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भाग तेरह तू मैडम घूमर गाने पर नाच रही सजीधजी आज बहुत सुन्दर लग रही है लेकिन उनकी सुंदरता से भी ज्यादा उनका दे रही है अभी बस घर पर घूमर के बाद मैडम ने गोपाल से तीन चार गाने ओवर बजवाएंगे । उनके हर बार गोपाल के पास आने पर बस कुर्की धडकनों की रफ्तार तेजी से बढती । फिर उनके डांस और उनके सुंदरता को देखकर काम भी हो जाती । बरात शादी वाले गार्डन तक पहुंचती है । सब लोग अंदर जाते हैं । बैंडवाले बजाना बंद कर चुके हैं । मकुर बैंड की गाडी के पीछे छिपा खडा है । अब तू सेट गाडी पलटाकर सबको वापस चलने का बोलते हैं । फिर आप सब लोग खाना खाकर चाहिए । लडकी के बाप ने पप्पू सेट कौन रोकते हुए बोला है जी जी जी बिल्कुल, तब तो उसे जवाब देता है । वैसे भी सीधे खरीदा जाना है तो चलो खाना ही खा लेते हैं । अब तू खड्डा सब की ओर देखते हुए बोला तो घर पर मना कर दीजिए । सेंड थी भरना भावी जी का खाना बेकार जाएगा । गोपाल ने पप्पू कडवा को सलाह देते हुए कहा अरे भी खा लेंगे । पहलवानी ऐसे थोडी करते हैं खाने में कभी मना नहीं करना । मेरे गुरु उस्ताद हीरा यादव जी की पहली शिक्षा थी तब तू कडवा जो बैंड के अलावा समय निकालकर कुश्तियां लडा करते हैं । अपनी उस क्षेत्र का अनुभव बताने लगे । चलो चलो फिर चलते है अंदर गोपाल ने सब की ओर देखते हुए कहा बताओ जो भी कुछ मिनट पहले खुद को मैं सूज मनाने में लगा था । ये सुनते ही उसके चेहरे का रंग पूरी तरह उड जाता है । बिहार मैं नहीं जा सकता । नकुर जाते हुए गोपाल को रोककर कहता है खाते तो मुझे तो जरूर चलना चाहिए । तेरी में मोटी मैडम भी तो आई हैं जो हमें समोसा खाते हुए देखी थी । क्या नाचते है और और आज तो कमाल की सुंदर लग रही है । चल डरता क्या है मैं तुझे नहीं देखेगी तो वही उसे देखना दूर से और फिर भी डर लगे तो गुरु जी का गाना याद कर लेना डर दोनों जाएगा कौनसा जिंदगी एक सफर है सुहाना । जिंदगी एक सफर है सुहाना । यहाँ कल क्या हो किसने जाना? गोपाल घाटे घाटे बखपुर को अंदर खींच कर ले जाता है । सब घूमते फिरते खाना खा रहे हैं । बकुल धरती डरते खा रहा है । उसने अपना पूरा ध्यान ऋतु मैडम पर रखा हुआ है जो के ठीक दूल्हा दुल्हन के स्टेज के सामने बैठी है और तभी उसकी स्टेज के ऊपर नजर जाती है । वह देखता है कि दूल्हा दुल्हन को एक शख्स आशीर्वाद दे रहा है, वो ही तो मेरे पापा है ना । गोपाल भी जो साथ में खडा है देखते हुए बोलता है हूँ । लडखडाते शब्दों के साथ अचानक बकर के कान के पास से पसीना बहने लगता है । जैसे पैरों के नीचे से जमीन खिसकने लगती है । हाथों में पकडी खाने की थाली नीचे गिर जाती है । चल जल्दी से फॅमिली ते पर चलने को बोलते हैं । गोपाल नहीं बोला दोनों गार्डन में खाना खाया है लोगों में सेठ जी को ढूंढने लगते हैं, थे जी मिलते हैं और उनका खाना खत्म होते ही जल्दी से निकलने लगते हैं । तभी बकौल देखता है कि गेट पर दुल्हन के माँ बाप के साथ जगत नारायण भी खडे हैं और मैं दुल्हन के पिता जी के साथ बाते कर रहे हैं । बकौल और गोपाल रुक जाते हैं । अरे चलो रुक क्यों गए? अभी तो बोल रहे थे । जल्दी जाना है तब तू गडवानी गोपाल और बडकुर को रुकता देखकर कहा ऍम हो कर आ जाऊँ । भोपाल ने बातों को घुमाते हुए कहा और बाथरूम के लिए जाता हैं । उधर दुल्हन के पिता जी और जगत नारायण बातें करते करते वहीं लगी कुर्सी पर बैठ जाते हैं । गोपाल बाथरूम होकर आता है और अब उन्हें कुर्सी पर बैठा देख और आश्चर्यचकित हो जाता है । चलो अब चले तब तो कडवा गोपाल के आ जाने पर बोलता है सेठ जी मैं भी हूँ बस दो मिनट में अब की बार बकौल डर के मारे जाता है । ठाकुर जब बाथरूम होकर आते हैं तो देख कर और ज्यादा आश्चर्यचकित हो जाता है ऋतु मैडम के साथ । उनके पापा की उम्र के एक व्यक्ति जगत नरायन और दुलहन के पापा वापस में बातें कर रहे हैं । जगत नारायण और ऋतु मैडम के साथ वाले व्यक्ति एक दूसरे को समझाने की कोशिश कर रहे हैं और फिर से हाथ जोडकर गार्डन से बाहर जाने लगते हैं तो मैडम जगत नारायण के और दुल्हन के पिता जी के पैर छूकर चली जाती है और जगह नारायण फिर से कुर्सी पर बैठ जाते हैं । बातें करने अरे वाह चल, अब तब तू कटवाने अबकी बार थोडे गुस्से में कहा यार तम साठ आॅड वाले हैं तो एक साथ चलेंगे सब एक ही कपडे में तो थोडा चिप के चलना हमारा सहारा लेकर तो तेरे पापा नहीं पहचानेंगे, थोडी सी मत कर ले वरना पता नहीं तेरे पापा कब उठेंगे । वहाँ से गोपाल लीजिये है । बक्कड को कहा हाँ जी नहीं बचने वाला मधुर ने कहाँ पे शरीर से? गोपाल ने कहा चलो कितनी देर में पप्पू करेगा और सात के बैंड वालों ने आगे बढना शुरू कर दिया । बकौल भी फौरन सहती समूह में सबसे कोने में और थोडा छिपकर चलना शुरू करता है । गेट पर पहुंचते ही लडकी के पिता जी हाँ जोडते हैं । ठनक है आप लोगों ने । लडकी के पिता जी ने पूछा हाँ तो तू कडवा ने चलते चलते हाथ जोडते हुए कहा । और चलते चलते गेट से थोडी दूर आई थी कि समूह ने चल रहे गोपाल और ब करने एक साथ पलटते हुए देखा तो जगह नारायनी लोगों की ओर देख रहे थे । दोनों घर रहा कि फौरन गर्दन पकडते हैं वो जगह नारायण ने इन्हें रोकने के लिए आवाज लगाई । बहुत और गोपाल ने अनदेखा किया और फौरन बाहर आए बिहार देख लिया था पानी ठाकुर के चेहरे के परेशानी अचानक दोगुनी हो गई । कप्पू कडवा से गोपाल नहीं फौरन गाडी चलाने को कहा । ये बोल कर की अब उसका बहुत जोर से प्रेशर बन रहा है । पप्पू कडवा भी जल्दी से गाडी चालू करता है और सब निकल जाते हैं ।
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