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Part 3: अध्याय 6 - A in  |  Audio book and podcasts

Part 3: अध्याय 6 - A

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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हैं । अध्याय छह मिया जी माचिस है क्या आपके पास आवाज सुनकर जूस के झूठे गिलास होते हुए अब्दुलकादिर नहीं अपनी नजरेें ऊपर करके देखा । एक तीस साल का हट्टा कट्टा युवक अपने होठों पर लकी स्ट्राइक कि सिगरेट लगाए अपने हाथों का इशारा करते हुए उससे माचिस मांग रहा था । युवक ने हाउस बाजू की हल्के पीले रंग की शर्ट और गहरे नीले रंग की डेनिम जींस पहन रखी थी । पैरों में उसने एक्शन के रनिंग शूज पहन रखे थे । उसकी शायद के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे, जिसमें से उसके गले में पहना हुआ उन का लॉकेट बाहर लटका हुआ साफ दिखाई दे रहा था । नहीं बूढे का दिल नहीं धीरे से जवाब दिया और वापस से अपने काम में लग गया । कादिर लगभग साठ साल का एक पक्का नमाजी मुस्लिम बुजुर्ग था, जो अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए पिछले तीस पैंतीस सालों से सुभाष चौक पर निम्बू पानी की दुकान लगातार रहा था । दुकान क्या वो एक छोटा सा ठेला लगता था जहाँ पर वह पंद्रह बीस कांच के गिलास और एक दो किलो नीबू लेकर बैठता था, जिससे दिन भर में उसका सब खर्चा निकालने के बाद चार सौ पांच सौ रुपये की कमाई हो जाती थी । उसने इस वक्त एक सफेद रंग का कुर्ता पजामा पहना हुआ था । उसकी थोडी से नीचे कढाई से तराशी हुई लंबी डाली लटक लम्बी गाडी लटक रही थी । उसके सफेद बाल सीधे करीने से खडे हुए थे । पैरों में बडी ही साधारण सी हवाई चप्पल पहनी हुई थी । उसके साधारण से व्यक्ति तुम्हें अगर कोई गौर करने वाली बात थी तो वो थी उसके चेहरे से टपकता हुआ लू, जो केवल किसी ईमानदार और खुदा के सच्चे बंदे के चेहरे पर ही नजर आ सकता था । क्या न्यायिक माचिस नहीं है तुम्हारे पास? क्यों खाली पीली एक माचिस के लिए इतना भाव खा रहे हैं? उस युवक ने दैनिक व्यग्र भरे स्वर में का शायद उसे सिगरेट पीने की बहुत जल्दी हो रही थी । ये नींबू पानी की दुकान है बेटा । यहाँ पर माचिस कहाँ से मिलेगी? यहाँ से पचास साठ मीटर यहाँ से पचास साठ मीटर दूर वहाँ देखो वहाँ पानी की धडी है तो वहाँ जाकर एक माचिस खरीद सकते । कादिर ने अपने हाथ से एक तरफ इशारा करते हुए कहा, क्या मिया एक सिगरेट पीने के लिए भी तुम मुझे माचिस खरीदने के लिए इतनी दूर जाने की सलाह दे रहे हो तो मैं तो बीडी सिगरेट पीते होगे ना, अपने पास से ही दे दो माचिस मुझे ना बेटा ना हमारे मजहब में कोई भी नशा करना आराम है । मैं बीडी सिगरेट को आज भी नहीं लगता हूँ । वाहनियां तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे कोई भी मुस्लिम सिगरेट दारू नहीं पीता है । हजारों ऐसे मुस्लिम है जो दारू और सिगरेट का नशा करते हैं । मेरे साथ में असलम खान काम करता है वो तो जब तक शाम को आधी बोतल शराब नहीं पी