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भाग पच्चीस मदन लाल जी आकर फिर से अपनी कुर्सी पर बैठते हैं । मकर बेचैनी से टेबल पर रखे पानी के गिलास एक के बाद एक पीटा जा रहा है । चिंतु और बक और दोनों नजर उठाकर भी नहीं देख रहे हैं । मेरी बेटी का कहना है कि उसे बकर पसंद है । मदन लाल जी नहीं कहा चेहरे पर इतनी खुशी भी आ सकती है । बांगुर के मामले में बांडे परिवार पहली बार ये महसूस कर रहा था । आज अगर दोनों वोटों के कोनी खुशी में आंखों के किनारे तक भी पहुंच जाते हैं तो कोई आश्चर्य वाली बात नहीं होती । उत्साही जगत नारायण फौरन खडे होकर मदन लाल जी से कसकर गले मिलते हैं । बकौल गिलास टेबल पर रहने वाला था लेकिन मदन लाल जी के बोल गए गिलास हवा में ही रोक जाता है । फॅमिली से बस थोडी सी दूरी पर हैं । बस कुर्की बल्कि आप तक नहीं जब की थी और आखिर थोडी और बडी हो गई नहीं हूँ । जो थोडा सा खोला था वो अब तक का उतना ही खोला था । आज पहली बार बखपुर के अंदर दे दिमाग झारखंड इस पल के लिए साहब अचानक से रुके थे और मन में अस्पष्टता का भूचाल आया हुआ था क्या जाना कि ये सब क्या हुआ है? वाह सही जैसे निर्जीव हो गया था । उसका शरीर जिंदा था पर उस शरीर में कोई हरकत नहीं थी । चेहरा शून्य पर जा चुका था और भावों का पतझड आ चुका था । चिंटू का भी लगभग यही हाल था । वो सोच रहा था मदन लाल जी के कान तो ठीक है ना । कई ऐसा तो नहीं की ऋतु मैडम ने कुछ और बोला हो । उन्होंने कुछ और सुन लिया हूँ । मदन लाल जी की बात पर बिलकुल भी विश्वास न कर पाने की वजह से चिंटू के मन में एक से एक अनाप चुनाव विचार दौड रहे थे । ऐसा तो नहीं कि मैडम शादी ले कर रही हैं ताकि भैया को और मुझे इस गलती का सबका घर में रहकर सिखा पाएं । चिंटू के दी वहाँ का ये एक और अजी विचार था कोई इंसान बिजली का झटका खाने के बाद भी इसका डर सुन नहीं पडता होगा । जितना ये दोनों ये खबर सुनकर थे । बाॅर्डर लाल जी के जगह नारायण ने कहा बकौल नहीं सुन पाता क्योंकि वह तो सुनने पड चुका है । बकौल और अब की बार जगह नहीं है थोडा और ऊंची आवाज में बोलते हैं और बाकी और उसी सुनना हालत में खडा होता है और मदन लाल जी के पैर होता है की लगे ॅरियर देकर दस्तूर भी कर लेते । गायत्रीदेवी ने कहा हाँ हाँ क्यों नहीं जैसा आप चाहें अब तो आपकी बेटी मानी । मदन लाल जी ने हाथ जोडते हुए कहा तो मैडम बाहर आती हैं उन्हें गायत्रीदेवी कुमकुम की एक छोटी सी बिंदी लगाकर हाथों में साडी कुछ पैसे और नारियल देकर दस्तूर की हसन को पूरा करती हैं । सब लोग बहुत खुश हैं । जाॅन जी चार तो बाजी गए मेरी ये गिनती स्वीकार्य । आप सब लोग शाम का भोजन करके ही जाएंगे । मदन लाल जी ने फिर से हाथ जोडकर निवेदन किया । नहीं नहीं नहीं साहब क्यों तकलीफ करते हैं । जगत नारायण ने कहा तकलीफ की कोई बात नहीं है । अच्छा लगेगा हमें और अगर हमारी बातें मान लेंगे तो मदन लाल ने कहा हरिमान जाइए । जी जी इतना निवेदन कर रहे हैं तो इसी बहाने कुछ गपशप और हो जाएगी । मामाजी ने बीच में बोलते हुए कहा ठीक है हम भी जी हूँ । जगह नारायण मान जाते हैं, बातें करते करते । ऐसी मजाक करते करते कुछ समय दी टाइम था । चलिए थोडी घट तक घूम कर आते हैं । मदद लायक ही नहीं कहा । मदन लाल जी के घर के गरीबी राम घाट पडता है । सब लोग वहाँ थोडा टहलने के लिए आ गए । सब अपने अपने छोटे समूह में बढकर चल रहे थे । जगत नारायण और मदन लाल जी अपनी बातों में खोई चले जा रहे थे । हिन्दू मैडम गायत्रीदेवी और मामी जी के साथ आ रही थी इसीलिए उन की बहुत सी बातों के जवाब भी दे रही थीं और मामा जी बकुल और चिंटू के साथ में थे तो बस बस कर के साथ थोडी मस्ती कर रहे थे तो डाल रहा रहे थे तो मैडम की और इशारा करके तो कभी ऋतु मैडम की बात करके आज ग्यारह का भी दिन है । इतना अच्छा शुभ काम भी हुआ हूँ । शिप्रा माता की एक एक डुबकी लगा लेते हैं । जगत नारायण ने सबसे कहा अरे गीले हो जाएंगे कपडे थोडी लाए हैं जो साथ में डुबकी लगाने का बोल रहे हो । गायत्रीदेवी ने ऐतराज जताते हुए कहा अरे तो क्या हुआ दे दी डाॅट बाहर खडे रहेंगे तो यही सोच भी जाएंगे । घर में कुछ शुभ काम हुआ है और क्या इलाज के दिन तो डुबकी लगाने का मौका मिलना बोलने की बात है । मामाजी ने चप्पल और पडता उतारते हुए कहा सब लोग एक एक डुबकी लगाने को तैयार हो जाते हैं । चिंटू देखकर थोडी दूर चला जाता है ताकि उसे भी जबरदस्ती न लगवा । डुबकी जगह नरायण और मदन लाल जी पानी में आते ही उतरे थे । यहाँ आस पास कहीं बात नहीं । मकुर ने कहा है ना तो मैं आता हूँ दिखाने मदन लाल जी बोले तो आपको डुबकी लगाई ये ऋतु बता देगी कहाँ है मामा जी ने जानबूझकर कहा बेटा जाओ इन्हे । वो पीपल के नजदीक वाला बाथरूम दिखा दो । मदन लाल जी ने रेडियो से कहा जीता था ए टू मैडम ने बडी, शालीन और धीमी आवाज में जवाब दिया ।
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Voice Artist