Made with in India
भारतीय ऍम ने मुझसे कहा हूँ मैं आपको अपने बारे में सब कुछ साफ साफ बता दूँ । मैं शादीशुदा हूँ । मैं आपको अपने पति के पास ले चल रही हूँ । मैं उसकी ओर आॅक्टा रहा हूँ । आप इस तरह क्यों देख रहे हैं इसमें जब की बात क्या है हम तौर से लोग हमारी उम्र तक आते आते शादियों का डालते हैं और शादियों की बहुत सी वजहें होती हैं । फिर हमारे यहाँ तो शादियाँ करती चाहती हैं । मैं कुछ नहीं बोला । वो बोलती रही हूँ लेकिन मेरी शादी किसी और ने नहीं कि मैंने खुद ही की । ये शादी मैंने इसलिए नहीं कि कि मैं उनसे यानी अपने पति से बिहार करती थी । दरअसल उन्होंने मेरे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया । जब मैं बेसहारा थी तो उन्होंने मुझे सहारा दिया लेकिन औरत यही नहीं चाहती कि वह किसी आदमी के साथ औरत बनकर रहना और जीना चाहती है । मैं सोचती हूँ बहुत बनकर किसी को ली के साथ ही रहना अच्छा था । लेकिन आप एक वादा करें उससे ये ना पूछे कि मैंने ऐसे आदमी से शादी क्योंकि आप समझ सकेंगे ज्यादा करें । लेकिन आप मुझसे ये सारी बातें क्यों कह रहे हैं? मैंने कहा एक डेढ घंटे की जान पहचान में आपने अपने बारे में मुझे इतनी सारी बातें बता दी । खुद नहीं समझ पा रही । शायद में ये सारी बातें किसी से कहकर अपने मन का बोझ हल्का करना चाहती थी । ये शायद आपका बहुत विश्वास किया जा सकता है उसने नहीं । मैं कहा आपके पति कौन हैं? थोडी देर में आपको मालूम हो जाएगा । उसने कहा नहीं, बडी विदेशी कंपनी के हिंदुस्तानी चीफ हैं । उनका नाम है रोहित चंदानी । मैं कुछ समझ नहीं सका । उसके पति कौन थे? क्या नाम था? उन्होंने कहा, इन बातों का मेरे लिए कोई महत्व नहीं था । ये पूछने की कोई तुम भी नहीं थी । यही पूछ लिया था । मैं जो क्या बैठा रहा अब नहीं । इस मामले में गर्दन तक पहुंच चुका था । मेरी सारी सतर्कता बुद्धि विवेक जैसे हवा में उड गए थे । मैंने चक्कर से निकलने की सारी कोशिशें छोड दी । मन बार बार यही कह रहा था कि अब मामले की तह तक पहुंच करेंगे । उससे निकला जा सकता है और किसी भी तरह नहीं फॅस । हम डिफेंस कॉलोनी और अशोका होटल से होते हुए चाणक्यपुरी के इलाके में पहुंचे । इस इलाके में बढे लिखे उच्च वर्गीय लोग रहते थे । आगे नहर पार्क है । यहाँ कर प्राकृतिक जगह में होने का एहसास होता है । आदमियों से भरे कनॉट प्लेस में ऐसी शांत मनोरम जगह की कल्पना भी नहीं की जा सकती । इसके इर्दगिर्द दूतावास है । उनके बीच से खूबसूरत सडकें निकली हुई हैं । ऐसा लगता है जैसे ये सडकें बागों के बीच से निकली हुई हैं । हम भाग से भी आगे निकल आएगा । निरजन जगह में बनी बंगले के सामने माधुरी ने टैक्सी रुकवा दी । टैक्सी का किराया है दो सौ अस्सी रुपया । ऐसा माधुरी ने तीन सौ रुपए टैक्सी ड्राइवर की वह बढा दी है और बाकी रुपये लेने का इंतजार