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आज से पंद्रह साल पुरानी बात है जब मेरा नाम रिंकी नहीं रजिया हुआ करता था । हम लोग श्रीनगर में रहते थे । हमारे अब्बू शकील मोहम्मद एक कॉलेज के प्रसिद्ध प्रोफेसर थे । उनका कॉलेज ही नहीं पूरे कश्मीर में काफी नाम था । वो न्यूज पेपर में मैगजीनों में कविताएं और लेख भी लिखा करते थे । उनकी अधिकतर रचनाओं की थीम हिंदुस्तान प्रेम, कश्मीर की नाजुक कश्मीर के नाजुक हालत और अन्य समस्याओं को लेकर होती थी । कश्मीरी लोग उन्हें बहुत पसंद करते थे । उनकी बहुत इज्जत करते थे । मेरी अम्मी नरगिस घर संभालती थी । उसने हम दोनों को बचपन से यही शिक्षा दी की हिंदुस्तान ही हमारा देश है और कश्मीर में जो कुछ भी गलत हो रहा है वो हमारा पडोसी मुल्क करा रहा है । उन दिनों में खाली टेरेरिस्ट ग्रुप का एक छोटा लीडर हुआ करता था । उसका काम था कश्मीरी युवा को देश और सरकार के खिलाफ भडकाना । अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसे एक तरकीब सूझी । उसने मेरे अब्बू को अप्रोच किया और कहा कि वो जो कुछ शिक्षा दे रहे हैं और लेख लिख रहे हैं वो इस्लाम के खिलाफ है । आप क्या अनाब शनाब लिखते हैं, कश्मीर मुसलमानों का स्टेट है और सच्चे मुसलमानों की जगह हमारे देश में आपको बच्चों को यही सिखाना चाहिए । अच्छा और आप जो लेख लिखते हैं उससे काफी होने की वो आती है । आपको अपने धर्म को ध्यान में रखकर लिखना चाहिए । मेरे अब्बू भडक उठे । मैं बच्चों को अच्छा इंसान बनने की सीख देता हूँ । यही कुरान में लिखा है और मुझे फख्र है आपने मुसलमान होने पर और हिंदुस्तानी होने पर फिर तुम लोग जो अपने मतलब के लिए न सिर्फ हमारे देश में शांति फैला रहे हो बल्कि दुनिया के सभी मुसलमानों को बदनाम कर रहे हो । अकेले ट्रंप बहुत ज्यादा बोल रहे हो । मुझे सच बोलने से कोई नहीं रोक सकता । तब देखना कल के अखबार में क्या आता है? अगर तुमने ऐसी हिमाकत की तो फिर खुदा के बंदे किसी से डरते नहीं, खाली चला गया । मेरे अब्बू वृद्धि और जुनूनी आदमी थे । उन्होंने रातो नाथ एक आर्टिकल लिखा जिसमें खलीली का नाम भी था । उन्होंने लिखा कि कैसे वो कश्मीर के युवा को भडकाकर अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करना चाहता है । दूसरे दिन ही अखबारों में वह लेख प्रकाशित हो गया इसलिए की बहुत चर्चा हुई । अब्बू को अनेकों जगह से बधाई आई । कुछ जगह से धमकियाँ भी आई पर वो हमेशा की तरह बेखौफ अपने काम में लगे रहे । इस घटना के करीब एक साल बाद हम सभी घूमने के लिए गुलमर्ग गए । वहां से लौटते वक्त हमारी बस रोक ली गई । वो आतंकवादियों की टोली थी । उनके पास खतरनाक हथियार से वो बस के अंदर आ गए । हमारे परिवार पर नजर पडते ही वो हम पर झपट पडेगा । हम लोग उन दुर्दांत लोगों का विरोध करने लायक नहीं थी । उन्होंने हमें बस से उतार लिया और बस को जाने को कहा । वहाँ से वो हमें पैदल कई मील दूर किसी घाटी मिले गए । घाटी में पुराना बंद पडा घर था । घर के अंदर हम पहुंचे तो वहां कई और आतंकवादी देखिए, फिर हमारे सामने खलीली उपस् थित हुआ आओ शकीरा हूँ । बहुत वक्त हो गया था । तुमसे मिले खाली तो हाँ मैं तुम्हारा दोस्त, तुम्हारा हमदर्द । मुझे और मेरे परिवार को इस तरह यहाँ लाने का क्या मतलब है? मैं तो बस एक दोस्ताना मुलाकात चाहता था । देखो तुमने जिद में आकर साल भर पहले मेरा कहा नहीं माना । मेरे खिलाफ लिखा पर मैंने सहेलियाँ अभी भी कुछ नहीं बिगडा है । मैं तुम्हें माफ करने के लिए तैयार हूँ । अच्छा हाँ, मैं तुम्हारी तरफ फिर से दोस्ती का हाथ बढाना चाहता हूँ तुम्हारे हाथ में कश्मीरियों का खोल लगा है खाली अब तू तेज आवाज में बोले खाली चुप रहा । अगर तुम अपने बुरे कामों को छोडकर वापस अपने देश लौट जाओ तो हम दोस्त बन सकते हैं । खाली हंसा मजाक अच्छा कर लेते हो । उसकी हंसी किसी दुर्दान्त राक्षस की तरह थी । मैं और नूर सहन कर अम्मी से चिपक गए । सुनो बेवकूफ प्रोफेसर