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Part 4 in Hindi

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488 Listens
AuthorAditya Bajpai
इस उपन्यास में जिस कालखंड की चर्चा है, वह आजादी के पहले का है। उस समय देश के क्षितिज पर आजादी के बदल छाए हुए थे, देश भर में जुलूस और सभाओं का माहौल था writer: मनु शर्मा Voiceover Artist : Mohil Author : Manu Sharma
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भाग जाए । नॅार्थ था स्कूल बंद फॅमिली छुट्टी नहीं फाइनल की पढाई थी तो आज कुछ जल्दी कक्षा छोड दी गई थी । मैं घर की ओर लगता चला रहा था । लडकिया भी की और नाम थी । आज कार्यालय के नीचे भी लगी थी । बोर्ड पर चिपकाए गए अखबार के क्यारों और लोग जवान है । जैसे देश में कोई बहुत बडी बात हो गई हैं तो कहीं अखबार बिकता भी नजर नहीं आ रहा था । जिनके पास अखबार था उस पर कई आंखें एक साथ लगी थी । ऐसे कई झंड मुझे कम्पनीबाग के भीतर और बाहर दिखाई पडे । पर कहीं कोई कोलाहल नहीं । कहीं अशांति नहीं मैं एक हलचल मोहन अंतर्मुखी चल चल तूफान के पहले की शांति । उसी कंपनी बाग में हम ईद भी दिखाई दिया और दानिश भी हैं । ऍम में बैठा हुआ कुछ बोल रहा था । उसके भी सामने अखबार पढा था । लोगों से घेरे में ले रहे थे । मैं हमेशा की तरह है । अपना प्रभामंडल बनाया था । उस और मुन्ना मेरे लिए उचित नहीं क्योंकि काफी देर हो चुकी थी । वहाँ अवश्य रही होंगी । खबरें तो घर पर भी मालूम हो जाएंगी । अखबार तो गंगा राम लाल आता ही है । मैं सीधे घर आया हूँ । वहाँ की अनुपस्थिति द्वार पर काले के रूप में लटक रही थी । वो जहाँ में जान आई । चलो अच्छा हुआ हाँ अभी तक नहीं आई । मैं चाबी के लिए सुमेर चाचा की दुकान की ओर बढा ही था कि सामने से माँ भी दिखाई पडी । उनके साथ भी आ रही थी जनता है तो अभी आयोग । मैंने कहा तो इतना ही पर उनकी दृष्टि हमेशा की तरह वर्जन आओ कर रही थी । उन्होंने मेरी ओर चाभी बढाई और मैंने दरवाजा खोल दिया । देख भी आ रही है इसी को कह दे किस्मत का खेल महा बोलती रही जो जिंदगी भर अपने चारों ओवर गुंडे लफंगे को जमाए रहा और जो लाला से ऐसे टाइप का था जैसे वही उसका असली बारिश हो । मैं मेरा भी तो लाभार्थियों की तरह हूँ । हर लावारिस की तरह उसकी गिरिया भी हो गई होगी । पीआर की नाम आवाज ने माँ की बात पूरी की । कीरिया अरे कहीं लावारिस के भी कीरिया उठते हैं । मैंने कहा उससे वैसे ही गंगा में बहा दिया जाता है । पर रामकिशन तो बता रहा था कि लावारिश लाशों को जलाने के लिए फॅमिली में कुछ पैसे मिलता । निश्चित ही प्यारी ने सो मेरो की क्रिया के संबंध में और उससे पूछताछ ही थी । आखिर उसका लगाव तो धाही कभी दोनों एक ही नाव के सवार ऍम रास्ता अलग हो गया तो क्या हुआ वो छब्बीस नदियाँ जब वक्त की धूल झाडकर खडी हो जाती है तब वे वर्तमान को प्रभावित किए बिना नहीं रहती हूँ । इस समय तैयारी भी ऐसी ही प्रभावित थीं । नदियों का सैलाब आंखों उनको भी हुए जा रहा था जब उसने सुना कि म्यूनिसिपैलिटी का दिया हुआ पैसा कुछ लोगों की जेब में ही चला जाता है । फॅमिली आखिर तीस दिन के लिए आज भी बात पडता है । वो भी हमेशा आसमान सिर पर उठा लेता था और मेरा भी । कुत्तों की मौत नारी के लिए करो ना संक्रामक होती है । जहाँ उसने एक हेड कुछ हुआ, वहाँ दूसरा उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता हूँ । मैंने देखा माँ भी पिघलने लगी थी । दोनों अपने गालों पर हाथ रखे चारपाई पर कुछ समय तक बैठी रहीं हूँ । रानी हो कह रही थी कि मैंने अनाथालय की । मैंने जय राघव तो घाट पर भेजा था । माँ नहीं, मन भर क्या किस लिए जिससे सुमेरु की कीरिया हो सके । वहाँ बोली और विस्तार से बताया की मौत की खबर उसके गांव में पहुंचती थी क्योंकि वह मुगल सराय के पास के ही किसी गांव का रहने वाला था । उसके पट्टीदारी का एक भाई क्रिया कर्म के लिए गांव से आया था । उसने अपने को लाश का बारिश बताया । परपुलिस मानने को तैयार नहीं थी । मैं तो लाश के बारिश को घोषित कर चुकी थी तो बेचारे ने बडी मैं कोशिश की पर सब यार थक गया हूँ । सही है लाला के यहाँ भी गया था तो उसे डांट कर भगा दिया । दो लाख इसमें क्या कर सकता हूँ? ऍम