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भाग फॅमिली में पानी को छुट्टी हुई । नाम आगे बढती रही । दोनों और किनारे की एक का दुख की बत्तियां देखकर लगता था । एक काफी चौडी थी । इधर के इलाके से मैं एकदम अनजान था इसलिए मैं इस इलाके में कुछ भी समझ नहीं पा रहा था । मुझे बिल्कुल पता नहीं था कि हम किधर जा रहे थे । अब रात के साढे दस बज रहे थे । मुझे बमनी की चिंता सता रही हूँ । जिस आदमी ने मुझे फोन किया था भई इस बीच आया होगा और वहाँ मुझे ना पाकर उसने समझा होगा कि मैंने उसे चकमा दे दिया । मोबाइल चेक किया, कोई मिस कॉल तो नहीं । शायद निताई को डरा धमकाकर मेरे बारे में जानकारी ले और से मेरा पीछा करें या फिर अपने साथियों को खबर दें और मम्मी को खत्म कर दें । मैंने चौकन्ना होकर यह आहट लेने की कोशिश की । पीछे किसी और के मोटर बोर्ड के इंजन की आवाज नहीं सुनाई दे रही है । लेकिन किसी भी तरह की आहट नहीं नहीं । मैं अपनी आप तक की कार्यवाही पर गौर करने लगा । मैं यह ज्यादा ठीक हूँ तो पुष्पा नहीं अब तक जो भी कदम उठाए थे वो वक्त की जरूरत को देखते हुए उठाए थे । हमने ये नहीं सोचा था कि आगे क्या नतीजा होगा और इसलिए थोडी देर तक की अपनी सफलता के बाद इस ताली के गोरखधंधे में और गहराई तक फंस गए थे । हम लोग बिना किसी योजना या उद्देश्य के काम कर रहे थे और हम जिस उलझन में फंस गए थे, ऐसी करना भेजा था । अब पुष्पा ने शैतान सिंह को यह कहकर चकमा दिया था कि उसे पता था कि ताली कहाँ थी? क्या उसे सचमुच पता था? हम सोच रहे थे कि अगर शैतान सिंह की मदद से ही मिल भी गई तो उस वक्त हमारे क्या गत बनाएगा जब उसे मालूम होगा कि हम ताली के बारे में बिल्कुल नहीं जानते । लेकिन इसके सेवा हमारे पास झारा भी किया था । अगर हम यह व्यक्ति तिकला में नाराज थे तो करते क्या हूँ? और इनकी सबसे बडी सफलता ये थी क्या वेदर जिंदा थे और न कौन जाने की ये गुंडा कब का खत्म कर चुके होते हैं । कल जब उस बूढे ने मेरी जेब में डाल रखी थी, तब से लेकर आज तक चौबीस घंटे से कुछ अधिक ही भीतर है लेकिन ये ऐसे चौबीस घंटे थे जैसे मेरे अब तक के चौबीस हो चुकी हूँ । इस बीच में मैंने क्या क्या नहीं साहब भय, निराशा भेजती और गहरी नफरत सभी कुछ कहा नहीं नहीं और अभी तक यह पता नहीं था कि हम किस ओर बढ रहे हैं । इस वक्त जो गहरा अंधेरा फैला था उसमें हम बाहर निकल पाएंगे या हमेशा के लिए हमें निकल जाएगा हूँ । ये एक अजीबो गरीब सवाल था । मैंने सोचा कि अगर शैतान सिंह को सच बता दूँ तो शायद ये हमारे छुट कार्य का एकमात्र उपाय हूँ । हो सकता है वह व्यर्थ परेशान करने के लिए हमें बुरा भला करें । ये भी हो सकता है कि हमें दो धौल जमाए पर इसके सिवा कुछ नहीं करेगा । ताली ना रहने पर बेकार में हमारी जान नहीं लेगा । लेकिन इस