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Part 13 in Hindi

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AuthorRashmi Sharma
आँख मिचौनी writer: रमेश गुप्त Voiceover Artist : Rashmi Sharma Author : Vishwa Books
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प्रेम नारी असहाय से वहाँ खडी थी मुझे तक की नहीं उसके मुख पर कोई भाव था जाॅन ऍम शेखर भाई नहीं छुट्टी थोडी तो बोली अन्दर आवाज नहीं था । अनीता भाग्य हो गई । मैंने खडे होकर उनका अभिवादन करनी है । आप नहीं मेरे अभिवादन का उत्तर देने की जरूरत ही नहीं । आप समझे ना इससे परिचय करती हूँ । शेखर खाएँ अतीक आरॅन को छोडने की कोशिश कर रहे थे शायद हाँ एक दूसरे से परिचय नहीं । अनीता भाभी के होठों पर एक विद्रुप सी उसका नाम कराई । फिर उन्होंने अपना शांतिधारा उसे तहत करके कुर्सी पर लगता है हम लोग का मिले शेखर खाई नहीं चेहरे से भर कर पूछता हूँ यहीं से पूछ लेना पैसे हर क्या? तो गिरिजा घर के बाहर भी सीमेंट की बेंच पर आज शाम को ये अनीता भाभी ही बैठी थी । मैं शेखर ढाई को क्या पता था ऍम तो दोनों की मुलाकात कहाँ हूँ इससे पूर्व की मैं कुछ कहने का साहस जुटा था हूँ हूँ हूँ हूँ यही है राजभाषा है वहाँ । पर एक तरफ तुम कह रही थी की तो मैं किससे को जानती हूँ । अभी पूछ रही हूँ आखिर की चक्कर क्या हैं? शेखर पानी पूरी तरह हो तो यही महाशय जो घर से बिना कुछ कहे सुने भाग करे हुए । अनीता भावी नहीं फॅमिली का एक बात में भी होना चाहिए । सुबह शेखर भाई को तो कुछ पता नहीं था । फिर अनीता भाभी को कैसे पता चलेगा कि वे घर से भागकर नहीं निकाल आया हूँ । तो वहीं कैसे पता चला की वो दिल्ली से बात कराया है । शेखर भाई नहीं अनीता भावी से आश्चर्य पहुँच पूछता हूँ दो तीन दिन पहले दिल्ली से अंकल का फोन आया था । मैं आपसे कहना भूल गयी हूँ । ये बातें अनीता भावी शेखर भाई को कुछ नहीं बताती हूँ । उधर शेखर भाई ने भी शायद उनको मेरी सुबह आने के विषय में कुछ नहीं बताया । ऐसा कुछ तो दोनों के बीच कोई अदृश्य दीवार खडी हो गई । क्या इसीलिए पानी का ही मन था की नहीं की तरह वो सीमेंट के भी कुछ नहीं नहीं नहीं । अनीता भाभी कुर्सी पर बैठा हूँ । मैं अभी तक सकपकाया सकता था । शेखर भाई प्रतिक्रिया ही कर लेती हूँ । कभी नहीं है और पानी से भरे तीन क्लास में इस तरह का ही नहीं । अनीता भाभी ने कर्कश स्वर में नौकरानी को डांटते हुए कहा, और तुझे क्या हो गया है? रामबिहारी क्योंकि मालकिन किसी कितनी बार कहा है कि मुझे माल की मत कहा करो, फॅमिली से खडे हो अनीता भाबी फिर होगी क्या? सिर्फ पानी पिलाकर ये जानना चाहती है तो ऍम साहब नहीं बात मैंने कितनी बार कहा है तो उससे मुझे मेनसाह मत बनाकर तो फिर क्या क्या करते हो राम तैयारी के स्वर्वेद झल्लाहट उपर आएगी मुझे किसी संबोधन की जरूरत नहीं हम कैरी करने को हुई तो अनीता पहाडी फिर घर के पूरा चलदी महरानी हुकुम कीजिए ना क्या कॉफी पीने के लिए हर शाम तक से प्रार्थना कभी बडी आपने समझी थी पार्टी से आ रही है तेरे घर से तो ये लोग भी पार्टी से आ रही है । उन लोगों के लिए तो मेरे कॉफी का पानी पहले ही उपाय दिया है । आपकी भी लेकर आती है मुझे नेता वहाँ की की उनके दर्शन मुझे भी एक छोटी सी बहुत हूँ । इतना बडा अफसाना बनाया जा सकता । शेखर महीने ऍम और एक ही सांसद से खाली करती हैं उन की हर क्रिया में