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Part 8 in Hindi

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4 K Listens
AuthorNitin Sharma
क़त्ल और देशद्रोह के इलज़ाम में सीक्रेट सर्विस का देशभक्त जासूस जावेद खान जेल की सलाखों के पीछे पहुँचता है. इस गुत्थी को सुलझाने निकले अमर और जॉन के सामने आती है एक ऐसी साजिश जो भारत के नक़्शे को बदलने की क्षमता रखती है. क्या थी वो साजिश? और कौन था उसका...मास्टरमाइंड? writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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चार दिन बाद जेल सुपरिटेंडेंट की सिफारिश पर सहानी को उसका अलग स्पेशल सेल हासिल हो गया था । अब उसे भी तकरीबन सभी वीआईपी सुविधाएं उपलब्ध थी । जेल में आरामदायक जीवन व्यतीत करने के लिए ये बहुत था । उसके सेल में पंखा था यानी टेबल फैन, मोटा गद्दा, किताबी टेलीविजन और उसे एक मोबाइल भी हासिल हो गया था । हालांकि उसे हिदायत दी गई थी कि मोबाइल का प्रयोग छुप कर ही करें । खाना भी उसको उसके सेल के अंदर ही मिल जाता था । कभी कभार अपनी मर्जी से वो खाने बाहर जरूर निकलता था और ऐसा मौका अक्सर बच्चों के कहने पर ही आता था, जब वह उसके साथ बैठकर उसके सेल में या फिर जेल की कैंटीन में आराम से खाना खाता था । जावेद लगातार उस पर निगाह रखे था । हालांकि उस ने उसे सूचित दूरी बना रखी थी । हालांकि उसने उस से उचित दूरी बना रखी थी । शाम का वक्त था अमर अपने घर की तरफ जा रहा था वो रास्ते में ही उसने रिंकी को फोन किया और उससे मिलने का आग्रह किया । रिंकी ने कहा कि वह देर रात तक उसके घर पहुंच जाएगी । अमर घर पहुंचा और फिर कुछ देर इंटरनेट पर साहनी के बारे में ढूंढने लगा । उसे बस यही पता चला कि पुनीत साहनी अपने माँ बाप की इकलौती संतान थी । उसके माँ बाप पांच साल पहले गुजर गए थे । उसके बाद से वो अकेला ही फैमिली बिजनेस संभाल रहा था । उसके और मिनास के कुछ फोटो थे और उससे पहले कुछ और मॉडल्स और अभिनेत्रियों के साथ भी उसके संबंधों के चर्चे थे । सोचते सोचते उसने एक सिगरेट जला ली और खिडकी के बाहर देखने लगा । ऐसे वक्त में उसे अपनी गर्लफ्रेंड मदिरा की काफी याद सताती थी क्योंकि टेंशन भरे पलों में उसकी बातें उसके दिमाग को ठंडक पहुंचाती थी और सही सोचने में मदद कर दी थी । टेंशन में हो अचानक दरवाजे की तरफ से आवाज आई अमर पालता उसने देखा । वहाँ रिंकी खडी थी जिनकी ने हाफ पैंट और टीशर्ट पहनी हुई थी । पैरों में ऊंची सैंडल थी । बालों में बैंक कलर का हेयर बैंड था और कंधे पर बैग लडका था । उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे स्कूल जाने वाली बच्ची हो । एकदम सही मौके पर पहुंची हो । अमर उसके पास पहुंचकर बोला, दो माइंड रिंकी उसकी सिगरेट की तरफ इशारा करते हुए बोली, अमर ने सिगरेट एक तरफ की और जल्दी से बोला, चलो तुम्हारे कमरे में चलते हैं । रिंकी चाहते हुए बोली हुआ अब तुम्हारे घर में मेरे लिए एक परमानेंट काम रहा है । ऐसे मूड में भी अमर को हंसी आ गई । कमरे में पहुंचते ही रिंकी नहीं अपना लेपटॉप चार्जिंग पर लगा दिया और उसे ऑन कर दिया । साथ में अपने बाकी डिवाइस में इस पर रखती है । पिछले दो दिनों में मुझे काफी कुछ नया पता चला है । रिंकी बोलिए कुछ कुछ उनका प्लैन क्लियर हो रहा है । ये तो बहुत अच्छी बात है । अमर बोला और शायद तुमने सुन लिया होगा कि साहनी भी अब गिरफ्तार हैं । हाँ मैंने न्यूज में देखा था । ये तो बहुत बडी सफलता है । मैं इसलिए तुम्हें याद कर रहा था क्योंकि तुम्हारे पास सभी टेरेरिस्ट की डीटेल आती है । मैं जानना चाहता हूँ कि साहनी के बारे में तुम कितना जानती