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मैं काम पे सकता हूँ । इतने दिनों से अंदर से बंद रहने वाला काम राम आज पहाड से पाँच एक बडा सा था ना उस कमरे पर छोडने लगेगा । मधुर आप तो इतनी जल्दी क्यों कर रही है? बस नौ बजे आती है होटल से बस स्टैंड सिर्फ पांच मिनट का पैदल रास्ता है । फिर उन लोगों ने अपनी सीटें भी रिसर्च कर रही हूँ । मन था के नीचे के चले जाने पर क्या यहाँ सोनसा नहीं हो जाएगा? तभी मुझे आना की साढे आठ बज रही । आज तीनों सुबह की चाय भी नहीं किया । मुझे बैठ की क्या था? मैंने दिनों को आदेश दे रखा था कि सात बजे तक चाहे जरूर लेना चाहेंगे । जगह घूमी हूँ तो आज तीनों को किया हूँ । शायद हो सकता है तो सुपर चाहे लेकर आया हूँ । मैं तो गहरी नींद में सो रहा था । शायद से मुझे लगाने की कोशिश की होगी । असफल रहने पर हो चाहे वापस ले किया हूँ । मैंने सर्विस वाली घंटे का बटन दबा दिया और दिनों के आने की प्रतीक्षा करता हूँ । मैंने अपने मुंह पर हाथ सीरम तो दाढी पूरी तरह से चुकी है । मैंने शेरघाटी का फैसला कट गया । अब अपने आप को छिपाए रखने से क्या फायदा? मुझे लोगों ने ही नहीं मैंने अपने आप को भी तलाश दिया था । मैंने शेविंग का सामान नहीं का ऍम के पास खडे होकर ऍफ को निहारा । कितना परिवर्तन आ गया था मुझे दैनिक काॅलर ट्रक कट कर छात्रा नहीं तभी दरवाजा खुला । एक परिचित सब व्यक्ति साधिकार दरवाजा खोलकर अंदर आॅस्कर खडा क्या? आश्चर्य कर कर मैंने पूछा कहीं आपने भी कम थी ना? तो तुम होटल के ब्लॅक दिनों क्यों नहीं आई? नहीं नहीं क्या हो गया उसे । आज सुबह की चाय भी नहीं थी । उस की दो दो कल रात से ही नहीं है । साहब क्या कल रात से ड्यूटी पर नहीं है, किसी की छुट्टी पर गया है? नहीं तो क्या उसे नौकरी से निकाल दिया गया है? जी नहीं तो खुद नौकरी छोडकर चला गया । कुछ पता नहीं था हम किसी को उसके बारे में कुछ पता नहीं साहब । वो अचानक किसी को बिना कुछ कहे चला गया । रात को उसकी तलाश भी की थी तो वो तो ऐसा गायब हुआ कि कुछ पता ही नहीं चलता हूँ । इस बार मेरा अंतर काम किया हूँ । वो गरीब भी था कि कहीं होटल की मालकिन कि वास्तव का शिकार होकर नैनीझील की अतल गहराई में तो नहीं पहुंच गया । क्या होगा जिस पांच करता था नहीं हूँ रोज के कारण मेरा रोम रोम काम किया मेरा चीज जहाँ हूँ कि मैं अभी नीचे जाओ होटल की मालकिन से चीखकर करूँ बताओ तीनों कहाँ ही होना बताए तो उसकी गर्दन मरोड कर रहे हो जो आपने घंटी बजाएगी हूँ । चाय लूँ तो तीनों का कुछ भी पता नहीं जी हो चुकी ठीक है आप चाहिए फॅमिली आई नया पहला चलेंगे । दाढी पर काफी सावन पुत्र चुका था । फॅार उठाकर गाडी साफ करनी शुरू की । मन बेहद देखना था । एक तो मन ताकि नहीं जा रही है । उधर तीन तरह से मैं परिस्थितियों में गायब हो चुका था । मैं खेमन से दाढी बना रहा था और उस मना स्थिति के कारण मैंने एक दो जगह कंकाल भी कहा गया था । रिजर्व को धोकर मैंने रख दिया । फिर को तौलिये से पहुंचकर आफ्टरशेव लोशन लगा दिया । सारी मुख पर एक विचित्र सी चरमराहट नहीं गई । तभी फिर कमरा ऍम मैंने पलट कर देखा हूँ । पूरी तरह होंगे कल फांसी पर होटल की मालकिन खडी थी ठगा सब्सिडी तरह है मैं जनता किसी मूर्ति जैसी पोस्ट बनाई कमरे की चौखट पर खडी थी । मैंने पहली बार उसी ने कहा भरकर देखा ना? मास्टर तो बेहद आकर्षक लग रही थी कि तुमको राणा गदर आया भरा ऍम बडी बडी आंखें कि खेलना । उससे अपने शरीर से कसकर शॉल लपेट रखा था । शॉल में उसकी दोनों पुष्ट कोरियाइयों का उपहार स्पष्ट नजर आ रहा था । मुझे बेहद यौनि आकर्षण से युक्त लगी, पर वो भी मेरी तरह जैसे देख रही थी । जैसे कहीं इस वक्त लोग भी खो गई हूँ । आई आई मैंने उसका स्वस्थ संगठन करती है तो मुझे लग रहा था मैं गलत कमरे में आ गई हूँ कि शायद अब गलती से सही कमरे में आ गई । मैंने औपचारिकता निभाती, गलती से नहीं जानबूझ कर रही हूँ तो कमरा क्यों गलत लगता आपको देखकर ऐसा ही मैं तो सुबह अच्छा । वो कैसे? जरा शीशे में अपना बहुत देखी तो तुम्हें देख चुका हूँ । बस छे करने के बाद आपका व्यक्तित्व कैसा निकला हूँ? मालकिन के मुख से अपनी प्रशंसा सुनकर में काम किया । मैंने प्रसन्न बदल दिया । मैंने पूछा हूँ आज सुबह ही सुबह कैसे कष्ट किया ही रहते हैं । आपका पडोस वाला कमरा खाली हो रहा है ना उसी का चार्ज लेने आई थी । अच्छा इधर आई तो सोचा आप को भी पूछती चलू आपको कोई तकलीफ तो नहीं । हाथ के राज में रहते हुए किसी को तकलीफ हो सकती हूँ । आप रुक रही थी था फिलहाल काम ही कोई तकलीफ हो तो मुझे जरूर बताइएगा । अचानक मुझे कुछ याद है । मैंने पूछा हूँ ये तीनों कहाँ चला गया? कल रात से उसका कोई पता नहीं । क्या आपने उसे नौकरी से निकाल दिया? जी नहीं, मैं क्यों निकालती? शायद वो अपने वर्तमान मेहतन से असंतुष्ट था इसलिए खुद ही छोडकर चला गया होगा कितना पर ये कितनी गलत बात है । कितनी गैरजिम्मेदारी की बात है । भागना हो तो बता कर जाए । इंसान मेरे अंतर का छोड कुल बोला था मैं कैसे? समझौता मालकिन भागने वाले भर्ती ही इसलिए है कि वे किसी को कुछ भी नहीं पता । पानी में और समझ होती भी जानते हैं कि उनकी सुन नहीं पाना । कोई भी में इस बात को तबाह किया और बोला मैं से आदमी काफी होशियार था । आपका तो चार रुपये बढाते तीन तो शायद रात साह ये बडी खराब कम होती है । इन्हें इंसान से नहीं पैसे से होता है । आप कितना ही बढा दीजिए, एक अभी संतुष्ट नहीं होंगे । यहाँ तो चार रुपये ज्यादा मिलने की संभावना हूँ । हाँ, पुरानी से पुरानी नौकरी छोडकर बहुत खडे होते हैं । मैं तो तंग आ गई हुई हूँ । ऍम मैंने देखा बरामदे से मधुर बोल रही ऍम एक पहाडी कुली आगे आगे सामान्य कर नीचे उतर गया । उसके पीछे थे । मतलब हूँ मन्दाकिनी सुशील पी जा रही थी उनका अभिवादन करती कि मैंने कहाँ छोटी अच्छा मैं चलती हूँ कहकर होटल की मालकिन नीति चली गई । मैंने नोट किया मधुर बाबू तथा मन्दाकिनी एक तक मेरे मुख की ओर देख रही थी । इस तरह के देख रही हैं आप लोग मुझ से रहा नहीं किया । मैंने पूछ लिया । हाथ भी बन गए हम । इस तरह ये मधुर बापू कस्टमर तुम्हारा रूपांतरण हो गया है । मंदाकिनी ऍम और इस पर को सिर्फ मैं ही हूँ । अच्छा मिस्टर राज । पता तो तुमने रखी लिया है दिल्ली आओ तो मिलना जरूर कहकर मथुरा पूछ रहे हैं । मंदा की नहीं की सहायता उनकी अच्छी थी । मेरी निगाहें शिला पर पडी । कुछ नहीं लग रही थी । फिर उचित प्रसन्न होना चाहिए था । मुझे लगा शीला मत से कुछ कहना चाहते थे, कह नहीं पा रही थी इसलिए का तक दृष्टि से मेरे को देखती हुई सकती हुई नीचे चली गई । लोगों की चाहते हैं मुझे ऍम नया पहना यहाँ चाहिए रखकर चलती है । मुझे पहले और मेरी मेरी फॅमिली तीन होता तो कहता साहब चाय बना दूँ, बैठे चाहे पीछे माफ कीजिए । आज बहुत देर होंगे । मैं कुर्सी पर बैठकर अपनी भी चाय बनाने लगा । तभी शीला हाथ बनाती हूँ मेरे कमरे में रखी हूँ नहीं किया । मेरी समझ में नहीं आया कि शीला क्यों वापस आई तो मैं जैसे तैसे आपसे प्रार्थना करते हैं । हाँ बोलो शिला, अब तीनों को दिल्ली तीनों तो है कहाँ? वो आपको बस स्टैंड पर मिलेगा? ऍम हाँ हुजूर और सुबह से शाम तक नहीं आपका इंतजार करेगा । कहकर शीला जाने के लिए मूॅग शीला ठिठककर में तीनों के बारे में ये सब कैसे मालूम? हिला कुछ नहीं हुआ । तुम दिनों के लिए क्यों सिफारिश कर रही हूँ? साहब मुझे तीन हो रही है साहब और मेम साहब आगे चले गए हैं । मैं बहाना बना कर दो मिनट के लिए आई हूँ । बच्चा नहीं हिंदी तो मेरी बातों का उत्तर नहीं होगी तो तो कैसा होगा तुम दिनों की नौकरी दिल्ली में चाहती हूँ हो आपका बडा उपकार होगा हम दोनों पर । तो फिर मेरे पहले वाले प्रश्न का उत्तर दूं मेरा आदमी है वो कहकर शीला पिना अगले प्रश्नोत्तरों की परवाह करती हुई छत भक्ति मैं तो का असर है । एक ऐसी पहेली है यह कैसा गोरखधंधा है तो कहता था कि उसके घर वाले गांव में और को मार रही है । सेना मैंने चाहिए और खडा हूँ के तीनों नहीं छूट बोला । सोच के जिन्होंने झूठ बोला पर स्वार्थ वर्ष नहीं । आत्मरक्षा की रोटी पानी के खाते हैं । मैंने दिन में किसी भी समय बस स्टैंड बचाकर उससे मिलने का फैसला कर