Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
प्यार तो होना ही था - Part 19 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

प्यार तो होना ही था - Part 19 in Hindi

Share Kukufm
783 Listens
AuthorMixing Emotions
यह प्रेमकथा उन सारे युगल प्रेमियों को समर्पित है, जिनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई... writer: हिमांशु राय Author : Himanshu Rai Script Writer : Shreekant Sinha
Read More
Transcript
View transcript

मेरी आंखों से भी आंसू बह करने के लिए मैं चाहता था कि मुझे कोई कल ही लगा लें । मैं खडा हुआ और मैंने नर्स से पूछा ऍम बैठे ही से मिल सकता हूँ । उसने मुझे देखा और फिर अंकल को देखा और उन्होंने मुझे साथ ले जाने का इच्छा रखना । उसने उसने मुझे साल चलने को कहा । वो एक बडा सा काम रहता है जिसमें तीन बिस्तर लगे हुए थे और बैठे ही बीच में लेकिन हुई थी । अगल बगल के बिस्तर खाली पडे हुए थे । मेरे पास भारी हो गए और मैं खुद को खींचकर उसके पास ले गया । वेंटिलेटर से लगातार आरती आवाज मेरे कानों को छुप रही थी । नहीं नहीं पडता खींचा और बैठे रहते ही होते हैं जो आईसीयू के बिस्तर पर पडी हुई थी । उसके शरीर में बहुत सारे तार लगे हुए थे । उसका चेहरा ऑक्सीजन बास कैसे ढाका हुआ था । उसकी आंखे बंद थी और वो काफी भारी सांसे ले रही थी । मेरे जीवन का सबसे सुंदर होता हूँ । मेरे सामने सिंधु की हार कर पडा हुआ था । मैं उसके बगल की सीट पर बैठ गया । उसे अपलक देखता रहा । नर्स ड्रग्स देखने के बाद बाहर चलेगी । मैं उसे देखता ही रहा है । ऐसा लग रहा था कि वह अभी उठेगी और कहेगी । रोहन अब मैं तुमसे बात कर सकती हूँ क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ । मैंने थी में सिखा बैठ रही है हूँ तो फिर कहा कभी पता है शब्द तुम्हें मुझसे बात का सच छोडा था । मेरी जिंदगी में सब कुछ रुक साथ दिया था । मैं पूरी तरह से टूट चुका था । पहले अपनी जिंदगी में सिर्फ तुमसे प्यार किया और तुम्हारी आवास ब्रिटिश के तबाह का काम करती थी । सिस्टम से तुमने मेरी उपेक्षा कतनी शुरू की । उस दिन से मैंने भी जिंदगी की उपेक्षा शुरू कर दी । पढते हैं हर दिन जीना चाहता हूँ क्योंकि मुझे पता था कि एक ना एक दिन तो मेरे पास वापस भागकर राव की और मुझे गले लगाकर शुरू होगी । अब शुभ साथ ने का ये खेल बंद करूँ और उठो मेरी जान । तुम पिछले पांच सालों से खा बोझ हूँ पर अब तो में बोलना होगा । वो शांत थी । उठो पहले ही ज्यादा भाव हूँ । ऍम देखता रहा और उसके आगे आने के लिए था । मैंने अपने हाथों से उसके पैरो कुछ लिया और फिर उसके पास क्या? पर वैदेही तुमने अपने पैरों से मुझे छू लिया । अपने हाथ तो मुझे तो में सौरी कहना है भगवान के लिए अपने हाथ उठा और मुझे तो रहते ही उठो चावल उठ जाओ । मैंने अपने चेहरे पर उसका हाथ रखा, उसे चूमा और अपनी बातें तक उसको लगा इंतजार करता रहा की वो अपनी आंखें खोले की मैंने जैसे उसका हाथ अपने हाथों में रखा और नीचे निष्प्राण सब गिर गया । मैं उस पक्ष लाया आइल ऑफ यू पे ही बदल करूँ मेरे साथ टाइट हो फॅालो मुझसे बात करुँ मुझे अब का दोस्त कहकर बुलाओ मेरी आंखों बेटे को क्योंकि