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डॉक्टर के जाने के बाद चांदीराम ने कहा, चेंज मैं तुम्हारी ईमानदारी पर बात पसंद था । मैंने देखा डॉक्टर ने तुमसे भाग निकलने का इशारा किया था, पर तुम ऐसा करने से इंकार कर दिया । तुमने अपने बच्चन का पालन करके मेरा मन जीत लिया है । देखो, अब हमें घर जाने की तलाश में निकलना है । तुम को इस बात का ध्यान रखना होगा कि तुम हमेशा बिल्कुल मेरे पांच रहूँ । उस हालत में हम दोनों एक दूसरे को बचाने में सफल हो सकते हैं । उसी समय भीतर से एक व्यक्ति ने हमें पुकारते हुए कहा, नाश्ता तैयार है । उन्होंने एक पशु को बोलने के लिए एक बडा सा लाओ चला रखा था जिसके तहत क्या अगर लपटों से वातावरण बहुत कम हो गया था । उन लोगों ने इतना सारा खाना तैयार कर लिया था कि भरपेट खाने के बाद भी काफी सामान ऍम उन्हें कल की तो चिंता ही नहीं । मैंने अपने जीवन में इतने लापरवाह लोग आज से पहले कभी नहीं देखे थे । प्यास लगने पर हुआ खोदने वाली कहावत उन लोगों पर लागू होती थी । उनकी आदतों को देखकर मुझे लगा कि ये लोग ज्यादा दिनों तक किस्त आप कठिनाई को नहीं झेल पाएंगे । चांदीराम ने भी उनको इस प्रकार की लापरवाही के लिए कभी नहीं तो का था । उसके जैसा चतुर व्यक्ति उन्हें खाना इस प्रकार नष्ट करने से ना तो की इसको मुझे आश्चर्य हो रहा था । स्वयं खाते हुए और अपने कंधे पर बैठे तोते को खिलाते हुए चांदीराम कहने लगा, प्यारे साथियों, एक बार खजाना हाथ लग जाए तो फिर हमें नौकाओं की तलाश में जुट ना होगा । हजार तो आवाज मिल जाएगा । उसके सारे तुम सब मालामाल भी हो जाओगे । जब तक खजाना नहीं मिलता तब तक हमारा ये बंधक भी हमारे कब्जे में रहेगा । यदि यह मैं जहाज का पता बता देता है तो हम इसे भी अपने साथ सुरक्षित वापस ले चलेंगे और खजाने में इसका हिस्सा भी इसको देंगे । चांदीराम और उसके साथ ही इस समय बहुत प्रसन्न और उत्साहित थे परन्तु मैं पूरी तरह से परेशान था । मुझे बहुत डर लग रहा था । मुझे विश्वास था कि खजाना प्राप्त करने के बाद ये लोग कुछ भी कर सकते हैं । ये सब पहुंच हट्टे कट्टे और मजबूत व्यक्ति थे और उनके मुकाबले हम केवल दो चांदीराम की टांग भी नहीं और मैं तो भी बच्चा ही था । शायद ही कारण था कि चांदीराम मुझ पर भरोसा कर रहा था । पर साथ ही डॉक्टर को भी उसने अपना दोस्त बना कर रखा हुआ था । एक बात मेरी अभी तक समझ में नहीं आ रही थी कि डॉक्टरों जमींदार किस कारण से लकडी का किला और खजाने का नक्शा इन लोगों को सौंप देने के लिए तैयार हो गए । हम लोगों का हुलिया अब तक बहुत विचित्र सा हो चुका था । सबके कपडे बेहद गंदे हो चुके थे । लेकिन सब के सब हथियारों से लैस चांदीराम के कंधों पर दो बंदूकें लटक रही थी और कमर में उसने एक चाकू और एक पिस्तौल खोंस की थी । मेरी कमर में चांदीराम ने एक रस्सी लपेट दी थी और रस्सी का दूसरा सीधा उसके हाथ में था । मैं मदारी के इशारों पर नाचने को विवश छोटे भालू की तरह दिखाई दे रहा था । उन पांच लोगों ने हथियारों के अलावा पाउडेड और बिल से भी ले रखे थे । मैंने अनुभव किया कि किले में खाने पीने का जितना भी सामान था, वह इन लोगों ने अपने पास रख लिया था । मैं सोचने लगा कि मेरे वे साथी कैसे रह रहे होंगे? उन्हें खाने पीने का सामान कहाँ मिल रहा होगा? इस टापू पर उन्हें अपनी भूख शांत करने के लिए क्या मिल सकता है । मैं इन्हीं विचारों में खोया हुआ था कि चांदीराम ने खजाने की खोज में कूच का आदेश दिया । सब बडे उत्साह के साथ नक्शे के सहारे आगे बडने लगे । रास्ते में नक्शे को लेकर उन लोगों में कुछ देर तक बहस भी होती