Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
PART 2 (B) in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

PART 2 (B) in Hindi

Share Kukufm
2 K Listens
AuthorAditya Bajpai
एक रहस्य भरी कहानी, सुनिए कैसे एक छोटी सी ताली, खतरों के ताले खोलती है writer: रमाकांत Script Writer : Mohil Author : Ramakant
Read More
Transcript
View transcript

एक बार यह युवती मुझे बस में मिली थी दूसरी बार टेलीफोन बूथ पर जहाँ से मैं एक का एक गायब हो गई थी और अब तीसरी बाहर है । फिर मेरे दफ्तर के सामने वाले बस स्टॉप पर खडी थी । इसके साथ ही मेरा यह शक्ति पक्का हो गया कि मेरे घर के सामने वाले जनरल स्टोर पर भी यही युवती खडी थी, लेकिन मेरा मुक्त चिंतन ज्यादा देर तक नहीं चल सका । चपरासी ने आकर खबर दी कि फॉर्म के छोटे पार्टनर गांगुली बाबू ने मुझे बुलाया है । मालिक या अवसर अपने अधीनस्थ कर्मचारी को शकल देखने के लिए अपने पांच नहीं बोला था । या तो उसे आप से कोई काम होता है या फिर आप की किसी गलती पर डाटना होता है । हमारे दफ्तर में डाटने का काम सीनियर पार्टनर सरकार बाबू ने अपने ऊपर ही ले रखा था । हूँ छोटे पार्टनर गांगुली बाबू बेठी डांट पिलाते हैं पर ज्यादा कठोर हूँ जी वही में उनके कैबिन में उनकी मैच के सामने आकर खडा हुआ । उन्होंने नहीं आया । शराफत के साथ मुझसे बैठने चलेगा । फिर जब मैं बैठ गया तो बडी संजीदगी से पूछा ऍम आप की तबियत खराब है? नहीं सर, हम को तो ऐसा ही मासिक लगता है । आज आप बीस मिनट लेट आया करिए । मैं देखिए कैसा खराब कर दिया ऍम मिस्टर संजय भैया आदमी की तबियत खराब हो जाती है । कभी कभी बीमारी नहीं करता हूँ । लेकिन आपको जानता है हमारा सरकार बाबू कितना सकते हैं । अगर हम इस बात का नोटिस नहीं लेगा तो हमको बोलेगा फिर हम क्या जवाब देगा? हम सजेस्ट करता है आवाज छुट्टी ले लो । छुट्टी आई आई छोटी क्योंकि सर जैसा आप कहें नाॅन जाए । हमको गलत मत समझिएगा । नहीं सर नहीं ऐसी कोई बात नहीं । मैंने कहा ऍफ मुझको गलत मत समझना । मिश्रा संजय नहीं सर, मैंने ऊपर से कहा पर भीतर से मैं खींच उठा । अपना कलेजा निकालकर रख दिया । मेरे सामने और बीस मिनट देर से आने की सजा भी देती हूँ । मुफ्त में मेरी एक दिन की छुट्टी मारी गई, लेकिन डॉक्टरों का काम इसी तरह चलता है । मैंने सही बात बताई होती तो शायद ये ना होता । आखिरी गांगुली इतना बुरा तो नहीं कि मैंने अपनी वास्तविक परेशानी बताई होती तो उसे मुझ से सहानुभूति न होती पर वो अभी सही बात बताने की स्थिति में था । कहाँ छुट्टी की आरसी देकर मैं बाहर आया । इस घर जाने का मेरा इरादा नहीं था । मैं दफ्तर से इस तरह कभी दिन के समय घर नहीं आता था । मैंने सोचा कहीं खाना खाऊंगा, फिर कोई मैंने शो देखूंगा और शाम को ही लौटूंगा । इस तरह और पास पडोस के किसी व्यक्ति को जल्दी घर आने का ब्यौरा देने से बचाऊंगा । डॉक्टर से बाहर निकल कर मैंने देखा मैं ये वित्तीय अभी तक बस स्टॉप पर खडी थी । मुझे आश्चर्य हुआ उधर से जबरन ध्यान हटाकर में रास्ते पर मुडा ही था कि पीछे से उसने पुकारा । संजय बाबू मुझे उसका स्वर बहुत मधुर लगा । एक छड के लिए मेरे दिमाग में यह बात आई कि अगर ये दुश्मन की कार्यवाही भी है तो क्या हुआ । ऐसे खूबसूरत दोस्त ना सही, दुश्मनी सही । एकदम बात