Made with in India
जवानी दीवानी होते हैं और उस पर भी उठती जवानी दूसरों की बहुत तो मैं नहीं जानता हूँ पर मुझे लगता हूँ मान लो जितना बल मेरे शरीर में, उतना सारे संस्थान की प्राणियों को भी मिला करना होगा । एक घटना से आपको मेरी उस समय की मनोदशा का अनुमान हो सकेगा । अमलतास की सूची फल आप जानते हैं कि पत्थर से भी मुश्किल से ही टूटती है मेरा एक साथ ही वहीं अमलतास की सूखी फलिया संचार पांच गधा पच्चीसी करने वाले बैठी थी । बांधने घूमने की जगह मैं बोला कोई इसे मुक्का मारकर तोड सकता है । दूसरे किसी के कुछ कहने से पहले मैंने फली उसके हाथ से चीनी और पूरी की पक्की जगत पर रख कर सकता हूँ । फॅमिली तो क्या टूटनी थी ज्यादा जैसे हाथ साथियों की मजाक से बचने के लिए मैं वहाँ तो कुछ नहीं बोला, पर घर जाकर चुप जाम चारपाई पर लेंगे । पिता जी से कुछ नहीं तो रात घर गालियों का अविष्कार करने में नहीं व्यस्त रहे । उन्होंने कलसा भरवाया तो मैं एक हाथ आर दांतों से रस्सी पकडकर भर लाइन सभी पीली के समान सूजी हुई । हथेली देखकर पिता जी कैसी ये क्या हुआ । मैंने अज्ञानता प्रकट करते हुए कहा पता नहीं इन शायद सोते समय कोई नस चढ गई । मुझे बीजेपी के यहाँ ले गए । पता चला तीन हट्टियां तलैयों पर हो गई हैं । जो कष्ट हथेलियों को नीचे उतारने में हुआ उसे शायद में लेकर नहीं बताता हूँ । हाँ तो मैं उठती जवानी की बात कर रहा था । मुझे ऐसे काम करने में एक विचित्र आनंद आता था । ये नहीं दूसरे लोग कठिन या असंभव मानती हूँ । पर साथ मारने के लिए मैं उधार खाये रह था । बिना किसी की सिखाई ही मैं इस कला में परांगत हो गया था । सांप मारने के लिए किस प्रकार की लाठी चाहिए? कोई कल सात कैसे मारा जाता है? घर के सांप को किधर से छेडना चाहिए । इन सब विषयों में मैं अपनी निश्चित धारणाएं बना चुका था । लोग कहाँ करते हैं? तीसरा मारने वाले को सांप बहुत मिलते हैं । ये बात ठीक है, लगती है । ऐसा कोई ये दिन जाता होगा जब ये ऍम मेरे हाथों से मारा ना जाता हूँ । बरसात नहीं तो ऍम मेरी वजह से तमाम गांव के लोग सबको कीडा समझते थे । मैंने अगर पिताजी की गाडियों को अनसुना किया तो केवल इसी शौक कितनी साथ निकलने की झूठी सच्ची खबर पार्टी भोजन से भी उठकर भाग जाता था और पिताजी गालियों का धाराप्रवाह भाषण देते रहते थे । सबको गांव के लोग काल्कि रस्सी कहते थे । इसी से उसकी मारने की भयावहता का अनुमान किया जा सकता था । पहले चोट खाली जाने की भूल प्राण देकर ही ठीक की जा सकती है । हूँ । सांप का नाम सुनते हैं । मुझ पर ऐसा पागलपन सवार होता कि मैं सब काम छोडकर टंडा संभाल लेता था । एक बार ऍम था हाथ में किताबें लिए की । कुछ बच्चे साठ साल खिलाते खेत में से निकलेगी । मैंने पूछा कहाँ है सब बच्चों ने एक बाजरे कि झंड की ओर इशारा करती हूँ । मैंने कहा हूँ एक कांदा मुझे तो तुम लोग बाजरे के पूरे हटाकर अलग अलग रखो । योगी साहब निकलेगा ना मैं उसे, मैं तो बच्चों ने डंडा तो दे दिया । फिर पोला हटाना तो दूर, मेरे साथ वहाँ तक जाने के लिए भी राजी नहीं हुई । बिना और सांप को मारे