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डॉक्टर जमीदार और उसके साथ ही किनारे पर पहुंचने ही सरपट बातें । टापू के तट से लकडी के किले तक एक छोटा सा जंगल था जिससे पार करते हुए उन्हें समुद्री डाकुओं की आवाज सुनाई दे रही थी । वे आवाजे निरंतर इकट्ठा रही थी । तेजी से जोडकर उनका पीछा कर रहे डाकुओं कि पैरो की आवाज भी सुनाई देने लगी थी । डॉक्टर में महसूस किया की इस हालत में कुछ किया जाना चाहिए वरना ये आपको हम सबको ठिकरा में लगा देंगे । डॉक्टर में कप्तान से कहा सोमवार जमींदार साहब का निशाना बहुत चुप । सोमनाथ जमींदार साहब, बच्चों की निशानेबाजी । आप अपनी बंदूक नहीं दे दीजिए । कप्तान ने अपनी बंदूक तत्काल सुविधा को दे दी । डॉक्टर ने भेंटकर मारने वाला छोरा, एक जवान, नाविक कुछ कमा दिया । वे लोग जंगल के आखिरी छोड तक पहुंच गए थे और लकडी का किला सामने दिखाई दे रहा था । विपक्षों के सारे से निकलकर खुले मैदान में आएगी थे कि साल समुद्री डाकू एक का एक सामने प्रकट हो गए । वो कुछ सोच पाते इसके पहले ही जमींदार और उसके साथ ही उन्हें उन पर चार गोलियां दाग दी । एक डाकू गोली लगने से जमीन पर गिर गया और बाकी भाग खडे हुए । उन पर हमला इस तरह अचानक हुआ । उन्हें संभलने और मुकाबला करने का मौका ही नहीं मिल पाया । वे इतनी तेजी के साथ दौडे की कुछ शहरों में ही जंगल में गायब हो गए । डॉक्टर और उनके साथियों ने फिर अपनी बंदूकों में गोलियाँ भरी । वो पैदल चलकर उस स्थान पर पहुंचे जहां एक डाकू गोली लगने से गिरा था । उन्होंने देखा वह मर चुका था । गोली उसके दिल के आर पार हो गई थी । मैं झुककर डाकू की लाज देख रहे थे की गोली सनसनाती हुई । डॉक्टर के कारण के पास से गुजरी और पांच खडे लालचंद की कनपटी में जा घुसी । लालचंद वहीं ढेर हो गया । जमीन और डॉक्टर ने तत्काल उस दिशा में गोलियां चलाई जिधर से लालचंद को ढेर करने वाली गोली आई थी । लेकिन दोनों जवाबी गोलियां बेकार गई । कुछ पल पहले वे लोग अपनी उपलब्धि पर खुश हो रहे थे । अब देखते देखते खुशी मातम में बदल गई । कप्तान और एक नाविक लालचंद की नब्ज टटोल रहे थे । डॉक्टरों ने बताया कि सब कुछ खत्म हो रहा है । लाल चल की सांसें उखड रही थी । सब लोग पुराने निशानेबाज लालचंद की लाश को उठाकर लकडी की उसके लिए नुमा मकान में ले गए । विचारे लालचंद डॉक्टर को बहुत आ रही थी । शुरू से अब तक लगातार काम में जुटा रहा था और सारा काम चुपचाप बिना एक शब्द बोले करता रहा था । डॉक्टर नहीं । चक्कर लालचंद को प्यार से तपाया और हल्के से उसके कंधे को ही लाया । लालचंद कि होटले और वह बुदबुदाया । डॉक्टर साहब क्या मैं जा रहा हूँ? डॉक्टर ने उसे फिर कब तक आते हुए कहा हालाल चलते तो अपने घर लौट रहे हो । जमीदार ने घुटनों के बल झुककर लालचंद का हाथ अपने हाथों में थाम लिया और किसी बच्चे की तरह फूट फूटकर रोने लगे । लालचंद की हो फिर ही लेंगे और वह कहने लगा हूँ की फॅमिली और कुछ देर बाद वो हमेशा के लिए मौन हो गया । इस दौरान कप्तान अपनी जेबों और बेटी से सारा सामान निकालकर बाहर बन रहा था । उसमें भारत का राष्ट्रध्वज, रस्सियों का बण्डल, एक धर्म कर्म, कलम से आ ही एक कोरा रजिस्टर आदि शामिल थे । इनके अलावा तंबाकू और बीडी सिगरेट के कुछ पैकेट भी एक और रखें । कप्तान बडे जतन से सारे सामान की गिनती कर रहा था । पर इस बीच उसका