Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
Part 30 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

Part 30 in Hindi

Share Kukufm
922 Listens
AuthorAditya Bajpai
लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
Read More
Transcript
View transcript

हर परिस्थिति में हौसला रखने वाला व्यक्ति सही जीवन जी सकता है और अपने दायित्व का निर्वाह कर सकता है । सत्यवान इस समय टेलीविजन पर समाचारों वाले चैनल ही देख रहा था । आज खरीद सेवक ही सब तकनीक आए हुए थे । ऍम बैठक में सब गपशप कर रहे थे । आ गया भी उनके पास खेल रही थी । टीवी कोई नहीं देख रहा था । शालू रसोई में सबके लिए चाय बना रही थीं । अचानक शालू को मुख्यद्वार पर आठ सुनाई दी । उसने बुलाना ध्यान से सुना । कोई दरवाजा खटखटा रहा था । शालू ने दरवाजा खोलकर देखा सामने स्थानीय पार्षद के संघ अब्दुल्ला साहब खडे थे । उन्हें अकस्मात । अपने घर के द्वार पर देखो । कहीं जाने क्यों किसी अनहोनी की आशंका से उसका दिल तेजी से धडकने लगा । उसने नमस्कार किया और बोली आइए भाईसाहब । अब्दुल्ला साहब ने पूछा क्या सत्यवान जी घर पर हैं? सालों ने जो क्या स्व का रोकती में सिर्फ हिला दिया और हाथ से बैठक की ओर इशारा किया । पार्षदजी हम अब्दुल्ला जी बैठक की ओर बढें । अचानक अब्दुल्लाही को देखकर सट्टेबाजी चौकें फिर अभिवादन कर उन्हें बिठाया, लेकिन भारी सेवक जी के चेहरे पर उन्हें देख कर सहज मुस्कान झा गई । दो अस्सलाम के आदान प्रदान के पश्चात उन्होंने सत्यवान जी को सारी घटना संजय में बताई । किस प्रकार नक्सलियों ने राहत सामग्री से भरा उनका ट्रक लूट लिया और किस प्रकार ने सब सेवाकर्मियों को बंधक बना लिया । उन्होंने आगे बताया कि किस प्रकार शिवा ने अपनी बुद्धिमानी एवं बहादुरी से जान पर खेलकर सब साथियों को नक्सली के चंगुल से आजाद कराया । अपने पुत्र की हिम्मत वह साहस के कारनामों को सुनकर सत्यवान एवं सावत्री का सीना घर से फोन उठा आपने जामदा केरेल ता । उन्होंने रोमांचकारी कार्यों की कहानी सुनकर हरी सेवक जी एम काम नहीं भी गौरव बाहर से रोमांचित होते अभी उल्लास है । सारे ही नहीं पूछा अब कहाँ है अब्दुल्ला साहब सोचने लगे क्या बोलो? उन का चेहरा एकदम होता गया और आंखों से तो कहने लगे सावित्री अब्दुल्ला साहब की हालत देख घर ही पथरा गई । किसी अनहोनी की आशंका से उसके पहले जैसे लगते उठने लगीं । वह सुधबुध खो बैठी और अब्दुल्ला साहब का कॉलर पकडकर झकझोरते हुए बोली कहाँ है मेरा बेटा आप उसे साथ क्यों नहीं लाए बोलिये? जवाब दीजिए छत्तीस फॅमिली को संभालते हुए तो वहाँ अब्दुल्ला जी से पूछा हूँ सेवा का है अभी तक मैं क्यों नहीं आया हूँ? अब्दुल्ला साहब कहाँ कलर हो गया । मैं कुछ भी नहीं बोल पाए । स्थिति संभालते हुए पार्षद साहब बेहज सर्दी स्वर में बोले, सब को बचाते बचाते शिवा क्या मैं स्वयं को नहीं बचा पाया हूँ । उसे नक्सली कैद करके ले गए । यह क्या इस कानून नहीं है? सब सकते में आ गए । अचानक सत्यवान की चेतना लौटी । क्या कहा मेरे शिवा को नक्सली कट करके चले गए । साबित नहीं कर रहा हूँ । ऍम मेरे बच्चे का लो चलेंगे । फिर वो तो नहीं है क्या किया? अरे शिवम को जल्दी लौटा मेरी ओर परीक्षण नाले हरी सेवक जी अविश्वास के स्वर में बोले, नहीं नहीं, मेरे बच्चे को कैद नहीं कर सकते हैं । पार्षद बोले तो काश ऐसा होता था । अब्दुल्ला जी अश्रुपूरित नेत्रों से द्रविड सर में बोले ये ऐसा चाय की शिवा नक्सलियों के जाल में फंस कर उनकी कैद में हैं । सत्यवान अपने आप को संभाल सका । उसका आॅव को झेलना सका । उसे हैॅ भयंकर पीडा महसूस हुई । सीने पर हाथ रखे रखे बोला नहीं नहीं, सच नहीं हो सकता और देश होकर जमीन पर गिर पढें हूँ । फॅमिली की हिचकियां बंद नहीं । इधर उसके लाल का कोई पता नहीं था और इधर पति को दिल का दौरा पड गया । अब क्या करें । कहाँ जाएँ चालू चाहे लेकर बैठक में आएगी थी । अंतिम वार्ता लाभ उसके कानों में पडा हूँ । जैसे ही उसने सुना शिवा को नक्सली आतंकियों ने कैच कर लिया । उसे अपना जाॅब सोच हुआ हूँ । उसकी चेतना हो रही थी । तेरे हाथ से छोड गए तब तोड गए चाहे बेघर कहीं धर्म मासी वह भी बेहोश होकर गिर गई । पूरे घर में तो हो रहा मच गया हूँ । पांच वर्षीय बालिका हरया की समझ नहीं आया कि अचानक क्या हुआ । लेकिन दादा दादी वा माँ की हालत देख घर भी जोर जोर से रोने लगी । हरी सेवक जीवा कामिनी की भी जुलाई रुक नहीं रही थी । तब बोला साहब, आप आशा जी किंकर्तव्यविमूढ खडे खडे सोच रहे थे कि हेल्थी संभाले कैसे? किसी तरह पारशा जीवा अब्दुल्ला जी सत्यवान को अस्पताल ले आए । कामिनी शालू को गोद में उठाकर ठंडे पानी के छींटे डालने लगी । एक्शन के लिए होश आया । फिर शिवा शिवा करती बेसुध हो गई । टेलीविजन पर सब चैनल ठीक जी कर नक्सली हिंसा एवं आतंकियों के अत्याचार की कथा कह रहे थे तो यहाँ प्रति चैनल पर शिवा छाया हुआ था । उसके बहादुरी के कारनामों के साथ नक्सली कैट की खबर प्रमुखता से दी जा रही थी जिसने सुना ठंड रह गया । कुछ ही देर में शिवा के घर पर परिवारजन, पडोसी मित्र, गर्म अनुव्रत, सेवाभारती के कार्यकर्ताओं का हुजूम लग गया । छत्तीबांदी अस्पताल में थे । साबित्री में होती हूँ । शिफ्ट हो गई थीं । जैसे ही बेहोशी टूटी वे फिर शिवा शिवा करके बेसुध हो जाता हूँ । कामिनी शालू हुआ, सावित्री कौर संभाल रहीं थीं । हाँ यार हुई जा रही थी । हरी सेवक ही उसे संभाल रहे थे । आशा जी भी सहानुभूति से बात कर रहे थे । अब्दुल्ला साहब सबसे वस्तुस्थिति बयान कर रहे थे । फिर विधायक दर्शिता भगवान ना करे । किसी के घर का जवान बेटा एकलौता छिरहा गए इस प्रकार चला जाए । अब क्या किया जाए? कैसे उसे बचाया जाये? शिला को कैसे वापस लाया जाए । सब इसी विषय पर चिंता कर रहे थे । सेवाभारती के कार्यकर्ता अपने स्तर पर प्रयास कर रहे थे । शिवा के मित्रों ने अपनी कोशिश की । सचित्रा मंत्री जी गवर्नर साहब ऍम कमिश्नर चैतन्य कुमार ने भी प्रयास किया । इन प्रयासों से सरकार पर दवाब बढा । सरकार ने अपनी खोज अभियान पूरी ताकत से प्रारंभ कर दिया । गुप्तचर एजेंसियों की सेवाएं भी लग गई लेकिन अफसोस कहीं से भी शिवा का कोई सुराग नहीं मिला । एकलौते लाल को खोकर साबित्री की दशा मनोरोगी जैसी हो गई नहीं । सत्यवान झंडा वर्ष तो गए थे किंतु ॅ के लिए हृदयरोगी वन शरीर में आधे रहे गए थे । शादियों के धोखा खोर छोड रही ना था । आसु तो सूखने का नाम ही नहीं ले रहे थे । हल्की इसे अल की आहट पर वह चौक पडती है । शायद शिव आ गए । नींद तो से कोसो दूर रहे थे । किसी तरह रह को सीने से लगाकर माताजी पिताजी की सेवा कर जीने का उद्देश्य खोजती । जीवन की राहें उसे पूरी तरह ही नजर आ रही थीं । पर घोर तमस में आती है । किरण चल में ला रहे थे । एक नन्हा सा दीप टिमटिमा रहा था किसानों की कोख में शिवा का आगे बढ रहा था सत्यवान सावित्री वार शानू अब तो बस इसी उम्मीद के सहारे दिन काट रहे थे ।

Details

Voice Artist

लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
share-icon

00:00
00:00