आगे जाना मुझे बहुत ऍम । मैंने डंडा पास रखकर अपने आप बोले को हटाना आरंभ किया । तब तक खेत वाले तो तीन आदमी आकर बोले तो बिना बाबू जी बच्चों की बातों में आकर हमारा काम भर आती हूँ । अब हमें ये बोले फिर से रखने पडेंगे । मैंने अपना काम बंद किए बिना उत्तर दिया हूँ मैं खुद बार नहीं उन्हें ठीक से रख दूंगा वो लोग भी तमाशा देखने के लिए दूर बैठे हैं कुछ राहत चलते भी रुक गए तो वहाँ पे मैं पसीना पसीना हो गया काम नहीं निकला हूँ क्यों जो निराशा होती नहीं क्यों ऍफ बढ रही थी अब अंतिम तीन पूरे को भी मैंने किराया तो लगभग एक मीटर समीर में कुंडली मारे बैठे हुए कहाॅ फन फैलाकर खडा हूँ उसका एक मीटर ऊंचा फन देखते हैं दर्शकों की देर तक पूजकर मेरी मृत्यु निश्चित समझकर स्वयं को उसके दायरे से बाहर निकालने के भाग मैंने साहब के विश्राम में बाधा डाली थी । इसलिए नहीं ग्रोथ सी हो रहा था एक पुरस्कार मारकर मुझ पर वारकर इससे पहले मेरा एक अभ्यस्त बाहर पडा और फन कुचलने के साथ धडके दो टुकडे दो चाहिए । उसकी छोटों से मेरे पैर भेजते हैं जिनमें कई महीने खुजली होती नहीं । इतना भयावह और लम्बा था मेरी पहले कभी नहीं देखा । मैंने उस मरी हुई सांत के टुकडों की कुंडली बनाकर सडक पर रखती, कई लोगों से देखकर पीछे लौट के लेकिन मुझे सबसे अधिक परेशान किया । एक साथ ही नहीं परेशान किया । उस ने मेरा यह व्यसन या शाम कुछ भी नहीं छोडा । पैसे लोग कह कहकर हार के कि अरे भाई तुम पडे लेके आदमी होकर क्यों इस चक्कर में पढते हैं सर, आप मारने और पकडने वाले सात के काटने से ही मरती छोडो इस बाहर याद आदत को । पर इन बातों के लिए मेरे कान थी । लोगों ने बताया था कि आपने ऋतुकाल में जब साफ साफ इन एक दूसरे से लिपटी पडी हूँ तब ये नहीं नहीं । कोई खेल नहीं तो वे पूरे क्रोध नहीं आ जाती है । मैं इसी प्रकार की किसी पूरी क्रोध वाले सांप को मारना चाहता था । एकता सामान के महीने में हम लोग खेतों में घूमने देते हैं । छोटे भाई ने मुझे रोककर का हूँ । देखो भैया एक साथ के दो फन नहीं, नहीं तो तुरंत समझ गया किए हैं । सांप का जोडा सीन रहा है सीखना देहाती भाषा में गर्भाधान को कहते हैं मैं भाई को बहलाकर घर लौट आना है । घर में घुटनों तक का जूता पहनकर और अपनी चर्च साथ तीन लाठी को लेकर मैं चलती से फिर खेत में पहुंचा । साहब का जोडा उसी प्रकार कल्लोल कर रहा था । मैंने चार पांच दस दूर से खासा महंगा रहा हूँ, पर उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया तो मैंने एक मुट्ठी कंकडियां उठाकर उन पर बीमारी कंकडी लगने से वे स्वर्ग से मानो घरती करना पडेगा । मुझे देखकर अलग हुई और संस्कार मारते हुए हवा की चाल से भी तेज मेरी आठ तोडेंगे में पहले से ही तैयार उनकी क्रोध, घरी मुद्रा बहुत तेज क्या एक नजर भी नहीं देख सका की भी आप मेरे को एक ही बार में मार गिराने के विचार से लाठी छोड पाॅप बच गए । वो मेरे पैर में फन मारे या मुझे लग गई थी इससे पहले ही मैं लंबा कूदकर उसके पीछे जा पहुंचा मानने को लाठी उठाने से पहली मेरी पहुंच से दूर होगी । मेरा अनुमान की