किए बिना बंगले के फाटा केवल बढ गई है । टैक्सी ड्राइवर सलाहम करके चला गया । फाटक पर तैनात एक वर्दीधारी दरवान ने उठकर फाटा खोला । यहाँ माधुरी शहजादियों की तरह पेश आ रही थी । दरबान ने उसे सलाम किया और उसने उसकी ओर देखा तक नहीं । एक बडे लॉन के किनारे ही आ रहे हैं । बने रास्ते से होते हुए हैं । हम मुख्य भवन के सामने पहुंचे । दो मंजिला काफी बडा बंगला थाई पोर्टिको में दो कोई चमचमाती हुई बीएमडब्लू कार्य खडी थी । बाहरी बरामदे में गद्देदार सोफे करीने से लगे थे । लेकिन ये बंगला जितना बढा था उसके मुकाबले यहाँ जीवन का चेन कम था । यहाँ भी माधुरी के दरवाजा खोलने से पहले ही न जाने कहां से प्रकट होकर एक आदमी ने दरवाजा खोला और माधुरी का सलाह बजाया । माधुरी ने बिस आदमी की ओर भी अपने नजरें नहीं उठाऊँ शहजादियों जैसे उसके इस व्यवहार का मेरे ऊपर रोक बडे बिना रह रहा है । अभी थोडी देर पहले जब मेरे साथ टहल रही थी मैंने नहीं समझाता की उसकी और मेरी दुनिया में इतना अंतर है । हम एक बडे हॉल में दाखिल हुए ऑल के सभी दरवाजों और खिडकियों पर पढ देखे थे हुए थे । पूरे हॉल में एक ही ट्यूबलाइट चल रही थी है पूरे हॉल के लिए काफी नहीं थी इसलिए वहाँ खान मेरा सा फैला हुआ था और शायद बाहर से आने के कारण मुझे तुरंत कुछ साफ दिखाई नहीं दिया । एक आदमी की आवाज सुनाई थी अलाॅटी तुम तो अभी वो उठा था । काम नहीं नहीं देखा उसे । इतनी देर में मेरी आंखें उस हॉल कि मध्यम रोशनी के लिए अब व्यस्त हो गई थी । ऑल के दूसरे सिरे पर एक बडी डाइनिंग गेट के पास मैं एक आराम कुर्सी पर बैठा था । उसके सामने छोटी सी थी । भाई पर एक प्लेट में कुछ खाने का सामान एक बोतल हमारे खिलाफ रखा था । ये आदमी कुर्सी से उठकर कुछ कदम आगे बढाया तो काफी लंबा, चौडा और मोटा आज भी था और उसकी जाल में फुर्ती और चलती थी । अभी कुर्सी पर बैठा वह शराबी पी रहा था पर ना तो उसके कदमों में लडखडा हाथ और ना आवाज में । हिचकौले जब है हमारे यहाँ आ गया तो माधुरी नहीं कहा यह रहे मेरे ऍन धानी ऍम मिस्टर संजय तो बहुत अच्छे, आपका स्वागत ऍम उसने हाथ मेरी ओर बढाया । उससे हाथ मिलाते हुए मैंने महसूस किया उसकी पकड मजबूत और कडी थी । उसने मुझे एक दूसरी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और वह भी कुर्सी पर बैठ गया । उसके बाद उसने पूछा, मिस्टर संजय अब कुछ देंगे । मैं पीता बिता नहीं हूँ । मैं पीता वही हो जहाँ पीना जरूरी हो जाए और इस वक्त मैंने महसूस किया कि एक हाथ पैर लेने से शायद मेरी बधावा सी दूर हो जाए और मैंने हामी भरते हैं जैसे खेल उठा ऍम है । अगर आप इंकार कर देते तो मैं मायूस हो जाता है और अगर हमारी बातचीत मायूसी के शायद शुरू होती तो वह मनोज शुरुआत होती है । मुझे आपने माल यूज नहीं किया । यह एक अच्छी शुरुआत है फिर उसने तीन छोटे गिलासों में थोडी थोडी