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कुछ अनकहे अलफ़ाज़ - 03 in  |  Audio book and podcasts

कुछ अनकहे अलफ़ाज़ - 03

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बरसात में जैसे बूंदों का धरती से मिलना, तेरा मिलना मेरे तकदीर में जैसे इंद्रधनुष का खिलना! यही हाल होता है जब सालों बाद अपने बिछुडे हुए प्‍यार का मिलना होता है और फिर ये दिल कहता है-काश हम उस वक़्त बोल देते…. काश वो वक़्त फिर से लौट आता... यह सब बातें कभी-न-कभी हमारी ज़ेहन में एक हलचल-सी करती रहती है। वक़्त गुज़र जाता है और उस दोस्त से कुछ न कह पाने का एक अधूरापन हमें परेशान करता रहता है और कहीं उनसे सालों के बाद अचानक मिल गए तो क्या आलम होगा कभी सोचा है आपने ???
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कुछ देर बाद वेटिंग मेन्यू कार्ड लाके ॅ रख दिया । इसी दौरान राजीव ऍम को देख रहा था सब क्या लेंगे? इतना है कि आवंटन लेने का इंतजार करने लगा । राजीव क्या खाना पसंद करोगे? बोलो तो यहाँ पे क्या अच्छा मिलता है? फॅमिली इतना क्या सोचना ऍम इस बात में बेटर थोडा होगा और आई सी की तरफ देखने लगा राजू तुम परेशान ना हो, एक काम करो दो प्लेट सूपी नूडल्स और चार गुलाबजामुन ले क्या ऍम फस गया और अभी आया फॅार्म की तरफ चल पडा क्या तुम भी किसी से भी कुछ भी बोल देते हो? बच्चा है थोडे ना समझे का मजाक कर रहे होंगे ऑर्डर दे रहे हो । अरे यार मुझे क्या पता क्या अच्छा मिलता है क्या? नहीं तो फिर एक काम करो जम्मू बंद रख ओर बस सफर का मजा लो जी विधानी साइबा आपका हूँ काम सलाखों पर हूँ हंसो हंसो तुम्हारा सर कलम कर देंगे विस्तार प्रजा ऍम फॅस के लोग उनको देखने लगे थे । राजीव देकर थोडा असहज महसूस करने लगा और आईसीसी को देख के इच्छुक होने का इशारा किया । आयुषी आप कल्पना की दुनिया से निकलकर हकीकत की दुनिया में दाखिल हुए और तुरंत चुप हो गई होटल का होना भी इन की ओर देखा जा रहा था, लेकिन कुछ बोल नहीं पा रहा था । मैं जा रहा हूँ पता है राजीव यहाँ का नूडल्स बहुत फेमस है और गुलाब जामुन तो वर्ल्ड फेमस बोल सकते हैं । जो भी अगर एक बार आया दोबारा किसी रेस्टोरेंट में आता जरूर है । एक सर यहाँ रहती हूँ तो एक दोस्त आपसे जान पहचान हो गई है । दोनों बातें कर रहे थे । कितने में गर्मागर्म नूडल्स उनके सामने परोसा गया । ये देखकर राजीव क्या उठा? वहाँ खुश तो बहुत शानदार आ रही है । इतने मैं आयुषी ने एक चम्मच से नूडल्स लिया और राजीव की मुंबई डाल दिया । वो पहले खाना कर उनका तो फिर बात करना । सारी बातें आयुषी ने इशारों में नहीं । राजीव शादी तो समझ गया था और चुप होकर सर को जगाए नूडल्स खाया जा रहा था । दीदी ऍम कुछ और चाहिए तो बुलाना मुझे । इतना के राजू दूसरे कस्टमर लोगों की खातिरदारी करने चला गया । ऍम ले रहा था भाई नहीं उसे देखने जा रही थी । फिल्म में बस एक ही ख्याल आ रहा था । हाँ, ऐसे ही ठहर जाए और दोनों एक दूसरे के साथ हैं । उम्र भर के लिए अपने ही घायालों की दुनिया में खोई हुई आयुषी को पता ही नहीं चला । कब राजीव हैं गुलाबजामुन खाने शुरू कर दिए थे भाई प्यार का एक एहसास भी बहुत खास होता है । अपने महबूब को निहारते रहने का कुछ हो जाए । लास्ट पीस गुलाम जामुन प्लेट था और राजू के बुखार ने से आयुष्य हकीकत की दुनिया में लौट आई । ऍफ को देखकर आयुषी ऍसे कहा एकदम से सब खत्म कर दिया । ये बहुत गलत बात है । राजीव तो ऐसा कैसे कर सकते हो? देखो मैंने मैंने कुछ नहीं किया तो बोला था चुपचाप खाने को तो बस वही करता गया था जो तुम बोलो । ऐसा ही कहा था ना, तुम्हारी दीदी ने फॅस बढा दिया और अगले ऑर्डर क्या देंगे? वो लोग इसका इंतजार करने लगा । वैसे तो मैं क्या सोच रही थी मैं मैं मैं क्या सोच रही थी? कुछ तो नहीं । आयुषी इतना कहकर अनकम्फर्टेबल फील कर रही थी । राजीव में यह देख कर पातें । बदलते हुए राजू को एक कटोरी मैं गुलाब जामुन लाने को कहा । वैसे एक बात करूँ हूँ क्या कहना है? आयुषी चल रही थी । राजीव के बर्ताव है तो ऐसे अकेले सब खा सकता है ना । सारा गुलाब जामुन आयुषी काॅमन बहुत इस आदेश था उनसे पता ही नहीं चला । कब एक के बाद एक में डालता गया ऍफआईआर अभी राजू लग तो रहा है ना उसका डोरी से एक बीस नहीं लूंगा पक्का राजीव ने कहा और हसने लगा । कुछ देर बाद राजीव एक कटोरी मैं गुलाब जामुन लाया और उसे खाते हुए दोनों काउंटर की तरफ बडने लगे दिल पे करके अपनी स्कूटी की तरफ चलते हैं । वैसे यहाँ पर सोलह फास्ट फूड सेंटर का क्रीमरोल बहुत लाजवाब है । आयुष का मन था राजीव को क्रीमरोल खिलाने गा लेकिन माहौल तो गरम था । घर से आयुषी लाल हो गई थी । जब स्कूटर के पास दोनों पहुंचे राजीव ने कहा फॅमिली में आईसीसी नहीं कुछ भी नहीं बोला और उधर ही गाडी रही आजीत नहीं कहीं से सुना था । ॅ पाउडर से बनी काफी बहुत फेमस है । एक बार कोई पीले सारे गिले शिकवे भूल जाता है । बस इसलिए उसने नजदीकी गौर से दो काफी लेके आयुषी के पास क्या पडा ऍम अब आयुषी थोडा नॉर्मल हो गई नहीं हूँ । उसने काफी काश्यप लेते हुए कहा मैं तो पागल हुई तुम सुनते मेरे बात बताओ तुम से कुछ दिल का रिश्ता ऐसा बनाया ना पगली देवी हर बाद सराखों पर और काॅल अरे भाई तो मैं खुश करने के चक्कर में तुम्हारा दिल दुखा दिया । हमने मुझे माफी मिलेगी क्या राजीव सकता हूँ? चेहरा बनाकर बोला की आयु शेखर गुस्सा कहीं दूर चला गया । आॅफ लेते हुए राजेश के गानों को क्या है? तो उनको जो बोला है बोल सकते हो । मैं गुस्सा नहीं होंगे । अब आगे बडी सफर अभी बहुत बाकी दोनों कॉफी खत्म करके गाडी के आगे चलते है । नैनीताल आएंगे और नौका विहार न किया तो क्या क्या झील में बोटिंग करने का एक अलग ही मजा है । फुल वोटिंग का किराया कुछ दो सौ दस रुपये तो दोनों का पास बनवाया । इसी बारिश के मौसम में भी बादल को करीब से देखा जा सकता है । और ये तो दिसंबर का महीना था तो कोहरा भी बहुत था ऊपर वाले से तहेदिल से कुछ मांगों और वह पूरा ना हूँ ऐसा कभी नहीं हो सकता । आज आयुषी की बरसों पुरानी मुराद पूरी होने जा रही थी । कभी कहीं राजीव से मिले तो नौका विहार करूंगी । सोच रखा था एक बोर्ड में एक साथ पांच