वो कर्जा तो मैं जो अभी तक क्या उसे भूल जाओ और अब जैसा हम बोलते हैं वैसा करो । कॉलेज में वह सिखाओ जो हम बोले और लिखो भी । वह जो एक सच्चा मुसलमान लिखता है, मैं तुम्हारा गुलाम नहीं, वही करोगे जो मैं बोलूंगा । वरना कहते हुए उस की नजर अम्मी पड गई । तुम्हारी बेगम हमारी जीनत बनेगी तो देश तेरी इतनी हिम्मत । अब वो बिना कुछ सोचे समझे उस पर टूट पडे । पर वो एक ट्रेंड आतंकवादी था । उसने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया तो छटपटाने लगे । मुझे पता था प्रोफेसर तो एक स्थिति आदमी हैं, कभी नहीं मानेगा । पर मुझे लगत हुए खानदानी आदमी है । कम से कम अपने परिवार के बारे में सोचेगा पर नहीं तो फिर फिर है तेरे जैसे लोगों का एक ही अंजाम होता है, कहकर उसने अब्बू का चेहरा अपनी बाजू में कैसा और फिर एक झटके में घुमाकर उनकी गर्दन तोड दी । अब्बू की आंखों के सामने हम तीनों थे । उन्होंने आखिरी बार हम सबकी तरफ देखा और फिर उनकी आंखें शून्य में घुटने लगी । उसने उन्हें किसी मरे जानवर की तरह जमीन पर फेंक दिया । नहीं नहीं नहीं अम्मी अब्बू के शरीर पर झुककर उन्हें जब छोडने लगी और कुछ आपको कुछ नहीं हो सकता है । वो सुरक्षित से प्रार्थना करने लगी, मदद करूँगा । हम तुम्हारी सब बात मान लेंगे । इन्हें अस्पताल ले चलो तो मैं खुदा का वास्ता । उसने अट्टहास लगाया । मेरे बगल ये मार चुका है हमने फिर भी बादलों की तरह अब्बू के शरीर को झंड छोडती नहीं । कुछ देर बाद जब उन्होंने रोना बंद किया और पत्थर की मूर्ति बनी एक तक लाश को देखने लगी । खलीली बोला तो आप फिक्र मत करो । हम तो मैं एक नई जिंदगी देंगे । इसमें तुम्हारा और इन बच्चों का कोई कसूर नहीं तो हम हमारे साथ आजाद कश्मीर चलो । वहाँ हम सब परिवार की तरह रहते हैं तो छोटा मोटा काम कर सकती हूँ और अच्छी जिंदगी व्यतीत कर सकती हो । अम्मी कुछ नहीं बोली । वो सदमे में थी । कुछ देर बाद खाली अपने लोगों से बोला ले चलो ही नहीं आजाद कश्मीर जैसे ही उसके लोग हम लोगों पर झपटे, अम्मी चीख पडी, कहीं नहीं जाना हमें हमें अपने वतन में ही रहना है । मेरे बच्चे जानवरों की दुनिया में नहीं रहेंगे । अच्छा दम इंसान हो और हम लोग जानवर हूँ । जानवर से भी बदतर वहशी दरिंदे अच्छा खाली । उसे घूरता हुआ बोला भेड तो तुझे अब देखना ही होगा । हमारे अंदर का जानवर है । उसके बाद जो हुआ तो आपने अब्बू को मारते हुए देखने से भी ज्यादा बुरा था । वो खौफनाक दृश्य आज पंद्रह साल बाद ही में नहीं भूल सकती हैं और हरामजादे ने हम लोगों के सामने ही हमारी अम्मी के कपडे तारतार कर दिया और वहीं सबके सामने उनकी अस्मत लूट ली । मीना रोहित न सिलाई शायद वो पत्थर बन चुकी थी । हम दोनों को एक आतंकी ने पकड रखा था । काम दोनों भाई बहन एक दूसरे से लिपटकर रोते रहे । अपनी हवस मिटाने के बाद वह शैतान उठा और बोला तो मैं आराम से अपने वतन में रहा हूँ । आतंकी ने हमें छोड दिया । काम दौड कर अम्मी से लिपट गए । नूर ने अपना जैकेट उतार कर अमरीका तन ढक दिया । फिर वो जैसे पागल हो था । खाली के सामने खडा होकर वो चिल्लाया, खाली मैं तो पहचान से मार दूंगा । सब हंसने लगे पर खाली नहीं हंसा वो नूर की आंखों में देख रहा था । शायद उसने फैसला किया की नोट को खत्म करना ही उसके हित में था । वैसे तो मैं बच्चों पर हाथ नहीं उठा था, वो बोला पर ये परिवार सिरफिरों का है । कहकर उसने अपनी मशीनगन भाई की तरफ तांदी । अपने बच्चे को खतरे में देखकर अम्मी ने जमीन पर पडी एक राइफल उठाई और खाली पर दांती खबर था जो मेरे बच्चे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की । खाली ठीक थक गया । अम्मी के चेहरे से पता लग रहा था कि वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार है । आपने कल फेंक वरना मैं अभी तुझे खत्म कर देंगे । फिर चाहे मेरा ये मेरे बच्चों का जो भी हूँ वो कर जी उसे जुनूनी होते देख खाली नहीं । उसका आदेश मना । नौं रजिया खाली पर से निशाना और नजरे