साहब का बदला लेने के लिए मुझ पर बात करें, फॅमिली से काम दिया । सात के बलिदान से शिक्षा ग्रहण की । अच्छा आॅनरेरी हाथ की सफाई और शक्ति से परिचित हो चुकी थी सांप इनके बच के चले जाने का मुझे बडा तो हुआ नहीं जानता हूँ कि नहीं । मुझे चैन से नहीं बैठी थी । इधर उधर ढूंढना व्यस्त जानकर लेकिन मन से घर की ओर लौट आया । गांव में घुसते भी नहीं पाया था कि सामने से एक आदमी चलाया भागो भागो तुम्हारे पीछे साथ हैं । उसकी बात सुनकर मैं और सांप एक साथ पीछे को पडेगी । मैं ही उठा भी नहीं पाया था कि वह आंखों से ओझल हूँ । अब मुझे खतरे के रूप में कुछ साकार सा दिखाई थी । और भी मतलब का सर दर्द । पान लेने पर पहली बार पश्चाताप नहीं लगा । मुझे यह आशा नहीं थी कि सांप इन इतनी जल्दी बदला लेने आई थी । में एक आध बार घायल सांपों के बदले की भावना से परिचित हो चुका था । पर इस सांप इतनी तो कमाल ही कर दिया था । घर पहुंचा । पिता जी नहीं चिंतित मुद्रा देख कर जवाब तलब किया क्या क्या है पिता जी वैसे चाहे कितनी गलियाँ बनी, पर मेरी सुस्ती मेरी उदासी या चिंता को सहन नहीं कर पाती । नहीं, मैंने अपनी शैतानी के विषय में उनसे पहली बार सच बात कही । उन्होंने सुनकर नाराज होने और गाडियाँ देने के स्थान पर ठंडी सांस करेंगे तो मैं पूरी तरह निराश किया । मैंने उन्हें इस प्रकार सांस घर पे किसी भी कठिनाई में नहीं देखा था । नहीं बोली तो में अच्छा नहीं । क्या? सांप इतना तो चैन से नहीं बैठने देगी ना खुद बैठे ये मिला तब तक नहीं मिलेगा जब तक तुम दोनों में से एक दुनिया को नहीं छोड देगा । अगर तुम्हें जिंदगी प्यारी हैं तो मेरी सलाह के बिना कोई काम मत करना जहाँ तक हो सके होशियार रहे कोई कपडा पहनने से पहले डंडे से जहाँ लेना उन तुमने क्या कर लगता है फल कुछ मुझे भी भोगना पडेगा कितनी होंगे मुझे जाना पडेगा पिता जी की बात सुनकर मेरी जवानी फिर मच्छी कहीं बिना नहीं रह गया । सोते समय की बात तो मैं नहीं जानता पर जाती और होशियार रहते रह क्या उसकी नानी भी आ जाएगा । एक हाथ से कचूमर निकाल जाएगा । आपके परेशान होते हैं मुझे और उसे भुगतने दीजिए ना? पर पिता कारीगर मानने वाला नहीं होता हूँ । रह भी पढे लिखे जवान पुत्र पिता का शाम तक किसी को भी सांप इनके आक्रमण की आशंका नहीं हूँ । मैं आई ही नहीं हूँ । इस बीच मैंने भी मोर्चा तैयार करते जाते समय की तो मुझे कोई चिंता नहीं । हाँ उसके सोते वक्त के आक्रमण की कल्पना से मैं था हूँ । मरने का दुख मुझे कुछ भी नहीं था । तब मैं कुत्ते की मौत नहीं करना चाहता था । अगर ऍम मुझे होते हुए कार्ड की तो मैं जाने से पहले ही समाप्त हो जाऊँ । मेरे सामने आती और मेरा वार बचाकर क्या सहकर चोट करती हूँ तो मुझे मरने में भी एक संतोष, एक आनंद मिलता था । अपने सोने के कमरे में से मैंने सब सामान बाहर निकाल दिया । वहाँ जितनी भी थी सबको ईंट पत्थरों से बंद कर दिया । घर में सबसे उनके पायों वाली जो जाती थी, उसे मैंने अपने सोने के लिए चुका हूँ । सोते समय साथ हटने के लिए एक ऐसा डंडा तलाश दिया जैसे घर में चलाने में कोई असुविधा