हो या कितनी जानकारी निकाल सकती हूँ । फ्रैंकली अभी तक तो मेरी लिस्ट में साहनी का नाम कहीं भी नहीं था । ये शायद सबके लिए धमाकेदार खबर है कि एक कितना बडा इंडस्ट्रलिस्ट होनी है । पर जहाँ तक मेरा अंदाजा है वो टेरेरिस्ट नहीं हो सकता । ऐसा क्यों? उसने घडी में बम रखकर जॉन को मारने की कोशिश की थी । उसके काम करने के तरीके से मैंने अंदाजा लगाया कि वह शायद किसी कि मदद कर रहा है । ऍम चीजों के कंट्रोल में नहीं सर । बाकी जानकारी तो मैं धीरे धीरे निकाल ही होंगी । तुम्हें क्या पता चला है? हाँ, दस साल पहले की बात है जब खलीली नामक आतंकी का ग्रुप खाली । वह आईएसआई के वाला हाँ, उस वक्त उसका इतना नाम नहीं था जितना आज है । वो उस वक्त कश्मीर में सक्रिय था । उसके ग्रुप ने एक बार भारतीय मिलिट्री बेस पर हमले की योजना बनाई थी और उन के हमले से पहले भारतीय सेना ने उनके ठिकाने पर हमला बोल दिया था । इस मिशन में जावेद भी शामिल था । अच्छा हाँ, उस वक्त न तो मैं सीक्रेट सर्विस में था ना जाते थे । हाँ, जावेद आर्मी में था और उसने खाली को काफी नुकसान पहुंचाया था । मुझे पता है कि खाली को खासकर जावेद से खुन्नस हो गई थी । वो उससे बदला लेने की फिराक में था पर उसे फिर से मौका ही नहीं मिला । उसके बाद खाली कश्मीर से गायब हो गया और कुछ साल बाद मिडिल । इसमें आईएसआई के नाम आतंकी संगठन का नेता बनकर होगा और अभी तक वहाँ तबाही मचा रहा है । लेकिन तुम ये क्या कहना चाहती हूँ । हाँ, जिस तरह जावेद को व्यक्तिगत तौर पर टारगेट किया जा रहा है, मुझे लग रहा है कि इसके पीछे खलीली ही हो सकता है । वरना टेरेरिस्ट इस तरह से किसी एक को टारगेट क्यों करते हैं? तो मैं जॉन और एजेंट्स और तुम्हारे चीज को क्यों छोड देते हैं? तो क्या खलीली लखनऊ में हो रही आतंकी घटनाओं के पीछे हैं ये तो मुझे नहीं पता पर ऐसा हो सकता है पर वो तो अभी भी मिडल ईस्ट में है । यहाँ पर यहाँ के मिशन का मास्टरमाइंड तो हो सकता है । क्या आतंकियों की कोई लोकेशन पता चली? नहीं कोशिश कर रही हूँ, कब सक्सेस मिलेगी, कह नहीं सकती ये नहीं और बताओ और क्या और ऐसे ही कुछ अपने बारे में रिंकी गाल पर हाथ रखकर भोलेपन के साथ हुई तो जनाब ने इसलिए मुझे यहाँ बुलाया है । अरे नहीं आप मेरे बारे में तो मैं बता चुकी । अब तुम अपने बारे में बताना, हीरो, रिंकी, शर्मीली, मुस्कान के साथ उसे देखते हुए बात करने लगी । अच्छा क्या जानना चाहती हो? जासूसी के अलावा और क्या कर लेते हो? लॉन्ग ड्राइव गर्लफ्रेंड के साथ किसी के भी साथ ही आगे ले भी और लॉन्ग मतलब रियल ऑफ । अगर इंडिया में कहीं भी जाना हो तो मैं ड्राइव करके जाना पसंद करूंगा । वो कौन सबसे लंबी ड्राइव कौन सी थी? लखनऊ से कोच्चि करीब सत्ताईस सौ किलोमीटर सुभाव दो दिन लगे थे । वो वन नाइट हॉल्ट अकेले ही गया था । बहुत जबरदस्त थी । जर्नी, मौसम, कभी चलना मेरे साथ क्यों? मुझे भी गर्लफ्रेंड बनाने का इरादा है । मेरी खुशकिस्मती, अच्छा जी, मंदिरा को फोन लगाओ क्या या मजाक भी नहीं कर सकता । एक नहीं तो मैं मंदिरा के बारे में कैसे मालूम? अमर को डरा हुआ देखकर रिंकी को बहुत मजा आया । वो बोली थी भूल गए मिस्टर मैं एक जासूस हूँ । खूबसूरत जासूस मुझे पता है कि तो वो फ्लर्ट हो । कभी नहीं सुधरने वाले । लगता है अब मुझे गुडनाइट बोल ही देना चाहिए । अमर उठते हुए बोला येस गुडनाइट मिस्टर फ्लर्ट । गुडनाइट अमर ने आंख मारी और फिर कमरे से बाहर निकल गया । सीक्रेट सर्विस के हेड क्वार्टर में गंभीर माहौल था । मीटिंग रूम में विशाल का मेज के चारों तरफ जॉन, अमर और श्रीनिवासन मौजूद थे । जॉन लेपटॉप में व्यस्त था और अमर बार बार टहलता और फिर बैठ जाता था । श्रीनिवासन