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प्यार तो होना ही था - Part 9 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
यह प्रेमकथा उन सारे युगल प्रेमियों को समर्पित है, जिनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई... writer: हिमांशु राय Author : Himanshu Rai Script Writer : Shreekant Sinha
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मुझे पता नहीं पर मैं छोटी मुस्कान भी नहीं दे पाया । मैंने उन्हें देख कर का यहाँ किसने फोटो लगाई ये फोटो उन्होंने जवाब दिया कि मैंने मम्मी को इसको यहाँ लगाने को कहा क्योंकि तो मैं उस से बहुत प्यार करते हो । वैसे भी तुम ने मम्मी को अनुज के बारे में मनाने में मेरी बात तो इतना तो बनता था । उन्होंने कहा मुझे पसंद नहीं आया । उन्होंने कहा तो मैं पसंद नहीं आया । मैंने झूठा उत्साह दिखाते हुए कहा सच नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है पर इसके लिए थैंक्स मुझे वो फोटो पसंद है । पर मैं इससे ज्यादा और कुछ नहीं सोच सकता था की मेरे माता पिता ने नव्या को स्वीकार कर लिया है । मुझे वो फोटो पसंद है पर मैं इससे ज्यादा और कुछ नहीं हो सकता था । मेरे माता पिता ने नाम क्या को स्वीकार कर लिया है पर पैसे ही का क्या होगा । अगर उसकी फोटो मेरे साथ यहाँ पर ठंडी रही होगी तो क्या होगा? सुरखी थी ने मुझे मेरी कमरे में अकेले छोड दिया और मैं उस फोटो को देखता रहा और गेस्ट हाउस कर परेशान हो गया की अब मैं क्या करूँ? क्या मुझे उससे मिलना चाहिए और मिलकर ये बता देना चाहिए कि मैं उसके बारे में क्या सोचता हूँ । क्या मुझे उसे भूल जाना चाहिए? मैं ना आया और अपने परिवार के साथ बैठकर नाश्ता किया और अपने पुराने स्कूल के कुछ दोस्तों को फोन किए जो छुट्टियों में अपने अपने घर वापस आए हुए थे । मैंने विक्रम के घर भी फोन किया तो पता चला कि वह कल आएगा । उस दिन मौसम काफी अच्छा और खुला था और जाडे में सूरज की धूप मिलने से ज्यादा अच्छा और क्या हो सकता है । मैं छत पर गया और मजे से धूप सेकने लगा । तभी सुरभि दिया गई । पापा ने छत पर बहुत सारे फूल होगा रखे थे और वहाँ रंगों की बाहर थी । उन्होंने मुझे चिंतित देखा और उसके पीछे का कारण जानना चाहती थी । उन्होंने मुझसे पूछा क्या मैं किसी और को पसंद करने लगा हूँ और नव्या को छोड देना चाहता हूँ? मैंने उनकी बातें सुनी पर फिर दूर खडे आम के पेड को देखने लगा । मैंने कहा पता नहीं क्या हो गया है । मैं उसे अभी भी प्यार करता हूँ और मैं किसी और को उससे ज्यादा प्यार करने लगा हूँ । वो मेरे साथ पडती हैं, उसका नाम रह रही है । वो मेरी पक्की दोस्त है और कॉलेज में सभी सोचते हैं कि वह मेडिकल स्टूडेंट हैं और मैं उसके साथ अपने रिश्ते को लेकर संशय नहीं होगा । जब मैं उसके साथ होता हूँ ना तो मुझे कुछ भी याद नहीं रहता है और मैं उसी के साथ रहना चाहता हूँ और जब मैं उस से दूर होता हूँ तो तब क्या मेरे दिमाग में अच्छा जाती है । जब मैं इस बात पर यकीन करना चाहता हूँ कि मैं हत्या से प्यार करता हूँ तो वही मुझ पर हावी हो जाती हैं । बहुत कंफ्यूज होती थी । उन्होंने मुझे ध्यानपूर्वक सुना और फिर कहा कोई कन्फ्यूजन नहीं है भाई तो हम वैसे ही से प्यार करते हो । मैंने उनकी तरफ देखकर यह समझने की कोशिश की कि वह इतने दावे के साथ कैसे कह