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Part 8 in Hindi

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AuthorAditya Bajpai
हमारी अधूरी कहनी एक ऐसे इश्क़ की कहानी है जो इश्क़ चाह कर भी पूरा न हो पाया, पर अफसोस कुछ कहानियों वहीं से शुरू होती है जहां उनका अंत होता है writer: अर्पित वगेरिया Voiceover Artist : Mohil Author : Arpit Vageriya
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पांच मई दो हजार सत्रह बहुत बार हम अपने अधिक पर नजर डालते हैं और हमें समझ आता है कि किस तरह सबकुछ बदल गया । जो लोग कभी आप के लिए बहुत मायने रखते थे अब आप उनके संपर्क में नहीं है और जिन लोगों का आपके लिए कोई मायने नहीं है वहीं अब आप के संपर्क में है । हम हमेशा प्रलाप करते रहते हैं कि कैसे हर कोई बदल गया है । हमें यह बात समझ नहीं आती कि यह एक मानवीय घटनाचक्र है और केवल परिवर्तन ही लगातार होने वाली बात है । हर छह महीने में हर कोई शारीरिक, मानसिक रूप से बदल जाता है । ये नये जन्मे की तरह होता है । लेकिन वो जैसे लोग होते हैं जो हमेशा आपके साथ संबंध बनाए रखते हैं । चाहे आप किसी भी रफ्तार से बढ रहे हूँ । मैं आपके साथ बने रहने का कोई न कोई कारण थोडी लेते हैं हैं । छोटी सी बात भी इस दुनिया में होने वाले किसी भी प्यार से ऊपर होती है । छोटी सी बात आपकी जिंदगी में काफी मायने रखती है । छोटी सी बात ही है कि हम मानते हैं की जिंदगी में चमत्कार होते हैं । सारा से अपनी मुलाकात के तीन दिन बाद उसने पहली बार छुट्टी ली । देर रात जब वह करीब पंद्रह मिनट तक पैदल चल रहा था, तब उसे अच्छी तरह पता था कि वह कहाँ जा रहा है । तीन घंटे पहले जब मैं अपनी बालकनी में बैठा था, उसने सोचा कि पिछला साल जितनी जल्दी आया था, बहुत ही जल्दी चला भी किया । और जैसे जैसे दिन सप्ताह में बदले, सप्ताह महीनों में और महीने सालों में उसे जीवन में कुछ खोने का दर्द महसूस हुआ क्योंकि जीवन में एक साल उसने बिना काम धाम क्या बताया था? उसके पास इस बात का कोई हिसाब नहीं था कि भुवन जम्मू मई में था । तब लेखन कार्य के चलते कितनी बाहर उसने अपने मित्र भवन के फोन पर ध्यान ही नहीं दिया और नजर में कितनी बार उस से मिलने की योजना रद्द की । एक पांच जो उसे बहुत अच्छी तरह पता थी कि वह अपने सबसे करीबी दोस्तों से, जो एक समय उसकी जिंदगी हुआ करते थे, दूर होने लगा है और उसे इस ऐसा से नफरत हुई । दिल के किसी कोने में रही बात अच्छी तरह जानता था कि उसे भी उन की उतनी ही जरूरत थी, जितनी उन्हें उस की थी । रात के पौने बारह बज रहे हैं और इससे कोई फर्क नहीं पडता कि रहे । इतनी रात को उसको पका रहा था । ऍम हालांकि दिखाई नहीं पड रहा था क्योंकि वह अंधेरे से आ रहा था लेकिन अरमान को पूरा विश्वास था कि वह भवानी है क्योंकि उसे सीना आगे निकालकर विशेषता है कि उसकी चाल दिखाई पड गई थी । अन्य लोगों के लिए हो सकता है कि रह चाल विशेष नहीं हो लेकिन उसके लिए तो थी । वे लोग हमेशा उसकी चाल का मजाक उडाया करते थे और वह कुछ ज्यादा ही बढा चढाकर बोलता था । वो अपने स्कूल के पहले दिन से ही अरमान के साथ था और इतने सालों में भी उनका एक दूसरे से संपर्क नहीं टूटा था । भुवन ने पहले अरमान से ना मिलने को लेकर शिकायत की थी लेकिन जब फरमान ने उसे बताया कि वह व्यस्त था और यहाँ तक कि अपने परिवार से भी लगभग एक साल से नहीं मिला है । भवन उसकी बात समझ गया था । आपको जब उसे सुनाई पडा कि कोई उसका नाम लेकर पुकार रहा है तो