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मानवीय चेतना का । अब बुद्ध अनुव्रत का अभिप्रेत हैं । वास्तव में अनूप ॅ रोशनी है जिसमें कई पत्र भोलों ने अपना मार्ग पाया है, जिनके मार्ग में सघन अंधेरा या कोहरा था । मैं अनुव्रत के प्रकाश से झगडा हो गया था । खरीदते कहीं का कुशल शेम जाने के लिए शिवा के पास अनुव्रत सेवाभारती से पाठक जी का फोन आया ॅ अकेला ये जनकपुरी उनके घर चला गया । हरी सेव कर जी ने अपना वादा निभाया था शराब तो उन्होंने कहा छोड रखी थी अब काफी स्वस्थ लग रहे थे । वो अपना काम भी संभाल लिया था । दो पैसे घर में लाने लगे थे । उनकी पत्नी भी बोल देता है स्वास्थ्य शिवा को चाहे उन्होंने ही पिलाई । पारिवारिक सुख शांति का असर दिख रहा था वो शाली का रूप और भी निखर आया था । सब कुछ सही देखकर शिवा को आत्मसंतोष की अनुभूति हुई । ऍम बोलती थी आई है उसका भी शादी कर रही थी । यह है बहुत कुछ कहना चाहती है । अधरों पर संकोच का सेलोटेप लगा हुआ था । शिवा स्वयं शालनी के प्रति खींचता चला जा रहा था । नहीं भी राम रंग रूप कंपनी का आया फॅस की प्रतिमाह देखी थी । एक एक अंग साझे में धारा हुआ हूँ । वह अपने भीतर ही भीतर एक हलचल, एक अजीब सी उत्तेजना महसूस कर रहा था । उससे रहा नहीं गया सन्नाटा तोडते हुए उसने पांच प्रारंभ अब आपके पिताजी कैसे हैं? शालनी बोली पहले से काफी बेहतर है अब हमारा परिवार पेट खुशी है लेकिन शब्दों में आपका आधार व्यक्त करूँ फॅमिली की खनकती सी मगर आज का से होती हुई ऍम में उतर गई उसका मैं झं गलत हो गया न जाने की भावावेश में वह क्या बैठा हूँ कहीं अपनों को भी धन्यवाद किया जाता है हूँ गे रेस नहीं से सरोबार स्वर में फॅमिली आपके अपनत्व का एहसान हम कैसे चुकाएंगे? शिवा शालिनी के इन मासूम सवालों को क्या जवाब देता वॅाक नहीं कर पाया । ऍम निकल रहा था तो सोचा आपके पिताजी के हाल खबर लेता जाऊँ । पिता जी माता जी के साथ अपना भी खाया रखेगा तो अच्छा भी मैं चलता हूँ डालनी के दिल में जब सीखोगे उठ रही थी पर क्या करें किस आपसे कहे ऍसे तक उठ कर गईं और जाते हुए शिवा को ताकता का देखती रही । जब तक मैं आंखों से ओझल नहीं हो गया दिन रात के मिला हूँ पहला साल जो आज उन्हीं भी सीधी भवन भास्कर विश्राम है तो अस्ताचल में जा चुके थे । आंधी व बारिश जैसे माहौल से शाम के आगोश में रात का अंधेरा समझ आ गया था । इतने में उसे किसी लडकी की दबी दबी सी ठीक सुनाई थी । हो उसके अगले कानों पर विश्वास नहीं हुआ । उसने इधर उधर देखा परिसर के पास की सटी हुई सुनसान गली के मुहाने पर सेवा पहुंचा । ऍम अंधेरे में ज्यादा दूर का दर्शन नजर नहीं आ रहा था । उसने पीछे मुडकर, दाने दाने सब तरफ देखा । दूर दूर तक कोई नहीं था । इतने में पुणा दर्द भरी ठीक खानों को चींटी सी टकराई हूँ । केवल सामने की ओर तेज कदमों से बढा तभी एक जानी पहचानी आवाज कानों में आई ऍम वो तो जो लडकी पर अत्याचार करते हो दूसरी किसी शराबी क्या आज लगी क्यों तुझे क्या है? क्या तेरी बहन लगती है क्या आपने रास्ते फिर जानी पहचानी आवाज कडक कर बोली छोडो तो यहाँ से तो ऐसे नहीं मानेगा और ढाई ढाई एक साथ तीन गोलियों की आवाज परिसर का सन्नाटा तोडती चारों और ऍम फॅार कुछ पास पहुंचा तो देखा उसके कॉलेज के प्रोफेसर कुलकर्णी जमीन पर पडे हुए थे खून चलता हूँ उनकी डाॅ । खून बह रहा था । एक लफंगा एक हाथ में लडकी को दबोचे हुए था । उसके दूसरे हाथ में पिस्तौल थी । शिवा का खोल खाल उठा । उसने तुरंत