम में भर्ती होना है । नहीं, अब तो गिनती करके ही यहाँ से उतरेगा ग्राउंड की नफरत । अपने आप संदीप से बाहर निकल रही थी । हल्की फुल्की रहेगी । अब मुठभेड में तब्दील होती दिख रही थी । जसप्रीत समझ गई कि अभिमन्यु अब समस्या में खेल सकता है । कॉलेज की गुंडे अभिमानियों का बुरा हाल कर सकते हैं । सम्राट उठकर कुछ बोलने ही वाला था कि जसप्रीत उठकर अभिमन्यु के पास बेंच पर जाकर खडी हो गई । रणदीप जसप्रीत को पसंद करता था पर जसप्रीत ने उसे कभी भाव नहीं दिया था । इन बदमाश लडकों से वो हमेशा से ही दूर रहती नहीं है । रणदीप हमेशा कोशिश करता हूँ कि जसप्रीत के सामने इसका इम्प्रेशन अच्छा रहे । जसप्रीत के सामने वो काम पंगे करता था और साथ ही साथ इसका भी ख्याल रखता था कि बाकी स्टूडेंट्स में उसका डर बना रहे हैं । जसप्रीत को इस मामले में पूछते थे रणदीप थोडा शांत पड गया तो मैं हिंदी नहीं आती । जसप्रीत ने अभिमन्यु को पूछा हूँ नहीं । अभिमन्यु ने जवाब दिया । जसप्रीत ने अभिमानियों से कहा मेरे पीछे दौरान और जसप्रीत ने हिंदी में उल्टी गिनती करना शुरू किया । अभिमन्यु ने उसे फॉलो किया ये सोचते हुए कि क्या बंदी है, दगा भी देती है जो अभी करती है और तभी क्लास रूम में टीचर ने एंट्री मई और अभिमन्यु की रैकिंग पर फुल स्टॉप लग गया । यहाँ तो फुल स्टॉप लग गया और रणदीप के मन से वो बात नहीं जा रही थी कि जसप्रीत उस लडके में क्यों इंटरेस्ट ले रही है । रणदीप के दिल में अभिमन्यु का आना चुभने लगा था ।

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‘रिफ्यूजी कैंप’ भारत के लोगों की एक अद्भुत यात्रा है, जो अपनी तकलीफों के अंत के लिए चमत्कार की राह देखते हैं, पर यह नहीं समझ पाते कि वे खुद ही वो चमत्कार हैं। जब तक लोग खुद नहीं जगेंगे, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। मुझे पता है, उम्मीद की इस कहानी को लिखने की प्रेणा लेखक को उनकी बेटी से मिली है, जो यह जानना चाहती थी कि क्या वह अपने पुरखों की धरती कश्मीर की घाटी में लौट पाएगी? writer: आशीष कौल Voiceover Artist : ASHUTOSH Author : Ashish Kaul
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