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छब्बीस भाग सस्पेंस सात फरवरी दो हजार बीस बैंकॉक अवनी ने डायरी के पन्ने पर दे मगर आगे कुछ नहीं लिखा था । यहाँ कमी रह जाती है । इन लेखों में अपनी ने डायरी बंद की । सस्पेंस तो उनका जिगरी या लगता है । हमने कॉफी शॉप में बैठे रोहित का इंतजार कर रही थी हाई मैंने आकर कहा भाई । उस ने कहा अच्छी स्टोरी लिखते होता हूँ । शुक्रिया कहाँ से लाते हुए स्टोरीज । आस पास से मतलब एक स्टोरी हर किसी के पास होती है । जो कह देते हैं वो हिस्ट्री बन जाती है और जो नहीं कह पाते उनकी यही हिस्ट्री होती है । मैंने राइटर पाँच मारा । इस स्टोरी का अहम क्या है? कुछ कहानियों का अधूरा होना ही उनका एंड होता है । मैं डायलॉग डालो चेहरा था अच्छा लेकिन मुझे भी जाना होगा । मुझे भी आज शाम की फ्लाइट से इंडिया वापस जा रहा हूँ । सीऑफ कहने आओगी, एयरपोर्ट पर मुश्किल है कोई बात नहीं । किस्मत में होगा तो हम फिर मिलेंगे । मैं कॉफी शॉप से जाने लगा । किस में तो हम खुद लेते हैं ना । बचपन से सुने थे कि हम अपनी किस्मत खुद लिखते हैं । फिर पिताश्री ने हमें समझाते हुए कहा था कि सबकी किस्मत ऊपर वाला लगता है । मगर तजुर्बे से हमें पता चला की ये किस्मत दो पहले से लिखी है । हम तो बस उसे फॉलो करते हैं । मैंने लम्बा चौडा प्रवचन दिया । मैं नहीं मानती आजमा लेना । मैंने कहा हम एक दूसरे से मिलना भी नहीं चाहते थे । मगर मिल गए ना ये सब अचानक हुआ है तो अचानक होने वाली चीजें निश्चित नहीं होती । क्या उसे कुछ नहीं कहा? मैंने जाना उचित समझा । सात फरवरी दो हजार ऍम सुनो । वे बिहारी में समझा रहे हैं । वो तो बोलियों ना भाई में ज्यादा अपनापन लगता है । मैंने उसे कोहनी मारी हो । ब्रो बुजुर्ग के सुधरोगे नहीं सुधारने का ठेका लीजियेगा । उसने भी ठीक था । बिहारी बजाई । मैंने उसके साथ याद की । प्यारी सी छपेली टेंशन में था । तेरी नजर बार बार किसी को देखने की कोशिश कर रही थी । फ्लाइट का अनाउंसमेंट हो चुका था । क्या हुआ तुझे? मैंने पूछा मेरी डायरी अपनी के पास रह गई है । मेरा जवाब स्पष्ट था । आपने मुझे देखी, मेरे ही पास अपना लगे इसलिए आ रही थी । उसके साथ वही आती थी । कमला दास झुनझुनवाला वे ने मुझे बाय कहा । मैं समझ गया ये उसी की चाल थी तो विश्वास नहीं हो रहा होगा । उससे हस्कर कहा, असंभव कुछ भी नहीं । मैंने कहा तुम तो बिजी थी, आज इसे इत्तेफाक हूँ या पहले से प्लान क्या हुआ कि मेरी और अपनी की सीट अगल बगल में थी । हाँ तो आपने बताया नहीं मेरी डायरी तुम्हारे पास कैसे आई? सस्पेंस पसंद है ना तो मैं तो मेरे साथ हो । मेरे बगल में मुझे लग रहा था जैसे मैं कोई सपना देख रहा हूँ क्योंकि कभी अपने देश का नाम नहीं लेने वाली छोरी आज मेरी वजह से अपने घर वापस जा रही है । शायद वो मेरी वजह से मैंने मन में सोचा । कुछ कहा तो मैं उससे अपनी जुलते सवारी नहीं । मैं कंफ्यूज था क्या बोलो मुझे पता है क्या तो क्या सोच रहे हो क्या यही की मैं तुम्हारे साथ हो ये मान भी पढ लेती है क्या? मैंने फिर मन में सोचा ऐसा कुछ नहीं है । मैं शर्माया मेरी डायरी मुझे वापस देता हूँ । मेरे हाथ आगे बढाया दे दूंगी उससे नजरे फेमली पता तब जब तो मुझे इसका एंड बताओगे । छोटू और बरी मिले क्या जबरदस्ती है? क्या मैंने उसे घोरा । परी और छोटों मिले या नहीं? उसने फिर वही सवाल किया बैंकॉक गया था छोटू क्या उसे पडी मिली? मुझे नहीं पता । मैंने मुझे लिया मेरी बात का जवाब दो । उसने आवाज ऊंची की ये केबीसी चल रहा है क्या? मैंने उसे गुस्से से देखा मत दो फिर मूल जो डायरी घर घोर बेज्जती हो गयी । अवनी मैं भडका आसपास बैठे लोगों की नजर मुझ पर थी । एक नहीं तो चुप रहने का इशारा भी किया । पति पत्नी के झगडे सुलझाए मिंटो में जगत बाबा पीछे से आवाज है अभी जो खुद के घर में आग लगी है, दूसरों की भुजा रहा है । गुस्सा नहीं तो निकलना था । निकाल दिया । उसकी बात उपर से बुरी लगी मगर अंदर से तो लड्डू फूटने लगे । अच्छा इसलिए लगी क्योंकि न मुझे जगत बाबा समझ आया और नहीं झगडा । उसी बस पति पत्नी अच्छा लगा । अपनी अपनी हंसी रोकने का पूरा प्रयास कर रही थी तो तुम नहीं बोलोगी डायरी । मैंने फिर कहा अपनी चुप थी । वो कुछ नहीं बोली । कभी कभी सब कहानियाँ किताबों में नहीं मिलती । उनको असलियत में भी खोजना चाहिए । उनका रियलिटी से भी बडा कनेक्शन होता है । थोडा सब्र करूँ । मैंने उसके कान में कहा । हम दोनों के बीच सन्नाटा छा गया । उसने इंग्लिश नोबेल निकाला और पडने लगी । हवाई जहाज में उडान भरी और आसमान में कहीं हो गई ।