ध्यान लगातार लालचंद की और ही था । जैसे उसने देखा कि लालचंद के ब्रांड उसके शरीर को छोड गए । अपनी जगह से उठा, उसके पास रखे झंडे को खोला और लालचंद काॅपर फैला दिया । उसके बाद कप्तान धीरे से डॉक्टर की वहाँ पकडकर एक और ले गया । कप्तान ने डॉक्टर से पूछा अगर चेन्नई से कुमुक मंगाई जाए तो कितना मांग लग जाएगा? डॉक्टर ने जवाब दिया, मैं नहीं समझता हूँ । हम वहाँ से कोई मदद हासिल कर सकते हैं । अव्वल तो वहाँ तक मदद के लिए खबर भेजना ही मुश्किल है । फिर यदि किसी तरह वहाँ सूचना पहुंचा भी दी जाए तो संविधान साहब ने अपने आदमियों से कहा था कि अगर हम लोग अगस्त के अंत तक वापस नहीं लौट बातें तो हमारी तलाशा मदद के लिए भरोसेमंद लोगों के साथ एक जहाज रवाना कर देना । उसके बाद वहाँ से किसी और तरह से मदद मिलने की कोई गुंजाइश नहीं जाते हैं । कप्तान ने व्यवस्था में हाथ मलते हुए का संकट बहुत गहरा है । अगर नाव की आखिरी खेप यहाँ सही सलामत पहुंच जाती तो शायद बात ही नहीं करती हूँ । उसमें खाने का बहुत सारा सामान था जो समुद्र में डूब गया । हमारे पास हथियार और गोली बार तो काफी है । खाद्य सामग्री ज्यादा नहीं । खाने का तो हटाना पडता लगे । कप्तान की बात अभी समाप्त भी नहीं हुई थी कि धमाके की आवाज के साथ तो आपका एक गोला लकडी के किले की छत के ऊपर से गुजरा तो आपका कोला किले से कुछ दूर आगे जाकर जंगल में गिरा हूँ । कप्तान ने सबको अपना मोर्चा संभालकर फौरन जवाबी कार्रवाई का निर्देश देते हुए कहा की वो इतनी सावधानी जरूर बढते । पूरा गोलाबारूद एक दिन में खत्म ना करते हैं । दोनों ओर से गोलीबारी शुरू हो गई । लकडी के किले में बैठे लोगों को चांदीराम के गिरोह की तुलना में एक सीधा लाभ भी है था कि वो काफी अच्छी जगह पर बैठे थे । वो काफी ऊंची जगह पर थे इसलिए चांदीराम की ओर तो आपका निशाना ठीक से नहीं लग पा रहा था या तो बोला बहुत ऊंचा चला जाता था या तो किले तक पहुंचने के पहले ही गिर जाता था । किले के चारों और बनी चारदीवारी और भवन के बीच रेल बिछी हुई थी । कई गोले रेट में ही फटकर बेकार हो गए थे । इस बीच डाकुओं ने उथले पानी में डूबी नौका से खाने का सामान निकालकर आपने जहाँ तक ले जाना शुरू कर दिया था । चांदीराम इस काम में भी उनका नेतृत्व कर रहा था । अच्छा की बात ये थी कि हर डाकू के हाथ में इस वक्त कम से कम एक बंदूक शायद उन्होंने पहले से बंदूकों को छुपा कर रखा था । हूँ । कप्तान ने रजिस्टर्ड में डर सामान का हिसाब लगाकर अपने साथियों की गिनती की । फिर वह गुणाभाग करके हिसाब लगा रहे लगा है और इसमें तेज पर जा पहुंचा की उनके पास जो खाद्य सामग्री है वह दस दिनों तक चल सकती है । इसी बीच डॉक्टर का ध्यान चिमकी और चला गया तो सोचने लगा पता नहीं बिचारा खाओ का किस हालत में होगा । पता नहीं जीवित भी है क्या महान डाला गया । डॉक्टर ही सूची रहे थे कि वृक्षों के पीछे से उन्हें आवाज सुनाई । हंसराज ने कहा लगता है उधर से कोई बुला रहा है उधर से बहुत साफ आवाज सुनाई है । अंसार डॉक्टर साहब, जमींदार साहब और कप्तान साहब कहाँ है ये आवाज जिम की थी । सब ने ये जानकर राहत की सांस ली की जिम जीवित है और सही सलामत है । कुछ देर बाद उन्होंने देखा जिम पिछवाडे की चारदीवारी लांघकर उनकी और चला रहा था ।
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Voice Artist
Sound Engineer