पेश करता था उसका भाला कोई साथ देगा ऍफ का । जैसे बिहारी को विश्वास ही नहीं था तो अलग को समझती क्या हो । जब तक उससे उसका काम था तब तक है उसका था । अब उसकी लाश से उस को क्या लेना देना? गैर मैं उसकी तरफ दारी थोडी करेगा । ऍम को कानून के गिरफ्त में क्यों डाले? क्योंकि सुनाया है मरने के पूर्व के बयान में तो मेरे ने कहा है कि वह लाला का नौकर है और ये सब लाला के लिए ही करता है । लाला के ही लोग रेलवे की चोरी का मालवीय बेचते हैं । क्या आपको किस मालूम हुआ है? रानी बहु ने ही बताया है । फिर पुलिस उसके भाई को क्यों नहीं दे रही थी । दो पैसे चाहती रही होगी । बीस ॅ चलाने का पैसा खा जाते हैं । पुलिस लाइक देने के लिए पैसा चाहती है आदमी की लाश का आदमी सौदा कर हो क्या इस देश को पि ऍफ अत्याचार की चरम सीमा या तो मनुष्य की असम मैदा को ही क्या आवाज आती है तो यहाँ उसे विद्रोही बना देते हैं । ऐसा ही विद्रोह तैयारी में सुख दुःख गाने लगा था । मेरे मन में दान इसकी आवाज कॅश आने दवा जाती हूँ ये सब ठीक हो जाएगा । पर मैं जो भी रहा गया मान ही बताया की रानी बहु ने सीधे डीएम को फोन किया था और राघव को घाट पर भेजकर उसके भाई को राई पुलिस की कब जैसे दिलाई थी । मुझे ठीक याद है तो कुछ समय बाद माँ को सोचते हुए बडी गंभीरता से बोली थी आखिर एक औरत क्या क्या करेगी वो जीवित अनाथों की व्यवस्था करेगी अनाथ लाशों का उद्दार ऍर रानी वो इस विषय में भी सोच रहे हैं वो अनाथ लाशों की अंतेष्टि की संबंध में कुछ ठोस करने की चिंता में है । कुछ देर बाद ही गंगा राम अखबार लेकर आया और बडे उठता है । छूटते ही बोला गढाई शुरू हो गया है शुरू हो गयी अरे तो चल ही रही है वो । मैंने कहा गंगा राम ने बताया की उसका मतलब अंग्रेजों की लडाई से नहीं मैं तो आजादी की लडाई के विषय में कह रहा है कि वह शुरू हो गई है बम्बई के कांग्रेस महाधिवेशन में । गांधी जी ने देश को एक महामंत्र दिया है करो या मरो । अभी अभी जीवित रहना है तो आजाद हो घर ही जीवित रहो वरना देश के लिए मर जाता हूँ । मैंने सोचा तभी इस खबर को लेकर सारा शहरों बने लगाएँ बिहारी चारपाई पर ठंड की रही । माँ उठी और दीया जलाकर ले आई है उसके कहने पर मैं अखबार जोर से पडने लगा हूँ भारत छोडो प्रस्ताव पर अखबार वालों ने उतना जोर नहीं दिया था जितना उस प्रस्ताव पर गांधी जी द्वारा दिए गए भाषण पर भाषण क्या था? विस्फोट था एक निशांत ज्वालामुखी को आग बोलते मैंने पहले पहले देखा था । पार्टी सीधी और साफ तरीके से कही गई थी । अब हमारे और अंग्रेजों के बीच कोई समझौता नहीं । मैं नाम आपकी सुविधाएं क्या शराबबंदी लेने नहीं जा रहा हूँ । मैं तो जो चीज लेने जा रहा हूँ, आजादी है नहीं देना है तो कत्ल करें मैं गांधी नहीं जो बीच में कुछ चीजें लेकर आ जाए तो मैं आपको एक मंत्र देता हूँ करो या मरो । आप जेल को बोलता हूँ आप सुबह शाम यही कहें कि खाता हूँ, पीता हो साथ लेता हूँ तो गुलामी की जंजीर तोडने के लिए जो मारना जानते हैं उन्हें ही जीने की कल आती है । तो आज से तय करें की आजादी लेनी है तो नहीं लेनी है तो मारेंगे । आजादी डरपोकों के लिए नहीं है जिनमें करने की ताकत है वही जिंदा रहेंगे । ऍम जीतिया नहीं जो मसल दी जाए हम हाथ से भी बडे हैं हम शेर है की क्या दिया गांधी जी ने हम सबको आया था मार खाकर भी हाथ ना उठाने की बात तो वे कहते थे और मरने की बात पहले पहले उनके मुख से निकली है । शरूर आग लग जाएगी । लगता है देश में कुछ होने वाला है । माँ बोली पी आरी भी चार भाई पर उठकर बैठ गई थी । बीच नीचे का दरवाजा खोलने की आहट हुई । लगा कोई भीतर आया हूँ । राजधानी पहचानी नहीं हो यह तो रामकिशुन है । हम लोगों ने देखा वैसी रे चढकर ऊपर आ रहा था । गजब हो गया । राम के सुनाते ही बोला है गांधी जी अभी देश के सभी बडे नेता गिरफ्तार कर लिए गए और यही नहीं पता कि वह कहां रखे गए । देश में क्रांति हो गई है । एक साथ में वह कहता गया, आज के अखबार में यह सब तो नहीं निकला है । बिहारी बोली माने भी उसका साथ दिया आपका उडाई गई होगी? नहीं, ऐसी बात नहीं है । रेडियो से खबर आई है । ग्राम किशन ने कहा आज रात एक ही संबंध में रेडियो से लाॅरी भी बोलने वाले हमारे दिल धडकने लगे । एक विचित्र