बात का विश्वास उसे अच्छी तरह दिलाना होगा कि तली सचमुच हमारे पास नहीं है और हम ताली के बारे में कुछ नहीं जानते ना उस से हमारा कोई संबंध है । लेकिन यह सबसे बडी होशियारी से करना था । कहीं पहले की तरह से ये ना मान ले कि हम उसे चकमा दे रहे हैं । मैंने दोस्ताना लहजे में उससे बातचीत शुरू करें । भाई शैतानसिंह ये चंदानी आके है कौन क्यों बन रहा है जैसे तुम को जानता ही नहीं । सच हो गया । हम उसे नहीं जानते हैं । नहीं जानते तो चर्चा बैठे रहो । शैतानसिंह गुड का कुछ देर की चुप्पी के बाद मैंने सर कहा और हम ये भी नहीं जानते ये ताली किस बक्से की है । उसमें क्या है यहाँ श्रद्धान सिंह चौका हूँ । हम सच कह रहे हैं, कुछ भी नहीं पता हूँ । ये भी खोल रही शैतान सिंह ने कहा । और उस वक्त की मोटी भाई भाई करती हसी वहाँ की निस्तब्धता में गूंज उठी । बताता भाई, क्या है बक्से में मूंगफलियां एक शैतान सिंह ने ऍम इतने बोले मत बनों । शैतान सिंह सब समझता है । इसके बाद मेरी हिम्मत जवाब दे गई । मैं फिर चुप हो गया । पुष्पा पहले से ही चुप बैठी थी । नाम आगे बढती रही । अब नदी का पाठ बहुत चौडा मालूम हो रहा था । पश्चिम की ओर से चंद भी धीरे धीरे हो रहा था । उस की हल्की सी रोशनी फैल गई थी । मैंने नजर उठाकर देखा । हर ओर पानी, पानी, किनारा कहीं नजर नहीं आ रहा था । मुझे अचानक फिर वही घबराहट होने लगी । आज तक मैंने किसी तालाब में भी कोई छोटी सी नाव नहीं चलाई थी और यहाँ इस लेख में मोटर वोट भगाए लिये जा रहा था । करीब छह मीटर लंबी मोटर बोर्ड ही मजबूत लग रही थी । जरूरत के वक्त काम आने के लिए पतवारों का एक जोडा खुद लगी । रस्सी दस कैलेंड पेट्रोल की अलग अलग टंकी भी थी । नेता ही नहीं है, सब कुछ समझा दिया था । लेकिन मुश्किल ये थी कि पंद्रह मिनट की ट्रेनिंग में यह पूरी तरह नहीं समझ सका था की कौन सी चीज का इस्तेमाल कब करना है । बस कार्ड स्टार्ट करना से बन करना और कंट्रोल लिवर से नाव की दिशा बदलने या उसे तेज या धीमा करने की सेवा में कुछ भी नहीं कर सकता था । इसलिए मेरा घबराना स्वाभाविक था । शैतान सिंह से मैंने फिर पूछा हूँ आखिर हम चले किधर जा रहे हैं? अभी चलते रहा हूँ । जहाँ पहुंचना है वह जगह आने पर मैं तो मैं बता दूंगा हूँ । मेरी बेटी कहा है एक मोटर बोर्ड आॅफ हाँ इसी तरह के बडे मोटर बोर्ड पर । लेकिन ये बेकार सवाल क्यों पूछ रहे हो? हमारा सौदा मुझे ताली दे दो और मैं तुम्हारी बेटी तो वह दिलवाने में मदद करूंगा । बस मेरा सिर मत खाओ । मैं ये जानना चाहता हूँ कि हम जहाँ कहा रहे हैं तो सिर्फ ना चलाते रहो और लगभग बंद करो चाहे तो संजय पुष्पाणि कहा अब हम इसमें फस गए हैं । यहाँ से हम लोग भी नहीं सकते हैं । जैसा शैतानसिंह चाहे तो ऐसा ही करूँ । तुम्हारी औरत तुमसे ज्यादा समझदार