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Part 15 in Hindi

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Authorउमेश पंडित 'उत्पल'
किसी भी लड़की के लिए बहुत जरूरी होता है कि शादी के बाद उसे एक अच्छा वर और एक अच्छा घर दोनों मिलें। Script Writer : Mohil Author : Umesh Pandit "Utpal"
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विभाग पढ रहा हूँ । तीलू घाट पर लेटी हुई धर्मानी जिलों का पुकारा आ रही हूँ । हुआ इतना के हैं दौडती हुई लीला अपने माँ के पास आई । धर्म पेट के दर्द से भी चयन थी ऍसे करा रही थी दर्द से उसका पेट फटा जा रहा था । कई दिनों से दवा खा रही थी और कुछ भी आराम नहीं मिला था । धनेश्वर घर पर नहीं थी ले लू अकेले अपनी माँ का साधारण चार कर रही थी । वर्मा की करहा सुनकर उसकी आंखों में आंसू छलक नहीं लगाते हैं । वो हम आपको छोड कर डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहती थी । पांच बजे शाम में धनेश्वर बैंक से घर आए । धर्मा की दशा देखकर वे भौचक्के में पड गए । धर्मा का चेहरा पीला पडने लगा था । लीलो अपनी वहाँ की दशा को देखकर हो रही थी कि लोग पापा की तबियत कैसी है । हेलो के समीप आकर धनेश्वर ने पूछा कुछ देर पहले पेट में दर्द हुआ था तभी देखिए मैं चेहरा कैसा होता जा रहा है । नहीं तो उस की स्थिति के बारे में बताई टाॅक देखभाल करो, ॅ हूँ ऍम चाहिए पिता जी पंद्रह पहचाने अंतर का स्वास्थ्य ऍफ का चक्कर बहुत खराब होता है । इसी कारण तो माँ की ऐसी दशा हुई तो मेहसाना का हो । बेटी वैध के उपचार से पुराना रोग भी जड से उखड जाता है । अच्छे अच्छे लोगों ने जानते हैं । उनकी दवा हार रोक के लिए रामबाण होती है हूँ । अभी पुरानी ली पर ही चला पसंद करते हैं । जरा मॉडर्न सोसाइटी की ओर भी ध्यान दिया करिए । ऍम अमेरिका रूस प्रगति पर क्यों हैं, इसके बारे में जरा विचार किए हैं । देश तक पुराने विचार को आशा मात्र ही समझा करते हैं । अपने सिद्धांतों को प्रतिपादित कर हर काम को कम से कम समय में सोलह ढंग से करना चाहते हैं । अब तो हमारा देश की पिछडा हुआ नहीं है । हमारे देश के वैज्ञानिक भी नए तथ्यों की खोज में दिलचस्पी ले रहे हैं । लोगों के अंधविश्वास को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं । मेडिकल साइंस की प्रगति भी दिन दूनी रात चौगुनी होती जा रही है । तो फिर हम बैठ की दवा पर भरोसा कर अपनी मूर्खता को प्रदर्शित कर रहे हैं । अच्छा फॅमिली है हमारी बात अभी माँ के बारे में सोचो कि या दुनिया के बारे में सोचना तो है तो उनके बारे में । लेकिन अभी माँ के इलाज के लिए डॉक्टर कडे की सख्त आवश्यकता है । डॉक्टर कर्ड धवन के बारे में जानती हो । हम बहुत अच्छे डॉक्टर है । जिस डॉक्टर की फीस अधिक होती है वो अच्छे डॉक्टर कहलाते हैं और जो फीस नहीं लेते मैं को जानते ही नहीं । मैं तो ऐसी बातें नहीं कह रही हूँ । बेटी तो मैं अपने पिता की स्थिति को समझना चाहिए । डॉक्टर कराएंगे तो सोलह रुपये फीस लिए बिना नहीं जाएंगे । फिर दवा के लिए नुकसान लिखेंगे तो भी बताओ । नौ के लकडी नब्बे खर्च कैसे करूँ? आपकी इसकी चिंता मत करें । मैं अभी उन्हें बुलाकर लाती हूँ । इतना के हैं । लीलो माँ के पैर आने से उठकर चलती है । धनेश्वर धर्मा की सेवा में लग गए । तब गड बढाकर टिलू बोली अरे तो खबर हो रही है क्या बात है? अपन ने पूछा डॉक्टर बात हैं हाँ अखिल बात क्या है? माँ की तबियत बहुत खराब है । क्या हुआ है पेट में चढते इसलिए तो इतना घबरा रही हूँ । नहीं तो तो फेस उनका चेहरा पीला पड रहा है । स्थिति बहुत नाजुक है । जी की दवा चल रही थी लेकिन उस से भी कोई फायदा नहीं हुआ । होता भी कैसे? वैट कोई सिविल असिस्टेंट सर्जन नहीं है । जडी बूटी से बनी दवा पर क्या