Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
12. Dwand in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

12. Dwand in Hindi

Share Kukufm
740 Listens
AuthorRashmi Sharma
Collection of Stories writer: विश्व बुक्स Voiceover Artist : Rashmi Sharma Script Writer : VISHVA BOOKS
Read More
Transcript
View transcript

कांगडा चिली के गर्ली कस्बे के नजदीक अनुभव ड्रामा के गांव है गांव । चारों ओर से गहरे नालों से घेरा हुआ है । जिस दिन में भी नाम था मुश्किल है । इसकी समीर थी । एक घना जंगल है जिसमें भयंकर सांप, बाघ जीते आधी रहते हैं । यह दिन में भी इतना अंधेरा रहते हैं कि हाथ को हाथ में ही सूचना एक तरी से जंगल में कहीं से एक बाघ । आपसी बात तो पहले भी कई आई थी पर लोहियों से कोई नहीं भर सकता हूँ । तो यह तो ऐसा था कि हर रोज गांव यहाँ तक अरे कान, भेड बकरी, फॅस का बच्चा या कुत्ता बिल्ली जो भी उसकी चपेट में आता हूँ । अच्छा था जंगल में जो पशु चलने जाये करती थी, कभी कभी बाहर एकांत उनमें से भी उठाने था । लोगों ने उसे पकडने के अनेक प्रयत्न किए । एक्टर मिलकर शिकायत भी खेला, पर बाघ का कुछ पता नहीं चलता हूँ । लोग टांग से बहुत चिंतित रही । नहीं लगी घरों में सारी रात पहला पर बांध के आने का किसी को पता नहीं चलता हूँ । चुप चाहता था पर अंधेरे में ही किसी पशु को उठा कर ले जाता । लोहियों की बंधु कि भरी भरी रह जाती है उन्हें उस समय पता चलता जब कहीं से साहस आवाज आती हो गया हो गया । राणों की कुत्ते को ले गया दोनों दौडो इतनी भी बाग अपनी मांग भी पहुंचा था । गांव के लोगों ने एडी चोटी का जोर लगाए, लाख प्रयत्न की । शनिश्वर बांध कभी पालकी बम करना कर सके । लोग उसके बारे में तरह तरह की आशंकाएं करने लगी । उन्हें संदेह होने लगा कि कहीं भूरी ही ना हो । घोरी वहाँ के लोग उसे कहते हैं जो एक्शन में ही अपना चोला बदल लेता है । यह भी की मदद होती है कि जब कोई इस पर गोली चलाने लगता है तो एक गाय का रूप धारण कर लेता है । वास्तव में होता मनुष्य । परंतु कठोर तपस्या के कारण उसी यह सिद्धि प्राप्त हो जाती है । उसी मानव जीवन से तीन नहीं रहे और वह मास्टर अक्षत बन जाता है । ये भी अंधविश्वास है कि जिस गांव में खोरी रहने लगे, वहाँ उन लोग बोल नहीं लगते हैं । होरी का निवास स्थान मनुष्य के लिए हानि का लग । पच्चीस गांव के नजदीक कह रहे, नहीं लगे उसे छोड देना चाहिए । जब लोग सभी युतं करके हार के तब उन्होंने तंत्र मंत्र का सहारा लिया । कांगडा के लोग तंत्र मंत्र में बहुत विश्वास करते थे । उनका विश्वास है कि इसके द्वारा शांति भी सिद्ध हो जाता है । मंत्र झाडने वाले को यहाँ छेना कहती है । पर ये हैं दीप्ता की तरह पूजा जाता है लोग की निवासी चेरी को बुलाना । उसने तीन दिन अखंड । पांच । क्या संयुक्त सी इन तीनों देख बाग भी नहीं आया । गांव वालों को उसकी साधना पर विश्वास होंगे । तीसरी रात चेले ने पांच समाप्त करके गांव के चारों ओर पानी की धारा बनाते और लोगों को विश्वास दिलाएं कि अब बाग इस देखा नहीं करेगा । यदि पांच करेगा तो मर जाएगी