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Part 2: पूर्वाभास in  |  Audio book and podcasts

Part 2: पूर्वाभास

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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था पूर्व बाद राजनगर नगर निगम का भ्रष्ट कर्मचारी आशीष खन्ना बैंक ऑफ राजनगर की सिविल लाइन शाखा में आपने रिश्वत का पैसा जमा कराकर बाहर आता है । वो जैसे ही अपनी कार में बैठने वाला होता है तभी एक विकारी से नजर आने वाला शख्स उससे आकर टकराकर आगे बढ जाता है । आशीष से रोकता है और उस पर अपनी पॉकेट काटकर फर्स्ट उडाने का इल्जाम लगता है । उन दोनों का झगडा सुनकर वहाँ भीड जमा हो जाती है । भीड को जब पता चलता है कि उस भिखारी ने आशीष खन्ना की जेब काटी है तो वो लोग उसे मारने लग जाते हैं । तभी वहां राजनगर पुलिस का हवलदार अनिल आता है । वो अधिकारी की अच्छी तरह से तलाशी लेता है और उसके पास कोई पर्स नहीं निकलता है । उसके बाद हवलदार अनिल आशीष खन्ना की भी तलाशी लेता है । परसों उसकी पैंट की जेब में ही निकलता है । ये देखकर सब लोग हैरान हो जाते हैं तभी वह विकारी चोट लगने की वजह से बेहोश हो जाता है । अनिल भीड में मौजूद शख्स अजीत जो भिखारी को मारने में शामिल होता है की सहायता से बेहोश भिकारी को आशीष खन्ना की कार में डालता है और उसे लेकर वह तीनों हॉस्पिटल की तरफ रवाना होते हैं । अभी वह थोडी दूर नहीं जा पाते हैं तभी वह विकारी रास्ते में ही अपना दम तोड देता है । ये देखकर हवलदार अनिल के मन में लालच जाग जाता है और वह आशीष और अजित दोनों से मिलकर पच्चीस लाख रुपए की डिमांड करता है । अजीत एक साधारण सा सेल्समैन होता है और वो आधे पैसे देने से मना कर देता है । आशीष उसे किसी तरह से पांच लाख रुपये के लिए राजी कर लेता है और बाकी बीस लाख वो खुद देने के लिए तैयार हो जाता है । फिर वो तीनों ऍफ बनाने की तैयारी करते हैं । अनिल उन दोनों को एक हार्डवेयर शॉप से खुदाई का सामान लाने के लिए बोल कर किसी जरूरी काम से वहाँ से चला जाता है । पर जाते जाते वो उन दोनों की लाश के साथ तस्वीर खींच लेता है । उसके जाने के बाद आशीष और अजित दोनों अनिल से छुटकारा पाने का कोई प्लान बनाने लग जाते हैं । लगभग आधी रात के समय वो स्वीकारी की लाश को दफनाने के लिए तीनों कार के द्वारा राजनगर की सीमा से बाहर बने हुए कब्रिस्तान में जाते हैं । वहाँ अनिल उन दोनों से गड्डा खोदकर लाश को ताबूत में रखकर दफनाने के लिए बोलता है । वो दोनों गड्डा खोदकर लाश को ताबूत में रख साबूत को गड्ढे में फेंकने के साथ ही वह दोनों अनिल पर हमला कर देते हैं । अनिल पहले तो उन के हमले से बच जाता है पर अजीत उसे धोखे से पकड लेता है । तब अनिल उनको बताता है कि उसने पहले ही उनकी लाश के साथ गड्ढे होते हुए फोटो खींच ली थी । ऑटोमोबाइल में मेल के द्वारा अपने दोस्त को भेज चुका है और अब अगर उसे कुछ भी हुआ तो उन्हें फांसी के फंदे से झूलने से कोई नहीं बचा पाएगा । ये सुनकर वो दोनों घबरा जाते हैं । लाश को दफनाने के बाद अनिल उनसे अगले दिन पैसे लेकर आने के लिए बोलता है । साथ ही उन्हें एक साथ मिलकर उससे बचने का प्लान बनाने के लिए चैलेन्ज करता है । अगले दिन वो दोनों शाम को उसी कब्रिस्तान में पैसे लेकर आते हैं । अनिल उन्हें अपने साथ दारू पीकर अपनी सफलता सेलिब्रेट करने के लिए बोलता है और नहीं रोकने पर उन्हें धमकी देता है । उसकी धमकी से घबराकर आशीष अजीतकुमार मिल के साथ पार्टी करने के लिए मना लेता है और खुद वहाँ से चला जाता है । उसके जाने के बाद अनिल और अजित पार्टी शुरू कर ही रहे होते हैं कि तभी वहाँ पर कल वाले विकारी का मुद्दा जाता है । तब पता चलता है कि वह भिकारी भी उनका ही दोस्त था । घर होता है और उन तीनों ने प्लान बनाकर आशीष को लूटा था । अजित आशीष का दोस्त बनकर उनके घर गया था जहां पर प्लान के मुताबिक आशीष की बीवी से उसका संबंध होता है । अजीत आशीष की बीवी से उसके हाथों के जेवर भी ले आता है । ये सब वो आशीष को सबक सिखाने के लिए करते हैं जो उनकी बस्ती के आदमी का काम कराने के बदले रिश्वत की मांग करता है । अनिल, अजित और अगर तीनों अनाथ होते हैं जो अपने बचपन में के दौरान हुए दंगों में अपने परिवारों को खो चुके हैं । उस समय वो तीनों मिलते हैं और एक दूसरे के दोस्त बन जाते हैं । कब्रिस्तान से शहर वापस लौटते समय उन्हें सडक पर जाम लगा हुआ मिलता है । थोडी पूछताछ करने पर उन्हें पता चलता है कि आगे इंस्पेक्टर धीरज अपनी टीम के साथ शहर की तरफ आने वाली हर गाडी की चैकिंग कर रहा होता है । उसे सूचना मिली होती है कि किसी पॉलिटिकल पार्टी का करोड रुपया शहर में लाया जा रहा होता है । ये देखकर वह तीनों घबरा जाते हैं क्योंकि उनके पास भी आशीष से लूटा हुआ पैसा और जेवर होते हैं । वो अपने आप को भगवान के सहारे छोड देते हैं । तभी उनके पीछे से गाडी वापस जाने लगती है । इंस्पेक्टर धीरज तुरंत उस गाडी को अपनी गोली का निशाना बनाता है । गाडी की तलाशी लेने पर धीरज को उसमें करोड रुपया बरामद होता है । वो उन मुजरिमों को गिरफ्तार कर लेता है । अनिल धीरज को नमस्ते बोलता है और रास्ता खोलने का अनुरोध करता है । धीरज अपनी टीम को रास्ता खोलने के लिए बोलता है तो तीनों अपनी पुरानी कार से राजनगर की स्लम गांधी बस्ती में अपने मकान में आती हैं जहाँ पर उन का संरक्षक सरदार करतारसिंह उनका भूखा प्यासा खाने के लिए इंतजार कर रहा होता है । अनिल उन्हें खाना खाने के लिए बोलता है पर वो मना कर देता है क्योंकि वह उनके इस प्रकार अपराध करने के खिलाफ था । तब अनिल कहता है कि अपराध की दुनिया में उनका पहला परिचय उन्होंने ही करवाया था और कहा था अगर ये दुनिया उनका हक नहीं देती तो वह हक छीन लोग करतारसिंह जवाब देता है कि उस समय वो मजबूर था और उसके पास उनकी मदद करने के लिए कुछ नहीं था और अब वह बहुत पैसे कमा चुके हैं । अनिल कहता है कि वह काम नहीं छोड सकते क्योंकि उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए एक स्कूल खोला हुआ होता है और वो नहीं चाहते कि फिर कोई अनाथ बच्चा उन जैसा कानून को तोडने वाला मुझे मान जाए । फिर वो तीनों अपनी पुरानी यादों में खो जाते हैं । दिसंबर उन्नीस सौ बयान का वह महीना जब पूरे देश के साथ साथ राजनगर भी दंगों की आग में झुलस रहा था । रात का वक्त था जब राजनगर की सडकों पर एक टैक्सी दौड रही थी । टैक्सी में उस समय ड्राइवर के अलावा पति पत्नी और उनका एक बच्चा तीन हमारे यहाँ थे जो उस महिला के मायके से लौट रहे थे और उन्हें शहर में हुए दंगों के बारे में कुछ भी नहीं पता था । टैक्सी वाला ये कहकर के आगे कर्फ्यू लगा हुआ है । उन्हें उनके घर से एक दो किलोमीटर पहले ही उतार देता है । वो उन्हें भी किसी होटल में जाने की सलाह देता है । करू आदमी मना कर देता है । वो तीनों पैदल ही अपने घर की तरफ रवाना हो जाते हैं । वो कर्फ्यू में किसी पुलिस वाले को तलाश करते हैं पर उस समय उन्हें कोई भी नजर नहीं आता हूँ । तभी सामने से उन्हें दंगाइयों की भीड नजर