एक अतिरिक्त संस्थान । शायद नीता भाभी स्तंभित सी थी हमी लालिमा घटेगी और छोडे के ऊपर उभरे ढीले पान शायद एक नहीं कई कहती थी हूँ नहीं उत्तेजित कर रखा था पिछली राम तैयारी का पत्र हूँ । उसकी मीडिया आकस्मिक उपस्थि तीसरी शेखर भाई के वोटों पर । रुपये एक जीन्स जैसे उस क्षण में चारों तरफ पवित्र ऐसी शांति, अनीता भाभी की निगाहें और मुझ पर आकर केंद्रित हो गई । भरी पहली निगाहों में मुझे एक ही ना उसी समय हुई नहीं होनी चाहिए । फिर अचानक मुझे ऐसा हुआ । जैसी में श्रीलंका अच्छी नहीं । अनीता भाभी उसका प्रतीक बन गया है । शेखर भाई थे । अनीता भागे की उसी के पीछे आकर खडे हो गए । तिरुपति । धीरे धीरे उनके कानून को सीखना पिछले का शांति की यह है । दोनों के ऊपर तामसिक होगी । उनके जीवन में फॅार खा पडता समझते हो जाएंगे । तब मैं काम था । अनायास अनीता भाभी के आंखों में कुछ ऐसे भाव हो गई । शेखर ही इसमें प्रदर्शन का क्या नहीं? फिर मैं खुली खिडकी की पांच देखती हुई थी । के स्वर्ण बोली मैं जानती हूँ ये उपहार नहीं, इस सबका कोई नहीं । मुझे सब की कोई जरूरत नहीं है था कि आखिर पांच क्या एक कुछ नहीं । मैं तो सिर्फ इतना चाहती हूँ कि दोषी या कमजोर को भी नहीं उपहार देना चाहिए । तो मान्यता उन की बात है । भाई पर राज किसी को भी उसके गुण के कारण प्रेम करना कोई मायने नहीं रखता । नहीं उस पर कोई ऐसा नहीं । मैंने कहा ना कि मान्यताओं की बात है । भाभी जी इस बार अनीता भाभी उखड गया । तीखे स्वर में बोली कौन सी मान्यताएं दुनिया को न्याय के लिए, स्वतंत्रता को, प्रेम के लिए, विश्वास को, बाधिता के लिए, स्वार्थ को, गुंडों के लिए, मूल्यों को, आवश्यकताओं के लिए खुशी को कर्तव्य के लिए इसने हैं और सहानुभूति को रूढीवादी परंपराओं के लिए यहाँ की मान्यता मेरा रूम रूम नहीं, रोशनी से प्रकाशित होगी । फॅमिली तो वहाँ भी दोषी कमजोर हो गया । नहीं । तीन । चखती लेकिन शेखर खाई क्या वही अनीता भाभी को प्रेम देने में समझ थी । अनीता भाभी का ये तू एक बहुत ठीक नहीं मानी से भरा रहस्यमय तर्क नहीं । पति प्रेम से वंचित एक नारी का बचाव पक्ष यह स्पष्ट व्यंग्य नहीं । स्पष्ट रूप से प्रेम के लिए दावा राम कैरी कॉफी खाली कॉफी देख करनी तक हाथ नहीं । आंखें शरीर उकताकर पूरी कृषिक कपट लाएगी । खुद ही खाली ऍम थोडी देर में ही खाना लेना है । खाली कॉफी चलेगी । राम कैरी संतुष्ट ही चली गई । मोहन के आवरण मिले थे । हम तीन कॉफी पीते रहे, काफी खत्म हो गए । एक लंबा पहुंचाया स्पीच शेखर खाई, एक रंगीन पत्रिका के करनी बोलते हैं । अनीता भाभी कोई कोई सिर्फ तिरपालों को सहलाती रही नहीं । चक्रव्यू में घुस तो गया था कश्मीर चलने का रास्ता नहीं खोज पा रहा हूँ । अनीता हूँ उठकर देखो खाना बना या नहीं? अनीता भाभी चुपचाप थी ही करनी चाहिए । आती जाती उनकी नहीं ही फर्ज । पर किसी टिकिंग अच्छा उनके लिए शेखर भाई चुकी । फिर एक डी र्थन िश्मा छोडकर पूल की तरह । अनीता आपने आपने कैसी अजनबी बन गई? यही अनीता है जिससे क्रीम की जगह एक ठंडी तटस् तथा मिलती है । जो भी देती हूँ नहीं मिलता है । शेखर ऍम नहीं नहीं अंदर ही अंदर कितना चटक क्या नेता के अंदर एक ऐसे साथ ही कल समय की जो अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए साथ साथ जूझती चलते हैं और असफल होने पर निराश नहीं होती हूँ । शेखर भाई पर उस सब का स्त्रोत कहाँ है? धन्यता मानी