मैं हर हुआ हूँ । मैं उसके जवाब के इंतजार पे था । अपनी खुली हुई आंखों से देखता रहा । मेरा कलेजा मुंह को आ गया । कोई तो हो जो मुझे बच्चे की तरह समझा सकते हैं । फिर मोटे मोटे कर्म मासूम तेजी से मेरे स्वेटर पर किस्ते पाॅर्न क्या तो पता है कि तुम्हारे अंतरिक्ष, नमक और उसपे रिश्ता है तो भेज जीवंत बनाए रहते हैं तो मैं हमेशा खिलाती है और पहले हमेशा इन दोनों की तारीफ भी की है । मुझे वो बहुत पसंद है और मैं जानता हूँ कि तुम बहुत चलते ठीक खुश होगी । मैंने अपने आंसू पूछे और उसका माथा चूमकर बाहर आ गया । मैंने उससे पूछा अंकल वो जिस डॉक्टर के ऑब्जरवेशन में है मैं उनसे कल हम मिल सकता हूँ । उन्होंने कहा कि डॉक्टर का नाम डॉक्टर चावला है और उनका केविन ग्राउंड फ्लोर पर है । मैं सीढियों से नीचे उतरकर उनसे मिलने चला गया । वो एक अधेड उम्र के डॉक्टर थे और काफी अनुभवी लग रहे थे । सर, मैं दही के बारे में आपसे जानना चाहता हूँ और तुम कौन हो बैठे? उन्होंने पूछा मैं रुका और फिर मैंने जवाब दिया सर मैं उसका मंगेतर हूँ । मेरा नाम रोहन है । मुझे पता है कि मैं छूट बोल रहा हूँ पर मेरी अंतरात्मा ने मुझे ऐसा करने को कहा । उन्होंने मुझे अप्लास्टिक एनीमिया के बारे में बताते हुए कहा, देख रहा हूँ मैं तो भारी चिंता समझ सकता हूँ । जैसा कि तुम ने कहा है कि तुम उसके मंगेतर हो इसलिए मैं तुमसे झूठ नहीं होंगा । हम अपनी तरफ से बहुत मेहनत कर रहे हैं और उसकी हालत अब बहुत पूरी है । उन्होंने मुझे ये भी बताया कि पिछले पांच साल से उस की इस बीमारी का इलाज चल रहा है । मुझे के एहसास हुआ कि मैं उसे गुजरते हर सेकंड के साथ होता जा रहा था । वो मेरे साथ ऐसा फिर से नहीं कर सकती । मैं भगवान को को से जा रहा था जिसने मेरी कल फ्रेंड को पांच साल पहले खामोश कर दिया था और वो उसे हमेशा के लिए खामोश करने वाला था । मैं सारी उम्मीदें खोकर केबिन से बाहर निकल आया । मैं फिर से अंकल के पास गया तो बैठे ही की माँ के साथ बैठे हुए थे । मैं उनके पास गया और फिर उनके हुए उन्होंने मुझे बडे आज शरीर से देखा और फिर बैठने को कहा । मैं उन के बगल में एक सीट पर बैठ गया । मेरी जान अंदर हो रही थी । एक दम अकेले और शांति की । कोर्ट में उन्होंने बहुत ही धीमी आवाज में रोते हुए कहा कुछ उम्मीद है तो लेकिन हमारे घर के दम वक्त पदों के पहले उनके कंधे पर अपना हाथ रखा और फिर उनके गले लग गया । हमने एक दूसरे से बात करना बंद कर दी थी । चाहे हम शादी नहीं कर पाए हैं पर दिल ही दिल में । हम दोनों जानते हैं की हम एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं । मैं जब खेला था मैं ख्यालों में ही उससे बात कर लेता था जैसे वो मुझसे कर लेती थी । मैं हमेशा ही आपका बेटा बनकर रहूंगा को फूट फूटकर रोने लगी । बेटा तो तुम्हारे लिए बहुत हुई है । वो मुझे हमेशा कहती थी कि वो तुमसे बहुत प्यार करती है । मैंने उससे कई बार कहा कि तुम उसकी उपेक्षा करता बंद करो और उसे सच पता हूँ । पर उसने एक नहीं मानी और अपनी बात पर अडी रही । मेरे आंसू बहते ही जा रहे हैं और मेरी आवाज थरथरा रही थी । खाॅन पॅाल कहता है कि वो ठीक हो जाएगी तो चलती वोट बैठेंगे । आपको मेरी बातों में