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Part 3 in Hindi

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Authorउमेश पंडित 'उत्पल'
किसी भी लड़की के लिए बहुत जरूरी होता है कि शादी के बाद उसे एक अच्छा वर और एक अच्छा घर दोनों मिलें। Script Writer : Mohil Author : Umesh Pandit "Utpal"
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भागती हैं । फॅस घबरा रहा था । क्लास में उसे मन नहीं लग रहा था । सोना पहन महसूस हो रहा था । सुनी दो दिनों से कॉलेज नहीं आ रहा था । उसने चंदा को उसके बारे में कुछ भी नहीं बताया था । दो दिनों से चंदा से एक बार भी नहीं मिला था । प्लाॅट होते ही मैं गल्स कामान् रूम में चली गई । वहाँ भी उससे मन नहीं लग रहा था । सुनील के साथ बिताया दिन की आज उसे आने लगी । चंद आपकी तीन फॅमिली तो शायद मेरे जैसी कोई लडकी कॉलेज में नहीं है । सुनील ने कहा तो मुख्य मजाक की बात को छोडकर प्यार की बात क्या करूँ? मीठे था आपने? छन्दा बोली अरे इससे भी तो प्यार की बात कहते हैं । एक बार पूछूँ कुछ ना क्या मैं तुम्हें प्यार करता होना मुख्य पूछते हो अपने दिल से पूछो मेरे दिल तो कह रहा है क्या? यही कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ तो अब मैं क्या बताऊँ है तो मुझ से प्यार नहीं करती हूँ हूँ । चंदा ऍम मैं तुमसे प्यार करती हो । उसकी बातें सुनकर सुनील है । उसे अपनी बाहों में समय लिया था । सुनील की हरकते हैं । जनता को बेहद पसंद थी । मैं उस से दूर नहीं होना चाहती थी । शाम बहुत निराली थे । चंदा घास के गलीचे पर बैठी राजेंद्र पार्क में सुनील का इंतजार कर रही थी । लेकिन उसका कोई पता नहीं था । उसका दिल बुरी तरह घबरा रहा था । कहीं उसकी कहाॅ तो नहीं हो कहीं? लेकिन ये कैसे हो सकता है । उसके साथ तो उसने कार में बैठकर हजारों मीलों की दूरी तय की थी । अनेक बाधाएं उपस् थिति होने पर भी उसने उसका बाल बांका तक नहीं होने दिया । सहसा उसने थानकी आवाज सुनाई पडी ऍम कोटी झट से खडी हो गई । कत्थई रंग का सूट पहने हैं एक नवयुवक को उसने देखा उसे समझते देर ना लग गई की रह सुनील है तेजी से कार के पास कहीं फिल सुनील उसके गले से लिपटी हुई वह बोली मेरी छोडो ना सुनील बोला क्यूँ लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे हूँ प्यार किया तो फिर ऍम तुम प्यार में दीवानी हो गई हूँ नहीं तो छोड ना हो सकता हैं हरी पगली चल देखते गाली क्या लाया हूँ वहाँ रहा जा तुझे मेरे प्रति कितना ख्याल है सुनील के हाथ में साडी के पैकेट को देखकर चंदा फूलना समय वो अपने दिल पर काबू ना पा सके छह बोल उठी तेरह हाल है कि मैं जल्द दुल्हन बन जाऊँ । चंदास तुम जानती हो कि प्यार की आखिरी मंजिल शादी होती है कभी कभी सपने में मैं तो मैं दुल्हन की तरह सज धजकर बैठा देखता हूँ । मेरा मन भर जाता है । दिल चाहता है कि उस मिला के आने के पूर्व मैं तुम्हें दुल्हन के रूप में देख लूँ इसलिए आज हमारे लिए साढे लेता आया हूँ । पार्क की ढाई और कदम बढाते हुए हैं । सुनील ने कहा तो कब दुल्हन बना करने जाओगे ऍम उतावली होकर चंदा ने पूछा अभी सच संदेह क्या नहीं हूँ? लेकिन हाँ इतना भी क्या चल रही है मेरी जान अब कब तक होगी जब तक कि मेरी और तेरी शादी ना हो जाए तब तक ऐसा ना होगी । तुम्हारी