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भाजपा बारा रात के ठीक नौ बजे मैं अपनी गाडी पर बैठ गया । इतनी मेरी बगल में बैठा था दिन ॅ अब्दुल तथा बीस तीस अरबों ने थाच मेलाघर मुझे भावपूर्ण विदाई दी और सभी नहीं वाकी दौर आया । अल्लाह तुम्हारी हिफाजत करें तो मैंने इंडियन स्टार्ट कर दिया । बिना बत्ती जलाए हम नीचे घाटियों में उतर रहे थे । ब्रेन किसी गुप्त मार्ग से मुझे ले जा रहा था । तारे टिमटिमा रहे थे और गाडी चलाने के लिए काफी उजाला था इसीलिए हम तेज रफ्तार से बढते जा रहे थे । आधे घंटे के बाद हमको बस्तियों का प्रकाश दिखाई दिया । इधर टीम ने हसते हुए बताया कि अल अभी आर की बैरकों का उजाला है ये ऍम सैनिकों का ऍम उसने बताया कि उनके चिंता नहीं वे आराम कर रहे हैं क्योंकि यात्रा से थक कर आए हैं । एक बार फिर मुझे विचार आया कि अरब डाॅलर ना करते हैं और उनके मन में उन इटालियन नागरिकों के प्रति भी उतनी ही गन्ना थी जो कि व्यापार करने के लिए अरब में बस गए थे । शीघ्र ही अल अभी आर की रोशनी अध्यक्ष्य हो गई और हमारे दाहिनी और कुछ दूरी बर प्रकाश चमक नहीं लगा । सुप्रीम ने बताया की है । प्रकाश बारह से के हवाई अड्डे गा है । वहाँ कुछ गडबड होने का अनुमान हुआ हूँ क्योंकि साधारण अवस्था में हवाई अड्डा अंधकार में रखा जाता है । ऍम इससे को चिंतित हो गया । उसका विचार था कि इटालियन अरबों के विरुद्ध कोई बडा कदम उठाने वाले हैं । आधी रात के बाद हम बार से नगर के बाहरी क्षेत्र में पहुंच गए और बाहर से टाकरा रोड पर जाकर रुक गए । यह स्थान बार से नगर के पश्चिम में कुछ किलोमीटर की दूरी पडता । बार से से बेंगाजी जाने का ये मुख्यमार्ग था और टोकरा के डट के निकट होते हुए हैं । आगे निकलता था । एक रेलवे लाइन भी यहाँ थी जो कि अल अभी यार होते हुए बीसीसीआई तीस किलोमीटर तक अंदर जाती थी । परंतु मैंने अल अभी आरके हवाई अड्डे पर कुछ असाधारण घटना का अनुमान लगाते हुए इस मार्ग से जाना उचित नहीं समझा । टोकरा रोड पर पहुंचकर मैंने ड्रीम सुविधा ली । व्यवहार से नगर में जाना चाहता था । ये ड्रीम सुविधा होना सहना था । मैं उसको अरबी मित्रों में श्रेष्ठ समझता था । धो, निर्भीक होने के अतिरिक्त सुंदर योजनाएं बनाने में भी नहीं था । उसने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, मैं आशा करता हूँ की तो हमारे पास लौट आओगे । इस भयंकर रेगिस्तान को बार करने के लिए ऊंटों की यात्रा सुरक्षित रहेगी । हम तुम्हारा स्वागत करने के लिए सदा तत्पर हैं तो हमारे घर में जो कि बारह से मैं आ सकते हो, मैं बेंगाजी में हालत देखूंगा । मैंने उसका बताया मेरी योजना किसी भी समय बदल सकती है, विशेष रूप से जब गोलियां चलाने का अवसर हो । यदि बेंगाजी में पेट्रोल तथा अन्य सामग्री प्राप्त ना हुई तो मैं डेरना चला जाऊंगा और दक्षिणी क्षेत्र से होता हुआ झाड की ढील वाला मार कर लूंगा । यदि मैं किसी गंभीर विपत्ति में पड गया तो आवश्यक ही तुम से संपर्क स्थापित करूंगा परन्तु मित्र मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि शीघ्र ही तुम लोगों को भी भागना पडेगा । कुछ भी हो, मैं तुम्हारी कटप्पा को जीवन भर नहीं भूल सकता हूँ । सुमित है अल्लाह तुम्हारे साथ रहे, उसने हाथ मिलाया और