Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
Part 29 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

Part 29 in Hindi

Share Kukufm
2 K Listens
AuthorAditya Bajpai
यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
Read More
Transcript
View transcript

ऍम जगत नरायन घर में कुर्सी पर बैठे हैं और एक तक जमीन की ओर देख रहे हैं । लग रहा है जैसे मन ही मन खुद से बहुत सी बातें कर रहे हैं और अपने आप को शांत करने की कोशिश । आपने ये क्या बोलती है बाहर क्या जरूरत थी ऐसा वचन नहीं नहीं की । फॅमिली ने जगह नारायण की ओर बढते हुए बोला । वो जगह नारायण ने सिर्फ अपने हो पर उंगली रखकर हाथ से ही इशारा करके चुप रहने को कहा और गायत्रीदेवी भी उनके चेहरे पर चढे गुस्से के रंग को देखकर दोबारा कोई बात नहीं बोल पाईं । मामा मान भी चुप चाप चले जाते हैं, बस और आता है । मैं भी अपने कमरे में चला जाता है तो बाहर चला जाता है । जरूरत नहीं है सिर्फ एक टाक नीचे जमीन को देखे जा रहे थे । बिना किसी से जरा भी बात किए बिना जरा भी हिले डुले बकुल ने आज अपने कमरे में घुसते ही दरवाजा लगाया था और ऐसा शायद बहुत समय बात हुआ होगा । उसके दिमाग में ऋतु मैडम से रूबरू होने वाले हर एक दृश्य बाहर बाहर चल रहे हैं । ऋतु मैडम के सामने पहले माफी मांगना फिर उनका शादी के लिए यहाँ करना, फिर खाकर लेकर ऍम फिर घाट पर पानी में जाने के पहले की उनकी हंसी उनको गीले बालों में देखना, उनसे मैं चलाना घायल पर उसके हाथ पर ऍम का पैर पड जाना, हितु मैडम का हाथों में बकुल के हाथ को लेना, उस पर उनका सूख मारना, बखपुर का उन्हें पूरा निहारना, उनके हाथों का खाना, उसके बाद जगत नरायन का रिश्ते के लिए मना करना और सिर्फ ऍम की आंखों में आंसू होना । इस कल्पना तक आते आते बांगुर की आंखे तेजी से बहने लगती हैं और उसे ये महसूस होता है कि मानो पूरी दुनिया में उससे ज्यादा बदनसीब और बारिश स्थितियों का हारा इंसान कोई और नहीं होगा । मैं अपने आप को मारने लगता है सामने लगे एक छोटे से शीशे में देखते देखते अपना जाॅब करने की कोशिश करता है । आपने लगते पेट को देख उसका कुछ पांच गुना और पडता है और हैं उस पर भी जोर जोर से अपने हाथों से मारता है और लडखडा की खुद ही जमीन पर गिर जाता है वो बस वो राज निराशा, उदासी पूरी तरह भर चुका था । जगह है आधी रात के समय में लेते हुए हैं और ये ऍम छत की ओर देखे जा रहे हैं । उनकी पलकें बाल के लिए भी नहीं । जब पक रही हूँ जैसे उन्हें जिंदगी का आज बहुत बडा सदमा लगाओ । बिल्कुल उस हालत में थे वो । बकौल जब अपना दरवाजा खोल के बाहर आने वाला होता है तो जगत नारायण को एक तक खुली आंखों में देखकर उसे और दुख होता है और मैं फिर से जमीन पर गिरकर होने लगता है । सुबह साढे चार बजे का समय । बकौल पलंग पर चादर उडे सोया है तभी अचानक उसकी चादर कोई खींचता है और दूर जोर से हिलाकर उठाता है । मकुर डर के मारे एकदम से उठकर बैठ जाता है । नहीं देखता है कि सामने जगत नारायण खडे हैं । खडे हो जाओ । जल्दी से तैयार होकर बाहर हूँ । आठ है तो मेरे साथ रोज कसरत करोगे और व्यायाम करने चलोगे । आने वाले तीन महीनों तक अपने आप को दिमागी रूप से इस चीज के लिए तैयार हो । अब जल्दी से बाहर आ जाऊँ । जगह नारायण ने मनो रात भर जाग के तो कुर्की जिंदगी का लिंगाला घाट बाॅस लगा रहे हैं और बकुल घाट की सीढियां बार बाहर चढ रहा है, उतर रहा है उससे बिल्कुल ये करते नहीं बन रहा हूँ । लेकिन जैसे ही रुकता जगत नारायण का गुस्से से भरे चेहरे का लुक देखकर अपने सारे दर्द अचानक बोल जाता है । उसके बाद मकुर से भी पोषक लगाने को बोलते हैं । मैं कोशिश लगाने की पोजीशन में आता है और लगा नहीं पाता क्योंकि उसका पेट पहले से ही जमीन से टिक जाता है । एक रस्सी जो जगह नारायण सात लाए हैं बस कुरसे रह रस्सी कूद कराते हैं लेकिन इतने वजन के कारण बतौर उछाली नहीं पाता है । जगह नारायण करने के लिए नदी में जाते हैं और बस और को भी बुलाते हैं । अपना और आजाओ और जल्दी से तैरना सीखो क्योंकि अब से हर दिन पंद्रह से बीस मिनट तक तो मैं तैरना होगा । रोज सुबह हाँ तो मैं तैरना सिखाता हूँ, जगह नहीं । हायर पानी में रहते हुए बोलते हैं । अक्षय जैसे ऐसे कपडे खोल के हिम्मत जुटाकर पानी में अंदर चला जाता है तो जैसे ही जगह नारायण उसे और आगे की तरफ खींचते हैं जहाँ उसके पैर जमीन छोडने लगते हैं, अचानक घबरा जाता है और डूबने लगता है । जगह नारायण उसे फिर से सीढियों की तरफ धक्का देते हैं जहाँ उसके पैरों को फिर से जमीन मिलती है और उसकी सांस में सास आती है । देखो कहने के लिए हाथ और पैर तो नो चलाना चाहिए । ऐसे चलो तुम पहले सिर्फ पैर चलाना सीखो । जगह नायक खुद तैरते हुए बकुल को बताते हैं । यू मकुर के हाथ खुद ब करते हैं और पानी में पैर चलवाते हैं । लेकिन बगैर बार बाहर डर के मारे और अपने वजन को संभालना पाने के कारण डूबने लगता है । वो जगह नारायण के बहुत देर सिखाने के बाद भी और कुछ भी नहीं सीख पाता । दोनों वापस घर आ रहे होते हैं तो रास्ते में पेड दिखता है । जगह नारायण उस पेड के नीचे लटक थी । एक मजबूत डाल पर बकुल को लटकने को कहते हैं कि बक्सर उनकी बात मानकर दहाल पकडने की कोशिश करता है तो बाहर का हाथ उस डाल तक नहीं पहुंच पाता है ही जगह बना रहा है । उसे थोडा सा उठाते हैं और बटर डाल पर घटता है । जैसे ही जाॅन उसे छोड देते हैं, बस और के हाथ में पकडी डाल भी उसके भारतीय वजन के कारण टूट है और बाकर जगत नारायण क्यों पर ही गिर जाता है ।

Details

Voice Artist

यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
share-icon

00:00
00:00