शादी किसी और से हो जाए और मैं जीवन भर तेरे प्यार की आग में चलता हूँ । सुनील इसे कदापि नहीं हो सकता । जिंदगी भर तुम्हारी ही बनी रहूंगी । तेरे बिना में थोडा कर मर जाऊंगी । है ना चंदा मेरी चार मेरी धरती की रानी । यह कहकर सुनील ने चंदा को अपनी बाहों में समय क्या छोडो ज्योति के हाथ को छुडाती हुई चंदा वाली अरे ज्योति तुम क्यों मजाक कर रही हूँ वो धीरे से बोली तुम पहचान गई, हस्ती हुई छोटी वाली ज्योति ने जब चंदा कि आंखों को अपने हाथों से बंद कर दिया था तो उसके बीता दिनों की याद की कडियां टूट गई । पर चंदा उसके हाथ के स्पर्श को समझ गई की रहती होती है तो उन का मातम की ज्योति को देखकर चंदा ने पूछा तो मैं क्या पता की छुपेरुस्तम कब चले आते हैं? तुम तो सुनील की यादों में हमेशा कोई रहती हूँ । ज्योति बोली नहीं छुपेरुस्तम साहिबा! मैं सब कुछ समझती हूँ । सुनील की रानी जी पी आप परदेश चले गए पर तो वह कुछ कह के नहीं गए । ज्योति के बोलने का आवाज ऐसा था कि उसे लगा कि वास्तव में सुनील उससे बिना कुछ कहे कहीं बाहर चला गया । ज्योति की बातों पर उसे पूरा विश्वास था है । उसे अपने सुख दुख की सारी बातें बता दे देते हैं । ज्योति उसके साथ पूरी हमदर्दी देखती थी । जलती मुझे मन नहीं लग रहा है । चंदा अपनी व्यवस्था को ज्योति के सामने प्रकट करती हुई बोली क्या सुनील काम से मिला नहीं है? जलती ने उसके मन की बात का अंदाजा लगाते हुए पूछा हूँ तो तीनों से मैं उसे क्लास में नहीं देख रही हूँ । इसके पहले चलते मिला था तो जल्दबाजी में था । इससे ज्यादा बातें नहीं कर सके । आज मेरा मन बुरी तरह कब रहा है? चंदा नहीं कहा तुम चिंता मत करो । मैं पता लगाकर तो मैं बताउंगी । चलो आज पिक्चर भी देखनी है । ज्योति बोली और उसका हाथ पकडकर कॉमन रूम से बाहर आया नहीं । दोनों बराबर की स्थिति में चलने लगे । चंदा का मन कई दिनों से नहीं लग रहा था । हमेशा कोई कोई सी रहती नहीं । दो दिनों से कॉलेज भी जाना बंद कर दिया था । उसे खाना भी अच्छा नहीं लग रहा था । रात भर वह सुनील कि यादव में करवटे बदलते रहते हैं । जब काफी रात गुजर जाती तो उसकी पलकें बोझिल हो जाती है । तब है सपनों में हो जाती है हूँ अच्छा वो तो कितनी तेजी से दौडे जा रहा हूँ मैं कैसे दौडों चंदा आग्रह कर बोली तेजी से और चंदा रानी मैं खडा हूँ रुक कर सुनील बोला चंदा तेजी से अपने कदम सुनील कीमत बढाने लगे । कभी कभी गिर पडती फिर सहसा उठकर तेजी से बढने लगती है तो जीवीऊ कुछ छोड कर चले जाते हो । तुम तो मेरे बारे में कुछ भी नहीं सोचते हो । लगता है कि मैं तुम्हारे लिए जहर लडकियों खुद कई दिनों से तुम्हारी याद में कुछ भी वन नहीं लग रहा है । जब से तुम गाडियों तुम्हारी आज मुझे हमेशा सताती है उसका तो मेजर अभी कुछ ख्याल क्या? सुनील के समीप आकर चंदा गोली क्या बताओ? मेरी चार पिताजी ने मुझे कुछ आवश्यक काम से बम्बई जाने के लिए कहा था । मुंबई जाने में देरी होने से काम भी कर सकता था । इसलिए मुझे जाना पडा । मुझे तो मैं कुछ कहने के लिए समय नहीं मिला । बम्बई पहुंचने के बाद दो तीन दिनों तक मैं काम की तलाश में रहा । सोचा तो मैं पत्र लिख दूँ पर मैंने पत्र लिखना उचित नहीं समझा । इसलिए की जब तक पत्र तुम्हें मिलता हूँ अब तक तो मैं तुमसे मिलने तक । सुनील ने कहा बडी होशियार