छह लोग बैठ सकते थे । इन को अकेले ही झील की परिक्रमा करना था । थोडा एक्स्ट्रा चार्जेज लगे जिसे देने में राजीव में कोई सवाल नहीं किया और पैसा बढा दिया । अब दोनों एक दूसरे के सामने बैठ गए । सुबह का वातावरण बहुत ही मनमोहक था और ऊपर से ठंडी ठंडी हवा का चला कदम में रोमांचक बन कर रही थीं । राजीव आयुषी को देखे जा रहा था । इधर आयुषी भी उसे देखे जा रही थी तो दोनों की आंखें बात कर रही हूँ । नाविक गाइड कर काम भी कर रहा था । बीच बीच में कोई जगह के बारे में कुछ ना कुछ बोले जा रहा था । क्या सोच रही हूँ? आयुषी मैं क्या सोच रही हूँ? कुछ भी तो नहीं आपके काम बता सके आएगा । एक जमाना था जब हम एक दूसरे से एक पल के लिए भी दूर नहीं रहते थे । आज देखो इस साल बाद मिल रहे हैं । सब अपने अपने काम को इतना ज्यादा अहमियत दे रहे हैं । राजीव बस के साथ सब कुछ बदल जाता है । लोग बदलते हैं । उनका बर्ताव बदलता है । हाँ वो तो सही है लेकिन हम तरक्की के पीछे दौड रहे और इसे रेस में अपने को भूलते जा रहे हैं । एक बात कहूं राजीव बुरा तो नहीं माडॅल बोलो क्या बोलना चाहती हूँ तो सच में बदल गए हूँ । आज मैं अलग ही राजेश को देखता हूँ । मतलब समझ नहीं पाया । ऍम जांगरे बर्ताव में कोई कमी दिखी तुमको एक वक्त मैंने तुमसे कहा था तो बहुत ही ज्यादा इमोशनल होते हो । छोटी छोटी बातों पे लेकिन आज तुम बदल गए हो और ये एक अच्छी बात है । बहुत सी बातें से खा देता है । उसी बदला नहीं । तूने मुझे अपना एक नया चेहरा बनाने को मजबूर कर दिया । अरे लोगों को वो अच्छा लगता है जो वह सुनना चाहते हैं ना कि जो सही हैं । ये बात तो सही बोले अभी लग रहा है मुझे एक लेखक से बात कर रही हूँ । लेकिन एक बात कहना चाहेंगे अपने अंदर के मासूम राजेश को कभी मार मत देना । वो जो सब की खुशी की दुआ मांगता रहता है वो जो खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचा करता है । मैं ऐसा ही हुआ । आयुषी जैसा कॉलेज के दिनों में हुआ करता था । बस एक बात जो उस वक्त समझ नहीं पाया था तो होते ही अपने समझा दिया जी ऍम हूँ ये बात तो मैं ना कल गए पाया और ना ही आज कर पाऊंगा । कल तो मेरी दोस्त थी आज किसी और ही पीती हूँ, बोलने का फैसला नहीं था और आज भूलकर तुमको रस्सा नहीं करना चाहता हूँ । राजीव आयुषी को देखकर मन ही माननीय सब कहे जा रहा था । उसी आयुषी झील के पानी का देख रही थी । कुछ कहा तो मैं नहीं तो मैंने तो कुछ देने का लेकिन मुझे ऐसा लगा कि तुम्हें कुछ कहा बहुत कुछ कह रहे थे मुझे ॅ लेती हूँ । फिर इन बातों को छोडो और मेरी नाॅन हो । इतना कहेंगे राजीव अपनी बुक के बारे में बोलने लगा । अब दोनों के लौटने का हो गया था । झील का एक चक्कर लगाकर नाओ किनारे लग चुकी थी । दोनों बोर्ड से उतरे और नैना देवी मंदिर की ओर बढने लगे क्योंकि झील के नजदीक ही था । आस पास के इलाके में मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा भी है । एक छोटा सा स्टेडियम भी है जहाँ हर कोई फ्री में मैं देख सकता है । यहाँ लोकल लोग तथा पर्यटकों भी लगती रहती है । जब भी