ने चुप्पी तोडी आप लोग इतना क्यों वही कर रहा है तो थोडा तो फॅमिली आई है और थोडा सक्सेस मिलने से कम नहीं होगा । श्रीनि अमर बोला जावेद भी जेल में उसका मोह नहीं खुलवा पाया । वो मानने को तैयार ही नहीं है कि वह जावेद से बदला ले रहा है । जब तक ये साबित नहीं होता कि साहनी एक आतंकवादी है और उसने जानबूझ कर जावेद को फंसाया है । जावेद को कोई फायदा नहीं होने वाला है । भले ही सानी को मिनाज के मॉडर के लिए फांसी ही क्यों ना चढा दिया जाएगा । उसके किसी काम की हिस्ट्री भी कहीं से पता नहीं चली । जॉन बोला श्रीनिवासन बोला आप हमको आज का टाइम दीजिए, हम उसकी और इन्फॉर्मेशन निकालने की कोशिश करेगा । ठीक है श्रेणी । अमर बोला तुम इसी काम पर लग जाऊँ बल्कि अभी से समय खराब मत करो । बिल्कुल ऑलराइट । श्रीनिवासन ने कहा और उठकर बाहर निकल गया । अचानक अमर ने जॉन से पूछा, मिनाज मर्डर केस का क्या हुआ? जॉन ने लेपटॉप से नजर उठाई और बोला उसका क्या होना है? उसका खाते तो जेल में, पर मुझे लगता है कि उतना स्ट्रॉंग केस नहीं । उसके खिलाफ अमर बोला, सहानी पैसे वाला है, अच्छे वकील और झूठे गवाह ला सकता है । हमें कुछ करना पडेगा पर उसके से जावेद को क्या फायदा होने वाला है? मैं ये कहना चाह रहा था कि हम उस केस पर और काम करते हैं । हो सकता है हमें उससे साहनी के बारे में कुछ पता चले अमर बोला हूँ हूँ । जॉन बोला बात तो ठीक है । सानी के किए अपराध से उसके और रहस्य सामने आ सकते हैं । हाँ, अच्छा । साहनी के घर की तलाशी में कुछ नहीं मिला । मिला वही दवा की रसीद जो जज के सामने पेश की थी । जॉन बोला और कुछ भी नहीं मिला । उसकी फोनकॉल्स मोबाइल जॉन ने नकारात्मक ढंग से सिर हिलाया । कुछ नहीं है । मुझे पूरा यकीन है उसके पास कोई और फोन रहा होगा जो उसने गायब कर दिया । जाहिर है ऐसे लोग दो कदम आगे की सोचते हैं । वैसे तुमने मिनाज के सभी दोस्तों, परिचितों को तो टटोला ही होगा । हाँ, उसकी एक मॉर्डल दोस्त नेहा के बारे में बताया तो था । हो सकता है कि उसने झूठी गवाही दी हूँ । हाँ, उससे बात करते वक्त मुझे भी ऐसा लगा था । पर फिर तेरा ध्यान था साहनी के खिलाफ सबूत और गवाह इकट्ठे करने में अमर बोला हूँ वो ठीक है, लेकिन अब अगर हमें सानी नामक इंसान की पूरी हिस्ट्री खोदकर निकालनी है तो हर एक चीज पर बारीकी से सोचना पडेगा । सही का मेरे आम जॉन बोला हूँ । मैं अपनी डायरी लेकर आता हूँ कहकर जॉन मीटिंग रूम से निकला और कुछ ही पलों में अपनी डायरी लेकर लौटा, जिसमें उसने मिनाज के इसके नोट्स बनाए हुए थे । मिनाज की मॉडलिंग एजेंसी का नाम क्या है? अमर ने पूछा कोई मॉडलिंग एजेंसी वहाँ से मिनाज के बारे में और जानकारी भी मिल सकती है? हाँ, शायद मुझे जितना पता चला था, उस से यही उजागर हुआ कि वो बस में यहाँ की ही फ्रेंड थी । बाकी किसी के इतनी करीब नहीं थी । अमर ने कहा, पर कभी कभी कुछ लोग आपको न जानते हुए भी आप पर नजर रखते हैं । आप के बारे में जानना चाहते हैं । खूबसूरत लडकियों के साथ ऐसा होना तो आम बात है । ऐसे लोगों के पास भी कुछ जानकारी हो सकती है, सहमत हूँ । जॉन ने कहा, इसके माँ बाप रिश्तेदार उन का ड्रेस तो मिला था जौनपुर के किसी गांव का । वहाँ की लोकल पुलिस से मैंने पूछताछ करवाई थी तो पता चला उस पते पर अब कोई और ही रहता था । वो मकान भेज दिया था । दो साल पहले यानि उसका फॅस जो कि उसके सभी डॉक्यूमेंट पर होगा । अमर ने पूछा हाँ, फर्जी भी तो हो सकता है । फर्जी फॅस होना तो खुद मिनाज को शक के दायरे में लाता है । बिल्कुल क्यों नहीं हो सकता है । अगर उसके संबंध साहनी से थे, जो कि हमारे हिसाब से एक आतंकवादी भी हो सकता है । तो ऐसा होना कोई बडी बात