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प्यार तो होना ही था - Part 20 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
यह प्रेमकथा उन सारे युगल प्रेमियों को समर्पित है, जिनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई... writer: हिमांशु राय Author : Himanshu Rai Script Writer : Shreekant Sinha
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मैं उस रात कॉलेज क्रिकेट पर तुम्हें देखने के लिए आए थे । पर्थ में वहाँ न प करता हूँ जब तुम बीमार थे और परेशानी में थे । मैंने तुम तक हर तरीके से मदद पहुंचाने की भरसक कोशिश की जब तुम ने मेरा ध्यान आकर्षित करने के लिए सिगरेट पीनी शुरु की और धुएं के छल्ले उडाने शुरू की । मेरा तीन सिगरेट की ही तरह अंदर तक सौ लगता रहा । मैं खूब पडती रहे कि तुम मुझसे ज्यादा मेहनत कर आगे निकलो । मेरा ये सपना था कि तुम सफलतम व्यक्ति पाँच चाहूँ तो हमेशा ये सोचते थे कि भी नहीं ताका । अनुराग तीन और झाडू हमारे लडके में तो भारी तरफ है । तो ही नहीं पता था कि भूत सारे वही कह रहे थे तो मैं उनसे करवा रही थी हूँ । मैं चाहते थे कि वह तुम्हारी तरफ से है । मैं चाहती थी कि वो तुम्हारा समर्थन करें । मैं चाहती थी कि वही तुम्हारे दोस्त बन कर रहे हैं । अच्छा जब तुम छत से कूद गए थे तो मैं सोचा होगा कि मैं तुम्हें देखने के लिए एक बार भी नहीं आएगा । पर तुम्हें तो पता ही नहीं था क्यों उसके कॉलेज से तो एंबुलेंस गई थी जिसमें एक मैं भी थी जो तुम्हारे कूदने की खबर से बेहोश हो गई । नहीं तुम सोच रहे हो गई की अब मैं तुम्हें ये सारी बातें क्यों बता रही हूँ? क्या मैं महान बनने की कोशिश कर रही हूँ? नहीं रोहन मैं कोई महान वाहन नहीं बनना चाहती । मैं ये सब इसलिए लिख रही हूँ कि मैं नहीं चाहती कि जिससे तुमने प्यार किया था उससे तुम एक घमंडी स्वार्थी व्यक्ति, लडकी की तरह कभी याद करेंगे । मैं इसलिए ये सब लिख रही हूँ ताकि तुम्हें बता सकूँ मैं तुम से कितना प्यार करती हूँ । मैंने तुम्हें जितने भी दुख दिए उस साथ एक्टर अच्छा मैंने तो मैं दिए उसके लिए तो मुझे माफ कर देता हूँ । मैंने तुम्हें इतना प्यार किया उसके लिए भी माफ करते । ना तो मैं इस तरह छोड देने के लिए मुझे बाप करते हैं और कुछ इस तरह खामोश पाँच जाने के लिए भी मुझे बात करते थे । मैं तो मैं अपने पूरे तीनों के बाग से प्यार करती रही हूँ । जैसे कोई तारो भरे आकाश को देखकर प्यार से प्रफुल्लित हो जाता है । फॅमिली में प्यार करने के लिए चखा और समय की कोई पाबंदी नहीं नहीं क्योंकि इसकी कोई सीमा नहीं है और ये बहुत आत्मकथा हो गए यार अपने आप एक चक्र आकर रुक जाता है । उसमें शीट सी शीतलता है । उसमें अपने आप ही एक कडवाहट और प्रकाश है और आपके पडने के लिए पूर्व आशा का मार्गप्रशस्त घटना है । अगर तुम ठंड से चक रहे हो तो मेरे छान मैं तुम्हें ऐसे उठाउंगी जैसे बसंत में भूल खेलते हैं । मैं तुम्हें धीरे धीरे आके पढते देखेंगे तो मैं उन फूलों की भारतीय खेलते हुए देखूंगी । उस फील्ड में भी मेरा प्यार तुम्हें करनी देगा । मेरा छूट भी है तो तुम्हारा है । मैं सिर्फ तुमसे इतना ही कहूंगी