मैच होता है आयुषी और राजीव मंदिर दर्शन के बाद नजदीकी के स्टेडियम में चले गए । थोडी देर के बाद आयुषी ने चलने को कहा तो फिर के गार्डन में पहुंचे दो राजेश के लिए ये सब जगह बहुत ही रोमांचक प्रतीत हो रही थी । तो ऐसे तो बहुत हिल स्टेशन घूम चुका था । राजीव लेकिन कमी से लगी रहती थी हर जगह पर उसे आज जब आयुषी के साथ है तो उसे महसूस हो रहा है कि क्या ढूंढ रहा था । इतने सालों से हो या यू कहें किसी तलाश रहा था अपनी लाइफ में हर जगह, हर महफिल में । हाँ आयुषी ही है वो जिसके बिना राजीव का हर दिन, हर शाम हर सभा बेरंग था । आज दोनों ही बहुत खुश हैं । इतने खुश की चारों ओर की भीड भी उनको पता नहीं चल पा रही कि गार्डन पर साठ रूपये टिकेट लगता है । एक बंदे का यहाँ नहीं आए तो क्या देखा नैनीताल में ऐसा कहा जाता है । दो टिकट ले के अंदर गुफा में गए तो बहुत दे रहा था । बीच बीच में छोटे छोटे बल्ब लगे हुए थे जिससे बस आगे जाने का रास्ता नजर आ रहा था । आयुषी राजीव के हाथ को कसके पकडे आगे बढ रही थी । यहाँ कुल मिलाकर सात के थे और टाइगर के पैंथर के देखने लायक जगह थी । राजीव कैसा लग रहा है? गाडी ऍम होगा । मैंने ऐसा गार्डन कभी नहीं देखा था । ऐसा है देखने के लिए । जगह बहुत है और टाइम कम है हमारे पास इसलिए बोला था मैंने दो दिन लोग जाऊँ मैं पूरा नैनीताल का दर्शन करवा देंगे तो मैं मैं रुकने का तो बहुत मन हो रहा है । हर लेकिन छुट्टी एक स्टैंडी नहीं हो पायेगी । मेरी तो तो उस वर्ग में रह रहे हो या ऐसा कुछ नहीं है । रोज रोज घूमने तो उतना मजा नहीं आएगा । कभी भी हाई तो जगह है वहाँ जाने से दिल को बहुत सुकून मिलता है । चलो ऐसी जगह को चलते हैं जाने से पहले ऍम आ जाए ना ठीक है फिर आगे से राइट जाने बडी शॉप है जहाँ बहुत उम्दा किस्म की काफी मिलती है । यहाँ ऍम बनाते हैं ऍम मजा ले सकते हूँ । आयुषी कहा आगे की तरफ हो हूँ हूँ हूँ । कुछ देर बाद दोनों ऍफ भी बना दी । अरे वाह वाह क्या बात है एक सिर्फ कॉफी लेने के बाद ना जी बोल रहा था । मैंने बोला था ना यहाँ के कॉफी वर्ल्ड फेमस है । सच में यार एकदम से मजा आ गया ऍम राजीव ने कितना कहके अपनी ऍम अक्सर वो बहुत खुश होता है तो ऐसा ही एक्सप्रेशन देता है । ये बात आयुषी को बहुत अच्छे से पता है । फॅमिली होना आयुषी ने पूछा तो राजीव ने सिर हिलाकर मना कर दिया । चलो फिर और एक जगह जहाँ बहुत अच्छा फील होगा तो मैं फॅार राजीव का था और केवल बढते लगेंगे । तुम तुम लोग राष्ट्रीय पर चल रहे होते हैं और इतने में राजीव रहता है । मैं अपनी अगले किताबी जगह के बारे में लिखा होगा कभी कभी कुछ जगह हमारे जहनों दिल में उतर जाती है । ये भी देखो कुछ ऐसी चल रहा है ना ये सच में बहुत ज्यादा ॅ पत्थरों को भी एक दूसरे से प्यार हो जाए ऐसे वातावरण में मॅन नहीं हूँ तुम कितना डीप सोच लेते हूँ लेकिन आज तक मेरे दिल की धडकन में तो वही तुम बसे हुए हो ये क्यों नहीं समझता है आखिरकार और कितना इंतजार करना पडेगा मुझे तुम्हारे लिए धडकन के रोक जाने से पहले कह देना कि तुम मुझसे प्यार है की तो मेरे लिए