नहीं । यानी मिनाज का संबंध भी आतंकियों से जॉन सोचते हुए बोला, हाँ, हो सकता है । फिर साहनी ने उसे क्यों मारा? जॉन हिरानी के साथ बोला, मोटिव तो वैसे भी नहीं मिला है अभी तक चलो । फिलहाल हम उसकी एजेंसी वालों का सिर खाते हैं । अमर ने उठते हुए कहा और फिर उसकी फ्रेंड यहाँ को फिर से टटोलते हैं । ठीक है दोनों हैड क्वाटर्स से अमर की कार में निकले रास्ते में वह पहले नेहा के घर होंगे । वहाँ पता चला कि वह किसी फोटोशूट के लिए दिल्ली गई हुई है । वहाँ पता चला कि वह किसी फोटोशूट के लिए दिल्ली गई हुई है और कल रात तक ही वापस आने वाली है । फिर वो लोग कोई मॉडलिंग एजेंसी पहुंचेंगे, जहां उनकी कुछ खास आवभगत तो नहीं हुई, पर परिचय देने के बाद वहाँ उपस्थित मैनेजर उनसे बात करने को राजी हुआ । दो साल के अंतराल के कारण ज्यादा लोग मिनाज के परिचित नहीं थे । कई लोग बदल चुके थे और कईयों ने मिनाज के साथ कम समय ही काम किया था । जिनके साथ उसने काम किया भी था, वो उसकी व्यक्तिगत जिंदगी से ज्यादा वाकिफ नहीं थीं । अमर ने मैनेजर से सवाल किया, मिनाज के साथ काम करने वाले मेल मॉडल्स के नाम बताइए । ऐसे तो सब कुछ याद रखना बहुत मुश्किल है । कितने शूट होते हैं उसमें से बॅाबी कोई किसी के साथ जाता है, कभी कोई किसी और के साथ? चलिए उसके शूट के फोटो ही दिखा दीजिए । उस से पता चल जाएगा । मैंने चलने कंधे उसका । उसने लैप्टॉप उनकी तरफ कर दिया और एक फोल्डर खोलते हुए बोला इसमें दो तीन साल पहले की कुछ इवेंट के फोटो है । शायद इसमें आपको कुछ पता चले । उन्होंने फोटो देखने शुरू की है । कुछ देर सैंकडों फोटो को देखते हुए अचानक जॉन बोला ये कौन सी बैंक मैनेजर ने देखा । उस फोटो में मिनास और उसके साथ एक हट्टा कट्टा खूबसूरत युवक था । दोनों ने स्विमिंग कॉस्ट्युम पहनी हुई थी । ये ऍम थी यहीं लखनऊ में हुई थी । अच्छा जॉन बोला तो ये कौन लडका है तो इसी के बारे में क्यों पूछ रहे हैं? है कुछ वजह अब जवाब दीजिए । वो कुछ हिचकिचाने लगा क्या हुआ? अमर ने झटका । दरअसल ये मेरा भाई है तो अच्छा तो आप घबरा क्यों रहे हैं? जॉन ने पूछा, नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है । बस मैं नहीं चाहता उसे कोई परेशानी हो । वो एक दम प्रोफेशनल मॉर्डल है । काम पर ध्यान देता है । अभी उसे मुंबई से भी टीवी सीरियल्स के ऑफर्स आ रहे हैं । मिनाज से तो उसने शायद शूट के वक्त कोई इधर उधर की बात भी नहीं की होगी । फिर तो आप को बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है । जॉन ने आश्वासन देते हुए कहा, पर अभी कहाँ मिलेगा आपका भाई? अमर ने पूछा वो तो अभी घर पर होगा एड्रेस दीजिए । अरे नहीं मैं तो यही बुला लेता हूँ । आपने फोन की तरफ लगाते हुए वो बोला प्लीज आप लोग घर ना चाहिए । पापा मम्मी की हो गई है, वो परेशान हो जाएंगे । वो फोन करने के लिए साइड में हो गया । अमर जॉन के कान में बोला मेरी जान ऐसा क्या दिन? क्या तुझे फोटो में जो तूने इसे ही चुना तो नहीं देखा क्या देखो उसमें एकदम सेक्सी मॉडल थी । बेचारी अब नहीं रही । उसको उस नजर से देखना भी अच्छा नहीं लग रहा है । अरे उसे नहीं अपनी आंखों से वासना का चश्मा हर कर देगा । तो ये बात है ठीक है । कहकर अमर ने झूठमूठ चश्मा उतारने का उपक्रम किया । फिर लेपटॉप की स्क्रीन को एकदम नजदीक से देखने लगा । फिर वो बढाया और तेरी फिर जॉन को प्रशंसनीय नजरों से देखते हुए बोला ऍन गया मेरी जाए मेरी पार की नजर और निरमा सुपर दोनों को उस फोटो में मिनाज रैम पर चल रही थी और दर्शकदीर्घा में एकदम फ्रंट रो में साहनी सूट बूट पहने खडा था । कब की फोटो है जॉन फाइल में तारीख देखिए वो अक्टूबर दो हजार की थी । वो बोला