हटाए बिना वो बोलेंगे । तुम दोनों पहुँचा हूँ नहीं हमेशा हम आपको छोडकर नहीं जाएंगे । मैं बिलख बिलख कर रोने लगी । नोश तुम समझता हूँ अपनी बहन को लेकर यहाँ से निकल जाओ वरना हम सब यही खत्म हो जाएंगे । नूर हौसलामंद था पर था तो एक बच्चा अमीर । तुम भी हमारे साथ चलो नहीं तो भाग मैं उन्हें यही रोककर रखूंगी । नूर असमंजस में था ऍम अमित जी की । जल्दी किसी ने भी उन्हें रोकने की कोशिश की तो मैं बेहिचक तुझे मार दूंगी । नूर ने भारी मन से मेरा हाथ पकडा और मुझे खींचते हुए बाहर भागा । अपना ख्याल रखना मेरे बच्चों अलग तुम पर अपना फसल बनाए रखें । अब मैं अब मैं मैं रोती चीज भी रही । पर नूर मुझे लेकर बाहर निकला । हम भागते गए । बीच बीच में पलट कर उस घर की तरफ देखते रहेंगे । कुछ दूर जाने के बाद गोलियों की आवाज सुनाई दी । उन्होंने अम्मी को माल डाला । नूर नूर की आंखों में भी आंसू थे । पर उसके चेहरे पर सख्त भाव थे । अभी हम कुछ नहीं कर सकते । रसिया फिलहाल हमें यहाँ से निकलना होगा । तभी हम अब मम्मी की मौत का बदला ले पाएंगे । जिनकी ने अमर का हाथ बेहद कसकर पकडा हुआ था । अपनी कहानी सुनाते सुनाते उसकी आंखें नम हो गई थी । उस की दर्द भरी कहानी सुनकर जॉन की आंखे भी भराई । अमर ने रिंकी का कंधा थपथपाया । बहुत बहादुर थी तुम्हारी हम में काम भी अपने पेरेंट्स की तरह जहाँ बात हो वो आज होते हैं तो उन्हें तुम पर नाज होता है । फिर आगे क्या हुआ तो और नूर वहाँ से भाग गए । हाँ, कुछ दूरी पर हमें कुछ आर्मी वाले मिले । हमने उन्हें अपनी दास्तान सुनाई । हम लोगों को सुरक्षित वहीं छोड कर उनकी एक टुकडी खाली ले के पीछे गई । पाला की जब तक वो घाटी के उस घर तक पहुंचे वो लोग वहाँ से भाग चुके थे । उसके बाद हम वापस अपने घर आ गए । कुछ दिन वहाँ रहे हैं पर फिर छोडने कुछ सोचा और कहा कि हम लोगों को यहाँ से कहीं दूर चले जाना चाहिए वरना खलीली के आदमी हमें खोजते हुए जरूर वापस आएंगे । एक रात हम बिना किसी को कुछ भी कहे ट्रेन से दिल्ली निकल गई । कुछ दिन वहाँ योगी भटकते हुए गुजारे । फिर किसी एनजीओ वाले ने हम पर ध्यान दिया और हमें एक अनाथालय पहुंचा दिया । वहाँ हम करीब एक साल रहे । फिर नरेश साहनी नाम के बेऔलाद अमीर इंडस्ट्रिल इसने नूर को गोद ले लिया । एक दूसरे से बिछडना बहुत मुश्किल था । पर नूर ने कहा कि खाली से बदला लेने के लिए अपने पैरों पर खडे होना बहुत जरूरी है और उनके साथ चला गया और उसका नाम अब पुनीत साहनी हो गया । वो बराबर मेरे टच में रहा । कुछ महीनों बाद मुझे एक बंगाली फैमिली ने गोद ले लिया और मेरा नाम रजिया से रिंकी सेम हो गया । नूर बहुत खुश हुआ । हम दोनों के परिवार अक्सर मिला कर दे देंगे । पर कुछ समय बाद नूर की फैमिली लखनऊ शिफ्ट हो गई और मैं दिल्ली में अपने नए परिवार के साथ रह गई । ऍम हम अपनी अपनी फैमिली के साथ जीवन व्यतीत करते गए । कॉलेज पूरा करके मैंने जो में भर्ती होने का निश्चय किया । दूसरी तरफ नूर अपना फैमिली बिजनेस संभालने में अपने पिता का साथ देने लगा । गुजरात में भर्ती होने के बाद से नूर और मेरे बीच नियमित संपर्क होने लगा । मुझे खाली से संबंधित जानकारी मिलती रहती थी । मैं उसे नूर के साथ शेयर करती थी । हम दोनों के दिल में बदले । क्या बुरी तरह से भारत में लगी? फिर मुझे ये जानकारी मिली कि आईएसआईएस हमारे देश में कुछ बडा करने का प्लान कर रहा है और अब उसका लीडर खाली बन गया था । आईएसआई उनके साथ शामिल थीं । उनकी कुछ गतिविधियां लखनऊ में शुरू हुई थी । फिर मुझे पता चला कि उन्हें एक अमीर कैंडिडेट की तलाश है जो उन्हें पैसों की और हथियारों को ट्रांसपोर्ट करने में मदद करेंगे । इसके लिए वो मिनाज नाम की मॉर्डल का इस्तेमाल कर रहे थे । मैंने ये बात नूर को बताई तो उसने कहा कि वह खुद को इस जाल में फंसा लेगा । उसने मिनाज के आगे पीछे घूमना शुरू कर दिया और खुद उसके साथ दोस्ती कर ली । इसके जरिए हम यही चाहते थे कि आईएसआई और खाली के प्लान का