Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
Part 2 (B) in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

Part 2 (B) in Hindi

Share Kukufm
228 Listens
AuthorAditya Bajpai
शक कर तू कि सितारों में आग है, शक कर कि सूरज घूमता भी है, शक कर कि सच भी झूठा है, मगर मेरे प्यार पर कभी शक न करना। writer: अरविंद पाराशर Voiceover Artist : Mohil Author : Arvind Parashar
Read More
Transcript
View transcript

रात के शान से माहौल में हाउस खान के अपने मकान में सुमेश और दृष्टि दंपति किसी अच्छी बात पर झगड रहे थे । सोमेश को अगली सुबह किसी अंजान जगह पर ऑफिशियल ट्रिप पर जाना था । दृष्टि नहीं ये कहते हुए विरोध किया कि उसे भी साथ ले चलेंगे । उसने बताया कि अपने पति की उसे अकेले छोड जाने की वजह से अत्यधिक तनाव से गुजर रही थी । उमेश ने इसे गंभीर अपमान की तरह लेते हुए बताया कि वह ऑफिसर्स में से है जो अपनी बीवी को छुट्टियों में हवाना लेकर गया । वास्तविकता ये थी कि काफी प्रोत्साहित करने के बाद सुमेश छुट्टियों पर हवाना ले जाने को तैयार हुआ था । वो हमेशा व्यस्त होने का दिखावा करता रहता था । उसने अपनी संपत्ति ये बारे में दावा किया की दृष्टि इस दुनिया की अधिकतर वस्तुओं का उप्भोक्ता आरामदायक जिंदगी जी सकती है जो किसी आम पुलिस अफसर की बीवी को नहीं मिलता इसलिए वह एज का आनंद ले । दृष्टि को ये बात बुरी लगी और उसने सोमेश को अभिमानी व्यक्ति कह दिया जिसके अंदर कूट कूटकर अहम भरा हुआ था । ये जो बनी लडाई तब तक चलती रही जब तक डिनर के लिए नहीं बुलाया गया तो एक दूसरे से सोलह के लिए तैयारी नहीं था । दंपत्ति अहम और तुनकमिजाजी के शिकार थे । अभी तक गनीमत यह थीं कि इन दोनों ने आपस में ही झगडे सुलझाने की कोशिश की थी । माता पिता और मित्रों को शामिल नहीं किया था । ऐसा नहीं रहा था की उस दिन परिस्थिति नियंत्रण से बाहर होने वाली थी । दृष्टि ने सोमेश को चेताया जब वापस आएगा तो मैं यहाँ पर नहीं मिलेगी । सो में सोचने लगा । वे दृष्टि का हाथ पकडकर उसे शांत करने की कोशिश करने लगा । पर वह सुनने वाली कहाँ थी? उसने भी अधिक मनाने की कोशिश नहीं की । कमरे में घुसकर ऐसा दिखावा करने लगा जैसे बैठ बैठ कर रहा हूँ । दृष्टि ने दूसरे कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया । कुछ इस तरह से उनकी रात दूसरी तो उन्होंने एक दूसरे से ऐसी हरकत ही जैसे पीछे हटने की संभावना काम ही देख रही थी । था । सोमेश को नहीं नहीं आ रही थी एक तरफ उसके पेशेवर प्रतिबद्धता वहीं दूसरी तरफ बीबी से उसके छकडे घट में होने का नाम ही नहीं ले रहे थे । कोई त्वरित हाल नहीं निकल रहा था । हैरानी की बात ये थी की रह अर्जित से कंसर्ट के टिकट लाया था तो इतना दुखी हुआ कि उसने टिकट ही फाड डाले । उसने दृष्टि को इस बारे में बताया तक नहीं । उसने अनीता बेकर के द्वारा गाया गया अपना पसंदीदा गाना स्वीट ऑफ लगाया और आपने टकियां को पकडे एवं अपने दुखों में झूलता हुआ धीरे धीरे नींद के आगोश में