हो गया । ऊंची अच्छा छोडी सब बात बताओ की मुंबई में तुम्हारे समय के सवीता चंदा ने कहा तो मैं क्या बताऊँ? मेम साहिबा मेरे दिल से पूछ लो तो बाहर है । बिना मुझे कुछ मंत्री लग रहा था । होटल के कमरे में लाभ भर करवटें बदलता रहा है । फिर भी नहीं नहीं आती तो मुझे काफी संतोष मिलता । जब की तुम्हारी छाया बोलती है फिर सपने में आ जाती है । सच पूछा तो मेरी जान तुम्हारे लिए मैं अपने पिता जी का काम अधूरा ही छोड कर मुंबई से चला आया हूँ । सुनील ने कहा सुनील की बात सुनकर चलता हूँ अपनी खोई हुई हम मत फिरसे वापस ले आई उसे तो सुनील पर पूरा विश्वास था । सुनील उसे क थापित होगा नहीं दे सकता । सुनील की बात सुनकर चंदा खुशी से उसके गले से लिपट गईं । सुनील उसके बालों पर हाथ फेरता लगा । झंडा उसके सीने पर अपना मास्टर्स देखकर उसके दिल की धडकन सुनने लगी । चंदा आज की रात कैसे सुहावनी ॅ चांदनी बहाल है सब जगह सफेद सत्तर बिछा हुआ है ही चाहता है कि चांद की छुप दायनी चांदनी में चीवर कर नहीं हूँ । लगता है तुम्हारा चेहरा गगन के चंद जैसा हूँ । कभी की तरह भावुक होकर सुनील ने उसकी तुलना शान से करीब ऍम तुम भी अजीब सोची तो मालूम नहीं कि जो लगता है वो होता नहीं है । चंदा ने कहा तुम भी कहती है जान मैंने भी अनेक युवक एवं युवतियों को देखा है । दोनों एक दूसरे के लिए सर्वस्व लुटा देना चाहते थे । प्यार दीवानगी का रूप धारण कर लिया था । फिर भी दोनों आपस में प्रेम के बंधन में ना बंद हो सके । कहने का मतलब ये है कि जिससे प्यार होता है उससे ये जरूरी नहीं की शादी भी हो जाए । सुनील बोला कई तुम लोगों की तरह तो नहीं बन जाओगे? चंदा ने पूछा नहीं जान मैं अपने प्यार को साकार रूप जरूर दूंगा । जायज के लिए मुझे ऐसी मुसीबतों का सामना क्यों नहीं करना पडे? जहाँ हाँ एक बार वो पूछ रहा हूँ तो नहीं कभी मैं हूँ तो आओगे ना कहाँ मेरे यहाँ किस लिए हरी पगली तुम जानती हो कि मेरी सगाई हो गई है । कल मेरी शादी होगी तो हरी जैसी दुल्हन आएगी लेकिन चंद में तो मैं कभी नहीं भूलूंगा । तो मैं क्या मालूम कि मैंने शादी को रोकने के लिए क्या नहीं किया । लेकिन पिता जी के सामने मेरी एक बिना चली चाहे तो देखना कि मैं उस से भर वो बात तक भी नहीं करूंगा । उससे नए हमेशा दूरी रहूंगा । नहीं चार तो मेरी जिंदगी हो । विधि बच पूरी को समझकर तुम मुझसे घृणा ना करना तो तुम्हारे लिए मेरे दिल में वही स्थान बना रहेगा । राजस्थान मेरी सगाई होने के पहले था । फॅमिली फॅमिली सामने से द्वारा चेहरा भी नहीं देखना चाहती हूँ । ऐसा सपना में चंदा चला । उल्टी उसे अपनी स्थिति का आवाज हुआ । उसकी नींद टूट चुकी थी । उसके समीप सुनील ना था और ना उसकी आवाज सुनाई पड रही थी । उसकी नजर टेबलटॉप की और नहीं रात की दो बज रहे थे । सपना टूट गई । उसका बदन पसीने से भी क्या फिर लेट गयी । करवटें बदलती रही फिर भी नहीं नहीं आ रही थी । तरह तरह की भावनाएँ मन में उत्पन्न होने लगी । क्या वास्तव में उसका सपना सच हो जाएगा? क्या सुनील उसे छोड कर किसी गैर लडकी से शादी कर लेगा? अगर उस की शादी हो जाएगी तो क्या हर्ज है? अपनी नवेली दुल्हन को स्वीकारना करेगा क्या सुनील फिर भी उसके दिल कर ढूँढता रहेगा । सोचते सोचते उसकी फॅालो कहीं

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