और वह अपनी मजदूरी लेकर चलता था । ना लोग अगली डाॅगी भर उसी रात बाघ राज्यों के बकरे को उठा लेंगे । दूसरे दिन गौरीशंकर की दस बकरियां गोहरा इनमें मरी पाई नहीं । गांववासी बिल्कुल हताश हो गयी । साहस और पर सब जाते रहे । डर के आगे उन्होंने कृति देख दिए हैं । गांव छोडने की सेवा उनके पास कोई चलाना था एक एक करके सबका छोडने लगी और काम सुना सुना सा हो गया । भाद्रपद का महीना काली काली रहती । आज गांव के मुख्या राज्य मेहता ही गांव में रह गया था । उसे भी अगले दिन मित्र के यहाँ चले जाना था । उसकी तीन लडकियाँ और दो छोटी छोटी लडकी थी । उसके पास दस बाॅल और इतनी ही भी नहीं बकरियां मिलेगी । इतने बडे परिवार और सामान के साथ दूसरी जगह जाना । राज्यों को पहाड सब देख रहा था परन्तु अकेले गांव में रहना भी खतरे से खाली नहीं था । रह चुके पति का नाम था की सब लोग उसे सीखनी कहते थे । वे थी भी बडी, साहसी और मीठा नहीं । राजू मेहता हाल में ही डोगरा पर्यटन से रिटायर हुआ था । पांच वर्ष तक ऍम था । बुढापे में भी रहे रिश्ता पुष्ट युवावस्था मी बाघ कोदंड में पचास तक इसकी उसे दोनाली का दूसरी बंदूक और अनेक पदक इनाम में मिली थी । रात का कहर आंध्र का था, चाहता हूँ और इतना सन्नाटा था कि सोई कितने की भी आवासा चाहिए । राजू ऍम दोनों बिस्तर पर लेटे बातें कर रहे थे । पास की चारपाई पर बच्चे हो रही थी । राजू ने कुत्ते को अपनी चारपाई के पाय के साथ पांच रखा था । दोनों की बातचीत से ऐसा लग रहा था जैसे धोना चाहिए थी । आज बाग उनके घर अवश्य आएगा । ऐसी नहीं आशंका नहीं । राजू ने कहा केसरी अंदर से बंदूक लिया और हाँ घर में भी नहीं । कोर्ट की जेब से दो कारतूस भी रहना जरूरत के वक्त काम आएगी । अच्छा जी जय कर के लिए अंदर के और अंधेरे में ही दो कार्ड दूर भर लायेगी और का टूर टीटर । बटेर मारने वाले बाद बांटी वाले नहीं । उसने प्रद्योत लाकर राज्य को थमा दी । अपने बिस्तर पर लेट । इसके बाद राजू तो चलती ही खर्राटे नहीं नहीं लगा तो केसरी को नहीं नहीं आ रही है । मैं खुद एक नहीं उसका दिल बैठा जा रहा था । सोने का प्रयत्न करते हैं परन्तु निष्फल बिस्तर पर पडी पडी रह आकाश की ओर देखती रही । शांत वातावरण में उसे केवल राज्यों की खर्राटे सुनाई देती हूँ । बच्चों को जब मच्छर काटेंगे तो उसमें कर रखती हूँ और कभी कभार चमगादड की चीज ऊँचे हूँ की ध्वनि उसे सुनाई पडती है । इस प्रकार रात्रि का एक पहर पीठ क्या अब केसरी को डर लग नहीं रहा हूँ । उसी राज्यों को उठाकर कहा मुझे डर लगता है कुछ अनिष्ट ऐसा आभास होता है । मेरा दिल नहीं मानता हूँ । आज की रात मत सब हम बंद ऊपरी तैयार रखूँ । यहाँ के आने का समय ही हो रहा है । आनी थी तो सोने भी नहीं देखो कहते हैं ऍम सोता भी क्यों नहीं पिछले चार रातों से निरंतर पहला देता हूँ की तरह फिर अपनी कल्पनाओं में खो गई हूँ । वहाँ घर के आने की कल्पना से ही सिहर उठती उसी तरह सोचते सोचते आधी रात हो गयी के करीब अब बैंक नहीं रखी थी वो भी पीछे भी सचेत हो जाती हूँ इतनी में चमगादड की क्यूँ क्यूँकि आवास से सारा वातावरण काम था । चारपाई से बंधा कुत्ता