लडकी को खींचकर अलग क्या? लफंगे ने हिवा पर भी गोली चला दी । शिवा की कनपटी को छूती सी गोली निकल गई लेकिन अगले मिशन सेवा ने उसके कलाई मरोड देखो । पिस्तौल उसके हाथ से गिर गयी । वो लौटकर जैसे ही उठाने दौडा उससे पूर्वी शिवा ने तुरंत स्टॉल उठाकर उस पार तांदी लफंगा घबराकर तेजी से सामने की । गली में दौड पडा । गोलियों की आवाज दीवार को पार कर सन्नाटे में पढ रही है जो पास ही गश्ती पुलिस को सुनाई दी । ऍसे उधर का पुलिस कांस्टेबल उसी दिशा में दौडे । लफंगे ने बचाओ बचाओ चलाना शुरू कर दिया । सेवा के हाथ में पिस्तौल देख पुलिस ने शिवा को काटल समझा । ऍम उसके हाथ से लेकर शिवा को पकड लिया । दूसरे हवलदार ने लफंगे को भी पकड लिया । पुलिस इंस्पेक्टर ने आगे आकर देखा कि एक व्यक्ति जमीन पर गिरा है । खून बह रायॅल उसके पास पहुंचे । वहाँ कुछ कहने को वो घट भी हुआ । लेकिन कुछ कह पाता इससे पूर्व ही उसके प्राण तो खेर उड गए । विभागो परिस्थिति की नजाकत का अहसास हो गया था । एक छड के लिए तो भीतर डाल खेल गया । तत्काल अपने आत्मविश्वास को इकट्ठा कर हिम्मत से बोला ऍम मुझे क्यों पकडा है मुझे छोडिये ये लफंगा एक लडकी के साथ अश्लील व्यवहार कर रहा था । प्रोफेसर साहब रोकने लगे तो इसमें गोलियाँ डाल दी । मैं तो इधर से गुजरते हुए लडकी की करोड तो कार प्रोफेसर साहब की ठीक सुनकर पहुंचा हूँ । मैं तो इस लडकी को बचाना चाहता था । इंस्पेक्टर ने पूछा कहाँ है लडकी शिवानी नहर पसारकर देखा लडकी कहीं नहीं देखी । उसे अपनी आंखों के आगे अंधेरा नजर आने लगा । लडकी घबराकर वहाँ से विपरीत दिशा में भागी । परिस्थिति का फायदा उठाकर वो थोडी दूर पर बने एक भवन में छूट गई । उन दोनों लडकों को पुलिस थाने गईं । जहाज का पंचनामा कर पोस्टमार्टम करने को भिजवा दिया हूँ । सारी परिस्थितियां शिवा के विरुद्ध थी । हत्या के लिए प्रयुक्त हथियार के साथ उसे घटनास्थल से गिरफ्तार किया गया था । प्रोफेसर साहब मर चुके थे । लडकी लापता थी । उसकी बेगुनाही का कोई सबूत वहाँ था ही नहीं । पुलिस ने दोनों को थाने में बंद कर दिया । पुलिस स्टेशन पहुंचने ही गृहमंत्रालय से सब इंस्पेक्टर के पास फोन आया हूँ । मैं कहा मंत्रालय से बोल रहा हूँ जिसे आपने अभी गिरफ्तार किया है । मोहम्मद हनी वो हमारे साहब के बेटे हैं । उन्हें तुरंत छोड दें । उनके विरुद्ध कोई एफआईआर दर्ज नहीं होनी चाहिए । ब्रिटिशकालीन डाॅॅ वाले अंदाज नहीं इंस्पेक्टर कह रहे थे ये ऍम अभी सब इंस्पेक्टर हवालात की तरफ आया तो शिवा को लगा शायद इसे सच्चाई पता चल गई है । मुझे यहाँ करने आ रहा है । मैं उठकर खडा हो गया हूँ । लेकिन यह क्या? हवालात का दरवाजा खुलवाकर लफंगे से सामान के साथ बोला आइए बाहर आपको कोई तकलीफ तो नहीं हुई । आपके पिता जी का फोन आया था आप जा सकते हैं तो बाहर आपकी गाडी खडी है । शिवा बोला ऍम साहब आप बहुत बडी भूल कर रहे हैं । एक काटल को छोड रहे हैं इसलिए दिनदाहाडे खुले आम प्रोफेसर कुलकर्णी गा खोल क्या है इस तरह से मार छोडी है सर बहुत बुरा होगा न जाने ये बाहर की दोनों का खून करेगा । ऍम अपना दोष इसके साथ पडता है । चौदह वर्ष जेल में चक्की पहुँचेगा तब अपने आप कल दिखाने आ जाएगी । हनी से बोला ऍम मान जा रहा था जबकि सच्चा बीमा अंडार समाज से ही सजा पा रहा था । शिवा हो काटो तो खून नहीं है तो किंग कर्तव्य में मोडसा सिर्फ अकडकर धर्म में से जमीन पर बैठ गया
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Voice Artist