यानी ये फोटो शायद साहनी और मिनाज के रिलेशनशिप शुरू होने से पहले या फिर शुरुआती दौर की होगी । पूरी तरह से फिदा था । लगता है अमर बोला हूँ वो लोग इस तरह कुछ देर बातें करते रहेंगे । मैनेजर के भाई के आते ही उनका ध्यान उसकी तरफ आकर्षित हुआ । वो छह फीट लंबा गोरा खूबसूरत नौजवान था । उसकी मांसल गर्दन पर एडम्स एप्पल कुछ ज्यादा ही उभरा हुआ था । जासूसी मंडली को देखकर वह कुछ घबराया । ऐसा लग रहा था उसके भाई ने उसको फोन पर पहले से ही होशियार कर दिया था कि उसको अकस्मात ही किस लिए तलब किया गया है । हलो हलो अमर और जॉन लगभग एक साथ बोले, हाँ, ऍम, उसने बारी बारी दोनों का अभिवादन किया । मैं तो अमर दोस्ताने भरे रवैये के साथ बोला, यही है मेरा भाई रोहन । मैनेजर ने कहा रोहन अमर उसे एल्बम दिखाते हुए बोला, ये वो तो तुम्हें याद होगा ही । रोहन ने ध्यान से वो फोटो देखी । फिर याद करते हुए बोला फॅस तीन साल पहले फैशन शुरू हुआ था लखनऊ में ऍम तुम मिनास को जानते थे । मिनाज उसके चेहरे पर कुछ मायूसी आई । अच्छी मॉर्डल थी बट बट क्या? जॉन ने पूछा, आप लोग तो जानते ही होंगे उसने? सुसाइड हाँ । ऐसा माना गया था । हाल ही में केस फिर खुला और वो बॉर्डर निकला । बहुत वो चौका और उसका मॉडर किसने किया? उसके बॉयफ्रेंड ने तो निशानी हम जानते हैं उसे । जॉन ने पूछा हम उस शो में ही देखा था । उसे वो मिनाज के पीछे पागल हो गया था । ऐसा क्या कर रहा था? तो अगले की तरह ताली बजा रहा था और उसने तो तब हद पार कर दी जब शो के बाद उसने सबके सामने मिनाज को किस किया तो अमर ने कहा, उसने जॉन को देखते हुए मुंह बनाया तो मिनाज ने कैसे? क्या जो अन्य पूछा । फॅमिली बहुत शर्मिंदा हुई थी तो उसे डेट कर रही थी और उसकी इस हरकत से वो नाराज होकर चली गई थी । साहनी उसके पीछे गया था । उसके बाद उनके बीच क्या हुआ, वो जानने की मैंने कभी कोशिश नहीं की । मिनाज ने उसके बारे में कुछ बोला, तुम्हें कुछ सुनाया जाना मुझे तो कुछ नहीं किया । मुझे इन सब गॉसिप में दिलचस्पी भी नहीं थी । मुझे बस इतना लगा कि सानी उसे लेकर बहुत आपसे था । नाॅट तो ऐसे होता ही है । अमर ने कहा, जी पर मुझे वो कुछ सिरफिरा लगा जी और मुझे वो कुछ सरफिरा लगा था । आपने बताया कि उसने मर्डर किया तो मैं सरप्राइज नहीं हुआ । ऐसा क्यों? क्या वो तुम्हें इस हद तक पागल लगा? कोई खास वजह या कोई और ऐसी हरकत की? इसमें नहीं? बस उन्हीं हरकतों से संकिसा लग रहा था । इसके बाद भी तो कई और इवेंट या शो हुए होंगे जहाँ साहनी आया होगा । अमर ने मैनेजर व उसके भाई दोनों की तरफ देखते हुए पूछा, हाँ सर आता था । मैंने जब बोला इसके जैसा रईस शख्स जो आपके फ्रेंड्स में अक्सर आता हूँ, उस पर तो आपने भी खास ध्यान दिया होगा । अमर ने पूछा दरअसल मैनेजर कुछ रखते हुए बोला सानी जी ने हमारी कुछ वन स्पॉन्सर भी की थी तो बगल में छोरा और गांव में ढिंढोरा अमर उसको ध्यान से देखते हुए बोला वो जबरदस्ती हजार आपको तो ये बात पहले बतानी थी । अरे मैं छुपा थोडी रहा था । आपने पूछा नहीं फिर भी मैं बताने ही वाला था । अब तो बताया भी देखिए मेरे उनके साथ बिजनेस रिलेशन थे । बदौर मिनाज मुझे बढिया स्पॉन्सर मिल गया था । बस मेरी उनसे इतनी ही डीलिंग थी हूँ । वो तो ठीक है । जॉन बोला फिर तो आप साहनी के जानकार हुए । आपने कभी कुछ तो देखा होगा । सानी और मिनाज के बीच वो मिनाज के लिए पूरी तरह पागल था । पर पता नहीं मिनाज उसको लेकर सीरियस थी कि नहीं? ऐसा क्यों? वो एक बढिया नौजवान था । करोडपति इंडस्ट्रलिस्ट था । हाँ वो तो है पर मुझे लगता था कि मिनाज की जिंदगी में वो हिचकी जाने लगा, जो भी आपको लगा हो बोल दो सबूत थोडी ना मांग रहे हम । अमर ने