पर्दाफाश कर सकेंगे । अपने दुश्मन को इतने अरसे बाद अपने सामने देखकर कैसा लगा? अमर ने पूछा जी कर रहा था कि उसके शरीर में इतना बारूद भर दूँ की जरूरत जरा बिखर जाएंगे । पर नूर को भी हक है उसे खत्म करने का । इसलिए किसी तरह खुद को रोक लिया । चलते चलते वो कच्ची सडक पर आ गई थी पर अभी तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था । हमें और तेज चलना होगा जिनकी गति बढाते हुए बोली कमिश्नर और साहनी दोनों पुलिस वर्दी में थे । नौ बजने से कुछ पहले ही वो ट्रांसपोर्ट नगर मेट्रो स्टेशन पहुंच गए । बिना किसी रोकटोक के कमिश्नर वह साहनी स्टेशन की सिक्योरिटी पास कर के अंदर पहुंच गए । मेरा काम हो गया । कमिश्नर धीरे स्वर में साहनी से बोला । साहनी ने हॉल से रहता है । कमिश्नर उसे प्लेटफॉर्म पर छोडकर आगे बढ गया । साहनी उसे जाते हुए देखता रहा । फिर प्लेटफॉर्म पर टहलने लगा । कमिश्नर बाकी पुलिस कर्मियों से मिला और स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान देने लगा । ठीक दस बजे उसे खबर मिली कि मुख्यमंत्री का काफिला बस अब पहुंचने ही वाला है । वो नहीं रिसीव करने बाहर की तरफ चल दिया । उसका दिल जोरों से धडक रहा था । चेहरे पर पसीना आ रहा था । मुख्यमंत्री अपने काफिले के साथ वहां पहुंचे । मुख्यमंत्री के सेक्रेटरी ने कमिश्नर के चेहरे पर परेशानी के भाव भाग ले और पूछा सब ठीक है ना? कमिश्नर कोई परेशानी नहीं सर, सब ठीक है । उसने खुद को संभालते हुए जवाब दिया । सेक्रेटरी को उसके जवाब से पूर्ण रूप से सांत्वना तो नहीं मिली पर फिर किसी और ने उसका ध्यान उस तरफ से खींच लिया । मीडिया का हुजूम मुख्यमंत्री को कवर करने में लगा था । एक पत्रकार कैमरे में देखते हुए बोल रहा था, लखनऊ शहर और उत्तर प्रदेश के लिए आज बडा गौरवशाली दिवस है । देश के सबसे तेजी से कार्यान्वित किए गए मेट्रो प्रोजेक्ट का आज मुख्यमंत्री योगेश उद्घाटन करने जा रहे हैं । मेट्रो ट्रेन ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग रेलवे स्टेशन तक का आठ दशमलव पांच किलोमीटर का सफर तय करेगी । देखते ही देखते मुख्यमंत्री का काफिला स्टेशन के अंदर प्रवेश हुआ । कुछ ही देर में वह नवनिर्मित मेट्रो ट्रेन के बगल में खडे थे । साहनी ने उन की तरफ कदम बढाए और कुछ ही देर में भीड को चीरते हुए मुख्यमंत्री के पास जा खडा हुआ । पुलिस की वर्दी होने के नाते लोगों ने आराम से उसे रास्ता और जगह थी । उसका हाथ पैंट की जेब में सडक गया जहाँ विस्फोटक बेल्ट का ट्रिक था । साहनी का काम था हाथ सख्ती से ट्रिगर पर जम गया और अंगूठा बटन पर पहुंचाने । उसने अपनी आंखें बंद कर लेंगे । उसके मन में अपनी बहन यानि रिंकी उर्फ ऍम । उसके मरने से वह बच जाएगी । वो लोग वादे के पक्के हैं उसे जरूर छोड देंगे । सानी मौत को गले लगाने के लिए तैयार हूँ । उसे पता था ट्रेगर दबाते ही उसके चीथडे उड जाएंगे । उसे पता भी नहीं चलेगा । शायद दर्द महसूस करने का मौका भी ना मिले । इससे आसान मौत और क्या हो सकती है । बच्चा उसने ट्रिगर पर अंगूठा रखा । उसे मन ही मन रिंकी का दिखाई दिया । वो कुछ बोल रही थी और उसे सुनाई नहीं दे रहा था । फिर जैसे अचानक वो चीज ही नहीं बारिश । साहनी को जोरदार झटका लगा और उसने आंखें खोली । उसे लगा कोई उसे खींच लिए जा रहा है । उसने देखा कि जावेद ने उसका गिरेबान पकड रखा था और उसे मुख्यमंत्री से दूर खींच रहा था । अगर मैं जमाना तुम्हारी बहन से उसके कान में बोला, पास खडा एक ऐसी उनके पास आया क्या हो रहा है? जावेद खान सीक्रेट सर्विस जावेद ने जल्दी से परिचय पत्र निकालकर कहा मुझे इंस्पेक्टर को एक केस के सिलसिले में ले जाना पडेगा पर इनकी यहाँ ड्यूटी है । मामला बहुत अर्जेन्ट हो गया । ठीक से ले जाओ । छीनाझपटी क्यों लगा रखी है । कहकर एसपी आगे बढ गया और मंत्रियों पर ध्यान देने लगा । जावेद साहनी को खेलते हुए भीड से दूर ले गया । तुम सच कह रहे हो? साहनी ने पूछा उसका पूरा चेहरा पसीने से