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वहाँ पे यार मुझे तो आज किसी भी हालत में ऋतु मैडम से बात करने कॉलेज जाना है । फिर नेटल रविवार है की तस्वीर फसा दिया यार मुझे बखूब गोपाल से धीरे से चिंता से बडी आवाज में बोला सिर्फ मन में ओम किशोर आॅफ ठीक हो जाएगा । भोपाल ने कहा हूँ यार मेरे पापा मुझे जान से मार देंगे अगर उन्हें पता भी लगा कि मैं जेल में बंद हूँ बस तुर्की बहुत छिपाने की कोशिश के बाद भी डर आंसू के रूप में निकलकर बाहर आई जाते हैं । अरे क्रिकेट नहीं होगा बाकी और सब ठीक हो जाएगा । अगर है क्या गुरु जी क्या कह कर गए हैं ऐसी स्थिति के लिए रोते रोते हसना सीखो हसते हसते रोना कितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलाना भोपाल उसके आंसू पहुँच कर गाना गाकर सुनाता है वो भोपाल की आवाज सभी के कानों में चलती है, फॅमिली बंद करेगा या मैं अन्दर हूँ । एक हवलदार ने डंडा दिखाते हुए भोपाल से कहा सब लोग बैठ जाते हैं । धीरे धीरे समय गुजरता जाता है । बाकी और का ध्यान बीतने वाला हर एक एक मिनट पर है । आंखों से आंसू रोक नहीं रहे । धडी में डेढ बज चुके थे तो सोचकर चिंता में दिमाग की नसें भी थम चुकी थी । अभी मन में खुद को गुणागार मानने के भाव चरम पर है । बैठे रहने से कुछ नहीं होगा । विरोध करना पडेगा तो ही सुनेगा । ये भोपाल नहीं कहा सेट पप्पू गडवाने गोपाल के बाद से सहमती जताकर सबको बजाने का आदेश दे दिया । मैं खुद को छोड कर बाकी सब अपने इंस्ट्रूमेंट बजाते हैं । अचानक से बैंड की आवाज सुनकर एक पल के लिए साहब डर जाते हैं । सारे दूसरे लॉकप के कैदी भी खडे हो जाते हैं । गाना बचता है उलाला उलाला पुलिस वाले बंद करने को कहते हैं लेकिन पख्तू कडवा उनकी नहीं सुनता हूँ और लॉकप के सारे कैदी नेशनल लगते हैं । फिर पप्पू कडवा का बैंड एक के बाद एक बरातों में बजने वाले गानों की धुनें बजा रहे हैं । मंगता है तो आज रसिया नहीं तो मैं ये चली । गुस्से में आकर पुलिस वाले लॉकप खोल के अंदर आते हैं और ही के करके सबके इन्वेस्टमेंट ही लेते हैं । और गोपाल जो गाना गा रहा था जोर जोर से पुलिस वाले उसके मुंह में अपना रोमांट ठोस देता है । वो सब फिर से मायूस हो जाते हैं । तभी थाना प्रभारी के पास एक पुलिस वाला आता है । फॅमिली साहब आ रहे थाने का मुआयना करने लेकिन बिना किसी खबर के एकदम क्यों जांच करने की । थाने में ठीक से काम चल रहा है या नहीं हूँ । बोलो सबको जल्दी से थाना अच्छे से व्यवस्थित कर दें । किसी तरह की शिकायत वाला कोई काम नहीं होना चाहिए । जी सर बेसहारे पुलिस वालों को एसपीएस आपके आने के बाद बताता है और सब थाने का व्यवस्थित करने में लग जाते हैं । ऍम को छोड दो समझाकर कि आइंदा परेशान ना करें । किसी को भी पुलिस वाले नहीं कहा । सबको समझाइस देकर छोड दिया जाता है । बाहर निकलकर बको गया तो रोकते हैं । चैन की सांस लेता है । तभी अचानक फिरसे याद आता है कि चिंटू के कॉलेज जाना घडी देखता है । दो बजने में पाँच मिनट बाकी हैं । वो फौरन साइकिल उठाकर चिंटू के कॉलेज जाता है । चिंटू बहुत दूर से कॉलेज