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15. Sher ka Dil in Hindi

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AuthorRashmi Sharma
Collection of Stories writer: विश्व बुक्स Voiceover Artist : Rashmi Sharma Script Writer : VISHVA BOOKS
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रात को आना । आपका शोर सुनते ही मैं झपट कर बाहर निकला । मुझे लगा कि आग सर्कस नहीं लगी है । मैं अपनी रात की कपडों में ही । उधर दौर पर सर्कस मेरे घर से लगभग डेढ सौ मीटर पर था । ऐसा लग रहा था मानव आग हमारे पडोस के मकान में ही लगी हूँ । हम सर्कस देखने का शाम तो हर बच्चे को होता है । मुझ पर तो जैसी इसकी सनक सवार थी । तब मैं मांडले वर्मा में रहता था । शहर में पहले पहल सर्कस आया तो मेरी उम्र कोई तेरह चौदह साल की रही हूँ । इस बात को कई वर्ष बीच चुके हैं । कभी मेरी जान पहचान सर्कस के शेर के शिक्षक सैयद के साथ हूँ । उसका पूरा नाम क्या है ये मैंने ना कभी उससे पूछा न कहीं और से पता नहीं था । सभी उसे संयुक्त के नाम से जानते थे । पहली मुलाकात मुझे अभी तक याद नहीं । सर्कस के खेल में हमारे घर से सौ मीटर की दूरी पर ऍम सिनेमा के मैदान में लगे थे । उन दिनों स्कूल की छुट्टी थी । सुबह से शाम तक सर्कस के खेमों के आस पास ही मेरा दे रहा था । यहाँ तक कि दोपहर का खाना भी कुछ नहीं मिलता । हूँ । शाम को माम मेरे लिए दूध भी नहीं भेजते थे । नाकर सिनेमा के मैनेजर के कमरे में भोजन या दूध रखकर खेमों के चारों और मुझे ढूंढता फिरता सिनेमा का मिलनी चाहिए । हमारे ही मकान के निचले तरह में रहता था इसलिए वहाँ की सब लोग मुझे जानती थी । पैसे मुझे दूध पिलाने के लिए माँ को निर्णय नहीं कितनी में नहीं करनी पडती है । पर उन दिन मैं दूध गटागट भी जाता है और फिर खेमों की ओर डॉट था । एक दिन में शेरों की पिंजरे के पास खाना ढही कोतूहल दृष्टि से उनको आराम से लेता देख रहा था की मुझे डील टोन बना । एक बहुत काला आदमी मुझे इशारे से अपने पास बोला । नहीं नहीं मैं क्या चाय तो मेरी कमजोरी भाग गया । हस पर उसके दांत बडे सुंदर हो सकती है । शायद उसके शरीर का रंग बिहट काला होने के कारण मैं इतनी सफेट रखते थे । पता नहीं मुझे ऐसा लगता था मानो गहरी काली रात में बिजली जमा कोठी हूँ । जब जब पहुँचता हूँ मुझे यह नहीं आता हूँ । उसके साथ मेरी घनिष्ठता होगी । शेरों का मालिक सैयद शेरों का नाम लेकर उन्हें हूँ । अपनी ही सीखचों के अंदर डाल कर शेरों के मुंह और गर्दन पर धीरे धीरे हाथ था । शेर पतले में उसके हाथों पर अपनी मुझे इस तरह रगडती हो शेख नहीं लिया । मुझे इसमें है और विश्वास से भरा यह खेल तो बहुत अच्छा है । साथ ही अच्छी लगती वहाँ की सूखी था, हाथ हूँ पर इन शेरों की मेरी छुट्टी मैं घंटों तैयार है । इस बार सर्कस में मैं सहायक मैनेजर के रूप में काम कर रहा था । मालिकों को से पचास नहीं है इसलिए इसे पेंशन के रूप में यह सहायता दी जा रही थी । कल जब मैं सर्कस के खेमों की ओर क्या तो सैयद हीरो के साथ सीकचों से काफी दूर घर अपने शिष्य को देख रहा था । उसका शीर्ष