अपने को छिपा एक बच्चे की तरह होती रही । बैठे ही के पापा भी अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए । जब बोर हो रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि उनके खाओ अभी कितने हारे हैं । नई चोट में जैसे कोई रोता हो उन्होंने रोते रोते किसी चीज को सहारे से पकड लिया । या तो वो एक मेरी थी या कुर्सी का पिछला हिस्सा पर उनका पूरा शरीर कांप रहा था । मैं उनके पास किया और उन्हें सांत्वना देने की कोशिश की । अंकल आपकी बेटी जुझारू है । उसे पता था कि वो एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है पर उसने किसी को भी पता चलने नहीं दिया । आप लोग खुश रहे इसके वो मेहनत से मन लगाकर पडती रही । उसे पता था कि आप लोगों के लिए उसका पढना कितना महत्वपूर्ण है । आपको उसके लिए मजबूत होना पडेगा । मुझे विश्वास है कि वह इस तरह जिंदगी से लड कर वापस हमारे पास आ जाएगी और अपना रास्ता खुद निकाल लेगी । उन्होंने मुझे देखा और झटका उसने मेरे लिए कभी पढाई नहीं की । बेटा मैंने तो हमेशा ही उसे संदग्धि में मजे करने को कहा पर उसने मुझे हमेशा का पापा मैं तो उनके लिए पढ रही हूँ तो इसलिए पड रहा है कि वह मुझे पढाई में बात दे सके । मैं उसकी प्रतियोगी बनना चाहती हूँ । अगर पेपर नाच होती होगी तो वो भी पढना छोड देगा । वो चाहते थे कि तुम अपनी जिंदगी में हमेशा ही सफल हो । वो तुम्हारे साथ कोई प्रतियोगिता नहीं करना चाहती थी पर वो तुम्हें जिंदगी में पडी परेशानियों से जूझने के लिए तैयार कर रही थी । उनके इतना कहते ही मेरा दिल टूट गया । कॉलेज में मैंने बहुत मेहनत से इसलिए पढाई की ताकि मैं उसे हरा पाऊं । जबकि मैं नहीं जाने में ये सोच रहा था कि मैं उसका घमंड तो हूँ । परपोतों मेरा अभिमान बढाया जा रही थी । मैंने हमेशा यही सोचा कि मुझे ज्यादा अंक आता देख को दुखी होगी पर मेरी जानकारी में दाब होते हुए भी मुझे उससे ज्यादा अंक लाता देख सबसे ज्यादा खुश होने वाली इंसान थी । मेरा मन कितना बुरा है और मेरी जान भीतर से भी पुण्यात्मा निकली । मैं ऐसे रोने लगा जैसे कि कोई मेरे दिमाग के टुकडे टुकडे कर रहा हूँ । मेरे मुंह से रोते समय ऐसी कराना भरी आवाज निकली कि कोई अनजान भी अगर मुझे रोते हुए सुन ले तो उसका भी रोना निकल आए । मैं लेट होते हुए कुर्सी का सहारा ले लिया की अगर मैं रोते हुए ज्यादा थरथराने लघु तो मैं घटना पर हूँ । मेरी आंखों से मोटे मोटे आंसू लगातार करते गए । सारे दुनिया मेरे लिए उसी समय खत्म हो गई । जिंदगी में सिर्फ दुख ही बच गया था । मेरे तुक्का पारावार इतना था कि वो मेरी सोच को इतना बदल देखी । मैं टूट ही हूँ । मैंने खुद को संभाला । किनारे गया और अपने घर का फोन नंबर डायल क्या पापा ने फोन उठाया और कहा हलो कौन बोल रहा है? पाता हूँ पता मैं तो बोल रहा हूँ । उन्होंने पूछा कैसे हो आज ऑफिस के समय में फोन कर रहे हो । उनसे बात करते हुए मेरी आवाज कांपने लग गई हूँ । तब मैं मेरठ में नहीं हूँ । मैं सुबह जबलपुर आ गया था । जबलपुर ऑफिस के किसी काम से मैंने कहने की कोशिश की पर मेरी आवाज फिर कांपने लगे । मेरा गला आंसू से जुड गया । नहीं वैसे ही वो समझ गए कि मैं रो रहा हूँ । उन्होंने पूछा