तर था था । अभी कुछ ही देर पहले मुझे फोन आया था । रिंकी, अमर और जॉन टेरेरिस्ट की कैसे छूट गए? किधर है वो? मुझसे बात करनी है । ठीक है । कुछ देर में लखनऊ पहुंच गए होंगे । उनके पास वो नहीं है । रास्ते में किसी पीसी उसे कॉल किया था कहकर जावेद उसे घुटने लगा । साहनी उर्फ नूरमोहम्मद चिंता मत करो । साहनी ने सब पकाकर उसे देखा । रिंकी ने सारे राज खोल रहे हैं । जेल में तो मुझे पूरा सच भी बता सकते थे । छुपाने का कारण मेरे लिए यही बेहतर था की मैं खुद को आईएसआई के हाथों में फंसा हुआ दिखाऊँ इतना कि उनके खिलाफ षड्यंत्र रचते हुए तो खाली से बदला लेना चाहते हो । ना तुम खाली से बदला लेना चाहते हो ना वो हम सभी का दुश्मन है तो उसका अंत निश्चित है । मैं उसे अपने हाथों से मारना चाहता हूँ । साहनी अपनी मुट्ठियां तानकर बोला मैं तुम्हारे जज्बात समझ सकता हूँ पर ये धमकी नहीं उसका अंत कैसे भी हो तुम विजेता रहोगे तो मारा बदला पूरा होगा । तभी जावेद का फोन बजा । दूसरी तरफ चीज अभय कुमार था । जावेद जी सर बहुत बडी अमरजेंसी होने वाली है । क्या हुआ भारत युद्ध की स्थिति में है मतलब खलीली ने धमकी जारी की है कि सोहनगढ माइन्स में सेल्फ प्रोपेल्ड ड्रोन पर न्यूक्लियर मिसाइल तैयार बैठे हैं जो कि किसी भी लोकेशन को अपना टारगेट बना सकती है । आ जा रहा है । इसका एंटी मिसाइल सिस्टम भी मुकाबला नहीं कर सकता हूँ । अब एयरफोर्स भी कुछ कर सकती है । हमारी होममिनिस्टर से बात हुई है । प्राइम मिनिस्टर अभी सभी नेताओं के चीफ के साथ मीटिंग में हैं । देखते हैं वह क्या फैसला लेते हैं । साथी लखनऊ शहर में जगह जगह सडकों पर काली वर्दी में आईएसआई के का झंडा लहराती गाडियों में आतंकी बाहर निकल आए हैं और अंधाधुंध गोलियां चला रहे हैं । यानी यानी हमारे देश पर आतंकियों ने जान शर्दी फॅस मुझे लगता है इन का प्लान है शहर को अपने कब्जे में लेने का । धूमने साहनी को तो रोक लिया होगा । ये सब समय नहीं है । कम से कम मुख्यमंत्री तो सुरक्षित हैं । अब मुझे क्या करना है सर, हमारे फोन का इंतजार करो । कहकर अब मैंने फोन काट दिया । फोन हाथों में लिए जावेद साहनी से कुछ बोलने के लिए पालता पर वो अपनी जगह से नदारद था । अमर जॉन वरिंग की एक कार में लिफ्ट लेकर लखनऊ की ओर अग्रसर थे । जावेद ने नूर को रोक लिया होगा ना । रिंकी ने चिंतित होते हुए पूछा यार न्यूज लगाना । अमर ने ड्राइवर से कहा । उसने रेडियो पर न्यूज लगाई । कुछ ही देर में समाचार मिला के मुख्यमंत्री ने मेट को कुछ ही देर में समाचार मिला कि मुख्यमंत्री ने मेट्रो का उद्घाटन कर दिया है । रिंकी ने चैन की सांस ली । तभी रेडियो पर न्यूजरीडर अचानक ही चुप हो गया और एक नया प्रसारण होने लगा । आप सभी को सूचित किया जा रहा है कि अब से कुछ घंटों पहले प्रधानमंत्री ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है । कारण है कि आतंकी गुट आईएसआई के ने देश के अंदर आकर हमला कर दिया है । इस वक्त इस गुटके आतंकी लखनऊ शहर की सडकों पर फायरिंग कर रहे हैं । साथ ही कई सालों से बंद पडी सोहनगढ माइन्स में इनके भारी तादाद में छिपे होने का समाचार है । इन लोगों के पास न्यूक्लियर मिसाइल भी है जिसका इस्तेमाल करने की धमकी दी गयी है । सभी नागरिकों को ये आगाह किया जाता है कि अपने घरों से बाहर न निकलें । अगर बाहर है तो जल्द से जल्द अपने अपने घरों में लौट जाएगा । अगर कोई ऑफिस में है तो वहीं रुक जाए । सडक पर बाहर आना खतरे से खाली नहीं है । आर्मी वायर फोर्स अपना ऑपरेशन चालू करने वाली है । धन्यवाद कार में सभी स्तब्ध से बैठे रह गए । कुछ पल तक किसी के मुँह से कोई बोल नहीं भूटान तो ये था खाली का मिशन आखिरकार अमर ने कहा वो लोग सोच में पड गए तभी सामने से एक काली ऐसी हुई तूफान की तरह भागती हुई नजर आई । उसके बगल से निकलते ही रिंकी चीज होती है तो आप ड्राइवर ने घबराकर ब्रेक लगा नहीं क्या हुआ? जॉन ने पूछा उसका कोन्नूर चला रहा था क्या? अमर चौका ही? शोर