आकर उसने कहा संजय बाबू आपसे कुछ काम है लेकिन आपका परिचय और आपको मेरा नाम कैसे मालूम होगा? अभिनेता सबसे पूछा फिल्म ना माधुरी है अभी आप इतना ही जान लीजिए पर आपको मेरा नाम कैसे मालूम हुआ? मैंने आपका पीछा किया और जब आप दफ्तर में दाखिल हुए तो मैंने दरवान से पूछ लिया । मैं तो बस में था । ऍसे उस बस का पीछा किया था लेकिन संजय बाबू ये सब बाद में पूछ लेगा । अभी तो अभी तो क्या चलिए ना साथ साथ कुछ देर तक पहले पहले हाँ । पहले टहलते हुए मैं आपको सारी बातें बताउंगी । माधुरी ने कहा बिस से पहले की आप मुझे कुछ बताया नहीं । आपको बता दूँ । मैंने कहा आप ताली के लिए आए हैं ना? उसी मनोज ताली के लिए हाँ । उसी के लिए माधुरी ने कहा तो उसके साथ चल पडा । रीगल से हम पैदल ही संसद भवन की ओर होते हुए राष्ट्रपति भवन तक पहुंचे । फिर सडक छोडकर इंडिया गेट की ओर बढ चले । यहाँ शाम को या छुट्टियों के दिन सैलानियों का जमघट होता है । लेकिन दिन के वक्त दिल्ली कारोबार में व्यस्त रहता है । इसलिए यह जगह शाम के मुकाबले निर्जन रहती है । हम उधर से ही इंडिया गेट की ओर जा रहे थे कि मैंने थोडा भय महसूस किया । मेरे दिमाग में बात आई । उठाए से चलने की सलाह माधुरी की है तो क्या बातों में बुलाकर रहे । मुझे सुनहरी बाकी सुननी सडक पर ले जा रही थी । शायद उसका कोई आदमी कहीं हमारा इंतजार कर रहा होगा । तो क्या यह अत्यंत सुन्दर युवती अपराधियों के की रोकी है? मैं उसकी ओर गौर से देखने लगा । उस की मुद्रा में ऐसी कोई बात नहीं थी । उसके चेहरे और आंखों में कहीं कोई गंदा भाव नहीं था । विचार और पहले एक साथ नहीं चलते हूँ । मैं चलते चलते पीछे रह गया । नहीं रुक गई । जब मैं उसके पास पहुंचा तो उसने मेरा हाथ थाम लिया हूँ । एक रोमांचक अनुभूति से सिर के पास तक से हर उठा । मैं भूल गया कि क्या सोच रहा था । बस उसके स्पर्श का सुखद अनुभव ही मुझे याद रहा हूँ । फिर मैं सोचने लगा की भला उसके लिए मैं क्या महत्व रखता हूँ । अकारो से मुझ से ताली ना लेनी होती तो क्या कहीं रास्ते में मिलने पर वे मेरी और देखती भी । आज उसे मुझ से काम है तो इस तरह में रहा पकड लिया । इससे मैं उसका पुराना परिचित हूँ । उसने मेरी उंगलियां अपनी ओरियो में फसा ली और हम उसी तरह कुछ दूर तक साथ साथ चलते रहे सर । उसने कहा संजय बाबू, अब कुछ बोलते क्यों नहीं? मैं क्या बोलूँ? मैंने कहा मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ । क्या मैं आप को पसंद नहीं है? मुझे उम्मीद नहीं थी कि वह मुझसे खोले तौर पर बात करेगी, पर मैं चुकी रही । उस ने सही कहा, आप शायद मन ही मन अपने आपसे संघर्ष कर रहे हैं । अब सोच रहे हैं कि ये क्या बचपना है । अब शायद अपनी पत्नी और बेटी के बारे में सोच रहे हैं और इस तरह मेरे साथ चलने में शर्म महसूस कर रहे हैं । मेरी पत्नी पुष्पा मत से कभी कभी कहती है कि और भी बहुत सी अच्छाइयों के साथ । मेरे अंदर एक अच्छा ये भी है कि मैं किसी के साथ सिर्फ इसलिए भद्रता से पेश नहीं आता कि वह महिला है । यानी मैं भद्रता के साथ तभी पेश आता हूँ जब भी भाजपा के साथ पेश आएं । भरना में इस बात का ख्याल नहीं करता हूँ कि वह महिला है या पुरुष आदमी की बात है । मुझे बहुत ही बेटों की लग रही थी । मैंने रुखाई से कहा नहीं है । मतलब की बात कीजिए । उसने