के बाहर बगोर का इंतजार कर रहा है । बोला था भैया को कि दो बजे के पहले आ जाना उन के भरोसे जिंदगी में कोई काम नहीं करूंगा । पता नहीं अब कल क्या होगा? इंतजार करते करते परेशान हो चुके चिंटू ने खुद से कहा । तभी बकौल तेज साइकिल चलाता हुआ आता है । हर एक आप बहुत जल्दी आ गया भैया अभी तो बहुत समय छुट्टी होने में चिंटू ताना मारते हुए बोला क्यों लेट हुआ? बाद में बताऊंगा । पहले ये बता तेरी तो मैडम नहीं किया मगर हफ्ते हफ्ते बोलता है । अभी दस मिनट पहले ही गए हैं और अब तो बस में बैठ भी चुकी होंगी । मेरी कुंडली खराब है । हर गलत काम मेरे साथ ही होते हैं । पता नहीं क्यों चल अभी छोडो अब जो होगा कल ही होगा । अभी घर चलते हैं । चिंटू बात करके साइकिल पर पीछे बैठा है । दोनों घर जाते हैं । चुप चाप कौन सब बैठे हैं तो थोडी आगे जाकर देखते हैं तो लंबा ट्रैफिक जाम लगा है । जैसे तैसे साइकिल पतली गलियों से निकालते हुए आगे आते हैं । तभी एकदम से चिंटू की तेज आवाज निकलती है । नहीं ऍम जाम के कारण । धीरे धीरे चल रही बस की खिडकी पर चिंटू देखते ही बोला आकाक्षाएं कहाँ है? मकुर नहीं अति उत्साह से अचानक साइकिल रोकते हुए बोझा तो वो वाली बस में उसके पास बैठी हैं । चिंटू ने उंगली से इशारा करके दिखाया । धीरे धीरे ट्राफिक खुल जाता है तो बकुल फौरन बस के पीछे साइकिल लगा देता है और पूरी ताकत से जल्दी जल्दी पैडल मारने लगता है तो भैया बस की स्पीड से साइकिल नहीं चलता हो गयी रहने दो । हिन्दू बकुल को बस की बराबरी न कर पाने पर बोलता है क्या कर बिना सुने पूरी ताकत झोंक कर पैदल मार रहा है । उसके पैर मानो मशीन बन गई हूँ लेकिन फिर भी बस बहुत आगे निकल जाती है परंतु बकर हार नहीं मानता है । बता नहीं बस किधर गए? अब तो दिख ही नहीं रही । हिंदू आगे की सडक दूर तक देखते हुए बोलता है और बिना कुछ बोले सुने लगातार सी स्पीड ने पैदल मार रहा है और बहुत जोर से हाफ रहा है । मैं जैसे ही थोडा आगे पहुंचाते हैं एक बस स्टॉप के पास वाली गली के अंदर मैडम जाती हुई नजर आती हैं । भैया जा रही है मैडम अंदर मोहल्ले में मैडम पर नजर पडते ही चिंटू बोलता है बस और साइकिल साइड में लगता है फॅमिली सांस लेता है । फॅमिली बैठूंगा ठाकुर तेजी से हफ्ते हफ्ते बोल जाएँ । ठीक है भैया बैठो हूँ । जैसे ही बक और साइकिल पर बैठा है, चिंटू पैदल मारता है लेकिन उससे पैदल घूम ही नहीं । वे ब्राइडल पर खडा होकर अपने शरीर की पूरी ताकत लगा देता है । तब जाकर पैदल को मिलता हैं । नागपुर का वजन इतना है कि चिंटू से उसे बैठाकर एक पूरा पैदल भी नहीं माना जा रहा हूँ । दोनों एक दूसरे को देखते हैं । आज पीछे बैठ जा मैं चलता हूँ और फिर से टपक रहे पसीने को पूछते हुए बोला लेकिन भैया मैडम से बात कब करना है? अभी सडक पर करेंगे तो ठीक लगेगा । चिंटू ने मकर से पूछा हूँ हाँ हाँ, ये तो हमने सोचा ही नहीं, क्या करेंगे थोडी आगे आकर देखते हैं तो मैडम एक और छोटी सी गली में पलटी हैं और अपने घर आ जाती ऍम तो घर आ गयी । ऍम क्या करें अगर नहीं कहा
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