अनुभूति होने लगी । लगा जैसे हम सच मुझे आजाद होने जा रहे हैं । रामकृष्णन ने बताया कि थोडी देर बाद हम लोगों ने एक मीटिंग भी बुलाई है । इस समय मीटिंग किस लिए? मैंने पूछा । बात यह है कि गांधी जी गिरफ्तार हो गए हैं । उन्होंने कोई कार्यक्रम तो दिया नहीं है । आखिर कल सुबह हम क्या करेंगे? रामकिशन नहीं कहा हूँ हमें अपना तो कोई कार्यक्रम देना ही होगा । लडके उतावले देश का नया खून खौल रहा । गांधी जी ने तो कार्यक्रम दिया है करो या मरो । माँ बोली देश को आजाद कराओ या मार में तो बस यही तो एकमात्र कार्यक्रम हमारे पास है और कुछ नहीं । ग्राम केशन पांच बढाने का बहस करने की मुद्रा में नहीं था । उसे तो बिहारी को मीटिंग की सूचना भरते नहीं थी तो जल्दी ही आइयेगा । उसने चलते हुए भी आए हैं । कहा कहाँ हूँ आपके घर पर मीटिंग है क्या? नहीं मेरे घर पर नहीं वारंटी हरनारायण सिंह है क्योंकि सबके यहाँ तैयारी को आश्चर्य हुआ । वो तो पेंशन होगी है । जिसकी रोटी सरकार की कृपा पर निर्भर हो । उसके यहाँ सुराजी मीटिंग बात को समझ में नहीं आती । ऐसा समझती हैं । बात वैसी है नहीं । डिप्टी साहबी स्वराज के पक्ष में है । वो भी आजादी चाहते हैं । यह बात दूसरी है कि वैसे इसके लिए कुछ भी करना सकें । ऍम बोला और दूसरी बात ये है कि उनके पास रेडियो रात में प्रसारित होने वाला लॉर्ड अमरीका भाषण भी हम सुन सकेंगे । हमने समझ लिया की है दूसरी बात की मुख्य बात है सीडी तक बढ जाने के बाद वो ऍम जब वो तो मैं काम कर दोगे क्या सर अपने दोस्त दानिश यहाँ चले जाओ और उसे भी मीटिंग को सूचना दे तो गांव तो मेरे मन का था । मेरी अच्छा एक समय जाने से मिलने की थी पर बिना माँ की आज्ञा के मैं कैसे जाता हूँ । मैंने रामकिशन को कुछ उत्तर नहीं दिया । केवल माँ की ओर देखने लगा । गांव केश उनको मेरी की व्यवस्था का अनुमान लग गया । उसने माँ से कहा इससे जाने दो भाभी मेरे कुछ काम हल्का हो जाएगा । मुझे भी और कई जगह जाना है क्या? रानी बहू क्या जाओगे? नहीं उन्हें रात को कष्ट देने से क्या फायदा जो कुछ निश्चित होगा सुबह जाकर बता दूंगा । रामकिशन और मैं दोनों साथ ही घर से निकले हूँ । डांस का दरवाजा खोला था पर मैं घर में था नहीं । सलमान सामने दिखाई पडी । उसने बताया कि अभी अभी ढाई जान बाहर गए हैं, केवल बनियान पहने हैं । लगता है मोहल्ले में ही नहीं है । मैं भी ठीक हूँ क्या अम्मी जान दिए की धुंधली रोशनी में दालान में बकरी हो रही थी । मुझे देखते जैसे चेहरे पर ही हूँ ऍम इस बात की मुबारक अम्मीजान आजादी की हमारी खुशियाँ एक साथ जैसे चला खाई हूँ । ॅ रहा था कि कल परसों में देश आजाद हो जाएगा । मैं जो भी रह गया पर मन बोल उठा । आजादी की लडाई में सादा चार कदम आगे रहने वाला यदि उसकी उपलब्धि का अनुमान भी कुछ आगे घरे तो इसमें आश्चर्य क्या? आजाद होने के बाद क्या होगा? नहीं जान मैंने यूँ ही मुस्कुराते हुए पहुँचा हूँ । हमारे हम अपने देश के खत्म अख्तार हो जाएंगे तो हम किसी के गुलाम नहीं रहेंगे । मैंने वो धन लगे में ही देखा । उनकी मुखमुद्रा कि प्रत्येक झुर्री से इस एक स्वप्न झांक रहा था । बोलती जा रही थीं । दानिस बता रहा था कि आजाद होते ही हमारे सारे मसले हल हो जाएंगे । गृह होना बंद कर दूध की बाल्टी लेकर उठी और मुझसे बोली बैठो ऍम! मैं वहीं एक मछिया पर बैठ गया । थोडी देर बाद आने से आया हूँ मैं मुझे देखते ही जोर से चिल्लाया । ऍम बारह बाद भाई । हमारा बाद खुशी से गले मिलते हुए उसने मुझे लगभग जमीन से उठा लिया । किस चीज के लिए मुबारकबाद? मैंने पूछा आजादी कर ली है उसके लिए तो लडाई अब शुरू हुई है । आजादी अभी मैंने का भरे । महात्मा गाँधी ने कह दिया है अब हर हिंदुस्तानी अपने को आजाद समझे दानिस गांधी जी को बहुत कम महात्मा कहता था । लगता है आज तो गांधी जी पर बहुत खुश था । फिर मैंने डिप्टी साहब के यहाँ मीटिंग की बात कही और बोला मुझे तो विश्वास नहीं था कि तुम घर पर में लोगे । ऐसा माहौल और तुम अपनी मांद में लौटाओ । ऐसा हो नहीं सकता हूँ । मैं ऐसा और वो भी हसने लगा हूँ क्या करूँ ही जाने की समय बकरीद होती हैं और इनकी शख्त हिदायत है कि होते ही तुम दो पी लिया करो । लिहाजा इस वक्त घर पर रहना लाजमी हो जाता है । आजकल