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भाग पंद्रह डाॅ । और जयंती रघुनाथ ऍम के उसके ऊपर बैठ गए तो जो उस पूछे से प्लेटफॉर्म पर रखा हुआ था कि धवन की हाल ही में प्रकाशित हुई किताब मेरे सपनों की लडकी जो कि एक डाॅलर केदार थी पर बात कर रहे थे । फिर एक किताब किस तरह से अस्तित्व में आई । जयंती ने बताया कि उसने किस तरह से दमन को फेसबुक पे ढूंढा और पाया कि उसमें कुछ तो अलग बात है और उसमें सफल लेखक बनने के पूरे गुड मौजूद है । उसने अपनी बात मसालेदार बनाते हुए नहीं ऐसी बातें जो सिर्फ काल्पनिक थी वो तो मेरा फोन नहीं उठा दाता पर्व समय पर काम पूरा किया करता था । धवन के साथ काम करने का मजा ही कुछ था मुझे ये ऍम पहले पंद्रह मिनट धवन नर्वस दिखाई दे रहा था और वह भीड में जाने पहचाने चेहरों को तलाश रहा था । उस ने उस समय राहत की सांस ली जब दर्शकों की भीड में उसने अपनी तो मुस्कुराते हुए देखा । मैं अकेले ही थी दमन फर्जी तरीके से इस बात पर मुस्कराया की जयंती के रूप में उसे काबिल मार्ग दर्शक मिला और वह उसके प्रति आभारी हैं । अपनी लगातार उसका ध्यान भटका रही थी । लोगों की भीड में वो दूर से ही चुंबन देने का इशारा कर रही थी । अन्य लोगों के विपरीत उसके होटल मैं किताब की प्रति नहीं थी । जैसे ही मेरा प्रोजेक्ट खत्म होगा मैं ये किताब पढ हूँ । आप भी नहीं है । बाद दमन को उस समय कही थी जब उसने एक सप्ताह पूर्व उसे किताब फीट की थी । दिनों से अब कभी किताब पढने को नहीं रहेगा इस गुमनाम वन स्टार समीक्षा के बाद भी जिसमें उसकी एक सप्ताह की नींद उडा दी थी । ईबीसी द्वारा प्रस्तुत समीक्षा लेखक आठ मुद्दों और मूर्ख व्यक्ति है । उसने अपने नाम का इस्तेमाल क्यों किया? जहाँ तक मेरे मित्रों ने मुझे बताया है कि श्री ऐसी काल्पनिक चरित्र है तो फिर लेखक को भी अपना नाम इस्तेमाल नहीं करना था । क्या लेखक पाठकों को इसे सत्य घटना पर आधारित किताब बताकर गुमराह करना चाहता है? यह बिल्कुल भी सत्य कथा नहीं । मेरे हिसाब से लेखक का ये कार्य चतुराई भरा कदम है और मुझे उसकी गर्लफ्रेंड के लिए भी बहुत अफसोस है । उसके साथ ही कितना अन्यायपूर्ण है । मैं किताब को एक स्टार से अधिक प्रधान नहीं करूंगा । ये कमाल की कहानी हो सकती थी । लेकिन ये सिद्धांत कहा एक गलत कहानी दमन जब पहली बार समीक्षा को पढा था तो गुस्से से भर गया था । ये पाठक जानता ही क्या है कि ये किताब किस तरह से पूरी हो पाती है । मोर करेंगा साला अपना नाम तक नहीं नहीं लिख सकता । चला एबीसी यदि ना इस यूजर नाम ए बी सी का क्लिक नहीं करता तो वह सिर्फ यही समीक्षा बढकर है गया होता । इस यूजर ने दो और समीक्षा लिखी थी पैनासोनिक माइक्रोवेव्स आई फोन सिक्स एस के चार्जर पर । अवनी ने पिछले माह में यह दोनों वस्तुएं ट्राई की थी । माइक्रो खरीदने में धवन ने उसकी मदद की थी । ए बी सी क्या अपनी थी यहाँ तक कि दमन भी उसके विरोध में नहीं हूँ । मुझे उसकी गर्लफ्रेंड के लिए भी अफसोस है । उसके साथ ये कितना अन्यायपूर्ण है । हाँ किसी किताब की समीक्षा नहीं इसलिए अपनी ही बोल रही थी । कुछ देर बाद धवन से पूछता का एक अंश पडने के लिए कहा गया पाठक होने उसे ऍफ का चुनाव किया था तो ये मैं अंसाज इसमें दमान श्रेयसी के प्रति अपने प्रेम को अभी व्यक्त करता है । इस अंश को बुरी तरह संपादित किया गया था बल्कि एक तरह से यह पूरी ही जयंती द्वारा लिखा गया था मैं किताब पढने में अनाडी हूँ, आता हूँ आप लोग कृपया मुझे बर्दाश करे