सिर्फ एक मिनट मैं आंखों सही हो चल हो गया । मैंने अपनी गाडी स्टार्ट की और विचारों में डूबा हुआ टोकरा रोड पर चल पडा । अब एक बार फिर मैं अकेला रह गया या अकेलापन मुझे बहुत अगर रहा था । मुझे क्या था कि मेरा जीवन मेरी अपनी सतर्कता पर निर्भर है । अभी जो भी मुझे मिलेगा, शत्रु ही होगा । मेरी योजना थी कि बेंगाजी में एक बटालियन असैनिक मित्र के घर पर जाकर ठहर हूँ । मेरा ये बूढा मित्र एक संगीत शिक्षक था और इसका नाम रस्सी नहीं था । वे अपनी पत्नी सहित नगर के बाहरी क्षेत्र में रहता था । इनसे मेरी मित्रता तीन महीने पहले हुई थी जबकि हमारी यूनिट बेंगाजी में ठहरी हुई थी । रोज सीने परिवार ने मेरे भागने का समाचार नहीं सुना होगा । जर्मन बढती में देखकर मुझे अभी भी डाक लाने वाला सैनिक ही समझेंगे । मैं उनके बाडे में अपना ट्रक छिपा सकता था और इसमें कोई संदेह था कि वह लोग कुछ दिनों तक मेरा आथित्य करेंगे । इसी बीच में अपने घर पार्सल रवाना कर सकता था । दिन निकलने से पहले मैं टोकरा पहुंच गया । फिर वही अपना पुराना खेल मैंने आरंभ किया और अपनी मशीन पिस्टल का सेफ्टी कॅश ऑन कर दिया । रात की भयंकर सर्दी के बावजूद मेरे हाथों से पसीना निकल ना लगा । मैंने कुछ फासला पारेख प्रकाश देखा था जो कि मुझे रोकने का संकेत दे रहा था । मुझे इस स्थान पर किसी भी सैनिक चौकी की आशा नहीं थी । जब मेरा ट्रक एक सफेद दीवार के सामने रोका तो एक इटालियन सैनिक लालटेन हाथ में लिए हो गए । ग्रेट कोट पहने तथा गले में मफलर लपेटे हुए हैं । मेरे बगल में आकर खडा हो गया काम । इस टाइम को मैंने उसका अभिवादन किया । उसकी बंदूक कंधे से लटकी हुई थी । वो आना । नोट उसको उस ने उत्तर दिया । उसकी आंखें मुझे और ट्रक को देख रही थी और मैं ये देख रहा था कि मकान में इसका कोई अन्य साथी भी है, नहीं तो यहाँ कहाँ से आये हो? उसने प्रश्न किया मैं उसकी ओर विचित्र भाव से देखता रहा । जैसे कि मैं ऍम भाषा बिल को नहीं जानता हूँ । आॅखो मैंने उत्तर दिया और उसके बाद वही पुराना बाकी दौर आया तो तुम कैसे हो? मैं यह सुनकर हसने लगा और टूटी फूटी जर्मन भाषा में उसने पूछा क्या तुम इटालियन नहीं जानते? मेरे चुप रहने पर व्यवहार जोर से हंसना लगा । उसका विचार था कि संसार में कुछ ऐसे लोग भी रहते हैं जो इटालियन भाषा नहीं जानते हैं । उसने गांव की तरफ संकेत देते हुए मुझसे कहा, जाओ ऍम छोडकर चला गया । मैं तुरंत ही उस से दूर होता चला गया । यह भी विचित्र बात है कि कभी कभी पूरे मुल्क बन जाने से समस्या हल हो जाती है । टोकरा में समुद्र तट के निकट कुछ आधुनिक ढंग के मतदान बने हुए थे तो झोपडियां भी थी । मैं अनेक बार यहाँ से होकर गुजरा था । मैंने एक्सीलेटर को दबाया हुआ था और गाडी तेज रफ्तार से आगे बढती जा रही थी । जब स्टेज पर सूर्य का प्रकाश फैल गया तो मुझे गाडी धीमी करनी पडी । मार्ग आप सक्रिय हो चला था । मोटरों के लम्बे काफिले बेंगाजी से होते हुए मुख्य मोर्चे की ओर जाने आरंभ हो चुके थे । कुछ घंटों के बाद मैं डेरना पहुंच गया । यह स्थान बेंगाजी से पचास किलोमीटर दूर है । आप मुझे मार्ग से हट जाना पडा क्योंकि जर्मन सैनिकों की एक विशाल सेना मोटरों द्वारा मुख्य मोरजे पर जा रही थी । आगे चलते मोटर साइकिलों पर सवार सैनिक