चला गया । वो दृष्टि मध्यरात्रि में जगह हूँ । फ्रेंड्स की तरह चाहते हुए उसने सोमेश की कमरे से गाने बजने क्या भाषण इस आदमी को देखो गाना सुनने में व्यस्त हैं और मैं मोर को की तरह दुखी हूँ ब्लॅक मुझे अपनी जिंदगी को सहजता से लेना चाहिए । ॅ जब तुझे अकेले जाने के लिए प्रेरित करती है तो सही कहती है काश में उन औरतों की तरह होती धनिया अकेले रहने में कोई दिक्कत नहीं होती । कितनी अलग हूँ मैं । भगवान मुझे शक्ति दो दृष्टि अपने मन ही मान खुद को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही थी । उसके लिए सबसे बडी चिंता का विषय था । उसे शंका थी कि सोमेश का कहीं चक्कर चल रहा हूँ । एक बार उसने अपने बैग में एक जोडी और ऍम जब उसने सोमेश से पूछा ऍम और बजाय सफाई देने के उसने बोलता ही पूछ लिया कि उसका बैग क्यों छोडा गया । तभी उन दोनों में मैं ऍम हो गई थी । गुस्से के कारण सोमेश कभी सफाई नहीं देता और दृष्टि ये उम्मीद थी कि एक दिन सोमेश आकर उसे विधिवत्त समझाएगा । ऐसा कभी नहीं हुआ । ऍफ का कभी पता ही नहीं चला हूँ । अगर गए बाद में जवाब देता तो ऐसा लगता है घुमावदार बातें बनाने की कोशिश कर रहा हूँ । ऐसे जवाब तुरंत दिए जाने चाहिए । सामान्य दुनिया में इसे घमंड कहा गया । ऍम का ऐसा जहर है जो साहब के काटने से भी तेज गति से फैलता है । साहब के काटने में आपको पता होता है कि क्या करना चाहिए यहाँ आपको कुछ भी नहीं पता होता है । वो अपने जीवन में थोडा सा बदलाव, रोज के मोहम्मद शायद अहंकार को काम करते । ये संबंध प्रेम और समझ की कमी का शिकार था । उनका ये चकडा अभी तक जारी था तो बातों के लिए झगडा नहीं करना चाहिए । हर ये लोग मानने वाले नहीं थे । अगर इसे सुलझाना था तो किसी एक व्यक्ति को आगे बढ कर पहल करनी थी और दूसरे को साथ देना था । शांत रहना ठीक बात है पर वह शांति जो प्रेम और सामंजस्य में बाधा डायलिंग, उससे बडी विनाशकारी वस्तु कोई नहीं हो सकती है । फॅमिली अपना वक्त चाहती थी तो मेरे को लगता था वो उस पर जासूसी करके पर रखना चाह रही थी । अगली सुबह दृष्टि ने मेज पर नाश्ता रख दिया था और दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे । सोमेश बिना खाए ही चला गया । उस की फ्लाइट देरी से भी । फिर भी वह सुबह जल्दी जगह और बिना एक शब्द बोले निकल गया । ऍम हॉल में बैठकर खूब होने लगी । वो अपने भावनाओं को निकालने के लिए अपनी जांघों पर मुख्य मार रही थी । उसके रोने की कठोर धनी जोर जोर से सुनी जा सकती थी । कई सालों में पहली बार ऐसा हुआ था । मैं खुद को संभाल नहीं पा रही थी । मैं खुद को विकराल संकट में पा रही थी । खुद को दर्पण की ओर देखा और खट परदादा खाने लगी हूँ । ऍम कमजोर नहीं थी । यह सब अस्थाई था । उसने अपने फोन की तरफ देखा । उसमें कोई भी कॉल और मैसेज भी नहीं था । जब मैं उसे देख कर डर पढ के सामने कुर्सी में बैठने वाली थी, उसका फोन बज उठा हूँ । उसने तनिक भी ध्यान नहीं दिया । फोन फिर बज किया है । उसने फोन डालियाँ शिक्षा ने फोन किया था । दृष्टि