सकती हैं । तब उन्होंने समझाया, पिछले दो सालों में तो में किसी ने भी नब्बे से अलग नहीं किया । तुम किसी भी तरह उस से अलग नहीं हो सकते थे, पर बैठे हैं ये सेकेंडों में कर दिया । इसलिए तुम पर उसका चाहते चल गया । विश्वास करो रोहन तुम वैदेही से प्यार करते हो । मैंने उन्हें बहुत ध्यान से सुना और के महसूस किया कि वह सही कह रही हैं । अब मैं थोडा भी उलझा नहीं था । मैंने उनके गाल फिर से खींचे और जोर से चिल्लाया दीदी तो भारत धन्यवाद । मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ । मैंने बहुत गंभीर होकर उनसे पूछा क्या मुझे उसे प्रोपोज कर देना चाहिए? उन्होंने कहा इससे पहले की कोई उसे प्रपोज करें तो मुझसे प्रपोज करता हूँ । आई कभी कभी ब्याज में आपको सोचना नहीं चाहिए । बस कर देना चाहिए । अपनी आंखें एक मिनट के लिए बंद करो और ये देखो के उन दोनों में से कौन तो मैं सबसे ज्यादा देखती है । मैंने उनके बात सुनी और फिर वैसा ही किया । मैंने अपनी आंखें एक मिनट के लिए बंद करके और वैदेही को ही अपने सामने मुस्कुराते हुए पाया । मैंने उसे अपने पास महसूस किया । मैं उसकी मुस्कान को महसूस कर सकता था तो मेरे आस पास कहीं भी नहीं थी । पर ऐसा लग रहा था कि वो मेरे आस पास ही है । तो अब मुझे पक्का यकीन हो चुका था की मैं दही से प्यार करता हूँ । मैंने निश्चय किया कि मैं उसे नए साल की पूर्व संध्या पर प्रपोज करूंगा और नए साल की शुरुआत अपने प्रयास के साथ करूंगा । मैं दो जनवरी को जबलपुर वापस जाऊंगा और अगले दिन उससे कल मिल सकूंगा । मेरी एक एक दिन बिताना बहुत कठिन था इसलिए मैं बात में घंटों शीशे के सामने बैठकर उसे प्रपोज करने का अभ्यास करता था । मेरी माँ इस बात से चिंतित थी कि मैं इतना सारा समय बात में क्यों बताता हूँ या फिर खुद को कमरे में बंद क्योंकि ये कहता हूँ वह अक्सर पापा से कहती है, मेरा बेटा बदल गया है, आपके इलाका रहता है । नए साल की पूर्व संध्या थी और मैं वैसे ही को प्रपोज करने वाला था । मैंने अपनी बहन को इस बारे में बता दिया था कि मैं बगल के एसटीडी बूथ में जाऊंगा और वैदेही से बात करूंगा । उसने मुझे शुभकामनाएं नहीं । मैं पापा स्कूटर से वहाँ गया । उस दिन बहुत ठंड पड रही थी । मैंने सिविक सेंटर से खरीदा हुआ जैकेट पहला सडकों में भीड थी और लोग खुशियाँ मनाने के मूड में थे । मैंने स्टडी के सामने अपना स्कूटर पार किया और उसके अंदर घुस गया । वहाँ पर काफी भीड थी । मैंने तो चूना क्योंकि वो स्वयं प्रोफ कमरा कहलाता था । मैंने एक सीटी और रिसीवर उठाया । मेरा दिल बहुत तेजी से धडक रहा था और मेरे कान भी बहुत कर्म हो रहे थे और मेरे सिर के दोनों तरफ हो रहा था । मैं बहुत खबर आया हुआ था । अगर उसने मुझे कर दिया तो क्या होगा? अगर उस से दोस्ती टूट गई तो क्या होगा? ऐसे कई सवाल मेरे दिमाग में घूम रहे थे । मैंने अंदर एक पोस्टर लगा हुआ देखा जिस पर लिखा हुआ था जितना जरूरी है उतना ही बात कर रहा हूँ । दूसरे भी कतार में हैं । मुझे उससे साफ साफ बात करनी चाहिए क्योंकि उसके लिए कई आठ लडके भी इंतजार कर रहे थे । मुझे पता था कि मैं उससे प्यार करता हूँ और मुझे हमारे रिश्ते के बारे में भी पता था । मुझे पक्का पता था कि वो भी मुझसे प्यार करते हैं । मैंने उसका नंबर डायल किया । मैं जनवरी के महीने में पसीने से था । मैं रिंग टोन सुन पा रहा