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वे तो गंगा के तट पर पहुंचे । मिला की शोभा निराली थी । लोग भी काफी थे । लहरें तट से अटखेलियां खेल रही थी । स्नान करती हुई नियुक्तियों की शोभा अनुपम थी । उनमें जिंदगी का सौंदर्य लग रहा रहा था । ब्रजकिशोर के मन में भी नई उमंग आ गई । दुख का बादल हट गया । फोटो पर श्रेणिक मुस्कान की देखा छा गई, पर उसी भाई की यार झूक भूख आ रही थी । उसका मुख्य मलिन हो गया । मुस्कान की रेखा चिंता की रेखा में बदल गयी । विभाग आगे बढो कोई कुछ दे दे तो कुछ हम दोनों भी खाने और संजीव के लिए भी कुछ लेते जाओ । ब्रजकिशोर बोला और आगे की ओर पढा । उमंग सबु में थी, पर कोई जान नहीं रहा था की उमंग में भी दुःख दर्द है । विभाग व्यक्ति के पास खडी हुई वह जोडा और नहीं खा रहा था । बडे घर का था । मुसतैदी से आसन जमाया था । विभाग उसके सामने ऐसा लग रहा था कि कोई उसका भोजन छीन रहा हूँ । बस क्या कहना तुरंत उठकर उसके गाल पर एक चपट जमा दिया । भैया भैया कहकर विभाग होने लगी । शुत्र आशिया भावेश में बोला क्यों ऍम इस बालिका ने तेरह क्या बिगाडा विभाग उठाते हुए ब्रजकिशोर बोला नालायक दूर तो मेरे सामने से बोला पर ब्रजकिशोर गम खाकर रह गया । विभाग के हाथ पकडकर आगे चलो बोला नदी के तट के ऊपर मदन बाबू और उसकी सिपाही भी बैठे हुए थे । नदी की शोभा का आनंद लूट रहे थे । उसी के पता था कि ब्रजकिशोर भी आया है । मालूम पडता है वही कमीना है । युगल सिंह को इशारा करते हुए मदन बाबू धीरे से बोले था या तो वही है जो उस दिन गाली बक कर गया था । युगल सिंह उसे पहचानते हुए बोला देखो युगल सिंह अभी रास्ते पर आया है । ब्रजकिशोर को दिखाते हुए मदद बाबू ने कहा कौन सा रास्ते पर आया है? युगल सिंह बोला देखते नहीं हूँ, अब या दूसरों के आगे हाथ पसारता है । मदन बाबू बोले, ब्रिज किशोर जोर से गुजर रहा था । उसने उसे पहचानकर मूठभेड लिया और आगे की ओर बढा । अब सही रास्ते पर आया है । पूना कहते हुए एवं शिकारी की तरफ मुस्कुराते हुए मदन बाबू बोले मैंने आपका क्या बिगाडा मदन बाबू ब्रजकिशोर रुककर बोला तुम ने नहीं बल्कि प्रेरित कायर जीवानी हाथ हिलाते हुए मदन बाबू बोले मदन बाबू ऐसी बातें ना कही । ब्रजकिशोर बोला कुत्ते में लगाम लेकर बोलो वर्ना परिणाम बुरा होगा मदद बाबू ने आवेश में कहा कुत्ता मैं नहीं कुत्ते आप है मदन बाबू कहाँ? आवेश में ब्रजकिशोर नहीं आवेश में नाओ ब्रजकिशोर वरना कुत्ते की मौत हो जाएगी । गंभीर सफर में मदन बाबू बोली सभी लोग उसे देखने लगे । उनमें बहुत सारे मदन बाबू की आदमी थे । उसका कोई सहारा नहीं था । केवल धैर्य और साहस । किसी के आवेश को कोई रोक नहीं सकता । मदन बाबू ब्रजकिशोर दृढता के साथ बोला युवराज सिंह इस कमीने को पानी का घूंट पिला दो । युगल सिंह को संबोधित कर मदन बाबू ने कहा जो आज्ञा आपकी युगल सिंह बोला नहीं मदन बाबू नहीं, मेरे भैया को ऐसा न कीजिए । मैं आपसे माफी मांगती हूं । मदन बाबू के पांव पर गिरकर रोती हुई बोली विभाग इस दुष्ट शोषक के बहुमत पकडो । विभाग के हाथ खींचते हुए ब्रजकिशोर बोला शीघ्र काम करो युगल सिंह । मदन बाबू ने कहा दोनों में घमासान लडाई हुई । ब्रजकिशोर लहूलुहान हो गया । वह जमीन पर गिर पडा । युवराज सिंह ने उसे घसीटते हुए दुनिया में डूबा दिया । मैं या ऍम चिल्लाती हुई विभाग होने लगी । कमीनी कहीं की चलो तुझे भी आज मजा चखाऊंगा विभाग उठाते हुए युगल सिंह वृद्ध भाव में बोला पागल कुत्ते कहीं का छोडने मुझे चिल्लाती हुई विभाग बोली और होने लगी । वहाँ उसके हाथ को छुडाना पाई । युगल सिंह उसे मदन बाबू के घर ले गया । दर्शक तालियां बजाने लगे । युगल सिंह की शन भंगल शक्ति पर
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Sound Engineer