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Part 16 in Hindi

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540 Listens
AuthorAditya Bajpai
अंधेरी रात में, धमाकों के बीच, अपने ही साथियों की आंख में धूल झोंक कर गंथर भाग निकला… चलने-चलते उस ने पे-मास्‍टर सार्जेंट को घायल कर दिया और रूपयों की तिजोरी अपने साथ ले ली। लेकिन गंथर ने ऐसा क्‍यों किया? एम जर्मन सैनिक की सच्‍ची कहानी जिस ने अपनी सेना के विरूद्ध जिहाद छेड़ा। Publisher - Vishv Books Writer - Ganther Bahneman
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मैंने ओपेड स्टार्ट कर दिया । मैं किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा । कहा था, मेरे मस्तिष्क में अनेक विचार चक्कर काट रहे थे । मैं अब मर्तबा रोड पर कस्ट अल कर्मो सा की ओर जा रहा था । मरतबा में सूर्य निकलने से पहले ही मैं पहुंच गया और स्थान को मैंने अत्यधिक तेजी से पार कर लिया । मुझे आशा थी कि किसी ने मेरा ट्रक नहीं देखा और न ही इंजन की आवाज सुनी । मरतबा में बहुत से जर्मन तथा इटालियन यूनिट थीं । यह इटालियन मोटर काफिलों का अड्डा भी था और यहाँ सैनिकों के मनोरंजन के लिए गाडी में चलते फिरते अनेक चकले हुई थी । मैंने सुना था कि इन वैश्याओं की मासिक आमदनी प्रत्येक मास एक तीन टन के ट्रक में लादकर सारे रहने का के बैंक में जमा कराने ले जाई जाती थी । यहाँ हर समय हजारों की संख्या में सैनिक रहते थे, जो कि सुरा सुंदरी का प्रयोग करते थे, मोर्चों पर लडते हुए सैनिकों के प्रति अपनी शुभकामनाएं प्रकट करते थे । मेरे किस्तान में बहुत दूर अंदर तक चला गया । तब सूर्य उगता हुआ अब मेरे लिए दिन काटने के लिए कोई स्थान धोना आवश्यक था, जो मुझे हूँ । मैं जयवेल अल अकदर की पहाडियों तथा चट्टानों से दूर होता रहा । मेरे चारों ओर का दृश्य बदलता गया । अब दूर शतीश तक चारों और रेत ही रेत दिखाई देती थी और सूर्य की गर्मी से भट्टी के समान अग्नि ज्वालाएं निकल रही थीं । इस क्षेत्र में कोई चट्टान नहीं थी, ना घटी थी और न किसी प्रकार की छाया थी । मुझे मालूम हो गया कि यहाँ ठहरना व्यर्थ है क्योंकि दिन की गर्मी से मैं बहुत जाऊंगा । धूल के बादलों का जोखिम उठाकर भी मेरे लिए आगे बढना आवश्यक था । कई घंटे व्यतीत हो गए और मैं आगे बढता रहा । चारों ओर रेत और गर्मी अब असहनीय हो गई थी, परंतु इसका कोई समाधान ना था । शाम के लगभग चार बजे एक रेत के चट्टान पर से मैंने एक प्राचीन खेला । बीर अल हाशीम देखा । यहाँ से लगभग पच्चीस किलोमीटर दूर पर अल अदम का हवाई अड्डा था । मैं लगभग उसी स्थान पर लौट आया था, जहां से जॉर्ज के साथ रवाना हुआ था । मैं नहीं रेगिस्तानी चट्टान तेजी से बात कर ली और मुझे अनुमान भी नहीं था कि बीर हशीम का खेला इंच नानी कट आ गया है । मेरे चारों ओर धूल उड रही थी और मुझे बताया था कि केले में रहने वालों ने मुझे अवश्य ही देख लिया होगा । अब चुपचाप बढना व्यर्थ था क्योंकि मैं तो पहले ही अपने को प्रकट कर चुका था । मिट्टी की दीवार टूटी फूटी अवस्था में थी । उजाड केले में कोई जीवन दृष्टि कोजा नहीं हुआ । मैंने धीरे से अपना ट्रक बढाया । यह के नाम मध्यकाल में बना प्रतीत होता था । खेले का मुख्यद्वार जिसमें कभी लकडी के विशाल दरवाजे लगे थे, अब खुला बढा था । आस पास मोटर गाडियों के अवशेष बिखरे पडे थे । इस द्वार के आसपास किसी गाडी या व्यक्ति के आने जाने का चेन्नई नहीं दिखाई दिया । अथाह मैंने गाडी अंदर लाकर खडी कर दी और मशीन प्रेस्टन हाथ में लेकर चारों ओर सावधानी से देखा परन्तु कुछ नहीं दिखाई दिया । फिर मैंने सावधानीपूर्वक चारों ओर चक्कर लगाया । कहीं कुछ भी दिखाई नहीं दिया । सभी कमरे उजाड और संस्थान पडे थे । दरवाजों और खिडकियों में केवल छेद रह गए थे । लकडी कभी की सडक डालकर मिट्टी में मिल गई थी । सर्वत्र सन्नाटा था । सन्नाटे में भी मन में एक अज्ञात भय उत्पन्न होता