बडा शौक मानने लगे अम्मीजान का मैंने हसते हुए कहाँ वक्त यही एक बार ये मानता है अपनी जान बोली और सब हमास पडे हूँ धान इसको खुशी थी कि उसकी एक समस्या हालत हो गई हूँ है रात में बीबीसी सुनना चाहता था पिछले अभी अभी घर से गया था । दारानगर के रामनंद जी के यहाँ पर कोरा लौटा है । मैं घर पर नहीं ये भी हो सकता है कि उन्होंने रहकर कहलवा दिया उसके घर पर नहीं क्योंकि वह पक्के सरकार व्यस्त आदमी थे फिर दान इस को बुलाकर खतरा मोल क्यों लेते? दो दूध का गिलास मुझे थमाते हुए मैं बोला हूँ । सभी नेता गिरफ्तार हो गए । मैं रोज जी को बम्बई के ग्वालिया तालाब के मैदान में झंडा फहराना था । पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर मैदान के चारों ओर पहला लगा दिया । कडी चेतावनी के बाद भी अरुणा आसफ अली ने झंडा फहरा दिया । उत्साह में चिडिया के तरह उसकी आवाज को लग रही थी अब हम सरकार की हिदायत क्यों माने? अब हम आजाद है । फिर मुख्तार है मेरा माॅस् के वाइफ रिया उत्साह का साथ नहीं दे सका । मुझे तो एक नया नाम मिल गया था अरुणा फॅमिली हूँ मेरा मस्तिष्क उसी में उलझ गया । ऍम मैंने पूछ लिया ये अरुणा आसफ अली कौन है? फॅमिली को नहीं जानते हैं उसे । मेरे सामान्यज्ञान पर आशा था । फिर भी उसने बताया एक महान नेता अरे नेता तो होंगी पर ये बताओ और ऍम जोर से हंस पडा उसकी हम ही मेरा मजाक उडा भी निकल गई । पर मेरी जिज्ञासा ज्यों की त्यों बनी रही । जब मैंने दूसरी बार जोड दिया तब उसने बताया हूँ और अजय अरुणा नाम है उनका और फॅमिली उनके पति का । अरुणा का पति फॅमिली ऍम कुछ समझ में नहीं आई । मैंने कहा हूँ तो हिन्दू मालूम होती है हर पति मुसलमान तो इसमें तुम्हें आश्चर्य क्या बोला हरे पगले स्वराज के वहाँ इतना कोई हिंदू रहेगा और ना मुसलमान? यह सारी फिरका परस्ती खत्म हो जाएगी । आदमी महज आदमी रह जाएगा तो हिन्दू मुसलमान में शादी होने लगेंगे । ऍर होंगे । कितना विश्वास था उसकी आवाज में मैं पसंद है । उसकी आस्था पर मुस्कुरा उठा । मैंने मुडकर देखा । सलमा बडे प्यार से मुझे देख रही थीं । पानी का एक झोंका परस्कार निकाल चुका था । फिर भी बडी गर्मी थी । हवा गुमसुम थी । इतने दराई के लोग इकट्ठा हो जाएंगे । मुझे कल्पना नहीं थी । जहाँ एक और गांधी जी की जो आपने जीवी और आजादी को एक सुखद सपना मानने वाला तो चंद्रशेखर सिंह ऐसे लोग अपस्थित थे । वहीं ऐसे भी लोग थे जिन्हें आजादी से कुछ लेना देना नहीं था । वो आजादी का सही मतलब भी नहीं जानते थे । पर गांधी जी को देवता या अवतारी पुरुष मानते थे । एक ओर दीवार से सटे हुए तो मेरे चाचा थे । हमें था तो दूसरी ओर चार चार बीडी एक साथ सुलगाए हुए भारी भरकम गोलमटोल सुबह साफ डिप्टी साहब की माॅक उस खचाखच भरे बैठक में औरत के नाम पर एक मात्र प्यारी थी, जो शांत और उस माहौल में दबी सभी हूँ । मैं बैठक के भीतर अभी जा नहीं पाया था । कई बार जहाँ कार्य मेरी दृष्टि ने डाल इसको खोजने की चेष्टा की तो वह दिखाई नहीं दिया । इसी बीच मुझे शीतल मिल गया । ऍम मीटिंग में आया हूँ । मैंने पूछा नहीं मैं मुस्कराया तब यहाँ कैसे अब यही नौकरी करता हूँ । उसने बताया तो टीम में नहीं जाते हैं नहीं तुम्हारी माँ भी काम करती है । नहीं । उस ने कहा बेहतर कोठी नहीं है तो वहाँ की बातें पहले ऐसा फिर उसने बताया कि उसी बंबई तमाशे के फेर में मुझे हटना पडा । पहले तो मैंने बंबईया तमाशे का मतलब नहीं समझा । जब उसने बताया कि मैंने तो मैं एक बार दिखाया था दरवाजे की दरार से । तब मुझे हंसी आ गई । उसका कहना था कि छोटे सरकार रोज बम्बैया तमाशा करता है तो कोई ना कोई औरत आती है उसके कमरे में यही दोपहर के दो तीन बजे के करीब ऍम रोज दरार में झाकते रहे हो । मैंने कहा वो है मुस्कराया और बातों के क्रम में ही उसने बताया कि उस दिन झांकते समय वहीं लाला वाली कालीमठ कि पीछे से गुजरी । उस ने देख लिया फिर क्या ऍम गडी महार पढी होगी । मैं बोला हूँ मारना पडता है तो क्या फाॅर्स नहीं लगा मुझे शीतल बडा अच्छा लगा उस की आप कितनी ऍम और निर्दोष थी । उसने ये भी बताया यहाँ बडा आराम है । मुझे कोठी छोडने का कोई दुख नहीं तो किसी बात का है कि अब मैं बम्बैया तमाशा देखने को नहीं मिलेगा । वो इतना