विश्वास कब जान ले लें, इसका कोई ठिकाना नहीं है । ये मैं भी मानती हूँ । पिताजी तो जी की प्रशंसा कर रहे थे, लेकिन मैं उन्हें समझा बुझाकर डॉक्टर बाबू को बुलाने के लिए आई हूँ । अच्छा हुआ कि कम चली आई अच्छा मैं पिताजी को देखता हूँ । इतना कहता आपन अपने पिता जी के पास चला गया । शाम के छह बज रहे थे । डॉक्टर साहब अन्य दिनों की भारतीय आज भी आपने डिस्पेंसरी में इजी चेयर पर बैठे हुए थे । आस पास रोगियों की भेज थी । कोई ठीक रहा था तो हो रहा था । कोई कर रहा रहा था । उस डिस्पेंसरी में मनुष्यों के अजीब दृश्य देखने को मिलते हैं । ऍम मेरे बच्चे को देख लीजिए, कहीं पर कोई नहीं है । एक अधेड उम्र की ओर बोली डॉक्टर साहब पहले मुझे देख लीजिए, मैं सबसे पहले से बैठा हूँ । अभी ड्यूटी पर जाना है, लगभग करेगा जी बोल उठा तो किस साहब कोई दवा हटी दीजिए । दर्द से मेरा सिर फटा जा रहा है । एक युवती बोली आॅडी दया नहीं आती हूँ, अब जीना होंगे तक वहाँ इतना दर्द और को नहीं थे जैसे पहले ब्लॅक जायेगा । एक पूरियाँ बोली डॉक्टर ऍम कुछ नहीं नहीं आती । नींद की गोली दी थी । भीड को चीरती हुई आगे बढकर एक शिक्षा जो होती है वो नहीं । डॉक्टर साहब ऍम पार के पास एक साइकिल एक्सीडेंट हो गई है । लडका बुरी तरह घायल हो गया है जल्दी चलिए नहीं तो उसकी जान चली जाएगी । तेजी से लगाते हुए कि वह बोला डॉक्टर कांड रोगी को एक एक करके देख रहे थे फिर भी फिर जो की पडी थी । डिसपेंसरी से जाने वाले रोगी की अपेक्षा आने वाले रोगी की संख्या अधिक हो जाती थी । डॉक्टर कार्ड बारे धैर्य से प्रत्येक रोगी से मिलते थे । सहसा डॉक्टर कर्ण के मिलने वाले चैंबर में तपन प्रवेश क्या अपन को देखकर उनकी सारी परेशानी समाप्त हो गई क्योंकि तपन अपने पिता के रोगियों के उपचार में काफी सहयोग देता था तो मैं कहता पर तपन को देखकर डॉक्टर करनी पूछा हाँ पिता जी, लेकिन अभी आपको एक आवश्यक कॉल पर जाना है । अपन ने कहा कहाँ हूँ मेरे साथ कोई साथी एक्सीडेंट हो गया है नहीं तो फॅमिली समझ लीजिए आपको मेरे साथ जाना है अभी और इसी समय आखिर बात किया हूँ की माँ की तब तक ही नहीं है फॅमिली लू ऍम बाबू की बेटी धनेश्वर तो आपको ऐसा हो रहा है इसलिए ना कि उनसे आपको सोलह रुपये फीस नहीं मिल सके की क्योंकि मैं गरीब हैं नहीं था । पन धनेश्वर बहुत हालत में है, आपने जाते हैं । हाँ, आज से पंद्रह वर्ष पहले मेरे कार का ड्राइवर था तो उस समय तुम्हारी अवस्था पांच साल की होगी । अक्सर तो मैं गोद में लेकर खिलाया करता था । अपने काम में बहुत चतुर था । उससे मुझे किसी तरह की शिकायत ना थी । उससे सुरक्षा से ड्राइवरी करना छोड दिया । मैंने उसके लिए उसका विरोध किया । लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी । तब से अभी तक उसने एक बार भी चेहरा नहीं दिखाया है । जाने अब क्या करता है । अभी मैं बैंक में क्लर्क का काम कर रहे हैं तो मैं उसके बारे में कैसे मालूम हुआ? नीलू से क्या तुम मिलो से प्यार करते हूँ? जी हाँ लीलू बुलाने के लिए आई है जी हाँ तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया? लगता था? हाँ हाँ बोलो ना जल्दी शादी की बात कर लूंगा । प्यार किया है तो फिर डरना क्या है? तेल लगाया है तो फिर चाहे भरना क्या? पिताजी अभी चल कर उसकी माँ को देख लीजिए । बाद में शादी की बात कीजियेगा । अच्छा अच्छा अच्छा मैं चलता हूँ । इतना के हैं । डॉक्टर कान अपने हैंड बैग से आवश्यक दवाई एवं सोई रख लिया और हाथ में स्थितो को प्ले कर्तापन के साथ बाहर निकल पडे । डॉक्टर कार्ड को निकलते देख रोकी । निराश होकर उनकी ओर देखने लगे । डॉक्टर कांड उन सभी को आश्वासन देकर इंतजार करने के लिए कहकर कार की अगली सीट पर ड्राइवर के समीप बैठ गए । पिछली सीट पर ले लू औरतपन दोनों बैठ गए । ड्राइवर ने कार चलाना स्टार्ट किया । कल के घरके के साथ गाडी सडक पर दौडने लगी । सभी रोगी आपने फटी आंखों से डॉक्टर करन की गाडी को देखने लगे । कुछ दिनों में गाडी उनकी दृष्टि से ओझल हो गई । इधर धर्मा दर्द से बेचैन थीं । जी की दवा का कोई असर नहीं पड रहा था । धनेश्वर परेशान दिखाई पड रहे थे हूँ अभी तक नहीं लौटी थी सहसा हॉर्न की आवाजों ने सुनाई पडी है दरवाजे की ओर तेजी से लगे हैं सडक पर कार खडी थी ऍम कहाँ डॉक्टर करन की थी ने कहा से उतरकर उनके ही तरफ आ रहे थे । पीछे बराबर की स्थिति में लीलू और तब बना रहे थे डॉक्टर करण । क्या अंदर आते ही डॉक्टर गगन के आधार में वे आगे बढे पर तापन को देखकर क्षण भर के लिए ठिठक पडे । अपन का मासूम चेहरा उन के मानस पटल पर चक्कर काटने लगा । जैसे उन्होंने पंद्रह वर्ष पहले देखा था । लीलू को उसके साथ बातचीत करते देख उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । पर धर्मा की स्थिति गंभीर थी । इसीलिए वह शीघ्रता में डॉक्टर करण को प्रणाम कर उनका हैंड बैक अपने हाथ में लेकर धर्मा की ओर बढने लगे । लेलू औरतपन दोनों की स्थिति में कुछ भी परिवर्तन ना हुआ सकती धर्मा के पास पहुंच गए । डॉक्टर करण धर्मा के जांच कर इंजेक्शन लगाएगा दवाई दिए बाजार से कुछ और दवाई लाने के लिए कुछ नुस्खे भी लिखती है । समय के अभाव के कारण वो वहाँ अधिक देर रुकना नहीं चाहते थे । शीघ्रता में वह बोले, धनेश्वर! किसी बात की चिंता नहीं करना । शीघ्र ही ठीक हो जाएंगे । बस जब तक लीलू की माँ होश में नहीं आ जाएगी तब तक तब वन इसकी देखभाल करता रहेगा । मुझे ज्यादा वक्त नहीं है । दूसरे दिन मौका मिलने पर देखने के लिए जरूर आऊंगा । इतना कहकर डॉक्टर करण तेजी से वहाँ से चल पडेंगे । धनेश्वर फीस के रुपये देने के लिए उनके कार के समीप पहुंचे । जो भी उन्होंने रुपये देने के लिए उन की ओर हाथ बढाया क्यों ही डॉक्टर करने उनका हाथ थाम लिया और बोले हैं धनेश्वर इस पीस के रूपये से ले लो की माँ की दवा ले आना हूँ लेकिन यह तो आपकी मेहनत का मूल्य है साहब । धनेश्वर ने कहा बात तो सही है । धनेश्वर जानते हो कि किसी के मेहनत का मूल्य सिर्फ रुपए से नहीं चुकाया जाते हैं बल्कि नहीं से भी चुका जाता है । तुम्हारा मुझ पर बहुत बडा एहसान हैं । मैं रुपये का भूखा नहीं भाई और दिल का भूखा हूँ । आज तक मनुष्यों की सेवा सिर्फ धन कमाने के लिए नहीं करता रहा बल्कि महान मर्यादा नहीं जैसे बहुमूल्य रखने को पाने के लिए क्या डॉक्टर बात हो । आप महान है, आपका कर महान है लेकिन फीस गरीब और अमीर के लिए की सामान है । हाथ थानेश्वर जिस तरह समय दोनों के लिए सामान है उसी तरह फीस भी । लेकिन गरीबों के लिए फीस माफ भी की जा सकती है । समय नहीं । डॉक्टर बाबू आप दया की बोलती है । मैं तो आपके चरणों के धूल के सामान भी नहीं ऐसा के हैं । मुझे शर्मिंदा ना करो । धनेश्वर परिस्थिति के कारण हम दोनों में ऐसा अंतर है । भगवान ने चाहा तो कुछ ही दिनों में ये अंतर में मिल जाएगा । जहां जिलों की माँ को देखो ऍम । इतना कहकर डॉक्टर करण कार के अंदर छिप गए । ड्राइवर डॉक्टर करने को लेकर चल पडे । जब बाहर उनकी दृष्टि से ओझल हो गई तब धनेश्वर धर्मा की ओर बढे । धर्मा होश में आ गयी । लीलू सिरहाने की ओर बैठी पंखा झेल रही थी । अपन सामने की कुर्सी पर बैठे उसकी माँ की ओर देख रहा था । धनेश्वर या देख बहुत पसंद हुए । जब धर्मा अच्छी तरह से होश में आ गई तो तपन वहां से चल दिया ।

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किसी भी लड़की के लिए बहुत जरूरी होता है कि शादी के बाद उसे एक अच्छा वर और एक अच्छा घर दोनों मिलें। Script Writer : Mohil Author : Umesh Pandit "Utpal"
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