नहीं हूँ । माता जी कई लोगों से सरसों और उडद पढाकर । तमाम घर में भी खेती नहीं । हरबीर की जोधपुर सैंकडों देवी देवताओं का चढावा पूरा और मुझे और पिताजी को इस पर विश्वास नहीं था । विशेष रहा । मैं तो अपने हाथों और ठन्डे के सहारे ही नहीं । सिंध पिताजी खाना खाकर शाम को जल्दी हो गई और मुझे निर्देश मिला कि दरवाजे की ओर मुंह करके पर हूँ । फॅमिली लगे तो उन्हें आवश्यक जगह हूँ । माता जी मेरे मना करते करते । दरवाजे के पास एक स गोरी में दूध रहेगी और पीसी हुई नमक की ऐसी रेखा बना गई कि उसे पार करके ही साबिन कमरे में पहुंच सकेगी । पढाई में मन नहीं लग रहा था की इच्छा होती थी कि समझना चाहिए और मेरे और उसके दो दो हार फुल बीच में कई बार नींद का झोंका हूँ पर मैं पिताजी को अधिकतर जगह आना नहीं चाहता था । इसी से जागने के लिए पडता था हूँ । लगभग दस बजे मुझे एक काला सा देना कमरे के सामने पडा हुआ हूँ । टेनिस चल पडा रहा हूँ । मैंने सोचा किसी बच्चे नहीं गिरा दिया हूँ । मेरा ध्यान किताब की ओर गया तो डंडा आगे कर रखा है । पहले तो मैंने समझा डंडा वहीं का वहीं उसका आगे आना मेरा भ्रम है । जब एक बार दरवाजे की एकदम पास आ गया और उसका काला रंग ऍम की रोशनी में चमक उठा तो मैं उसे सांप इन समझकर मन में हूँ । सान तीन सिंह जेठहरी के आशनी प्रदर्शित शायद समझ चुकी थी कि सावधानी की हालत में बदला चुकाना उसकी पूर्ति का नहीं था । मैंने भी ऐसी कोई ऐसा नहीं की जिससे कि रहे । समझ लो कि मुझे उसके आने का पता चल गया । बहुत तेज रुपये पर रहे । दरवाजे की ओर नहीं बढीं शायद जाते हुए पर आक्रमण करने का उसका विचार नहीं था । एक हाथ नहीं किताब था । उधर हूँ करके भी मेरी नजर सामपन पर और दूसरा ऍम इस तरह जब लगभग दो घंटे बीत गए तो मुझ से रहा नहीं गया । कुछ भी हिम्मत नहीं है तो आगे क्यों आती है? मरने से डरती है तो बदला क्यों लेना चाहती है । ठहरी रहे या तो मुझे अपने अरमान निकालने नहीं देखा क्या तू निकले मेरे इतना कहते ही वहाँ पे मेरी आवाज सुनकर पिताजी दौडे आएगी । शायद पे स्वयं ही जा चुकी थी । भोले सांप इन आई थी । मुझे उसके आने का पूरा विवरण सुनकर वहीं पूरी तरह भी करेंगे । आज ही मामला साफ बोला था पर तेरी बेवकूफी से सब बिगड गया । मैं वहाँ गया था और तुम्हारी और आने वाला था । उसी देख लेता । उसका ध्यान तुम्हारी और था । पीछे से मेरे आने का उसे क्या पता लगता हूँ । मेरी भी बडी निर्भीकता के साथ उस करती हूँ । पर मैं तो स्वाइन ही नहीं पढना चाहता हूँ । मैं नहीं चाहता हूँ कि मैं किसी दूसरे के हाथ में है । दुनिया छोडी हूँ । आपकी पिताजी काबू से बाहर हो गई तो ले तुम्हारा तो सिर्फ फिर गया है । जवानी हम पर भी आई थी । पर इस तरह मौत के मुँह में हमने ही को देखा है । मैंने भी उन्हें बहुत समझाएं कि अब स्टांपिंग नहीं आएगी । आप आराम से मैं होता हूँ । इस पर उन्होंने कि वार बंद करने की शर्त लगी । इसे स्वीकारना मेरी पोती का काम नहीं था । लगभग चार घंटे सो करेंगे । मैं जाता हूँ ऍम फिर नहीं लगा देंगे । अगले दिन स्कूल पर अभ्यास के विरुद्ध लाठी