ही इस दुनिया में जन्मे हो । क्या ये सब महसूस कर पाउंगी इस जन्म में मैं आयुषी के मन में यही सब चल रहा होता हूँ । ये प्यार भी के साथ ही पैसा होता है ना । जहाँ इकरार की पूरी उम्मीद हो वहाँ बेटर कहने को डरता है नहीं अरे इतना प्यार किसी से ना करो कि उनको अपने दल का हाल सुनने में घुडकी धडकन रुक जाए ऍम अगर किसी गरीब हो गया तो कभी न कभी बिहार हो ही जाएगा । अगला पडा ऍम थोडा थोडा होता है जैसे ऍम यहाँ रोक देते हैं जिसका खर्च आती है सौ रुपये का एक चलेगा धो उन्होंने रोकने का मजा लिया और उसके बाद होटल जोर से आगे बढते है या नहीं आगे क्या आने वाला है? आयुषी आगे बहुत कुछ आने वाला है बस इतना जान लो आगे जहाँ लेकर जा रही हैं उस जगह को जिंदगी भर भूल नहीं पाओगे तो आयुष ने कहा और सारे गावा । कारवाना सौं बढा दिया और भी रोमांटिक बना रहा था । क्या करें जब किसी को किसी बिहार हो जाता है । साहू बज रहा था । मौसम रोमांटिक हो साथ में हम रही जो आपके खडखड को जानता हूँ उस पर दोनों एक दूसरे के इतने करीब बैठे हो जहाँ हवा का आना जाना भी हो । शायद ऐसा कोई इंसान होगा जैसे प्यार ना हो । जगह का नाम ध्यान ही खेत है । नैनीताल से लगभग छियालीस किलोमीटर की दूरी पर तो बहुत ही अच्छा है । गर्म पानी नाम की एक जगह से अल्मोडा और रानीखेत का रोड करता है । वहीं पर रखेंगे तो थोडी देर उसके बाद चाय की चुस्की लेंगे और आगे केवल बढ चलेंगे । अब योशी गाडी चला रही थी और राजीव को रास्ते के बारे में बोल रही थी । कुछ देर राइट करने के बाद उस जगह पहुंचे जिसका जिक्र आयुषी नहीं किया था । थोडी देर रुक के असल सफर पर निकल पडे । दोनों हमला है । अब तक पुराना लंबा ब्रेक से शुरू हुआ ठंडी ठंडी हवा चल रही थी । स्कूटी की रफ्तार कुछ बीस से तीस किलोमीटर प्रति घंटे होगी । आॅवर क्यों लेके आई और धीरे क्यों चला रही थी इसका कारण अब राजेश को समझ आ गया । जैसे जैसे अपने मंजिल की ओर बढ रहे थे दोनों के मन में कुछ कुछ होने लगता है । दोनों फिर से कॉलेज के दिनों में पहुंच चुके हैं । अब आयुषी की बात मैं अच्छा अच्छा लग रही थी कि इस सफर को जिंदगी भर भूल नहीं पाओगे । फॅमिली खेत में दोनों लोग दाखिल हो चुके थे । कुछ दूर जाने के बाद आया रानी झील ऍफ है जहाँ पर आप कुछ भी सेलिब्रेट कर सकते हैं । अच्छा है वह बर्थडे पार्टी हो या ऍम ऍम सकते हैं ऍम जगह काम वायॅस हूँ ।

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बरसात में जैसे बूंदों का धरती से मिलना, तेरा मिलना मेरे तकदीर में जैसे इंद्रधनुष का खिलना! यही हाल होता है जब सालों बाद अपने बिछुडे हुए प्‍यार का मिलना होता है और फिर ये दिल कहता है-काश हम उस वक़्त बोल देते…. काश वो वक़्त फिर से लौट आता... यह सब बातें कभी-न-कभी हमारी ज़ेहन में एक हलचल-सी करती रहती है। वक़्त गुज़र जाता है और उस दोस्त से कुछ न कह पाने का एक अधूरापन हमें परेशान करता रहता है और कहीं उनसे सालों के बाद अचानक मिल गए तो क्या आलम होगा कभी सोचा है आपने ???
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