भी भूख नहीं लगा । अब तो केसरी को बांध के आने की पूरी सूचना मिलते कल्पना ही कल प्रणामी एक पांच से हारे थे और उसकी रोंगटे खडे हो गए । पुनर्स् सतर्क अपने आप को संभालकर जोडी की ओर एक तक देखे थे हूँ उसी मोटर कहाँ की टीम की तरह ड्यूडी के बीच दो पदार्थ समझ ही नहीं हूँ बांक बिल्कुल उसके सामने उसी देखते ही केसरी की घबराहट एक छन्नी जाती है बाकी की अकिनचंद बता रही हूँ कुत्ती पर दृष्टि जमाए था इसे भी नहीं कुछ नहीं मार कर राज्य को जगाया रूकती आवाज नहीं बोली जी बहुत ही फिर प्रयत्न किया । उसने बोली जी ऍम आ गया चुपचाप लेटी रहे हैं अब कुछ नहीं चलती है । अजी लो बंदूक आदान दू किसी शेखी की क्या बात है देखते क्या हूँ? पांच ही तो बैठा ही सीधा निशाना फॅमिली में चित्र हो जाएगा हूँ बात कभी ऐसी मारी जाती निशाना चूक गया तो खैर नहीं कुत्ते को खाता है तो खाली नहीं थी अंजाम तो बच्चे की कुत्ता और ले लेंगे नहीं बहुत छमा का है ऐसे टांग पर तंग कर सोई रहने से भी भला क्या बनेगा ऐसा मौका बार बार नहीं आता हूँ हूँ हूँ तीसरी नहीं हठपूर्वक राजू ने उसकी बात का कोई उत्तर नहीं, कुछ नहीं तब तथा चाय है बाकी उनकी बातचीत सुन कर ही नहीं सस्ता किया भीगी बिल्ली बन गया हूँ वास्तव मैं जोरबाग था जो अवसर की ताक में रहता है । जब समय हाथ सकता है झट से पशु उठाकर भाग जाता है । तीसरी ने फिर कहा मैं कहती हूँ गोली चला दूँ, नहीं खराब थी उस से नहीं होगा । कम से कम बच्चों का तो खयाल कर पगली हूँ हूँ । तीसरी चिंता पिंटू शिकायत हाथ से निकल जाएँ ये खुसी सहायता उसने भी बंदूक नहीं चलाएंगे वरना अभी तक नहीं बात को उडा देते । उसकी रूम रूम में बिजली का संचार हुआ । हाथ मचल उठे । ऍम धमनियों गरम खून दौडने लगा उससे रहना, बंदूक उठाए और बाकी की ओर तक की निशाना चूक के बाग कुचलकर केसरी पर चलता । अपनी रक्षा के लिए केसरी ने बन्दों का भी कर दी में भाग नहीं घूमी जाएंगे । उसी दूसरी गोली बाग के मुँह में ही तंग बागने गुस्से से नली को कर कस करके चबा दिया । नहीं छूट चूर हो गई । राजू और बच्चे अब तक अंदर भाग चुकी थी । चाहूँ किसी को ढूँढने लगे रहे तो वहाँ ही नहीं राजू को बाहर चारपाइयों की खडखडाहट सुनाई पड नहीं सहन के पहचान किया की केसरी अभी संसार में नहीं रहे । बांध के पंजी में आया हुआ बडे से बडा शक्तिशाली जान से हाथ धो बैठता है और वो तुम्हारा तकलीफ को मैंने कितना समझाया उसके कान पर जूं नहीं रेंगी । खूनी तो होकर ही रहती है । किसी की थाली नहीं चलती । राजू ने बच्चों को कोठी पर चढा क्या अब की बार खुल ठीक बात पिछले पाउंड केबल खाना है और केसरी निर्भीकतापूर्वक लकडी वाला हिस्सा उसकी सर पर मारे जा रही है । उसका साहस आगे जाने का नहीं हुआ । केसरी ने कुछ हथियार मामला तो वह भी उसने भीतर से ही फेंक दिया । केसरी के हाथ भी नहीं था । अच्छा बाघपुर की फिल्में बंद होने लगा । बार परिवार होने लगी । इतने में कुत्ता बाग पर चलता है परंतु एक ही लपेट में यमपुरी पहुंच गया । राज्य को खडे खडे पसीना गया और बच्चे चीखने चिल्लाने लगती । पर केसरी जान की परवाह किए बिना पांच से की गई एक और