साथ रखती हूँ । दिनभर उसके आक्रमण की कोई संभावना नहीं थी । फिर भी मेरे ध्यान से नहीं थी । लौटने पर लेट ने साम की घिसटने के निशान अपने गांव तक देखता हूँ । मैं समझता हूँ कि सांप इन स्कूल में ही आज रात करने की कोई बात नहीं । मैंने पिताजी को सांप इनके घिसटने के निशान बताया तो वह पुलिस तो मेरे उनलोगों रात को चौकसी देखकर धोखा देने का प्रबंध कर रही है । आज हम तुम दोनों जाते हैं । शायद इस मुसीबत से छुटकारा मिल सके । रात भर सामने नहीं आई । सवेरे घर में उसके खिसकने के निशानों से अनुमान लगाया कि वह आई हूँ, पर हम लोगों को सावधान देखकर लौट के मुझे अब अधिक सावधानी की आवश्यकता जान पडी । क्योंकि सांप तीन बहुत ठीक असंतोष से कम नहीं रही थी । लेकिन इस प्रकार परेशानी पूर्वक सावधानी तब तक बनती जा सकेगी । मैं यही सोच सोच कर ऍसे मेरी आंख मिचौली महीनों से चल रही थी, पर हम दोनों में से किसी का दांव नहीं लगता है । उसने बदला लेने और मुझे धोखा देने के लिए जो जो चालीस चलूँ उनसे उसकी चतुराई पर दंग रह जाना पडता है । हमारे खेत में इतनी घनी भट्ट थी कि सारा खेत पेडों का जमा किया हुआ नंदा सा लगता था । एक दिन पिताजी कहीं बाहर गए और रात गयी । उनकी लॉटरी की आशा थी इसलिए पशुओं को भूखा न रखने के विचार से मैं ही भात काटी चला गया । भट्ट इतनी गरीब धोनी बिल्कुल दिखाई नहीं दे दी थी । सांप इनने मुझ पर छिपकर वार करने का इसी अच्छा अवसर समझा । पर उस बेचारी को क्या पता कि उसकी कुंडलाकार चलने से खेत के पास खास अंदाज से हिल रहे थे । पौधों का हिलाना देखकर मैं समझ गया कि सांप बना रही है । यदि में भटके पेडों से अलग हटकर उसके खाली खेत में आने की प्रतीक्षा करता तो कभी नहीं । इस से मैंने अनुमान से ही घट के पेडों में ही लाख की बीमारी लाठी भटके । पेडों ने रोक और सांप इन भागते लगता था । उसे कुछ चोट अवश्य आई थी क्योंकि लगभग पंद्रह दिन तक उसके दर्शन नहीं हुई । इसी प्रकार एक डिग्री के धुंधले उजाले में गुट्टी काटते समय उसने मुझे धोखा देना चाहता हूँ । बात ये है हूँ के हाथ में गंडासा लग जाने से पिताजी िवज थी और पशुओं का पेट भरने के लिए मुझे छुट्टी पर बैठना पडेगा । ऍम कब करीब में अच्छी थी पर उस दिन उसी धीरज नहीं बंद था । वे जल्दी ये मेरे हाथ के समीप आने को थोडी आगे सर मैंने देखा कि एक पटेरा कुट्टी में दवा जा रहा है । कितना मोटर पटेल है इसमें से छोटे भाई का पटका ठीक रहेगा । इस विचार से मैंने जो भी गंडासी का हल्का सा हाथ उस पर छोडा की फटे कटने के साथ साथ कहीं जमीन पर खुद जाए तो सांप इन बेताहाशा भागी । अगर तब तक गंडासा छूट चुका था । उसकी चार दंगल पूछ कट कर नहीं नहीं गई थी । छाता, जूता, बिस्तर सभी जगह पे छिपकर बैठ चुकी थी, पर मेरी सावधानी से उसकी टाल नहीं चल रही थी । इधर उसकी तेजी से मैं भी कुछ नहीं करता है । सांप इनने एक काम किया कि मेरे घर के अन्य किसी सदस्य परवाह नहीं किया अन्यथा वह भी सभी पशु स्त्री बच्चों को समाप्त कर सकती थी । बैलों की लड हँसी और भैंस के नाम भी इस भाषा में कई रातों पडी रही कि मैं सानी कर