कर है हसते हुए मुझसे लिपट गया वो मोहल्ले में ही रहकर तो मुझ से मिले नहीं । शीतल मैंने पूछा मिलने की इच्छा तो बहुत हुई थी । कई बार मैंने तो देखा भी पर बोला नहीं सोचा चाची मेरी माँ और चाची कहता था बिगडेंगी क्योंकि मैं एक बदचलन लडका हूँ भैया । तमाशा जो देखता हूँ वैसे रखने लगा उसकी निर्विकार हसी कह रही थी देखने वाला बदमाश और वह तमाशा करने वाला नहीं । कितनी विचित्र है ये दुनिया । तब तक कपडे का बहुत साथ बैठ लिए । दूसरे ॅ यहाँ खडे हो तो मेरे साथ और वह मुझे भीतर ले गया । सभा शुरू हो गई । ग्राम के शून्य आपात बैठक के कारणों पर प्रकाश डाला और कहा स्तिथि विशन हो चुकी है । सभी नेता गिरफ्तार हो चुके हैं, जो नहीं हुए हैं तो आज रात विराट हो जाएंगे । गांधी जी ने करो या मरो का मंत्र दिया है । पर हमारे पास कोई कार्यक्रम नहीं है । हम क्या करें? सुना है अच्छे पटा धर्म जी बनारस में हैं । हमने उनसे संपर्क करना चाहते हैं । पर अभी तक उन से मुलाकात नहीं हो पाई । उडती उडती खबर है कि गिरफ्तार होते समय जब ग्यारह लाल जी ने गांधीजी से जनता के लिए कोई संदेश मांगा तब विशेष कुछ नहीं बोले । केवल इतना कहा हूँ कल से लोग करो या मरो या बहुत बांध हैं और इसी मंत्र पर चले हम लोगों ने वैसे तो बनवा ली है । इसके बाद उसने दाने से लेकर बैच दिखाया । वो कुछ वहाँ में बांधने के थे तो छोटे थे और उन्हें आलपिन से कमीज पर लगाया जा सकता था । इनके अतिरिक्त कुछ तख्तियां भी लिख कर तैयार की गई थीं । उन्हें भी दाने से लेकर रामकिशुन नहीं दिखाया हूँ । जिन पर लिखा था करो या मरो । अब हम आजाद हैं, कोई भी ताकत हमें गुलाम नहीं रख सकती हूँ । अंग्रेजो भारत छोडो आदि आदि । इन पंक्तियों को देखते ही मुझे मजिस्ट्रेट के सामने किया गया प्रदर्शन याद आया । रामकृष्णन बोल रहा था वो कल हम लोग बैठ लेकर जाएंगे, उपवास रखेंगे और एक बडा जुलूस निकालकर नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे । तब तक कोई न कोई कार्यक्रम तो हमारे पास आई जाएगा । हर बातें तो मेरी समझ में आती है पर उपवास की बात मेरे बल्ले नहीं पडती । आखिर उपवास से आजादी का क्या तुम लोग दान इस बीच में ही बोल पडा । इसे समझने के लिए वो ही चाहिए हम । केशव ने मुस्कुराते हुए बताया । गांधीजी के उपवास सिद्धांत का दार्शनिक पक्ष भी है और राजनीतिक भी । जब हम कोई महत्वपूर्ण कार्य करते हैं तो वह रखते हैं । हमारे यहाँ विवाह आदि शुभ संस्कारों के समय भी योग उपवास रखते हैं । इस दृष्टि से आजादी की लडाई को भी हम शुभकर्म ही समझते हैं । इससे हमारा मन पवित्र होने के साथ ही दृढ भी होता है । दूसरी बात यह है कि इससे एक राजनीतिक माहौल बनता है वहाँ पर मेरा इसमें विश्वास नहीं डानिश ने बुलाने का तो हमारा विश्वास नहीं है तो तुम खाना खा लेना । तुम को मना कौन करता है वो है ये क्षेत्र ढंग से जो भारत साहब ने जहाँ बीडियों का एक साथ कष्ट खींचते हुए धुल के ढोल के ही कहा कि लोग हंस पडे । आप क्या समझते हैं कि मैं बेटे या खत्म हो । यदि खुद होता तो आप जैसा ही भारी भरकम शरीर लेकर मसलने पर ढोलका रहता । धानी उत्तेजित हो उठा हूँ । व्यक्ति का बात नहीं, व्यक्तिगत बाद नहीं कई आवाज एक साथ उभरीं डाल इसको जो करा दिया गया हूँ स्थिति को रामकृष्णन ने स्वयं संभाला । अनेक लोग गांधी जी की बहुत सी बातों में विश्वास नहीं करते फिर भी उन्हें मानते हैं क्योंकि मान लेने में उन्हें कोई हर्ज दिखाई नहीं देता हूँ । मेरा खयाल है कि दाने जी भी मेरी बात मानेंगे किंतु ईमानदार आदमी हैं । अपनी आत्मा की आवाज कभी दबाते नहीं हैं और जो उचित समझते हैं उसे निसंकोच भाव से क्या डालते हैं? इस समय वाले ही वह विरोध कर रहे हैं । पर कल जितनी ईमानदारी से वे उपवास करेंगे, उतनी ईमानदारी से शायद हम भी ना कर सके । टेनिस का अहम जरा सी खेल से उस कार उठता था और कुछ करते हैं । पिटारे में बंद हो जाता था । इस समय भी ऐसी स्थिति थी । अरे भाई, एक हीरो जाते रहना है हर एक मुझे राज क्या मैं तो सिद्धांत की बात कह रहा था उसकी इतना के ही लोगों ने तालियां बजाईं । लगभग सभी ने रामकेश उनके कार्यक्रम का समर्थन किया । पर सुबह भारत साहब ने ऐसे ही लेटे लेटे योतिषियों के अंदाज में कहा हो