लेता, उसके गले से खाना तक नीचे नहीं उतरता और तुम सिगरेट बीडी की बात कर रहे हो । बेटा सबको जमाने की हवा लग गई है जो ऐसे बुरे शॉप करना पर अगर कोई जना एक ही रहा है तो उसका मतलब ये तो नहीं कि मैं भी पी रहा हूँ मैं शकल से तो तो मैं एक नंबर के बेवडे लग रहे हैं और फिर मुझसे झूठ बोल रहे हो । अगर माचिस नहीं देनी तो वैसे ही मना कर दूँ पर ऐसे सफेद झूठ तो मैं हूँ । अल्लाह कसम बेटा मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ । बडा आया कसम खाने वाला सच का पुतला साला हरामी की हालत साले इसमें तेरी कोई गलती नहीं है । ऍम ऊपर से कुछ देखती है और अंदर से कुछ और ही होती है । बेटा इतनी छोटी सी बात को तुम कहाँ तक ले जा रहे हैं? कुछ तो आपने भगवान से डर वो उसके गले में लटकते हुए उनके लॉकेट को देखता हूँ । साले हरामी एक तो झूठ बोल रहा है और मुझे भगवान का डर दिखा रहा है । वो आदमी गुस्से से अपने दांत पीसता हुआ कादिर की तरफ लपक नहीं क्या हुआ चर्चा याद में आपको परेशान तो नहीं कर रहा । अभी वहाँ एक दूसरे नौजवान नहीं अपने कदम रखे वो भी लगभग तीस साल का हट्टा कट्टा जवान था जो शक्ल और शरीर से कोई बॉडी बिल्डर लग रहा था । कहने पर उसने मुल्ला काट डाली रखी हुई थी और उसके बाल सीधे और लम्बी थी । उसके गाल पर एक बडा सा काला मस्त जो उसके चेहरे को डरावना बना रहा था । उसने एक गहरे रंग की चीज और उसी रंग का कुर्ता पहना हुआ था । उसकी बाहों को उसने अपनी कोहनी होता है बेहतर बी से मोल कर रखा हूँ । पैरों में उसने विभाग के रनिंग शूज पहने । उस पहले वाले नौजवान और इस नौजवान में जो एक चीज कॉमन थी वो थी उसके कुर्ते के गले से बाहर जाते ऍम उन में अंतर था तो बस इतना ही यहाँ पहले वाले नौजवान के लॉकेट पर हिंदी में होम लिखा हुआ था । वहीं इस नौजवान के लॉकेट पर उर्दू में सात सौ छियासी नहीं बेटा ऐसी तो कोई बात नहीं । कादिर में उसकी बात सुनकर धीरे से जवाब आप कैसे नहीं है? चर्चा मैंने खुद सुना था । ये कैसे आपसे बडे बदतमीजी से बात कर रहा था और कैसे हमारे मतलब के लिए बना बुरा कहना था नहीं बेटा, मैं जरूर कोई गलत पहनी हुई है । ऐसा कुछ भी नहीं । नहीं । चर्चा मुझे कोई गलत फहमी नहीं हुई । आप लोगों की इसी कहा था की वजह से ही ये लोग हम पर आप भी होते जा रहे हैं । आए दिन हमारे मतलब के लोगों को निशाना बनाते जा रहे हैं । जब देखो ये लोग हमारे मतलब को लेकर कुछ ना कुछ टिप्पणी करते रहते हैं और आप लोग चुपचाप खडे रहकर सुनते रहते अवैध साले अगर हम ऐसा करते हैं तो क्या करने का इस पहले वाले युवक ने उसका मजाक उडाते साले मैं तेरे को छोडूंगा नहीं । जब तुम्हारे उसने अनुमान नेता साले देवराज कोई नहीं छोडा तो फिर तेजी तो काफी किया है । उस गाडी वाले युवक ने कहा देख लो भैया ये हरामी की औलाद क्या क्या है इन लोगों ने ही हमारे भगवान स्वरूप नेताजी देवराज ठाकुर के घर पर हमला किया था और उसमें हमारी पूजनीय मैडम शहीद हो गए और आप लोग चुपचाप खडे खडे इस की ये बात सुन लें अगर ऐसे ही बात