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सूर्य के तेज चुभने वाली किरणें जमीन पर पढ रही थीं । मैंने किसी तरह पेड के झांसे अपने चेहरे को बचाने की कोशिश की । यही बहुत बडा बरगद का पेड था । मैं अपनी काफी हुई उंगलियों से महसूस करने लगा की एक कैसे एक जगह पर खडा ॅ हुआ तो मन में कुछ इस तरह का ख्याल आ रहा था कि क्या इसका कभी चलने फिरने का मन नहीं करता हूँ । मेरी तो सिर्फ चाहते तो में ही ऐसी की तैसी हो गई । वहीं पेड को देखो तो सदियों से खडा है एक ही जगह पर मैंने पिछले कुछ हफ्तों में ढंग से नहीं तक नहीं । कुल चहारदिवारी ने मुझ पर कोई भी नहीं किया । इन हफ्ते की मेरी कुल कमाई । यही तो चार सौ बीस रुपये तो थी ऍम भी कोई रखा मैं ऊपर । देखिए क्या सहयोग चार सौ बीस मैं खुद पर हस पडा नहीं । दूसरी तरफ बाहर के कुछ लोग मुझे जो रोचक का समझ रहे थे ठीक है । अब मुझे भी इस पत्थर की दुनिया में रहना था । वह पत्थर की दुनिया जिसका कम ही मुझ पर उंगली उठाना है । कुछ ही मिनटों में एक राहत चलती कराकर ठहर गई । शायद उसमें बैठे किसी व्यक्ति को लघुशंका मीठा नहीं थी । कॅश उसके अंदर चल रहे म्यूजिक ने कुछ तुरंत गौरी की आज दिलाती है । शायद यही तो था जो मैं उस छह बाइक है की चाहरदीवारी के अंदर बहुत मिस कर रहा था तो मैं स्वतंत्र होने जा रहा हूँ । खाली चिडिया की भांति कहीं भी जा सकूंगा तो मुझे खुश होना चाहिए पर मैं कुछ नहीं था । सिर्फ एक ही बार तो मैं और गौरी अलग हुए थे । जब मैं ताशकंद गया हुआ था और वे बैंक क्या थी? बहुत ही सुंदर यादें तवे एक विचार ने मेरे दिल में मानो छोरी बोलती हूँ । आपका हो हमेशा हमेशा के लिए मेरी जिंदगी से दूर चली गई है । हमेशा हमेशा के लिए मैं एक बच्चे की तरह सीखने लगा । आखिरकार में बैठे एक व्यक्ति ने पूछ लिया ॅ उससे मत पूछो यार, अभी अभी जेल से निकला है । शायद अपने नजदीकियों को मिस कर रहा होगा । उसके दोस्त है । जवाब दिया जिसकी बातों से ऐसा प्रतीत हुआ । जैसे भी कई दफा जेल के अंदर चक्कर लगा चुका हो, मैंने उनसे बताया कि मैं अपने नजदीकियों का इंतजार कर रहा हूँ । मैं मुझे घर ले जाएंगे । उस व्यक्ति ने टांगे फैलाते हुए अपनी चैन बंद की । कॅाफी संतोष की मुद्रा में वापस लौट गया हूँ । उन लडकों ने जाते हुए चेहरे पर मुस्कान बिखेरी और मुझे हाथ हिलाकर विधायक रहा हूँ । इन लोगों को देखकर ऐसा लगा जैसे दुनिया अभी उतनी नहीं बदली है जितना मैं सोच रहा था या फिर डर रहा था हूँ । इस बार िकृत के पेड के नीचे खडे हुए मुझे तकरीबन पच्चीस मिनट हो गए थे तो मैंने अपने बैग से घडी निकालकर समय देखा जो जेल के स्टाफ ने मुझे वापस कर दी थी । बाद में एक कागज का टुकडा और पढा था जिसे मैं चेंज के अन्दर आपने दिन गिरने के लिए उपयोग