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प्यार तो होना ही था - Part 12 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
यह प्रेमकथा उन सारे युगल प्रेमियों को समर्पित है, जिनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई... writer: हिमांशु राय Author : Himanshu Rai Script Writer : Shreekant Sinha
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रीना ने कार्ड खोलते हुए कहा, ये क्या है जिसकी शादी हो रही है? मैं रहते ही का परेशान चेहरा देख पा रहा था । पर मैं अंदर से मुस्कुरा भी रहा था । मैंने होने का मेरी बहन सुरभि दी की शादी हो रही है । तुम सबको आना है । जबलपुर से सागर सर पांच घंटे ड्राइव करके पहुंच सकते हैं । वहाँ देने किसी तरह टाइम बनती । अपने कंधे पर पैक डाला । अब शाहरुख एवं प्रेणा के साथ मेरे कुछ तबकों पर अपनी रुचि दिखाते हुए आगे बढ गई और मुझे भी रेडी की तरह देखने लग गई । मैंने उसकी चाल को देखा और उसका पीछा करने लगा । कुछ कदम चलने के बाद मैं उसके बराबर में आ गया और उससे पूछा, क्या तुम सुबह दी की शादी में सागर होगी? वो रुकी और मेरे सामने मोनालिसा सी मुस्कुराने लगे हैं । मुझे बहुत मुस्कान बहुत पसंद थी । उसने कुटिलता के साथ मुस्कुराते हुए कहा तुम नव्या को बहुत मिस करते हो । मैंने तत्पर्ता से जवाब देते हुए उससे झट से का मैं सिर्फ तुमसे प्यार करता हूँ । उसने पूरे आंकडों के साथ कहाँ की । वह तुम्हारी तीन सौ छब्बीस कविताओं में छाई हुई है । हालांकि मैंने भी कभी ये गौर नहीं किया था । मैंने हैरान होकर उससे कहा क्या तुमने सारी पर्ली? उसने चलते हुए कहा हूँ, इस बात से कुछ फर्क नहीं पडता और फिर मैं उसके पीछे चल पडा । पता नहीं लडकियां इतनी उलझी हुई होती हैं । उसे पता है कि उसे मिलने से पहले मैं नव्या को पसंद करता था तो मैंने उसी के लिए कविताएं लिखी होंगी । पर अब मैं उससे प्यार करता हूँ और मैं उसी पर कविताएं लिखूंगा । मैंने उसे अचानक ही पूछ लिया तो क्या तुम शादी में आ रही हो? उस ने थोडी देर सोचा और फिर उसने मेरी आंखों में आंखें डालकर जवाब दिया एक ही शर्त पर पहला अगर सब कोई जाएगा तब और दूसरा अगर तुम उन सारी जगहों में मुझे ले जाओ गए जहाँ तुम नब्बे के साथ गए थे । तब पहली शर्त तो मैं समझ गया क्योंकि तभी वो अपने परिवार वालों को उसे भेजने के लिए तैयार कर पाएगी । पर उसकी दूसरी शर्त बकवास थी । तो उन जगहों पर घूम कर क्या करेगी जहाँ मैं लग गया से मिला करता था । पर तू स्कूल ही था । पर उसने जब मेरी आंखों में देखा तो मैं उससे वह कहीं नहीं पाया जो वह मुझे सुनना चाहती थी और मैंने कह दिया हाँ पता विनीत उन सब के लिए एक बस कर देगा जो शादी में आना चाहते हैं । सारे सागर में दोपहर तक पहुंच चाहोगे और फिर अगली सुबह सब लोग जबलपुर के लिए निकल लेना । मैंने होटल में कमरे भी बुक कर दिए है । उसने जोर देकर का हूँ और मेरे दूसरी जरूरी शर्त का क्या होगा? मैंने