नियुक्ति केसरी अब दूसरी ओर लम्बे लम्बे न क्यों वाला था, दोनों ही दूसरे को गिराने पर तुली थी । अंधेरी में राज्यों को छटपटाहट के सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता । मैं दुविधा में पढा रहा । कर्तव्य और लाड उसके मस्तक में उथल पुथल मचा रही थी कि इस तरी को बचाई । जब बच्चों की रक्षा करें तो मन ही मन सोचा । यदि केसरी मर भी गया तो मैं उसके बाद बच्चों, पशुओं और खेती बाडी की रक्षा कर सकूंगा । यदि तुमको इसकी भेंट चढ गई तो पच्चीस तिलक अलग करना चाहिए । अंदर ही अंदर रो पडा । एक आध बार आगे बढने का प्रयास में भी किया । परंतु मृत्यु के भय और बच्चों की ममता ने उसे पीछे धकेल क्या आज पहली बार मैं किसी तरह पलटन अभियान बरसाती तोपों के मूड में जाने से भी रहे, कभी नहीं कराया था, परन्तु आज नहीं जाने की उसी क्या किया था । अंगद में ठंड चल रहा था । राजू ने सोचा केसरी अब संसार में नहीं, प्रातः उसके अंग प्रत्यंग आंगन में भी खेलता हूँ तो उसने सोचा क्या यह मेरी कमजोरी नहीं जो पत्नी को आंखों के सामने मार नहीं दिया । नीच पाल कहाँ गया कहाँ क्या तेरह मानुषी खून चुल्लू भर पानी में डूब मरो स्वर्ग में बैठे केसरी तुझे कोसे की ठीक कार है तुम नीच को यदि साहस और बल था तुज में तो वहाँ की क्यों नहीं आया । उसी समय मुर्गी ने बनी थी आंगन में खामोशी छा गई । राजू ने सोचा बाग तक चला गया होगा परन्तु अपत्तियों से भूमि पर कुछ अस्पष्ट सा प्रदार्थ हिलता हुआ दिखाई दिया । रहने की आवाज सुनकर राजू अश्चर्यचकित रहे क्या केसरिया भी चीज थी । तब आपको बाहों में झगडे हुई थी । पाक अंतिम सांस ली चुका था । पडी मुश्किल से राज्यों ने केसरी को उससे अलग क्या? अलग होते ही केसरी मूर्छित होकर गिर पडीं । त्रान चुने, उसके ऊपर पानी छिडका । उसे कुछ होश आया और फॅमिली हुई तो नहीं । फिर वही राजू नहीं देखा । बाघ आंगन में मरा पडा । सिर्फ एक ही मिनट लंबा शरीर चित कपडा गोलियों से भी डर लगी थी । टीटर पटेल मारने वाली गोली से उसका क्या भी करना था कि इस तरीके जगहों से खून बह रहा था । मैं पूरी तरह घायल हो गई थी । आंगन में भी रक्त का लेट हो गया था । राजू केसरी को सहारा देकर अंदर लेकिन अभी भी उसी बाग कंटर था । होश आने पर वह बाग कहती फिर बेहोश हो जाती । रात तक ये है समाचार आपकी तरह निकटवर्ती गांव में फैल गया । झुंड के झुंड केसरी के दर्शन के लिए वहाँ जमा होने लगी । वो केसरी के साहसिक कार्य पर चकित थी और उसकी प्रशंसा कर रहे थे । समाचार सुनकर में भी स्कूल से भागा भागा वहां पहुंचा । बाद को देखकर मेरे मुंह से तो ठीक ही निकल पडेंगे । हाँ उसकी खडी सब व्यक्ति खिलखिलाकर हंस पडे हमें शर्म से करते हैं । थाने में भी अब तक समाचार पहुंच चुका था । सिपाही केसरी को ज्वालामुखी थानी लेकर वहाँ उनसे पांच सौ रुपये का पुरस्कार और एक स्वर्ण पदक मिला, जिस पर ये शब्द अंकित थी । कांगडा की विरांगना

Details

Sound Engineer

Voice Artist

Collection of Stories writer: विश्व बुक्स Voiceover Artist : Rashmi Sharma Script Writer : VISHVA BOOKS
share-icon

00:00
00:00