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Part 31 in Hindi

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AuthorAditya Bajpai
लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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उधर सुचित्रा का विवाह ही मंत्री जी ने आगरा के राजघराने के कुलदीपक राजनीति में सक्रिय गवर्नर साहब के सुपुत्र चैतन्य कुमार है संग कर दिया । इंडियन पुलिस सर्विसेज में चैतन्य कुमार ने इसी वर्ष प्रथम स्थान प्राप्त किया था । कुछ समय बाद उसके एक पुत्र सचिन भी हो गया । सुचित्रा ने जीवन में पूरा सामंजस्य बना रखा था हूँ । मैं ग्रहस्थी की समस्त जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी अध्ययन के लिए समय निकाल ही रही थी । एक दिन अकस्मात वर्तमान भारतीय समस्याएँ विषय रचना पढकर द्रवित हो गई हूँ । उसमें इस प्रकार लिखा था गौरीपुर में बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदा के अलावा मानव निर्मित आपदाएं भी देश को झकझोर रही थीं । भारतीय गणतंत्र के विशाल ढांचे को खोखला करने वाले राष्ट्रविरोधी शक्तियां सक्रिय हो रही थीं । प्राकृतिक संपदा से संपन्न देश भारत का शाॅ विकसित राष्ट्र में तब्दील होना ही नहीं आ रहा था । इन देशद्रोहियों ने स्थिरता उत्पन्न कर अशांति फैलाने हैं तो लक्ष्य बनाया भारत के प्राकृतिक संसाधानों से समृद्ध आदिवासी अंचलों को । भारत में आदिवासियों की संख्या छोटी मोटी नहीं थे, बल्कि लगभग आठ करोड आदिवासी थे अर्थात देश की कुल आबादी का आठ प्रतिशत । कुछ राज्यों के कुल भूभाग में से चौवालीस प्रतिशत वन छह था और वहीं अधिकतम आदिवासी बस्ती रही थी । सम्भवता या देश का सबसे बडा आदिवासी इलाका था इसलिए इस क्षेत्र को चुना इन्होंने सुदूर शांत संचलन होने के कारण प्रारम्भ में यहाँ मीलों तक प्रशासनिक अमला नहीं रहा हूँ । देशद्रोहियों के साथ मिलकर चीन पाक गठजोड ने इसी निर्वाचन शून्य स्थिति का फायदा उठाया और वहाँ भारत विरोधी वैकल्पिक प्रशासनिक व्यवस्था खडी कर लेंगे । ये ताकतें भारत के विरुद्ध हिन्दुस्तानियों का ही सफलतापूर्वक उपयोग कर रही थी । इस क्षेत्र में चीन की मुझसे तुंग से प्रभावित विचारधारा सत्ता बन्दूक की नली से नहीं करती है या सुनियोजित तरीके से प्रचार किया गया है । व्यापक हिंसक आंदोलन हुए हैं इसलिए इस संघर्ष का नाम पडा नक्सलवाद । गत वर्षों में बारह प्रदेशों के डेढ सौ जिलों में नक्सलवादी फैल गए । उन्होंने बिहार, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ, आंध्र प्रदेश होते हुए कर्नाटक तक एक सघन लाल गलियारा बना लिया । इन राज्यों में ये बहुत बडी ताकत बन रहे थे । श नेशन है दो सौ छत्तीस जिले और बाईस सौ थाने नक्सली इलाके से प्रभावित हो गए । यहाँ करीब बीस हजार के आस पास प्रशिक्षित छापा मार नक्सली और इसके अलावा उनके साथियों की गिनती तो कई गुना ज्यादा हो गयी । लगभग पचास हजार नक्सली एक अरब लोगों को धमकाने की हिमाकत करने लगे । इनके सशस्त्र दस्तों ने देश के मूल्यवान खनिज वन संपदा से संपन्न इलाकों पर घोषित सत्ता कायम कर ली । ये विद्या अध्ययन केंद्रों को बारूद है उडाने में संकोच नहीं करते । संचारतंत्र को ध्वस्त करके अपने विचारों के प्रकार में विश्वास रखने वाले ये सर फिरें नक्सली भारतीय वो गोल में रक्त धमनियों की तरह संचालित रेलवे नेटवर्क को अस्त व्यस्त करके आम आवाम ने दहशत का माहौल पैदा करते थे । नक्सलियों की हिंसा की सबसे ज्यादा घटनाएं चार राज्यों बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ, ओडिसा में दर्ज की गई । ये माओवादी देश के चालीस हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में स्वच्छत घूमते फिरते इनके पास धनबल, बाहुबल, शास्त्र, बाल, विदेशी बाल के साथ साथ सामांतर सत्ताबल भी हो गया । जैसा पढते पढते सुचित्रा गहरे सोच में डूब गयीं । उस जैसी संवेदनशील महिला की आंखों में देश प्रेम की अश्रुधारा बाॅस सोचने लगी कि क्या झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह एवं चंद्रशेखर आजाद सरीखे शहीदों ने भारत माँ की इस दुर्दशा के लिए अपना जीवन अर्पण किया था । उसने निश्चय किया कि मैं इस समस्या की तह तक जाकर इसके मूल कारणों की तलाश करेगी ।

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लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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