रही । नक्शे में खजाने के मार्ग की मुख्य पहचान के रूप में जिस लम्बे वृक्ष का उल्लेख था, अब हम वहाँ पहुंच गए थे । हमारे सामने ही बहुत पहाडी थी जिसे दूरबीन पहाडी के नाम से जाना जाता था । हम आप पहाडी के ऊपर चल रहे थे । पहाडी पर चीड के लम्बे लम्बे पेड खडे थे । उनके बीच में जगह जगह किसी अन्य प्रजाति के उनसे भी चालीस पचास फुट ज्यादा लंबे वृक्ष नजर आ रहे थे । इन लम्बे वृक्ष का उल्लेख नक्शे में था । बीच में हमें घनी झाडियों से गुजरना पडा । उस रास्ते को पार करने में बडी कठिनाई आ रही थी और हम लोगों की चाल बहुत धीमी पड गई थी । रास्ता पथरीला होने के कारण चोट लगने का भी डर था लेकिन कुछ देर बाद हम ऐसे स्थान पर पहुंच गए जहां झाडियां कम करनी थी । ये सुगंधित फूलों वाली झाडी या नहीं । खुशबू के झोंको ने हमारे मन मस्तिष्क में ताजगी भर दी । नीचे धरती पर होगी कोई खास भी पैरों को अच्छी लग रही थी । जब हमारी पार्टी दहलान पर उतरने लगी तो चांदीराम ने मेरा हाथ पकड लिया और सहारा देकर मुझे आगे ले जाने लगा । कई बार मैंने भी चांदीराम को सहारा दिया वरना उसकी लकडी की टांग फिसल सकती थी और वह मुंह के बल गिर सकता था । लगभग आधा मील किसी तरह चलने के बाद हम लोग खजाने वाली पार्टी पर चढने लगे । एक व्यक्ति हम सबसे आगे चल रहा था । इकाई को जोर से जी का ऐसा लगा । वह डर के कारण ठीक रहा । लगातार चिखता जा रहा था । उसकी चीखें सुनकर बाकी के लोग भी तेजी के साथ उसकी और थोडे जब हम लोग उसके पास पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर हमें भी झटका लगा । चीड के बडे वृक्ष के पास एक मनुष्य का अस्थिपंजर पडा हुआ था । उसमें पुराने कपडों के चीथडे जून रहे थे । पल भर के लिए हम सबके रोंगटे खडे हो गए । एक व्यक्ति ने बताया ये अस्थि पिंजर किसी नाविक का लगता है । जी थोडे से पता चलता है कि ये किसी नाविक की महंगी पोशाक रही होगी । चांदीराम ने उस अस्थि पिंजर की कुछ नजदीक पहुंचकर उसे ध्यान से देखा । उस पिंजर के पैर एक निश्चित दिशा की और संकेत कर रहे थे । उसके हाथ उसके सिल्की और उठे हुए थे जो विपरीत दिशा की ओर संकेत कर रहे थे । चांदीराम नहीं कुतुबनुमा निकालकर उस क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद कहा यह सस्ती पंजाब निश्चित दिशा की और संकेत करने के लिए एक निशानी के रूप में छोडा गया है । मुझे लगता है फुलवाडा कुछ नहीं । यहाँ नजारा छुपाने के बाद अपने एक साथी को मार क्रिया डाल दिया ताकि उसके अस्थि पिंजर को छुपे हुए खजाने की दिशा का पता बताने के लिए एक निशानी के रूप में इस्तेमाल किया जा सके । इसके लम्बी लम्बी हड्डियाँ और पूरे वालों से तो यही लगता है जीएसटी पिंजर अल्लादीन का होना चाहिए । एक व्यक्ति ने तुरंत चांदीराम की बात पर हामी भरते हुए कहा, आप ठीक कह रहे हैं, मैं अलादीन को अच्छी तरह से जानता हूँ, लाश उसी की है । अलादीन ने मुझे कुछ रुपये भी उधार ले रखे थे । ये मेरा चाकू भी अपने साथ ले गया था । दूसरे ने कहा अगर ऐसा है तो उसका चाकू अलादीन के पिक्चर के पास होना चाहिए । क्योंकि फुलवार डाकू का नियम था कि वह जिस किसी का काम करता उसका व्यक्ति के सामान उसके पास ही छोड दिया करता था । चांदीराम ने उस व्यक्ति की राय से सहमती व्यक्त करते होता है तुम ही कह रहा हूँ फूलवा किसी का सामान नहीं लिया करता था छोडो बातों को यह व्यक्ति मर चुका है । ज्यादा आगे बढो कैलाश तुम्हारा पीछा करने से रही । हम लोग उस अस्थि पिंजर को वहीं छोडकर आगे बढने लगे लेकिन सबके मन में एक भाई समझ आ गया ।
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