तो मैं पढता हूँ । मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं प्यार में पड जाऊंगा हूँ । कुछ शायद इस बात का भय था कि शायद मुझे बदले में प्यार ना मिले । ऐसी तो मैं सब बता दिया क्या मैं डरा हुआ हूँ? हूँ? क्या मैं तुम्हारे लायक हूँ? मैं संदेह नहीं लेकिन सच यह है कि तुम उस समय मेरे जीवन में आई जब सब कुछ बिगडा हुआ था और तुमने मुझे असफलताओं को पीछे छोड कर आगे देखना सिखाया तो ये बात मैं जीवन भर नहीं भूल सकता । भले ही तो मुझे छोड कर जा सकती हूँ । इस समय जीवन में एक खाली बना जाएगा । पर मैं तो मैं रोक नहीं सकता तो भले ही मेरे जीवन से चली जाओ पर तुम हमेशा मेरे जीवन का अभिन्न अंग होगी । मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग उनके आई एक कठिन होगा, केवल तभी जब मारना कठिन हो । तुम्हारे बिना जीवन का एक दिन गुजारने के विचार मात्र से मेरी रूम कहाँ पडती है? तुम्हारे बिना जीवन गुजारना मृत्यु सेवी बत्तर है और मैं इसके लिए तैयार हूँ और आप मैं पूरी तरह से तुम्हारी प्रेम की गिरफ्त में हूँ तो यहाँ से वापसी संभव नहीं है तो मैं हमेशा प्यार करता रहूंगा हूँ । दमन पेट के अंत तक पडता रहा हूँ । हालांकि वह कुछ घटिया पंक्तियों को छोडना चाहता था । दर्शक होने तालियाँ, बजाये दमन, मुस्कुराना ही लगता है । अपनी सबसे देर तक ताली बजाएंगे और उसकी आंखों से सच्चाई बयां हो रही थी । भ्रष्ट ऐसी से नफरत करती थी । बहुत बढियां जयंती ने कहा दर्शकों की भीड ने उसकी बात का समर्थन किया । अब हम दर्शकों के प्रश्नों को सुनेंगे । दमन ने और शाम का पूरा आनंद उठाया और मैं आश्चर्यचकित था की रह पहले ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के विरोध में क्यों था? दर्शकों के प्रार्थना अपेक्षित ही थे । ऐसा कोई प्रश्न नहीं था जिसकी उपेक्षा उसे ना हो । कुछ लोगों ने ये प्रश्न भी किया कि श्रेयसी के चरित्र मैत्रा परिवर्तन कैसे हो गया । उसका उत्तर दमन की जगह जयंती में दिया और बताया की किताब को सफल बनाने के लिए ऐसे परिवर्तन आवश्यक थे । कुछ लोगों को छोडकर शेष सभी लोगों को नहीं ऐसी पसंद आई थी । एक लडकी जो काफी देर से ये सब सुन रही थी, उठ खडी हुई और बोली मुख्यपात्र का नाम दमन क्यों है? ऐसा क्या इसलिए है कि आप अपने नाम को पसंद करते हैं । ऐसा इसलिए क्योंकि ये चरित्र आप पर आधारित है । क्या ये कहानी वास्तविक है? वैसे मुझे किताब बहुत पसंद आई । तुम्हारे प्रश्न के लिए धन्यवाद दमन नहीं कहा ये कहानी, कल्पना और वास्तविकता कम मिश्रण है । जब मैंने ये किताब लिखना शुरू की थी तो उन दोनों को उस चरित्र में ढाला जो मेरे अंदर विधमान थे । इसलिए मैंने मुख्यपात्र का नाम दमान रखा है । इसे लेखन की प्रक्रिया आसान हो गई और मैंने कभी अपना नाम नहीं बदला । इसके अलावा इस बात से कोई फर्क नहीं पडता है की कहानी वास्तविक है या नहीं । यदि है कहानी तुम्हें कुछ सोचने के लिए विवश करती है तो यह तुम्हारे लिए वास्तविक है । जहाँ तक मेरी बात है तो कहानी मेरे मन में जन्म लेती है तो मेरे लिए भी वास्तविक है । मैं पात्रों और उनकी परिस्थितियों की कल्पना कर सकता हूँ और मुझे ऐसा महसूस होता है कि जब ये गठित हो रहा था तब मैं वही मौजूद था । इस प्रश्न करे तो मैं धन्यवाद । लडकी ने सहमती में से मिलाया और बैठ गई । हम बस अब सिर्फ एक प्रश्न और लेंगे और इसके बाद लेखक किताबों पर हस्ताक्षर करेंगे जो लोग के दम पर हस्ताक्षर लेना चाहते हो तो बाईं और पंक्ति बनाकर