सकता है कल इन सब की आवश्यकता ही ना पडे क्यों कि प्रियंका हमीद की तरफ से उठाई गई हो । जो भारत साफ कुछ बोला नहीं केवल बिजली पीता रहा हूँ । जब लोगों ने कई बार पूछा और जोर दिया तब उसने अपने शरीर को बडा कष्ट देकर थोडा सा उठाया और तटीय का सहारा लेते हुए बोला पहले आप लोग लाॅरी का भाषण ऍम जाने में आजादी की घोषणा करें । यदि आजादी की घोषणा करनी होती तो नेतागण गिरफ्तार न किए जाते हैं । दानिश बोला ही बात है तो हो सकता है फॅमिली जाएँ हूँ । भारत साहब ने कहा हूँ अगर हम भी गिरफ्तार कर लिया जाएंगे तो भी आंदोलन चलता रहेगा । जहाँ किशन ने बताया शहर कांग्रेस कमेटी इसकी व्यवस्था कर रही है । शंकाएं उठती रही, बहस चलती रही पर स्पष्ट तस्वीर किसी के सामने नहीं थीं । लोग अंधेरे वही आठ पाप मार रहे थे । लोग पसीने से तरबतर थे । धर्म से लडता बिजली का एक बडा पंखा चल रहा था । फिर भी पसीना शोक नहीं पा रहा था तो परेशान थे आप चिरप्रतीक्षित घडी आप पहुंची । इतनी साहब ने पहले से ही बीबीसी पर रेडियो की स्वीटी कर रखी थी । उन्होंने ही बताया कि अब लॉर्ड एंब्री बोलने वाले हैं । फिर एक गहराई आवाज में विलायती अंग्रेजी सुनाई पडा भरे के कान उधर लग गए पर शायद ही कोई उसे समझ रहा हूँ । मैं भी बडे गौर से सुन रहा था । इंडिया, गांधी रेवॉल्यूशन, रेल, टेलीफोन, डू और डाई आदि शब्दों के अतिरिक्त मेरे पल्ले कुछ नहीं पडा । तब भला सो मेरे चाचा या बिहारी आदि लोग यहाँ समझ पा रही हूँ । फिर भी उनकी मुख्य मुद्रा से लग रहा था मानव कोई बहुत बडी बात सुना रहे हैं । रेडियो के एकदम निकट कान लगाएँ । डिप्टी हरनारायण सिंह वो सुनते हुए कागज पर नोट करते जा रहे थे । हम लोगों ने तभी समझ लिया था कि एंटर मैं भाषण का सारा दिन सुनाएंगे और उन्होंने सुनाया भी अमरीका भाषण समाप्त होते ही रेडियो बंद कर दिया गया । निफ्टी साहब बडी गंभीरता से बोलने लगे । पहली बात तो आप लोग ये समझ लीजिए की सरकार आपको आजादी देने नहीं जा रही है । फॅमिली का कहना है कि सरकार इन नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए विपक्ष हो गई थी क्योंकि गांधी जी के नेतृत्व में इन लोगों ने बगावत की योजना बनाई थी । अगर दिन गिरफ्तार न किया जाता तो देश में अराजकता फैल जाती हूँ । इन लोगों की योजना थी कि रेल रोक लोग संचार माध्यमों को नष्ट कर दो । टेलीफोन के तार उखाड दो सरकारी संपत्तियों को नष्ट डालू पुलिस स्टेशनों पर कब्जा कर डालो । सरकारी भवन पर यूनियन जाए घटाकर तिरंगा फहरा तो कितना रहेगा । डिप्टी साहब फिर अपना नहीं पडता है । एक घंटे के लिए शांति और गहरी हो गई । उसके बाद लौट साहब के भाषण का अधिकांश अन्य कांग्रेस और गांधी जी की आलोचना का है । तो पिसा बोले उन का कहना है कि जब देश पर दुश्मन मंडरा रहे हैं ब्रिटिश साम्राज्य संकट में तक इस तरह जनता को भडकाकर गांधी जी ने अच्छा नहीं किया बल्कि हमारे विश्वास की पीठ में छुरा होता है । फिर भी हम भारतीय जनता के साथ विश्वासघात नहीं कर रहे हैं । मैं शांति और धैर्य से काम लें । उनके नेता बडे आराम से रखे गए खानी पड बनाया वो विश्वासघात के सिवा । इन कमीनों ने हमारे देश और हमारे साथ क्या क्या है? पिछले युद्ध में हमारे साथ विश्वासघात नहीं किया । पिछले विश्वविद् की बात छोडो अब आगे की सोचो । डिप्टी साहब बोले उनकी उम्र तो अधिक भी साथ ही उनका व्यक्तित्व ऐसा गंभीर था कि दानिश ऐसा व्यक्ति भी उनके मूड नहीं लगता था । सभी उनकी इज्जत करते थे । लोगों ने उन्हीं से पूछा अब आप ही बताइए कि हम क्या करें? डिप्टी साहब और अधिक गंभीर हुए हैं । उनकी मुखमुद्रा पर कुछ आडी तिरछी रेखाएं बनी, फिर कुछ रुक रुककर असमंजस के स्वर्ग में बोलने लगे भाई क्या कहा जाए गांधी जी ने कोई कार्यक्रम दिया नहीं । कांग्रेस ने कोई कार्यक्रम दिया नहीं तो केवल भारत छोडो प्रस्ताव पर पास कर सकें । पर लॉर्ड एमरी के भाषण से लगता है कि कांग्रेस के पास कोई कार्यक्रम था । इतना कहकर डिप्टी साहब चुप हो गए । सब बडी उत्सुकता से उन की ओर देखते रहे गए । लगा की किसी रास्ते की ओर अवश्य संकेत दे रहे हैं । आज डिप्टी साहब काफी असमंजस में दिखाई थी । तब रामकिशोर नहीं पूछा हूँ आप किस कार्यक्रम की चर्चा कर रहे थे वो