हमेशा उससे अपनी निजी बातें साझा करती थी । अंतराम अपनी बहन के मन की बात तुरंत जान जाती थी । बे उसकी आवाज सुनकर भी भाग लेती थी तो क्यों रो रही है? दृष्टि कुछ नहीं आया होंगी तो बताऊँ ॅ पहुँचती हूँ ॅ ऊं ॅ तुरंत करने लगी । हॅाकी बेहतर देख सके उसका अधिक डर में कभी आंखों पर ही केंद्रित था । ऍम पहुंचने में देर नहीं लगी तो तुम कब से मत से बातें छिपाने लगी । उसने दृष्टि कर देख कर पहचान लिया । नहीं आॅक्सी । मैंने सोचा तुम्हारे साथ बाहर घूमने चलेंगे । घूमने या पीने ऍम मजा किया और ऍम उसका जवाब दिया तो मैं फिर से मुस्कराते हुए देखकर अच्छा लग रहे हैं । मैं कभी अपना बोली नहीं बस कल की रात भयानक थी । सोंग आॅक्शन पूछा हूँ किसी मीटिंग के लिए शहर से बाहर गया है वो वो मुझसे गले में लोग चिंता मत करो तो अच्छा लगेगा । मैं नाटक के लिए तुम्हारे टिकट बुक कर देती हूँ । सृष्टि बहुत जोर से रोने लगी । कुछ देर बाद अपनी बहन के कंधों में मेरे स्कूल है तो ठीक हुई दोनों मैंने खूब बातें करने की मोड में थी, ऍम को नहीं । टी शर्ट पहन नहीं पडी । जो उसने पहले पहनी हुई थी, उसमें दृष्टि के काॅलर बह गए थे । ऍम मैं सोचूंगी जातियों तो यहाँ से मेरा ऑफिस बहुत नजदीक है । दृष्टि नहीं कुछ इस तरह से बात कही जैसे वन दिशा के यहाँ पर कुछ दिन गुजारना चाहती हूँ । मेट्रो अच्छा रास्ता है फॅमिली की दृष्टि और अंत इक्षा सामान्यतः सोमेश और उसके बीच की बातों पर अधिक पार्टी नहीं करते थे । अंतरिक्ष सबकुछ दृष्टि पर छोड देती थी । आप की वह क्या साझा करना चाहती थी और क्या नहीं? उस दिन रस्टी नहीं रह कहा जो इसके पहले कभी नहीं कहा था हूँ । मुझे लगता है मुझे सोमेश को छोड देना चाहिए । क्या कह रही है सच में इस बार मुझे पक्का विश्वास हो गया हूँ ऍम चलते हैं । शिक्षा ऋष्टि के इस निर्णय से थोडा व्याकुल हो गई थी । मैं इस बात को अधिक लंबा नहीं खींचना चाहती थी । इसीलिए बदलाव के लिए बाहर जाना बेहतर विकल्प था । उन्होंने नहीं लिया फॅार के आसपास खोलेंगे । वहीं पर भारत के बहुत बडे चित्रकार कोमल वीर सिंह की पेंटिंग प्रदर्शनी थी । वो उन का दोस्त था । प्रदर्शनी शुरू होने का वक्त था इसलिए उसने उनके साथ कैसे में बैठने का निर्णय लिया । चित्रकारी के लिए भी और हादसे के लिए भी जाना जाता था । बॅाजीरॅाव उन महिलाओं को थोडी बहुत मुफ्त की सलाह दी थी । उसने मुंबई में रहने की सलाह दी थी । उसने दिल्ली को जमकर कोसा हूँ । महिलाओं को कोई आश्चर्य नहीं हुआ । मैं मुंबई का रहने वाला था इसलिए उसने दिल्ली से पलायन करके मुंबई में रहने की सलाह दी । जैरी जेम्स और मैंने सुबह के कुछ घंटे फॅार के आसपास खोलने का फॅारेन या ने सुहाना के वेस्टिन में दे प्लान की थी जिससे जैरी द्वारा सुझाया गया था । क्योंकि हम फॅालोइंग के वक्त प्रॉपर्टी देखने जा नहीं पाए थे तो मैं जाता था हम में से कोई एक वहाँ प्रॉपर्टी देखने चाहे प्रेमीजोडे खुशी खुशी तैयार हूँ । हेबिटेट के आसपास हमने भोजन के लिए ऑॅफ क्या अपने से कुछ कदम की दूरी पर