व्हिस्की उडेली और एक ग्लास अपने हाथ में लेकर सिर्फ तक उठाते हुए कहा तो ये रहा की सेहत का जाम मुझे उसका दोस्ताना अंदाज बना । ऐसा लग रहा था इसलिए मैंने जवाब में गिलास नहीं टकराया । जो जहाँ वोट कर होंठों से लगा लिया हूँ, माधुरी नहीं भी यहीं किया । पीने पिलाने का दौर करीब आधा घंटा का चलता रहा हूँ मैंने सिर्फ दो लिए मेरी सीमा यही है । इसके बाद सवान और पैर लडखडाने लगते हैं और मैं कम से कम यहाँ इस अंजान जगह में ऐसा नहीं चाहता था । लेकिन चांदनी तो जैसे दीपा थी जो अपने अंदर शराब उडेले जा रहा था । बहादुरी उसका साथ तो नहीं दे रही थी पर वह भी लगातार पी रही थी जब मुझे अच्छा नहीं लगा । लेकिन इतना पीने के बाद भी जैसे उस पर कोई असर ही नहीं हुआ था । तभी ट्विटर ने आकर खबर दी पाना तुम्हारे साहब लगा । दु चंदानी ने मेरी ओर देखा । मिस्टर संजय क्या राय है आपकी, लेकिन आपको मुझ से कुछ बात करनी है । मैंने कहा तो बातचीत थोडी देर तक इंतजार कर सकती है ना । मैं सुकरात की इस बात का कायल हूँ कि सच्चाई तभी निकलती है जब पेट भरा हो । भूके पेट नहीं और राव की अभी तो कहा गया है भूके पेट भजन नहीं होता । फिर मेरे से उसने कहा तो जाओ और तीन जगह खाना लगाओ । मेरा उसी हॉल वाली डाइनिंग टेबल पर खाना लगा गया । दंदौली मुर्गा रिश् कटलेट, बहुत ही उम्दा मुगलई पराठे, नफीश चावल का पुलाव । मैं बहुत धोखा था । उम्दा खाना देखकर भूख और भी खुल गई । मैंने जमकर खाया । कल आज को भी ठीक से खाना नहीं खाया था । मेरे दिमाग के कोने में ताली एक कोठी सी बन करा भी मौजूद थी । चंदानी आगे क्या कहेगा इसका भी एक कुतूहल दिमाग में था । पर इस वक्त भूख और भोजन के बीच मैंने उसे भारत नहीं होने दिया । खाना खाकर हम फिर पहले की तरह कुर्सियों पर बैठकर चंदानी ने मेरी और बढियां अमरीकन सिगरेट का पैकेट बढाया । फिर एक सिगरेट खुद भी लेकर सुलगाई । कुछ देर ताक कुछ देर तक दो तीन लम्बे लम्बे कस लेने के बाद उसने कहा हाँ, मिस्टर संजय अब हम काम की बातें कर सकते हैं । मैं भी अपनी कुर्सी से उठ खडी हुई हैं । आप जारी है । मैंने कहा ने कुछ काम है । चंदानी बोला फिर अपने आप ही हो होकर हस पडा हम में से किसी ने हसने का उसका साथ नहीं दिया । थोडी देर पहले माधुरी ने उसके बारे में जो भावनाएं व्यक्त की थी मुझे वो सही मालूम हुई । मंत्री ने कहा फॅमिली हूँ फिर मिल होंगे आप से डेढ लाख विस्की अब अपना हल्का सा असर दिखा रही थी । उमदा खाने से भी तबियत थोडी अलसा रही थी । इसलिए जब माधुरी बाहर जाने लगी तो मुझे लगा मानो वह कमरे से बाहर तहर गई हूँ । चन्दानी मेरी ओर ही देख रहा था । उसके होट मुस्कान में पहले थे और आखिरी नहीं । आंखों में हिंसा पशु जैसी चमक थी । उसने कहा हूँ निश्चय संजय मैं देखता हूँ कि आप मेरी पत्नी के प्रशंसक हैं । मैं भी उठा गया । इस बात की ओर कोई ध्यान नहीं