मेरी और अजीब नजरों से देखा । फिर हसने लगी, हस्ते हस्ते हैं । उसने कहा क्या फिर भी मतलब की बातें कर रही हूँ? मैंने कहा आपका मकसद है मुझसे ताली लेना । लेकिन अब बातें कर रही हैं । फिल्मी हीरोइन जैसी देखिए मैं एक से ऐसे ही बातें नहीं करती । संजय बाबू उसने कहा सिर्फ आपसे कर रही हूँ, शायद इसलिए कि आप मुझे पसंद आ रहे हैं । आप शरीफ युवा है, लेकिन ताली मुझसे कई ज्यादा आकर्षक है । फॅमिली फॅमिली का नाम क्यों ले रहे हैं? क्यों वो इसीलिए तो आॅल क्या? आप ताली में आपकी दिलचस्पी नहीं रही । मैंने चलाकर कहा । बातचीत करते करते हम कुछ और दूरी लोधी गार्डन टक्निकल आए थे । हम दोनों ही चुप थे । लोधी गार्डन की हरियाली जनवरी के चटक धूप में खेली हुई लग रही थी । मैंने महसूस किया कि मैं एक अजीब से गौरख धंधे में भ्रष्टाचार रहा हूँ । मैंने कहा लेकिन आखिर की ऐसी ताली है । किस चीज की ताली रहे किसी खजाने की ऐसी तालियाँ का जिक्र तो रहस्य की पुरानी कहानियों में ही मिलता है । वो ताली पस ताली उसने वो भी हुई आवाज नहीं हूँ कोई और बात की थी ना अरे कैसे करूँ? ऍम कहा कल जब तक वो बोले ने मेरी जेब में है, ताली नहीं रख दी । तब तक मैं सुखी आदमी ता हूँ । हँसी हाँ, बिल्कुल सुखी । मेरी अपनी ओर जाने और परेशानियाँ थी, पर मैं सुखी था । लेकिन इस मनोज ताली से मुझे क्या मिला? बस भाई, परेशानियाँ और उलझनें आठ में भी तो इस ताली की ही बदौलत मिली ना आपसे? हाँ, अभी अभी तो वही चाहती हैं जो और चाहते हैं यानी डाली लाइफ में चौक गई तो तुरंत ही अपने चेहरे पर आए । आश्चर्य का भाव दवाकर । अपनी आवाज को सामान्य बनाने की कोशिश करते हुए उस ने कहा आत्मिक कौन और लोग? मेरी तो कल रात वाला आदमी जिसने स्टेशन पर मेरा पीछा किया, उसका नाम शायद जगह है । हाँ वो ही है, लेकिन क्या किसी और ने आपसे तली मांगी? अब है आपने आश्चर्य का भाव छिपाना सकी । मान सिंह का भाई कौन है? संजय बात हो, हम तो पूरे जासूस निकाले । उसने अपने स्वर्ग को फिर से हल्का बनाते हुए कुछ मजाक के लहजे में कहा आप तो बहुत कर जानते हैं । आपका ख्याल गलत है । मैंने कोई जासूसी नहीं । मैंने कहा मैं फोन को जानता हूँ । जिन्होंने मुझे ताली मांगी, क्या उसमें भी आपसे ताली मांगी? हाँ फॅमिली आपको मैं मुझे नहीं पता । वह मुझे मिला नहीं । मैंने कहा उसने मुझे डेली फोन किया था । माधुरी जैसे भय से पीली पड गई । उसने पूछा तो क्या आपने उसे ताली देती हूँ? नहीं, अभी मुझे मिला नहीं है । उस ने राहत की सांस ली । हम बाहर में ही छायादार जगह में जाकर बैठ गए । मैंने पूछा लेकिन आपने मेरा पीछा कैसे? क्या आपको मेरे घर का पता कैसे लगा? इतिहास पडी फिर बोली, ऍम बोले चाॅस दौडता है आपकी वर्ष जैसे ही आगे बढी उस ने फॅमिली । फिर उसी टैक्सी से उसने आपकी बस का पीछा किया और आपके घर का पता चल गया । सवेरे जनरल स्टोर में आती थी । अच्छा मान सिंह कौन था ये मैंने बता सकती है । अभी और उसका भाई ये भी नहीं बता सकती हैं । उसने कहा, अब दिन के बारह बज रहे थे । मैंने सोचा था कहीं लंच करूंगा । फिर किसी सिनेमा हॉल में बैठकर अपना गांव गलत करूंगा । पर ये कहाँ फसा? गाली देने का निश्चय मैंने कर ही लिया है । थाली देने भर की देर हैं और बस खेल खत्म । आखिर उसके लिए क्यों ये लोग इतने गोरखधंदे रह रहे हैं? फॅमिली