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रहस्मय टापू - 07 in  |  Audio book and podcasts

रहस्मय टापू - 07

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प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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डॉक्टरों, जमींदार दोनों ने नक्शे के बाद लाइब्रेरी से फॅस निकालकर घटना पलटना शुरू कर दिया । कई बार कागज पर बने नक्शे और ऍम के नक्शों में मिलान करने के बाद डॉक्टर ने कहा चलो हो गया । घर जाने वाला कापू अंडमान द्वीपसमूह है । अंडमान में तीन हजार से अधिक टापू है । उसमें से दो सौ पैसठ पर कोई नहीं रहता । ये टापू मानव रहित है । एक स्थान पर पेंसिल से निशान लगाते हुए डॉक्टर ने कहा खजाने का टापू यही हैं । यहां पहुंचने के लिए हमें चेन्नई से एक जहाज में रवाना होना होगा । चेन्नई से टापू लगभग सात सौ मील दूर हैं । अंतर था ये तय हुआ की हम लोग चेन्नई पहुंचेंगे । डॉक्टर को कुछ दिनों के लिए जरूरी काम से बेलूर जाना था तो वो लू सीधे चेन्नई पहुंचेंगे । अपनी अनुपस्थिति में वो बेल्लूर से डॉक्टर को भेजना चाहते थे जो कस्बे के मरीजों की देखरेख कर सके । जमींदार कुछ अन्य लोगों के साथ चेंज नहीं पहुंच गए । मैं कस्बे में ही रहा । बार बार में उस लक्ष्य को देखता हूँ । मेरे मन में तरह तरह के विचार आते हैं । मेरा मन मुझसे पहले उडान भरकर उस टापू तक पहुंच गया था । ऍम चप्पा छान रहा था । मैं सैकडों बार उस पहाडी पर चढा और उतरा जिसमें खजाना छुपा हुआ था । इसी तरह कुछ हफ्ते में एक दिन डाकिया पत्र लेकर आया । पत्र डॉक्टर के नाम था । उस पर लिखा था कि डॉक्टर की अनुपस्थिति में जिन या जमींदार उसको खोल सकते हैं इसके अलावा और कोई ना खोलेंगे । मैंने बडी उत्सुकता के साथ पत्र को खोला । पत्र चेन्नई के त्रिपलीकेन लेन से भेजा गया था । पत्र में लिखा था तो तो डॉक्टर साहब मैं नहीं जानता कि आप अपने घर पर है या बेंगलुरु में है । मैं ये पत्र दोनों पदों पर पोस्ट कर रहा हूँ । जहाज खरीद लिया गया है और उसे लंबी यात्रा के लिए तैयार भी कर लिया गया है । जहाज इतना बढिया है कि इससे कोई बच्चा भी चला सकता है । दो सौ नाम के इस जहाज का नाम है राजधानी । ये जहाज मैंने अपने मित्र से लिया है । मित्र बहुत भरोसे मत दें और मित्रता ना मैं बंसी लेकिन कुछ लोगों की राय बंसी के बारे में अच्छे नहीं है । इस जहाज के लिए अच्छे चालक तलाशने में बडी कठिनाई हुई । कम से कम बीस लोगों की जरूरत है पर अभी तक केवल आधादर्जन लोगों का प्रबंध हो पाया है । अच्छी बात यह है कि पुराना और अनुभवी नाविक मिल गया है । लंबी दूरी के लिए उत्सुक है । वह लंबू चांदीराम के नाम से जाना जाता है । उसने बताया कि वह पहले नेवी में था । लडाई में उसकी एक दम जाती रही । वो बहुत उपयोगी है । समुद्र के बारे में उसे अच्छी जानकारी है । अंडमान द्वीपसमूह के बारे में वह बहुत कुछ जानता है । देखने में बहुत रूखा मालूम होता है । पर है बहुत बाद । दो । मैंने छह नाविक चुने थे । उसमें से दो चांदीराम को पसंद नहीं है । उन दोनों को उसमें हटवा दिया । मैं बिलकुल ठीक है । पूरी तरह से स्वस्थ लेकिन जब तक जहाज अपनी यात्रा पर रवाना नहीं हो जाता, तब तक मैं चैन से नहीं बैठ सकूंगा । समुद्र की यात्रा मुझे बहुत अच्छी लगती है । लगता है समुद्र मुझे बुला रहा है । यहाँ तो खजाने का भी आकर्षण