हमारे किसी आदमी ने बोली होती आप ताकि इनके मतलब के लोग हम लोगों को जिंदा जला चुके हो । उसने भीड में खडे उन लोगों को ललकारते हुए कहा जो उन्हें आपस में जगता हुआ देखकर जमा हो गई । हाँ तो क्या गलत कर दिया उस हरामी नेता के घर पर हमला करके कितना कुछ नहीं कहा था उसने हमारे मतलब को लेकर तो क्या है जिलों की तरह चुपचाप सुनते रहते । सालो आप अगर हमारे मजहब पर किसी ने अपनी उंगली भी उठाई ना तो हम लोग उसका हाथ काट कर रख देंगे और आप लोग क्या खडे खडे तमाशा देख रहे हैं । ये हमारे लिए इतना कुछ बोल रहा है और आप लोगों ने चूडियां पहले क्या मार डालो इन काफिरों उस युवक ने भी भीड में खडे अपने समुदाय के लोगों को ललकारते हुए ये तुम लोग क्या कर रहे हो । मेरे बच्चों इतनी छोटी सी बात को इतना क्यों बढा चढा रहे । खुदा के लिए शांत हो जाओ । गुंडे का आदिल नहीं । उन दोनों के सामने अपने हाथ जोडते हुए उनसे कहा नहीं चला अब हम लोग शांत नहीं होंगे । अब तो यहाँ पर इनका फिर ओके खून की नदियां बहेंगी । उस गाडी वाले युवक ने बुड्ढे का आदिल को पीछे की ओर धक्का देते हुए तो हम लोगों ने कौन से चूडियाँ पहन रखी है हम तुम लोगों की बोटी बहुत हीरो चलेंगे । आओ भाइयों मारो ना राम के जन्म दूसरे युवक ने भी भीड की तरफ देखते हुए कहा । उन दोनों की आवाज सुनकर भी भीड में से अभी तक किसी ने भी अपना एक कदम भी आगे नहीं बढाया । ये देख कर पहले नौजवान नहीं क्या बात है । ये हमारे धर्म हमारे नेता जी के लिए इतना कुछ कह रहा है और आप लोग चुपचाप शान्त करें । ये काफी हम लोगों की बोटी बोटी काटने की बात कर रहा है । वो भी आप लोग इतने खामोश करें । आप लोगों का खून पानी हो गया । क्या आओ हम इन लोगों को सबक सिखाते हैं । दूसरे युवक ने भी भीड की तरफ देखते हैं का क्या बात है । दोस्तों बडी बडी बातें हो रहे हैं एक दूसरे से मरने मारने के लिए । अगर लडने का इतना ही शौक है तो ये बीच बाजार में शोर मचाने के बजाय तुम दोनों सेना में जाकर भर्ती हो जाए और सरहद बजाओ लडने के लिए तुम्हारी दोनों इच्छाएं वहाँ पर पूरी हो जाएंगे । दुश्मन को मारने की भी और खुद मर जाने की भी । उसी भीड में से कभी किसीकी आवाज वहाँ पर आएगा । अबे कौन बोल रहा है मेरा सामने आकर बात कर साले, पहले युवक ने उसे विकास अबे साले भेड में छुपकर क्यों लेक्चर दे रहा? मैं तो सामने आकर मर्ज की तरह बात कर साले । दूसरे युवक ने भी जोर से कहा लो भाई, आ गया तुम्हारे सामने बोलो, अब क्या करोगे तो मेरा तुम दोनों मिलकर करोगे या फिर अलग अलग करोगे । कहते हुए भीड में से एक लगभग छह फुट के हैंडसम नौजवान ने बाहर कदम लगा । उसने डाल ब्लू कलर की जींस और सफेद कलर की टी शर्ट पहन रखी थी । आंखों पर लेवॅल लगा रखे थे । उसके बाल छोटे छोटे थे और उसके व्यक्तित्व पर खूब फब रहे थे । पैरों में उसने चमडे के जूते पहन रखे थे । उसके होठों पर इस समय हल्की हल्की मुस्कुराहट थी, जिसे देखकर उन दोनों का खून जल उठा था । साले कौन है? तू तो हिन्दू है या मुसलमान? नाम क्या