भवन ने देखा कि बाहर अरमान खडा है । अपना हाथ हिलाते हुए मैं बाहर आया और जब तो उन्होंने एक दूसरे को देखा । फरमान को उसके चेहरे पर खुशी साफ दिखाई दी । ये उसके हावभाव थे । उसकी आंखों की चमक में उसके दीवाना कर देने वाली मुस्कान में दिखाई पड रहा था । धवन पास आया और उसके गले से लग गया । उसमें जब गर्माहट और खुशी थी तो भी जोड थी । हमरे मुंबई से कौन आया है? तो वहीं रास्ता भूल कर तो नहीं इंदौर आ गए । भवन ने हस्कर कहा एक दूसरे को देख कर उनकी खुशी का ठिकाना रहा था क्योंकि वो एक साल से अधिक समय बाद एक दूसरे से मिल रहे थे । हाँ कुछ वैसा ही लेकिन जानबूजकर अरमान ने कहा भवन मुस्कराया और अरमान ने कहा मैं अपने दोस्त को खोजने की बजाय अपना रास्ता खोना ज्यादा पसंद करूंगा । बहुत अच्छा तुम नहीं है अभी बडा किया तो हमने पूछा मैं हमेशा शब्दों से खेलने में माहिर रहा हूँ और इसीलिए में लेखक हूँ । अरमान ने कहा और दोनों हस पडे लेकिन मुझे खेद है कि मैंने बहुत मौकों पर तुम से मुलाकात नहीं करके बहुत रूखा व्यवहार किया है । भवन मुस्कुराया और कहा है बिल्कुल नहीं । तुमने कभी रोका व्यवहार नहीं किया और मान परेशान मत तो हमें तुम्हारी कमी बहुत खली । टिकिट फिर तो उम्मीद है समझे नहीं कर पाए । हमने किये हिसाब बराबर और फिर तुम तो किसी वजह से नहीं आए थे हैं । कारण भी ऐसा नहीं था जिसे लेकर किसी तरह की जिरा की जा सके । बल्कि मैं तो बॉल शुक्रगुजार हूँ कि आज तुम जहाँ हो कब तक गया हूँ । कल सुबह छह बजे तक कल सुबह मुझे मुंबई की उडान पकडनी ये क्या बात हुई तो इंदौर कवायद तुम ने हमें बताया तक नहीं । भवन ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा मैं पंजाब मिनट पहले पहुंचा हूँ, मैं इतनी दूर सिर्फ तुमसे मिलने आया हूँ । तुम मुझसे मजाक कर रहे हो । भवन ने कहा लेकिन जैसे ही हनुमान ने उसे टिकट दिखाया, भगवान ने उसे गले लगा लिया तो यार मैं बहुत खुश हूँ कि तुम आए उसकी आंखों में झलक रहे । आंसू उसकी खुशी की गवाही दे रहे थे । दोनों याद करने लगी कि कितना वक्त बीत गया जब उन दोनों ने इतनी देर तक इस तरह बातचीत की थी । आस पास सब कुछ बहुत सही था और भवन ने सुझाव दिया कि वो पांच के पार्क तक पैदल चलें, अरमान राजी हो गया । क्या तुम अपने माता पिता से नहीं मिलेंगे? काश में उनसे मिल पाता लेकिन आधा घंटा के लिए उनसे मिलने और फिर मुंबई लौट जाने से ज्यादा परेशान हो जाएंगे । हनुमान ने जनता से कहा और पूछा हो धवन तुम्हारे क्या हालचाल है? कुछ खास नहीं । फिलहाल भारतीय थलसेना में काम कर रहा हूँ और मुझे पता है कि मुझे अपने पिता की इच्छा के अनुसार देश की सेवा करनी है । इसलिए मैं अपनी पूरी कोशिश कर रहा हूँ । मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि ये तो हमेशा से ही तुम्हारा सपना था, मानने का हूँ । अठारह साल तक लाड प्यार से मुझे पालने और मेरी सभी मांगे बिना किसी शर्त के पूरा करने के बाद उन्होंने यही इच्छा व्यक्त की थी । उसने कहा और अरमान उस करा दिया । अरमान कभी है । पता लगा नहीं पाया कि वह मैं अपने पिता की इच्छा की वजह से सेना में शामिल हुआ था या उसने ये निर्णय इसलिए लिया कि वह मदर इंडिया से अरमान के परिचित अन्य लोगों के मुकाबले अधिक नजदीकी महसूस करता था । स्वच्छ के अध्यक्ष स्कूल के दिनों में हर रोज जाया करते थे । पार्क में योगा करती हूँ । सुंदरियां को देखने के लिए अरमान ने मुस्कुराते हो जाएगा । मैं यहाँ से जो सडक जाती है उस पर ही रहता था जो यहाँ से मात्र