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Part 19 in Hindi

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AuthorAditya Bajpai
यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
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भाग शाम को घर में सब साथ में खाना खा रहे हैं । जगह नारायण रविवार को ब खुद के लिए लडकी देखने जाने के लिए बहुत उत्साहित हैं । तुम एक है साढे आठ लेना लडकी के लिए अगर सब कुछ ठीक रहा तो हाथों आज साडी और हाथ में एक सौ एक रुपये भी दे आएंगे । जगह ॅ गायत्रीदेवी से कहा चिंटू और बकौल दोनों खाना खाते खाते सुन रहे हैं और बीच बीच में एक दूसरे को देखने लगते हैं । अरे पहले लडकी तक एक लाॅटरी तेरी नहीं कहा । अरे हमने तो देख ली है । लडकी उसदिन है, शादी में है वो भी मदन लाल जी के साथ मिली थी । बहुत सुशील और संदर लगी है । मैं तो और बकर की तरह थोडी हष्ट पुष्ट अच्छा है । फिर तो पति पत्नी जिंदगी की गाडी के दो पहिए होते हैं और दोनों बराबर होते हैं तो ही जिंदगी अच्छी चलती है । गायत्रीदेवी नहीं कहा । हाँ हाँ कल दाढी बनवा के चेहरे जरा अच्छे से साफ कर लेना । कल तो शनिवार है ना, फिर अच्छा परसो सुबह कर लेना । जगत नारायण ने बकर से कहा इसी तरह परसों की तैयारियाँ, उत्साह, चीजों का ध्यान और कैसे जाना हैं? कैसे बर्ताव कर रहे हैं उसके बाद क्या करेंगे । इन्हीं बातों पर बातें चलती रही । बकुल और चिंटू के दिमाग में बस यही चल रहा था की ऋतु मैडम हमारा साथ जाने के बाद क्या कहेंगी? जगत नारायण को यही कारण पता चला तो पता नहीं नहीं क्या हाल करेंगे हमारा । क्योंकि न जाने कितने वर्षों बाद किसी लडकी के बाप ने बकुल को पसंद किया था । आज चिंटू के साथ साथ बकुल भी खाने के बाद बाहर आ गया । घूमते घूमते दोनों शिप्रा घाट पर आ गए और अपनी गंभीर स्थिति को नियंत्रण में लाने के बारे में सोचने लगे । शाॅ अगर आप कल भी मैडम से नहीं बोल पाए तो बस इतना समझ लीजिए कि परसो रविवार को कुछ भी हो सकता है । अगर मैडम ने वहाँ कुछ उल्टा सीधा बोल दिया तो आप की बहुत भेजती हो जाएगी और फिर बहुत बुरा होगा । चिंटू ने गंभीरता से कहा हूँ हाँ दिन तो कल तो ना चाहते हुए भी बताना ही पडेगा । आप आज ही सुबह बोल देते आए भैया तो ये टेंशन तो नहीं रहती कि मैडम क्या बोलेंगी । जिस दिन से तेरे पापा बना बस उसी दिन से कुंडली में शनि राहु केतु पूरा डेंजर परिवार आकर बाॅन फिर सुबह होती है । शनिवार की सुबह चिंटू जाने लगता है तो बस कोई बाहर आकर उसे रोकते हुए कहता है मुझे भी बैंड पर जल्दी जाना है । सुबह तो मैं छुट्टी के समय तेरे कॉलेज आ जाऊंगा । बकुल नहीं कहा । ठीक है भैया देख लेना दो बजे के पहले आ जाना क्योंकि दो बजे सर मैडम भी चले जाते हैं । चिंटू ने जाते हुए गा ठीक है मैं आ जाऊंगा और तो मैडम के सामने अच्छा बच्चा बनकर रहना बकूल बोलते हुए अंदर आ जाता है और आज जल्दी तैयार होकर बैंड पड जाता है । बैंड पर पहुंचता है, दिखता है । बाकी बैंड वाले झुंड बनाकर बात कर रहे हैं उससे पुलिस वाले नहीं । अभी तक सेठ जी को नहीं छोडा हैं । पिछले हफ्ते में उनका विरोध करना है । दो पायल ठाकुर को बताते हुए बोलता है अब तू करवा थाने में बंद है । पुलिस वालों का रोज की तरह काम चल रहा है । तभी अचानक से थाने के अंदर बैंड बजाने की आवाज आनी शुरु होती है । पुलिस वाला बाहर आकर देखता है तो गोपाल अपने सारे बैंड वालों के साथ थाने में आ गया है । तभी थाने में बैंड का म्यूजिक सुनना बहुत सारे लोग रुक रुक का देखने लगते हैं । ये यहाँ बैंड बाजा रहा हूँ । पुलिस वाला भोपाल से पूछता हूँ हम अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं । हमारे सेठ जी को बिना किसी जुर्म के गिरफ्तार किया है । आपने भोपाल बोलता रहा है जो चाहे बंद करो वरना अन्दर बंद कर दूंगा । सब तो पुलिस वाला ढंग की भी देता है । हुआ है क्या? वह बोली है आपने आपकी इसी बात पर कुछ पेश है फिर सब एक साथ बैंड बजाना शुरू करते हैं । पुलिस वाले को घूमते हुए हैं । हालांॅकि खायेगा पुलिस वाले के मना करने पर भी गोपाल रुकने से मना कर देता है । पुलिस वाला गुस्सा होता है और सब को जेल में डाल देता है । राहू आप तुम भी अंदर अपने सर जी के साथ दो तीन दिन बंदा होगे तो सब ठीक हो जाएगा । पुलिसवाले ने कहा ये बात सुनते ही बक और के होश उड जाते हैं हैं

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यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
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