करता था कि इस चहारदिवारी के अंदर मैंने कितने दिन गुजारे हैं जानती हूँ । इतना ही नहीं हर दिन में काकस में उसका ऍफ बनाए करता था । अब तक ऐसी कुल पैंतीस तस्वीरें बना चुका था की संख्या संयोग वर्ष भी उम्र से मेल खा रही थी तो मेरे जन्मदिन भी जेल के अंदर ये मनाया गया । मेरे कैदी साथियों और स्टाफ के लोगों ने मोमबत्तियां जलाई । ऍम असल में वे मोमबत्तियां कैदी साथियों ने ही बनाई थी । मैंने उन्हें तो नहीं पर मुझे जहाँ तो क्या है उनकी संख्या दस से अधिक नहीं रही होगी । बिजली गडे अच्छी है पर इंसानों को पहचानने में कमजोर हूँ । हमने से अधिकतर लोग शायद ऐसे ही होते हैं । यह पहचानना मुश्किल होता है कि कौन भुगतभोगी है और कौन होगी है और कुछ ही देर में मेरे घर वाले मुझे लेने आ गए । ठीक सच बताऊँ, ऍफ नहीं काटा गया । झूठी बाते हैं एकदम काल्पनिक अपने मम्मी पापा से और क्या बताऊंगा? मैं इस कहानी को अपने मन में पहले से ही बोल लेना चाहता था ताकि जब इसके वाली कहानी का उन्हें सुना हूँ तो ये बहुत ही मनोरंजक ऍम सकते, लगनी चाहिए । आखिर में काॅन् जीवन में रहना अधिक पसंद करता हूँ तो मुझे लगता है ये वास्तविक जीवन से कहीं सुंदर है । मुझे करने के लिए बहुत कम है । मैंने अपनी नौकरी तो कोई दिए । बहरहाल गंगा ने इसे बचाने की बहुत कोशिश की, बडा सफल रही । मुझे बहुत सारे न्यायिक कार्य करने, मुझे ऍर कोर्ट के चक्कर भी लगाने । मुझे विश्वास है कि मैं बडी हो जाऊंगा हूँ । इस वर्ष पंद्रह जुलाई के पहले मुझे कुछ देखी विश्वास था । परन्तु ऍम जब सोमेश के बॉस ने ये घोषणा कर दी थी कि मैं बोल रहा हूँ और कुछ लोगों के लिए खतरे की घंटी हूँ । तभी खर्चा किया था, उसका था । मुंबई के मरीन ड्राइव के नजदीक पीस खा रहा था । जब विनम्र ठीक रहे । दो पुलिस वालों ने हमें दबोच लिया था तो छोडो के लिए तो ये है लगा यहाँ से भाग जाया जाए पर है सिर्फ क्षणभंगुर सोच थी । ऐसे में टॉम भी पकडा चाहता हूँ । उन पुलिस वालों ने दोस्ताना रवैया दिखाया था हूँ जो हमें बिल चुकाने का वक्त भी दे दिया था । ऍम की निगाह दिल पर थी और मेरी फॅमिली चुका दिया । उसके पश्चात सिर्फ विजिटर के तौर पर काम ही मत से मिला करता था । उस घटना के बाद जिंदगी एकदम से बदल दी गई थी । यहाँ तक कि मेरा वर्धन भी काफी घट गया था । हमेशा से मुझे भारी शरीर की समस्या थी जहाँ की शादी के व्यक्ति है । मेरे लिए सबसे बडी चिंता का विषय था अब नहीं । मेरे जिंदगी में जाने अनजाने कई दोस्त और कई दुश्मन बने हर किसी के होते हैं । बस मैंने इन है अलग तरह से मैनेज किया या योग रहे गलत ॅ जो था वही सत्य । अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्या वो बडी लम्बी कहानी है? वो कुछ बातें मुझे पता है और कुछ बता कर नहीं