प्रत्येक गाडी को मार्ग से हट जाने का संकेत दे रहे थे । उनकी साफ वर्दियों को देखने से पता चलता था की है लोग अभी अभी अफ्रीका पहुंचे हैं । आपने विशाल गोला बारूद और तो तो के भंडार लिए हुए आगे जा रहे थे । मार्ग पर उनका ही अधिक था परन्तु डेरना पहुंच कर स्थिति बिल्कुल बदल सकती थी क्योंकि डेरना से दो ओवरों तक का मार्ग टूटा फूटा तथा तंग था और विमानों के हमले से बचने करना कठिन था । हूँ । इन विशाल अट्ठासी मिलीमीटर की तोपों को उस स्थान से आगे ले जाना बहुत कठिन था क्योंकि मोटरों को घुमाने के लिए केवल एक फुट का स्थान था और सडक पर साठ से भी अधिक भयंकर मोड थे तो जर्मन सैनिकों ने मेरी और प्रेम भाव से देखा । विशेष रूप से मेरी अंग्रेजी गाडी को देखकर अचंभित हो रहे थे । वो मुझे पूछ रहे थे कि ये गाडी कितने में खरीदी? स्टॉप कार्य भी यदा कदा निकल रही थीं जिनमें जर्मन अफसर गंभीर मुद्रा में बैठे हुए थे । उन्होंने मेरे सैल्यूट का उत्तर दिया । अपसरों ने धूप के चश्मे नहीं लगाए थे क्योंकि उन मामलों में जनरल रोमेल के विचारों से मैं परिचित है । वह ठाठ बाट के प्रदर्शन का कट्टर विरोधी धान जब मोटरों के काफिले निकल गए और पीछे चलने वाले मोटर साइकिल सवार भी निकल गए तो मैं बेंगाजी की ओर बढने लगा और दोपहर बाज नगर के बाहरी क्षेत्र में पहुंच गया । परंतु मेरा विचार था कि मैं संतरियों के सामने ना पडो चुकी नगर में प्रवेश करने के लिए विशेष तैयारियों की आवश्यकता थी । ये नगर आशंकित रूप से दीवारों से घिरा हुआ था और मुख्य मार्गों पर चुने हुए जर्मन सैनिक तैनात है । इसके अतिरिक्त नगर में जर्मन सैनिक पुलिस का तू नेता अधिपत्य था जो प्रत्येक कंट्रोल पोस्ट पर गाडियाँ चेक करते थे कि प्रत्येक सैनिक की गाडी में आवश्यक कागजात हैं या नहीं । संतरी अपनी पोस्टों पर दूर दूर तक मार्च कर रहे थे । जहाँ कहीं नगर में जाने के लिए खुले स्थान थे । वहाँ लोहे के कांटेदार तारों के बडे बडे अच्छे जगह दिए गए थे । मुख्यद्वार दो थे । एक त्रिपोली की दिशा में था और दूसरा बार से की ओर था । इन्हीं द्वारों से नगर में आने जाने वाले निकालते थे । आवश्यक पारपत्र न होने पर नगर में प्रवेश होना असंभव था । मैंने नगर से आधा मील दूर रहना ही उचित समझा । तारकोल की सडक छोडकर मैं समुद्र तट की ओर मुड गया । यहाँ खजूर के अनेक सुरक्षित है जिनकी घनी छाया पेडों से दूर पड रही थी और भयंकर गर्मी में अत्यंत सुखद थी । मिलिट्री के तंबू समुद्र तट तक फैले हुए थे । अफ्रीका में आए नए सैनिक उन्हें विश्राम कर रहे थे । उनकी खाकी वर्दियों से ज्ञात होता था कि ये लोग मोर्चे पर जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं । जब मैं तंबुओं के निकट से होता हुआ निकला तो मैंने कपडा अपने मुँह पर अच्छी तरह लपेट लिया । यहाँ पर मेरे पहचान के लिए जाने की संभावना थी परंतु धूल से इतना ढका हुआ था की एक का एक मुझे पहचान लेना कठिन था । अंत में मैं घूमता हुआ एक लकडी के फाटा के पास आ गया है जो कि खुला पडा था हूँ और मैं सीधा गाडी लेकर मकान के सामने पहुंच गया । मकान चारो वोर से खजूर के वृक्षों से घिरा हुआ था । मैं उसके बरामदे के सामने जाकर रो किया । मैंने जोर से पुकारा और रॉस चीनी के आने की प्रतीक्षा करने लगा । जब कुछ डेढ सौ कोई नहीं आया तो मैंने जोर जोर से दरवाजा खटखटाया । कोई परिणाम नहीं निकला । फिर क्या आधी खुली हुई नहीं । मुझे मालूम हो गया कि मेरे परिचित यहाँ से चले गए हैं । दस मिनट में मैं पिछले दरवाजे का ताला तोडकर मकान के भीतर प्रवेश हो गया । मुख्यद्वार के पास धूल फैली हुई थी जिससे पता चलता था की कई दिनों से यहाँ कोई व्यक्ति नहीं आया । कमरे में फर्नीचर पडा हुआ था । घर के पढ सेवाकालीन उठा लिए गए थे । एक कमरे में मेरे मित्र हसीनी स्टूडियो था । मैं अक्सर उसके साथ वहीं बैठा था । बाहर आकर में गाडी में से अपना सामान निकाल का अंदर ले गया हूँ । केवल मशीनगन मैंने ट्रक पर लगी रहने दी । फिर मैंने ट्रक को घुमाकर घर के पीछे फूलों की झाडियों में खडा कर दिया और कुछ डालियां तोडकर उस पर फैला दी । वो पूर्णता छुट गया । नीचे हाजमे पानी भरा हुआ था । शीघ्र ही मैंने भोजन तथा काफी बना नहीं और खा पीकर एक मेज पर बैठ गया । मैंने अपनी माँ को एक लंबा पत्र लिखा है और अपनी डायरी, फोटो तथा अन्य सामान का पार्सल बना लिया हूँ । मैंने पिछला दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और अपने हथियारों को संभाल कर रख लेने के बाद मैं स्टूडियो वाले कमरे के सोफा सेट पर लेट गया । मैं पूरे सात घंटे तक सोता रहा हूँ । जब मेरी नींद खुली तब तक अंधेरा हो चुका था । बिना बत्ती जलाए मैंने काफी गर्म की और रात का भोजन करने के बाद अपने हथियार लेकर अंधेरे में घर से निकल पडा । संसारियों से छिपते हुए नगर में प्रवेश होने की आशा में मैं फाटक से बाहर हो गया । जोर की तरह सावधानी से मैं ऍफ में से होता हुआ खजूरों के पेडों के नीचे पहुंच गया । आधी रात का समय था । मुझे एक स्थान पर लोहे के कांटेदार तारों का एक बडा घेरा दिखाई दिया । मैं तुरंत ही पेट के बल रेंगता हुआ उसमें से निकल नहीं लगा । यहाँ अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता थी क्योंकि इस क्षेत्र में जर्मन संतरी पहरे पर तैनात है । मुझे उनकी गश्त को सावधानी से देखना बडा बहन तू में संतरियों की आदत है, परीक्षक था नहीं । शांत क्षेत्र में जो कि मुख्य मोर्चे से बहुत दूर था, वहाँ पर वाही से ड्यूटी दे रहे थे तो तू एक संतरी दो सौ गज दूर तक मार्च करता था और दूसरे संतरी से काफी देर तक बातचीत करने के बाद ही लौटता था । मैं तारों के घेरे से निकलता हुआ अपनी द्रष्टि संतरियों की जलती हुई सिगरेटों पर कराए रहा हूँ । दो सिगरेटें मुझसे लगभग एक सौ गज की दूरी पर चल रही थीं । स्वस्थ था की दोनों संतरी बातचीत में व्यस्त हैं । इसमें संदेह नहीं है कि वह मोर्चे पर लडे गए युद्ध तथा बेंगाजी स्थित चक ले के विषय में बातचीत कर रहे होंगे । मेरे विचार में मनोविज्ञान और तर्कशास्त्र जैसे विषयों पर वह बातचीत नहीं कर रहे थे । उनकी बातचीत चाहे जिस विषय पर भी चल रही हूँ । उन्होंने मुझे तारों में से निकलने का समय दे दिया और मैं शीघ्र ही बेंगाजी की गलियों में पहुंच गया । पार्सल मेरे हाथ में था और मैं विमानचालकों को देख रहा था क्योंकि यहाँ से जर्मनी डाक ले जाते थे । मुझे कुछ जर्मन सैनिक किसी मनोरंजन के गुप्त स्थान से निकलते हुए मिले । उन्होंने मुझे बताया कि माल ढोने वाले विमानों के चालक अब बनी ना के हवाई