था । कभी किसी ने फोन उठाया तो उसका भाई था । मैंने पूछा क्या मैं दही से बात कर सकता हूँ? यह सुनकर उस ने मेरा नाम पूछा । उसने फोन होल्ड में रखा और उसका नाम देकर चलाया । मैं फोन तक उसके दौड कराने की आवाज सुन सकता था । उसने फोन उठाया और अच्छा आप कौन हैं? मैंने संभालते हुए कहा मैं तो उसने पूछा क्या तुम वापस हो या अभी मुझे सागर से फोन कर रहा हूँ । मैंने कहा नहीं मैं भी सागर में हूँ । कल वापस होंगा । फिर उसने पूछा तो फिर बताइए मिस्टर वर्मा क्या चल रहा है मैंने उसे तो मैं और तुम्हारे परिवार को नए साल की बहुत बहुत बधाई हो । उसने भी मुझे नए साल की बधाई दी । जब उसने कह लिया तो मैंने उससे कहा मैं तुमसे कुछ और बात कहना चाहता हूँ क्या हुआ सब कुछ ठीक है ना । उसने पूछा मैं थोडा डरा हुआ था । मैं अपने माथे पर पसीने की लकीरे महसूस कर सकता था । मेरी आंखों में छप अपना बंद कर दिया था और मैं अपने दिल की धडकनों के अलावा कुछ और नहीं सुन पा रहा था । अंतत मैंने कह दिया आई लव क्यों? मैं शुरू हुआ और वो भी अच्छी थी । मैंने कहा आइल ऑफ यू जब भी तुम्हारे साथ होता हूँ तो भी देखता रहता हूँ और शक्ति तुम्हारे साथ नहीं होता तो तुम्हारे ही सपने देखा करता हूँ । जब मैं आंखे बंद करता हूँ और तो मुस्कुराते हुए देखता हूँ तो खुली आंखों में भी तुम्हारे ही सपने देखता हूँ । जब तुम पास होती हूँ तो मैं तो मैं होना चाहता हूँ और जब तो मुझे छोटी हूँ तो मैं तुम्हें गले लगाना चाहता हूँ । तुम्हें मुझे पूरे तरीके से बदल दिया है मैं वो तो हम वर्मा नहीं रहा । अब मैं तुम्हारे लिए रोहन शर्मा बनना चाहता हूँ । उसने बडे आराम से मुझे सुना और कहा अच्छा मैं तो कह रहा था कि कहीं फोन से निकलकर पूछे चार छापा नाटक करते हैं और साथ में उसकी न से भी डर था । मैंने फोन नीचे रखने की सोची । मैंने कहा मैं तो मैं कहना चाहता हूँ अच्छा बाय मैंने चलता । फांसी में इतना बोला और रेल सीवर नीचे रखने की सोची । इतने में उसने अपना माहौल थोडा और कहा रोहन रुको अपना फोन नीचे हूँ और उससे बात करो । मैंने कहा मैं तुमसे अभी इस स्थिति में बात नहीं कर सकता हूँ । वो जोर से कहने लगी कि मैं फोन नीचे न रखता हूँ और फिर उसने कहा सुनो रोहन तुम और मैं बहुत अच्छे दोस्त हैं । मैंने फोन उठाया और कहा हाँ हाँ हूँ । उसने कहा कि देखो तो मुझसे ऐसे कैसे बात कर रहे हो तो तुम ने अभी जो भी कहा वह सब मेरे लिए सही है । तुम जब कल परसो कॉलेज वापस हो गए तो हम लोग इस बारे में बात कर लेंगे तो रोहन आराम से रहो । उसने मुझे इस संबंध में थोडा साहस बना दिया तो मैंने कहा अच्छा फिर मुझे समझाने के लिए धन्यवाद । चलो कॉलेज में मिलेंगे । इस तरह मैंने फोन नीचे रख दिया । रिसीवर नीचे रखने के बाद पहली बार की हो चुका । मैं अभी भी पसीने से भरा हुआ था और उसे अपने दिल की बात करके बहुत हल्का महसूस कर रहा था । मैंने कुछ भी गलत तरीके से नहीं कहा था । उसने कोई जवाब नहीं दिया था और नहीं मुझे इस बारे में टाटा ही । ऐसा इसलिए भी क्योंकि वह भी मुझ से प्यार करती होगी । बिल देने के बाद मैं घर की तरफ भागा । मैं घर पहुंचकर ये सारी बातें अपनी बहन को बताना चाहता था । इस तरह कई सालों में पहली बार मैं को थोडा भी मिस नहीं कर रहा था । ड्राइव करते वक्त मैं दिमाग में उन सारी बातों को फिरसे याद करने की कोशिश कर रहा था तो