शायद वक्त आने पर खोलूंगा वो मेरा तालाक होने जा रहा है जिसकी शुरुआत तो बहुत दिनों पहले नहीं हुई थी । शायद है उन बहुत कम केसों में से होगा जहाँ पत्नी को कानूनी व्याख्या करने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड रहा था । हम दोनों एक दूसरे को समझने में कभी कभी कट्टियां कर जाते थे । कभी कभी विश्वास की भी कमी पड जाती थी । शायद है एक दो बार छोटी छोटी बातों में बडी बडी बहसें भी हो जाती थी पर किसी ने हमें तालाब तक लाकर खडा नहीं किया । हम दोनों अपनी जिंदगी में बहुत खुश भी तो थी । छुट्टियों और दूसरे लोगों ने शायद यहाँ तक ला खडा किया । और हाँ, ऐसा माना जाता है कि मैं कुछ वक्त गैर वैवाहिक संबंध में भी फसा रहा तो गौरी से संभाल नहीं सकी तथा इसका नतीजा यह हुआ कि मैंने उसे खोल दिया भी हमेशा हमेशा के लिए मुझे बहुत काम करना है ऍम मैं दृष्टि को पसंद करता हूँ । ॅ कि मैं गौरी को अधिक पसंद करता हूँ । बहुत पसंद सिर्फ ये कहना गलत होगा कि मैं गौरी से बॅायकॅाट करता हूँ और मुझे अभी भी ऐसा लगता है कि मैंने अपनी पत्नी के साथ कभी विश्वास खास नहीं किया है । मैंने उसे कभी टोका नहीं दिया है । ऐसी परिस्थितियों ने मुझे गुलाम बना लिया । चार बजे के सूरज की मध्यम रोशनी मेरे गालों पर बढ रही थी । पर यह रोशनी ठंडा काम करने के लिए काफी नहीं थी । मुझे सूर्य की किरणें ठीक हवा की भारतीय महसूस हो रही थीं । एक लौटा अच्छा वक्ता सूरज बरगद का । बहरहाल के बादल सबसे सुंदर परिद्रश्य बना रहे थे पर मैं कभी वापस नहीं आना चाहता था । कभी नहीं यहाँ तक कि इस पर एक राष्ट्र को देखने भी नहीं । तभी मुझे मेरे नजदीक ही लोग आते हुए दिखाई दिए तो हम गाडी चला रहा था । मेरे तो अन्य मित्र जैरी राजीव किसी काम में फंस गए थे जिस वजह से मैं मुझे लेने नहीं यहाँ फायदा है । मैं अपनी ऍम मैं उनसे ले पढकर रोना चाहता था परंतु खुद का कठोर बनाए रखा ऍम होती है । बॅाल की हल्की मुस्कान दे रहा था । अगर मैं उसकी जगह पर होता हूँ, मैं भी ठीक उसी की तरह बर्ताव कर रहा होता हूँ । हमारी यात्रा शुरू हो चुकी थी । पांच हफ्तों बात सडक को देखना किसी सबसे कम नहीं था और सडक पर यो चलना किसी विदेशी यात्रा से कम नहीं लग रहा था । अब मैंने खुद को वजन दे दिया था की अब कोई भी चीज हल्के बहन नहीं होगा । सिर्फ उन चार सौ बीस रुपये को छोडकर जो मैंने जेल में रहकर कमाए थे गए मेरे लिए सबसे बडी सीख थी । हम लोगों में आपस में कोई बात नहीं हो रही थी । मुझे पता था कि मम्मी मुझे लगता है अपनी नजरों से नहीं आ रही है । मैंने उनकी तरफ देखते हुए ऐसा चेहरा बनाया हूँ कि सब कुछ सही है और मैं खुश हूँ । मेरे साथ कुछ भी बुरा नहीं हुआ हूँ । मैं उन्हें बताऊंगा की अपनी जिंदगी का सबसे बढिया केक