अरे लॉर्ड मैंने कहा ना कि कांग्रेस ने सरकारी भवनों पर कब्जा करना रेल की पटरियां उखाडने, दारवा टेलीफोन अधिक और ठप करने की योजना बनाई थीं । साथ ही डिप्टी साहब ने ये भी कहा इस कार्यक्रम में मेरा विश्वास नहीं होता । गांधी जी कभी ऐसा विदेश माता कार्यक्रम नहीं दे सकते हैं । क्या किसी को मेरी बात हो सकता था कि गांधीजी करो या मरो का भी मंतर देख सकते हैं । वो बडी आजाद के साथ दानिश बहुलावन बताया तो आप गांधी बदल चुका है । वह सुभाष बाबू के रास्ते पर आ रहा है । डिप्टी साहब को हाथ आ गईं । टन इसकी अगले बता पर नहीं तो हर उसके सुभाष प्रेम पाॅइंट में यही तय हुआ कि अभिनेता तो कोई नहीं है जो है भी वो कल तक आवश्यक गिरफ्तार हो जाएंगे । तब क्यों नहीं आंदोलन विद्यार्थियों को सौंप दिया जाए । उन्हीं को लॉर्ड अमरीका दिया हुआ कार्यक्रम दे दिया जाए और कहा जाएगी आप देश तुम्हारे ही हाथों में है तो सभी इसी निष्कर्ष पर समाप्त हुई हूँ । सभा किसी निष्कर्ष पर समाप्त हुई । लोगों की प्रतीक्षा थी । कॅश कौनसी आग लेकर पैदा होगा? पटाने बडे उत्साह था । डिप्टी साहब की बैठक से निकलते नहीं करते । वे हमेशा से टकरा गया हूँ । एक हमें हुआ अब हम लोग आजाद हो रहे हैं, अब तो क्या करेगा तेरे साथ में भी आजाद हो जाएगा । बर करेगा क्या? बेड कैसे चलेगा? आजाद हिंदुस्तान में कोई भूखा नहीं रहेगा । अमीर बोला और आजाद हिंदुस्तान में कोई पुलिस का दलाल भी नहीं रहेगा । डान इसने हमीद के स्वर में स्वर मिलाया और हसने लगा मैं अपनी गली की ओर मुड कर बीरू के चबूतरे तक आ गया । अचानक मेरी बगल में एक परिचित व्यक्ति आया और जो माल दिखाकर बोला हूँ कि तुम्हारा तो नहीं रहे नहीं दवा बता सकते, ये किसका है? लगता तो किसी वाले आदमी का है । ऍम तेज दिमाग के लडके का हो । जो मीटिंग में फॅमिली कराया था हूँ पहुँचता उसका संकेत धान इस की ओर था । ये आदमी भी डिप्टी साहब की बैठक में चुपचाप बैठा था हूँ । इस समय मेरे पीछे क्यों लग गया? बात कुछ समझ में नहीं आती हूँ और फिर कुछ विकसित ढंग से बातें करने लगा । जब तुम्हारे ऐसे बच्चे भी आंदोलन में भाग लेने लगे तब ये देश गुलाम नहीं रहेगा । राम किशोर जी बोलते अच्छा आएँ । निश्चित भविष्य के बहुत बडे नेता होंगे और मैं लडका डानी देश में जाने का मालूम होता है । लगता है क्रांतिकारी है ऍम दाने दाने इसका अर्थ होता है समझ सचमुच बडा समझदार है । लगता है कल वही नेता तो करेगा । कल कुछ होगा जरूर और होना भी चाहिए । बडा अच्छा लडका हूँ उसका घर तो तुम लोग जानते ही होगी पर मैं कुछ नहीं बोला हूँ । आॅडीशन भी तो रहते हैं । लगता है आप इस मामले में नहीं आए हैं । अब थोडा घबराया हूँ । मैंने कहा मैं भी आपको पहले पहले देख चुका हूँ हमारा मतलब मतलब यही की इस्तेमाल की तरह मैं भी आपको पहले पहले ही देख चुका हूँ । जोर से हंसा शायद मेरी सजगता को मैं उडा देना चाहता था । इतने में हामीद सिगरेट जलता हुआ पीछे से आ गया । उसने एक्सॅन व्यक्ति को थमाई और दूसरे से खास खींचते हुए बोला वो तो इतनी देर तक बिना सिगरेट के मीटिंग में बैठ रहा था । सिर में दर्द होने लगा । मैं भी कुछ ऐसा ही अनुभव कर रहा था । वहीं परिचित व्यक्ति ने कहा और लगातार कई काॅल खरीद के आने के बाद मेरा आगे बढना हो गया था । हम तीनों वही खडे रहे । अच्छा अब जाए तो पार्टी जी मैं तो हूँ ही । अमीर दो लाख और वे आदमी जो माल को अपनी जेब के हवाले करता हुआ बिना कुछ कहे सुने चलता बना, वो जब तक मैं जाता दिखाई देता रहा हम लोग तो क्या खडे रहे । गली से मूड जाने के बाद मैंने हमेशा से पूछा तो कैसे जानते हो मैं तो इसे जानता ही हूँ तो मैं से जानते हो या नहीं नहीं ये सीआईडी है हरी लाल त्रिपाठी धन ईद ने बताया हूँ । बडा ही शातिर और सरकार ऍम हूँ । मुझे की बात सही लग गया था । मैंने कहा तो मैं उसे कुछ बताया तो नहीं नहीं मेरे पास बताने को धाबी क्या कोई बातचीत तो है नहीं है । दानिश और रामकृष्णन चाचा का घर पूछ रहा था । अरे वहाँ राम ज्यादा सबका घर जानता होगा । तुम्हारी था ले रहा था, मेरा था ले रहा था हूँ । मैं कभी दिखाई देगा तो मैं उसके मोबाइल ही उसे जलील करूंगा । नहीं नहीं ऐसा मत करना । नहीं तो यही समझेगा की हम इतने ही मेरा भेद खोल