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रहस्मय टापू - 28 in Hindi

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AuthorAditya Bajpai
प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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जहाज एक ओर झुका हुआ था । उसके मस्तूल पानी में झूल रहे थे । मैं अभी गुलेल के आकार वाली लकडी की दो शाखाएं के बीचोंबीच बैठा हुआ था । मेरी नीचे उतना पानी था जो इतना साफ था कि उसके नीचे रेट दिखाई दे रही थी । मुझे नीचे रेट पर इसराइल का शरीर पडा हुआ दिखाई दे रहा था । उस पर एक और चुके जहाज की परछाई पढ रही थी । एक दो मछलियां उसके आस पास बता रही नहीं । एक बार उसके शरीर मैं किसी अंचल हुई थी लेकिन वो एक तरह से मारा हुआ था । लग रहा था कुछ देर में मछलियां उसे अपना चारा बना लेंगे । उसी क्षण मेरे मन में आया । अगर वार नहीं मारा तो हो सकता है उसे कुछ देर में होश आ जाए और वहाँ ऊपर आकर चाकू निकालकर मेरा काम तमाम कर देंगे । इस विचार से मेरे शरीर में कपकपी सी छूट गई । चाहे चाकू केवल मेरी चमडी को भेजकर मजबूरी में दस गया था । इसलिए कपकपी से मेरा शरीर चाकू की पकड से बाहर हो गया । मेरी चमडी का पतला सा हिस्सा शायद अलग होकर चाकू के साथ चिपक कर रहे गया था । लेकिन चाकू से अलग होते ही मेरे खून का बहाव और तेज हो गया । मेरी कमी जोर कोर्ट का कपडा । अभी भी चाकू में ऐसा हुआ था । मैंने झटका देकर अपने आपको चाकू से अलग किया और नीचे उतरकर देख पर पहुंच गया । नीचे केबिन में पहुंचकर मैंने अपने कंधे की मरहमपट्टी की और फिर चारों और देखा । कहीं कोई व्यक्ति नजर नहीं आ रहा था । जहाज पर अब मैं अकेला ही था । एक मर स्कूल के साथ इसराइल के साथ ही थी । लाश देखी हुई थी क्योंकि अब तक मैं बहुत सारी भयावह घटनाओं से गुजर चुका था । इसलिए उस लायक है । मुझे कोई भय नहीं लग रहा था । मैंने साहस जुटाकर उस लाश को कमर से पकडकर उठाया और आठ एक पूरी की तरह से नीचे समुद्र में फेंक दिया । अब मैं हर तरह से अकेला था । सूरज डूबने वाला था । शाम की हवायें चलने लगी थी । जहाज का मस्तूल फिर पडा नहीं लगेगा । मुझे थोडा सा डर लगता नहीं । मुझे खतरे का आभाव होने लगा । तेज हवाओं के कारण जहाँ हिचकोले खा रहा था, मैंने चाकू निकालकर जहाज कोई बडी सी ताडपत्री से बंदी रस्सी को काट दिया । साल पत्री नीचे गिर पडी । उस समय हवा के दबाव से बचने के लिए मुझे ऐसा करना जरूरी लगा था । अंधेरा घिरने के साथ ठंड भी बढ गई । मैंने जहाज के नीचे चारों और जहाँ का बहुत ध्यान से देखने पर मालूम हुआ कि पानी बहुत उठना है । लंगर से बंधी रस्सी अभी तक झूल रही थी । मैं दोनों हाथों से रस्सी पकडकर धीरे से जहाज से नीचे उतर गया । पानी मेरी कमर से भी नीचे था । पानी के नीचे रेट होने के कारण की चढ नहीं था । मैं आसानी से उससे पानी को पार कर के किनारे पर पहुंच गया । मैंने पलट कर देखा । जहाज वहीं खडा हुआ था मैंने सूचना यदि किसी प्रकार में अपने साथियों तक पहुंचने में सफल हो जाता हूँ तो फिर सबको लेकर वापस घर लौट इनकी योजना बनाई जा सकती है । में लकडी के के लिए तक पहुंचने के लिए बॅाल होगा । मैं उन सबको इस बीच इस सारी घटनाओं के बारे में सब कुछ बता देना चाहता हूँ । इस समय मेरा मन प्रसन्न था में उत्साह से भरा हुआ आगे बढता जा रहा था । मेरी बाई और दो पहाडियां नजर आ रही थी । मैं उनको ध्यान से देखता हुआ लकडी के किले की दिशा में बढने लगा । रास्ते में घनी झाडी या नहीं जिनसे गुजरने के लिए कई बार मुझे झुककर कभी कभी लगभग रहते हुए चलना पडा । जहाँ थोडी से साफ जमीन दिखाई देती मैं दौड में लगता है मैं पहाडी के किनारे से मुडकर छोटी सी नदी को पार करते हुए आगे बढ रहा था की एक स्थान पर मुझे किसी रोशनी दिखाई थी । रात और भी गहरी हो चुकी थी । आप सही दिशा भी नहीं सूझ रही थी । झाडियाँ भी बहुत कम नहीं हो चुकी थी । किसी तरह गिरता पडता मैं आगे बढने की कोशिश कर रहा था । हवा सीटियाँ बचती हुई मालूम हो रही थी । अन्य कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी । अंतिम में किसी प्रकार लकडी के किले तक पहुंच गया । मैंने चुप चाप उसकी चारदीवारी को पार किया । हाथों और घुटनों के बल चलता हुआ । मैं बिना कोई आवाज किए किले के होने पर पहुंच गया । मैं जैसे ही नजदीक पहुंचा मेरा सिर जोर जोर से रखने लगा । वे लोग गहरी नींद में थे । उनके खर्राटों का शोर सुनाई आ रहा था । पिस्टल कितना कहना दे रहा था कि मैं कुछ देख नहीं पा रहा था । मैं अपने दोनों हाथ आगे बढाया । अंधेरे में आगे बढने लगा । मैंने सोचा मैं बेहतर अपनी जगह पर पहुंचकर चुपचाप हो जाऊंगा । जब सवेरे इन लोगों की नींद खुलेगी तो मुझे वहाँ पर कर सबको बहुत अच्छा होगा । तब उनके चेहरे पर पहले जिसमें को देखकर बडा मजा आएगा । अंधेरे में मेरा पैर किसी नरम से वस्तु से टकरा गया । ये किसी की टांग थी तो व्यक्ति धीरे से पालता । उसके मुंह से धीमी सी कर रहा की आवाज थी और वो ज्यादा नहीं । फिर एकाएक अंधेरे में बहुत कर्कश आवाज । स्कूल ड्यूटी दुश्मन दुश्मन चावला दुश्मन दुश्मन ही चांदीराम के तोते किया हूँ मीटर हर काम पाँच गया हुए लोग जहाँ पे चांदीराम ने चीखते हुए ऍम मैं पलट कर दौडा पर अंधेरे में वहाँ पे टिक व्यक्ति से टकरा गया उससे बचकर दूसरी और थोडा तो किसी ने मुझे पकड लिया और कसकर बाहों में बांध लिया । चांदीराम चिल्लाया पाँच से लेकर आओ कुछ पलों में एक व्यक्ति जलती हुई टॉर्च लेकर आ गया ।

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प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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