मालूम होती है तो मैं ये फैसला करने का हक नहीं है । पुष्पा ने थोडा कर कहा तो फिर अपने शहर से कहा की चर्चा चले मैं और कुछ नहीं चाहता हूँ तो तो हम कर ही रहे हैं । फिर हम सच चुप हो गए । मैंने अपनी कलाई घडी वहाँ पहली धुंधली चांदनी में देखने की कोशिश की । बारह बजने में कुछ मिनट रह गए थे तो इस ठंडी हवा रह रहे कर हमें कब आ जाती ना आपके कंट्रोल लेवल पर मेरा हाथ हम नहीं रहा था अचानक शैतानसिंह चौका हमने कुछ भी तो नहीं था । सामने मैंने आॅस्कर देखने की कोशिश की फिर भी कुछ नहीं दिखाई दिया । हाँ, शैतान सिंह की धडक पर इंजन मैंने जरूर बन कर दिया था । सामने आपको हरे का गडासा जाल तंता जा रहा था इसलिए ये देख पाना मुश्किल था । किस हमने कौन सी चीज थी? क्या ऐसा मैं मैंने श्रद्धान सिंह से पूछा । उनका ठिकाना कहीं पास होना चाहिए । इंजन की आवाज होती रहेगी तो कहीं उन्हें हमारी आता मिल जाएगा । हम ना आपको खेकर दूसरे किनारे की ओर ले चलेंगे । किनारे पर पेडों की घनी पंक्ति थी इसलिए यहाँ गहरा अंधेरा छाया हुआ था । ये अंदाजा लगाया कि जिस रफ्तार से हम बढ रहे थे उससे हम उसी जगह पहुंच सकते थे । मेरा अनुमान बहुत गलत नहीं निकला हूँ । मैंने जहाँ सोचा था ठीक वही तो नहीं । उससे करीब पचास मीटर आगे हम दूसरे किनारे पर पहुंचे हैं । किसी चीज से टकराकर हमारी नाव पीछे हट गई । फिर धारा ने हमें तेजी से एक बार और आगे धकेल दिया और फिर एक बार जोर का टक्का अंधेरी में हम देख नहीं पाए थे । जैसे एक बडी करीब एक मंजिल ऊंची मोटर बोट थी । वो बाहर से एकदम खाली लग रही थी । यहाँ अंदर अगर कोई था तो बाहर से उसके कोई भी आठ नहीं मिल रहे थे । अंदर से रोशनी की एक रेखा भी बाहर नहीं निकल रहे थे । पर दूसरी टक्कर से जरा धीरे बाद कुछ खटर पटर हुई नहीं । एक खिडकी खुली एक चेहरा बाहर झांका । इस बात की संभावना समझकर हमने पहले ही ना आपको जरा और अंधेरे में कर लिया । छह टन सिंह ने फुसफुसाकर हमें एकदम चुप रहने के लिए कहा । हमने दम साथ लिया खिडकी से झांकने वाला चेहरा कुछ देर तक इधर उधर निगाहें दौडाकर देखने की कोशिश करता रहा । फिर मैं हट गया और कुछ देर बाद छोटी से टॉर्च लेकर लौटा तो उसने खिडकी से बाहर हाथ निकालकर नीचे की । इसके बाद वे आदमी हाथ की टॉर्च इधर उधर घुमाकर सामने देखता रहा तो की रोशनी ज्यादा दूर नहीं जा रही थी । पर अगर हम उस लडकी के एकदम नीचे होते हैं तो वहाँ हमें जरूर देख लेता हूँ । लेकिन हम जहाँ पर थे, वहाँ तक टॉर्च की रोशनी नहीं पहुंच पा रही थी । उस आदमी को भी जैसे जिनान हो गया हूँ कि यहाँ कोई नहीं था । लेकिन शायद एहतियान उसने दोबारा एक बार टॉर्च की रोशनी इधर उधर फेंक कर देखने की कोशिश की । अखिरकार उसने जब ये निश्चित घर लिया, वहाँ कोई नहीं है तो टॉर्च बंद की और खिडकी का पल्ला