ने कहा लेकिन संजय हूँ अगर बुरा ना माने तो बात करूँ क्या हूँ आप ही की तरह लिया मान सिंह के भाई को मार दीजिएगा क्यूँ नहीं कह सकती हूँ आपसे आपसे ताली मत दीजिएगा । अब तो आप भी बार बढ ताली का नाम ले रही हैं । ये एक आए क्या हो गया आपको? संजय हुआ आप मुझे गलत मत समझिए । मैं ये ताली खुद अपने लिए नहीं चाहती हूँ । ये ठीक है कि मैं आई ताली के लिए ही हूँ पड ताली में अपने लिए नहीं चाहती है । लेकिन अगर आपने डाली मान सिंह के भाई को दे दी तो मैं मुझे जिंदा नहीं छोडेगा की मेरी जिंदगी और मौत का सवाल है । उसके यहाँ बहुत ही नहीं लग रही थी । थोडी देर पहले के उस व्यक्तित्व की सारी कोमलता गायब हो गई थी । बेचारी हुई लग रही थी कौन को जिंदा नहीं छोडेगा । वहीं जिसने मुझे ताली के लिए भेजा है क्योंकि आप जान लेंगे पर अभी नहीं । एक ऐसा गोरा ठंडा है । मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है । मैंने चलाकर कहा आखिर साफ साफ सबकुछ क्यों नहीं कहती? उसने कहा आप मेरा विश्वास कीजिए । मैं आपसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहती, पर अभी आपसे कह भी नहीं सकती । मैं चाहता था कि उस पर विश्वास कर लो क्योंकि उसकी सुंदरता देखकर मन यह मानने के लिए तैयार नहीं होता था कि उसकी बातों में कोई फरेब होगा । खूबसूरती को फरेब के साथ मिलाकर कौन गंदा करना चाहेगा, पर उसके सच्चाई का भी क्या भरोसा । मैं और अधिक उलझन में पढना नहीं चाहता था । मुझे अफसोस हुआ कि ताली उस वक्त मेरे पास नहीं थी, नहीं तो ताली उसी दम उसे सौंप देता और सारे झंझटों से छुट्टी पा लेता । पर अब मान सिंह का भाई भी बीच में आदम का और माधुरी ने कहा था कि ताली उसे ना तो मैं सोचने लगा कि अगर उसे ताली नहीं देता तो फिर क्या होगा? मान सिंह का भाई मुझसे किस तरह पेश आएगा और उसे दे देता हूँ तो माधुरी किस तरह पेश आएगी । मैं ऐसा महसूस करने लगा जैसे मैं बहुत बुरी तरह चक्कर में फस गया हूँ । एक तरफ खाई थी और दूसरी तरफ हुआ । बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था । माधुरी ने मेरी चिंता को लक्ष्यकर कहा । आप किसी सोच में बढ गए कि आपको मेरी बातों पर यकीन नहीं आ रहा है । मैं सच कह रही हूँ । मैं खाली अपने लिए नहीं चाहती । फिर आप किसके लिए चाहती हैं? मैं कहीं करीब ठीक पडा, आपको मालूम हो जाएगा लेकिन क्या फिर अच्छा सकते हैं । कहाँ बहुत उन नहीं हमें टैक्सी ले लेंगे और थोडी देर में अपने ठिकाने पर पहुंच जाएंगे । मैं उठ खडा हुआ किसी भी कीमत पर मैं उस उलझन से छुटकारा चाहता था लेकिन दो चार कदम चलने के बाद ही सहसा मैं थोडा क्या वहाँ कोई गडबड तो नहीं होगी । मेरे साथ चलने को तो मैं चल रहा हूँ पर कोई खतरा ना हूँ । माधुरी कम से मेरे पास आ गई । फिर अपना पर्स खोलकर उसने कहा । इसमें देख रहे संजय बाबू मेरी आँखें फटी रह गईं । पास में एक पिस्तौल पडी थी । उसने कहा आप ये ले लें, अगर कोई खतरा हो तो उस समय काम आ जाएगी । ऍम हाथ में लेकर मैं कुछ देर ढाकों से उल्टा पलट आ रहा है तो उसे पर्स में वापस रख दिया । मुझे उसका यकीन हो गया था ।

Details

Sound Engineer

एक रहस्य भरी कहानी, सुनिए कैसे एक छोटी सी ताली, खतरों के ताले खोलती है writer: रमाकांत Script Writer : Mohil Author : Ramakant
share-icon

00:00
00:00