उससे कहा, हालांकि मुझे अपने स्कूल जाने का मन नहीं है पर क्योंकि तुम इतना जोर दे रही हो तो मैं तुम्हें वहाँ ले जाऊंगा । उसने एक सर रात धरी मुस्कान बिखेरी और फिर वो चली गई । इसके बाद मैंने निमंत्रण पत्र लगभग अपने सभी मित्रों में बांटे और उनमें से अधिकतर लोगों ने विवाह में शरीक होने की हामी भी भरी । लगभग एक सप्ताह पहले शादी के लिए चला जाऊंगा तो इसलिए विनीत और ठाकुर बस बुक करने की जिम्मेदारी लेंगे और सबको साथ लेकर आएंगे । मैं सब कुछ बहुत खुश था की वैसे ही मेरे शहर में आएगी । मैं चाहता था कि वह सुरभि दी से मिले क्योंकि वह पहले नहीं मिल पायी थी । एक साथ सारे परिवार को देखना सच कितना अच्छा होगा था । पैसे ही मेरे परिवार का हिस्सा बन चुकी थी । सुरवे देखी शादी वाले दिन सागर के सिंधी बाजार में मैं दीदी का लहंगा लेने जा रहा था । तभी पापा ने मुझे सूचित किया कि संगम होटल से फोन आया है कि मेरे मेहमान वहां पहुंच चुके हैं । मैं होटल पहुंचकर सारे इंतजाम देखने चला गया की सारी चीजों का बंदोबस्त सही से हुआ है और मेरे सारे दोस्तों वहाँ आराम से है कि नहीं । मैं स्कूटी चलाकर होटल पहुंच गया । मैंने वहाँ मिनी अन्ना वह ठाकुर को किनारे में खडे सिगरेट पीते देखा । मैं मुस्कुराते हुए उनके पास गया । हम आपस में कले मिले और मैंने यहाँ तक आने के लिए उनसे धन्यवाद कहा । ठाकुर ने कहा अगर किसी चीज की जरूरत हो तो हमें जरूर बताना । हम उसे पूरा कर देंगे । मैंने उसे धन्यवाद कहा और कहा कि तुम लोग थोडी देर आराम कर लो और शाम के छह बजे तक तैयार हो जाना क्योंकि बारह जल्दी आ जाएगी । वे सिगरेट पीता आए थे और मैंने उनसे कहा कि मैं थोडी थी । देर में आता हूँ तो मैं दही से मिलना चाहता था । पांच दिन हो गए थे । उसे देखे हुए मैंने प्रथम तल में जाने के लिए सीढियां प्रयोग की । मैं रिसेप्शन में पहुंचाई था और मैनेजर के सारे इंतजामों के बारे में बात कर रहा था । फिर मैं जबलपुर से आए अपने सभी दोस्तों का स्वागत करने के लिए चला गया । मैं सीधे कमरा नंबर एक सौ सात में गया और वहाँ का दरवाजा खटखटाया जो पहले से ही खुला हुआ था । मैंने देखा कि मेरी प्रेमिका चारु और रीना के साथ खडी है । शाम को शादी में तैयार होने के लिए पहनने के लिए आभूषणों के बारे में बात कर रही नहीं । वैदेही जी जैसे ही मुझे देखा उसने झट से कहूँ । मैं होटल पहुंचने पर तुम्हारा इंतजार कर रही थी कि तुम होटल के गेट पर वेलकम कार्ड के साथ हमारा स्वागत करोगे । मैं उसे देख मुस्कुराता रहा । मैंने उससे कहा अच्छा अच्छा माफ करना । मैं ऐसा कर सकता था पर अभी भी देरी नहीं हुई है । तभी मैंने पाउडर के बोतल उठाई और उसमें से थोडा सा पाउडर अपनी हथेली पर लेकर उसके माथे पर तिलक लगा दिया । हम सब फिर जोर से आस्था लगे और उसने मेरे कंधे पर फिर चटाक से एक मारा । मैंने उन सब से पूछा आशा है तुम सब की यात्रा अच्छी नहीं होगी? चारों ने कहा पूरी यात्रा बहुत अच्छी रही और होटल भी शानदार है । मैंने उनसे दोपहर का भोजन करने को कहा जो कॉमन एरिया में था और उनसे गुजारिश थी कि वे वैदेही को थोडी देर उसके साथ छोड दे । उसने कमरे से बाहर आते हुए मुझसे पूछा रोहन तो मुझे तो फीचरः मैंने उसे बाहर क्या और उसकी आंखों में देख का देखो तो सही । पांच दिनों से तो मैं देखा नहीं है । वो मुस्कुराई और मुझे बडी आधार से देखने लगी । उसने मुस्कुराते हुए चेतावनी देते हुए कहा इससे ज्यादा की उम्मीद मत रखना । मैं मुस्कुराया और अपने शासित तरीके से देखने के अंदाज को गायब कर दिया । मैंने उससे पूछा मेरे साथ शॉपिंग करने चलोगी । उसने पूछा कहाँ? मैंने उसे कहा कि मैं अपनी बहन का लहंगा लेने जा रहा हूँ या तो मेरे साथ चल होगी । वो बहुत ही सुंदर तरीके से मेरे साथ चलने लगीं । हम दोनों पार्किंग वाली जगह तक पहुंच गए । उसने कहा रहे स्कूटी पहले उसे चाबी पकडाते हुए पूछा क्या तुम ट्राई करना चाहोगी? उसने मेरे हाथों से चाबी लेकर शैतानी भरी मुस्कान के साथ का मिस्टर रोहन आज तुम अपने शहर में मशहूर हो जाओगी क्योंकि आज तुम शहर के सबसे खुबसूरत लडकी के साथ स्कूटी में पीछे बैठ कर के होंगे । मैं थोडा अनुमाना था । उसके पीछे बैठ गया । वो नई सडक पर ड्राइव करने के लिए मेहताब थी । तुम उससे पूछती रहे कि किस तरफ जाना है और मेरी आंखें उन लोगों की ओर थी जो मुझे जानते थे और मुझे उसके साथ स्कूटी में उसके साथ उत्सुकता भरी निगाह से देख रहे थे । सागर । प्राइमरी मार्केट में भारी ट्रैफिक के बीच से गुजरने के बाद हम सिंधी बाजार पहुंचे । सिंधी बाजार लडकियों के कपडों और उनसे जुडी अन्य चीजों के लिए विख्यात है । वहां पहुंचते ही वो आंखें भाडे बाजार को देखने लगी । हमने गली के दोनों ओर लडकियों के सूट और साडियो के लिए बनी संकरी रोड का रास्ता लिया । हम उस दुकान में आ गए जहां से हमें लगा उठाना था और मैंने उनसे पूछा भैया क्या लगा तैयार है? उन्होंने वैदेही को देख हामी भरी और लहंगा पैक कर दिया । जो आदमी लहंगा पैक कर रहा था वैसे ही नहीं उसे बीच में डूबकर का रुको । पहले मैं जांच हूँ । उसने उस लहंगा को अपने बदन पर लगाकर का बहुत सुंदर है तो भाई बहन इस लाल रंग के जोडे में बहुत सुन्दर लगेगी । मैंने उसे देखा और ये कामना कि कि वो दिन चलती आए जब वो भी मेरे लिए ऐसा ही लाल जोडा पहनेगी चुकी पापा ने पहले से ही उसके लहंगे के पैसे दे दिए थे तो हमने वहाँ से उसे उठाया और वापस ड्राइव का रुख होटल में वापस पहुंच गए । हम जैसे ही होटल के पास के सिविल लाइंस पहुंचे तब मैंने उससे पूछा क्या तुम सागर के प्रसिद्ध गोलगप्पे खाना चाहूँ कि तो बहुत उत्साहित हुई और मान गयी । वो मेरे पीछे बैठ गए और मेरे कंधे पर उसके हाथ रखा । मैंने किनारे के शिष्या से उसे देखा और मुस्कुराने लगा । हम सागर के प्रसिद्ध छाड पाँच चार पहुंचे । हमने अपनी प्लेट नहीं और उसने अपना बडा सा मुंह खुला और एक कोलकत्ता उसमें एक बार नहीं घुसा दिया । उसकी आखिर चौडी