है । पानी में छुपा हुआ खजाना मुझे चुंबक की तरह नहीं और खींच रहा है । इसलिए प्री डॉक्टर फौरन आजाओ । थोडी सी देर मत करो । जिम से कहो । वो अपनी माँ से मिलकर आए । उसके बाद तुम दोनों तुरंत चेन्नई के लिए रवाना हो जाओ । हमारे पास एक महान सूरी वाला भी है । उसे साफ ले चलेंगे । मजा आएगा । मुझे पता चला है कि लंबू चांदीराम के पास बैंक में कुछ काम नहीं है । उसकी पत्नी का आदिवासी स्त्री है । शायद उसी के डर से वह बार बार घर छोडकर समुद्र की और भागता है । तुम आ रही जेटली रामास्वामि यह पत्र पढते ही मेरे रूम रूम में रोमांचक हो गया । मेरा मन नाथ चुका था । दूसरे ही दिन सवेरे मैं जिम्मेदार के दरबान के साथ अपनी माँ से मिलने के लिए पैदल ही निकल गया । मेरी माँ स्वस्थ और प्रसन्न थी । उस बदमाश कपडा हमने हमारे घर का बहुत नुकसान किया था । पूरी लॉन्च की मरम्मत कराना पडेगा । नया रूम नया रंगरोगन भी कराया गया । माँ ने अपने लिए एक बढिया सी आरामकुर्सी खरीद ली थी । वह उसी में बैठी हुई थी । मान एक लडके को नौकरी पर रख दिया था । मुझे अच्छा लगा । मैंने सोचा मुझे तो अभी बहुत बडे काम पर निकल रहा है । इसलिए लॉन्च का काम देख नहीं सकूंगा । फिर भी उस बेचारी पर मुझे दया आ रही थी । वो इसलिए कि वह बेचारा तुम लॉन्च में रहेगा और मैं खजाने की रोमांचक खोज में निकलूंगा । मैंने दूसरे दिन माँ को अलविदा कहा । मैंने जी भरकर अपने घर को देखा और मनी मनी उसे भी अलवीदा कहा । पता नहीं कब लौट पाऊंगा । लौटूंगा भी की नहीं । मैं कप्तान के बारे में सोचने लगा । वो अपनी दुर्गा लेकर अक्सर समुद्र के किनारे किनारे हर रोज मिलो चला करता था । दूरबीन से समुद्र में आने जाने वाले जहाजों को देखा करता था । मुझे उसके चेहरे पर पडा कहाओ का निशान याद आ गया । बस उन्हीं ख्यालों में डूबा हुआ मैं चलता रहा । लौटने के बाद में तैयारी में जुट क्या शाम को एक कार हमें लेने आ गई । हम लोग कार में पीछे की ओर बैठ गए । एक और उत्तर बांध था दूसरी ओर पूरा सब व्यक्ति । मैं उनके बीच में सडक खराब थी और का बहुत पुरानी थी । फिर भी मेरी आपसे लगते हैं । पता नहीं मैं कितनी देर हो जा रहा है । मेरी नींद तब खुली जब किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे दिलाया हडबडाकर आप खोलते हुए मैंने पूछा हम लोग कहाँ गए? चेन्नई चलो कार से बाहर निकलो । धरवाल ने का हम लोग रामास्वामी के पास पहुंचे । उसने समुद्र के किनारे लॉज में हमारे लिए कमरा ले रखा था । कुछ ही दूरी पर समुद्र में वजह हाथ खडा था जिसमें साफ सफाई का काम चल रहा था । सडक से लॉन्च तक पैदल ही जाया जा सकता था । आस पास और भी अनेक जहाज खडे थे जिनके नाविक अपने अपने कामों में दस थे । तरह तरह के नाविक वहाँ दिखाई दे रहे थे । हम लोग लॉन्च के द्वार पर पहुंच गए । सभी दार साहब यहाँ खडे थे । उन्होंने समुद्री अफसर जैसी नहीं हो रहे हैं और उसमें जैसे रहेंगे । उन्होंने गर्मजोशी से हमारा स्वागत करते हुए था । आओ जा रहा हूँ कल रात डॉक्टर भी आप पहुँच गए । वो भी तब तुम्हारी चर्चा कर रहे हैं । हम लोग पाँच कब करेंगे ऍम बस कल ही रवाना हो जाएंगे । जमींदार ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया हूँ ।

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प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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