दिया । हमीद बोला उससे हमेशा होशियार रहना हमें नहीं बताया । इस समय मैं ऑफिस गया होगा और मीटिंग की सारी रिपोर्ट देगा । हम लोग बातें करते गली के अगले मॉल पर आए थे और मेरे चाचा की दुकान पर भेड दिखाई थी । जरूर कोई बात है । मेरा मन बोला था । लगता है कि वहाँ भी कुछ ऐसी वैसी है । हमीद बोला कुछ आगे जाने पर उसकी आवाज स्पष्ट हूँ । मेरे तो चंद्र ऍफ सब साफ सुनाई पड रहा था । अरे तो मेरे भैया याद है उस पहली रात को मैं तुम्हारे यहाँ क्या करने आया था । वो मेरे चाचा चौक था हूँ । अरे बोलते क्यों नहीं की? मिट्टी का तेल मांगने आया था दूसरे का घर रोकने के लिए और दूसरी बार भी मिट्टी का तेल ही मांगने आया था तुम्हारा घर फूंक के लिए और मेरे भैया आज भी मिट्टी का डेली मांगने आया हूँ खुद को फोन करने के लिए । इसके बाद उसकी आवाज नाम हो गई हूँ । अब मेरे आगे पीछे कौन रह गया है जो मुझे तो करेगा । इसके आगे पीछे इतने लोग थे वो सुमेरु भी आखिर सच्चाई फेंका जा रहा था । इतना कहते कहते उसका गला भराया । हम दोनों दूर पर ही खडे होकर सुन रहे थे । मेरे मुँह से निकला लगता है पी कर आया है वही मैं भी दूसरे गौर से सुनना लगा था । फिर ऍसे बोला वो पश्चाताप में खुद एक नशा होता है । जब वो इस नशे में जब आदमी डूबता है तब उसे उसके को करते, ॅ बनकर खाने को दौडते तो तब आदमी अपने परिंग खींचता है, चिल्लाता है होता है मैं देख रहा था चंद्र होने लगा था इतना क्या सुबह और लाला के लिए और अंत में उसकी लाश को भी पहचानने से इंकार कर दिया उसने । आदमी कितना खुदगर्ज जैसे मेरे भैया! अब मैं समझ रहा हूँ ऍम समय कोई साथ नहीं जाता तो केवल अपना धर्म करा नहीं साथ रह जाता है । पर मेरे पास धर्म कर्म के नाम पर क्या है? भारत खाली का खाली वो भी अनेक बातों से रंगा हुआ हूँ जो बडे ऍम है थे । चंद्र को कोई कुछ बोल नहीं रहा था । उन्हें विश्वास नहीं था की है उसका पश्चाताप भैया नाटक है क्योंकि चंद्र की जो तस्वीर लोगों के मनों में बैठी हुई थी ये चंद्र उससे बिलकुल भिन्न दिखाई दे रहा था । ऍम इसीलिए अविश्वस्त भी था किंतु हमे कुछ और जानता था । उसने बताया कि सुमेरू के साथ किए गए लाला के व्यवहार से जान डर बडा दुखी हुआ था और प्रोजेक्ट थी उसने इतना बडा पत्थर उठा लिया था । हालांकि को मारने के लिए की क्या बताऊँ यह तो कहो कि बहुत से लोगों ने उसे पकड लिया । यदि है उसे पटक देता तो लाल टाइम हो जाता हूँ । ऍम के लोगों ने उसे मारा नहीं । मैंने पूछा किसकी हिम्मत जो वहाँ चलता क्या? चंद्र किसी से कमजोर है? हमीद बोला हूँ । अरे हजार गाली उसमें सुनाई लाला को पर लाला एक्चुली हजार जो लाला की ही वजह से तो छोटा सा बना घूमता है वरना जेल से भाग जाएँ । अब तक पुलिस पकडकर बंद कर देती हूँ । यह तो है ही है । हम ही बोला पर लाला का सारा कारोबार में तो चंद्र ऐसे लोगों की बदौलत चलता है । फिर लाला कि राई रत्ती भी जानता है, उससे नाराज कर रहे । कितने दिन चल सकता है । लाला के बिना ना चंद्र रह सकता है और न चंद्र के बिना लाला फिर भी कई समय बिल्कुल नाराज है । लगता है अब उसका लाला से कोई वास्ता नहीं रहा हूँ । आप भी अपने कर्मों के घेरे में ही कहता जाता है । एक के बाद एक है उस की ख्याति के धन पर । जब भी देख रहे नहीं यदि मैं सत्कर्म हुए तो उसकी सुबह से सारा समाज में हैं, कटता है । यदि वे दुष्कर्म हुए तो एक ना एक दिन व्यक्ति को अपनी ही गंजू आशाहीन हो जाती है । सारी तहों को नोचकर देख देना चाहता था और तब तक में इतनी दर्द हो जाती है कि उनके शरण को आंखों से बहने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं रह जाता हूँ । इस समय सच मुझे चंद्र की आंखों से उसका बाप भी बढ रहा था और पश्चाताप में डूबते हुए कोई ऐसा नहीं था जो हाथ पर कल घरों से उबर सकता हूँ । ॅ सहारे के लिए भी वृद्धावस् कर रहे गया

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इस उपन्यास में जिस कालखंड की चर्चा है, वह आजादी के पहले का है। उस समय देश के क्षितिज पर आजादी के बदल छाए हुए थे, देश भर में जुलूस और सभाओं का माहौल था writer: मनु शर्मा Voiceover Artist : Mohil Author : Manu Sharma
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