दी । वह टेस्ट मेरी बहन एक बार उसे अरहर की लकडियों के साथ चौके तक उठा लेगी पर उसने मुझे नहीं मारा । धीरे धीरे मैं भी इस तनाव बीच का अभ्यस्त हो चला था और मुझे इसलिए एक नया राजस्थानी रखा था । आप शायद विश्वास नहीं करेंगे उससे बारातों, रिश्तेदारियों और मेलों में भी मेरा पीछा नहीं छोडा हूँ । मेरी इस झंझट से लगभग सभी परिचित हो गयी थी । इसलिए मेरी कहीं जाने से लोग कतराते नहीं हूँ । एक दिन छोटे भाई भी सूचना नहीं आप की माता जी आज स्टांपिंग से खुशामद करने उसकी बाम्बे पर गई हैं । उसकी बांबी रामबास की झाडी नहीं थी । मैं दृश्य को देख नहीं चुपचाप लाख ही लेकर चल पडा । जोर से देखा माता जी हाथ आगे बढाएंगे, कुछ कह रही हैं और सांप इन सामने खडी जमीन तक फन मार रही है । माता जी की बातें सुनने की इच्छा से मैं आगे । सरकार मैं दर्द भरे स्वर में आज सुबह कर कह रही थीं । जो हो गया सो हो गया । अगर काटनी इसी तरह सांप लौट आए तो मुझे कहा की ना समझा पालक ही गलती कर के दोनों का समझौता हो जाने की संभावना मात्र सिंह मुझे असहाय वेदना हुई एक महीनों दांव खेलने वाली बहरीन को मारने का आनंद चला जाता रूसे इस प्रकार क्षमा मांगना मेरे साहस और बल के लिए लच्छा की बात थी । मैंने दौडते हुए कहा माता जी इससे अगर भी की मांगती हो तो यह मांग की मेरे सामने से भागे नहीं मेरे प्राणों की भीक मांगने का आपको क्या अधिकार है? फिर नागिन तो फुफकारती बाल खाती हूँ । रामबांध में घुसते माताजी मेरी बुद्धि को कोनसी माथा पीट की घर वापस हो उनके इस प्रकार क्षमा मानने की बात पिता जी नहीं भी पसंद नहीं है । मैंने कई बार लाख के लेकर सांप इनके स्थान तक है । बाम्बे के सामने खडे होकर कई बार उसे चुनौती दे चुका है पर वो इतनी मोटू नहीं होती होती । सर्दी का मौसम लगभग एक महीना लगातार सांप इनसे बदला लेने की कोशिश नहीं दिखाई नहीं मुझे बडा लंबा होता है । पिता जी एम अन्य बडे उन्होंने समर्थन किया या तो किसी ने उसे मार डाला होगा हूँ या उसने नया घर बसा लिया हूँ । ऐसा भी हो सकता है कि सर्दी के कारण आपने बिल में चैन से बैठी हूँ । सर्दी में प्रायास साथ बाहर नहीं निकल देखो । उसने परेशान होकर बदला लेने का इरादा छोड दिया तब भी कोई अचंभा नहीं । इतने पर भी मुझे विश्वास नहीं हूँ कि स्टांपिंग के आक्रमण से मैं सुरक्षित था । पहले की अपेक्षा उससे बचाव में लापरवाही बरती जा रही हूँ । पहले मैं अपनी सोने के कमरे में रोज देखा करता था की दीवार फर्शियां छत में किसी चूहे या अन्य जानवरों ने छह तो नहीं कर दिया पर कुछ दिन से इस प्रकार का निरीक्षण समाप्त हूँ । वैसे तो मैं सादा कुम्भ करनी नहीं करता था पर जब से सांप इनसे वास्ता पडा था, नींद की गहराई जाती रही थी । तनिक घट का ही मेरी आंख खोलने के लिए काफी था । एक बार आधी रात के समय छत की तरफ से मेरे ऊपर एक भारी रस्सी की ओर से समय बिहार को मैं चारों और ऐसे ही दवा लेता हूँ की उस से हटाई बिना कोई मुझ तक नहीं पहुँची । सांप इतिहास पर गिरकर समझ भी नहीं पाई कि मैंने किसी शक्ति से प्रेरित होकर अपनी बुद्धि के निर्णय