दो मिनट की दूरी पर है । इसीलिए तो हानि कल्पना से अधिक सुंदरियों को मैं देख पाता था । मानने अतीत और वर्तमान की यादव के बीच झूलते हुए आंख मारकर कहा और दोनों हंस पडे एक मिनट के लिए । उन्हें ऐसा लगा कि वह हमेशा लगातार एक दूसरे के संपर्क में रहें । अरमान ने सोचा कि रह बस अपनी आँखे बंद करेगा और अपने स्कूल के दिनों में लौट जाएगा तो तुम्हारी शादी की तैयारियां कैसी चल रही हैं? अरमान ने पूछा शुरू में ये बहुत ऐसा नहीं था । मैंने राशि से बात करने में बहुत समय लिया । ठीक इनमें अच्छी लडकी है । मुझे उम्मीद है कि मैं उसे निभाऊंगा । कहाँ तुम कर लोगे । अरमान ने उसे आश्वस्त किया तो ऐसा लगता है मैं जानता हूँ । मुझे लगता है की तो मैं ऐसे व्यक्ति हो जो जीवन में जो पाना चाहते हैं पा लेते हैं, तुम है । जब ये पता चलेगा कि मेरे पिछले प्रेम सम्बन्ध से मेरी क्या हालत हुई थी तब हो सकता है की तो उसके बाद अपना वक्त व्यय बदलना चाहूँ धवन ने अपने चेहरे पर एक विचित्र भाव लाते हुए कहा तो नहीं विफल हुए थे । वह विफल हुई थी लेकिन फिर भी तुम असहाय की तरह रोहित हैं । मानव तुम अपनी तरफ किसी भूत को आते हुए देखिए हूँ । अरमान ने कहा और मुस्कुरा गया । मेरे दोस्त मेरी भावनाओं का मजाक उडा रहे हो । बहुत अन्याय मान को खोलते हुए कहा जिसने असहमती से फिर हिला दिया नहीं वास्तव में वो किसी भी भावनाओं का मजाक नहीं उडा रहा हूँ । पता नहीं क्यों जब तो मेरे सामने रोए थे तब मुझे इस बात पर झल्लाहट हुई थी की दोनों फॅमिली जरूरी हो । अरमान ने भवन से कहा उसे कुतिया मत का हो । धवन ने तुरंत हो से होगा यही बात है तो माँ ताकि उसके प्रेम से उबर नहीं पाए हूँ तो मैं ऐसी किसी लडकी से एक नए रिश्ते में बंधने जा रहे हो जिससे तो मुश्किल से एक आध बार मिली हूँ । अरमान ने नाराजगी से कहा और बुरा समूह बनाया । हम आप तक नहीं मिले हैं । ये सब ऑनलाइन प्यार है लेकिन हम दिन में कम से कम दस बार बातें करते हैं । भवन ने कहा अरमान से आठ मिलने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था तो मैं ऐसी लडकी से शादी करने जा रहे हो जिससे तुम अभी तक मिले भी नहीं हूँ । अरमान ने अपने चेहरे पर कोई भाव लाये बिना कहा तो जानते हो कि वह लडकी बिल्कुल सही थी तो मैं छोड कर चली गई तो मैं इसी लायक हो । बहन की आंखे खुली की खुली रह गईं और अरमान की सारी बातें सुनने के बाद अगले दो मिनट तक मैं विश्वास के साथ उसे देखता रहा हूँ । मैं अगले महीने उससे मिल रहा हूँ शादी की तारीख तय करने के लिए इसलिए घबराओ मत भुवन ने कहा लेकिन तुमने मुझे फेसबुक पर जो तारीख भेजी थी वह क्या थी? अरमान ने परेशान होते हुए सवाल किया तो तुमने में संदेश पढा था लेकिन फिर भी जवाब नहीं दिया । भवन ने पलट कर सवाल किया क्योंकि तुम्हें कहा था कि एक दो सप्ताह में ही शादी हो जाएगी और मुझे नहीं पता था कि मैं भी पाऊंगा या नहीं । मुझे ये बात अच्छी तरह पता है इसलिए मैंने तो मैं काफी पहले ही बता दिया था । अपना सारा खान खत्म करो और अगर जरूरत हो तो अपनी जगह किसी और का इंतजाम करो । लेकिन हर हालत में तुम है, मेरी शादी में आना होगा । ये जल्दी नहीं होगी । तुम्हारे पास छह माह का समय बहुत शरारती भरी मुस्कान देते हुए कहा, और ये क्या था ये शादी का कार्ड तुम ने मुझे भेजा था । हर मानने, पूरी स्थिति स्पष्ट करने की बात सोची । देखो तुम जिस तरह शब्दों से खेलने में माहिर हो, उसी तरह फोटोशॉप में माहिर हूँ । ठीक है ठीक है लेकिन अब ये दूसरी लडकी भी कहीं तो मैं