मैंने उससे कही थी । मेरा दिमाग मेरे बस में नहीं है । मुझसे उसके पहले ये भावना कभी नहीं आई थी । किसी लडकी को प्रपोज करना तब बहुत मुश्किल होता है जब आपको पता है कि वहाँ से न ही मिलेगी । मैं जब घर पहुंचा तो अंधेरा खेल चुका था । सुवेदी मम्मी को पूरियाँ चलने में मदद कर रही थी । तापा डाइनिंग टेबल पर बैठे थे । सुबेदी ने अपनी भावनाएं उठाकर मुझसे सवाल किया हूँ क्या हुआ? मैंने पापा से छिपकर उन्हें इशारा किया । आप रेडियो में न्यूज सुन रहे थे । उन्हें ये प्रोग्राम सुनना बहुत अच्छा लगता था । सबको चुके थे और समाचार सुनने में व्यस्त थे । मैं खडा हुआ और बिना किसी को परेशान किए अपने कमरे की तरफ चला गया । जल्दी ही दे दी भी कुछ बहाना करके मेरे पीछे आ गई । मैं अपने बिस्तर पर आंखें खोले, लेट गया और मुझे बैठे ही का मुस्कुराता बच्चे रहा । अपने सामने दिखने लगा सुनाई दे दी । मेरे कमरे में आई और पूछा रोहन क्या हुआ? उसने क्या कहा? मैं उनकी तरफ देखकर मुस्कुराया और कहा, उसने आप भी नहीं बोला और नाम भी नहीं कहा । उन्होंने कहा, अरे भाई, खुलकर बताऊँ । मैं उठा और मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और वहाँ जो भी हुआ था उसके बारे में मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया । उन्होंने बहुत धैर्य के साथ मुझे सुना और मेरी बात पूरी हो जाने के बाद उन्होंने मेरी तरफ मुस्कुराकर का अच्छा तो उसने हाथ करती रोहन मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूँ पर उसने हाथ ही नहीं कहा है । उसने मुझे कॉलेज में मिलने को कहा है । दीदी ने एक अनुभवी शिक्षित रखा था । दीदी ने मुझे एक अनुभवी शिक्षिका की तरह मुझसे कहा मेरे प्यारे भाई, मैं लडकियों को तुमसे ज्यादा छह से जानती हूँ । लडकियाँ बहुत सीधा सोचती हैं । अगर वो तुम्हें पसंद नहीं करते हैं तो उसने सीधे ना कह दिया होता तो मैं उसे प्रपोस किया । उसके बाद वो तुमसे बात करती रही । इसका सीधा मतलब के है कि वह तुमसे प्यार करते हैं इसलिए आराम से रहा हूँ और मुझे पार्टी तो मैं उसकी बातें सुनकर बहुत खुश था । मुझे ये समझ आ गया था कि नव्या मेरा सच्चा प्यार नहीं है इसलिए मैं उसे प्रपोज भी नहीं कर पाया । अब मैं उसके साथ अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित था और उसमें मेरी कॉलेज की जिंदगी पर भी बहुत प्रभाव पडेगा । मैं बहुत खुश भी था हूँ की मुझे कोई ऐसा मिल गया है जिसके साथ मैं पूरी जिंदगी बीता सकूँ । भगवान मुझे इतनी हिम्मत थे कि मैं उसके मुस्कुराहट जीवन भर कायम रखूँगी और स्वयं को उसके मुस्कुराहट का कारण बताओ । एक तरफ जहां मैं कॉलेज जाने के लिए बहुत ही बेचैन था । वहीं उससे मिलने से डर भी रहा था । जब हम कॉलेज के दूसरे सेमेस्टर के पहले दिन कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहे थे तब आकाश ने मुझसे पूछा क्या तो भी नहीं हूँ । बहुत परेशान दिख रहा हूँ । मैं उसे देखकर मुस्कुराया और उसे विश्वास दिलाया कि सब कुछ ठीक है । उसमें काफी देर तक मुझे देखा क्योंकि वो मेरे अंदर हुए परिवर्तन को देख पा रहा था । उसने मुझसे कहा नहीं तो तुम सही नहीं दिखता है । उसमें काफी तेज तक देखने के बाद कहा तुमने कॅण्टकी लगभग आधे बहुत अपने ऊपर ऍम पिछले दस मिनट से अपने बाल सेट कर रहा हूँ और तुमने बहुत फ्रेशनर का भी इस्तेमाल किया है । तो पहले तो ये सारी चीजों का इस्तेमाल नहीं करते थे वो गलत नहीं था । वैदेही को प्रपोज करने के बाद मैं अपने बारे में थोडा ज्यादा ही सोचते लगा था । मुझे इस बात का पता था कि इंजीनियरिंग क्लास में रूचि लेने के अलावा कोई तो है जो मुझ पर भी रूसी ले रहा है । मैं उसकी तरफ थोडा और मुस्कुराते हुए बिस्तर पर बैठ गया और अपनी कमर पर हाथ रखकर लगातार खर्च हो गया । खुश तो हुआ है । मुझे बताना चिल्लाकर या कहते हुए कि वह मेरे पास बैठ गया । मैंने शरमाते हुए उसे बताया कि मैंने उसे प्रपोस कर दिया है । मुझे लगता है कि मेरा चेहरा गुलाबी पड गया है । वो छौक्कर उठा और कहा क्या? तो मैं किसी प्रोपोज किया है । मैंने बडे इत्मीनान से उसे देखते हुए था । मैंने वेदेही को प्रपोज किया है । उसका चेहरा सफेद पड गया और उसकी आंखें फटी की फटी रह गई । उसने मुझसे पूछा भाई उसने तुमसे क्या कहा? वो तो मान गई होगी, अभी तो नहीं और उसने मेरे प्रेम प्रस्ताव को मना भी नहीं किया तो कॉलेज खत्म होने के बाद ही इस पर एक अंतिम निर्णय लेना चाहती हैं । पर इस बीच कॉलेज में हम लोग अच्छे दोस्त बन कर ही रहेंगे । वो उत्साहित होकर नाश्ता लगा और कहने लगा हूँ बेटा अगर उसने तुम्हारा प्रेम प्रस्ताव ठुकराया नहीं है तो इसका मतलब उसने हाँ करती है । मैं तुम्हारे और भाभी के लिए बहुत खुश हूँ । आप ही उसने बेहतर ही को भाभी का मैं भी ये ही नहीं कर पा रहा हूँ कि उसका सामना कैसे करूंगा और यहाँ इसने उसे भाभी बना लिया है । मैंने उससे कहा सुन अगर कोई ये भाभी शब्द सुन लेगी ना तो वो मुझे मार डालेगी । अपने उत्साह और काम पूरा को और कॉलेज चलो शुरू । तुम अपनी भावनाएं उसके सामने प्रकट होने देना । मैंने उसे इस जोश को सबके सामने प्रकट करने से भी मना किया । जब हम कॉलेज पहुंचे तो हमारी सिविल इंजीनियरिंग के खिलाफ पहले से ही शुरू हो चुकी थी । हम देर से पहुंचे थे । मैं क्लास के प्रवेश द्वार पहुंचा और टीचर से अंदर आने की इजाजत मांगी । वैदेही आगे की सीट पर बैठी थी और मुस्कुरा रही थी । मैं उससे आंखें मिलने से कतरा रहा था और आ गई । बढकर ठीक उसके पीछे बैठ गया जब की उसके बगल की सीट खाली थी । मैं जैसे ही सीट पर बैठा वह पीछे मुडी और मुस्कुराकर मेरी तरफ देखने लगी कि मैं कुछ कहूंगा हूँ । पर मैं उसका सामना करने से बहुत घबरा रहा था । मैं अपनी पुस्तकों में देखता रहा । उसकी मुस्कुराहट मुझे और नर्वस कर रही थी । मैं उसी व्यक्ति का सामना नहीं कर पा रहा था जिसके प्यार में मैं गिरफ्तार था । क्लास के दौरान उससे पेन मांगकर मुझसे एक और बार बात करने की कोशिश की जो मैंने उसे बिना आंख उठाये ही दे दिया । उसने मेरे हाथ से पहन लेते हुए ऊपर आते हुए मुझे देखा । जैसे ही क्लास खत्म हुई मैं खडा हुआ और इससे पहले की वह मुझ से कुछ कहते हैं । वहाँ से मैं चला गया । मैं पता नहीं ऐसा क्यों कर रहा था । मैंने उसे लंच के समय में भी डालने की कोशिश की और अनुराग और विनीत के साथ टाइम दिन चला गया । मुझे दिख रहा था की वो मेरे ऐसे व्यवहार करने से बहुत परेशान हो रही थी । फिर दिन हमारे बैच के आधे बच्चे सिविल ऍम थे जहाँ हमारे टीचर हमें इस स्ट्रेस के बहुत सारे लेवल के बारे में समझा रहे थे और आधे बच्चे फिर प्रैक्टिकल में काम पी फील्डर के बारे में समझ रहे थे । मैंने क्लास की और वो फिर क्लास में थे । हमने हमेशा