शहरों के साथ उसी स्नेह और विश्वास के साथ खेल में मस्त हूँ । सैयद ने मुझे बताया ये संक्षेप पुरानी मुझसे सीखे हुए हैं । मैं अब इनके पास नहीं जाता हूँ क्योंकि एक ही व्यक्ति से इन कसने उचित होता है । अच्छा तो अपने शिष्यों को उन शेयरों के पास देखा था तो उसकी आंखों में ईशा अच्छा फ्रेश नहीं, गर्व की झडप थी । अपने समय में सैयद शेयरों के विश्वविख्यात शिक्षकों में से था । आज तक शेयरों कि शिक्षक उसका लोहा मानती थी । उसका अपना ही ढंग था । खेल दिखाते समय पेशेवरों पिंजरे में भी भडकीली पोशाक पहनकर जाना पसंद नहीं करता हूँ । अपनी शाम के सूट नहीं होता मानो शेयरों का खेल नहीं टेनिस का खेल है । घर में की हाथ में केवल एक नरम लकडी रखता हूँ जिसमें शेर अपने नुकीले दांत कर रहा सकती थी । हम जेब में मांस की छोटे छोटे टुकडे रखता हूँ । जो शरीर अच्छा काम करता हूँ या जो बिल्कुल कुछ न करने की मोट में होता हूँ प्रेरणा देने के लिए एक आठ टुकडा उसी दिन आज भी आवश्यक नहीं समझता था कि शेर हमेशा सामने ही रहने चाहिए । अक्सर पिंजरे के बीचोंबीच कुर्सी लेकर कहना चाहता हूँ और संगीत की मधुर ध्वनि के साथ नहीं सीखा था । कभी कोई शेरनी पीछे से आकर उसकी जेब पर अपनी नाक रगड थी तो सैयद प्यार से कहता हूँ बिगडती जा रही हूँ । मान अपनी नटखट लडकियों से बात कर रहा है । मैं बताता हूँ शेर बडी मोटी होती हैं और भी हूँ । इसलिए न तो किसी पर अधिक ध्यान देना चाहिए न काम बटना । इनके बिगडने का डर रहता हूँ । सबका बराबर ध्यान रखा जाना चाहिए । इस सब दे रहे हैं और का भूमि रहे इसके लिए यह भी जरूरी है कि शिक्षक कभी खबर आई नहीं । शेरों को शिक्षा देने के लिए शेर का ही दिल होना चाहिए । सैयद हमे शांति शेरों को तभी चिंता छठी तक की होती तो शुरू से ही उनकी आदतों को देखता हूँ और पहला पाठ देने से पहले ही तय कर ली थी कि कौन सा शीर अन्य शेरों के साथ मिलजुल कर काम कर लेगा और कौनसा स्वतंत्र रूप से अच्छा काम करेगा । मैंने घंटो उसे मेरो को सिखाते देखा । तब ये यकीन करना मुश्किल हो जाता था कि ये कभी भयानक भी हो सकती है । मुझे बहत इनकी अच्छी तरह नहीं है । जब मैं सैय्यद की तंबू में गया था, नहाकर लौटा था । उसके पूरे शरीर पर घावों के अनगनित परेशान हूँ । छाती गंधी गर्दन का निचला हिस्सा ही टांगी । शरीर का एक हिस्सा ऐसा नहीं था । वहाँ का मान ऍम सांग तो इतना बडा काॅन् उसने मेरी ओर कहते हुए मेरी बच्चियों से कभी गलती नहीं हुई । ये तो मेरी ये किसी गलती के कारण हुआ हूँ । मुझे याद है एक बार रहे सर्कस मंडली ऐसे नहीं क्यों किया था । वहीं सैयद के जीवन की सबसे बडी दुर्घटना हुई थी । इस दुर्घटना का पूरा विवरण मुझे बहुत ऍम सर्कस की ही एक नर्तक ही मार्टिना उनसे मिला था पे सरपट दौडते हुए चार चार घोडों पर नहीं तय किया करती थी । उसने बताया था मुझे दुर्घटना इस तरह याद है मानो कल ही हुई हूँ क्योंकि मेरे जीवन में सर्कस की सबसे बडी दुर्घटना रही थी । मार्टिना होनी चाहिए की पत्तियों का उबला पानी पीते हुए पता हूँ । शायद सैयद को अत्याधिक आत्मविश्वास हो गया था । उसे अपनी सबसे पीछे शेख नी