कहा, मुझे लगता था कि वह ऑलरेडी किसी के साथ रिलेशन में है । फिर साहनी यानी वो सहानी को धोखा दे रही थी । जॉन उत्साहित होते हुए बोला यानी सहानी के पास मौजूद था । कौन था वो जो पहले से मिनाज की जिंदगी में था । उस बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं । ये बात मैं सिर्फ अंदाजे से कह रहा हूँ, मैं समझ रहा हूँ और कुछ तो ऐसी बात आपने गौर की होगी ना । जिससे आपको ऐसा लगा आप अपने विचार बताइए । अमर ने उसे प्रेरित किया । बाकी उस पर इन्वेस्टिगेट तो हम करेंगे । मैनाज को अक्सर कुछ कॉल्स आती थी जिन्हें वो अकेले में बात करने जाती थी और उसके हावभाव देखकर लगता था जैसे किसी पुरुष से बात कर रही हूँ । यानी रोमांटिक अंदाज में जॉन ने पूछा रोमेंटिक तो नहीं पर कुछ अपनापन लीजिए जैसे कोई परिवार वाला हूँ माँ बाप । उसने ना में सिर हिलाया । मिनाज के कॉल रिकॉर्ड फिर से चेक करने होंगे । जॉन अपनी डायरी पर नोट करते हुए बोला । उन तीनों ने कुछ देर और दोनों भाइयों को खंगाला पर कोई और महत्वपूर्ण बात नहीं पता चली । वहाँ से वो दोनों नेहा की खोज में निकले पर उसके घर पर अभी भी कोई नहीं था । फिर दोनों आगे की जांच पडताल के काम को बढाने के लिए हेडर्क्वाटर आ गई । कुछ ही घंटों में उन्होंने मिनाज का पुराना फोन रिकॉर्ड निकलवा लिया । उससे जो जानकारी हासिल हुई उसके हिसाब से अधिकांश कॉल एजेंसी की और फिर साहनी की थी । उसके अलावा एक और नंबर था जिस पर बहुत कॉल हुई थी । श्रीनिवासन ने उस नंबर के मालिक की जानकारी फटाफट अमर जॉन के सामने पेश की । ये रही उसकी फोटो जो उसने सिम कार्ड लेते वक्त दिया होगा । श्रीनिवासन बोला उसके सामने एक सत्ताईस वर्षीय युवक की फोटो थी जिसका चेहरा लम्बा था, बहुत मोटी थी, नाम था लतीफ हुसैन । उसका पता लखनऊ का ही था । ये कौन हो सकता है? जॉन ने श्रीनिवासन के कंप्यूटर पर उसकी तस्वीर देखते हुए पूछा परिवार वाला अमर ने तुक्का मारा हूँ श्रीनी चेक करना कि इसका कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड तो नहीं वॅार ये भी कोई कहने की बात है हम पहले ही सर्च के लिए बोल दिया ऍम मुझे यही लग रहा है ना कि अगर क्रिमिनल रिकॉर्ड ना हुआ तो परिवार वाला होगा । जो हमने पूछा था, हाँ क्यों? मिनाज का परिवार वाला क्रिमिनल नहीं हो सकता । हो सकता है मेरी जान मैंने इनकार कब क्या पर अगर क्रिमिनल रिकॉर्ड ना हुआ तो परिवार वाला मानने में मुझे जल्दी यकीन होगा । इसके एड्रेस पर चले मिनट का तो दूर है यार । अमर अंगडाई देते हुए बोला तुझे तो ड्राइविंग पसंद है, शहर में नहीं शहर के बाहर आउटस्टेशन लॉन राय क्या कहने चलो ड्राइविंग मैं कर लूंगा । ये बिना दोस्तों वाली बात कहकर अमर कूदकर खडा हो गया । न जाने क्यों लग रहा है । कुछ हाथ पहुंच चलाने का मौका मिलने वाला है । अच्छा है शरीर में कुछ दिया जाएगी । श्रेणी जो भी अपडेट हो तुरंत फोन कर देना । जॉन ने उठते हुए कहा । श्रीनिवासन ने हामी भर अमर और जॉन बाहर निकले । कुछ ही देर में जॉन्की का तेजी से सडक पर दौड । कुछ ही देर में जॉन की कार तेजी से सडक पर दौड रही थी । गोमती नगर से होते हुए कुछ ही मिनटों में ही वह फैजाबाद रोड पहुंच गए । फैजाबाद की तरफ जाते हुए मुख्य लखनऊ शहर से काफी बाहर था । चिन्हट ये चिनहट भी क्या नाम हुआ? जॉन बोला नाम जरूर कुछ अजीब है पर ऐतिहासिक जगह जॉन हजार अरे मेरे जान मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ सर । अठारह सौ सत्तावन में जब अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरू हुई थी तो चिनहट में भी एक लडाई हुई थी । पता है उसमें अंग्रेज फौज में जो भारतीय सिपाही थे, उन्होंने लडाई के बीच अपनी