हाँ वो जरूर माइन्स की तरफ जा रहा है । खाली जी से बदला लेने, खाली से बदला लेने । हाँ, मुझे भी उधर जाना है । वोट तो पागल हो गई हूँ । जॉन बोला अभी तो हम मौत के मुंह से निकले हैं और अब तो युद्ध की स्थिति है । एयरफोर्स कभी भी माइंड पर हमला कर देगी । जब तक उनके पास न्यूक्लियर मिसाइल है, वही कदम नहीं उठाएंगे । पर रिंकी अमर बोला मैं जानती हूँ गलत होगा । खुद मेरा चीफ इसकी इजाजत नहीं देगा । मैं तुम लोगों की जान खतरे में नहीं डालना चाहती । बस मुझे गाडी चाहिए उस तरफ जाने की नहीं । रिंकी मैं तो मैं सुसाइड मिशन पर नहीं जाने दूंगा । अमर मेरे जीवन का मकसद है फॅमिली की तबाही । वो होने ही वाला है । इतना आसान नहीं है तो फिर भी हुआ तो भाग निकलेगा । मैंने रात में रहकर पांच साल सिर्फ उसके पीछे निकले तो गायब हो गया तो दोबारा मिलने की कोई गारंटी नहीं है । पर रिंकी अगर तुम मेरी मदद नहीं करना चाहते तो से ही मुझे उतरने दो तो नहीं जा सकती । मैं कल ऑफिसर हूँ तो मेरे मिशन में इंटरफेयर नहीं कर सकते हैं । रिंकी मैं तुम्हारे साथ हूँ । जॉन ये गाडी हमारे भी छोड दो । तुम दोनों यहां से लिफ्ट लेकर निकल जाना । मेरे ऍम तो क्या मुझे कायर समझता है? नहीं मेरी जान पर नरेश ने हमारी मदद की है । हमारा फर्ज है कि उसे सकुशल उसके घर पहुंचाया जाए । नरेश ने सहमती में सिर हिलाया वो डरा हुआ था । मेरे दो बच्चे है जनाब आप बस एक बार मुझे घर पहुंचा दो और मेरी जान तो मैं जावेद के साथ बाहर से हमारी मदद करनी होगी और तुम्हारे पास तो फोन भी नहीं है । अरे भाई साहब मेरा फोन किस दिन काम आएगा? नरेश अपना फोन उनकी तरफ बढाते हुए बोला इस बहाने मुझे भी देश की सेवा करने का मौका मिल जाएगा । अमर ने फोन ले लिया । फिर जॉन और नरेश कार से उतर गए । अमर ने ड्राइविंग संभाली जिनकी बाजू में बैठ गई । अमर ने गाडी वापस घुमाई और वो दोनों एक बार फिर सोहनगढ माइन्स की तरफ चल रही है । जावेद साहनी को ढूंढता हुआ मेट्रो स्टेशन से बाहर निकला । बाहर आते ही उसे एक ऐसी भी तेजी से भर्ती हुई नजर आई । उसे साहनी चला रहा था । जावेद अभी उसे जाते हुए देख अपने अगले कदम के बारे में सोच रहा था कि उसके पास एक पुलिस जी तेजी से आकर होगी । जी एक कांस्टेबल चला रहा था । उसके बगल में इंस्पेक्टर हेमंत बैठा था । जावेद को देखकर वह चलाया हूँ । जावेद अख्तर जावेद जीत के पास पहुंचा कैसे हैं जावे? किसी का इंतजार कर रहे थे क्या नहीं । जावेद अभी भी सोच में डूबा हुआ था । फिर वो बोला अगर तुम पुलिस चौकी जा रहे हो तो क्या मुझे साहनी के घर तक छोड सकते हो? बिलकुल छोड सकते हैं । बैठे हैं । जावेद जीतने पीछे सवार हो गया । कांस्टेबल ने जीत आगे बढा दी । कुछ देर बाद हेमंत बोला काफी गहरी सोच में मालूम पड रहे हैं । लगता है तुमने न्यूज नहीं सुनी । आईएसआई के की सुनी फिर भी इत्मीनान से हो । मुझे पता है वो कुछ नहीं कर पाएंगे । कुछ ही देर में उन पर एयरफोर्स व आर्मी काबू पालेंगे । गैर मुझे नहीं लगता । अब उस बात को लेकर गहरी सोच में है । कोई और रहे से आपको उलझाए हुए हैं । और इसीलिए आप साहनी के घर जा रहे हैं । जावेद चुप रहा । फिर धीरे से बोला । उसका असली नाम नूरमोहम्मद है । हेमंत ने चौकर उसकी तरफ देखा । वो कश्मीर में पैदा हुआ और उसके माँ बाप को खाली ने मार दिया था । वो खाली से बदला लेने की फिराक में जानबूझकर खुद को आईएसआई के हाथों फंसाता चला गया था । क्या बात कर रहे हैं? फिर तो वो खुद आतंकवादी बन गया होगा । इस खुलासे के बाद मेरे दिमाग में कई सवाल पैदा हो गए । इसीलिए साहनी के घर जाकर शिनाख्त करना चाहता हूँ । इसीलिए साहनी के घर जाकर शिनाख्त करना चाहता हूँ । फिर तो मैं भी आप के साथ जाऊंगा । आखिर इस केस पर मैंने भी काम किया है । सबूतों के तौर पर आपको जेल भी भिजवाया । ये जानते हुए भी कि आप बेगुनाह तो मानते हो । मैं बेगुनाह हूं बिलकुल सर । अब आपने सहानी के बारे में जो खुलासा किया है उससे तो मुझे यही समझ में आ रहा है कि इस पूरे माया जाल में उसी ने आपको बताया था था । पर आईएसआई के आदेश पर ऐसा उसका कहना है नहीं और आपको शायद यह संशय है कि ये सच है कि नहीं । जावेद ने हामी भरी मुझे भी शक हो रहा है । चलिए देखते हैं । कुछ देर में वह साहनी के बंगले पर थे । सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें रोकने की कोशिश की, पर पुलिसिया और जासूसी रॉक दिखाते हुए हेमंत और जावेद ने उनकी एक नहीं चलने दी । वो दोनों बंगले के अंदर बैठक में पहुंचेगी । पहले उन्होंने बैठक की तलाशी ली, फिर दूसरी मंजिल पर सभी कमरों की फिर वापस नीचे बैठक में आ गए । सानी आईएसआई का साथ दे रहा था तो कहीं तो इस बात का सबूत मिलेगा । हेमंत बोला कुछ विशेष उपकरण जावे । ध्यान से चारों तरफ देख रहा था । मेरे ख्याल से हिमन्त ने कहना चाहा । पर जावेद ने उसे चुप रहने का इशारा किया । ऐसा लग रहा था जावेद कुछ सुनने की कोशिश कर रहा था । सुनाई दिया । उसने पूछा क्या? हेमंत उलझन भरे स्वर में बोला । ठीक ठीक घडी की आवाज पर इधर तो कोई घडी नहीं दिखाई दे रही है । वही तो जब घडी नहीं है तो आवाज कहाँ से आ रही है । मुझे तो अभी भी कोई आवाज नहीं आ रही है । ध्यान से सुनो कहते हुए जावे । बैठक की एक दीवार के पास आ गया और उससे कम हटा दिया । फिर उसने हेमंत को भी वैसा करने का इशारा किया । हेमंत नहीं कान लगाया और बोला पर हाँ आवाज आ रही है तो क्या घडी दीवार के अंदर दीवार के आरपार घडी की आवाज बडा कैसे आ सकती है? आ सकते हैं अगर दीवार मोटे कंक्रीट की जगह पतली लकडी की होगी जावे । दीवार को ठोकते हुए बोला । हेमंत ने पाया जावेद सही बोल रहा था । दीवार लकडी की थी । हाँ कहकर जावेद दीवार के पीछे वाले कमरे की तरफ पड गया । हेमंत भी उसके पीछे पहुंचा । दूसरी तरफ एक छोटा सा कमरा था पर इधर तो कोई खडी दिखाई नहीं दे रही है । हेमंत ने कहा जावेद कमरे से निकलकर वापस बैठक में झांकने लगा और फिर कमरे में आया । फिर ध्यान से कमरे और बैठक के बीच की दीवार को देखने लगा । इस कमरे की दीवार लगभग पांच फिट मोदी है । भला इतनी मोटी दीवार कैसे हो सकती है । लेकिन दीवार होती तो भले ही एक बार मान लेगा । हेमंत ने भी देखा और फिर स्वीकृति में बोला तो आप ठीक रहे । जावेद कमरे के अंदर आएगा । उस दीवार पर वो वार्ड बनाते । उसने उसे खोला । उसके अंदर खूब टटोला । फिर पाया कि वह रोप के अंदर का खर्चा तो दरवाजे की तरह खुल गया जिसके अंदर अंधेरा था । फिर पाया की वॉडरोब के अंदर का खर्चा तो दरवाजे की तरह खुल गया जिसके अंदर अंधेरा था पर आराम से अंदर जाया जा सकता था । जावेद ने टॉर्च निकली और उस गुप्त स्थान में रोशनी डालते हुए अन्दर प्रविष्ट हो गया । हेमंत ने भी उसका अनुसरण किया । अब वह एक आठ चार फुट के गुप्त कमरे में थे । जावेद को दीवार पर एक स्विच दिखाई दिया । उसने बटन दबाया तो वहाँ ट्यूबलाइट का प्रकाश फैल गया । वहाँ कोने में एक एंटी घडी रखी थी और उसके बगल में रखा था एक रिमोट जैसा डिवाइस । जावेद ने वो रिमोट उठाया और उस पर लगा ऑन ऑफ बटन दबाया । बटन दबाते ही घडी रुक गई । उसने फिर बटन दबाया । घडी चल पडते हैं । उसने फिर बटन दबाया, घडी चल पडी । तो ये था घडी के रुकने का राज । हेमंत गहरी सांस छोडते हुए बोला । फिर कोने में पडे लम्बे से बैग को खोला गया और उसमें उन्हें एक से एक हथियार मिले । कमरे से उन्हें एक मोबाइल फोन और कई सिम कार्ड भी हासिल हुए हैं । कुछ ऐसे ही हथियार तो आपके घर से बरामद हुए थे । हेमंत बोल सही फसाया आपको सर मुझे तो ये सारा इंतजाम देख के लग रहा है वो वाकई आतंकवादी था । जावेद के चेहरे पर सख्त भाव मैंने बताया नहीं । पर दरअसल आज सानी मेट्रो उद्घाटन में मानव बम बनकर आए । क्या? हेमंत पूरी तरह से चौका? हाँ, मैं अब तक इसे उसकी मजबूरी समझ रहा था । अपनी बहन की जान बचाने के लिए । उसकी बहन भी है । हाँ, उसकी बहन रॉ ऑफिसर है और ये दोनों खाली से बदला ले रहे हैं । हो उसकी बहन एक लॉ ऑफिसर हैं ये