बिना कोई आहट की है । धीरे से बंद कर लिया । मुझे बात कुछ अजीब से लगी । कीबोर्ड में जब मोटर फिट थी तब बिजली क्यों नहीं थी? उस पर सारे लाइट भी होगी । छह तानसिंह से मैंने धीरे से इसकी चर्चा की । शाॅट आकर मुझे धडका, जो भी हो तो बेकार की बात में सर कब आ रहे हो? अगर बिजली जलाएंगे तो छिपेंगे क्यों? उसकी बात ठीक थी । कॅश कुछ देर हम बहुत बने बैठे रहे हैं और इस बात का इंतजार करते रहे कि शायद फिर कोई हमारी आहट लेने के लिए बाहर झांकें । लेकिन पांच सात मिनट भी जाने पर गोई ओवर बाहर नहीं झांका तो हमें इस बात का भरोसा हो गया कि थोडी देर पहले जिस आदमी ने बाहर झांका था उसे पूरी तरह या इत्मिनान हो गया था कि यहाँ कोई नहीं है । आगामी आगे की कार्रवाई तय करनी थी । शैतान सिंह ने फिर हमें कोई आवाज न करने की ताकि दी ये वही बोट हैं । मैंने पूछा मेरा कलेजा धडक रहा था आप वाई । शैतान सिंह ने पहले की तरह फुसफुसाकर जवाब दिया पर आप बहुत होशियार रहने की जरूरत है । उन्हें कुछ भी पता न लगने पाए । तुम्हारी पत्नी यही नाव पर रहेगी और हम चुपचाप ऊपर चलेंगे । पुष्पा के लिए अपने को संभाल पाना अब मुश्किल हो रहा था । ये मालूम होते ही कि यही ना थी जहाँ हमें पहुंचना था । एक का एक आधी रोटी अच्छा यही है मेरी बेटी । उसने पूछा नहीं होनी चाहिए । शैतान सिंह ने जवाब दिया तब मैं भी नीचे नहीं होंगी । मैं ऊपर चल होंगी नहीं तो मैं नीचे रहना है । श्रद्धान सिंह ने फुसफुसाकर लेकिन ते श्रद्धा लेने का तो मुझे नहीं होगी । नीचे रहकर तुम्हें पहरेदारी भी तो करनी है । कोई भी नाबाद ही दिखाई दे तो हमें खबरदार करना होगा और अब ज्यादा बोलो मत नहीं तो उन्हें हमारी आहट मिल जाएगी । इसके आगे पुष्पा का कोई तर्क नहीं चला । हमने धीरे धीरे चप्पू से नाम खेलते हुए बडी बोर्ड का एक चक्कर लगाया । शैतान सिंह को उम्मीद थी की शायद कहीं कोई रस्सी इसी लडकी होगी और सीढी तो क्या कहीं एक रस्सी भी नजर नहीं आए और चडने के किसी साधन के बिना यह बोर्ड किसी की ले की तरह सुरक्षित थी । यहाँ तक आने के लिए हमने जो इतनी मेहनत की थी तो मैं सब बेकार होती दिखाई दे रही थी । शैतानसिंह खडा हो गया और मोटर बोट पर हाथ लगाकर उसे टटोलने का ऊपर नीचे दाएं बाएं फिर बोर्ड पर ही हाथ की टेक देकर उसमें ना आपको जरा और आगे बढाया । उसके बाद रुक का बोर्ड को फॅमिली लगा । अंधेरे में कहीं हार्ट टिकाने लायक भी जगह नहीं मिली । अब उसने अपनी टॉर्च निकाल नहीं ये खटाना काम था पर इसके सिवा कोई और चारा भी नहीं था । दूसरी जेब से उसने एक रंगीन रुमाल निकाला और उसे डॉट के शीशे पर लपेट दिया ताकि उसकी रोशनी ज्यादा दो ट्रक ना जाए तो हर चीज की हल्की रोशनी उसने नाव पर दौडाई । लकडी के तख्ते एक दूसरे के साथ खूब अच्छी तरह जुडे हुए थे और उन पर चिकनी