खडे हो जाए । जब तक सभी किताबों पर हस्ताक्षर नहीं हो जाएंगे, दमन यही मौजूद रहेंगे । धन्यवाद तमन्ने अग्नि की ओर इशारा किया और वहां मौजूद दर्शकों की भीड किताब पर हस्ताक्षर कराने के लिए मंच पर आना शुरू हो गई तो हस्ताक्षर लेने के लिए धक्का मुक्की करने लगे हैं । अपनी तो दो अतिउत्साहित पाठकों के बीच में फंस गई थी । दमन बोला जयंती अपनी ऍफ इसलिए जाऊँ तो वहाँ ठीक रहोगे । जयंती यहाँ के दावों पर हस्ताक्षर ही तो लिए जा रहे हैं । यहाँ की अदालत होगा । अंतिम प्रश्न के लिए माइक को अंत से दूसरी पंक्ति में बैठे एक लडकी तक पहुंचा दिया गया । धवन ने पहले भी उसकी तरह ध्यान दिया था । लगभग पूरे समय उसका ध्यान दमन से ज्यादा फोन की ओर था । अमन को आज चले था कि क्या वे अपनी किसी मित्र के साथ आई है? हाइट अमन खाए । मैं समझ नहीं पा रही हूँ की क्या मुझे आप से ही वो प्रश्न पूछना भी चाहिए नहीं तो मेरे मन में है । लडकी ने कहा उसकी आवाज का ठंडा वन और शोभ स्वतः स्पष्ट था । मैं खाली कुर्सियों के बीच अब एकदम अकेली बैठी थी । जानी पहचानी लग रही थी । सोचने लगता मानो से की कहाँ देखा है? आशी रहेगा श्रेयसी दमन अपनी कुर्सी पर बैठा छटपटा रहा था । उसकी असहजता देखते हुए लडकी ने पूछा क्या मैं अपने आप को संभालते हुए दमन बोला तुम जो चाहे वे बोल सकती हो? धमन छतो गायब हो । अपने एक पैर को दूसरे पैर के ऊपर रखते हुए उसने पूछा मुख्यत ओवर में लगी हुई लाइटों के कारण उसके चमडे की पैंट चमक नहीं लगी थी । बुक स्टोर में दबी जुबान खाना होने लगी । सबकी आंखे उसकी ओर घूम रही थी तो तुम्हें किताब के चरित्र को इसलिए बदल दिया क्योंकि तुम एक पहचान योग्य कहानी सुनाकर ज्यादा किताब बेचना चाहते थे । है ना? उसने पहचान योग्य पर विशेष जोड दिया । तुमने एक ऐसी किताब लिखी है जिस पर तो मैं खुद ही या कि नहीं तो तुम फिर लेखा की कैसे हुए? उसने पूछा सिर्फ मुझे मंजूर मेरे प्रश्नों का उत्तर दो । दमन ने उत्तर दिया, मैंने उपन्यास की बेहतरी के लिए चरित्र में परिवर्तन किया तो मुझे लगा कि अर्धविक्षिप्त अगर मनोरोगी अब सात ग्रस्त । श्रेयसी में वो बात नहीं थी जो ज्यादा संख्या में लोगों के मन में रूचि पैदा कर पार्टी मैं लेखन में हवाबाजी नहीं चाहता हूँ । मैं चाहता हूँ कि लोग मेरी किताब को पडे पसंद करेंगे और उस की खूब बिक्री हूँ क्योंकि सिर्फ इसी से मैं अपना पसंदीदा काम यानी लेखन जारी रख सकता हूँ और आप माने या ना माने पैसा कमाना आप की आवश्यकता है और लेखन से ज्यादा कमाई नहीं होते । वहां मौजूद भीड मंद मंद मुस्कुराने लगे तो क्या तो राम प्रकाश ने उसे रोकते हुए कहा मैडम, ये आखिरी प्रश्न था लडकी ने असहमति व्यक्त करते हुए अपना सहलाया मेरा फिर नम्र अनुरोध है की तम्मना अब भी मेरे प्रति प्रश्न का उत्तर देना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने अब तक अपना माइक्रोफोन नहीं होता रहेगा । देश किताब से जुडे सभी लोगों के प्रति उत्तरदायी हैं और ईश्वर जानता है कि महेश किताब से जुडी हुई हूँ । जिस अधिकारपूर्ण भाषा में उस लडकी नहीं है, बात गई उसने सभी लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया । लडकी ने दोबारा बोलना शुरू किया । उसका धमकी भरा श्वर पूरे बुक स्टोर में घूम रहा था । भले ही वह तेज नहीं बोल रही थी लेकिन फिर भी उसकी आवाज दमन के कानों से उसके पेट तक पहुंच रही थी जिससे बहन धरवास हो रहा था । लडकी ने बोलना जारी रखा । मेरा दूसरा प्रश्न किए हैं