मैंने जेल के अंदर काटा हूँ । सच बताऊ तो मेरे पास लफ्फाजी मारने के लिए बहुत कुछ था । गुडगांव तक की दोहरी लगभग सोलह सौ किलोमीटर थी जिसमें से कुछ दूरी मुंबई ऍम हाॅकी किराए की कार से करने वाले थे जिसमें से कुछ दूरी मुंबई ॅ की किराए की कार से करने वाले थे । पुणे से मुंबई की उस प्यारी रह के बारे में अधिक बताने की जरूरत है ही नहीं । थर्ड फॅमिली बात दम ने बताई थी । हाँ खुदा का शुक्र था किसी ने मुझसे बात करनी तो प्रारंभ की थी डाॅ । लगातार फोन पर बातें करने में व्यस्त थे । उनके पास कोई ना कोई फोन लगातार आए जा रहा था । उन्हें इस बात का दुख था कि रहन मुझे जेल से जल्दी छुआ नहीं पाए । तुम चिंता मत करो । मैंने तुम्हारे लिए बेस्ट वकील का इंतजाम कर लिया है । जैसे ही एक बार सबसे उनका फोन बजा उन्होंने उसे मुझे पकडा दिया । मेल प्रभारी पुरानी ऍम नहीं निकल आया तो बहुत हो तो माफी चाहूंगी कि आज मैं तो मैं देखने नहीं आ सकी । आप सुनाओ आप की नौकरी के लिए फिक्र मत करना । क्या ऍर कर रहे हो? तुम तो जानते ही हो कि हाँ कैसे क्या चलता है तो मैं बताने की जरूरत नहीं है । पर खुश खबरी वाली बात ये है कि ऋतिक ने अपना काम शुरू कर दिया । ऍम बहुत अंदर आखिरकार बन्दे ने दिखाई दिया और क्या समाचार है हम लोग क्या मिलेंगे तो ढंग से इन सब विषयों पर बात करेंगे? हाँ जल्दी मिलने का प्लाॅट बताऊँ । क्या तुम्हारी मुलाकात संजू बाबा से हुई थी? गंगा कैसी बातें कर रही हो? तुम ऍफ बहुदा बाद करना चाहती हूँ ऍम तुम्हारे लिए मैंने मन्नते मांगी हैं । मेरी तरफ से अंकल को नमस्ते कहना जल्दी में मैं उन्हें कहना बोल गई की क्या क्या दूंगा भाई ऍम बिना मेरी तरफ देखे फोन ले लिया । तुमने मुझे देखकर से लाया । घने बादलों ने मुंबई में हमारा स्वागत किया । वह सच बताऊँ । मुझे अंधेरे से डर नहीं लगता । बिल्कुल भी नहीं । मुझे ऐसा लगता है कि मैंने जिंदगी के सारे रंग देख लिए हैं कि जिंदगी के अनुभव भी होते हैं, जो हमें किसी भी पढाए गए ज्ञान से अधिक शिक्षा दे जाते हैं । तब हम उस ज्ञान तो लोगों के साथ बांटने लगते हैं । हमारी आदत है कि हम अधिकतर अपनी ही गलतियों से सीखते हैं है । जब तक हम सीख रहे हैं, तब तक सब कुछ सही है । कभी कभी ऐसा होता है कि हम जिंदगी में गलतियाँ करते रहते हैं और उनसे सीखते कुछ भी नहीं हुआ । या तो बहुत देर हो जाती है या फिर गलतियों की मार हमें इतनी बुरी तरह प्रहार करती है कि हम किसी अंधकार में चले जाते हैं । ईश्वर का शुक्र था कि मेरी इतनी बुरी दशा नहीं हुई थी, कार वापस करती थी । ऍप्स के लोग खुश थे कि उन्हें बिना खरोंच लगी बिना नुकसान के बाहर वापस मिल गई । और हम भी खुश हैं कि हमें मुंबई से दिल्ली की फ्लाइट मिल गई थी ।
Producer
Sound Engineer