धोखा ना दे जाये । अरमान ने कहा मैं ऐसा होने नहीं दूंगा । मोहन ने कहा वह मुस्कुरा दिया । अरे भाई, हम जो मजे क्या करते थे उन्हें बहुत याद करता हूँ । अरमान वह सब याद करते हुए हसने लगा । उसने कहा सच बताओ तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम सेना में भर्ती हो सक होगी, लेकिन मुझे गर्व है कि तुम ऐसा कर पाएं । तो मैं जो मिला है तो उसके लायक थे और हमेशा ही तुम्हारे बारे में पहले से कुछ कह पाना कठिन था । भगवान ने अपनी भावनाएं उचकाते हुए कहा ये तो काफी दार्जिलिंग बात है लेकिन ये सच है । अरमान ने कहा और कंधे मुझे कर दिए । उसे इतना खुश देख अरमान ने से मिलाया । उसने सुझाव दिया कि वह अपने दूसरे सबसे अच्छे दोस्त सनी से मिलें और इस रात को और ज्यादा यादगार बना लें । उन्हें सैनिक के घर पहुंचने में दस मिनट से भी कम समय लगा । उसको चकित करते हुए उसके परिवार के अन्य सदस्यों को शब्द करते हुए उन्होंने रात भर बहुत अच्छा समय बिताया । ज्यादातर समय पिछली बातों को याद करते रहे । इन सब सेवा बहुत खुश हुए हैं । समय बीतने के साथ ही साथ साथ और गहरी हो गई । पहरेदार की सीटी के साथ कुत्ते भूख नहीं लगी । उस रात जब उन्होंने बातचीत शुरू की तब उन्हें पता था कि है काफी देर तक चलेगी । लगातार बात कर रहे थे और इतनी जोर जोर से हंस रहे थे कि जो सो रहे थे उन्हें निश्चित तौर पर दिक्कत हो रही होगी । फिर भी किसी को कोई जल्दबाजी नहीं थी । नींद को दूर भगाकर रह सुबह साढे चार बजे तक कपडे मारते रहे । जिसके बाद अरमान को अपनी उडान पकडने के लिए जाना था । मैं रात उनके लिए सबसे अच्छे बिताए गए समय में से एक थी जो उन्होंने स्कूल के दिनों की मजेदार बातों को याद करते हुए हैं और अब तक वो कर कह रहे थे इस बारे में बातचीत करते हुए गुजारी थी । अचानक उन्हें अपने अंदर युवावस्था की एक नई उमंग का एहसास हुआ । उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की क्या अगर वो एक ही शहर में एक ही काम कर रहे होते हैं । तब कैसी स्थिति होती । उन्होंने एक दर्जन से अधिक कप चाय पीते हुए अपनी भावनाओं का आदान प्रदान किया और किसी तरह से नहीं हो सकता था । उस समय उनके लिए वही सब कुछ था । उनके लिए वही दुनिया थी । उन्होंने उस रात संतोष और शांति का है । सास क्या सनी जब कार से अरमान को हवाई अड्डे पर छोडने जा रहा था तब वेयर मान के घर के पास रखें । उसके घर की सडक की कोने बरार मान खडा हो गया और अपने माता पिता के मंदिर जाने के लिए घर से निकलने का इंतजार करने लगा । उसे जब से याद है तब से उनका सुबह पांच बजे मंदिर जाने का नियमित कार्यक्रम था । उसने उन्हें घर से बाहर आते देखा और उनकी एक झलक पाने के बाद मन ही मन मुस्कुरा उठा । मैं खुश और स्वस्थ नजर आ रहे थे । मैं भारी गले के साथ कार की ओर लौट गया और हवाई अड्डे जाते हुए राष्ट्रीय में एक शब्द भी नहीं बोला । किसी भी और रात की तरह सामान्य रात थी । उन तीनों के अलावा हम में से अधिकतर के लिए नहीं । ये ऐसी रात ही जिसमें सब कुछ ऐसा ही हुआ था जैसा कि होना चाहिए था । सब कुछ सही था या अगर देखा जाए तो बेहतर था ।

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हमारी अधूरी कहनी एक ऐसे इश्क़ की कहानी है जो इश्क़ चाह कर भी पूरा न हो पाया, पर अफसोस कुछ कहानियों वहीं से शुरू होती है जहां उनका अंत होता है writer: अर्पित वगेरिया Voiceover Artist : Mohil Author : Arpit Vageriya
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