से लिहाज सबूर । लबेद क्या छत्तरसिंह तो सांप इनके आक्रमण की आशंका अन्ना मैंने इस प्रकार के पचास की विषय कुछ सोचा था । मुझे अब तक आश्चर्य है कि मैंने एक से भी कम समय में अपना निश्चय करके उसे कार्यरूप में कैसी परिणाम ऍम मैं दोनों हाथों से रिहा आपको पकडे था और सांप इन उसपे फडफड आ रही सब कर रही थी । हाँ, उसकी रूई के कारण उसे जमीन तक पटक ना बेटे का और कमरे में उस पर लाठियां बरसाई जा नहीं सकती थी । जितनी देर मेरे हाथ की पकड ली करके लाठी उठाकर तब तक तो ना जाने मेरी क्या दशा करती थी । दरवाजा भीतर से बंद था, इसलिए टीना उसे खोले, किसी को बुलाया नहीं जा सकता और दरवाजा खोलने के लिए लिहाज की पकडा नहीं खाली करने पर परंतु एक सुविधा थी । दोनों हाथों से ले हाथ की सिरे पकडे । अपने पूरे बोझ से सांप इनको दबायें । मैं चाहे जब तक सोचने के लिए स्वतंत्र कोई कपडा ऐसा नहीं दिखाई दे रहा था, जिससे वह स्थान बंधा जा सकता था, जिसे मैं पकडेंगे ऐसी कोई थी नहीं और चरपाई में से रस्सी निकालने का अवकाश नहीं । अंत में मेरा ध्यान वृत्ति पर भी की चादर की । क्या उसे पैसे किसका कर? मैंने लिहाफ को ऐसे बांदिया कि सांप इनकी बाहर निकलने की कोई संभावना नहीं । तब मैंने निश्चिंत होकर के बार फूल और उस पटारी को लेकर बढाती सोचा ऍम मारती मारते थे । हाफ में ही उसका कचूमर निकाल पर ऐसा करना मुझे कहा है । मैं सांप इनको खुले मैदान में मारना चाहता था । पहले विचार किया कि दिन में उसी जी घर कर देखने के बाद मैं ठीक रहेगा । परंतु से दूसरे लोगों का कहना है मुझे ऐसा खतरा कभी मूल नहीं लेनी थी । लिहाफ में ही बेचारी सांप इनको समाप्त कर देंगे । रात उस ली थी, इसलिए सांप इनकी मैं दिखाई देने का कोई भाई नहीं था । मैंने बाहर रखकर लिहाज का बंधन ऐसा कहते हैं कि तनिक से सारी से खुल सकता लाठी से हिलाकर सांप इनसे कहा होशियार हो जाऊँ आज मेरा आखिरी फैसला फॅमिली के सिरे में उलझाकर चादर का बंधन अलग जैसा मैंने सोचा था संपन्न एक साथ नहीं, ताकि देखता है उस लिहाज की एक्सीनॅान मेहनत एक बलेश नहीं निकलता हूँ कि बांस की लाठी नहीं, उसका फन बेकार कर दिया । महत्व नहीं क्या चलने की यू की भी नहीं हूँ । मैंने फिर भी उस पर हाथ से अच्छी तरह से देख लेना चाहता हूँ । पूरी तरह से लिहाज से निकला और बाहर चक्कर हो रही थी । लांझी की आवाज सुनकर घरवाले भी जाते थे और उन्होंने लाना तीन जलाकर सांप इनके दर्शन किये नहीं अच्छे ऍम और सुस्त शरीर की लगभग तीन मीटर लंबी थी । मैंने इतना सुन्दर था पहली नहीं देखा था । मुझे उसे मारने का दुख हुआ पर दूसरा कोई चारा नहीं । कुछ देर बाद उसी पीतम करके धूरी पडती थी । मैं इतनी जहरीली थी कि उसका शव तक किसी दक्षिणी नहीं हुआ । सवेरे खोज हुई कि सांप इन कमरे में पहुंच किस रस्ते से देखा ऊपर छत ने उन्होंने छोड कर दिया है । इस तरह का उस विधा सांप इनसे पीछा छोटा जो अकेले ही एक सेना के समान खतरनाक । मैं ये दिन है कि आज का दिन मैंने काम पर हाथ नहीं उठाएं । मुझे सुंदर साबिन कुमार नहीं हूँ बहुत
Sound Engineer
Producer
Voice Artist