है? तेरा जो भाई क्या करोगे? मेरा नाम जानकर अगर मैं हिंदू हुआ तो दो मुझे मार हो गए या फिर मुसलमान हुआ तो तो मुझे मारो । उसने उन दोनों की तरफ बारी बारी से देखते हुए मुस्कुराते हुए कहा, और अगर मैं हिंदू हुआ तो तुझे मार डालू या फिर मुसलमान हुआ तो तुझे मार डालूँ । साले तो हमें मारेगा फिर इतनी हिम्मत मुझे तो हम यही मसल कर रख देंगे चींटी की तरह उन दोनों ने उस नौजवान से एक स्वर्ण का ये तो कमाल हो गया । दोस्तो, अभी थोडी देर पहले एक तो तुम लोग आपस में जगह रहे थे और अब दोनों आपस में मिलकर मुझे धमकी दे रहे । आखिर ये चक्कर क्या है? उस नौजवान ने अपने वोटों की मुस्कान को और गहरा करते हुए उस की ये बात सुनते ही वह दोनों युवक एकदम से हर बडा गए । उन दोनों ने एक पल के लिए एक दूसरे की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में कोई ज्यादा हुआ । पर उनका वो इशारा उस नौजवान की नजरों से नहीं बच सका था और उसके होठों पर पुना एक मुस्कान उभरी और गायब हो गई साले तेरे चक्कर में इसको तो मैं भूल ही गया था । हाँ तो बता क्या बोल रहा था तो मेरे मजहब के बारे में साले तेरे और पहले मतलब के लोगों को चीज कर रख दूँ एंड ये हमारे धर्म के लोगों को चीखने की मुझे खुलेआम धमकी दे रहा है । आप लोग खडे खडे तमाशा देख रहे हैं । अगर आज इसको सबक नहीं सिखाया तो ये फिर हमेशा हम लोगों को ऐसे दबाते रहेंगे । आओ आज मिलकर इसके टुकडे टुकडे कर देते हैं । हाँ जैसे तो मेरे भाई ऐसा होता हुआ देखते रहेंगे क्योंकि हो ये हमें मारेगा और हम चुपचाप मार चलेंगे । दूसरे नौजवान ने भी भीड में खडे कुछ लोगों की तरफ देखते हुए कहा अरे दोस्त तो इन लोगों को क्यों पुकार रहे हो तुम दोनों क्या एक दूसरे को मारने के लिए भी इन लोगों की जरूरत पडेगी । तुम दोनों कितने कटे कटे हो । खुद आपस में लड कर भी तो तुम दोनों अपना फैसला कर सकते हो । यहाँ पर ये बॉडी सिर्फ दिखावे के लिए ही बुला रखी है । बेड में से उस नौजवान ने फिर से मुस्कुराते हुए उन दोनों से कहा साले दूर ऍम जो हमारे बीच में इतना बढ चढकर बोल रहा है नाम क्या है तेरा क्या करोगे मेरा नाम जानकर तुम लोग कर तो कुछ पाओगे नहीं मेरा फिर भी चलो मैं अपना नाम बताई देता हूँ । बंदे को धीरज कहते हैं और में राजनगर पुलिस डिपार्टमेंट में एक अदना सा इंस्पेक्टर हूँ और मैं राजनगर पुलिस डिपार्टमेंट में इतना सा इंस्पेक्टर होता हूँ उस नौजवान ने जो कि धीरे जीत है । मुस्कुराते हुए इंस्पेक्टर धीरज उन दोनों के मुंह से धीरे से एक साथ निकला और बौखलाते हुए एक दूसरे की तरफ नजर दौडाई जे सही कहा इंस्पेक्टर धीरा जीना मैं मेरा, अब बोलो क्या करोगे लो मसलों मुझे अब जीती की तरह । धीरज ने उनकी बुदबुदाहट सुनकर मुस्कुराते हुए अपने सर को हल्के से झुकाते हुए जवाब दिया फॅार साहब, इंस्पेक्टर साहब मुझे माफ कर दीजिए हैं । मेरा इस से लडने का बिल्कुल भी इरादा नहीं था । वो तो ये बुजुर्ग चाचा से बदतमीजी से बात कर रहा था इसलिए मुझे गुस्सा आ गया था । अचानक से उस