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शिखर तक पहुंचने के लिए लक्ष्य भद्रता । श्रमशीलता धर्ता । इधर आत्मविश्वास के साथ संघर्षों से मुकाबला किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है । सुचित्रा की खुशियों का पारा बार ही ना था । आर्या से बात होने के बाद उसने फोन रख कर घडी देखेंगे तो एक बज के पंद्रह मिनट हो गए थे । समय बहुत कम था । व्यवस्थाएँ ज्यादा से ज्यादा करनी थी । उसने अपने सहायक को वहीं बुला लिया । उसने सबसे पहले शालों से फोन पर बात की कि कोई अति सम्मानीय मेहमान दिल्ली आ रहे हैं । आ रहा उनकी अफगानी में उनके पूरे परिवार को एयरपोर्ट पहुंचना है । तीन बज के चालीस मिनट तक सब तैयार रहे । उन्हें गाडी लेने आ जाएगी । शालू ने शहर से स्वीकृति दे दी । उसने सोचा शायद सुचित्रा के पुत्र के रिश्ते हैं तो कोई लडकी आ रही है । अनुव्रत सेवा भारती के अध्यक्ष अब्दुल्ला जी को कहलवाया की महत्वपूर्ण व्यक्ति आ रहे हैं । अगाह कार्य समिति के सभी सदस्य चार बजे डोमेस्टिक एयरपोर्ट पहुंचे । तीज इंडिया के मैनेजर जॉसेफ को बताया गया अति विशिष्ट व्यक्तित्व आज पहुंच रहे हैं । इसलिए उनका बैंड लेकर मुख्य अधिकारी एयरपोर्ट पहुंचे हैं । सब लोगों को विशिष्ट द्वार के पास एकत्र होने को कहा गया था । सुचित्रा ने सचिन को भी बता दिया था कि नाना जी के परम मित्र आ रहे हैं । अच्छा आज एयरपोर्ट चलना है । सारी व्यवस्थाएँ करके नियत समय पर है । एयरपोर्ट पहुंच गई वहाँ पर स्वागत सत्कार की तैयारियाँ देखकर सुचित्रा को संतोष था तो उन्होंने पांच बजे एयर इंडिया की उडान संख्या नौ सौ नौ के दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंडिंग की । उद्घोषणा हो चुकी थी । सुचित्रा ने एक बार पुनः सबको चेक किया । दाहिनी और इंडिया का बैंड परिपक्त खडा था किसी भीषण धुंध छोडने को तैयार, पास में मैनेजर जॉसेफ फूलमाला ली है तथा बाकी अधिकारी गुलदस्ते लिए खडे थे । उन्हीं के बगल में अनुव्रत सेवाभारती के कार्यकर्ता सफेद कुर्ते पे जाने में महिलाएं केसरिया साडी में तीन रन का गुलाल लिए खरीदी हूँ । किसी भी छान उडाने के लिए तैयार अब्दुल्ला साहब के हाथों में फूल माला थी । पाठक जीवन अन्य कार्यकर्ता फूल के साथ तैयार थे । हरी सेवक जी कामिनी, सत्यवान सावित्री आ रहे हैं और शालू एक पंक्ति में खडे थे । सचित्रा उन्हीं के पास थी । कामिनी ने आर्थिकी थाली पकड रखी थी हूँ । पाँच सात मिनट का इंतजार भी उन्हें बहुत सा लग रहा था । आखिर है पहला गया । इस की प्रतीक्षा कर रहे थे । उत्सुकता सबकी नजरें दरवाजे पर थी हूँ कौन है जी आई टी कौन है? अभी विशिष्ट व्यक्तित्व हूँ अगले ही क्षण आर्या प्रवेश द्वार पढ देखें सुचित्रा ने इशारा किया मधुरिम स्वरों के साथ बीच इंडिया का बैंड स्वागत के धन बजाने लगा । एक जैसी वेशभूषा एक जैसी लड डाल बडा मनोहरी द्रश्य था । आर्या के पीछे शिवा को प्रवेश करते ठीक सब अच्छे थे । ॅरियर