कि तो मत ना उतना ही ध्यान रखना कितना तोमस कर रखते थे । जैसे तुम दिलोजान से चाहते थे । मैं भी वैसे ही तुम्हें उतना ही प्यार करूंगी । तो जिंदगी में अफसोस बात करता हूँ । मेरे लिए तो जिंदगी में कभी भी कोई अब सोच समझ कर रहा हूँ तो मुझे प्यार करते थे । मैं इसी पांच से खुश हूँ । मैं बहुत खुश हूँ कि मैं तो भारत सपनों में आती थी । मैं बहुत किस्मतवाली हूँ कि पहले तो भी इच्छुक मा तो मुझसे वादा करूँ कि तुम अब कभी सिगरेट नहीं पियोगे । वार्ता करो कि तुम मुझसे ज्यादा बेहतर किसी और लडकी से शादी करो कि साधा करूँ तो मतलब सपने पूरे करोगे । वहाँ का करो कि तुम हमेशा मुस्कुराओ के और बाद आपको रो कित मुझे भूल जाओ । मैं तुमसे जब बात करने छोड दी थी तब तुम्हें अंदर तक चोट लगी । पत्नी खामोशी में ही बहुत सारे शब्द छुपे हुए थे । वो आशा करती हूँ कि एक ना एक दिन तो मेरे खामोसी को छुपा होंगे और अपने इस खामोश कल फ्रेंड की भावनाओं को समझें । हर तन मैं अपने दिमाग में बहुत सारे बातें करती थी । हालांकि मैं खामोश थी पर मैं तुमसे बात करती रहती थी और जब मैं मर चुकी तब भी मैं उनसे बात करती रहूंगी तो मेरी आवाज हवाओं के झोंकों में सुनता हो गई । बारिश की टिप टिप मेरी आवाज कम तक पहुंचाएगी तो ही बस को राहत नहीं तो मेरी आवाज पाओगे । सोहन मैं तुमसे हमेशा ही बात करती रहूंगी । बस तुम तुम देखा अहसास करते रहता हूँ । अच्छा शिक्षक बारिश होगी, तब तक मैं तुमसे काम की हूँ । अच्छा कोई मुस्कुराएगा मैं तब भी आई लव शुक होंगे । शिक्षक सांस लोगे मैं तो भेज तब तब आई लव यू होंगे मैं तुम्हे अनंत की गहराइयों से प्यार करूँ की मैं तुम्हें सितारों की ऊंचाइयों तक प्यार करूंगी । आप मुझे भूल जाओ । बस इतनी ही मैं प्रार्थना करती हूँ । तो मैं हमेशा प्यार करती रहूँ तो भारी खामोश कलॅर दही मेरी आंखों से गंगा जमना की तरह से बहने लगते हैं । नहीं तो चुका था । हर चुका था मैंने उसके खत से कब का बहुत शौक पालना मैं उसे खोने के डर से उसका नाम छल्ला था रहा । उसने मुझे देखना था क्या कि आज मैं जो भी हूं उसकी वजह से हूँ । उस ने मेरा सारा कॅश । मैं सुबह सुबह करोड रहा था । तभी मैंने कैंपस के अंदर स्कूटी के रूप में की आवाज सुनी और मैं खडा हुआ और दीवार के पीछे से झांक कर देखा कि कौन है मेरे सामने? वो खडी थी आपने स्कूटी पर और सीधे मेरी तरफ को पडे चली जा रही थी । सरप्रीत सलवार कुर्ती । पहले उसका चेहरा आधा वान था और वो मुस्कुरा रही थी । उसके बाल खुले थे । मैं तो थी तो उनसे ही उसकी खुशबू पहचान सकता था । उसने अपनी स्कूटी पार्क किए और मेरी तरफ आने लगी । नहीं उसी देखता ही रह गया । मेरे महसूसे देखती सो गए । मैं उसे एक पहले की तरह देखे जा रहा था । वो चेहरे पर चमक के लिए हुए मुस्कुराये जा रही थी । मैं अपनी आंखें उस पर से हटाना पाया । मैं सीधे उसके पास चला गया । वो आई है और सीधे मेरा हाथ पकडकर मुझे खींचते हुए पेडों के किनारे मेरा कुछ पहले गई पर उसकी बस कहाँ बहुत कुछ बयान कर रही थी । उसने मुझे खींचा और एक दीवार के किनारे टिका दिया । वो चाहिए ऍम कि मैं उसके सांसों को महसूस कर सकता था । तुमने कहा कि मेरा प्यार कोई नए