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Part 18 in Hindi

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AuthorAditya Bajpai
यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
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भाग अठारह बस और मैडम की तरफ न देखते हुए दूसरी तरफ मूल करके खडा है और चिंटू से कहता है हिन्दू आज मत बोलना छोड कल बात कर लेंगे । आज अंदर से अच्छा नहीं लग रहा है । डर लग रहा है बस और धीरे से चिंटू को बोलता है मैं ऍम हिन्दू ने बक और की बात ना मानते हुए मैडम को क्लास में जाने के पहले ही रोक दिया । मैडम भकर को देखकर मुस्कुराती हैं ऍम जी बस खुलने डरते डरते कहा है जी नमस्ते ऍम मुस्कुराकर कहा तो बाबा को आपसे कुछ बात करनी थी । ऍम कहा सुनते ही ठाकुर की धडकने फिर है घंटा करने लग गई थीं । हाँ हाँ बोलिए तो मैडम ने कहा ऍम मैं ये कह रहा था कि चेंज हुआ परेशान तो नहीं करता ना ठीक से पढाई कर रहा है कि नहीं बस गुन्नेस्वरन बात बदलते हुए पूछा अच्छा नहीं नहीं अभी तो नहीं कर रहा हूँ, करेगा तो मैं बताउंगी आपको । मैडम ने कहा बस मैं यही पूछना था । धन्यवाद इतना बोलते ही बक और जल्दी से बाहर निकल जाता है । मैडम को थोडा अजीब लगता है । एक बात बताओ चिंटू तुम्हारे पापा हमेशा लाल कपडे ही पहनते हैं क्या नई डलने चिंटुओं से पूछा हाँ, ॅ दादी ने लाल मंदिर वाले बाबा की मन्नत मांगी थी । तब से वे सिर्फ लाली कपडे पहनते हैं, दूसरे रंग के पहनते हैं तो बीमार हो जाते हैं । बस इसीलिए नकुल साइकिल निकालकर जाने लगता है । तभी चिंटू आता है ऍम या आपको बोली नहीं पाए । क्या करेंगे उसे? ठाकुर की साइकिल रोकते हुए कहता है अरे तो बाहर कैसे आ गया? ठाकुर ने कहा ऍम से पूछ कर आया पांच मिनट आप इतना डरोगे तो कैसे बोलोगे मैडम से भैया डरता नहीं हूं । मुझे कैसे शुरूआत करनी है? जो सोचा था उस समय दिमाग में नहीं आया । इसीलिए कितने बहाने बनाओगे भैया स्पष्ट! अब ये ध्यान रखना कि कल शनिवार है और परसो रविवार कल भी ना बोल पाओ तो फिर पापा को जवाब देने के लिए तैयार रहना वापस सिर्फ अपने हाथों से बात करेंगे और जोरों से पीटेंगे । चिंटुओं ने कहा बस और साइकिल उठाता है और ढाका परेशान चेहरा लेकर बैंड बार पहुंचता है फॅार आ जा आ जा । आज गुरु जी के गाने खाई के पान बनारस वाला की धुन पर अभ्यास कर रहा हूँ । गोपाल बहुत ज्यादा उतावलेपन और खुशी से बोला बखपुर अपना बजा उठाकर सबके साथ बजाने लगता है सेट पप्पू कडवा सबको एक धुन पर लाने की कोशिश करता है और इसीलिए बार बार रोककर फिर से बजाते हैं । तभी पडोस की दुकान वाला एक पुलिस वाले को लेकर आता है । अच्छा बजाना बंद करते हैं । देखिए सर बस ऐसे ही दिन भर की सबके कान फोडते रहते हैं । आस पास की सारी दुकान वाले घर वाले सब परेशान हैं उनसे और कोई आकर शिकायत करता है तो इनका ये लडाकू बॉस झगडा करता है । अब तो कडवा को गुस्से में देखते हुए पुलिस वाला उनको सब बताया गया । एक तेल शाम को बेचने वाले पिछली बार की मार भूल गया । पुलिस लाया है साथ में फॅसा नहीं बिना पुलिस से डरें । अपने रवैये में बात की । देखिए पुलिस का भी डर नहीं ऐसे मैं तो कहता हूँ उनके सारे बाजे तोडकर फेंक दो ना रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी दुकान वाला और उनकी आवाज करके बोलता है अब तू आकर उसका कॉलर पकड लेता है बाजे को बाद में सोचना पहले मैं तो ये तो होता हूँ । बहुत जोर से कॉलर खींचते हुए बोला है पुलिस वाले के सामने हाँ उठाने की बात कर रहा है । थाने में बंद कर हो गया पुलिस वाला कॉलर से उसका हाथ हटाते हुए बोलता है ऍम आपसे जान बचा नहीं मेरी जवाब क्यों? पहलवान बाॅधते पप्पू ने अपनी रंगदारी दिखाते हुए कहा अच्छा चल तेरी फिर थोडी थाने से भी पहचान करा हूँ ऐसे अकल पर रखा पहलवानी का पत्थर हटेगा नहीं दे रहा है पुलिस वाला उसका कॉलर पकडकर ले जाने लगता है फॅार हैं संगीत के राजनाथ करना कोई गलत बात नहीं है । आप हमारे सेठ जी को बिना किसी जुर्म के नहीं ले जा सकते हैं । भोपाल खडा होकर अपना विरोध झट आता है तो भी चल आज थाने में करवाता हूँ । संगीत की अराधना पुलिस वाले ने पलट कर कहा नहीं नहीं अब सेठ जी कोई ले जाइए लेकिन ध्यान रखिए हम इसका विरोध करेंगे । गोपाल फौरन पीछे हटते हुए बोलता है पुलिस वाला सेट भक्तों को गाडी में बैठाकर ले जाता है और किराने वाला बाकी बैंड वालों को फ्रेंड्स का लोग देता है । बजह वो गोपाल फिर से बोलता है और सब बजाने लगते हैं । पर जैसे ही आगे रोड पर पुलिस की गाडी नजर आती है जो यकायक रखती है बनकर बंद करो । गोपाल फौरन बनकर आता है और जब जब वहाँ से निकल जाता है हूँ

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यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
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