पॉलिस्टर हाथ कहीं रुखी नहीं रहा था । उसने अपनी खोज जारी रखें । ये काम बडे रहे एहतियात से कर रहा था । मैंने महसूस किया कि उसका ढंग सादा हुआ था । एकदम पेशेवर अपराधियों की तरह । बोट को हमारी नाव से या उसके शरीर के वजह से भी कोई धंधा नहीं लग रहा था । इस तरह हम बोर्ड के करीब करीब आधा चक्कर लगा वायद हैं कि एक जगह आकर वैष्णो किया । उसने मेरी और सिर घुमाकर का । यहाँ एक जगह दो पटना के बीच के लिए और उंगली जा सकती हैं तब लेकिन अपने से ही ऊपर नहीं चला जा सकता हूँ । उस ने निराशा जाहिर की और सिर अपनी खोज जारी की । इतनी बडी वोट में कहीं का छह तो होना ही चाहिए बे जैसे अपने आपसे कहता रहा । लेकिन छोटे छोटे सुराखों के सेवा कुछ भी दिखाई नहीं दिया । इन सुराखों में उसके से एक साथ दो गोलियाँ जा सकती थी । अगर कोई इनमें उंगलियाँ फसाकर किसी तरह लटक भी जाए तो कहीं पैर की डेट लगाने की कोई जगह नहीं थी । बोर्ड की दूसरी ओर सुराग गिटार में बने हुए थे । ऐसा हमारी बात है । खेल गई उन सुराखों के ऊपर लोहे का एक खडा लटक रहा था । मैं खडा रस्सी वगैरह बांधने के काम आता होगा, लेकिन वह काफी ऊंचाई पर था । शैतान सिंह भी उस चक्कर उसको सिर्फ हो सकता था । फिर भी कोई और साधानों पर जाने का नहीं था । इसलिए हमने उधर से ही किसी तरह चडने का निश्चय किया । लेकिन ठहरो तुमने कुछ सुना तो नहीं । यहाँ किसी नाव के इंजन की आवाज तो नहीं आ रही है । हम तीनों दम साधकर सुनने की कोशिश करने लगे और उसे जरा दूर नदी का पानी ठाठें मारता लहरा रहा था । देश हिलोरों के कारण कुछ ठीक से सुन पाना मुश्किल था । आप भी रह रहे कर सीटियां बजा रही थी । फिर भी अगर कहीं पास से मोटर बोर्ड के जिनकी आवाज आती तो हम एक करोड सुनाई पडती है । मैंने कहा मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा है । लेकिन मुझे लगा कि कहीं दूर किसी नाव की मोटर की घडघडाहट हो रही है और यह मेरा बहन नहीं हो सकता हूँ क्यूँ तो मैं जिन लोगों ने वोट लग के निकट पर इंतजार करने के लिए कहा था वहाँ तो मैं ना पाकर देहधारी आ रहे होंगे । उनका जाना वो जा रास्ता है किसी भी वक्त यहाँ पहुंच सकते हैं मुझे काठ मार गया यहाँ की उत्तेजना के कारण मैं इस बात को गोली किया था । सब कुछ अगर है इसी समय आ धमके तो हम कहेंगे नहीं रहेंगे । शैतान सिंह ने कहा वक्त बिल्कुल नहीं है हमें जल्दी करना चाहिए लेकिन हमें इस कडे के सारे चलेंगे । कैसे है ना आपको? धीरे धीरे आगे बढाकर हमने उसे मोटर वोट से एकदम सटा दिया । मैं घुटनों और हाथों के बाद हो गया । शैतानसिंह मेरे ऊपर खडा हो गया । उसका भारी भरकम वजन मेरी बर्दाश्त से बाहर था । लगा क्या पी टूट जाएगी डाक्टरों से हो दवाघर दर्द की गढा मौसे बाहर निकालने में मैं जबर्दस्त रोके रहा हूँ आपने । डील डॉल