लिया । इतनी शक्ति थर्राहट सत्तरह व्यक्त थी । मुझे लगा मैं होटल की कमरे में नहीं, किसी ऍम क्या पडोस का कमरा खाली होने से इतना अंतर पड गया और कमरे भी तो ही । उनमें भी तो लोग रहती है । कल उन सबसे ऍम थी । मुझे लगा अपने इस होटल में ही रहता हूँ और इस की जरूरत है क्या जिंदगी की आप खुद ही रहस्यमयी गांठों की यंत्रणा से निरंतर कार्य सारी छटपटाहट पर अब नियंत्रण से मुझे मुक्ति मिलती है । पनीर खाती मैंने वापस दिल्ली लॉटिंग का फैसला की क्यों नहीं? दोपहर के बाद किसी कसी चलता हूँ पर उससे पहले होटल का हिसाब साफ कर देना चाहिए । मैं उतर के नीचे लाउंज पहुंच गया । होटल की मालकिन मुझे कहीं दिखाई नहीं थी । मेरी आंखें उसे तलाश कर रही हैं । तभी मुझे अंदर से डांट फटकार के स्वर आती सुनाई थी । शायद होटल की मालकिन नौकरों और भैरो को डांट फटकार नहीं में खडा प्रतीक्षा करता हूँ वो बाहर आगे तो तेजित और काम कमाई हूँ मुझे देखते ही उसका रूपांतरण हो गया तो सही हो गया उसके होठों पर मुस्कान ऊपर बडी सस्ती और ऍम मेरा मन मैं कृष्णा से भर गया । कहीं क्या सेवा की जाए? ऍम पूछा उन नहीं साफ करते हैं ऐसा उसकी इतनी जल्दी क्या है? मैं जा रहा हूँ । जा रही हूँ ऐसी चौकडी कब आज अभी थोडी देर में पर इतनी चलती हूँ । इसमें जल्दी की क्या बात है हूँ । पर अभी कुछ देर पहले तो आपने कोई फैसला नहीं किया था । कहकर वह फिर मुस्कुराई अकेली है । मैं समझ रहा हूँ कहकर मैं मैनेजर वाली सीट पर जाकर जमकर कुछ रजिस्टर फॅमिली नहीं ही क्या समझे हैं । कुछ हूँ मुझे क्या फायदा था उसने जो कुछ समझा है समझ नहीं हूँ उससे मुझे अन्तर पडता है । उसने बिल बना लिया । फिर मुझे देती हुई बोली आशा है आपको यहाँ कोई असुविधा नहीं हुई होगी । जी नहीं नहीं आपको यहाँ का प्रबंध पसंद आया । बाहर तो अगले साल आएगी तो यही ऍम अवश्य पहले से लिख देंगे कि आप आ रहे हैं तो सुविधा रहेगी । अच्छा । मैंने बिल का पेमेंट किया बचाने के लिए मुझे ही था । मुझे लगा की मालकिन की आंखों में एक ढकी दबी सीट था । महराई । अगले साल तो के लिए नहीं आना है । इस व्यक्तिगत प्रश्न को सुनकर में ठीक है क्या मैं पाँच तक मैंने पूर कर मालकिन की ओर देखा था और हादसे का ऐसा मिश्रण हम देखने को मिलता है । मैं का मतलब नहीं समझा । अगले साल हनीमून के लिए आई ऍम उसने हनीमून शब्द का उच्चारण किया । इस तरह की मेरे रूम रूम में उत्तेजना, भर्ती कुछ कन्सेशन दीजिएगा । सब कुछ फ्री कहकर खिलखिलाकर बातों के सिलसिले को आगे कायम रख पाने का साहस मिला चुक किया था । मैंने उसे धन्यवाद दिया और अपनी कमरे में आ गया । नाटक के अंतिम अंक के लिए मैं सच्चा पूरी हो चुकी थी ।
Producer
Sound Engineer
Voice Artist