हो गई और देखी गोलगप्पा खाने से उसकी आंखों से तब पार तब आंसू बहने लगे अपने लिए तो एक गोलगप्पे के बाद मैंने तो खाना बंद कर दिया पर उसे गोलगप्पे देते रहने को कहा । सिर्फ उसे देखना चाहता था । कोई इतना खूबसूरत कैसे हो सकता है । उसकी हर अदा मुझे पागल किए जा रहे थी । मैं उसी में हो गया । उसके अपनी कोहनी से मुझे मारकर पूछा तुम किन ख्यालों में खोए हुए हो हूँ? मैंने बडे प्यार से अपना सिर्फ खिलाया और मुस्कुराने लगा । अब भी मुस्कुरा रही थी और आपने हाओ भावों से बता रही थी कि उसे गोल करते बहुत पसंद है । हम लोग होटल में वापस लौटे और विनीत और ठाकुर अभी भी सीढियों के नीचे खडे थे । वैदेही सीढियों से ऊपर तो छोड कर चली गई ताकि शादी के स्थान पर छह बजे तक तैयार हो कर आ जाए । मैंने कह दिया था कि शादी के समय मैं व्यस्त हो जाऊंगा । इसलिए हो सकता है की मैं उन लोगों के साथ होता हूँ । पर वे लोग आराम से शादी के मसले लें । मैंने उन्हें शादी असफल का पता एक कागज पर लिखकर दे दिया और घर वापस आ गया । मैं सीधे सुरभि दी के पास पहुंचा जो हाथों में मेहंदी लगाने में व्यस्त थी । मेरी बहन उस दिन बहुत ही सुंदर दिख रही थी । पहले उसे देखा और याद करने लगा कि कैसे हम लोग गोल्ड मेडल पाने के लिए लडाई करते थे । आज के बाद से एक नया रिश्ता शुरू होने वाला था जिससे रिश्ते और मजबूत होंगे । हमें एक दूसरे की भावनाओं को अच्छे से समझेंगे । मैंने प्लास्टिक के बैग से उसका लहंगा निकाला और उसके सामने रख दिया । मैंने उससे कहा ये रहा तुम्हारा लहंगा देख लो, सही है कि नहीं? क्या इसमें कोई ऍम की जरूरत नहीं । वो बहुत खुश देख रही थी । उससे कहा वहाँ ये एक काम सही है भाई धन्यवाद । मैं जैसे ही अन्य कामों में लगने के लिए उठा तो उसने पूछा रहते ही कहा है मैं रुका और पीछे मुडकर । मैंने जवाब दिया वो तो होटल में है और शाम को आएगी । अब तो मैं उसे यहाँ लेकर आ जाना चाहिए था । मैं उसे मिल लेती । मैं देखना चाहती थी कि वह अप्सरा कैसी है । उसने कहा मैं मुस्कुराया और फिर उसने कहा परेशान मत हो, वो तुमसे जरूर मिलेगी । तुम अनुज के बारे में सोचो । मैं थोडा भावुक हो गया और उसे गले लगा लिया । उसने कहा रोहन ऐसा मत करो । अगर मैं रोने लग होंगी तो मेरा सारा बेकम पहुँच जाएगा । मैं रोता हुआ उस कमरे से चला गया हूँ । शाम का समय था और मेहमानों ने शादी अस्थल में आना शुरू कर दिया था । मम्मी पापा भी तैयार थे और शादी स्थल में मेहमानों का स्वागत करने के लिए हमारे कुछ मेहमानों के साथ पहले से ही पहुंच चुके थे । इस भव्य शादी की सारी तैयारी पूरी हो चुकी थी । मैं नीले रंग का फॉर्मल्स सूट पहनकर तैयार था और मैंने साथ में नीले रंग की फिनटेक टाइप भी पहनी हुई थी । मैं जैसे ही शादी के जान माल से की ओर तैयारियाँ देखने के लिए पहुंचा तो मुस्कुराते हुए पापा ने मुझे गले लगा लिया । अब कहाँ मेरा बेटा सुंदर सा आदमी बन गया है । मैं मुस्कुराते हुए उनके गले लगा