के बावजूद शैतानसिंह में काफी फुर्ती थी । एक पैर उठाकर उसने मोटर वोट के बने सुराखों में से एक में अपने जो देखी नौ फसादी फिर उस चक्कर लोहे का खडा पकड लिया और दूसरे जूते की नोक सुराख में फंसा दी । मैंने छोड कर उसके पैरों को अपने कंधे का सहारा दिया ताकि उन छोटे सुराखों से खिसककर वहाँ नीचे ना आगे रहे हैं । अब उसका पूरा वजन मेरे ऊपर नहीं पड रहा था । फिर भी लगा कि मेरे बदन के जोड जोड खोल जाएंगे । जब उसने कडे को दूसरे हाथ से पकड लिया तो उसका सारा वजन मेरे ऊपर से हटकर बोर्ड पर चला गया । इस सब है कोई ज्यादा देर नहीं लगी । सब कुछ एक डेढ मिनट में हो गया लगता था । उसे इस तरह के कामों का अच्छा प्रयास था । उसकी सभी सदा ढंग से मैं प्रभावित हुए । बिना ना रहा ना आपको एक झटका तक ना लगा । बहुत धीरे धीरे छिपकली की तरह रेंगता हुआ वो ऊपर की ओर ले सकता रहा हूँ । और फिर उसने खान बढाकर वोट का सबसे ऊपर का सिर पकड लिया । अब लोहे के कडे में उसका बैठ था । ठक्कर कुछ देर है, उसी तरह खडे सांस लेता रहा । सिर्फ बात की बात में बोर्ड पर पहुँच गया । कुछ देर तक छाया की तरह किनारे पर खडा आहट लेता रहा । फिर ऊपर बने के अब इनके पास से हटकर मोटर बोर्ड के खुले हिस्से में पहुंच गया । वहाँ से फिर उस जगह आया जहां नीचे की तरफ हम खडे थे । झुककर उसने हमसे कहा । अच्छा पिछली और फॅमिली है । उधर ही नाम लिया हूँ मैं उसे लगता हूँ । जब मैं नाम वोटर बोर्ड की दूसरी ओर ले गया तो वहाँ वैसे ही अटक रही थी । सीढी पर चलते हुए हैं । मुझे हिचक होने लगी । कुछ काम अब सेकस करले पड गई हूँ । मैंने भी उसे बाहों में कर लिया । हम कभी ऐसी हालत में एक दूसरे से ज्यादा नहीं हुए थे । मैं नहीं जानता था कि आगे क्या होगा । ना रह जानती थी और खतरे में हमें एक दूसरे के पास लाकर एक जन बना दिया था । मम्मी को बचाना है । पुष्पा जानती हूँ और उसकी इतनी सी बात में जैसे भाई और विश्वास दोनों ही सीमा शायद है । हम इस तरह एक दूसरे से कभी अलग नहीं हुए थे । मैं मम्मी को छुडाने में सफल भी हो सकता था और नहीं कुछ देर तक एक दूसरे से बंधे हम इसी तरह खडे रहे । हो सकता था मैं ऊपर से नीचे लौटा ही नहीं । वोट पर खडा शैतानसिंह अधीर हो रहा था । अपना धड नीचे की हो झुकाकर मैं तभी आवाज में गुड का ही ऊपर आओ देर हो रही है । पुष्पा मुझे छोडकर अलग हो गई । मैं बिना कुछ बोले रस्सी के सेरी दोनों हाथों से पकडकर ऊपर चलने लगा हूँ । काफी ऊपर चढना था लेकिन तो दे रहा था । दूसरे इस तरह की सीढी पर चढने का वहाँ मेरा पहला अनुभव हूँ । हर कदम पर लगता था या तो महंगी ही जाऊंगा या फिर सीरियल टूट जाएगी । मेरी परेशानी समझकर शैतान सिंह ने अपना हाथ लटकाकर और जला दी है । अब मैं पहले के मुकाबले आसानी से चल सकता था ।
Producer
Sound Engineer