अड्डे पर रहते हैं जो की नगर से दस मील दूर है । इस हवाई अड्डे को मैंने पहले भी देखा था । इस पर भयंकर बमबारी हुई थी जिससे इसमें बडे बडे गड्ढे बन गए थे और उस समय जर्मन सैनिक निरंतर उन गड्ढों को भर रहे थे ताकि आने वाले विमान सुरक्षित उतर सकें । थोडी पूछताछ से पता चला कि इटालियन लेवर बटालियनों ने बहुत ही अच्छा कार्यकारी के इस अड्डे की मरम्मत कर दी है और इसको फिर से विमानों के यातायात के लिए सुधार दिया है । अब विमानचालक भी वहीं रहते हैं और कभी कबार ही बेंगाजी आते हैं । इस सूचना से मैंने सोचा हूँ की मेरा खतरनाक घाटों में से निकलने का प्रयास ना नेशनल ही रहा हूँ तो अब सुबह होने में एक घंटा रह गया था और मुझे फिर उसी मार्ग से होते हुए उस मकान पर पहुंचना था जहाँ मेरा सामान ट्रक था । मैं फिर अवसर देखता रहा जबकि संतरियों का मिलन हुआ हूँ और बडी कठिनता से लेट कर मैं तारों के घेरे से निकल कर दूर तक रेंगता हुआ चला गया और अंत में उठकर खजूर के अध्यक्षों की आड में से होता हुआ निकल गया । सूर्य उदय होने से कुछ ही पहले मैं रोज चीनी के मकान पर पहुंच गया । मैंने मक्का की रोटी तथा डब्बाबंद मछली का नाश्ता किया और कॉफी पी । अब मेरी या योजना थी के दिन के प्रकाश में मैं बनी ना के हवाई अड्डे पड जाऊं और तब देखों कि वहाँ से पार्सल भेजने के लिए क्या व्यवस्था की जा सकती है । जब निकल आया तो मैंने अपना सामान शर्ट पर लाद दिया और इंजन चेक करके पेट्रोल के टंकी को लगा लगभग दिया । फिर बंदूके चक्की और उनको सोलह स्थानों पर रख दिया । इसके बाद मैं बनी ना के हवाईअड्डे की ओर चल पडा । दसमी लंबा सारा रास्ता बम वर्ष से टूट फूट गया था । फिर भी इस पर अनेक जर्मन इटालियन गाडियाँ दौड रही थीं । उन्होंने मुझे निरंतर सतर्क रखा हूँ । मुझे प्रसन्नता हुई जबकि बनी ना के हवाई अड्डे का कंट्रोल रूम दिखाई दिया । यहाँ गाडियों की बडी भीड थी और जर्मन मिलिट्री पुलिस शीघ्रता से आ जा रही थी । मुझे अपनी इस समस्या को हल करने का एक उपाय सोचा और मैंने एक बिल्डिंग के पीछे गाडी खडी कर दी हूँ । उधर कर पीछे लगे सामान में से विशेष झंडा निकाल लिया । आप मुझे ये बता लगाना था कि जर्मन मान ले जाने वाले विमान यहाँ से जर्मनी तथा इटली कब जाएगा? यह सोचकर मैं फिर आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और गाडी स्टार्ट करके हवाई अड्डे के मुख्य द्वार के निकट पहुंचा हूँ । मैंने देखा कि यहाँ पर पहले पर इटालियन सैनिक तैनात है । मैं उन के निकट पहुंचा और ये आशा करता रहा कि यहाँ जर्मन संतरी ना हूँ । वैसे मुझे केवल इटालियन संतरी ही दिखाई दे रहे थे । मेरा मोहन कपडों तथा धूल से बचने वाले चश्मे से अच्छी तरह ढका हुआ था । मैंने संतरी के निकट आकर ब्रेक लगाया । मैं आराम से मेरे पास आने को बढा । तोता और दिनी मैंने कहा और झंडा उसको दिखा दिया । फिर बिना उत्तर की प्रतीक्षा किए हुए आगे बढ गया हूँ । संतरी ने प्रसन्नतापूर्वक हाँ फैलाया जो कि मुझे वरधान प्रतीत हुआ हूँ और सिर्फ अपने शेड में चला गया मैंने थोडा आगे जाकर फिर पीछे देखा कि संतरी अपने स्थान से कहीं और तो नहीं गया है परंतु वहीं पर था जिससे मेरा शांत हिदायत शांत हो गया ।
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