नौजवान जिसने अपने गले में सात सौ छियासी वाला ताबीज पहना हुआ था, ने अपने सुर बदलते हुए दूसरे युवक की तरफ इशारा करते हुए कहा अरे नहीं इंस्पेक्टर साहब इसको जरूर कोई गलतफहमी हुई है । मैं तो बस इंडिया जी से माचिस मांग रहा था और कुछ भी नहीं । आप मुझे भी माफ कर दीजिए । अपने गले में उनके लॉकेट पहने हुए नौजवान ने भी हाथ जोडते हुए कहा एक माचिस मानने की साधारण सी बात को तुम लोगों ने धर्म मजहब से जोड दिया? नहीं दोस्त हो अब तो तुम लोगों को इतनी आसानी से तो माफी नहीं मिलने वाली है । आप तो तुम दोनों को आपस में लडना ही पडेगा, तभी तो लोग मुझे बच पाओगे नहीं । इंस्पेक्टर साहब अब हम लडना नहीं चाहते हैं । हम से गलती हो गई । हमें माफ कर दीजिए वो तो मैं जानता हूँ । यार ओह की तुम लोग आपस में लडना नहीं चाहते थे तो हमारा उद्देश्य तो इन लोगों को आपस में लडाना था । क्यों सही कहा ना मैंने? इसलिए दोस्तों अब तो तो मैं आपस में लडना ही पडेगा । अगर तुम्हारे धर्म और मजहब की इज्जत का सवाल है, अब अगर तुम नहीं लड हो गए तो फिर तो मैं अपने धर्म को, अपने मतलब के लोगों को क्या मोदी खाओ गए? क्यों बायो लोगों को अब आपस में लडना चाहिए या नहीं । धीरज ने भीड की तरफ देखते हुए पूछा फॅार साहब इनको अब तो आपस में लड नहीं चाहिए । इन को ऐसे नहीं जाने देना चाहिए । भीड में से आवाज आई क्या जा अब आप ही बताइए क्या इनको नहीं लडना चाहिए । धीरज ने नींबू पानी वाले अब्दुलकादिर से पूछा ना बेटा ये लोग गुमराह हो गए हैं । इन से गलती हुई है इन्हें माफ कर दो । कादिर ने उनकी तरफ देखते हुए कहा नहीं चाचा ना तो ये गुमराह हुए लोग है और ना ही इनसे कोई गलती हुई है । ये आप जैसे नहीं है जो ईमानदारी से मेहनत करके दो वक्त की रोटी का जुगाड करने में ही हँसी खुसी गुजर कर लेते हैं । ये दोनों तो आपस में मिले हुए हैं और चंद पैसों के लालच में जान बूझ कर अपने झगडे की आड में इस शहर में दंगा फैला ना चाहते हैं जिसमें न जाने कितने मासूम और ऍम जिसमें ना जाने कितने मासूम और बेगुनाह लोग मारे जाते हैं । इसलिए मैं माफी नहीं मिलनी चाहिए बल्कि इन्हें इनके की है की कडी से कडी सजा मिलनी चाहिए ताकि इनके साथ इन जैसे दूसरे लोगों को भी सबक मिल सके । फिर कभी कोई नफरत की आग फैलाने की कोशिश न कर सकें । धीरज ने कहा देर से का फिर उन दोनों की तरफ पडता और अपनी बात को आगे बढाते हुए कमाल है तो हम लोग अभी तक शुरू नहीं हुए । अब अगर एक मिनट के अंदर तुम दोनों ने लडना शुरू नहीं किया तो ध्यान रखना मैं तुम दोनों को इस भीड के हवाले कर दूंगा जिसे तो आपस में लडाना चाहते थे । फिर तुम खुद ही सोच लो ये भीड तुम लोगों का क्या हाल करेंगे? और एक बात और सुन लो तुम दोनों में से जो भी बंदा इस लडाई में हार गया मैं उसे भी इस भीड के हवाले कर दूंगा । इसलिए अपने अपनी जान बचाने के लिए जल्दी से लडना शुरू करूँ और जी जान से लडो । धीरज ने उनको धमकाते हुए कहा । उसकी बात सुनकर वो दोनों नौजवान कम गए । उन्होंने एक दूसरे की तरफ देखा