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Part 40 in Hindi

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AuthorAditya Bajpai
लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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क्योंकि नक्सलियों ने ऐसी चार चली जिसके नेशनल होने की संभावनाएं कम से कम थी, वह नक्सली अपने नापाक इरादों में सफल हो गए । आंध्र प्रदेश से आई नक्सलियों की मिलिट्री कंपनी ने अब तक का सबसे घातक नक्सली आक्रमण किया । उन्होंने पूरी तरह रचना करके सीआरपीएफ के जवानों को काम से बाहर निकाला तक आया । फिर मार डाला । भारत की जमीन पर देश के रखवाले जवानों के खिलाफ अघोषित युद्ध में आज तक की ये सबसे बडी क्षति हुई शांतिकाल में तो क्या कभी युद्ध के मैदान में भी एक साथ इतने जांबाज करवा नहीं हुए? नक्सली बने शिकारी जवान बने शिकार बरबर नक्सलियों ने नृशंसतापूर्वक भेड बकरियों की तरह घेरकर इन शेयरों को अच्छा साल में फंसाकर मार डाला । इससे अधिक क्रूर, नापाक, देशद्रोही आतंकी हिंसा क्या होगी? राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सोचा बिना होगा कि अहिंसा से प्राप्त आजादी का हिंसक माओवादी ये उपयोग करेंगे सुरक्षाबलों का अपने ही रक्षक भाइयों का यह काट ले हम करेंगे सरकार के ऑपरेशन टेलर हैंड का भयावह जवाब देकर नक्सलियों ने साबित कर दिया कि उनकी ताकत बहुत बढ चुकी है । हिंदुस्तान की सबसे बडी समस्या नक्सली आतंकी ही है और ये सबसे बडा खतरा है दुर्दांत नक्सली हमले की । खबर फैलते ही उन परिवारों में चिंता वागरा खुलता घर कर गई जिनके बेटे, भाई या पति ऑपरेशन ट्रेनर हंट में शामिल होने छत्तीसगढ गए थे । दिन चढने के साथ साथ पुंछ एक्टर शहीदों के परिवार में मातम फैल गया जो नक्सली हमले में शहीद हो गए थे । उन में से बयालीस जवान तो उत्तर प्रदेश के ही थे । भारतीय वायुसेना के स्पेशल विमान से जब इन शहीदों के शव हवाई अड्डे पर पहुंचे तो पूरा माहौल गमगीन हो गया । राज्यपाल ने जवानों के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की । महान बलिदानी सपूतों के अंतिम दर्शन करने लोगों की धीरजमल पडी थी । पाल रद्द सभी अश्रुपूरित नेत्रों से उन अमर शहीदों को अंतिम प्रणाम कर रहे थे । भारत का देश भक्त मीडिया भी उन शहीदों की शूरवीरता को सलाम करते हुए अपना कर्तव्य निभा रहा था । इस वजह पांच को देखकर पूरा विश्व था । बहादुरों को अंतिम सलामी देने का बिगुल बजते हैं । चारों ओर मायूसी छा गई । टेलीविजन पर नजर गडाए देख रही लाखों करोडों आंखे नम हो गई । वास्तव में जो कुछ हुआ मैं बेहद दुखद एवं दर्दनाक था । नक्सलियों के अब तक के सबसे बडे हमले से देश का आंतरिक सुरक्षा तंत्र ही नहीं । प्रधानमंत्री कार्यालय भी सकते में आ गया । गृहमंत्री की भी आवाज स्पष्ट थी । दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री स्टाप थे । एक साथ इतने सपूतों को इस प्रकार खो देने से चाहूँ बेचैनी का मंजर था । अनेक सवाल बूबानी खडे थे । आधुनिक हथियारों से युक्त शक्तिशाली कंपनी अपनी ही धरती पर इतनी बेचारगी से पूरी की पूरी क्यों शहीद हो गई? इतने भयंकर नरसंहार में देश के बहादुर जवान रखवाले क्यों मारे गए? पूरा देश इन प्रश्नों के जवाब जाना चाह रहा था । जो राज्य सरकारें नक्सलियों से मुकाबले में ढुलमुलपन दिखा रही थी । जो राज्य है, मान कर चल रहे थे कि नक्सली भटके हुए लोग हैं और उन्हें समझा बुझाकर राष्ट्रीय पर लाया जा सकता है तो उनकी भी आंखें खुली की खुली रह गई । वास्ता नहीं । इन्हीं सरकारों के निकम्मेपन नकारापन से नक्सली घर घर में पैदा हो रहे थे । कुछ ऐसी ही स्थिति मानवाधिकार संगठनों की थी । हमेशा नक्सली लोग के पक्ष में आवाज उठाने वाले अपने आप ही स्वयं की गलती महसूस कर रहे थे । नक्सलियों के बुद्धिजीवी समर्थक भी इस बर्बर नरसंहार के पक्ष में थे । कुल मिलाकर ये भांग करता नहीं । एक राष्ट्रीय सर्वसम्मति का अवसर बन गई । समीक्षा कार्य है तो नियुक्त विशेषज्ञों ने अध्ययन के बाद बताया कि मोटे रूप में ऑपरेशन में बुनियादी नियमों का पाला नहीं किया गया था । बिना किसी सर्विलांस हम सुरक्षा बैंक आपके ये कंपनी निकल पडी । सम्भवतया मुकाबेल का भी बिना परखे विश्वास किया गया । जवानों को इलाके की पूर्ण तैयार जानकारी होना । इस इलाके के क्षेत्रों में ट्रेनिंग एवं सुविधाओं की कमी एवं संवादहीनता भी इस कंपनी के लिए जानलेवा साबित हुए । हमारे जवान बदले में टाक में बैठे नक्सलियों के शिकार हो गए । उन्होंने आईईडी के जरिए सुरक्षाकर्मियों की बारूद, सुरंग रोधी गाडी उडाते ड्राइवर को मार दिया । बचाव कार्यों में लगे हेलीकॉप्टर पर भी फायरिंग की गई । कुल मिलाकर नक्सलियों ने सारी हदें पार कर दी थी । अब धैर्य की पराकाष्ठा हो गई और समय आ गया था इन नक्सलियों को परास्त करने का ।

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लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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