क्लियोपेट्रा से ऐसी आशा नहीं थी । मुझे क्लियोपेट्रा किया था । इस तरह से कुत्ती जैसे कोई चिडिया हवा में कलाबाजी कर रही हूँ । जब वह छलांग लगाकर ऊंचाई पर होती तो उसके पांव से तो एक सीट भी होती लगता । मानव कुछ क्षणों के लिए हवा स्थिर हो गई हूँ । सैयद ने उसे एक खेल से खाया था जिसमें वह एक रिंग अपने सिर के ऊपर था था । क्लियोपेट्रा पिंजरे की एक ओर से उस रिंग में होती हूँ, दूसरी ओर हो जाती है । इससे बडा खतरा था । अगर कभी क्लियोपैट्रा एक इंच भी इधर उधर होती तो ठीक सैयद के ऊपर की थी । सिखलाते वक्त कई बार सैयद के ऊपर गिरी थी पर उसने अपने नाखून कभी नहीं निकले और नहीं सैयद के शरीर पर खरोंच आनी थी, चुपचाप पीछे लुढक चाहिए । कभी सैयद उसे बीच में ही अपनी खत्म पकड लेता हूँ और मांस का एक टुकडा देकर कहता हूँ कई बात नहीं बेटी ध्यान रखना । मार्टिना होनी मेरा और अपना कब फिर चाय के पानी से भेज दिया । पूरी फॅमिली जानी क्या चाय बिजली वाली नेपल ठीक जगह पर नहीं लगाई थी और सैयद क्लीयोपेट्रा की आंखें चौंधियां थी । मैं जाने क्या हुआ । सैयद तो कहता है कि उसी की गलती भी उसकी आंखें जबकि और इधर क्लियोपेट्रा होती चलती में सैयद ने झटका दे दिया । दूसरी एक्शन है खून से लगभग पीछे पडा था आशीष जी बाहर परिवार की जा रही थी । उस घटना की याद से ही पार्टी नाम की कंपनी छूट गई । चाय पानी से काम कभी दूर करने की कोशिश करते हुए इसने बताया वो सैयद का सहायक बंदूक लेकर पिंजरे के बाहर खडा हूँ । सैयद को बचाकर क्लियोपेट्रा का निशाना साथ राहत सैयद खून में लगभग उठ खडा । उसकी वहाँ तो मानों अलग होकर लटक गई थी । पर इसलिए दूसरे हाथ से क्लाॅज दशकों की ठीक हूँ और शोरगुल में भी सैयद नी क्लियोपेट्रा को प्यार से डांटा और उसे पिंजरे में भेज दीजिए । उसकी टन की ठीक करके पांचों शेरों को भी पिंजरे में भेजकर तोडते । मैंने मार्टिना उनकी चुरुट सुनता हूँ और अपनी सीक्रेट फिरते तक हम चुपचाप बैठे रहे हैं । पहले मार्च ना ही पूरी जैसे ही सैयद को होश आया उसने मालिकों से प्रार्थना की कि गलती उसी की इसलिए क्लीयोपेट्रा को कुछ नहीं किया जाएगा । जोशी एकबार चित्र हो करते, उसे गोली से मार किया जाता है । अपना अन्य शेरों सेठी हाथो फॅमिली का अंदेशा रहता है । उसकी दर्शती कर मालिक को ऐसा वचन देना पडा हूँ । नीलामियों से हमारा सरकार लाशो से होता हुआ रंगून पहुंचा हूँ । मेम ियों के अस्पताल से सैयद सीधा रन उन पहुंचा तो महीने आराम करके मान लिया हूँ । मैंने पूछा था क्लियोपेट्रा का क्या होगा? मार्टिन ने बताया हूँ सैयद के सहायक भी एक बार तो प्रयत्न किया पर क्लियोपैट्रा नहीं उसके पास भी नहीं फटक दिया । सबसे कोर अलग पिंजरे में पडी रहती है । मैं जानता था कि सैयद इसके बाद कभी शेरों की पिंजरे की ओर नहीं किया । नहीं मानता था की गलती से ऐसी गलती तापमान तथा इसीलिए शेरों के पास में ही जाता था । उसकी स्वस्थ हो जाने पर जब सर्कस के मालिकों ने उसे फिर काम पर बुलाया तो उसने कह दिया । लगता है मुझे फेरों के पास जाने की हिम्मत कभी नहीं और जब मालिक ने देखा कि सैयद हर रात शेरों का खेल