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युवराज सिंह मदन बाबू के रूम में था । विभाग को उसने बगल वाले रूम में रखा था । उस की दशा अत्यंत सोचनीय थी । भैया की याद सता रही थी । अचानक भैया भैया कहकर वह चिल्लाई । युगल सिंह के साथ मदद बाबू उसके रूम में गए । युगल सिंह । इसको दासी का काम तो यदि न करें तो चाबुक से बातचीत करो । विभाग को इंगित कर मदन बाबू बोले मदन बाबू या घोर अन्याय है विभाग रूदन की स्वर्ग में बोली बातें मत बनाओ । विभाग चुपचाप काम करूँ । मदन बाबू बोले यह काम मुझसे नहीं हो सकता है । मदन बाबू विभाग बोली अपना काम करो, मुझे अपने आप लेना से खिलाओ । मदन बाबू हडबडाकर बोले अगले मेरी नहीं बल्कि आपकी मदद बाबू विभाग बोली तो मसलमान हो गए हो । अब देखिए तेरी अगले कितनी दूर तक काम देती है । उसकी ओर बढते हुए मदन बाबू ने कहा विभाग पीछे हट गई और बोली मदद बाबू अक्ल मान तो आप है जो एक असहाय बालिका को अपनी की रह बच जाते हैं । मदन बाबू गम खाकर चल दिए पर युगल सिंह पर्वत की भारतीय उसी जगह अटल रहा । भाई के शोक में विभाग भैया भैया कहकर होने लगी । क्यों रोती हो युगल सिंह बोला तो उन्हें मेरे भाई को मौत के घाट उतार दी और बोलते हैं क्यों होती हो विभाग क्रोध भरी दृष्टि से युगल सिंह को देख कर बोल बंद करो आवाज चुपचाप काम करो । युगल सिंह चला गया ।
Writer
Sound Engineer