क्या क्या हुआ बैठे ही को मुझे याद है । वह कॉलेज में तुम्हारे साथ पडती थी तो भारी सही पार्टी थी पापा, वो मुझे छोडकर चाह रही है । मुझे आपका साथ चाहिए । मैं और फूट फूट कर रोने लगा । मैं भी परेशान हो गए और उन्होंने कहा तुम कहाँ हो? मुझे बताओ? मैं अभी आता है वहाँ । मैंने उन्हें अस्पताल का पता बताया और साथ में उसकी हालत के बारे में भी बता दिया और फोन नीचे रखने लगा तो मैंने उन को कहते सुना रोहन तुम्हारी माँ ने मुझे बहुत पहले ही बता दिया था कि तुम मुझसे प्यार करते हो पर मुझे ये नहीं पता था कि तुम उसे इतनी गहराई से पसंद करते हो पर तुम्हारी आवाज से साफ जाहिर होता है कित मुझ से कितना प्यार करते हो अपना दिल छोटा मत करो बेटा, उसे अपने सारा प्यार तो हो सकता है कि वहाँ के बंद किए हुए हो पर उसका मन प्रभारी बातें सुन रहा होगा तो उसी के साथ रहना मैं जल्दी आ रहा हूँ । मैं वापस आईसीयू में गया और उसके बगल में बैठ गया । मैंने अपने आंसू पोछ और उसे निहारता रहा । मैंने ये महसूस किया कि वह पिछले कुछ साल से बहुत गोरी हो गई थी । बट ये नहीं पता था की बुक सकते एक बीमारी के कारण बर्बाद कोई जा रही थी तो हम इतने स्वार्थी कैसे हो सकती हूँ । कहते हैं तो मुझे बता सकती थी । हम सात में हर पल को मिल कर ही सकते थे । मैं उसके बगल में बैठा हुआ था और उसके पापा अंदर आये और उन्होंने अपनी जेब से एक लिफाफा निकालकर मेरी कोर्ट में रख दिया । मैंने उस लिए पापा को रोते पूरे देखा । उन्होंने कहा उसे बताया कि ये एक नाइट दिन तुम जरूर आओगे और उसने कहा था कि उसके इनके चिट्ठी मैं तुम्हें तेज है । मैंने बोलने भाषा लिया और खडा हो गया । मेरी आंखों से लाल रुकने वाले आंसू बहे जा रहे थे । मैं कहीं जाकर छुप जाना चाहता था । शाम के छह बच गए थे । मैं हॉस्पिटल के बाहर गया और जबलपुर के व्यस्त रास्तों में अपने हाथों में पुल लिफाफा लेकर चलने लगा । मैंने एक ऑटो वाले को रोका और मुझे आर के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग छोडने को कहा । मैंने अपने आंसू रोकने चाहे पर हर तार मैंने जब भी ये करने की कोशिश की उसकी याद के आंसू और तीस बाहर निकलते । अगले बीस मिनट में मैं कॉलेज के मुख्यद्वार पर पहुंच गया । शाम के समय कॉलेज का कैंपस खाली था । सब स्ट्रीट लाइट चली हुई थी । मैं क्रिकेट के अंदर घुसा और धीरे धीरे चलने लगा और वहाँ उसके साथ बिताया हुए सारे खूबसूरत पलों को याद करते लगा । मेरी नजर उस क्लास रूम की ओर गई जहाँ मैंने उसे पहली बार टेस्ट पर डांस करते हुए देखा था । मैं भी उस की मौजूदगी का एहसास कर पा रहा था । मैं क्लास उनके पीछे खडे पेडों के किनारे की ओर चला गया की बहुत जगह थी जहाँ हम लोग क्लास बंद करके जाते थे । ये वहीं किनारा था जहां उनने पहली बार एक दूसरे को छोडना था । मैं खडा हूँ और उन्हीं पुरानी तिवारी को ताकता रहा । मेरे आंसू बहते बैठे गालों पर पहले लगे और फिर मैंने उसकी चिट्ठी घर घर रहते हाथों से खोली । मैंने लिफाफा खोला और उसमें अंदर रखी हुई चिट्ठी को निकाला और उसे पडने लगा । मेरे प्यारे रोहन मैं उन्हें शब्दों के साथ इस चिट्ठी की शुरुआत कर होंगे जो तुम लंबे समय से मिस कर रहे हो । मैंने