और वहाँ से भागने के लिए मुझे पर तब तक भीड ने उनके चारों तरफ से गोला सा बना लिया था और उनके भागने के लिए जरा भी जगह बाकी नहीं । बच्चे हमारे पास बचने का और कोई तरीका नहीं है । प्यार हो समझ गए इसलिए शुरू हो जाओ । आप जल्दी से कहते हुए धीरज के वोटों पर एक मुस्कान उभरेंगे । वो दोनों भी उसकी बात और अपने चारों और के गुस्से से देखते हुए भीड को देखकर समझ गए थे हूँ कि अब उनका बचना मुश्किल है । तो मजबूरी में अगले ही पल दोनों आपस में लडने लग गए । लडते लडते थोडी देर में ही दोनों बुरी तरह से लहूलुहान हो गए और ठक्कर नहीं किए जाते रहे बस बहुत हो गया है । लोग जाओ तुम लोग अब बाकी की लडाई पुलिस स्टेशन चलके कर लेना । धीरज ने उन दोनों को नीचे गिरता हुआ देखकर कहा और फिर जोर से आवाज लगाई हवलदार इन दोनों को आप कडियाँ लगाओ, डाल दो । जीत में अब थाने में ले जाकर बाकी की सेवा करनी है । इन दोनों के भीड में से निकलकर हवलदार की यूनिफॉर्म पहने हुए दो आदमी आए और उन दोनों के हाथों में हथकडियां लगाकर पुलिस की जीत में बैठा मिले गए । काश सब लोगों की सोच आपकी तरह चाचा तो इस देश की शांति को भंग करने की कोशिश करने वाले इन जैसे अमन के दुश्मन कभी भी कामयाब नहीं हो पाएंगे और हमेशा मैंने अपने मुंह की खानी पडेगी । धीरज ने हाथ जोडकर कादिर से कहा । फिर वहां जमा भीड को संबोधित करते हुए अपनी बात आगे बढाये और आप लोगों का भी दिल से शुक्रिया जो आप इन लोगों की बातों में आकर आपस में लडने नहीं लग गए और एक बहुत बडा अनर्थ होने से बचा लिया । इंस्पेक्टर साहब हम लोगों ने इन दोनों को पहली बार ही इस इलाके में देखा था और जब इन्होंने जबरदस्ती का अधिक चाचा से छोटी सी बात को लेकर कहासुनी शुरू कर दी थी तभी हमें इन पर शक हो गया था । भीड में से किसी ने कहा किसी अनजान शख्स की बातों में आकर अपने बरसों पुराने दोस्तों और पडोसियों के साथ संबंध बिगाडना तो सरासर बेवकूफी कहलाते है । इंस्पेक्टर साहब किसी दूसरे शख्स ने का वैसे भी हम लोगों ने ये देख लिया था कि ये दोनों आपस में लडने के बजाय सिर्फ हम लोगों को ही लडने के लिए उकसा रहे थे । इतने सालों से हम लोग यहाँ पर आपस में प्यार मोहब्बत से रहते हुआ हैं । हम लोग इतने पागल नहीं है जो किसी अनजान शख्स की धर्म मजहब की बातों में आकर अपने बरसों के रिश्ते को खराब करते हैं । सबसे बडा धर्म इंसानियत होता है । सबसे बडा धर्म इंसानियत होता है सर और इतना तो हम जानते हैं कि इस धर्म को कभी कोई खतरा नहीं आना चाहिए । आप लोग वाकई समझदार हो और आप लोगों ने इस बात को समझा और इनकी बातों में नहीं आएगा । काश इस देश के सब लोग आपकी जैसे ही सोच रखते हैं तो दंगे जैसे आज से कभी इस देश में जन्म नहीं ले पाते । नमस्ते इंस्पेक्टर धीरज ने उनसे हाथ जोडकर कहा और फिर जीत में बैठ कर उन दोनों नौजवानों को साथ लिए आपने पुलिसथाने की तरफ रवाना हो गया ।

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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