और मैंने कहा निवास पता हूँ । स्टेज के आगे का हिस्सा बहुत सुन्दर लाल सफेद फूलों से सजा हुआ था जिसके बीच में बडा सा लाल फूफा रखा हुआ था जो वर वधू के बैठने के लिए था । उस समय तक कुछ ही मेहमान पहुंचे थे और वो सारे आगे की पंक्ति में बैठ गए थे । शहनाई से बस्ता संगीत हवा में खुलकर चारो ओर घूम जा रहा था । वैदेही के कहे अनुसार सुर्खी दी लाल रहते में अत्यंत ही खूबसूरत लग रही थी तो शादी के लिए तैयार खडी एक नहीं पौधों के रूप में आकर्षक लग रही थी जिसने साथ में आभूषण पहने हुए थे और खुद सुरक्षण कार भी किया हुआ था । दीदी के आने के पास बहुत सारे मेहमान पधार चुके थे पर मेरी आंखें इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लडकी रहते ही को देखने के लिए तरफ नहीं नहीं । मैं वर्क के लिए माला लाने की तैयारियों में जुटा हुआ था, जो कभी भी वहां पहुंच सकते थे । पर कभी मैंने बैठे ही को मुख्यद्वार से आते हुए देख लिया । वह बैठने और गुलाबी रंग के लहंगे में बेहद खूबसूरत लग रही थी । मैं अपनी आंखें उस पर से नहीं हटा पाया । मैं जब उसे ताक रहा था तब वो मुझे देखकर मुस्कुराने लग गयी । वो इस दुनिया की सबसे खूबसूरत नायाब लडकी लग रही थी । उसने मेरी तरफ हाथ उठाकर एक बडी सी मुस्कान के साथ देखा और अपनी उंगलियों से रोक के की मुद्रा बनाई । तभी मैंने उसके पीछे देखा । नब्बे खडी थी मेरी मुस्कान अचानक गायब हो गई न? क्या सुबेदी की दोस्ती रिश्ते में बहन थी । अब वो उनके साथ आई थी । मेरी आंखें उसकी तरफ होते हैं जबकि मैं वेदेही की ओर हाथ हिला रहा था । नफरत सुन्दर लग रही थी । उसने पीले और काले रंग का सूट पहना था । वैदेही मेरी आंखें और मुस्कुराहट पर लिंग और पीछे मुडकर देखा । मैं किसी देखता हूँ लंबे पर से ध्यान हटा । मेरी आंखें वापस रहते ही को देखने लगी । मैं ऐसा दिखावा करने लगा जैसे मैंने नव्या को देखा ही ना हो । जबकि नव्या ने मुझे देख लिया था और वह थोडा मुस्कुराई भी थी । वैदेही ने कभी भी नवदिया को देखा नहीं था । नहीं उसकी कोई फोटो देखी थी । उसे ये भी पता नहीं था कि मैं किसी देखता हूँ । मैं पशोपेश में था क्योंकि अभी मैं उन दोनों इंसानों के सामने खडा था । एक जिससे मैंने कभी सबसे ज्यादा प्यार किया था और दूसरी वो जिससे मैं अब सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ । वैदेही मेरे बहुत पास अगर मेरे कानों में बोली मिस्टर रोहन मुझे ये नहीं पता था कि तुम इतने सुन्दर भी लग सकते हो । मैंने उसका हाथ पकडा और उससे कहा मुझे भी कहाँ पता था । फिर दुनिया की सबसे खुबसूरत लडकी मेरी प्रेमिका होगी । उसने मुझे अपनी श्रम के लिए निकासियों से देखा । मैंने देखा कि नव्या अपनी बहन के साथ किसी और तरफ जा रही है और इस तेज के सामने बैठ रही है । मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैडम पिया के पास जाकर उस से मिलूँ या ना मिलूँ और उस से बात करूँ । मुझे ये भी नहीं पता था कि नव्या उससे