तो इसके लिए दोषी ऍम खाना लग गया है । ऍम तो नहीं थी कॅश खाना शुरू करने से पहले मुझे महसूस जैसे मैंने जिंदगी की हर वास्तविकता था नहीं होती । फॅमिली फॅमिली चाहता हूँ । अनीता भाभी पार पार हो ठीक हैं । विचार मंत्री करें । समझता है जैसी उस वक्त में पी किसी मृत मित्र से बात करेंगे हूँ तो उन तीनो बाहर नान्यांग नहीं नहीं । शेखर भाई ने स्वीकृति सुलखनी घुमती और सीधे सीधे आंगन में घूमते हुए मैंने सोचा शेखर था यार अनीता भाग तो हिन्दू है जिनकी नगर से फॅमिली फॅमिली मैं तीनों की सिर्फ नहीं हूँ । शायद महीने के अंदर सांस का मान मेरी करें । फॅमिली संतोष कमा नहीं थी । क्या इन दोनों की असंतुष्टि का बात हैं? समझौते की भावना कर रहा हूँ । ठीक है भाई थोडा नंगडा सीरीज है तो चाहती थी कि नेताओं नहीं समझा तो थी नहीं जाने किस मुॅह तो हम दोनों की तीन पीछे हूँ । आखिरी कब तक चलेगा बिना सोचे विचारे में नहीं । क्या अभी ठीक है? क्या आप लोगों की यही इच्छा है कि आप असफल रही? क्या कह रही हूँ? मैं कुछ नहीं मालूम । तुम नहीं तृप्ति होगा होता तब तुम्हें पता चलता कि वहाँ भी लगभग निचुड होगी । तब मैं सोची नहीं । अच्छा नहीं तो ऍम हुआ हूँ । तीनों को अस्थायी रूप से खोया है । मम्मी को परपुरुष की बहुत घूमी हूँ । मंदाकिनी जी की अधूरी कटी फटी जिंदगी के तहत हूँ पीछे खडी अभी अदृश्य दीवार से सिर तक किसी की सिर्फ खाता हूँ मैं भी मैं स्वाॅट वहाँ मैंने बहुत कुछ होता है कभी नहीं सीखी बहुत बडी खुशी के लिए छोटी छोटी खुशियों की आहुति देना आत्मन् होंगे वापस करेंगे थोडा पीछे आपकी जिंदगी का ये है की नोना ठहरा आप दोनों को लिए बैठेगा जिंदगी की नींद । प्रतियोगिता पर नहीं समझाती पट्टी अकेलापन अपने आप में शून्य पीर जिंदगी का एक अनिवार्य ही शेखर भाई अनीता भाभी के होते । मुझे अंधेरी की पृष्ठभूमि में चमक थी । शेखर भाई के चीखने की पीली रूकी किसानों पाॅलिसी चमत् स्पष्ट नहीं अगले क्षणों का फॅमिली ऍम पीछे हूँ हो जाएगा शेखर ढाई ने साॅस था घर पर सूचित करते हो । इस बार अनीता भाभी ने पूछा विमान ऍम फिर न जाने अनीता भाभी को कैसे तीसरी सेंटर चली गई । जाने से पहले मैं भावी की लौटीं । उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा हो । अनीता नहीं लौटेगी उस होनी चली गई शेखर भाई सोनी यह खूनी में मुस्कुराती । खतरा नहीं कुछ क्षण कमार अच्छा शेखर तक चलता हूँ, होटल में ठहरा है । अच्छा नहीं लगता ही सामान उठाना ना ऍम और नहीं तो क्या कहीं औपचारिकता करने । वहाँ तो नहीं हो रहा है तो कैसी बातें करती हूँ । ठंड पड गई है, शिखर है और मैंने प्रसंग बदल दिया तो तो जाना चाहता है तो चाहे तो मेरा उन्नीस का देता हूँ नहीं कोई जरूरत थी खाॅ देखो कहकर में बाहर आके आपने सीधी पगडंडी पर उतरने लगा पहले उतर रहा है फिर मालरोड ऍम उतारती समय मुझे लग रहा था जैसे भी चल नहीं रहा की भी जैसी मुझे दे रहा हूँ मालरोड आया तो पेंट लिया दुख भी नहीं थी सडक पर जंझू नीति किसी सुनसान होनी ने आंख चलाकर कुछ पहाडी ऍम उनके पास कुछ झबरी ने कुछ भी बैठे हैं होटल वाली चढाइयां हूँ गिरिजाघर के पांच से कुछ ना हो सीमेंट की सुननी पडी थी हूँ ।

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आँख मिचौनी writer: रमेश गुप्त Voiceover Artist : Rashmi Sharma Author : Vishwa Books
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