आती है । भीड उनके पीछे पड जाती है तो तीनों ने देखकर भागते हैं । बाद में अपनी बीवी को बच्चे को लेकर भागने को कहता है । बीवी बच्चे को लेकर भागती है तभी वो ठोकर खाकर नीचे गिर जाती है । वो अपने बच्चे को पास ही के कचरे के डिब्बे में छुटने के लिए कहती है । दंगाइयों ने उन्हें एक जाना पहचाना चेहरा दंगाइयों में उन्हें एक जाना पहचाना चेहरा नजर आता है जिसे वो भारत बरसों से राखी बांधती आ रही होती है । उन्हें थोडी उम्मीद की किरण नजर आती है । पर भीड की वजह से वो आदमी भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाता । पर भीड के हाथों दुर्गती होने से पहले ही वो उनको मारकर इस महिला की इज्जत जरूर बचा लेता है । पर भीड के हाथों दुर्गती होने से पहले ही वो उनको मार कर उस महिला की इज्जत जरूर बचा लेता है । ये सब वो नंदा बच्चा अनिल अपनी आंखों से देख रहा होता है पर डर के मारे वह बिल्कुल चुप रहता है । सुबह का जब थोडा उजाला फैलने लगता है तब वो हिम्मत करके अपने माँ बाप की लाशों के पास आता है । तभी वहां पर कुछ पुलिस वाले आते हैं जो उसकी माँ के मृत शरीर से उसके गहने नोच लेते हैं और उसके पिता के सारे पैसे निकाल लेते हैं । उसके मासूम मन में उनके प्रति नफरत आती हैं पर वह कुछ कर नहीं सकता था । फिर वहाँ से चल देता है और भूखा प्यासा कुछ खाने के लिए तलाश करता है । उसे कूडे के ढेर में एक ब्रेड का पैकेट नजर आता है । जैसे ही वो उसे उठाने वाला होता है उसे एक जोर का धक्का लगता है । वो धक्का देने वाले को देखता है जो की उसी की उम्र का लडका अगर होता है तो दोनों ब्रेड के लिए लडाई करने लगते हैं । दोनों ब्रेड के लिए लडाई करने लग जाते हैं । बाद में दोनों ब्रेड को शेयर करने के लिए राजी हो जाते हैं । जब वो एक दूसरे का नाम पूछते हैं और वापस से एक दूसरे से लडने लग जाते हैं तभी वहां पर उनकी उम्र का तीसरा लडका अजीत आता है और उन्हें लडका हुआ देखकर हसने लग जाता है । ये देख उन दोनों को अपनी गलती का एहसास होता है उसके बाद वो तीनों दोस्त बन जाते हैं । उनकी ये दोस्ती वहाँ से गुजर रहा करतारसिंह देखता है और उन्हें अपना आशीर्वाद देता है । यहाँ पर यादव का ये झरोखा खत्म होता है । दूसरे दिन शाम को तीनों अपनी सफलता का जश्न मनाने राजनगर नाइट क्लब जाते हैं । राजनगर नाइट क्लब शहर का फेमस और महंगा कलम होता है । उसमें विदेशी कृतिकाओं का लगभग नग्न नृत्य होता है । जिस देखने के लिए शहर के अभी जाते वर्ग के लोग आया करते थे । क्लब के दौरान उन्हें घटना देखने को मिलती है । जिसमें एक विधायक का बेटा रॉकी एक लडकी जिसका नाम पूजा था तो थप्पड मारकर क्लब से बाहर निकाल देता है । पूजा उसके बच्चे की माँ बनने वाली होती है । बारटेन्डर विशाल पूजा को जानता था और उससे प्यार भी करता था । पर पूजा रॉकी के झूठे प्यार में पडी हुई थी । वो तीनों क्योंकि को सबक सिखाने का निश्चय करते हैं । वो तीनों विशाल से रॉकी के बारे में पूरी जानकारी मालूम करते हैं और उसे सबक सिखाने के लिए एक प्लान तैयार करते हैं । विशाल की मदद से अनिल इस बार में बारटेन्डर की अस्थाई नौकरी ज्वाइन कर लेता है । ऑनलाइन के मुताबिक असगर को अजित की गर्लफ्रेंड का रूप देकर क्लब में आना होता है और फिर लडकी रूपी अगल रॉकी को अपने होस्टल के जाल में फंसाना होता है । पर जिस दिन लडकी बनकर अजगर को क्लब में जाना होता है और उस दिन अनिल को ना जाने क्यों ये एहसास होता है कि प्लैन में कुछ न कुछ गडबड है । बच्चों की प्लान बन चुका होता