देखने पहुंच जाता है तो उसने उसे सहायक मैनेजर के पद पर नियुक्त कर दिया । सौ डेढ सौ किलोमीटर की दूरी कोई दूरी नहीं मैं अभी तक जबकि आदमी दौड रहा हूँ पर सर्कस की और डॉॅ । मेरे सामने सारी घटनाएं इस तरह चलती रही मानो मैं सिनेमा देखा हूँ । पास पहुंच कर मैंने देखा कि आग लगभग सभी काम पूर्ण तक पहुंच चुकी थी । एक तो मान ले कि करती है और फिर तंबुओं में लगी आग सब कुछ सूखी घास की तरह चल रहा था । उप सी मान ले के आग बुझाने वाले चीनी अपनी नींद खराब होने की अधिक चिंता हो रही थी । तमाम जानवरों की मिलीजुली चीज सिंघार थी, उन्हें अपना काम करने से रोक रही थी । जानी किस कोर्से कौनसा खूंखार जानवर भी करेंगे । इसलिए रक्षा का सारा भाई सर्कस वालों पर यहाँ पडा मैं भी साथ किया क्योंकि मुझे पता था कि किस ओर कौन सा जानवर है और उसे कैसे बचा जा सकता है । कोई दो मजबूत खोल लिया और किसी ने उन्हें शेरों की पिंजरे के साथ छोड दिया तो उन्होंने घोडों को हांक खेलकर तंबू से बाहर निकाल दिया । इस प्रकार शेरों के सारे पिंजरे बाहर पहुंचा दिए गए । लगते तक आकाश छोडने लगी थी । तंबू के आखिरी छोर पर केवल क्लियोपेट्रा का पिंजडा रह गया क्योंकि दीवार लांघकर भीतर जाना और पिंजरे को बाहर लाना असंभव था । इतने में मुझे सैयद दिखाई पडा हूँ कि उसे क्लियोपेट्रा की चिंघाड भी चेंज कर रही थी । उसी लगभग कर आग बुझाने वाले से लोहे की टोपी लेनी है और हम में से कोई कुछ कह सकता हूँ । क्या उसे रोक सकता हूँ? इस से पहले ही वो लगता के पीछे गायब हो गया । उसके लौटने की उम्मीद थी । क्या हो सकती थी? हम निराश सहायक खडे उन लगता के पास देखने का असफल प्रयास करती रहीं । अचानक वो बाहर है, अकेला नहीं । उसने क्लियोपेट्रा को अपने कंधों पर इस तरह उठा रखा था जैसे वो अपना खेल समाप्त होने पर उसे कंधों पर उठाकर दर्शकों की तालियों की गडगडाहट के उत्तर भी अभिवादन दिया करता था । मैं क्लियोपेट्रा के मुंह और गर्दन पर हाथ दे रहा था और कह रहा था खतरा नहीं भेजती हूँ । अभी ठीक हुआ जाता है । उसने क्लियोपेट्रा को बाहर पडे एक खाली पिंजरे में डांस थी और दरवाजा बंद कर दिया । ठीक है, हम साथी सैयद को देख रही थी । यहाँ तक की आग बुझाने वाले भी भूल गए थे कि वहाँ बुझने आई सैयद का चेहरा धुएं से काला हो रहा था और शरीर कई हिस्सों से झुलस गया था । उसे फौरन अस्पताल भेज दिया गया । उसके बाद सैयद ने फिर अपनी टीम बनाई । शेरों को शिक्षा थी । पर अब मैं हम मार में ही नहीं, अपनी टीम के साथ कई बार विश्व की यात्रा भी कर चुका है । एक बार किसी शेख में उस पर हमला करना चाहिए तो क्लियोपैट्रा नहीं चिंघाड कर उस चीज को खरीद के मुझे याद आती है । उस बात की विश्वास नहीं और उत्साह ये काम आते हैं । शेरों को शिक्षा देने के लिए हम मैं सोचता हूँ । साथ ही शेर का दिल भी होना जरूरी है, जिस सबके पास नहीं होता ।

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Collection of Stories writer: विश्व बुक्स Voiceover Artist : Rashmi Sharma Script Writer : VISHVA BOOKS
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