तो कमाल की बात है । पर फिर भी सर कोई आम आदमी ऐसी धमकी के बावजूद एक ही दिन में मानव बम बनने के लिए राजी नहीं हो जाता है । पर अगर वह कई सालों से इस मिशन पर काम कर रहा था तो वो आम आदमी कहाँ हूँ? यकीनन वो ऐसे हालातों के लिए मानसिक तौर से तैयार होगा । आखिर खली जैसे आतंकवादी से बदला लेना चाहता था । मुझे समझ नहीं आ रहा आप उसके फीवर में है या नहीं । मुझे नहीं पता है ये बात तो तय है कि उसने यह सारी साजिश रचने में आईएस आए और खाली का साथ दिया है । पर ये सब उसने उससे बदला लेने के लिए ही क्या अभी भी गारंटी के साथ नहीं कहा जा सकता है तो मानव बम तो वो बना पर आपने उसे फटने नहीं दिया । जाहिर है फिर वो अभी कहा । वो मेट्रो स्टेशन से गायब हो गया । वो मेट्रो स्टेशन से गायब हो गया । उस वक्त ना उसे ढूंढते हुए बाहरी आया था । अच्छा तो फिलहाल क्या करना है? मुझे लगता है वो सोहनगढ गया है खाली ले के पास । हाँ, अगर वह वाकई खाली से बदला लेना चाहता है या उसका साथ ही है तो भी मैं चलता हूँ । पर वहाँ तो अब आर्मी और एयरफोर्स हमला करने वाली होगी । हाँ और अगर साहनी निर्दोष है तो मुझे उसकी मदद करनी होगी । निर्दोष तो वो कैसे भी नहीं है । भले ही उसने अपना पर्सनल बदला लेना चाहता, पर इसके लिए उसने आपके यानी एक सरकारी अफसर के खिलाफ साजिश में साथ दिया और उस मॉर्डल का मर्डर में क्या है? मैं ऑर्डर के बारे में तो मुझे नहीं लगता । मेरी माने तो सारा जाल साहनी का ही बिछाया हुआ है । मास्टरमाइंड तो पोलित साहनी पहले शादी ढंग से आपको फंसाकर जेल पहुंचाया और फिर जब खुद पैसा तो उतनी ही चालाकी से बाहर भी आ गया । अरे सर, मिनाज का फोन इसी ने किया होगा इसलिए बेड करे पर जो वहाँ मिला था उस पर इसके फिंगरप्रिंट मिले थे । ये उसे गलती से उधर फेंका आया था । आपके जॉनसर कुछ चौकीदार को पकडकर लाए थे जिसने गवाही दी थी कि साहनी मिनाज की मौत की रात उसके फ्लैट में था । बाकी रही पोलोनियम की कहानी तो वह सिर्फ कहानी ही होगी जो अपना पक्ष दमदार बनाने के लिए इस ने बनाई होगी । ऐसा कैसे हो सकता है? क्यों नहीं हो सकता है आप बताइए आपको क्या पोलोनियम या उसके सहानी के पास कभी होने का कोई सबूत मिला? जावेद ने सोचते हुए कहा नहीं उसके घर में नहीं है ना मिनाज के ब्लड के सैंपल में मिलेगा वो तो दो साल बाद ब्लड मेट्रेस करना वैसे ही मुश्किल है । बस हेमंत ने चुटकी बजाएंगी इसी बात का तो फायदा उठाया उसने आज की तारीख में चाहकर भी तो आप उसे वेरीफाई नहीं कर सकते इसलिए उसने आसानी से ये कहानी गजाली । जो भी हो मैं सोहनगढ जा रहा हूँ । कमरे से बाहर निकलते हुए जावेद बोला तुम बंगला सील कराकर आगे की कार्रवाई करूँ । तुम बंगला सील करवाकर आगे की कार्यवाही करूँ ऍम जावेद बिना कोई जवाब दिए बाहर की तरफ बढ गया । साहनी ने कार्माइन से काफी पहले रोगी । फिर उसने फोन उठाया और किसी को वह सब कॉल की । मैं उसके पास पहुंच गया हूँ । साहनी बोला फिर कुछ देर दूसरी तरफ से बोलने वाले को सुनता रहा । ठीक है । उसने अंत में कहा । फिर फोन एक तरफ रखकर गाडी से उतरा और पीछे का दरवाजा खोलकर एक बैग उठाया । उसमें काली वर्दी थी । उसने अपनी पुलिस की वर्दी उतारी और काली वर्दी । पहले अंदर विस्फोटक बेल्ट । वो अब भी पहने हुए था । अंत में उसने चेहरे पर नकली दाढी मूंछ लगाई और फिर काला नकाब चढा लिया । अब सिर्फ उसकी आंखें दिखाई दे रही थी । फिर सानी ने डिक्की खोली और एक लंबे से बैठे हुए उसमें तरह तरह के हथियार था । उसने कई हथगोले अपनी पोशाक में उपयुक्त जगह छिपा ली । फिर उसने कुछ पिस्टल जेब में रखी । अंततः एक मशीनगन उठाई और कंधे पर तंग । फिर वो तेजी से माइन्स की तरफ बढ गया । माइनस के मुख के पास उसे तीन वर्दीधारी दिखाई जिनमें से एक इंटरपोल वाला था । उसने आगे बढकर साहनी की पोशाक में छपा एक नंबर पढते हुए पूछा लडाकू नंबर तीन सौ चार जी हाँ, अंदर चलो और रिपोर्ट तो जी
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