देते हुए चंदानी ने कहा कोई ताज्जुब नहीं सभी उसकी प्रशंसा करते हैं और मुझे ये बुरा नहीं लगता लगता भी नहीं चाहिए । अगर मेरे पास नया चीजें हूँ और लोग उनकी प्रशंसा करें तो मुझे फख्र ही होना चाहिए । हाँ और उस हालत में तो और भी जब चीज कई हाथों से गुजरकर मेरे पास पहुंची हूँ क्या नहीं उसका भी एक इतिहास हो । आपका यहाँ से गुजर चुकी हूँ इतिहासों मैं कुछ समझा नहीं । मैंने कहा अभी तक मेरे सामने एक के बाद दूसरी जो पहेलियां बनती गयी नहीं वैसे खोलने लगी । क्या अभी तक माधुरी ने आपसे प्यार की बातें नहीं? मेरी बात का जवाब देने के बदले चंदानी ने कहा क्या है की बातें आखिर आप का मतलब क्या है? कुछ खास नहीं । चन्दानी ने कहा आपको सिर्फ ये बताना चाहता हूँ कि कुछ लोगों को जैसे टिकट जमा करने का शौक होता है, उसी तरह माधुरी को अपने इर्द गिर्द प्रेमी जमा करने का शौक है । अखिल मंदिर या बेटी को भी से उनमें से मैं कुछ के साथ शादी कर लेती है है । उसका चौथा बनती हूँ । चौथा जहाँ मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ । मैंने बहुत ही अजीबो गरीब बातें सुनी । मार पडी नहीं लेकिन यहाँ तक की सबसे अजीब और अद्भुत बात थी । मेरा दम जैसे घुटने लगा तबियत हुई कि वहाँ से भाग खडा हूँ । लेकिन हॉल के सभी दरवाजे बंद है और मुझे मालूम था कि बाहर निकलने वाले दरवाजे के पीछे जरूर है । दरबान खडा होगा जिसमें माधुरी के लिए दरवाजा खोला था । मौका पडने पर खुलकार भी हो सकता था और ऊपरी भद्रा दावा बातचीत के कुछ मजाकिया लहजे के बावजूद चन्दानी काइयां और निर्णय था । ये बाद मुझसे भी नहीं नहीं लेकिन इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं । मिस्टर संजय उसने कहा यह शादी नहीं सुविधा का एक समझौता है । मैं उसे आराम और शांति जिंदगी मुहैया कराता हूँ और बदले जब मैं जरूरत समझता हूँ अपना जिसमें सकती है और कभी कभी अपनी मेहनत भी । यानि मैं उसे अपने दूसरे कानों में भी इस्तेमाल करता हूँ । जैसी हाथ आपको लाने के लिए मैं पूरी तरह हो रहा था । यह मुझसे क्यों इस तरह की बातें कर रहा था, अपना राजदार क्यों बना रहा था? मैंने तो कुछ पूछा नहीं, जनता नहीं । जैसे ऊंची स्थिति के लोगों को अक्सर कोई दोस्त नहीं होते हैं और जो कुछ भी होते हैं उसका उन्हें गर्व होता है । इसलिए जो भी उन्हें मिलते हैं उन से अपना जीवन दर्शन बताया बिना नहीं झुकते और यहाँ मैंने महसूस किया कि यही बातें नहीं थी । उसे मुझसे ताली लेनी थी और ताली उसे बिना जोर जबरदस्ती के मिल जाए तो सबसे अच्छा चाय । इसीलिए मैं इतनी भूमिकाएं बांध रहा था लेकिन डालेगी । वह चर्चा भी नहीं कर रहा था फिर करता रहा । मेरे लिए पति पत्नी की द किया तो उसी तालुका का कोई मतलब नहीं । मैं उन्हें कोई अहमियत नहीं देता भी मेरे लिए दूसरों की बात की अहमियत है । जैसे रूपया क्या है तो ताकत