तुमसे बात करना बंद कर दिया, तुम्हारी उपेक्षा की । पर इन सब के बीच एक तो मैंने कभी नहीं छोडा । वो था तो मैं प्यार रखना है । अब तक तो तुम मुझसे बहुत खेलना करने लग गई होगी । मुझे अब तक तो भूल भी गए हो गई । हो सकता है तो मैं उससे भी ज्यादा । बहुत अच्छी लडकी मिल गई होगी । पत्र में मेरी जैसी कोई और नहीं मिलेगी । वो तो मैं खुद से भी ज्यादा प्यार करें । मैंने जैसे ही चिट्ठी पडनी शुरू की मेरे अंदर से एक अजीब सी भावना उत्पन्न होने लगी । मेरी आंखों से आंसू ऐसे कितने लगे जैसे किसी चल प्रभात से मेरी छुट्टी ऐसे कांपने लगी जैसे मैं कोई छोटा बच्चा हूँ । मैंने आज तक ऐसी गहरी कहती सब सही कभी नहीं ली थी । मैं हाफ चाहता पर हवा मेरे आस पास नहीं थी । मेरे अंदर ठंडी हवा के झोंके खून रहे थे । मैंने फिर पढना शुरू किया । जिस समय तुम ये चिट्ठी पढ रहे होंगे उस समय तक मैं स्वर्ग पहुंच कर तुम्हें ऊपर से नीचे देख रही होंगी क्या? पर तुम मुझसे वादा करो कि तुम कभी आंसू नहीं होगी । मैंने तुम्हें मेरे प्यार में कैद कर बहुत बडी गलती की । पर फिर जब मुझे पता चला कि मैं तो भरी जिंदगी का सर्वोत्तम विकल्प नहीं बन सकती, तब मैं अपनी गलती सुधारने की भरपूर कोशिश की । हमारे दूसरे सेमेस्टर की छुट्टियों के दौरान पापा एक बार तुमसे मिलने होस्टल आए थे तो मैंने उन्हें बताया था कि मैं दूसरी कितना प्यार करती हूँ । पर उसने आधात्मिक जब हॉस्टल के लडके मेरा नाम लेकर तुम्हें बुलाने लगे तो उन का दिल ही टूट आपको अच्छा ले गए । उन्होंने जब मुझे इस बारे में बताया तो मैं तुम पर कुछ हुई । पर मैंने निर्णय लिया कि अब मैं तुमसे बात नहीं करूंगी क्योंकि तुम ने हमारे रिश्ते को छुपाकर नहीं रखा और अपना वादा नहीं निभाया । मैं तो पर कुछ साथी पर ये कभी नहीं सोचा था । तुमसे हमेशा खेल की बात नहीं करेंगे मैं तुम पर उस रात को सभी हुई थी जब तुमने सागर से मुझे फोन किया था था । पालने मुझे एक इशारा कर दिया था कि मैं तुम्हें और अपने प्यार को कैसे संभालूंगी । कुछ दिनों के बाद मुझे पता चला कि मैं प्लास्टिक के नहीं ऐतिहासिक रसीद हूँ और मेरी पसंद की चाँद तीनों की मेहमान है । मैं में थी । मैं चाहती थी कि तुम्हें कल लगा लूँ । ऍम अंतिम दिनों में तुम्हारे साथ होना चाहती थी । पर मैं इतनी मतलब भी कैसे हो सकती थी? मैंने तो भारी उपेक्षा करनी शुरू करते हैं । मैं चाहती थी कि तुम न प्रिया के पास वापस लौट । मैं चाहते थे कि तुम मुझे भूल जाओ और मुझसे ज्यादा बेहतर किसी और के हो जाऊँ । छत्तीस दुखी हूँ और टूट गए । मैं हर प्राप्त होती रही । जिस दिन तुमने मुझे ये बताया कि जब मैं तुम से बात नहीं कर लेती तब तक तुम कॉलेज के बाहर से खेलो के नहीं । उससे मैं तुम्हारे लिए परेशान और चिंतित नहीं । मैंने अपना नाम बताए बिना आकाश को तुम्हारे हॉस्टल के स्टडी पूत पर फोन किया और उसके लिए के संदेश छोडा कि वह तुम्हें देखकर आए ।

Details

Sound Engineer

यह प्रेमकथा उन सारे युगल प्रेमियों को समर्पित है, जिनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई... writer: हिमांशु राय Author : Himanshu Rai Script Writer : Shreekant Sinha
share-icon

00:00
00:00