राइफलों का रुख अंग्रेजों की तरह ही कर दिया । ये तो गद्दारी हुई, अपने देश से तो वफादारी हुई ना । फिर कौन जीता कौन क्या भारतीय कोठी जीता । अंग्रेज फौज के सभी सिपाही मारे गए थे । जॉन कुछ बोला नहीं अच्छा अंग्रेज अच्छा अंग्रेज मुझे बुरा लग रहा है । मैं अंग्रेज चालू और थोडी सी सही । अब हम शुरू से गोवा में थे, फॉर होगी । इसके आने के बाद हमने क्रिश्चियनिटी धर्म अपना लिया था । बताया मेरी जान बातों बातों में वह चिनहट पहुंच गए । वहाँ पर सत्रह रोड पर होते हुए वो पोस्ट ऑफिस ढूँढने लगे । पोस्ट ऑफिस मिलने में ज्यादा दिक्कत नहीं आई । एक जगह कार पाक से उतरकर वो पान वाले से पता पूछने लगे हैं । कुछ ही देर में वो उस पते पर पहुंचे । वहाँ बोरी मकानमालकिन से पता चला कि लतीफ वहाँ दूसरी मंजिल पर एक कमरे में किराए पर रहता था और दो साल पहले ही गोरखपुर में अपने गांव वापस लौट गया था । क्या हम उसका कमरा देख सकते हैं? वहाँ उसका कोई सामान नहीं है । बूढी मकानमालकिन उन्हें अंदर नहीं घुसने देना चाहती थी । आज ही समझ सकते हैं । फिर भी एक नजर डालेंगे । अमर बोला कुछ ही चलते हुए उसने उन्हें अंदर आने दिया । जो चक्का था क्या वो वो बढ बढाने लगी? देखने में तो ऐसा नहीं लगता था । अल्लाह जाने आजकल के लडकों आप उसे हम से ज्यादा जानती होंगी । हमें तो बस उसका नाम पता बस यही चलता है । वो उन्हें सीढियाँ चढते हुए ऊपर ले आए । ऊपर एक कमरे का दरवाजा खोलते हुए बोली इधर रहता था । वो कमरे में चारपाई, कपडे, सिलाई मशीन इत्यादि सामान रखा था । ये सब सामान मेरा है । वो इस तरह से बोली मानव से डर हो कि लतीफ का सामान समझकर अमर और जॉन उसे अपने साथ ले जाएंगे । उससे मिलने उसके गांव से कोई आता था । हाँ अमर ने पूछा, नहीं शादीशुदा था । हाँ गांव में रहती थी उसकी बीवी यहाँ नहीं लाया । कभी लाता था कभी कभी नाम क्या था? अरे तुम्हें तो पता ही है लतीफ और क्या जॉन्की हंसी निकल गई । उसकी बीवी का नाम पूछा है हम को क्या मालूम उसकी बीवी का नाम हम कोई उसके साथ थोडी ना लगते हैं । वो गुस्से में बोल कभी तो बातों में सुना होगा माजि अमर प्यार से बोला कुछ था शव नंबर नाम शायद पक्का याद नहीं । तभी अमर की नजर दीवार पर टंगे कैलेंडर पर गयी । वो दो साल पुराना कैलेंडर था । उस पर कुछ फोन नंबर और कुछ नोट्स लिखे थे । ये आपका है । अमर ने कैलेंडर उतारकर पलटते हुए देखा हम क्या करेंगे? कैलेंडर का उसका ही है । वो छोडकर गया । हमने भी लगा रहने दिया । इस पर सीन अच्छा लग रहा था । इसे मैं ले जा रहा हूँ । मकान मालकिन खुश तो नहीं देखी पर फिर उसने विरोध नहीं किया । अमर ने कैलेंडर पर लिखे एक फोन नंबर को अपने मोबाइल के कीपैड पर टाइप किया । तुरंत साहनी का नाम नजर आया । उसने उत्साह के साथ जॉन को देखा, जिसकी नजर भी उसके मोबाइल पर थी हूँ । लगता है सही मुर्गा हाथ आया है । अमर बोला दो नंबर और थे जो अमर की कॉन्टेक्ट लिस्ट में नहीं थी । पर उसने उन्हें फौरन श्रीनिवासन को मैसेज से भेज दिए और उनका पता करने को बोला । शाम को ही अमर को गोरखपुर पुलिस ने तिलादि की । उन्हें लतीफ हुसैन मिल गया है । अमर ने उसे लखनऊ भिजवाने को कहा । पुलिस ने कहा कि कल शाम तक उसे लखनऊ में सीक्रेट सर्विस के हेडक्वार्टर पहुंचा दिया जाएगा । इस बीच जॉन में यहाँ से दोबारा मिला । पर उससे बात करके उसे कुछ खास जानकारी हासिल नहीं हुई । अमर दस बजे के करीब अपने घर पहुंचा । बैठक से होकर किचन की तरफ जा रहा था कि उसे अंदर के कमरे से कुछ आवाज आई । वो उस तरफ पहुंचा । उसके बेडरूम में लाइट जल रही थी । उसने धीरे से दरवाजे को धक्का दिया । फिर दोनों हाथों में रिवॉल्वर था में धीरे से अंदर प्रवेश हुआ । कमरे में जिनकी थी जो उसकी टेबल पर झुकी हुई थी । अमर ने गहरी सांस छोडी और रिवाल्वर नीचे क्या? तो मैं यहाँ क्या कर रही हूँ जिनकी चौक कर पार्टी कुछ नहीं । थोडी देर पहले आई थी । सिगरेट पीने का मन कर रहा था तो तुम्हारे कमरे में ढूंढने आ गई । अमर ने अपनी जेब से पैकेट निकाला और उसकी तरफ उछाल दिया तो मैं अभी तक तो पीते देखा नहीं था । कभी कभार ही पीती हूँ । टेंशन है कोई । मुझे देखकर ऐसा लगता है तो मैं अमर ने उसे देखा । उसके चेहरे पर बच्चों जैसी मुस्कान थी । गालों में गड्ढे उभर आए थे । फिर क्या बात है मेरे कमरे में चलो दिखाती हूँ सिगरेट हाथ में पकडे । वह कमरे से निकली । अब लाइटर कौन देगा? अमर ने चलते चलते लाइटर उसे पकडाया । कमरे में पहुंचकर उसने लैप्टॉप खोला । फिर उसमें से कुछ फोल्डर खोले और फिर एक फोटो स्क्रीन पर प्रकट हुई हैं । स्क्रीन पर एक लम्बा पतला सशक्त था जिसकी घनी लंबी दाढी थी । आंखों पर चश्मा और सिर पर टोपी थी । ये कौन है? अमर उसे ध्यान से देखते हुए बोला अगर तुम गाँव में काम कर रहे होते हैं तो ये सवाल नहीं पूछते हैं क्या कर सकता हूँ । हम तो अंदरूनी दुश्मनों को ही ज्यादा जानते पहचानते हैं । यही खाली है वो अमर ने उस पर फिर से एक नजर डाली । मैंने देखा है ऐसे बाल इस फोटो में पहचान में ही नहीं आ रहा है । तो क्या खबर है इसके बारे में बहुत जल्दी भारत में घुसने वाला है । घोटड धर्म और पिछले कुछ दिनों में कुछ कॉल इंटरसेप्ट की गई हैं, जिनमें ये लखनऊ में कुछ लोगों से निरंतर बात करता रहा है । क्या बात कर रही हूँ, सब कोर्ट में है । समझने की कोशिश की जा रही है पर कुछ जरूर समझ में आया है । मुझे तो मैं भी समझ में आ जाएगा । शेर पिंजरे में फंसा है, किसी सूरत में बाहर नहीं आना चाहिए । शेयर यानी जावेद मेरा भी यही मानना है है क्या हम उन लोगों को ट्रेस नहीं कर पा रहे हैं? वही तो नहीं हो पा रहा । कुछ सोचते हुए अमर बोला लतीफ हुसैन का नाम सुना है तो मैं ये कौन है? अमर ने संक्षिप्त में बताया अच्छा कोई आतंकवादी तो नहीं लग रहा ऍम कल तक वहाँ पहुंचेगा तो तुम उसके बारे में और जान ही जाओगे । हाँ वो तो है जो भी है साहनी से उसका कुछ लिंक तो जरूर है । शायद कर और बताओ कुछ किस बारे में अपने ही बारे में बता दो । रिंकी मुस्कुराई हर बार पूछते हो और हर बार डाल देती हूँ । अब तो मेरे घर में तुम्हारा पाॅइंट कमरा है । एक तरह से तुम मेरी घर वाली हो गई हूँ तो जाने का कुछ तो हक बनता है । रिंकी हंसी क्या जानना चाहते हो तुम जासूस क्यों बनी? अगर तुम्हें लग रहा है कि इसके पीछे कोई दर्दनाक स्टोरी है तो बता देती हूँ । ऐसा कुछ नहीं है । मुझे जिंदगी में कुछ एडवेंचरस काम करना था तो किसी ने कहा ये काम आज गांव एग्जाम दिया । इन सभी हुआ सिलेक्ट हो गई । नौकरी मिल गई बस ऍम हिस्ट्री अमर मुस्कुराया । वैसे तुम बहुत क्यूट लगते हो जासूस कम हीरो ज्यादा लगते हो । अच्छा आप लोग तो मुझे कॉमेडियन या छिछोरा कहते हैं । मुँह मेरे सामने तुमने ऐसी कोई हरकत नहीं की । ज्यादातर सीरियस रहकर यह बात की । ऐसा क्यों? हाँ ऐसा है क्या? पता नहीं रिंकी अमर की आंखों में गहराई से देखने लगी ।

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क़त्ल और देशद्रोह के इलज़ाम में सीक्रेट सर्विस का देशभक्त जासूस जावेद खान जेल की सलाखों के पीछे पहुँचता है. इस गुत्थी को सुलझाने निकले अमर और जॉन के सामने आती है एक ऐसी साजिश जो भारत के नक़्शे को बदलने की क्षमता रखती है. क्या थी वो साजिश? और कौन था उसका...मास्टरमाइंड? writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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