है । तब हम दुनिया के ऐशोआराम है । जहाँ तक माधुरी का सवाल है, उसे भी यही चीजें पसंद हैं । इनके लिए तो मेरे ऊपर बुला ऐसा रहना पडता है । इसीलिए मैं मुझसे तालुका तोड भी नहीं सकती । उसमें अच्छा सौदा किया है और मैं उसकी जिंदगी में कोई दखल नहीं देता है । हम हम मतलब की बातें करें । मैंने राहत की सांस ली । कम से कम डाली की बात की कुछ दुख थी । चन्दानी ने पूछा आपके पास डाली है है यहाँ इस वक्त आपके पास है नहीं । चन्दानी के चेहरे पर फिर एक कुटिल मुस्कान खेल गई । उसने कहा मिस्टर संजय, आप काफी चतुर आदमी हैं और चतुर लोगों की मैं बात करता हूँ । अब मैं ताली के लिए ना तो आपकी जान ले सकता हूँ वरना अपनी शर्तें मानने के लिए आपको मजबूर कर सकता हूँ । फिर भी आप की बात की सच्चाई पर रखने के लिए आपकी तलाशी लेनी पडेगी । हालांकि इस बात के लिए तैयार होंगे अडतालीस सचमुच अपने साथ नहीं ले आए होंगे । फिर भी कोई चांस नहीं लेना चाहता हूँ लेकिन यह मेरी भेजती है । मैंने कहा मिस्टर संजय । उसने कडी आवाज में कहा आप मेरे घर मैं यहाँ वही होगा जो मैं चाहूंगा लेकिन मेरे पास ताली सचमुच में नहीं आया । मैं आपको यकीन करता हूँ चंदानी नहीं कहा पर मैं कोई चांस नहीं लेना चाहता हूँ । उसने कॉलबेल दवाई जिस वर्दीधारी ने माधुरी के लिए दरवाजा खोला था, बिना किसी आवाज या आहत के मेरे सामने खडा हुआ । फिर पुलिस के सधे हाथों की तरह उसके हाथों ने मेरे सारे जिसमें की टोली एक एक जेब उसने देख डाली बोला हुआ अनुमान पर कमीज की आस्तीनें और काॅल जूते । मुझे सब उसने देख डालें । जब उसे ताली नहीं मिली तो जिस तरह रहा आया था उसी तरह चला गया बिना किसी आवाज या आठ के उसके जाने के बाद । चंदानी ने कहा सच में आप तो राज भी हैं मिस्टर संजय । हालांकि आप को देख कर कोई ये नहीं समझ सकता की आप इतने चतुर होंगे पर चेहरे धोखा देते हैं । जैसे माधुरी को देखकर हर कोई धोखे में पड जाता है है ताली आपके पास नहीं है । लेकिन इससे पहले कि हम इस पर आगे बात करें अब तो एक बात है और बता दें कौन सी बात है? क्या आपने ताली के लिए मान सिंह की हत्या की? नहीं मैं क्यों उसकी हत्या करने लगा? उसे मैंने कभी जिंदगी में देखा तक नहीं था । कभी नहीं नहीं मैंने कल से पहले उसे कभी नहीं देखा था । मेरे पास मदद मांगने आया और मुझे पकडकर खडा हो गया । उसके बाद उसने पता नहीं कि आती कहा कि भय से सफेद पड गया । फिर मैं मुझे छोडकर आगे भागा । चलती हुई मेट्रो कि नीचे गिर गया । लेकिन आपके लिए ये साबित करना मुश्किल होगा । वैसा संजय कि आपने मान सिंह को मेट्रो के नीचे नहीं खेला था होगा । मैंने कहा मैंने इस पर सोच लिया है पर आप मुझे धमकी देने की कोशिश कर रहे हैं, ब्लैक मेल करना चाहते हैं । मुझे चंदानी से कोई वह नहीं लग रहा था । अब है ना तो मुझे जान से मार सकता था । मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती कर सकता था क्योंकि मेरे पास नहीं थी । जनता नहीं नहीं कहा नहीं मिस्टर संजय आप मुझे गलत समझ रहे हैं । मैं आपको धमकी नहीं दे रहा हूँ । मैं सिर्फ आपकी मुश्किलें सामने रख रहा हूँ । अपनी मुश्किल है । मैं जानता हूँ । मैंने कहा पर मैं मान सिंह को जानता तक नहीं था कि उसके पास डाली है उस बीमार अपाहिज शरीफ घोडे को मैं क्यों मारता? शरीफ चन्दानी ने आश्चर्य से कहा । और फिर कई छडों तक मेरी ओर देखता रहा । फिर जोर का ठहाका लगाकर रहना पडा । खांसी से उसका सारा शरीर जैसे हिल रहा था । फसना किसी तरह रोका तो बोला मैंने कहा था ना मिस्टर संजय चेहरा धोखा देता है । इतनी है जी तो कोई ओर हो ही नहीं सकती । मान सिंह और शरीफ खुल खूब । मैं आपसे उसे देखता रहा । अब मुझे आपका यकीन हो गया । मिस्टर संजय उसने हसते हुए कहा हो सकता है आप सचमुच मान सिंह को ना जानते हूँ । कौन था ये उत्सकता बढती जा रहे थे माधुरी के साथ यहाँ आते हुए मैंने सोचा था कि इस दुर्घटना और ताली को लेकर न जिस चक्कर में फस गया हूँ, उसमें से निकलने का एकमात्र रास्ता शायद इसकी तह तक पहुंचना ही है । मुझे खुशी हुई कि मामले का राज कुछ कुछ खुल रहा था । मैंने सिर्फ पूछा मिस्टर चंदानी, आखिर मानसिंह गौंडार जनाब, आपका यह शरीफ मानसिंह दरअसल हिंदुस्तान का सबसे बडा दूर तथा अपने जमाने में क्या नहीं किया । उसने स्मगलिंग धोखाधडी जो का अड्डा चलाना सबकुछ यानी वो धूर्तों का बहुत अच्छा था लेकिन यही सब कुछ नहीं है । उसके हाथों पर कितने ही लोगों के खून के दाग भी थे । लेकिन इसमें आपको और ये डाली कहाँ होती है? मैंने उत्सुकता से पूछा आप की तरह मैं भी धोके में आ गया था । वेस् को फ्री में पढकर मैंने अपनी कंपनी में मान सिंह को इस बार बना लिया । खाली एक बैंक सेफ डिपॉजिट बॉक्स की है, जो मेरे और उसके संयुक्त नाम से था । एक पार्टनर का हिस्सा उसने धमकाकर खरीद लिया । धो पार्टनरों की जो अपना हिस्सा बेचने के लिए तैयार नहीं हुए । दो तीन दिनों के बीच ही बडे रहस्यमय ढंग से मौत हो गई । एक तो सडक पार करते हुए तेज बाकी हुई मोटर से टकराकर मर गया और दूसरा आजाद अपार्टमेंट में अपनी चौथी मंजिल वाले फ्लाइट से नीचे गिरकर हमेशा के लिए चला गया । नहीं चाहता था कि ये बात मेरे साथ भी हूँ । पिछले एक साल तक बयाना खौफ में रहते हुए मैंने उसके दल को तोडने में कामयाबी पाली । उसके साथियों की करतूत के सबूत जुटाकर मैं पुलिस को देता गया और वह गिरफ्तार होते गए । आपने डिगेड प्रेमियों को इकट्ठा करने का माधुरी का शगल इसमें कहाँ आया और अब मान सिंह का दायां हाथ जगह मेरे साथ है क्योंकि एक तो मैं माधुरी का कुत्ता है और दूसरे मेरे पास ऐसे सबूत हैं जिससे उसके गले में पन्ना पड सकता है । जब से मेरी आंखें खुली रह गई मुझे जिंदगी का काफी तजुर्बा है इसलिए अक्सर