है इसलिए वह अजित और अजगर को क्लब आने के लिए बोल कर खुद निकल जाता है । उसके जाने के बाद पीछे से अजित और अजगर को भी प्लान में जो कमी होती है उस बात का एहसास होता है और वो उसे दूर करने की तैयारी करते हैं । अनिल उन दोनों के क्लब में आने का इंतजार कर रहा होता है । वही देख कर चौंक जाता है की अजित के साथ लडकी के रूप में अगर नहीं बल्कि एक लडकी ही प्रवेश कर रही होती है । वो लडकी ऐश्वर्या होती है जो अनिल से प्यार करती थी । अनिल भी उसे प्यार करता था पर वह इसे मन में ही दबाकर रखता था । वह ऐश्वर्या को देखकर अजित और अजगर पर गुस्सा होता है पर प्लान की वजह से चुप रहता है । उधर ऐश्वर्या को देखते ही रॉकी उसकी खूबसूरती देख कर उसे अपने बिस्तर पर लाने की सोच लेता है । रॉकी एक लडकी को अजित के साथ डांस करने के लिए भेजता है और खुद ऐश्वर्या के साथ डांस करने लग जाता है । उडान के दौरान एश्वर्या और फिर निशा को प्रपोज करता है पर ऐश्वर्या उसे पर ऐश्वर्या सिर्फ उससे दोस्ती के लिए हामी भरती है । दो तीन रोज वो क्लब में जाते हैं और फिर वो दिन आता है जब वो अपने प्लान के तहत रॉकी को फंसाने वाले होते हैं । पर उस दिन क्लब में इंस्पेक्टर भेजा जाता है । धीरज अनिल के पास जाकर अपने लिए कोल्ड ड्रिंक मानता है । हाँ तो वही बातों में अनिल के मुँह से पुलिस वाले के लिए नफरत भरी बातें निकलती है जिन्हें सुनकर धीरे जिससे वादा करता है कि जीवन में कभी भी उसे पुलिस की सहायता की जरूरत पड जाए तो उसके पास चले हैं ताकि उसके दिल में जो पुलिस के प्रति नफरत है वो दूर हो सके । धीरज की वजह से उस दिन उन का प्लान जो अधूरा रह गया था वो उसे अगले दिन पूरा करते हैं । अजीत नशे में होने का दिखावा करके ऐश्वर्या को गाली देता है और कहता है कि रॉकी के डांस किलो कि के साथ डांस करते करते हुए उसे भूल गई है । लॉ की इस मौके को कैश करता है और अजित को मारकर क्लब से बाहर में करवा देता है । फिर वो ऐश्वर्या को शराब पिलाता है और उसे नशे में समझकर क्लब में अपने प्राइवेट रूम में ले जाता है । वहाँ ऐश्वर्या होश में आती है । लॉ की उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता है । ऐश्वर्या अपने हैंड बैग से अपना चाकू निकालती है । रॉकी उससे वह चाकू छीनने की कोशिश करता है और इस कोशिश में वह चाकू ऐश्वर्या के पेट में लग जाता है और वहीं काम तोड देती है । ये देखकर रॉकी घबरा जाता है और वह अपने विधायक बाप पप्पू मीना को फोन करता है । पप्पू मीना अपने आदमी वहाँ भेजने के लिए कहता है और उसे तुरंत वहाँ से निकलने के लिए बोलता है । रॉकी के जाते हैं । ऐश्वर्या के शरीर में हरकत होती है । दूसरे दिन पप्पू मीणा के बंगले पर वो अपने बेटे रॉकी को बोल रहा होता है कि वहाँ पर कोई बिलाश नहीं मिली थी । तभी अनिल कुरियर बॉय के भेज में एक पैकेट डिलीवर करता है । पप्पू मीना उस पैकेट को खोलता है तो उसमें एक चिट्ठी, एक लिफाफा और एक सीडी निकलती है । टी में उन्हें पहले सीडी देखने और फिर लिफाफा खोलने के लिए लिखा होता है तो दोनों सीडी देखते हैं तो पाते हैं कि उसमें रॉकी के क्लब वाले रूम में घुसने से लेकर ऐश्वर्या को मारने तक का सीन होता है । फिर वो लिफाफे को खोलते हैं जिसमें उनसे साठ लाख रुपये की डिमांड की गई होती है । रॉकी ब्लैकमेलर को सबक सिखाने की बात करता है पर तब तो मिला पर पप्पू मीना उसे इस बात के लिए रोक देता है और साठ लाख रुपये ब्लैकमेलर को देने के लिए बोलता है । अनिल उनमें से पचास लाख रुपये