दृष्टि को देखकर अचम्भित रह गया हूँ । मैं हाथ में लाया है । मुझे पहचान गई और उसने पास आकर हम सभी से हाथ मिलाया हूँ । मैंने उसे हक क्या नहीं था जिसने उसे हाथ किया था । अच्छा लगा मेरे लिए सुजॅय दिल वाली थी । थोडी ही देर में उसके पति का चेहरा मेरे दिमाग में आ गया और मैंने पूछने में कतई देर नहीं हूँ तो तुम्हारे गरम मिजाज कैसे हैं? वह कुछ देर चुप रही और फिर धीमी आवाज में बोली ठीक ही होगा । मैंने अपने मन में सोचा । इन दंपति की गृहस्थी जीवन गहरे संकट में है । मुझे नहीं पता मुझे क्या हुआ । मैंने अचानक से पूछ लिया दिल्ली में कुछ न कुछ गलत है । इन हवाओं में कुछ मिला हुआ है । धन सभी ने खुश रहना ही छोड दिया है । जो व्यक्ति उनके साथ सीट पर बैठा हुआ था, अपनी सीट से उठा और मेरे पास आते हुए अपनी सीट से उठा और मेरे पास आते हुए हेलो का भाई मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ । मेरा नाम कोमल है । मेरी प्रदर्शनी देखने आॅड आपको कौन नहीं जानता हूँ । आपको सामने देखना हमारे लिए सौभाग्य की बात है । मैं सच में विश्व के बेहतरीन चित्रकार को सामने देख कर खुश ना हो । मिलने जुलने और दिल्ली की धज्जियां उडाने के बाद गोमल चला गया । डस्टी भी छोडकर जाने लगी । हमें भी चाय ऍम मैं डी टीवी में काम करती हूँ । हाँ वो तो बडे आए । मुझे टीवी देखना बहुत पसंद है हूँ बस ऐसे ही मुझे देखना पसंद है । हाँ, तभी मैं पूछ रही हूँ आप को क्यों पसंद है भरे छोडो व्यवस्था तारीफ करना चाह रहा था ऍम मैं तुम्हारी टांग खींचना चाह रही थी तो महासवी लेती हूँ । मुझे नहीं पता था तो मैं भी लेती हूँ । तुम्हारी मुस्कराहट बहुत अच्छी है । मैं अपने बारे में बताता हूँ । मैं कोर्ट में काम करता हूँ । मैं वहाँ पर एशिया पैसिफिक मार्केटिंग डिवीजन में हूँ । इस फीटिंग के बाद हम अपनी सीट की ओर नाश्ता करने चलती है । दृष्टि नहीं, प्रतीक्षा की तरफ देखा और सोचने नहीं कि मैंने जो कहा था क्या यह सच है? फॅमिली की तरह बढते हुए उसने अंतरिक्ष आ से पूछ लिया कि क्या यह सच में हसना भूल गई है? अंतरिक्ष उसे साफ मना देने लगी । मैं उनकी तरफ तब तक देखता रहा हूँ जब तक है उछल नहीं हो गई । अच्छी जगह है । चेरी ने तारीफ के ऐसा सुझाव देने के लिए शुक्रिया भाई । मैंने कहा । वहीं देश के दूसरी तरफ मुंबई के उपनगर में एक कार्यक्रम के दौरान सोमेश को सर्वश्रेष्ठ पुलिस ऑफिसर का खिताब प्रदान किया जा रहा था । उसके सीनियर ने यह देखा था । उसने कई अवसरों पर बहुत ही लगन से काम किया है । वह इस विरासत को आगे बढाने में गर्व महसूस कर रहा था । इन पुरस्कारों के दौरान उसकी मुलाकात उसके पूर्व बॉस श्रीमान विद्यानाथन से हुई । विद्यानाथन ने औपचारिकता निभाते हुए उसे बधाई थीं बिहारी लडे भी पढाई हो प्रक्रिया पर मैं बिहार से नहीं हूं है बुरा मत मानना । पर मैं तो मैं यह पुरस्कार मिलता देख अचंभित हो कोई सिफारिश लगाया होगा तो ऍम सोमेश के चेहरे पर नाराजगी देखने लगी थी । पहले आगे बढ गया क्योंकि वह अपने सीनियर से