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भाग छत्तीस बीच शाम खाना खाने के बाद अगर और तो मैडम चुपके से बाहर चाय पीने निकले थे तो मैडम ने अचानक कह दिया कि आज तो उनका आइसक्रीम खाने का मन भी कर रहा हूँ । बाकी और को सोने ऍम लगा क्योंकि थोडी देर पहले ही चाय पी थी लेकिन मैडम का मन था फिर कैसे कुछ बोला जा सकता था । क्योंकि मोटापा मुक्ति शिविर का ये मैदान शहर से बाहर एक कोने में था इसलिए ज्यादा गाडियां कोई दूसरा साधन देख नहीं रहा था । दोनों ने सोचा था कि अब छोड देते हैं । तभी ऋतु मैडम की नजर उस खाली ढीले पर गई जिससे टिक्कर बकुल खडा था की वह ढेला वहाँ से ऐसे ही खडा है । किसी जंजीर या तले से बढा भी नहीं है और ना ही थोडी देर में कोई उसके आस पास आता दिखा । एक अजीब बात करूँ क्या हमें ठेले से नहीं जा सकते । आकर फिर सही सही है पर रख देंगे तो मैडम ने कहा बस मैडम के बोलने की देरी थी की ऋतु ने की बक करने अगले ही पल खेले को आगे बढा लिया । ऍम भी उत्साह में फौरन दे लेंगे । ऊपर चढ गई और बाकी चलाने लगा । ऋतु मैडम खेले के ऊपर बहुत मस्ती और शोर कर रही थी । बकौल ठेले को धक्का लगा रहा था । धीरे धीरे धीरे तो मैडम के साथ ऊर्जा में आ गया था और जो भी रास्ते में आता राष्ट्रीय भर चलार आधा साइड साइड थोडी आगे बढते बढते वह बडा गणपति मंदिर तक पहुंचे । बहुरने सिर झुकाकर प्रणाम किया और मस्ती में जोर से जयगणेश की आवाज लगाई । ढेला धकाते धकाते सर्राफा पहुंचकर आइसक्रीम खाएंगे और फिर से वैसे ही मस्ती करते हुए लौट जाते हैं । बस कुर्ने इतने दिनों में इतनी कसरत नहीं की होगी जितना आज उसने ढेला ढक आया था । शिविर के खत्म होने के एक दिन पहले एक अजीबो गरीब दौड प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । पचास मीटर का दौड था जिसे मेढा की तरह बैठ कर और फिर खडे होकर उछल उछल कर बाहर करना था जो कि शरीर के लिए भी कसरत की तरह थी । पर प्रतियोगिता भी और प्रतियोगिता जीतने वाले को शिविर की तरफ से दो हजार के नाम की राशि तय की गई थी । पांच राउंड रखे गए थे जो जो जीता उसे अगले राउंड के लिए भेजते जाते हैं । ऐसे पांच राउंड हो चुके थे और हर राउंड में से एक विजेता निकला था तो पांच लोग थे जिसमें एक बार कर एक जीतते एक नीतू आंटी और दो शिविर के लोग थे । ऋतु मैडम हारकर साइड में खडी थी और वे बखपुर का नाम लेकर उसका बाहर बार उत्साह बढा रही थी । लेकिन सब इन पांच लोगों में सबसे बडी महिला नीतू आंटी को देखकर आश्चर्यचकित थे । सीटी बजने के साथ प्रतियोगिता चालू हो चुकी थी और सब मेरा की तरह उछल रहे थे । मेढकों में सबसे देश जीते उछल रहा था और तेजी से आगे बढ रहा था और बाकी के दो लोग भी बराबर की टक्कर में थे । सब लोग आधे रास्ते तक थक चुके थे और बिल्कुल उछलकर आगे जाते नहीं बन रहा था । जीते जैसे तैसे धीरे धीरे उछल रहा था लेकिन बाकी सब वहीं बैठ गए थे । नहीं तो आंटी थोडी पीछे थी तो दो तीन बार और उछल कर बंद कर के पास आकर बैठ गई और फिर किसी से आगे बढते नहीं बना और जीते जीत की लाइन तक पहुंचा और वहीं पहुंचने ही थकान के मारे वहीं लाइन पर हो गया । सब की पैरों में भयानक दर्द था । सब महसूस कर रहे थे क्या तो बस कोई कंधे पर उठाकर ले जायेंगे । ये सब कुछ सुबह हुआ था और दिन में सब थकान के मारे सोई । शाम को करीब चार बजे ब कुर्ने जीते को चिट्ठी दी और जीतेने वो चिट्ठी कमरे में बाहर खडी नहीं तू आंटी के हाथ में दे दी थी और नीतू आंटी ने दूर से बकुल को देखा और शरमाई तब जाकर बागौर को सारा के साथ समझ आया । लेकिन अब इस बात पर ध्यान देने से ज्यादा बडी बात ये थी कि है शाम शिविर की आखिरी शाम है । कल सुबह सभी लोगों को जाना है । शिविर के पंद्रह दिन पूरे हो चुके थे । शाम को शिविर के गुरु जी के भाषण के बाद उनकी समझाई थी कि जैसे पंद्रह दिनों तक यहाँ रहे हो ऍम और खानपान के साथ कोशिश करना । अगले तीन महीने भी इसी तरह ही इन्हें चीज के साथ तो ज्यादा फिर होंगे सब और सबको मशीन पर खडा करके वजन चेक कराया गया तो औसतन सबका वजन दो से तीन किलो कम हुआ था । सब बहुत खुश हैं । इसीलिए आखिरी आखिरी में गानों पर नाचनेवाली कसरत को पंद्रह बीस मिनट के लिए दोहराया गया और सभी लोगों ने खुशी में उसका सरहद को बहुत अच्छे से किया और पहले दिन की तुलना में आज सब की कमर और शरीर में ज्यादा लचक और बदलाव था । उसके बाद सब अपने अपने कमरे में जाकर बैठ बाय करने लगे थे क्योंकि सुबह सात बजे सबको धर्मशाला छोडने का आदेश था । इतने दिनों में आप पाकुर और ऋतु मैडम के रास्ते पहले की तुलना में काफी अलग थे आप अगर में मैं पहले दिन वाला डाॅ तू मैडम के प्रति नहीं था क्योंकि उन्होंने काफी समय साथ में बताया था । ठाकुर ने अपनी जिंदगी के वर्षों में यानी तीन सौ बहत्तर महीनों में और करोड छिहत्तर लाख सोलह हजार सेकंड में ऋतु मैडम ऐसी पहली लडकी होंगी जिसके साथ ब कुर्ने इतनी बात की या यूं कह लो कि लडकियों से बात करने का सबसे पहला एहसास ऋतु मैडम नहीं चलाया था । नहीं तो इस बात पर भरोसा नहीं था कि वे कैसे ऋतु ऍम कितने दिन बाद कर गया क्योंकि ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं हुआ था । ये उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत बात थी । पर कहते हैं कि आप के मन में अगर कोई चारा अधूरी रह जाती है तो है जिंदगी में का विलय का भी एक बार फिर से आपके पास लौटकर जरूर आती है । फॅार की शायद रही चाहती
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