ये फिर प्रैक्टिस छोडा था कि हम लोग बात कर सके । पर उस दिन मैंने वो क्लास नहीं कि चारों ने क्लास के बीच में मुझे धीरे से पूछा क्या तुम दोनों में झगडा हुआ है? मैंने कहा नहीं नहीं, एक काम नहीं और स्टेशन पर ध्यान लगाने लगा । पर मेरा दिमाग तो प्रैक्टिकल फील्ड में उसी के साथ घूम रहा था । सर, ब्लैकबोर्ड में हमें स्ट्रेस के बहुत सारे लेवल के बारे में समझाने में व्यस्त थे । कभी अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया, ये तो बैठ रही थी । सबने मुंह बनाते हुए उससे पूछा क्या हुआ क्योंकि उसने उन्हें क्लास के बीच में टोका था । उसने अपने हाथ पीछे कर के कहा सर, हमारी प्रैक्टिकल की क्लास पूरी हो गई है । उन्होंने पूछा तो क्या तो माॅस् में आना चाहती हो । उसने कहा नहीं सर मैं पूछना चाहती हूँ की क्या रोहन आपके खिलाफ है । अभी बाहर आ सकता है । मैं हैरान था । सब लोग मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे । वहीं प्रोफेसर बेहतर ही को एक तक देख रहे थे । उन्होंने अजीब सा चेहरा बनाकर कहा कर मैं उसे बाहर भेजने से मना कर दूँ । हालांकि मैंने उसे जाने को कहा पर वो अपनी बात पर अडी रही और उस ने बडी बेबाकी से कहा सर मैंने और उसने दोनों ने अभी तक लंच नहीं किया है । सर आप उसे जाने दो ताकि हम दोनों बैठकर लंच कर सकें । सर गुस्सा हो गया और उससे तुरंत जाने के लिए कहा । उसने सबसे पूछा पसंद ने कहा कि वो चली जाये तो बडे उदास सेहत के साथ पीछे थोडी और सिर्फ नीचे कर लिया । मैं जल्दी से उठा और उसकी हो जाने लगा सर ने तभी लाकर मुझे का क्या तुम बैठ सकते हो? मैंने तो मैं उठ कर जाने के लिए नहीं कहा है सब मैं सच में में बहुत भूखा हूँ । पिछले दो दिनों से मैंने कुछ नहीं खाया है । मैंने होस्टल में भी नहीं खाया है । मेरी आठ भूख के मारे सूख रही है । अगर मैं नहीं खाऊंगा तो मैं मर जाऊंगा । प्लीज मुझे जाने दें । नहीं किए कहकर उसकी तरफ भाग कर गया । मैंने अपनी क्लास से देखा की वो कुछ दूरी पर थी । उसे पता था कि मेरे सेवेन टीचर मुझसे बहुत नाराज थे पर मेरे लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है । मैंने पीछे से उसका कंधा छूकर उससे कहा । तो क्या अब हम लोग लंच कर सकते हैं । वो पीछे मुडी और मेरी तरफ खिलखिलाकर हंसने लगे । उस ने मेरा हाथ पकडा और बच्चे क्लास उनके पीछे पेडों के किनारे ले गई और कहा बेका हाथ में ये वो किनारा है जहाँ क्लाॅक काट रहे के बाद छुप चाहते थे । वो मेरे इतने पास आई की मैं उसकी सांसों को महसूस कर सकता था । पहली बार मैं उसकी खूबसूरत आंखों में झांक रहा था । मैं तो नीचे देख रहा था पर उस ने मेरी तरफ देखते हुए कहा तो मुझे सुबह से ही डालने की कोशिश क्यों कर रही हूँ । उसने जोर देकर गा, मेरी आंखों में देखो । मैंने उसे देखते हुए कहा कि पता नहीं क्यों मैं सुबह से तो मैं डाल रहा हूँ । थोडी देर रुकने के बाद मैंने कहा ऐसा लगता है कि तुम मेरी कल फिर हो वो मुस्कुराई और मैं उसे देखता रहा ।

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यह प्रेमकथा उन सारे युगल प्रेमियों को समर्पित है, जिनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई... writer: हिमांशु राय Author : Himanshu Rai Script Writer : Shreekant Sinha
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