तो उस लडकी का क्या हुआ? क्योंकि इस किताब को लिखने की तीन स्रोत थी तो क्या सोचेगी कि तुम्हें सिर्फ पैसों के लिए उसके साथ ऐसा किया? कोई प्रेरणास्रोत नहीं थी और अगर थी भी तो उसे खुश होना चाहिए कि मैंने उसका नाम का इस्तेमाल किया । धवन ने उत्तर दिया, भीड फिर मुस्कुराई खुद अगर तुम उसका नाम इस्तेमाल लाकर दे तो कहीं ज्यादा खुश होती है । तुम्हें उससे जुडी हर चीज को बदलकर उसका अपमान क्यों किया? तो हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की और मेरी तरफ चेहरा लटकाए हुए मत देखो । अपना वो खोलो मुझे उत्तर तो तो पागल नहीं, तू क्या हूँ । उसकी आवाज दीवारों से टकराकर गूंज रही थी । पूरे कक्ष में सन्नाटा पसर गया । उसने अपने पांच रखी कुर्सी पर माइक्रोफोन उतारकर रख दिया और शांतचित से धमन की ओर देखा । तुम्हारी परिकल्पना गलत है । पहले वाली श्रेयसी और इस उपन्यास में दिखाई गई श्रेयसी दोनों ही काल्पनिक है । अच्छा कोई प्रश्न ही नहीं उठता । लडकी खडी हो गई और उस ने अपनी बात अधूरी ही छोड दी । एक अजीब सा सन्नाटा पसर गया । सभी लोगों को संभालने में थोडा वक्त लगा । पाठक चार और पांच लोगों के समूह में दमन से आपने किताबों पर ऑटोग्राफ लेते रहे तो उससे प्रश्न पूछते रहे, फोटो लेते रहे, सेल्फी त्यादि लेते रहे तथा समय निकलने के साथ दमन को धन्यवाद देते रहे थे । कमरे की हवाओं में उस लडकी की उपस्तिथि अब भी दुर्गंध की तरह बनी हुई थी । हस्ताक्षर इत्यादि कार्य संपन्न हो जाने के बाद दम आनंद राम प्रकाश के पीछे पीछे चलता हुआ बैंक ऑफिस पहुंचा । उस लडकी के दुर्व्यवहार के लिए राम प्रकाश नहीं खेद व्यक्त किया । उसने बताया कि वह लडकी एक नियमित ग्राहक है, इसलिए गया उससे और ज्यादा नहीं बोल सका । मैंने इसमें आप की कोई गलती नहीं थी । धवन ने कहा, जैसे ही धवन ने बैक ऑफिस में प्रवेश किया, अपनी उसके गले लग गई । कार्यक्रम ऍम रहा । कहते हुए उसने धवन की घायलों को छू लिया । दमन नहीं भी उसे छुआ, वो ही तो हाँ हाँ मुझे क्या होगा? अपनी नहीं आश्चर्य से पूछा । राम प्रकाश जयंती और दमन नायक ऑफिस में कॉफी पीते हुए कार्यक्रम पर चर्चा करने लगे । किसी ने उस अभद्र लडकी का जिक्र नहीं किया और तो तुम्हारी अगले किताब कब आ रही है? जाम प्रकाश ने पूछा तो मैं जल्दी करनी चाहिए । लोगों की स्मृति ज्यादा लंबी नहीं होती । देखा यही पाॅड किसी चिंतित अभिभावक की तरह । जयंती ने कहा, जल्दी ही बातचीत कार्तिक आया यार जो कि धवन की निगाह में भारत का जस्ट देवर था । उसके आगामी उपन्यास की ओर घूम गई । उपन्यास कुछ ही महीनों में आने वाला था । उसके और उसकी गर्लफ्रेंड वर्णिका के बीच एक और बीएस वहाँ प्रेम कहानी । क्या उसने किताब पूरी कर ली है? मैं बहुत अच्छा लेखक है । मेरे ग्राहक उसे बहुत याद करते हैं । कुछ रहा तो उस की कई प्रतियाँ खरीद लेते हैं । है उसके पीछे पागल हम । प्रकाश ने कहा । जयंती ने राम प्रकाश को बताया कि कार्तिक ने अब तक किताब पूरी नहीं की है । नाम प्रकाश ने कहा, हमें उसकी किताब का बेसब्री से इंतजार है । अगर ये पिछली किताब की तरह सफल रही तो हमारे पास पैसा कमाने का अच्छा मौका होगा । दमन ने उनसे वाशरूम जाने के लिए अनुमति मांगी फॅार उल्टी करना जा रहा था । कार्तिक की आने वाली किताब के बारे में हो रही चर्चा से उसका जी मिचलाने लगा था । बेसब्री से सिगरेट पीना जा रहा था । वैश्विक उसी को भी तलाश रहा था ।
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