था । स्थान स्थान पर टूटी हुई राफेल ओं के टुकडे बिखरे हुये थे जो धूप में चमक रहे थे । एक कमरे में सिगरेटों के खाली पैकेट पडे हुए थे । और वहीं कुछ पुराने डब्बाबंद मासके टेन पडे हुए थे । बीर हशीम का केला बहुत दिनों से प्रयोग नहीं किया जा रहा था । सूर्यास्त का समय हो चला था और केले की दीवारों की छाया लंबी होने लगी थी । मैंने यही रात काटने का निश्चय किया । बाहर रहने की उपेक्षा ये अधिक सुरक्षित था । मैंने ट्रक स्टार्ट करके उसको मुख्यद्वार की ओर मोड दिया ताकि जाने के समय सरलता से निकाल सकूँ । अंधेरा होने में लगभग एक घंटा शेष था । भोजन करने के लिए काफी समय था । अच्छा, मैंने सर, चारों और घूमने का निश्चय किया । पूर्व दिशा की ओर लीबिया तथा मित्र की सीमा थी और यहाँ सोलह से गिरा । बूब के मार उधान तक कांटेदार तारों का घेराव इच्छा हुआ था । मैंने टीम में आग जलाई और प्याज डाला । हुआ डब्बाबंद मार्च का टेन खोला । उसे गर्म किया और खाने के बाद कॉफी पी । उसके बाद ही सर्वत्र अंधकार छा गया । मैं बहुत समय तक कम्बल पर लेता रहा और करवटें बदलता रहा । मैं अपनी यात्रा के विषय में सोच रहा था । रेगिस्तानी यात्रा भी लंबी थी । तारों का घेरा एक समस्या थी । यदि में इस घेरे से निकल गया तो लीबिया पीछे छूट जाएगा । करन तू मेरी विपत्तियां भी पीछे छोड जाएंगी । इसमें मुझे संदेह था । कांटेदार तारों के बीच में कहीं अंदर जाने का मार्ग था जो कि मतदान लेना कहलाता था और इसके दक्षिणी छोर पर शफल टेन नामक स्थान था जहाँ से मैं मिस्र की सीमा में प्रवेश हो सकता था । परन्तु इतनी दूर पहुंचने की विकट समस्या थी । ये मार्ग भी निरापद नहीं था । जिले में शांति थी और रेगिस्तान के आकाश में तारे चमक रहे थे । जब हो गया मेरे यहाँ के खुली थी या मैं सपने देख रहा था । चंद्रमा में इतना प्रकाश नहीं हो सकता था । मैं देख रहा था की एक बडी टॉर्च का प्रकाश मेरे मुंह ऊपर चमक रहा है जिसमें टामी गन की नीली नाल चमक रही है । ये है ब्रेन अगर न कि पतली नान मुझे मोटे पाइप के समान प्रतीत हो रही थी जबकि मोरे मोस्ट है छह इंच की दूरी पर थी । मुझे कुछ ही दिनों के बाद ये ज्ञात हो गया की रोशनी तथा टॉमी गन की नाल वास्तविक है । मैं स्वस्थ नहीं देख रहा हूँ । मैंने अपनी आंखों पर छाया करने के विचार से अपना हाथ उठाने का प्रयास की आई था कि मेरी कलाई पर कोई व्यक्ति दोनों वोटों को रखर खडा हो गया । अब मैं पूरी तरह जाग उठा था । उन्होंने मुझे गिरफ्तार कर लिया था और इसके भय से मेरे रोंगटे खडे हो गए । मैंने टॉर्च की रोशनी में उन व्यक्तियों को देखने का प्रयास किया जो मेरा भाग्य बन चुके थे । क्या ये जर्मन थे जिन्होंने इतनी लंबी यात्रा करने के पश्चात मुझे पकड लिया था? मैंने मन ही मन विचार किया कि भगवान इसी समय अंग्रेजी सेना इन पर आक्रमण कर दें । कम ईंधन मेरा भाई बता रहा था जब मैंने अंग्रेजी भाषण के कुछ सब सुनी । इसके पश्चात एक आदेश दिया गया क्योंकि मैं नहीं समझ सका । परन्तु लहर जैसे मैं परिचय था जिसको मैंने कभी बंदरगाहों ने सुना था । ये मेरे कानों में गूंज रहा था । उन्होंने मेरी तलाशी ली है । क्या कोई वस्तु ढूंढ रहे थे? ये तो मैं ना जान सकता है परंतु मैं अपने को सुरक्षित आवश्य पा रहा था क्योंकि वो जब भाषा बोल रहे थे और जिस भाषा को मैं समझ नहीं रहा था, जर्मन गोली मारने वाले सैनिकों की भाषा नहीं थी परंतु अंग्रेसी थी

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अंधेरी रात में, धमाकों के बीच, अपने ही साथियों की आंख में धूल झोंक कर गंथर भाग निकला… चलने-चलते उस ने पे-मास्‍टर सार्जेंट को घायल कर दिया और रूपयों की तिजोरी अपने साथ ले ली। लेकिन गंथर ने ऐसा क्‍यों किया? एम जर्मन सैनिक की सच्‍ची कहानी जिस ने अपनी सेना के विरूद्ध जिहाद छेड़ा। Publisher - Vishv Books Writer - Ganther Bahneman
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