मुझे ताज्जुब नहीं होता हूँ । पर यहाँ चंदानी जो कुछ मुझे बता रहा था उसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी । मैं नहीं है भी नहीं सोचा था की वो छोटी सी ताली की बदौलत में इतनी सारी बातों का राजदार बन जाऊंगा । ऊपर से प्रतिष्ठित लोग बडे लोग कैसे कैसे खेल खेलते हैं । ये चंदानी जो सा बता रहा था कौन दूध का धुला था तभी जैसे मेरे विचार बढकर चलानी नहीं कहा आपसे सोच रहे हैं कि मैं इसके चक्कर में कैसे पडा । लेकिन मिस्टर संजय आप मेरा यकीन करें तो आपने मान सिंह को शरीर समझा उसी तरह मैंने भी समझा था । उसके बारे में मुझे तभी मालूम हुआ जब उसने अपने हथकंडे दिखाने शुरू किए तो मुझे भी वही हथकंडे अपनाने पडे जो मानसिंग बनाता था । लो वालो ऐसे इकट्ठा है ना । लेकिन बैंक डिपॉजिट बॉक्स की दो तालियाँ होती हैं होती हैं एक हमारे पास और एक बैंक के पास हम दोनों उसे साथ साथ ही खोल सकते थे । एक आदमी उसे तभी खोल सकता है यदि दूसरा लिख कर अपनी अनुमति देते हैं । इसके अलावा हम में से एक आदमी उसे तभी खोल सकता था जब दूसरे की मृत्यु हो जाये । फॅमिली रहते मेरे पास थी । लेकिन शाम को मान सिंह ने मेरे तालियों के गुच्छे से डिपॉजिट बॉक्स की ताली चुरा लिया । चुरा ली जी हाँ चांदनी चंदानी नहीं, कठोर स्वर में कहा और ताली उसके पास रहने का मतलब आप समझते हैं क्या? इसका मतलब था मेरी मौत अकेले बैठे पहुँच बॉक्स तभी खोल सकता । ढांचा मैं लिख कर बैंक को इसकी इजाजत देता लेकिन ये मैं कभी नहीं करता । इसलिए मेरी मौत इस बात के लिए लाजमी थी ताकि ऍम खोल सके । कंपनी के दो डॉक्टरों के साथ क्या हुआ, ये मैं बोला नहीं हूँ । यही मेरे साथ भी हो सकता था । जैसे ही मुझे पता चला कि उसने दारी चुरा ली है, मैंने जगन को उसके पीछे लगा दिया । महान सिंह अकेला हो गया था । उसके सारे साथ ही जेल में थे और उसका दाहिना हाथ जगह उसकी जान का प्यासा था । भाग निकला तो किसी भी कीमत पर ताली जगन के हाथ में पडने नहीं देना चाहता था । इसलिए उसे सबसे अच्छा उपाय यही सोचा होगा थाली आपको दे दे फिर कभी आप से मिलकर ताली ले ले का लेकिन जघन्य उसे आपसे बात करने का मौका नहीं दिया । वो एकदम से उसके सिर पर पहुंच गया तो उसने चुपके से ताली आपकी छह में डाल दी और यह सोचकर कि किसी तरह आपका पता लगाकर फॅमिली पा जाएगा । मैं भाग निकला । पर इस बार किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया । बहुत से लोगों की मौत की वजह बना था दो कदम आगे बहुत उसी का इंतजार कर रही थी । आपने मुझे जो कुछ भी बताया है या दी वह सच है । यहाँ अपने अगर खुद उससे ताली छीनकर उसे मेट्रो के नीचे नहीं धकेला तो यही हुआ होगा । मैंने आपको बता दिया ना कि मैंने उसे नहीं धकेला । कुछ गुस्से में बोला और अपने आप से इस विषय पर बात भी नहीं करना चाहता हूँ ।
Producer
Sound Engineer