बहस नहीं लगाना चाहता था । उस दिन मन ही मन वह खुद को अपमानित महसूस कर रहा था । इसके बाद उसने विद्यानाथ से हाथ तक नहीं मिलाया । इससे साफ हो रहा था ॅ सोमेश को तनिक भी पसंद नहीं करते थे । इस बीच सोमी हर ऑफिसर से दिल खोलकर मिल रहा था । भारी दिन नहीं हुए सोमेश ने दृष्टि को यह लिखते हुए हैं मैसेज किया कि उसे अपने काम में विशेष योगदान करने के लिए पुरस्कार दिया गया । फॅमिली के फोन की बैटरी खत्म हो गई थी और उसे पता तक ना चला हूँ है और अंतरिक्षण नाटक देख रहे थे । सोमेश ने फिर से अपने फोन की तरफ नहीं देखा हूँ । उसने ये मान लिया था कि डाॅ उसके मैसेज को नजर अंदाज कर दिया । बाकी रह सभी ऑफिसर से मिलता रहा हो । मैं उस कार्यक्रम में एकलौता व्यक्ति था जो अपनी पत्नी के साथ नहीं आया हुआ था । इसीलिए उसके लिए यह दैनिक अजीब स्थिति थी । मजे करना चाहता था पर मन से कुछ नहीं था । उसने अपने बॉस के पास पहुंचकर बेड दर्द का रामबाण बहाना बनाकर अवकाश रैलियां । उसने कमरे में वापस आकर दो बैठ शराब दी और बिना कपडे बता रहे ऐसे ही हो गया पिछले दिन की उपेक्षा आज भी कोई गाना नहीं समझा ना उसने अपनी आंखे बंद की और आपने पिछले दिनों की आज में खो कर भावुक हो गया । मैं तुमसे घना करता हूँ वैद्यानाथन मैं तुमसे नफरत करता हूँ । एक क्षमतावान और सशक्त पुलिस ऑफिसर अपनी निजी जिंदगी में और कमजोर था हो । सोने से पहले उसने एक बार फिर से फोन मैंने कहा दौडाई थी । दिल्ली के हैॅ नाटक खत्म हो चुका था । ॅ अपने फोन की बैटरी चुकी हुई पाई । अंतरिक्ष आने अपना फोन पकडा दिया । उसने सुमेश को यह पूछने के लिए फोन किया तो मैं कहा है पर बहस हो चुका था । उसने फोन नहीं उठाया । ऍम खत्म हो गया । बस ने कॉल करने की जहमत नहीं उठाई । बृष्टि ने अपने घर की तरफ गाडी चलाते हुए का शांत हो जाओ । दृष्टि हिंदी की बहुत सुंदर है, वो जरूर कहीं फसा होगा । वहाँ दो कदम और आगे बढे थे । बारिश शुरू हो गई । अरे यहाँ जिंदगी में कोई नहीं है तो प्रॉब्लम । किसी की जिंदगी में कोई है तो भी इस मौसम को देखो । कितनी मस्त बारिश हो रही है वे दोनों रास्ते में कोस्टा कॉफी पर कॉफी पीने के लिए रुक गई । दृष्टि ने अपनी ब्लाॅक कॉफी पी । वहीं अंतरिक्ष या ने अपने लिट्टे कॉफी काश मेरी हिंदी की पता चल जाएगा । मुझे एक पुरुष की सख्त जरूरत है जो जरूरत के वक्त मेरे बगल में बैठा हूँ । इंसानों में सुमेश ने अपना वक्त छोडकर मुझे सब कुछ दिया । मुझे उसका वक्त चाहिए था, जबकि उसने मुझे पैसा दिया । मुझे उसके साथ छुट्टियाँ बितानी थी, जबकि उसने बहाने बनाई कुछ है, उसका प्यार चाहिए था । जबकि उसमें कुछ पांच पढाए दृष्टि ने भावुक होकर कहा अंतर रहा । वो अपना पसंदीदा गाना सुनते हुए घर की तरफ चल रही है ।

Details

Sound Engineer

शक कर तू कि सितारों में आग है, शक कर कि सूरज घूमता भी है, शक कर कि सच भी झूठा है, मगर मेरे प्यार पर कभी शक न करना। writer: अरविंद पाराशर Voiceover Artist : Mohil Author : Arvind Parashar
share-icon

00:00
00:00