पूजा और विशाल को देता है और उन्हें पैसों से एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए बोलता है । उन का अगला शिकार अहमद होता है । वो राष्ट्रीय आवाम पार्टी का एक कार्यकर्ता होता है । पार्टी का अध्यक्ष जुबैर अंसारी चुनावों में पैसा बांटने के लिए शहर के कोने कोने से हर सप्ताह आपने आदमियों के द्वारा एक ब्रीफकेस भिजवाया करता था । अहमद भी उसका पैसा लेकर जाया करता था । अहमद अपने नियत समय पर ब्रीफकेस लेकर निकलता है और आपने हमेशा के रूटीन के हिसाब से रास्ते में अपनी गाडी पार करके होटल शान में लंच करने के लिए जाता है । जैसे वो लंच करते होटल से बाहर जैसे वो लंच करके होटल से बाहर निकलता है और अपनी गाडी में बैठने वाला होता है । उसी समय अजित उसके गले से उसकी चेन तोडकर भाग निकलता है । अहमद बिना कुछ सोचे समझे अजित के पीछे भागने लगता है । आगे एक मोड पर वो एक अंधे आदमी से टकराता है जो कि अनिल होता है । वो जब तक खडा होता है तब तक अजित वहाँ से गायब हो चुका होता है । हताश होकर अहमद जब अपनी गाडी के पास आता है तो पाता है कि गाडी से उसका ब्रीफकेस गायब हो चुका होता है । ये देखकर उसे जुबैर अंसारी के हाथों अपनी मौत साफ नजर आती है । उधर वो तीनों जब दीप के इसको देखते हैं तो पाते हैं कि उसका वजन बहुत हल्का । वो उसका ताला तोडकर देखते हैं तो पाते हैं । वह बिल्कुल खाली होता है । उसमें सिर्फ एक आधा पांच सौ रुपये का फटा हुआ नोट होता है । उन्हें उसका कोई मतलब समझ नहीं आता । अनिल जब ध्यान से उस ब्रीफकेस को देखता है तो उसकी निगाहों से गुप्त जेब नहीं बच पाती । वो उसको प्रोजेक्ट को चाकू की सहायता से खोलता है तो पाता है उसमें एक छोटी सी चिट्टी होती है जिसमें लिखा होता है कार्लोज देवराज ठाकुर को खत्म कर दो एक करोड रुपया तुम्हारे स्विस बैंक में जमा कर दिया गया है । बाकी का एक करोड काम खत्म होने के बाद ये पढते हैं । वो तीनों चौंक जाते हैं और उन्हें राजनगर फिर से दंगों की आग में सुलग ता हुआ नजर आने लगता है । जुबैर अंसारी उस राष्ट्रीय आवाम पार्टी का अध्यक्ष था जो मुस्लिमों की पार्टी मानी जाती थी । वो और उसका खास आदमी रज्जाक अहमद से ब्रीफकेस लूटने के बारे में पूछताछ कर रहे थे । अहमद आपने लुटेरों के बारे में कुछ भी नहीं बता पाया तो जुबेर के इशारे पर रजाक उसे खत्म कर देता है । सुबह रज्जाक को उसी समय देवराज ठाकुर को मारने के लिए सुपारी की दूसरी चिट्ठी लेकर कॉन्ट्रैक्ट किलर कार्लोस के अड्डे पर भेजता है । देवराज ठाकुर इंडियन राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष था जो हिंदूवादी पार्टी थी । कुछ दिनों पहले दूसरे समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के कारण उस समुदाय के धर्मगुरु ने उसे मारने वाले को दो करोड का इनाम देने की घोषणा की थी जिसकी वजह से उसकी सिक्योरिटी बढा दी गई थी । वो अपनी पत्नी रीमा ठाकुर के साथ अपने गार्डन में बैठा हुआ होता है । तभी कार दो सौ से सामने की बिल्डिंग से अपने निशाने पर लेता है । पर इस हमले में देवराज के बजाय उसकी पत्नी मानी जाती है । रीमा ठाकुर पर हमले की खबर पूरे शहर में फैल जाती है । टीवी पर ये न्यूज देखते ही अनिल और उसके दोस्त पुलिस स्टेशन चलकर इस बात का सबूत देने जाते हैं कि हमला कॉन्ट्रैक्ट किलर कार्लोस ने किया था और उसके पीछे नेता जुबैर अंसारी कहा था ।

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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