आँखे फाड फाड कर देख रही थी की है हकीकत है सपना । शालू ने अपने आपको चिकोटी काटी की क्या है? पूरे जाग्रत अवस्था में है क्या यह सच्चाई है कि शिवा सामने खडा है हूँ । कुल मिलाकर आश्चर्यमिश्रित माहौल के साथ पूरे परिवेश में खुशियां फैल नहीं आ रहे । तुरंत होने पहचान गया हूँ और दौड कर अपने पिताजी से निपट गया । सेवाभारती के कार्यकर्ता तो रंग बिरंगे गुलाल लाने लगे । पाठक जी के साथ सब फूल बरसाने लगे । सुचित्रा ने सम्मान भरी नजरों से अपने गुरूजी का देखा और बेहद खूबसूरत खुशबूदार दोबारा उनका गुलदस्ता भेंट किया । शिवानी बारह तो आसमान में उडा दिया और देखा उन्मुक्त गगन में रंग बिरंगे गुब्बारें ऊंचाइयों पर जाते हुए बडे भले लग रहे थे । सत्यवान और सावित्री आगे आए । सावित्री ने बेटे के मस्तक पर तलाक लगाया । हाथ में मौली का रक्षा कवच बांधा । सत्यवान ने गोलेच्छा बलेडी खिलाकर उसका मुंह मीठा करवाया । शिवा ने आगे बढकर माँ पिताजी के चरण हुए हैं । पिताजी ने उसे गले से लगा लिया तो दोनों की आंखों में आज खुशी के हाँ सोशल मिला रहे थे । हरी सेवक जीवा काम ही नहीं आगे आए । कमीनी है जहाँ माता की आंखों में काजा डाला, पहन के पीछे का गाडी का लगाया ताकि दुनिया की बुरी नजर से बचा रहे हरी सेवक जी ने अपने गले से पवित्र रुद्राक्ष की माला निकालकर उसके गले में डालते हैं । शर्माती, सकुचाती शालू के नाइन्थ से नीर बाहर जा रहा था । फूट भर करा रहे थे । शरीर झनझना रहा था । जैसे ही शिवा करीब आया उससे आपके हाथों से पुष्पमाला गली में डाल दी । शुरू ने अपने सीधे से एक प्रकार के विशेष वाली जो शुभ अवसरों पर उपयोग की जाती है, निकालकर वही माला शालू के गले में डाल दी और उसे ऍम लिया । दिल की धडकने एक दूजे को दिल का हाल बता रही थी । आंखों से बहते आंसू दोनों को भी हो रहे थे । कुछ पल मेरे होश में आए और तुरंत अलग हो गए । अब्दुल्ला साहब ने अजमेर से ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती शाह की धार बार में चढने के लिए आई चादर शिवा को भेंट की । शिवा ने बडे आधार से ग्रहण किया । सिर पर लगाया । शालू के साथ मिलकर उसे स्पर्श किया । फिर बोला आप मेरी ओर से से पीर बाबा के दरबार में चढा दें । सब शिवा को धर्म शाह पुष्पगुच्छ भेंट कर रहे थे । शिवा इन्हें आ रहे हैं तो देता जा रहा था । कार्यालय सब आर्यका पकडाएं खिलाती हुई आगे आई और मम्मी पापा, दादा दादी, नाना नानी सुचित्रा अंटी सबके चरण छूए । रुंधे गले से सत्यवान बोले कितनी बहादुर लडकी है धो तो व्यक्ति का साक्षात् अवतार लगता है । फॅमिली बोली, दादा शक्ति का अधिकार में नहीं, आपके बेटे हैं शिवा जो कुछ कहना है नहीं कही । शिवानी कोराडिया को दूसरी तरफ से आने को अपने से सटा लिया और बोला इलाहाबाद की असली शक्ति उनके बच्चे ही होते हैं । मेरे बच्चे तो मुझे बहुत गर्व होता हूँ । अब तक आ गया की पूरी टीम भी सामान लेकर बाहर आ रही थी । आर्या ने सुचित्र आंटी एवं सबसे अपनी