गाने की तरह नहीं । पर ये एक नहीं पुस्तक खोलने जैसा है । जिसमें नहीं भाषाएँ कडी गई हैं जब तुमने पहले कभी नहीं पर मैं चाहती हूँ कि तुम चानो की मैं भी ऐसा महसूस कर रही हूँ । तुम्हारा प्यार मेरे लिए सबसे खुबसूरत चीज हैं तुम से मिलना मेरे लिए किसी अंकुश पहले से कम नहीं है । मुझे पता नहीं कि तुम मेरे इस दुनिया में कैसे रह गए हूँ तो मेरी दुनिया का एक हिस्सा हो । इसलिए मैं तो मैं अब ये कहती हूँ कि तुम्हें मैंने अपने तल से, दिमाग से, आत्मा से, शरीर से बहुत प्यार किया है । तो भी मेरे लिए वो फंडा हो जिसके कलें मैं जिंदगी भर के लिए पढना चाहती थी तो नजाकत तुम चाहते थे, मैं तुम्हारे लिए वही हूँ तो मेरे दिल और दिमाग के लिए छोले जैसे होगा हो चुकी है और मैं उसे देखता ही रह गया । उसने फिर कहा मैं तो में हमेशा ही प्यार करती हूँ कि उसकी कुर्ती मेरी शहर कुछ हो रही थी और मैं फिर शर्मा रहा था । मैंने अपनी आंखें खोली तो देखा मैं तो अकेला मानते थे में खाना वो तो कहीं भी नहीं थी । ऐसा लगा कि वो उसकी छाया है । उसके तथा मुझे फोन कर रहे थे । मैंने फोन उठाया और ऐसा कुछ सुना जिससे मेरे संत की सारी कहानी खामोश सुखी । उन्होंने कहा वैसे ही हमें अकेला छोडकर चली गई । मेरा मोबाइल मेरे हाथों से गिर गया । प्रतिदिन मिलने धडकना बंद कर दिया । ऐसा लगा मेरे पैरों से जमीन खिसक । कई और मैसूर जोर से चिल्लाने लगा होता तो होता मेन गेट की तरफ दौडा । मुझे कोई रिक्शा नहीं मिला तो मैं रोड की तरफ दौडता ही चला गया । मैं इतनी तेज भाग रहा था कि मेरी सांसे उखड आ रही थी । मैं उसका लाभ ले चिल्लाता रहा । ऐसे जैसे मुझे हमेशा के लिए पीछे खेला छोड मेरे आगे तेजी से चली जा रही हूँ । मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वह स्कूटी में चली जा रही है और मैं मैं उसके पीछे दौड रहा हूँ । फिर रोड पर फिसल करके पडा तो वहां बैठ गया और सोर्स जोर से रोने लग गया । तभी वहां से टैक्सी लेकर मैं अस्पताल पहुंचा । मैं अस्पताल की ओर ढाका और वहाँ मैंने उसकी मृत देह एक कपडे में लिपटी हुई देखी । उसके शरीर से सारे जीवन रक्षक उपकरण हटा लिखी करते थे । उसके पापा उसकी माँ को लिए किनारे खडे सुबह सुबह करोड रहे थे । उसका भाई आंसू भरी आंखों से उसे वहाँ से ले जाने के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर रहा था । मैं ऐसे ही उसके पास जाने लगा । मेरे पहुँच बाहर ही होते हैं । मेरा तो हो रहा था मेरा दिमाग कितने सारे पापों का पोस्ट होकर भारी हो चुका था । मेरे हाथ कांप रहे थे और मैंने उसके चेहरे से कपडा हटाने की कोशिश की । बता हूँ शांति से पडी हुई थी ऐसे जैसे कि वह सारे बंधनों से बुक हो गई है । पर उसका छेडता अभी भी मुस्कुरा रहा था । उसके होट अभी भी चमक रहे थे फेंक अंतिम पास । मैंने उसके पहुंच हुई और उसके कानों के पास धीरे से कहा सही ही हम जैसे तुम ने मुझे अपने पांचों से छोड दिया है । क्या तुम मुझे अपना हाथ होगी? मैं उन्हें छूकर सौरी कर सकूँ । मैं तो का अपने आंसू पोछे और घर का होगा और तो मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती है । अपनी हथेली आगे करो और मुझे छुओ । काॅपर ही सही पर वो खामोश नहीं । इस बार उसने अपना हाथ मेरी ओर मुस्कुराते हुए आंखें नहीं पढाया । इस पर उसमें कोई इशारे नहीं की । इस पर उसने अपने वही पुराने तेवत नहीं दिखाया । मैं उसे आस कों से भरी आंखों के बीच से बिहार था । अब तो कितने लेते नहीं हो सकते हो । मैंने उसका हाथ पकडा और उसका सिर पकडकर उसके कल ही लगने लगा । पहले बहुत कुछ नहीं चल रही थी । उसका ठंड बहुत पड चुका था । उसकी आंखे बंद हो चुकी थी । एक से एक और गले लगाना चाहता था । पूछना खेलो छोडकर इस दुनिया में खामोश अब उस छोड पहले वो भी पाते असली पे या सबसे में उससे कहीं वो एक दम सच है । मैं उसे प्यार करता था और उससे प्यार करता रहूँगा और यही मेरी जिंदगी का सच है । मैं उसे अपने सीने के पास लाख करोड नहीं का । मेरे यहाँ तो उसके चेहरे को गीला कर रहे थे । मैं तो रहा था, सुपर कहा था और उस को कल ही लग रहा था । तब एरिया तो उसके कुछ मानकर कहीं जो उसके तकिये के नीचे रखा हुआ था । मैंने वो माल खींचकर निकाल दिया और उस से उसका चेहरा पूछा जो मेरे हूँ कि कितने के कारण खेला हो गया था । उसके पापा पीछे से आए और भरे हुए तेल से मुझे गले लगा लिया और पीछे खींचते लग गई । वो छोटे पालक की तरह हो रहे थे । उन्होंने मुझे बताया हम लोग कल इसका दाहसंस्कार करेंगे । एंबुलेंस पहुंच चुकी थी । उसका शरीर अस्पताल के स्टाफ द्वारा कपडे में लिपटा चुका था । आंसुओं की अंजली देते हुए हम उसके पीछे थी और चाहते ही नहीं थे कि उसे एक सेकंड के लिए भी छोड उसकी माँ फूट फूटकर हो रही थी और भाई माँ को जोरों से जगह हुए था । मेरा मोबाइल बचा के पापा का फोन था । मैंने फोन उठाया और बिना को सुनने को रोने लगा । पापा ने मुख्य स्थान पर ना देते हुए पूछा रोहन इतनी कहाँ हो? मैं जबलपुर पहुँच गया हूँ । अब तो ना बंद करो बेटा । मैंने उनसे कहा कि वह वही के घर आ जाओ । पापा उसका शरीर अपनी यही रखा है । मैंने उन्हें फोन पर मैसेज भेज दिया । उसका शरीर घर की ओर जा रहा था । मैं ऑटो में बैठा एम्बुलेंस के पीछे पीछे और रोते हुए उसे अपनी यादों में कैद कर रहा था । जैसे यहाँ तो हमारे कॉलेज के के पास पहुंचा मैंने ऑटो वाले को वहाँ कुछ समय के लिए । जब तक मैं वापस नहीं आ जाता, रुकने को कहा । मैं उस जगह पर उसकी मौजूदगी का एहसास करना चाहता था । यहाँ पे उसके प्यार में पडा था । हार मान के साथ मैं उस क्लास में पहुंचा । क्या हमें उससे सबसे पहली बार मिला था? फॅस में पहुंचा मेरी आंखें उस पेज पर रुक गई चाहे वो ध्वस्त करने के लिए खडी थी और अपना सर और हाथ हिलाते पे नाच रही थी और मुझे उससे प्यार हो गया था । मैं उस कुर्सी पर बैठ गया चाहे वो मेरे बगल में बैठा करती थी और मैंने उसकी मौजूदगी के एहसास के लिए अपने पैर हिलाने शुरू कर दिए । पर मुझे वहाँ सिर्फ खालीपन मिला । अब मेरे बगल में कभी नहीं बैठेगी । अब मुझे देखकर वो कभी नहीं मुस्कुरायेगी । अब मुझे कभी नहीं देखेगी । मेरे दिल और दिमाग में उसके ही विचार कौंधे जा रहे थे । मैं उसे बहुत पूरी तरीके से मिस कर रहा था । मैं बता रहा हूँ और फिर कभी वापस नहीं आने के लिए कैंपस से चला गया । हाँ तो में बैठा और उसके घर चला गया । जैसे मैं उसके घर पहुंचा । वहाँ पहले से ही उसके लिए भीड जमा थी और उसके रिश्तेदारों का जमावडा लगा हुआ था । मैं उन को पार करता हुआ आगे चला गया जहां उसका शरीर नीचे जमीन पर पडा हुआ था और हर किसी की आंखें आसनों से नाम थी । उसके मृत दिल के ऊपर टंगी उसके फोटो की ही तरह वह मुस्कुरा रही थी । मेरा दिल और दिमाग यकीन ही नहीं कर पा रहा था कि वह मुझे अकेला छोड कर चली गई । मैं उसके पास गया और उसके बगल में बैठ कहने लगा वैदेही बहुत ज्यादा भाव खा रही हूँ । देखो सारे लोग परेशान हैं तो तुम्हारी मार हो रही है । पापा हो रहे हैं । मुझे पता है कि तुम चुप रहना चाहती हूँ तो हम सबको ऐसे नहीं बुला सकती हो । जब तुम ने मुझसे बात करना बंद कर दिया था, मैं तो देखो जिंदा रह गया था ना, पर अपने माँ पापा के साथ असम बात करूँ । वो तुम से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं । मेरे प्यार से भी ज्यादा मैं पे जान पडोस में ठंडे शरीर से बात कर रहा था । जबकि दूसरे लोग अपने दम आंखों से मुझे देखे जा रहे थे । मेरे पापा आए और उन्होंने मुझे उठाया । मैं उनकी तरफ दर्द भरी निगाहों से देखने लगा और फिर मैंने कहा पाता तो ही है । मैं आपको हमेशा इस से मिलवाना चाहता था । ये मुझे बहुत दिनों से बात करी । कट रही थी पापा पर मुझे पता है कि ये मुझ से बहुत प्यार करती है । मैं उस की तरफ मोडा और कहने लगा आप ही देखो देखो पापा तुमसे मिलने आए हैं तो उन्हें मुझसे पहले पूछा साला की तुम उनके पैर हो सकती हो या नहीं? अच्छा तो तुम से गले मिलने आए हैं । हो हमारे आने वाले भविष्य के लिए उन का आशीर्वाद । लोग पापा ने मुझे फिर उठाया और हाथों से पूछे लाखों से मुझे गले लगा लिया । फॅमिली इससे उठने के लिए कहीं ये मेरी बात नहीं सुन रही है कि पिछले पांच सालों से मुझे एक दूर कर रही है । मैंने उसके पापा से कहा अब कल हाँ ऑफिस से को की ये मुझ से बात करें कि मुस्लिम बात नहीं कर रही है तो ही पैसे ही आपसे बहुत प्यार करती है के जरूर आपकी बात सुनने की । मेरे पापा मेरी ओर पर हैं और एक बार फिर से मुझे काले लगा लिया । मैं चिल्लाने लगा जब कि पापा मुझे पकडे रहे हैं । पैसे ही मैंने ही अब ज्यादा तंग मत करो । उठो और मुझे स्टाॅप प्लीज मैं श्रोता राहत चिल्लाता रहा हूँ और फिर बेहोश हो गया । सुबह के दो बच रहे थे । मैं नीचे किनारे बैठा । उसे अब पालक देखे जा रहा था । उसके पापा बाहर बगीचे में अपने किसी रिश्तेदार के साथ खडे कुछ बात कर रहे थे । मेरे पापा रात में हमारे किसी रिश्तेदार के पास चले गए थे पर मैं रात घर उसी के साथ वहां बैठा रहा । मैं खुद को उसका प्यार समझते के लिए जिम्मेदार मान रहा था । उसने मुझे हमेशा ही प्यार किया था और मेरे हाथ में पडी हुई उसकी चिट्ठी इस बात का सबूत है । मैं उठा और उसके पापा के पास गया

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यह प्रेमकथा उन सारे युगल प्रेमियों को समर्पित है, जिनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई... writer: हिमांशु राय Author : Himanshu Rai Script Writer : Shreekant Sinha
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