जुडी मेरी भावनाओं के बारे में जानते भी है कि नहीं । मैंने वैदेही और अन्य दोस्तों को सीट लेने के लिए कहा और मैं स्वयं मुख्यद्वार पर पहुंच गया क्योंकि बारात आ चुकी थी । मैं दौड कर अपने माँ पापा के पीछे खडा हो गया । अनुज शर्मा आने में बहुत सुन्दर लग रहे थे तो मुझे देखकर मुस्कुराए । अनुज के रिश्तेदार एवं तो बारात में नाच रहे थे । हमने उन्हें मालाएं पहनाईं और बैठने को कहा । कुछ ही देर में सारे भीतिया शुरू हो गए । अनुरोध स्टेज पर स्थित सोफे पर बैठ गए । अब सुवेदी के स्टेज पर आने का समय था । मैं मुख्यद्वार पर उन्हें लाने के लिए गया और चुनरी का एक किनारा पकडकर लाने लगा । जैसे चारों किनारे से ही एक एक व्यक्ति पकडता है । वधू को सुंदरी के नीचे ही चलना होता है । मैं सुर दीदी के आगे उसके पाएं और चुनरी का किनारा पकडकर चल रहा था । वो कुछ उदास कदम चली और फिर रुक गई आपका चेहरा मेरे कानों के पास लाकर । उन्होंने कहा तुम रहते ही को बुलाकर उससे दूसरा किनारा पकडने को कहूँ । मैं उसकी भावनाएं देखकर मुस्कुराया । अब वो किनारा किसी भाई को पकडाकर बैठे ही के पास गया । उसके पास गया और उसके कान में वो बताया जो सुनाई दे दें । मुझसे कहा था तो मुस्कुराई और मेरे साथ चलने लगी । जैसे ही हम दे दी के पास पहुंचे वैदेही नहीं । उन्हें देखकर मुस्कुराई और उनके चेहरे के पास अपना छह लाकर तो नहीं दी थी । आपका हाथ सुंदर लग रही हो । मैं उसे दीदी के साथ बातचीत करते हुए थे । बहुत था । मैंने फिर से चुन्नी का किनारा पकडा और वैदेही नहीं मेरे बदल का दूसरा किनारा पकडा । हम साथ में चलने लगे हैं । एक ही करती है एक कदम डाल के साथ मैं उसे देखने के लिए टाइम और मुझे और मेरी बाई और देख मुस्कुराने लगे । मैं भी मुस्कुराया । जैसे मैं स्टेज के पास पहुंचा । वहाँ मैंने नित्य को उसकी बहन के साथ बैठे देखा जो वधू के आने पर तालियाँ बजा रही थी । नव्या ने मुझे देखा और मुस्कुराई मैं वापस मुस्कुराकर आगे बढ गया । हम सुबेदी को वरमाला के लिए स्टेज पर लेकर गए । मैं शादी की रेतिया शुरू होने के समय बैठे ही के बगल में खडा हो गया । हर कोई उत्साह वर्धन कर तालियाँ बजा रहा था । तब उसी समय वैदेही ने मेरे हाथ में छिकोटी गाडी मैं उसे देख मुस्कुराया । उसने मुझे इशारे किए कि मैं उन रिति रिवाजों को सीख लूँ । मैंने भी उसे कंधे से हल्का सा किनारे को धक्का दिया और उस ने भी मुझे थोडा धकेल दिया । जहाँ तक हम उन रीतियों को मजे से देख रहे थे वही मेरी नजर नव्या पर पडेगा । वो मुझे देख रही थी जिसे ये अच्छा नहीं लग रहा था । मैंने मुस्कुराना बनकर उसकी तरफ देखना ही बंद कर दिया । ऐसे ही कुछ रिवाज खत्म हुए हैं । मैंने अपने दोस्त को भोजन करने की जगह पर जाने को कहा और वैदेही से जाने की अनुमति मांगी तो कि मैं अपने कुछ मेहमानों को देखा हूँ । मैं सीधे नब्बे के पास गया और जो किनारे पर खडे थे और कॉफी का इंतजार कर रही थी । मैंने उससे पूछा हलो नदियाँ ऐसी होती हूँ, मेरी तरफ मुडी और अपने अंदाज में उसने मुझसे मुस्कुराकर कहा मैं ठीक हूँ, तुम कैसे हो मैं बैठी हूँ । फिर हम दोनों की बातचीत के बीच खामोशी से छा गई और फिर बाद में उसने कहा मैं तो सोच रही थी तो मुझे किसी चीज के बारे में बात करेंगे । मेरे सारे भाव गायब हो गए । मैं उसे सारे बातें बताना चाहता था कि अब सब कुछ बदल गया है पर मैं उसे दुखी नहीं करना चाहता था । पर मैं परेशान क्यों हो रहा था मुझे ये नहीं पता कि वह मुझे चाहती थी कि नहीं । मैंने सोचा कि ये बच्चा हुआ कि मैं उसे कभी नहीं बताऊंगा कि मैं कभी उसके प्रति आकर्षित था और मैंने बात का विषय ही बदल दिया । तो तुम्हारी फार्मा के क्लासेज कैसी चल रही है । उसने कहा हाँ ठीक चल रही है और फिर हम दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी छा गई जिससे उस ने ये कहकर तोडा कि तुम्हारे साथ वो लडकी कौन है । मैंने शब्द हो गया, समझ नहीं आया कि क्या करूँ । अगर मैं उससे कहूँ कि वह मेरी बस एक दोस्त है तो वह झूठ होगा । पर हो सकता है नव्या को मुझ से कुछ अपेक्षाएं होंगे । पर अगर मैं उससे ये कहता हूँ कि वो मेरी कल फ्रेंड है तो वह मुझे मारेगी । कुछ देर सोचने के बाद मैंने सोचा कहता हूँ । मैंने उससे बहुत आत्मविश्वास के साथ कहा वो तो मेरी गर्लफ्रेंड रहते ही है । उसने जैसे ये सुना तो मेरी तरफ एक बनावटी हंसी हंसते । अपना उदास चेहरा लिए उसने मुझसे कहा मुझे चलना चाहिए । मेरी बहन मेरा इंतजार कर रही होगी । मैं मुस्कुराया और उसे आगे जाने का रास्ता दिया तो मुझे देखे बिना ही आखिर चली गई और अचानक रुककर पीछे मोदी और कहने लगी रोहन तो मैं पता है । एक टेबल के अंदर बहुत सारी भावनाएं तभी छुट्टी होती है । पर कई लोगों में से कुछ लोग ही इससे बाहर ला पाते हैं । आशा करते हैं तो उसके प्रति सच्चे बने रहेंगे क्योंकि जब भावनाओं को ठेस पहुंचती है तो जिंदगी बहुत प्रभावित हो जाती है । मैं उसे देखता रहा है और वो भी कुछ सेकंड भी मुझे देखती रहे हैं । फिर वो बिना पीछे मुडे आगे निकल गई तो स्वर्ग में हर इंसान की किस्मत लिखते जाते हैं । मैंने ऐसा सुना था पर पहली बार ऐसे महसूस भी किया है । लगभग मुझसे प्यार करती थी और अगर मैंने उनसे स्कूल में ही प्रोपोज कर दिया होता और उसे स्वीकार कर लिया होता तो मैं कभी भी वैसे ही को नहीं मिल पाता है । किस्मत चाहती थी कि मैं और वैसे ही साथ में रहे इसलिए सारा कुछ हुआ हूँ । मैं बहुत निश्चिंत था । जिस लडकी को मैंने पागलो की तरह बरसों प्यार किया था वो आप मेरी आंखों के सामने से जा रही है । पर यहाँ अब कोई खिला नहीं है ।

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यह प्रेमकथा उन सारे युगल प्रेमियों को समर्पित है, जिनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई... writer: हिमांशु राय Author : Himanshu Rai Script Writer : Shreekant Sinha
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