टीम का परीक्षा करवाया । सोमेश को शिवा के पुराने मित्र तथा साक्षी, नंदिता, शांतनु एवं विशाल का अपने दोस्तों के रूप में परिचय करवाया । फॅमिली ने तीन चार या को कीमती उपहार दिया । कुल मिलाकर अपूर्वा पहलाद कार्य अवसर ता हूँ । प्रगति हल्की हल्की फुहारों के साथ बैंड के स्वर में सर मिलाकर मधुर स्वरलहरियां छेड रही थी । वो शीतल बिहार फूलों की खुशबू के संघ मिलकर आस पास के वातावरण को मैं आ रही थी । वहाँ उपास्थित जान अतुलनीय उल्लास है । आप्लावित थे तो चित्र के चेहरे पर भी अद्भुत चमक थी । उपयुक्त अवसर देखकर वह एक तरफ खडे अपने पुत्र सचिन को लेकर आगे आई और बोली यह है हमारा एकलौता सुपुत्र सचिन । सचिन ने आगे बढकर सत्यवान, सावित्री, हरी सेवक जी, कामिनी, शिवा तथा शालू के चरण बढेंगे । सबने देखा गोरा चिट्टा छह फीट लंबा रोबीला नौजवान बहुत मनमोहक एवं आकर्षक लग रहा था । सचित्रा ने बात आगे बढाते हुए गंभीर स्वर्ग कहा । आज इन अनमोल घडियों में एक अलौकिक रिश्ते को लॉकिंग बनाने में आपका सहयोग चाहती हूँ । अपने बेटे सचिन के लिए हार या का साथ मानती हूँ । एक्शन के लिए जब ठहर गया इस अप्रत्याशित मांग की तो कोई संभावना ही नहीं । पिछले तो कोई भी नहीं सोच सकता था । शुभ समय पर सुबह योग से सब शुभ होता है । इतने बडे प्रतिष्ठित मंत्री जी का नवासा गवर्नर साहब का पौत्र कमिश्नर साहब का सुपुत्र सुचित्रा जैसी सहृदय माँ का लाल उच्च शिक्षित एवं कुछ पद पर कार्यरत कामदेव को भी मात देने वाले ऐसे युवक रखने को कौन अपनी बेटी नहीं देना चाहेगा । सचिन कनखियों से चुपके चुपके आर्या कर देख रहा था और हर या अभी कुछ समय पहले तक बहादुर झांसी की रानी छोडी हुई बनकर नजरें दिखाए खडी थी । शालू ने सिवा की और देखा शिवा ने सत्यवान की ओर सत्यवान सावित्री की ओर कुछ पहले बीते नजरो ही नजरों में स्वीकृति मिल गई । शालू होने से आगे बडी पर आर्य का हाथ सचिन के हाथ में थमा दिया । अगले ही शरद तालियों की गडगडाहट से पूरा एयरपोर्ट खून था । सुचित्रा ने शालू एवं शिवा से अनुरोध किया कि आज सा यहाँ उनका अस्तित्व स्वीकारें । उन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी । सुचित्रा ने तत्काल वहाँ पर उपस् थित सभी व्यक्तियों को रात्रिकालीन प्रतिभोज पर अपने घर राजभवन में आने हेतु आमंत्रित कर दिया । हरयानी उनसे उसकी सहेलियों को एवं शालू को उनके करीबी रिश्तेदारों एवं मित्रों को भी बुलाने को बोल दिया । तभी आ रहने देखा । इसके बाद ही धीरो पत्रकार धडाधड वहाँ पहुंच गए । पता नहीं मीडिया में कैसे ये खबर लीक हो गई बल्कि एक साथ अनेक फॅमिली उनके चेहरों पर पढ रहे थे । इलेक्ट्रॉनिक कवरेज करने वाले पत्रकार अपने अपने चैनल के लिए इंटरव्यू चला रहे थे । वो आ गया । बेहद शालीनता से सब बातचीत कर रही थी । तभी पुलिस का सारेन सुनाई दिया और लाल बत्ती की गाडी आकर उनके सामने रखी । एक्शन के लिए सबसे रह गए दिल्ली के मुख्यमंत्री स्वयं हवाई अड्डे पर बहादुर बाप बेटी का सम्मान करने का उपस्थि थे । शिवा ने हाथ जोडकर नमस्कार किया और आर्या ने झुककर उनके पैर हुए । मुख्यमंत्री बोलेंगे । मुझे अभी सिर्फ पांच मिनट पूर्व सारी घटना की सूचना मिली । हमें हमारे राज्य के ऐसे बहादुर नागरिकों पर गर्व है । अभी तो हमें बैंगलोर जाना है । वहाँ से वापस आकर आप का एक बहुत बडा सम्मान समारोह दिल्ली सरकार की ओर से आयोजित किया जाएगा । आपको सम्मानित करके जहाँ हम गौरवान्वित होंगे, वहीं दूसरों को भी ऐसे साहासिक देशभक्तों के कार्यों की प्रेरणा मिलेगी । शिवा का परिवार इस नहीं, उपलब्धि आश्चर्यचकित था । प्रसन्न था किन तो हल्का साथ सहवाग जावे था । अभी वे किसी भी प्रदर्शन से दूर सिर्फ अपने परिवार के ही संघ रहना चाहते थे । अब सायंकालीन आयोजन है तो भी बहुत कम समय बचाता हूँ । ऍम सब तुरंत वहाँ से निकल गए । ठीक आठ बजकर दस मिनट पर शिवा के घर उन्हें ले जाने के लिए गवर्नर साहब की गाडी आ गयी । सत्यवान एवं साबित्री हरी सेवक जी हम काम नहीं बेहद गरिमा । मैं पहनावे में थे । खुशी से उनके चेहरे चमक रहे थे । आ गया कि ससुराल जो जाना था शिवा स्वयं किसी स्टेट के जमींदार से कम नहीं लग रहा था । आ गया । आधुनिक पहनावे में काफी जच रहा था । आ गया तो कहानी किस्सों में आने वाली स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी । जिस दुरस्त कमांडो की पोशाक में जितने स्मार्ट लगती उससे कई गुना संदर रूपसिंह लाली बनारसी साडी में लग रही थी । शालू पार्टी सुन्दर लग रही थी । वर्षों बाद उसने आज शानदार किया था । खेलवाने असीम अनुराग से परिपूर्ण चाहत भरी दृष्टि से शालू को देखा दोनों क्या चार हुई शालू शरमाकर जमीन में गडी जा रही थी । मैं परिवार से संबंध जुडने की संभावना शिवम को रोमांचित किया जा रही थी । बेहद हर्षोल्लास के साथ मैं गवर्नर निवास पहुंचे । ड्राइवर ने पहले ही फोन कर दिया था गवर्नर साहब के संग । सुचित्रा ने प्रदेश द्वार पर उनका स्वागत किया । उसने अपने दाहिने हाथ से आर्या का दाहिना हाथ पकडकर गाडी से उतारा और उसके साथ सबको सम्मान मंच के पास ले गए । सचिन एवं आर्या को मंच पर रखी राजसी कुर्सियों पर एक साथ बिठा दिया । आज के इस भव्य आयोजन में सिर्फ नजदीकी रिश्तेदारों को आमंत्रित किया गया था । लगभग कुछ ही देर में सब मेहमान पहुंच गए थे । सुचित्र और कमिश्नर साहब ने आर्या को शगुन देने की रस्म अदा की । फिर सचिन ने आर्या को देश कीमती हीरे की अंगूठी पहना दी हूँ । नृत्य संगीत की महफिल के साथ बधाइयों का दौर प्रारंभ हो गया । स्वादिष्ट भोजन के साथ सब ने आयोजन का आनंद लिया । उसने बहुत मान सम्मान के साथ सबको विदा किया हूँ । चलते हुए उसने धीरे से शायद से कहा अब आ रही है, हमारी अमानत हैं, वो संभालकर रखेगा । विशाल तूने मुस्कराकर से ला दिया । फिर भी वैसे सचित्रा से बोली है शादी का बहुत निकलवाकर खबर करियेगा ।
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Voice Artist